Saturday, March 30, 2013

अरविन्द जी का अनशन और संवेदना शून्य सरकार !

         अरविन्द  जी का अपराध आखिर क्या है ?

     यदि सरकार ईमानदार है तो केजरीवाल के प्रयासों की तो प्रशंसा होनी ही चाहिए थी, किंतु उन्हें तो सरकारी गुस्सा का शिकार होना पड़ रहा है, जबकि भ्रष्टाचार  रोकने में सरकार का सहयोग करना चाह रहे हैं अरविंद। घोटालों के कारण महँगाई है, भ्रष्ट नेताओं के कारण घोटाले हैं, लापरवाह अथवा भ्रष्ट सरकार के कारण घोटाले पकड़े नहीं जा रहे हैं, जो पकड़े भी उनमें कोई प्रभावी कार्यवाई होते नहीं दिख रही है।महँगाई के कारण इसे मुद्दा बनाने पर सरकार को बुरा क्यों  लग रहा है ?

       नेताओं  के लिए कितने शर्म की बात है कि सारा कुनबा ही देश पर बोझ बनता जा रहा है।दामाद घोटाला या ऐसे अन्य  घोटाले करके नेता लोग  खुद तो देश का धन हड़पते हैं।हजारों लाखों करोड़ के घोटाले होते हैं।घाटा पड़ने पर गरीब जनता के गैस सिलेंडरों की कटौती कर ली जाती है।बिजली पानी के बिल बढ़ा दिए जाते हैं।

    गरीब जनता के पेट पर लात मारने वालों  को  दया नहीं आती है गरीबों के भूखे बच्चे रोते बिलखते देखकर?परेशान लोगों को देखकर अरविंद जी  को दया आती है  तो वो अपराधी  हैं क्या ?

    जो भी हो अबकी तो पढ़े लिखे कर्म योगी अरविंद जी से सामना है,किसी बाबा जोगी से नहीं।ये  शालीन एवं प्रमाण सहित संयत शब्दों में अपनी बात विनम्रता पूर्वक रखने के अभ्यासी,विद्वान लगते हैं।ऐसे सदाचारी लोगों की सज्जन समाज सदैव सराहना करता है।  

       अरविन्द जी विद्वान आदमी हैं देश के कानून पर वे भरोसा रखने वाले भले इंसान हैं। वे अपनी योग्यता के बल पर सरकारी सेवा के उच्च पदों पर आसीन रह चुके हैं, जिसमें उनका अपना परिश्रम पूर्वजों का पुण्य सज्जनों का आशीर्वाद उन्हें इस रूप में फलित होता रहा है।ये पद प्रतिष्ठा सरकारी होते हुए भी उन्होंने सरकार की कृपा से नहीं अपने परिश्रम से पायी है और बिना किसी आरोप के वह राजपाठ छोड़कर उन अपनों की आवाज उठा रहे हैं जिन्हें राजनैतिक दलों ने अब तक बहुत यातनाएँ  दी हैं, क्या करे वह बेचारा गरीबों की आहें उसे चैन से सोने नहीं देती हैं।आखिर वह कठोर दिल वाला नेता तो है नहीं है वह भी विदेशियों की चाटुकारिता करने वाला।अरविन्द जी को  अभी गरीबों की आवाजें सुनाई देती हैं ।
      सरकारी सेवा में सब सुख सुविधाएँ  छोड़कर आए हैं अरविन्द जी, उनका अपना गौरव है।कोई सुशिक्षित व्यक्ति राजनीति करने के लिए यह सब कर रहा है। ये आरोप गलत हैं।उनके समर्पण पर सन्देह की गुंजाइस अभी तक नहीं है।वो बाबा गिरी करते करते राजनीति में नहीं आ रहे हैं और न ही उनका कोई आपराधिक इतिहास ही है। समाजसेवा के लिए उन्होंने कई दिन कईबार निराहार व्रत किया है किंतु सरकार पर कोई असर नहीं हुआ!क्या चाहती है  सरकार कि वे भी सरकार के अड़ियल रवैए के आगे घुटने टेक दें ?या फिर गरीब जनता का साथ देना बंद कर दें?

    पहले भी  सरकारी पार्टी की ओर से उन पर लगाए जा रहे आरोप इतने कर्कश शब्दों में होते थे जो उन लोगों की अशिक्षा प्रदर्शित करते हैं  जबकि अरविंद जी के जवाब हमेशा विनम्र होते हैं।जहॉं तक बात घोटालों के पर्दा फास की होती है तो कोई  आपरेशन फूलों से  तो होगा नहीं आपरेशन तो ब्लेड से ही होता है ,ब्लेड लगेगा तो दर्द  होगा ही उसे डाक्टर कैसे रोके?घोटालों के आपरेशन जो चीखे चिल्लाए तो अरविंद जी क्या करें ? 

      जो उन पर निराधार आरोप लगाने वाले लोग हैं वो अपने से अरविंद जी  की तुलना क्यों करते हैं? जिन्हें सब कुछ राजनीति से ही मिला है।अरविंद जी  बिना राजनीति के भी इन सब पर भारी हैं ।आज वो जो कुछ भी हैं वो उनका अपना वजूद है,उनके सामने ये मजबूरी नहीं है कि यदि वे अपने आकाओं के कहने से या उन्हें खुश करने के लिए अरविंद को गाली नहीं देंगे तो उनसे प्रवक्ता पद छीन लिया जाएगा या पार्टी से निकाल दिए जाएँगे।
     अपनी दबी कुचली राजनैतिक इच्छा दबाए बैठे गैर राजनैतिक लबादा ओढ़े कुछ और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी ईर्ष्या वश  अरविंद जी   के खिलाफ   भले कभी कुछ बोल दिया हो किन्तु    उनका उद्देश्य  जो भी हो किंतु अरविंद जी का कोई भी आचार व्यवहार  संदेह योग्य नहीं है। उनसे यदि भूल में भी कोई भूल हुई होती तो अब तक  धर पकड होने लगती।जब बड़े बड़े प्रदेशों में सरकारें चलाने वाले सरकारी सी.बी.आई.के भय से समर्थन का टोकरा पकड़ा आते हैं।उन सरकारों से देश वासियों के लिए 

अरविंद जी ने सत्याग्रह निमित्त निराहार व्रत लिया है।         
     सरकारों को सकारात्मक रूख अपनाना चाहिए और अरविन्द जी के साथ मिलबैठकर उनकी नैतिक बातें मानी ही जानी चाहिए आखिर सामाजिक सुरक्षा एवं सुख सुविधाओं से सम्बंधित उनका आग्रह है। समाज सेवा समर्पित साधना में उनके निराहार व्रत का आज आठवां दिन है।उस समाज सेवा व्रती की एक एक श्वांस का ऋण हम सब पर है।

