भाग्य से ज्यादा और समय से पहले किसी को न सफलता मिलती है और न ही सुख ! विवाह, विद्या ,मकान, दुकान ,व्यापार, परिवार, पद, प्रतिष्ठा,संतान आदि का सुख हर कोई अच्छा से अच्छा चाहता है किंतु मिलता उसे उतना ही है जितना उसके भाग्य में होता है और तभी मिलता है जब जो सुख मिलने का समय आता है अन्यथा कितना भी प्रयास करे सफलता नहीं मिलती है ! ऋतुएँ भी समय से ही फल देती हैं इसलिए अपने भाग्य और समय की सही जानकारी प्रत्येक व्यक्ति को रखनी चाहिए |एक बार अवश्य देखिए -http://www.drsnvajpayee.com/
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Tuesday, December 31, 2013
Wednesday, December 25, 2013
युग पुरुष माननीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के लिए अनंतानंत शुभ कामनाएँ -
ईश्वर आपको स्वस्थ प्रसन्न तथा दीर्घायुष्यवान करे
रखना सुरक्षित स्वस्थ जीवन प्रसन्न सदा
देश की धरोहर इस अमित निशानी को ।
त्याग के तागों से निर्मित कलेवर यह
अमर बना रहे ये सत्य कवि बानी हो ॥
ईश्वर अनंत यश देता रहे आपको
अटल! तुम्हारी अमितायु जिंदगानी हो ।
गरिमा मय जीवन सदैव रहे आपका
अंत में कलंक मुक्त मंजुल कहानी हो ॥ 1 ॥
कामना हमारी है ये कुशल रहो सदैव
ईश्वर कृपा करे जो सबका सहारा है।
देश ने प्रशासकों के घृणित घोटाले देख
आपसे व्रती को आर्त होकर पुकारा है ॥
भूल मत जाना तुम भूषण हो भारत के
मातृ भूमि के लिए ही जीवन सँवारा है।
अटल! अटल सदैव जीवन तुम्हारा रहे
भारती वसुंधरा पे सबका दुलारा है ॥2 ॥
त्याग के सभी का मोह राष्ट्र निर्माण हेतु
भारतीय क्षितिज में अटल सितारा था।
स्वार्थ पे न ध्यान सदा ध्येय परमार्थ रहा
देश के लिए ही निज जीवन उतारा था॥
लूटते स्वशासकों के घृणित घोटाले देख
राष्ट्र की सुरक्षा हेतु शासन सँवारा था।
रो चला था देश देख आपकी विनम्रता को
तेरह दिनों का ताज हँसके उतार था ॥3 ॥
जीवन का सारा भाग भारती की सेवा हेतुसौंप दिया जिसने समस्त सुख विसार के।
धैर्य धर्म सत्यता समाज के हितों का ध्यान
रखते रहे सदैव त्याग के आधार पे ॥
साधना चरित्र वा पवित्र राष्ट्र सेवा की जो
आज लौं बचा रखी है चढ़ के भी धार पे ।
चाहते तो जाते सिद्धांत सरकार नहीं
बिकने के लिए लोग तब भी तैयार थे ॥4॥ - कारगिल विजय से
आदरणीय अटल जी जब प्रधानमंत्री थे तो एक दिन उनसे बात करने और अपनी काव्य पुस्तक कारगिल विजय भेंट करने एवं कविताएँ सुनाने का सौभाग्य मुझे मिला इतने व्यस्त जीवन में भी कितना तन्मय होकर वो सुन रहे थे हमारी रचनाएँ! उनकी टिप्पणियाँ मुझे आज भी याद हैं देश एवं समाज के प्रति कितना अपनापन है उनमें !वास्तव में वो राष्ट्र निष्ठा के समुद्र हैं साथ में भाजपा सांसद श्री श्याम बिहारी मिश्र जी एवं एक और पंडित जी थे जब मैं कविताएँ सुनाने लगा तो वो न केवल सुन रहे थे अपितु टिप्पणियाँ भी करते जा रहे थे । जब मैंने उनसे निवेदन किया कि आपके आदर्श जीवन को कोई आम आदमी समझना चाहे तो क्या पढ़े कितना पढ़े तो वो हँसने लगे और कहा -
न भीतो मरणादस्मि केवलं दूषितो यशः ।
अर्थात मैं मृत्यु से भयभीत नहीं हूँ केवल यश दूषित होने से डरता हूँ !
हमारे द्वारा लिखी गई कारगिल विजय पुस्तक की श्री अटल जी से सम्बंधित कुछ और रचनाएँ -
जेनेवा में भेजे जाने के लिए -
चाह के भी सत्ता पक्ष खोज न विकल्प सका
अटल को भेजना ही एक मात्र चारा था ।
सबकी निगाहें ढूँढ़ते न थकती थीं जिसे
बुद्धिजीवियों कि भावनाओं का सितारा था ॥
विज्ञ नरसिंह राव से प्रबुद्ध शासक ने
अपने ही मुख से कह गुरू पुकारा था ।
कैसे छिनाया गया ताज उस शासक से
जो सौ करोड़ हिंदुओं कि आस का सहारा था ॥1॥
आपस में बढ़ते विवादों से विषाक्त विश्व
चुने चुने नायकों का भारी अखारा था।
विश्व की विभूतियाँ न रौंद दें हमारा मान
ध्यान था सभी का देश चिंतित बिचारा था॥
सौ करोड़ हिंदुओं कि आश का सहारा था जो
अटल बिहारी वहाँ प्रतिनिधि हमारा था ।
उससे छिनाया था ताज पद लोलुपों ने
जाकर जेनेवा जो न हारा ललकारा था ॥ 2 ॥
भारत को शक्तिवान मान ले विशाल विश्व
करके परमाणु विस्फोट जो दहाड़ा था।
शोर सुन घोर चीत्कार उठे रौद्र राष्ट्र
जिनकी बहादुरी का बजता नगाड़ा था ॥
Tuesday, December 24, 2013
केजरीवाल का इंकार काँग्रेस का फिर भी समर्थन !इतनी उदार !!!
देखो बन रही है "आप" की सरकार
सुना है कि आम आदमी पार्टी के लोग कहते हैं कि यदि उनकी सर कार बनी तो "भाजपा और काँग्रेस वाले जेल जाएँगे!"
अरविन्द केजरीवाल का यह कहना कितना न्यायोचित है कि भाजपा और काँग्रेस वाले जेल जाएँगे ! इन दलों में जो ईमानदार लोग हैं क्या ये उनका अपमान नहीं है?यदि आप पार्टी सरकार में आती तो जाँच कराती उसमें जिसके साथ जो होना होता सो होता किन्तु बिना जाँच के सबको जेल भेजने की बात करना कौन सी बुद्धि मानी है इसे आप की बकवास क्यों न मानी जाए ?
सुना है कि आम आदमी पार्टी काँग्रेस को विश्वासघाती मानती है -
आम आदमी पार्टी का काँग्रेस को विश्वासघाती कहना कितना उचित है जिस दाल पर बैठना है उसी को काटना यह कौन सी बुद्धि मानी है जबकि वो काँग्रेस ही मुख्यमंत्री पद तक पहुँचाने का जोर शोर से समर्थन कर रही है !आम आदमी पार्टी के इन वर्त्तमान कालिदासों की यह राजनैतिक अपरिपक्वता नहीं तो इसे और क्या कहा जाएगा ?
सुना है कि आम आदमी पार्टी के नेता जी काँग्रेस को दोमुँहा साँप मानते हैं -
यदि काँग्रेस दोमुँहा साँप है तो काँग्रेस का एक मुख तो उसका अपना है जबकि उसका दूसरा मुख तो आम आदमी पार्टी ही है संभवतः इसी लिए विरोधी लोग आम आदमी पार्टी को काँग्रेस की बी पार्टी मानते हैं !
सुना है आम आदमी पार्टी की सरकार बनने पर बधाई काँग्रेस को ही दी जाएगी !
बधाई उसकी ही बनती भी है क्योंकि इसमें वास्तविक तरक्की तो काँग्रेस की ही होगी इसलिए आम आदमी पार्टी की सरकार बनने पर बधाई तो काँग्रेस को ही देनी होगी क्योंकि पहले उसका मुख्यमंत्री था अब काँग्रेस होगी मुख्यमंत्री की बॉस !