     मैं तो अरविन्द जी के बढ़ते दौर्बल्य से अत्यंत बेचैन हूँ अन्ना जी के आने की आशा कि शायद वो इस व्रत की पूर्णता कराते हुए अरविन्द जी को भोजन करने के लिए प्रेरित करें।  

     अब हम सबको ध्यान रखना चाहिए कि यह आवाज  दबने  न पाए। सभी को अरविंद जी का साथ देना चाहिए। 

      एक पढ़ा लिखा सक्षम व्यक्ति अपनी सारी सुख सुविधाएँ  छोड़कर सामाजिक कार्यों के लिए जिस मजबूरी में लोकपीड़ा से परेशान होकर निकला होगा,उसका किंचित अहसास हमें भी है।

    मैं चार विषय से एम.ए. एवं  काशी  हिंदू विश्व  विद्यालय से पी.एच. डी. करने के बाद ऐसे ही किसी राजनैतिक कुचाल से आहत होकर सरकार से आजीवन नौकरी न मॉंगने का व्रत लिया है जिसका अभी तक निर्वाह कर रहा हूँ ।
      हर सुशिक्षित व्यक्ति की अपमान सहने की भी कोई सीमा तो  होती है ? आखिर कितना कुछ सहा जा सकता है,जहॉं आते आते हमारे जैसे बहुत सारे शिक्षित लोग सामाजिक अपयशों ,अपमानों से आहत होकर समाज कार्यों से विरत हो जाते हैं।

    अरविंदजी संकल्पवान एवं दृढ़व्रती हैं। ऐसा लगता है कि ईश्वर उनसे  बहुत कुछ अच्छा करवाकर उसका श्रेय उन्हें देना चाहता है। भगवान उन्हें लंबी आयु दे और वो सत्कर्म के पथ पर सदाचार पूर्वक आगे बढ़ते रहें।ईश्वर से यही प्रार्थना  है कि उनका स्वास्थ्य उत्तम बना रहे। 

                                         डॉ.शेष नारायण वाजपेयी 


 

आखिर क्यों एक धर्म निरपेक्ष पार्टी बनी चालाक,ठग और धोखेबाज

             केंद्र सरकार और सपा की तकरार 

सांप्रदायिक शक्तियों का भय दिखाकर समर्थन लेना या देना ये देश एवं समाज के साथ न केवल धोखा अपितु घोर अन्याय भी  है जब तक सेटिंग चलती रहे तब तक सांप्रदायिक शक्तियों के नाम पर देश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी को अपमानित करते रहना और बड़े से बड़े घोटाले भ्रष्टाचार सहते रहना क्या न्याय है?अपराधों, हत्याओं, बलात्कारों   के झंझावातों में शांत रहना क्या न्याय है?जब सरकारी जाँच एजेंसियों की तोप का मुख अपनी ओर तान दिया जाए तब शोर मचाना यह क्या देश और समाज के हित में माना जा सकता है? आखिर पहले किए जा रहे घोटालों में मौन को क्या मौनं स्वीकार लक्षणम्  मान लिया जाए?
        जनता के समर्थन से जीत कर आई देश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी को अपमानित एवं दुष्प्रचारित करते हुए और बड़े से बड़े घोटाले भ्रष्टाचार सहते रह जाना सरकार समर्थक छोटे दलों की आखिर कौन सी मज़बूरी है?
     सांप्रदायिक पार्टी के नाम पर दुष्प्रचारित  भाजपा से ही विराट व्यक्तित्व एवं अतुलनीय सद्गुणों के धनी अमित यशस्वी  अटल जी जैसे प्रधान मंत्री देश को मिले हैं जिनके निर्भीक सुशासन की जितनी भी प्रशंसा की जाए वो कम है।भाजपा की ही कई अन्य प्रदेशों में भी सरकारें हैं जो न केवल सफलता पूर्वक संचालित हैं अपितु जनता उन्हें दूसरी बार भी चुन कर भेज रही है।ये उनके सुशासन का ही परिणाम है।आखिर वहाँ कौन सी आफत आ रही है?दूसरी ओर तथाकथित धर्म निरपेक्ष सरकारें एवं उनका शासन  भी जनता देख और सह रही है।  
   ऐसी परिस्थिति में जनता के निर्णय को नकारते हुए किसी को किसी भी दल के विषय में भारतीय जनमानस में मिथ्या भ्रम का सृजन नहीं करना चाहिए।
    अभी कुछ दिन पहले भी ऐसा ही देखने सुनने को मिला जब पूरा देश होली के रंग में मदमस्त था, तब मुलायम सिंह जी ने सैफई में कांग्रेस को चालाक, ठग और धोखेबाज कहा है 
     चूँकि होली के रंग के मदमस्त माहौल में मुलायम सिंह जी ने जो कुछ कांग्रेस के विषय में कहा है या यूँ कह लिया जाए कि होली के मस्त माहौल में केंद्र सरकार के गालों पर गालियों का गुलाल मल रहे हैं मुलायम सिंह जी!लगता है कि उनके बयान को सरकार ने भी उसी स्नेह से स्वीकार किया है।आखिर इस सरकार के देवर जो ठहरे नेता जी !सरकार की हर मुसीबत में काम आते हैं।आगे भी इनका ही सहारा है।इसी बहाने कांग्रेस भी होली महोत्सव का आनंद ले रही है।होली और विवाह में तो गालियाँ भी उसे ही दी जाती हैं जिससे प्रेम अधिक होता है।
    वैसे भी देवर भाभी की लड़ाई कोई लड़ाई होती है? वो भी होली के मौके पर! और यदि हो भी जाए तो देवरों का क्या भाभी की एक मुसुकान पर सब कुछ कुर्वान करने को तैयार हो जाते हैं अर्थात सारा समर्थन का टोकरा लिए पीछे पीछे घूमने लगते हैं किसी ने माँगा हो न माँगा हो किन्तु समर्थन है कि बहने लगता है रुकने का नाम ही नहीं लेता है।यू.पी..सरकार के प्रथम गठन की बात तो सबको याद होगी जब बिना माँगे ही सरकार के सहयोग में सपा का समर्थन एकदम पूरा छलक रहा था।बात और है कि बिना बुलाए पहुँचने के कारण थोड़ा उपहास जरूर हुआ था किन्तु यह रिश्ता ही ऐसा है यहाँ सब कुछ चलता है। यह भारत वर्ष है यहाँ देवर भाभी के रिश्ते पर बड़ी कविता कहानी किताबें आदि लिखी गई होंगी आगे भी लिखी जाती रहेंगी।आगे भी ऐसा ही चलता रहेगा।
  धर्म निरपेक्षता रूपी मधुर मुसुकान पर मोहित होकर देवरों का क्या यू.पी.. तृतीय सरकार के गठन के समय भी समर्थन जारी रहेगा। देवर भाभी के इस अमर रिश्ते को हमारा भी अभिनन्दन !
     यदि ऐसा न होता तो मुलायम सिंह जी को  सरकार से सीधे समर्थन वापस लेना चाहिए था देश को बताने की क्या जरूरत?  
      माननीय नेता जी! यदि वास्तव में कांग्रेस पार्टी  चालाक,ठग और धोखेबाज है!तो इसका अनुभव आपको इतने वर्षों बाद क्यों हुआ?और यदि आपका यह अनुमान सच है कि इस  काँग्रेस की प्रवृत्ति में ही चालाकी,ठगी  तथा धोखेबाजी  आदि दुर्गुण हैं तो जब आप इतने तिलमिलाए हैं तो इतने वर्षों में देश की क्या कुछ दुर्दशा नहीं हुई होगी!आखिर उसके लिए कौन जिम्मेदार है?अपनी अपनी पार्टी के विषय में हर कोई सोचता है आखिर देश के विषय में कौन सोचेगा?इस सरकार के विषय में  चालाकी, ठगी   तथा  धोखेबाजी  आदि जिस सच का बखान आपने अपने श्री मुख से किया है उससे हुए नुकसान की भरपाई कैसे होगी उसमें भी जो  सरकार  आपके समर्थन पर चल रही हो। इसलिए इसप्रकार की काँग्रेसी चालाकी, ठगी   तथा  धोखेबाजी  आदि से देश का जितने प्रतिशत नुकसान हुआ होगा उसमें  उतने प्रतिशत  आप भी सहभागी मानें जाएँगे! यह  स्वतः सिद्ध है बल्कि ऐसे प्रकरणों में समर्थन देने वाले को अधिक दोष लगता है।शास्त्र में ऐसे तीन दान बताए गए हैं जिन्हें देने वाला दोषी होता है इसलिए नर्क जाता है ऐसा शास्त्र प्रमाण है    यथा -
    1. महात्मा को सोना दान देने वाला 
    2. ब्रह्मचारी   को   पान   देने    वाला
    3. दोषी   को   समर्थन   देने   वाला                                      
       यतये काञ्चनं   दत्वा  ताम्बूलं ब्रह्मचारिणा |
       दोषिभ्यो अभयं  दत्वा दातापि नरकं ब्रजेत् ||
 