सुना है आम आदमी पार्टी के नेता अरविन्द केजरीवाल जी ने सुरक्षा लेने से लिए मना कर दिया है
मेरी समझ में यह कदम उन्होंने अच्छा उठाया है क्योंकि काँग्रेस के लोग न जाने कब समर्थन वापस लेकर इनका उपहास उड़ाने लगें !और जब सरकार चलती दिखाई पड़ेगी तब किसी बहाने से ले ली जाएगी सुरक्षा, वो तो अपने हाथ की बात होगी ,यदि सरकार नहीं चलती है तो सौ कैरेट शुद्ध आम आदमी बने रहेंगे अरविन्द केजरीवाल जी इसमें क्या संदेह है ! उनका यह आम आदमियत्व दूसरे चुनावों में भी खूब फूले फलेगा !
सुना है कि केजरी वाल की सरकार से काँग्रेस का कोई लेना देना नहीं होगा यह सरकार केवल आम आदमी पार्टी की होगी -
यह आम आदमी पार्टी की सरकार बनेगी या नहीं बनेगी, चलेगी या नहीं चलेगी, चलेगी तो कब तक चलेगी आदि इन सब प्रश्नों पर तो आम आदमी पार्टी की सरकार काँग्रेस के ही आधीन रहेगी बात अलग है कि इस बात को वो मानें या न मानें ! यदि काँग्रेस के समर्थन से आम आदमी पार्टी की सरकार बनती है तो बधाई आम आदमी पार्टी को कैसे दी जा सकती है बधाई तो काँग्रेस की ही बनती है ? क्योंकि अभी तक तो काँग्रेस पार्टी की मुख्य मंत्री ही थीं अब तो मुख्य मंत्री आम आदमी पार्टी का होगा किन्तु उसका बॉस तो काँग्रेस का ही होगा जिसकी कृपा पर यह सरकार टिकी होगी इस लिए आम आदमी पार्टी की सरकार बनने पर वास्तविक पदोन्नति तो काँग्रेस की ही हुई तब मुख्य मंत्री तो अब मुख्य मंत्री की बॉस !बधाई हो काँग्रेस को बधाई !!!
सुना है कि 'आप' का मानना है कि काँग्रेस और भाजपा के नेता ईमानदार नहीं हैं किसी भी पार्टी के नेता की ईमानदारी का निर्णय अब केवल आम आदमी पार्टी के लोग ही करेंगे !
श्री अन्ना हजारे जी ने अपनी जिस पूर्व टीम पर संदेह किया हो वो विश्वसनीय कैसे हैं ? ईमानदारी और राष्ट्र निष्ठा के प्रति जीवन समर्पित करने वाले समाज सुधारक श्री अन्ना हजारे जी जिन आप नेताओं के आचरण पर अंगुली उठा चुके हों उन्हें ईमानदार कैसे माना जाए जब तक वे अच्छा कुछ करके दिखाते नहीं हैं यदि वो अच्छा करने में सफल हों तो सौ सौ बधाइयाँ किन्तु बिना कुछ किए ही सबको बेईमान कहने लगना उन लोगों के शैक्षणिक जीवन के गौरव के भी अनुकूल नहीं है।
सुना है आम आदमी पार्टी काँग्रेस और भाजपा नेताओं को भ्रष्ट मानती है -
काँग्रेस और भाजपा के नेताओं को बेईमान कहने वाले आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं में हिम्मत है तो अटल अडवाणी जोशी जी जैसे महान नेताओं के जीवन पर भ्रष्टाचार का कोई दाग दिखा दें इन नेताओं का क्या व्यक्तित्व है क्या जीवन दर्शन है क्या आदर्श है ! ये ईमानदार मूर्ति हैं इस भ्रष्टाचार के युग में भी ऐसे अच्छे नेता अन्यदलों में भी हैं जिनके जीवन के कुछ सिद्धांत हैं जिनसे वे समझौता नहीं कर सकते । ऐसे सभी दलों के लोग ,मीडिया के लोग व अन्य भी देश विदेश के लोग ईमानदारी के विषय में जिनके उदाहरण देते हों उन्हें ईमानदार न मानने वाला कोई व्यक्ति कैसे ईमानदार हो सकता है इसका मतलब ईमानदारी के विषय में उसकी अपनी अलग मनगढंत परिभाषा है जिसे मानना हर किसी के लिए जरूरी नहीं है वो अपनी कल्पना में कुछ भी हो जाए !
ईमानदार सरकार अटल जी की थी
अटल जी की सरकार एक वोट से गिरी थी तब भी ख़रीदे जा सकते थे वोट ?
अरविन्द केजरी वाल जैसी बातें ... ! कोई राजनेता कैसे कर सकता है ?
अभी अभी आगामी चुनावों की कन्वेसिंग जैसी करते
हुए अरविन्द केजरीवाल को देखा गया इससे अच्छा अवसर अपनी ईमानदारी और
दूसरों को बेईमान प्रचारित करने का और कौन हो सकता है? सभी पार्टियों को
इसी बहाने बिना कहे बेईमान सिद्ध कर दिया गया ये गलत बात है सारे विश्व ने
अटल जी की अल्पमत सरकार को देखा था जब एक वोट से सरकार गिरी थी उस समय भी
मंडी में माल बहुत था किन्तु भाजपा चाहती तो एक सीट खरीदकर अपना प्रधान
मंत्री बचा सकती थी किन्तु ऐसा नहीं किया गया इससे अधिक ज्वलंत उदाहरण और
क्या हो सकता है ?अरविंद की भाषा में एक बहुत बड़ा दोष यह है कि वो दूसरे को
बेईमान सिद्ध करके अपने को ईमानदार बताते हैं जबकि अपनी और अपने दल कि
अच्छाइयां बताना जैसे आपका अधिकार है उसी प्रकार अन्य दलों के भी अपने अपने
अधिकार हैं
इसीप्रकार कोई दल किसी और के एजेंडे को सम्पूर्ण
रूप से कैसे स्वीकार कर ले आखिर उसे इतना कमजोर सिद्ध करने का प्रयास क्यों
किया जा रहा है ?दुबारा सम्भवित चुनावी खर्च के बोझ से दिल्ली की जनता को
बचाने के लिए बड़ी पार्टियों ने जो उदारता दिखाई है उसका दुरूपयोग कर रहे
है अरविन्द !
"अरविन्द केजरीवाल की अन्नाहजारे से नहीं बनी तो अरविन्द सिंह लवली से कैसे बनेगी ? - ज्योतिष"
अ अक्षर के कारण बिगड़े अन्ना और अरविन्द के आपसी सम्बन्ध फिर मिला वही अ
अक्षर अरविन्द सिंह लवली कब तक चल पाएगा यह सरकार बनाने का जुगाड़ ?
अन्नाहजारे-अरविंदकेजरीवाल-असीम त्रिवेदी- अग्निवेष- अरूण जेटली - अभिषेकमनुसिंघवीमें
जब अरविन्द केजरीवाल की अन्ना हजारे, अग्निवेश, अमित त्रिवेदी आदि किसी अ
अक्षर से प्रारम्भ नाम वाले की पटरी नहीं खा सकी तो अरविन्द सिंह लवली से
कब तक सम्बन्ध चल पाएँगे कहा ही नहीं जा see more...http://snvajpayee.blogspot.in/2013/12/blog-post_1451.html
अ अक्षर के कारण बिगड़े अन्ना और अरविन्द के आपसी सम्बन्ध फिर मिला वही अ अक्षर अरविन्द सिंह लवली कब तक चल पाएगा यह सरकार बनाने का जुगाड़ ?
अन्नाहजारे-अरविंदकेजरीवाल-असीम त्रिवेदी- अग्निवेष- अरूण जेटली - अभिषेकमनुसिंघवीमें
जब अरविन्द केजरीवाल की अन्ना हजारे, अग्निवेश, अमित त्रिवेदी आदि किसी अ अक्षर से प्रारम्भ नाम वाले की पटरी नहीं खा सकी तो अरविन्द सिंह लवली से कब तक सम्बन्ध चल पाएँगे कहा ही नहीं जा see more...http://snvajpayee.blogspot.in/2013/12/blog-post_1451.html
"काँग्रेस का समर्थन केजरीवाल का इनकार !ऐसे कैसे बनेगी सरकार ?"