      इसी प्रकार कुछ दिन पहले मुलायम सिंह जी एन. डी.. सरकार और बीजेपी के सीनियर नेता आडवाणी जी  की तारीफ कर रहे थे।जबकि समर्थन यू.पी.. सरकार को दे रहे हैं|इसकी भी शास्त्र निन्दा करते कहते हैं कि सज्जन लोग मन से जो सोचते हैं वाणी से वही बोलते हैं और आचरण में वही करते भी  हैं यथा - 
         मनस्येकं बचस्येकं कर्मण्येकं महात्मनाम् ||
          सपा मुखिया मुलायमसिंह यादव जी ने भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी की तारीफ करते हुए कहा कि वे कभी झूठ नहीं बोलते।आदरणीय नेता जी यदि आदरणीय आडवाणी जी की सत्य वाणी पर आपको इतना ही भरोसा होता तो उनके हिसाब से आप इस सत्तासीन दल को बहुत पहले पहचान चुके होते इतना समय न लगता !
    गौरतलब है कि मुलायम सिंह जी कांग्रेस को धोखेबाज तब कह रहे हैं जब उनकी पार्टी के समर्थन की वजह से ही केंद्र में कांग्रेस की सरकार चल रही है। वह पिछले 9 सालों से यू.पी.. के साथ हैं। 
 1.यू.पी..एक में जब लेफ्ट पार्टियों ने न्यूक्लियर डील पर समर्थन वापस लिया था तो मुलायम सिंह ही मनमोहन सरकार के तारनहार बने थे।
      नेता जी! क्या यह सच नहीं है कि  केंद्र में आप भले  कांग्रेस के साथ हैं लेकिन लोकसभा चुनाव के समय उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के खिलाफ ही चुनाव लड़ेंग?ऐसे मेंआप लोगों के बीच दिखाना चाहते हैं कि उनकी पार्टी भले केंद्र में कांग्रेस का समर्थन कर रही है लेकिन कई मुद्दों पर विरोध है?
   मुलायम सिंह जी! आपकी भाषा कांग्रेस के प्रति तल्ख हो रही है लेकिन समर्थन वापसी पर कोई सख्त फैसला लेने से आप अभी भी जिन कारणों से बच रहे हैं जनता वह सबकुछ समझती है फिर भी वोट डालना, अखवार पढ़ना ,न्यूज़ देखना और सबका सब कुछ सुनना उसकी भी मज़बूरी है ।
      वैसे भी जनता को जनार्दन कहा जाता है।  जनार्दन तो भगवान का नाम है भगवान से कुछ  छिपाया नहीं जा सकता और भगवान को मजबूर समझने की भूल किसी को नहीं करनी चाहिए ! 

राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोध  संस्थान की अपील 

   यदि किसी को केवल रामायण ही नहीं अपितु  ज्योतिष वास्तु धर्मशास्त्र आदि समस्त भारतीय  प्राचीन विद्याओं सहित  शास्त्र के किसी भी नीतिगत  पक्ष पर संदेह या शंका हो या कोई जानकारी  लेना चाह रहे हों।शास्त्रीय विषय में यदि किसी प्रकार के सामाजिक भ्रम के शिकार हों तो हमारा संस्थान आपके प्रश्नों का स्वागत करता है ।

     यदि ऐसे किसी भी प्रश्न का आप शास्त्र प्रमाणित उत्तर जानना चाहते हों या हमारे विचारों से सहमत हों या धार्मिक जगत से अंध विश्वास हटाना चाहते हों या राजनैतिक जगत से धार्मिक अंध विश्वास हटाना चाहते हों तथा धार्मिक अपराधों से मुक्त भारत बनाने एवं स्वस्थ समाज बनाने के लिए  हमारे राजेश्वरीप्राच्यविद्याशोध संस्थान के कार्यक्रमों में सहभागी बनना चाहते हों तो हमारा संस्थान आपके सभी शास्त्रीय प्रश्नोंका स्वागत करता है एवं आपका  तन , मन, धन आदि सभी प्रकार से संस्थान के साथ जुड़ने का आह्वान करता है। 

       सामान्य रूप से जिसके लिए हमारे संस्थान की सदस्यता लेने का प्रावधान  है।  


भाजपा में सांप्रदायिकता क्या है और अभीतक उससे हानि क्या हुई है ?