काँग्रेस के समर्थन से चली सरकारों का अनुभव कभी अच्छा नहीं रहा! see more ...http://bharatjagrana.blogspot.in/2013/12/blog-post_19.html
जस जस सुरसा बदन बढ़ावा ।
तासु दून कपि रूप दिखावा ॥
शत जोजन तेहि आनन कीन्हा।
अति लघु रूप पवनसुत लीन्हा॥
अब केजरी वाल सरकार बना सकते हैं -धन्यवाद
युग पुरुष माननीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के जन्म दिवस पर अनंतानंत शुभ कामनाएँ -
युग पुरुष माननीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के जन्म दिवस पर अनंतानंत शुभ कामनाएँ -ईश्वर आपको स्वस्थ प्रसन्न तथा दीर्घायुष्यवान करे
रखना सुरक्षित स्वस्थ जीवन प्रसन्न सदा
देश की धरोहर इस अमित निशानी को ।
त्याग के तागों से निर्मित कलेवर यह
अमर बना रहे ये सत्य कवि बानी हो ॥
ईश्वर अनंत यश देता रहे आपको
अटल! तुम्हारी अमितायु जिंदगानी हो ।
गरिमा मय जीवन सदैव रहे आपका
अंत में कलंक मुक्त मंजुल कहानी हो ॥ 1 ॥
कामना हमारी है ये कुशल रहो सदैव
ईश्वर कृपा करे जो सबका सहारा है।
देश ने प्रशासकों के घृणित घोटाले देख
आपसे व्रती को आर्त होकर पुकारा है ॥
भूल मत जाना तुम भूषण हो भारत के
मातृ भूमि के लिए ही जीवन सँवारा है।
अटल! अटल सदैव जीवन तुम्हारा रहे
भारती वसुंधरा पे सबका दुलारा है ॥2 ॥
त्याग के सभी का मोह राष्ट्र निर्माण हेतु
भारतीय क्षितिज में अटल सितारा था।
स्वार्थ पे न ध्यान सदा ध्येय परमार्थ रहा
देश के लिए ही निज जीवन उतारा था॥
लूटते स्वशासकों के घृणित घोटाले देख
राष्ट्र की सुरक्षा हेतु शासन सँवारा था।
रो चला था देश देख आपकी विनम्रता को
तेरह दिनों का ताज हँसके उतार था ॥3 ॥
जीवन का सारा भाग भारती की सेवा हेतुसौंप दिया जिसने समस्त सुख विसार के।
धैर्य धर्म सत्यता समाज के हितों का ध्यान
रखते रहे सदैव त्याग के आधार पे ॥
साधना चरित्र वा पवित्र राष्ट्र सेवा की जो
आज लौं बचा रखी है चढ़ के भी धार पे ।
चाहते तो जाते सिद्धांत सरकार नहीं
बिकने के लिए लोग तब भी तैयार थे ॥4॥ - कारगिल विजय से
आदरणीय अटल जी जब प्रधानमंत्री थे तो एक दिन उनसे बात करने और अपनी काव्य पुस्तक कारगिल विजय भेंट करने एवं कविताएँ सुनाने का सौभाग्य मुझे मिला इतने व्यस्त जीवन में भी कितना तन्मय होकर वो सुन रहे थे हमारी रचनाएँ! उनकी टिप्पणियाँ मुझे आज भी याद हैं देश एवं समाज के प्रति कितना अपनापन है उनमें !वास्तव में वो राष्ट्र निष्ठा के समुद्र हैं साथ में भाजपा सांसद श्री श्याम बिहारी मिश्र जी एवं एक और पंडित जी थे जब मैं कविताएँ सुनाने लगा तो वो न केवल सुन रहे थे अपितु टिप्पणियाँ भी करते जा रहे थे । जब मैंने उनसे निवेदन किया कि आपके आदर्श जीवन को कोई आम आदमी समझना चाहे तो क्या पढ़े कितना पढ़े तो वो हँसने लगे और कहा -
न भीतो मरणादस्मि केवलं दूषितो यशः ।
अर्थात मैं मृत्यु से भयभीत नहीं हूँ केवल यश दूषित होने से डरता हूँ !