             केंद्र सरकार और सपा की तकरार

सांप्रदायिक शक्तियों का भय दिखाकर समर्थन लेना या देना ये देश एवं समाज के साथ न केवल धोखा अपितु घोर अन्याय भी  है जब तक सेटिंग चलती रहे तब तक सांप्रदायिक शक्तियों के नाम पर देश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी को अपमानित करते रहना और बड़े से बड़े घोटाले भ्रष्टाचार सहते रहना क्या न्याय है?अपराधों, हत्याओं, बलात्कारों   के झंझावातों में शांत रहना क्या न्याय है?जब सरकारी जाँच एजेंसियों की तोप का मुख अपनी ओर तान दिया जाए तब शोर मचाना यह क्या देश और समाज के हित में माना जा सकता है? आखिर पहले किए जा रहे घोटालों में मौन को क्या मौनं स्वीकार लक्षणम्  मान लिया जाए?
        जनता के समर्थन से जीत कर आई देश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी को अपमानित एवं दुष्प्रचारित करते हुए और बड़े से बड़े घोटाले भ्रष्टाचार सहते रह जाना सरकार समर्थक छोटे दलों की आखिर कौन सी मज़बूरी है?
     सांप्रदायिक पार्टी के नाम पर दुष्प्रचारित  भाजपा से ही विराट व्यक्तित्व एवं अतुलनीय सद्गुणों के धनी अमित यशस्वी  अटल जी जैसे प्रधान मंत्री देश को मिले हैं जिनके निर्भीक सुशासन की जितनी भी प्रशंसा की जाए वो कम है।भाजपा की ही कई अन्य प्रदेशों में भी सरकारें हैं जो न केवल सफलता पूर्वक संचालित हैं अपितु जनता उन्हें दूसरी बार भी चुन कर भेज रही है।ये उनके सुशासन का ही परिणाम है।आखिर वहाँ कौन सी आफत आ रही है?दूसरी ओर तथाकथित धर्म निरपेक्ष सरकारें एवं उनका शासन  भी जनता देख और सह रही है।   
   ऐसी परिस्थिति में जनता के निर्णय को नकारते हुए किसी को किसी भी दल के विषय में भारतीय जनमानस में मिथ्या भ्रम का सृजन नहीं करना चाहिए।
    अभी कुछ दिन पहले भी ऐसा ही देखने सुनने को मिला जब पूरा देश होली के रंग में मदमस्त था, तब मुलायम सिंह जी ने सैफई में कांग्रेस को चालाक, ठग और धोखेबाज कहा है 
     चूँकि होली के रंग के मदमस्त माहौल में मुलायम सिंह जी ने जो कुछ कांग्रेस के विषय में कहा है या यूँ कह लिया जाए कि होली के मस्त माहौल में केंद्र सरकार के गालों पर गालियों का गुलाल मल रहे हैं मुलायम सिंह जी!लगता है कि उनके बयान को सरकार ने भी उसी स्नेह से स्वीकार किया है।आखिर इस सरकार के देवर जो ठहरे नेता जी !सरकार की हर मुसीबत में काम आते हैं।आगे भी इनका ही सहारा है।इसी बहाने कांग्रेस भी होली महोत्सव का आनंद ले रही है।होली और विवाह में तो गालियाँ भी उसे ही दी जाती हैं जिससे प्रेम अधिक होता है।
    वैसे भी देवर भाभी की लड़ाई कोई लड़ाई होती है? वो भी होली के मौके पर! और यदि हो भी जाए तो देवरों का क्या भाभी की एक मुसुकान पर सब कुछ कुर्वान करने को तैयार हो जाते हैं अर्थात सारा समर्थन का टोकरा लिए पीछे पीछे घूमने लगते हैं किसी ने माँगा हो न माँगा हो किन्तु समर्थन है कि बहने लगता है रुकने का नाम ही नहीं लेता है।यू.पी..सरकार के प्रथम गठन की बात तो सबको याद होगी जब बिना माँगे ही सरकार के सहयोग में सपा का समर्थन एकदम पूरा छलक रहा था।बात और है कि बिना बुलाए पहुँचने के कारण थोड़ा उपहास जरूर हुआ था किन्तु यह रिश्ता ही ऐसा है यहाँ सब कुछ चलता है। यह भारत वर्ष है यहाँ देवर भाभी के रिश्ते पर बड़ी कविता कहानी किताबें आदि लिखी गई होंगी आगे भी लिखी जाती रहेंगी।आगे भी ऐसा ही चलता रहेगा।
  धर्म निरपेक्षता रूपी मधुर मुसुकान पर मोहित होकर देवरों का क्या यू.पी.. तृतीय सरकार के गठन के समय भी समर्थन जारी रहेगा। देवर भाभी के इस अमर रिश्ते को हमारा भी अभिनन्दन !
     यदि ऐसा न होता तो मुलायम सिंह जी को  सरकार से सीधे समर्थन वापस लेना चाहिए था देश को बताने की क्या जरूरत?  
      माननीय नेता जी! यदि वास्तव में कांग्रेस पार्टी  चालाक,ठग और धोखेबाज है!तो इसका अनुभव आपको इतने वर्षों बाद क्यों हुआ?और यदि आपका यह अनुमान सच है कि इस  काँग्रेस की प्रवृत्ति में ही चालाकी,ठगी  तथा धोखेबाजी  आदि दुर्गुण हैं तो जब आप इतने तिलमिलाए हैं तो इतने वर्षों में देश की क्या कुछ दुर्दशा नहीं हुई होगी!आखिर उसके लिए कौन जिम्मेदार है?अपनी अपनी पार्टी के विषय में हर कोई सोचता है आखिर देश के विषय में कौन सोचेगा?इस सरकार के विषय में  चालाकी, ठगी   तथा  धोखेबाजी  आदि जिस सच का बखान आपने अपने श्री मुख से किया है उससे हुए नुकसान की भरपाई कैसे होगी उसमें भी जो  सरकार  आपके समर्थन पर चल रही हो। इसलिए इसप्रकार की काँग्रेसी चालाकी, ठगी   तथा  धोखेबाजी  आदि से देश का जितने प्रतिशत नुकसान हुआ होगा उसमें  उतने प्रतिशत  आप भी सहभागी मानें जाएँगे! यह  स्वतः सिद्ध है बल्कि ऐसे प्रकरणों में समर्थन देने वाले को अधिक दोष लगता है।शास्त्र में ऐसे तीन दान बताए गए हैं जिन्हें देने वाला दोषी होता है इसलिए नर्क जाता है ऐसा शास्त्र प्रमाण है    यथा -
    1. महात्मा को सोना दान देने वाला 
    2. ब्रह्मचारी   को   पान   देने    वाला
    3. दोषी   को   समर्थन   देने   वाला                                      
       यतये काञ्चनं   दत्वा  ताम्बूलं ब्रह्मचारिणा |
       दोषिभ्यो अभयं  दत्वा दातापि नरकं ब्रजेत् ||
 