हमारे द्वारा लिखी गई कारगिल विजय पुस्तक की श्री अटल जी से सम्बंधित कुछ और रचनाएँ -
जेनेवा में भेजे जाने के लिए -
चाह के भी सत्ता पक्ष खोज न विकल्प सका
अटल को भेजना ही एक मात्र चारा था ।
सबकी निगाहें ढूँढ़ते न थकती थीं जिसे
बुद्धिजीवियों कि भावनाओं का सितारा था ॥
विज्ञ नरसिंह राव से प्रबुद्ध शासक ने
अपने ही मुख से कह गुरू पुकारा था ।
कैसे छिनाया गया ताज उस शासक से
जो सौ करोड़ हिंदुओं कि आस का सहारा था ॥1॥
आपस में बढ़ते विवादों से विषाक्त विश्व
चुने चुने नायकों का भारी अखारा था।
विश्व की विभूतियाँ न रौंद दें हमारा मान
ध्यान था सभी का देश चिंतित बिचारा था॥
सौ करोड़ हिंदुओं कि आश का सहारा था जो
अटल बिहारी वहाँ प्रतिनिधि हमारा था ।
उससे छिनाया था ताज पद लोलुपों ने
जाकर जेनेवा जो न हारा ललकारा था ॥ 2 ॥
भारत को शक्तिवान मान ले विशाल विश्व
करके परमाणु विस्फोट जो दहाड़ा था।
शोर सुन घोर चीत्कार उठे रौद्र राष्ट्र
जिनकी बहादुरी का बजता नगाड़ा था ॥
पाखंडी ज्योतिषियों ने ज्योतिष शास्त्र को अंध विश्वास बना दिया !
फर्जी डिग्री वाले ज्योतिषी
विदित हो कि ज्योतिष तंत्र मंत्र के विषय में अंधविश्वास फैलाने का काम आज सारे देश में खूब फल फूल रहा है। समाज से लेकर टी.वी.चैनल पत्र पत्रिकाओं सहित विज्ञापन की लगभग सारी विधाएँ इस कारोबार में विशेष रूचि ले रहीं हैं। ज्योतिष विषय में एम.ए. पी.एच.डी. आदि डिग्री वाले लोगों की योग्यता की गारंटी विज्ञापन एजेंसियॉं नहीं लेती हैं जबकि फर्जी डिग्री वाले ज्योतिषियों को गारंटेड स्टैंप सुविधा मुहैया कराती हैं।परिस्थिति यहॉं तक पहुँच चुकी है कि भारत सरकार के द्वारा संचालित संस्कृत विश्व विद्यालयों से निर्धारित पाठ्यक्रम का परिपालन करते हुए ज्योतिष विषय में एम.ए. पी.एच.डी. आदि डिग्री ले चुके शास्त्रीय विद्वान आज मारे मारे फिर रहे हैं।
जबकि फर्जी डिग्री या बिना डिग्री वाले अर्थात ज्योतिषीय अशिक्षित फिर भी ज्योतिष का कारोबार करने वाले लोग पैसे के द्वारा विज्ञापनों के बल पर विद्वान ज्योतिषी होने का अपना प्रचार प्रसार करते रहते हैं और सरकार के द्वारा संचालित संस्कृत विश्व विद्यालयों से प्रदान की जाने वाली सारी डिग्रियॉं अपने नाम के साथ लगाते हैं। ये सरकारी संस्कृत विश्व विद्यालयों के प्रमाणित निर्धारित पाठ्यक्रम एवं डिग्रियों का सरासर अपमान है। मान्यवर,यदि यही सही है तो कोई वर्षों तक परिश्रम करके क्यों पढ़ेगा? सरकारी संस्कृत विश्वविद्यालयों के महत्त्व एवं उस पर किए जाने वाले आर्थिक व्यय का औचित्य क्या रह जाता है?