      इसी प्रकार कुछ दिन पहले मुलायम सिंह जी एन. डी.. सरकार और बीजेपी के सीनियर नेता आडवाणी जी  की तारीफ कर रहे थे।जबकि समर्थन यू.पी.. सरकार को दे रहे हैं|इसकी भी शास्त्र निन्दा करते कहते हैं कि सज्जन लोग मन से जो सोचते हैं वाणी से वही बोलते हैं और आचरण में वही करते भी  हैं यथा - 
         मनस्येकं बचस्येकं कर्मण्येकं महात्मनाम् ||
          सपा मुखिया मुलायमसिंह यादव जी ने भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी की तारीफ करते हुए कहा कि वे कभी झूठ नहीं बोलते।आदरणीय नेता जी यदि आदरणीय आडवाणी जी की सत्य वाणी पर आपको इतना ही भरोसा होता तो उनके हिसाब से आप इस सत्तासीन दल को बहुत पहले पहचान चुके होते इतना समय न लगता !
    गौरतलब है कि मुलायम सिंह जी कांग्रेस को धोखेबाज तब कह रहे हैं जब उनकी पार्टी के समर्थन की वजह से ही केंद्र में कांग्रेस की सरकार चल रही है। वह पिछले 9 सालों से यू.पी.. के साथ हैं। 
 1.यू.पी..एक में जब लेफ्ट पार्टियों ने न्यूक्लियर डील पर समर्थन वापस लिया था तो मुलायम सिंह ही मनमोहन सरकार के तारनहार बने थे।
      नेता जी! क्या यह सच नहीं है कि  केंद्र में आप भले  कांग्रेस के साथ हैं लेकिन लोकसभा चुनाव के समय उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के खिलाफ ही चुनाव लड़ेंग?ऐसे मेंआप लोगों के बीच दिखाना चाहते हैं कि उनकी पार्टी भले केंद्र में कांग्रेस का समर्थन कर रही है लेकिन कई मुद्दों पर विरोध है?
   मुलायम सिंह जी! आपकी भाषा कांग्रेस के प्रति तल्ख हो रही है लेकिन समर्थन वापसी पर कोई सख्त फैसला लेने से आप अभी भी जिन कारणों से बच रहे हैं जनता वह सबकुछ समझती है फिर भी वोट डालना, अखवार पढ़ना ,न्यूज़ देखना और सबका सब कुछ सुनना उसकी भी मज़बूरी है ।
      वैसे भी जनता को जनार्दन कहा जाता है।  जनार्दन तो भगवान का नाम है भगवान से कुछ  छिपाया नहीं जा सकता और भगवान को मजबूर समझने की भूल किसी को नहीं करनी चाहिए ! 

राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोध  संस्थान की अपील 

   यदि किसी को केवल रामायण ही नहीं अपितु  ज्योतिष वास्तु धर्मशास्त्र आदि समस्त भारतीय  प्राचीन विद्याओं सहित  शास्त्र के किसी भी नीतिगत  पक्ष पर संदेह या शंका हो या कोई जानकारी  लेना चाह रहे हों।शास्त्रीय विषय में यदि किसी प्रकार के सामाजिक भ्रम के शिकार हों तो हमारा संस्थान आपके प्रश्नों का स्वागत करता है ।

     यदि ऐसे किसी भी प्रश्न का आप शास्त्र प्रमाणित उत्तर जानना चाहते हों या हमारे विचारों से सहमत हों या धार्मिक जगत से अंध विश्वास हटाना चाहते हों या राजनैतिक जगत से धार्मिक अंध विश्वास हटाना चाहते हों तथा धार्मिक अपराधों से मुक्त भारत बनाने एवं स्वस्थ समाज बनाने के लिए  हमारे राजेश्वरीप्राच्यविद्याशोध संस्थान के कार्यक्रमों में सहभागी बनना चाहते हों तो हमारा संस्थान आपके सभी शास्त्रीय प्रश्नोंका स्वागत करता है एवं आपका  तन , मन, धन आदि सभी प्रकार से संस्थान के साथ जुड़ने का आह्वान करता है। 

       सामान्य रूप से जिसके लिए हमारे संस्थान की सदस्यता लेने का प्रावधान  है।  

   

सांप्रदायिक दलों के नाम पर भाजपा का बहिष्कार क्यों?

             केंद्र सरकार और सपा की तकरार 

सांप्रदायिक शक्तियों का भय दिखाकर समर्थन लेना या देना ये देश एवं समाज के साथ न केवल धोखा अपितु घोर अन्याय भी  है जब तक सेटिंग चलती रहे तब तक सांप्रदायिक शक्तियों के नाम पर देश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी को अपमानित करते रहना और बड़े से बड़े घोटाले भ्रष्टाचार सहते रहना क्या न्याय है?अपराधों, हत्याओं, बलात्कारों   के झंझावातों में शांत रहना क्या न्याय है?जब सरकारी जाँच एजेंसियों की तोप का मुख अपनी ओर तान दिया जाए तब शोर मचाना यह क्या देश और समाज के हित में माना जा सकता है? आखिर पहले किए जा रहे घोटालों में मौन को क्या मौनं स्वीकार लक्षणम्  मान लिया जाए?
        जनता के समर्थन से जीत कर आई देश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी को अपमानित एवं दुष्प्रचारित करते हुए और बड़े से बड़े घोटाले भ्रष्टाचार सहते रह जाना सरकार समर्थक छोटे दलों की आखिर कौन सी मज़बूरी है?
     सांप्रदायिक पार्टी के नाम पर दुष्प्रचारित  भाजपा से ही विराट व्यक्तित्व एवं अतुलनीय सद्गुणों के धनी अमित यशस्वी  अटल जी जैसे प्रधान मंत्री देश को मिले हैं जिनके निर्भीक सुशासन की जितनी भी प्रशंसा की जाए वो कम है।भाजपा की ही कई अन्य प्रदेशों में भी सरकारें हैं जो न केवल सफलता पूर्वक संचालित हैं अपितु जनता उन्हें दूसरी बार भी चुन कर भेज रही है।ये उनके सुशासन का ही परिणाम है।आखिर वहाँ कौन सी आफत आ रही है?दूसरी ओर तथाकथित धर्म निरपेक्ष सरकारें एवं उनका शासन  भी जनता देख और सह रही है।   
   ऐसी परिस्थिति में जनता के निर्णय को नकारते हुए किसी को किसी भी दल के विषय में भारतीय जनमानस में मिथ्या भ्रम का सृजन नहीं करना चाहिए।
    अभी कुछ दिन पहले भी ऐसा ही देखने सुनने को मिला जब पूरा देश होली के रंग में मदमस्त था, तब मुलायम सिंह जी ने सैफई में कांग्रेस को चालाक, ठग और धोखेबाज कहा है 
     चूँकि होली के रंग के मदमस्त माहौल में मुलायम सिंह जी ने जो कुछ कांग्रेस के विषय में कहा है या यूँ कह लिया जाए कि होली के मस्त माहौल में केंद्र सरकार के गालों पर गालियों का गुलाल मल रहे हैं मुलायम सिंह जी!लगता है कि उनके बयान को सरकार ने भी उसी स्नेह से स्वीकार किया है।आखिर इस सरकार के देवर जो ठहरे नेता जी !सरकार की हर मुसीबत में काम आते हैं।आगे भी इनका ही सहारा है।इसी बहाने कांग्रेस भी होली महोत्सव का आनंद ले रही है।होली और विवाह में तो गालियाँ भी उसे ही दी जाती हैं जिससे प्रेम अधिक होता है।
    वैसे भी देवर भाभी की लड़ाई कोई लड़ाई होती है? वो भी होली के मौके पर! और यदि हो भी जाए तो देवरों का क्या भाभी की एक मुसुकान पर सब कुछ कुर्वान करने को तैयार हो जाते हैं अर्थात सारा समर्थन का टोकरा लिए पीछे पीछे घूमने लगते हैं किसी ने माँगा हो न माँगा हो किन्तु समर्थन है कि बहने लगता है रुकने का नाम ही नहीं लेता है।यू.पी..सरकार के प्रथम गठन की बात तो सबको याद होगी जब बिना माँगे ही सरकार के सहयोग में सपा का समर्थन एकदम पूरा छलक रहा था।बात और है कि बिना बुलाए पहुँचने के कारण थोड़ा उपहास जरूर हुआ था किन्तु यह रिश्ता ही ऐसा है यहाँ सब कुछ चलता है। यह भारत वर्ष है यहाँ देवर भाभी के रिश्ते पर बड़ी कविता कहानी किताबें आदि लिखी गई होंगी आगे भी लिखी जाती रहेंगी।आगे भी ऐसा ही चलता रहेगा।
  धर्म निरपेक्षता रूपी मधुर मुसुकान पर मोहित होकर देवरों का क्या यू.पी.. तृतीय सरकार के गठन के समय भी समर्थन जारी रहेगा। देवर भाभी के इस अमर रिश्ते को हमारा भी अभिनन्दन !
     यदि ऐसा न होता तो मुलायम सिंह जी को  सरकार से सीधे समर्थन वापस लेना चाहिए था देश को बताने की क्या जरूरत?  
      माननीय नेता जी! यदि वास्तव में कांग्रेस पार्टी  चालाक,ठग और धोखेबाज है!तो इसका अनुभव आपको इतने वर्षों बाद क्यों हुआ?और यदि आपका यह अनुमान सच है कि इस  काँग्रेस की प्रवृत्ति में ही चालाकी,ठगी  तथा धोखेबाजी  आदि दुर्गुण हैं तो जब आप इतने तिलमिलाए हैं तो इतने वर्षों में देश की क्या कुछ दुर्दशा नहीं हुई होगी!आखिर उसके लिए कौन जिम्मेदार है?अपनी अपनी पार्टी के विषय में हर कोई सोचता है आखिर देश के विषय में कौन सोचेगा?इस सरकार के विषय में  चालाकी, ठगी   तथा  धोखेबाजी  आदि जिस सच का बखान आपने अपने श्री मुख से किया है उससे हुए नुकसान की भरपाई कैसे होगी उसमें भी जो  सरकार  आपके समर्थन पर चल रही हो। इसलिए इसप्रकार की काँग्रेसी चालाकी, ठगी   तथा  धोखेबाजी  आदि से देश का जितने प्रतिशत नुकसान हुआ होगा उसमें  उतने प्रतिशत  आप भी सहभागी मानें जाएँगे! यह  स्वतः सिद्ध है बल्कि ऐसे प्रकरणों में समर्थन देने वाले को अधिक दोष लगता है।शास्त्र में ऐसे तीन दान बताए गए हैं जिन्हें देने वाला दोषी होता है इसलिए नर्क जाता है ऐसा शास्त्र प्रमाण है    यथा -
    1. महात्मा को सोना दान देने वाला 
    2. ब्रह्मचारी   को   पान   देने    वाला
    3. दोषी   को   समर्थन   देने   वाला                                      
       यतये काञ्चनं   दत्वा  ताम्बूलं ब्रह्मचारिणा |
       दोषिभ्यो अभयं  दत्वा दातापि नरकं ब्रजेत् ||
 
      इसी प्रकार कुछ दिन पहले मुलायम सिंह जी एन. डी.. सरकार और बीजेपी के सीनियर नेता आडवाणी जी  की तारीफ कर रहे थे।जबकि समर्थन यू.पी.. सरकार को दे रहे हैं|इसकी भी शास्त्र निन्दा करते कहते हैं कि सज्जन लोग मन से जो सोचते हैं वाणी से वही बोलते हैं और आचरण में वही करते भी  हैं यथा - 
         मनस्येकं बचस्येकं कर्मण्येकं महात्मनाम् ||
          सपा मुखिया मुलायमसिंह यादव जी ने भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी की तारीफ करते हुए कहा कि वे कभी झूठ नहीं बोलते।आदरणीय नेता जी यदि आदरणीय आडवाणी जी की सत्य वाणी पर आपको इतना ही भरोसा होता तो उनके हिसाब से आप इस सत्तासीन दल को बहुत पहले पहचान चुके होते इतना समय न लगता !
    गौरतलब है कि मुलायम सिंह जी कांग्रेस को धोखेबाज तब कह रहे हैं जब उनकी पार्टी के समर्थन की वजह से ही केंद्र में कांग्रेस की सरकार चल रही है। वह पिछले 9 सालों से यू.पी.. के साथ हैं। 
 1.यू.पी..एक में जब लेफ्ट पार्टियों ने न्यूक्लियर डील पर समर्थन वापस लिया था तो मुलायम सिंह ही मनमोहन सरकार के तारनहार बने थे।
      नेता जी! क्या यह सच नहीं है कि  केंद्र में आप भले  कांग्रेस के साथ हैं लेकिन लोकसभा चुनाव के समय उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के खिलाफ ही चुनाव लड़ेंग?ऐसे मेंआप लोगों के बीच दिखाना चाहते हैं कि उनकी पार्टी भले केंद्र में कांग्रेस का समर्थन कर रही है लेकिन कई मुद्दों पर विरोध है?
   मुलायम सिंह जी! आपकी भाषा कांग्रेस के प्रति तल्ख हो रही है लेकिन समर्थन वापसी पर कोई सख्त फैसला लेने से आप अभी भी जिन कारणों से बच रहे हैं जनता वह सबकुछ समझती है फिर भी वोट डालना, अखवार पढ़ना ,न्यूज़ देखना और सबका सब कुछ सुनना उसकी भी मज़बूरी है ।
      वैसे भी जनता को जनार्दन कहा जाता है।  जनार्दन तो भगवान का नाम है भगवान से कुछ  छिपाया नहीं जा सकता और भगवान को मजबूर समझने की भूल किसी को नहीं करनी चाहिए ! 

राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोध  संस्थान की अपील 

   यदि किसी को केवल रामायण ही नहीं अपितु  ज्योतिष वास्तु धर्मशास्त्र आदि समस्त भारतीय  प्राचीन विद्याओं सहित  शास्त्र के किसी भी नीतिगत  पक्ष पर संदेह या शंका हो या कोई जानकारी  लेना चाह रहे हों।शास्त्रीय विषय में यदि किसी प्रकार के सामाजिक भ्रम के शिकार हों तो हमारा संस्थान आपके प्रश्नों का स्वागत करता है ।

     यदि ऐसे किसी भी प्रश्न का आप शास्त्र प्रमाणित उत्तर जानना चाहते हों या हमारे विचारों से सहमत हों या धार्मिक जगत से अंध विश्वास हटाना चाहते हों या राजनैतिक जगत से धार्मिक अंध विश्वास हटाना चाहते हों तथा धार्मिक अपराधों से मुक्त भारत बनाने एवं स्वस्थ समाज बनाने के लिए  हमारे राजेश्वरीप्राच्यविद्याशोध संस्थान के कार्यक्रमों में सहभागी बनना चाहते हों तो हमारा संस्थान आपके सभी शास्त्रीय प्रश्नोंका स्वागत करता है एवं आपका  तन , मन, धन आदि सभी प्रकार से संस्थान के साथ जुड़ने का आह्वान करता है। 

       सामान्य रूप से जिसके लिए हमारे संस्थान की सदस्यता लेने का प्रावधान  है।

सांप्रदायिक शक्तियों का हौवा खड़ा करके समर्थन देना धोखा है

             केंद्र सरकार और सपा की तकरार 

सांप्रदायिक शक्तियों का भय दिखाकर समर्थन लेना या देना ये देश एवं समाज के साथ न केवल धोखा अपितु घोर अन्याय भी  है जब तक सेटिंग चलती रहे तब तक सांप्रदायिक शक्तियों के नाम पर देश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी को अपमानित करते रहना और बड़े से बड़े घोटाले भ्रष्टाचार सहते रहना क्या न्याय है?अपराधों, हत्याओं, बलात्कारों   के झंझावातों में शांत रहना क्या न्याय है?जब सरकारी जाँच एजेंसियों की तोप का मुख अपनी ओर तान दिया जाए तब शोर मचाना यह क्या देश और समाज के हित में माना जा सकता है? आखिर पहले किए जा रहे घोटालों में मौन को क्या मौनं स्वीकार लक्षणम्  मान लिया जाए?
        जनता के समर्थन से जीत कर आई देश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी को अपमानित एवं दुष्प्रचारित करते हुए और बड़े से बड़े घोटाले भ्रष्टाचार सहते रह जाना सरकार समर्थक छोटे दलों की आखिर कौन सी मज़बूरी है?
     सांप्रदायिक पार्टी के नाम पर दुष्प्रचारित  भाजपा से ही विराट व्यक्तित्व एवं अतुलनीय सद्गुणों के धनी अमित यशस्वी  अटल जी जैसे प्रधान मंत्री देश को मिले हैं जिनके निर्भीक सुशासन की जितनी भी प्रशंसा की जाए वो कम है।भाजपा की ही कई अन्य प्रदेशों में भी सरकारें हैं जो न केवल सफलता पूर्वक संचालित हैं अपितु जनता उन्हें दूसरी बार भी चुन कर भेज रही है।ये उनके सुशासन का ही परिणाम है।आखिर वहाँ कौन सी आफत आ रही है?दूसरी ओर तथाकथित धर्म निरपेक्ष सरकारें एवं उनका शासन  भी जनता देख और सह रही है।   
   ऐसी परिस्थिति में जनता के निर्णय को नकारते हुए किसी को किसी भी दल के विषय में भारतीय जनमानस में मिथ्या भ्रम का सृजन नहीं करना चाहिए।
    अभी कुछ दिन पहले भी ऐसा ही देखने सुनने को मिला जब पूरा देश होली के रंग में मदमस्त था, तब मुलायम सिंह जी ने सैफई में कांग्रेस को चालाक, ठग और धोखेबाज कहा है 
     चूँकि होली के रंग के मदमस्त माहौल में मुलायम सिंह जी ने जो कुछ कांग्रेस के विषय में कहा है या यूँ कह लिया जाए कि होली के मस्त माहौल में केंद्र सरकार के गालों पर गालियों का गुलाल मल रहे हैं मुलायम सिंह जी!लगता है कि उनके बयान को सरकार ने भी उसी स्नेह से स्वीकार किया है।आखिर इस सरकार के देवर जो ठहरे नेता जी !सरकार की हर मुसीबत में काम आते हैं।आगे भी इनका ही सहारा है।इसी बहाने कांग्रेस भी होली महोत्सव का आनंद ले रही है।होली और विवाह में तो गालियाँ भी उसे ही दी जाती हैं जिससे प्रेम अधिक होता है।
    वैसे भी देवर भाभी की लड़ाई कोई लड़ाई होती है? वो भी होली के मौके पर! और यदि हो भी जाए तो देवरों का क्या भाभी की एक मुसुकान पर सब कुछ कुर्वान करने को तैयार हो जाते हैं अर्थात सारा समर्थन का टोकरा लिए पीछे पीछे घूमने लगते हैं किसी ने माँगा हो न माँगा हो किन्तु समर्थन है कि बहने लगता है रुकने का नाम ही नहीं लेता है।यू.पी..सरकार के प्रथम गठन की बात तो सबको याद होगी जब बिना माँगे ही सरकार के सहयोग में सपा का समर्थन एकदम पूरा छलक रहा था।बात और है कि बिना बुलाए पहुँचने के कारण थोड़ा उपहास जरूर हुआ था किन्तु यह रिश्ता ही ऐसा है यहाँ सब कुछ चलता है। यह भारत वर्ष है यहाँ देवर भाभी के रिश्ते पर बड़ी कविता कहानी किताबें आदि लिखी गई होंगी आगे भी लिखी जाती रहेंगी।आगे भी ऐसा ही चलता रहेगा।
  धर्म निरपेक्षता रूपी मधुर मुसुकान पर मोहित होकर देवरों का क्या यू.पी.. तृतीय सरकार के गठन के समय भी समर्थन जारी रहेगा। देवर भाभी के इस अमर रिश्ते को हमारा भी अभिनन्दन !
     यदि ऐसा न होता तो मुलायम सिंह जी को  सरकार से सीधे समर्थन वापस लेना चाहिए था देश को बताने की क्या जरूरत?  
      माननीय नेता जी! यदि वास्तव में कांग्रेस पार्टी  चालाक,ठग और धोखेबाज है!तो इसका अनुभव आपको इतने वर्षों बाद क्यों हुआ?और यदि आपका यह अनुमान सच है कि इस  काँग्रेस की प्रवृत्ति में ही चालाकी,ठगी  तथा धोखेबाजी  आदि दुर्गुण हैं तो जब आप इतने तिलमिलाए हैं तो इतने वर्षों में देश की क्या कुछ दुर्दशा नहीं हुई होगी!आखिर उसके लिए कौन जिम्मेदार है?अपनी अपनी पार्टी के विषय में हर कोई सोचता है आखिर देश के विषय में कौन सोचेगा?इस सरकार के विषय में  चालाकी, ठगी   तथा  धोखेबाजी  आदि जिस सच का बखान आपने अपने श्री मुख से किया है उससे हुए नुकसान की भरपाई कैसे होगी उसमें भी जो  सरकार  आपके समर्थन पर चल रही हो। इसलिए इसप्रकार की काँग्रेसी चालाकी, ठगी   तथा  धोखेबाजी  आदि से देश का जितने प्रतिशत नुकसान हुआ होगा उसमें  उतने प्रतिशत  आप भी सहभागी मानें जाएँगे! यह  स्वतः सिद्ध है बल्कि ऐसे प्रकरणों में समर्थन देने वाले को अधिक दोष लगता है।शास्त्र में ऐसे तीन दान बताए गए हैं जिन्हें देने वाला दोषी होता है इसलिए नर्क जाता है ऐसा शास्त्र प्रमाण है    यथा -
    1. महात्मा को सोना दान देने वाला 
    2. ब्रह्मचारी   को   पान   देने    वाला
    3. दोषी   को   समर्थन   देने   वाला                                      
       यतये काञ्चनं   दत्वा  ताम्बूलं ब्रह्मचारिणा |
       दोषिभ्यो अभयं  दत्वा दातापि नरकं ब्रजेत् ||
 
      इसी प्रकार कुछ दिन पहले मुलायम सिंह जी एन. डी.. सरकार और बीजेपी के सीनियर नेता आडवाणी जी  की तारीफ कर रहे थे।जबकि समर्थन यू.पी.. सरकार को दे रहे हैं|इसकी भी शास्त्र निन्दा करते कहते हैं कि सज्जन लोग मन से जो सोचते हैं वाणी से वही बोलते हैं और आचरण में वही करते भी  हैं यथा - 
         मनस्येकं बचस्येकं कर्मण्येकं महात्मनाम् ||
          सपा मुखिया मुलायमसिंह यादव जी ने भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी की तारीफ करते हुए कहा कि वे कभी झूठ नहीं बोलते।आदरणीय नेता जी यदि आदरणीय आडवाणी जी की सत्य वाणी पर आपको इतना ही भरोसा होता तो उनके हिसाब से आप इस सत्तासीन दल को बहुत पहले पहचान चुके होते इतना समय न लगता !
    गौरतलब है कि मुलायम सिंह जी कांग्रेस को धोखेबाज तब कह रहे हैं जब उनकी पार्टी के समर्थन की वजह से ही केंद्र में कांग्रेस की सरकार चल रही है। वह पिछले 9 सालों से यू.पी.. के साथ हैं। 
 1.यू.पी..एक में जब लेफ्ट पार्टियों ने न्यूक्लियर डील पर समर्थन वापस लिया था तो मुलायम सिंह ही मनमोहन सरकार के तारनहार बने थे।
      नेता जी! क्या यह सच नहीं है कि  केंद्र में आप भले  कांग्रेस के साथ हैं लेकिन लोकसभा चुनाव के समय उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के खिलाफ ही चुनाव लड़ेंग?ऐसे मेंआप लोगों के बीच दिखाना चाहते हैं कि उनकी पार्टी भले केंद्र में कांग्रेस का समर्थन कर रही है लेकिन कई मुद्दों पर विरोध है?
   मुलायम सिंह जी! आपकी भाषा कांग्रेस के प्रति तल्ख हो रही है लेकिन समर्थन वापसी पर कोई सख्त फैसला लेने से आप अभी भी जिन कारणों से बच रहे हैं जनता वह सबकुछ समझती है फिर भी वोट डालना, अखवार पढ़ना ,न्यूज़ देखना और सबका सब कुछ सुनना उसकी भी मज़बूरी है ।
      वैसे भी जनता को जनार्दन कहा जाता है।  जनार्दन तो भगवान का नाम है भगवान से कुछ  छिपाया नहीं जा सकता और भगवान को मजबूर समझने की भूल किसी को नहीं करनी चाहिए ! 

राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोध  संस्थान की अपील 

   यदि किसी को केवल रामायण ही नहीं अपितु  ज्योतिष वास्तु धर्मशास्त्र आदि समस्त भारतीय  प्राचीन विद्याओं सहित  शास्त्र के किसी भी नीतिगत  पक्ष पर संदेह या शंका हो या कोई जानकारी  लेना चाह रहे हों।शास्त्रीय विषय में यदि किसी प्रकार के सामाजिक भ्रम के शिकार हों तो हमारा संस्थान आपके प्रश्नों का स्वागत करता है ।

     यदि ऐसे किसी भी प्रश्न का आप शास्त्र प्रमाणित उत्तर जानना चाहते हों या हमारे विचारों से सहमत हों या धार्मिक जगत से अंध विश्वास हटाना चाहते हों या राजनैतिक जगत से धार्मिक अंध विश्वास हटाना चाहते हों तथा धार्मिक अपराधों से मुक्त भारत बनाने एवं स्वस्थ समाज बनाने के लिए  हमारे राजेश्वरीप्राच्यविद्याशोध संस्थान के कार्यक्रमों में सहभागी बनना चाहते हों तो हमारा संस्थान आपके सभी शास्त्रीय प्रश्नोंका स्वागत करता है एवं आपका  तन , मन, धन आदि सभी प्रकार से संस्थान के साथ जुड़ने का आह्वान करता है। 

       सामान्य रूप से जिसके लिए हमारे संस्थान की सदस्यता लेने का प्रावधान  है।