नियमतः उनके द्वारा किया जाने वाला यह आचरण अपराध की श्रेणी में आता है साथ ही चिकित्सा आदि क्षेत्रों की तरह फर्जी डिग्रियॉं अपने नाम के साथ लिखना भी कानूनन अपराध मानकर कार्यवाही की जानी चाहिए किंतु ऐसा कुछ देखने सुनने को नहीं मिलता है। ये सब कुछ बड़ी निर्भीकता पूर्वक टी.वी.चैनलों पर भी कहते देखा सुना जाता है। ऐसे लोग ज्योतिष के नाम पर प्रायः अशास्त्रीय बोलते हैं इन लोगों की अंधविश्वास फैलाने में बड़ी भूमिका से इंकार कैसे किया जा सकता है? आखिर विज्ञापन में दी जाने वाली मोटी मोटी धनराशि कोई अपने घर से कब तक और क्यों देगा? आखिर पैसे तो समाज से ही लेना है और सही बात से कोई कितने पैसे और क्यों दे देगा ?यदि ऐसा होता तोअंधविश्वास न फैलाने वाले शास्त्रीय ज्योतिषियों का भी कुछ तो महत्व मीडिया भी रखता ।
अतः आप से निवेदन है कि मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया जैसी कोई नियामक संस्था ज्योतिष के क्षेत्र में भी बनाई जाए या किसी अन्य मजबूत विकल्प की तलाश होनी चाहिए। जिससे ज्योतिष संबंधी सभी प्रकार के अपराधों एवं अंधविश्वासों पर नियंत्रण किया जा सके साथ ही शास्त्रीय विद्वानों एवं सरकारी संस्कृत विश्व विद्यालयों का गौरव सुरक्षित रखा जा सके।
ऐसे पाखंडी लोग या तो ज्योतिष सिखाना शुरू करते हैं या फिर देखावटी कुंडली देखना या कोई ज्योतिष विद्यालय बनाकर ज्योतिष पढ़ाने का नाटक करते हैं इसका समाज पर असर पड़ता है कि ये यदि कुछ पढ़े लिखे न होते तो पढ़ाते कैसे !या कुंडली देख रहे हैं तो पढ़े ही होंगे !
कुछ लोग एक आध चक्कर विदेश लगा आते हैं तो अपने नाम के साथ वो तमगा लगा कर फिरने लगते हैं लोग सोचने लगते हैं कि जब ज्योतिष के लिए इनकी विदेशों तक में पूँछ है इसका मतलब ये ज्योतिषी तो होंगें ही किन्तु उन्हें क्या पता कि जिन देशों में कोई हिंदी ही नहीं जानता वहाँ संस्कृत में लिखी गई ज्योतिष की कठिन सच्चाई कोई कैसे समझ पा रहा होगा। वहाँ तो अपने को कहा कि हम ज्योतिषी हैं तो वे लोग एक श्लोक का अर्थ भी नहीं पूछ सकते इसीलिए धार्मिक शिक्षा चोर लोग जिस विषय का अपने को विद्वान कहलाना होता है उस विषय का लेवल लगाकर एकबार विदेश घूम आते हैं वापस आते ही ज्योतिषी या शास्त्रज्ञ हो जाते हैं ।अजीब बात है शास्त्रीय शिक्षा किसकी कितनी है इसे कोई विदेशी क्या प्रमाणित करेगा ये तो भारतीय शिक्षा पद्धति से ही प्रमाणित होगी।
इसलिए ज्योतिष देखने के लिए ग्रह और उनकी दशा आवश्यक होती है किन्तु आजकल कोई तो राशि पूछ कर सब कुछ बताने की बात करता है कोई तो चड्ढी बनियान देखकर भविष्य बताने का दावा करता है कोई क्रिस्टल बाल तो कुछ लोग टैरो कार्ड देखकर भविष्य भौंकने का दावा ठोंकते हैं सबसे बड़ी बेशर्मी इस बात की है कि ये सब अशास्त्रीय कार्य करने वाले पाखंडी लोग अपने को ज्योतिषाचार्य भी कहते हैं क्या उन्हें पता है कि ज्योतिषाचार्य का अर्थ किसी विश्व विद्यालय से ज्योतिष विषय में एम. ए. करना होता है और उस ज्योतिषाचार्य के पाठ्यक्रम में क्रिस्टल बाल या टैरो कार्ड देखकर भविष्य जानने या बताने की विधा है ही नहीं, इनकी कोई चर्चा तक नहीं है!ऐसे ज्योतिष फ्राड लोगों ने ज्योतिष को एकदम उपहासास्पद बना दिया है।
अतः ज्योतिष के नाम पर चल रही इस धोखाधड़ी को समाप्त करने के लिए अच्छे लोगों के द्वारा बड़े स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं आप भी इस शास्त्रीय जन जागरण में सहभागी बनें !इन ज्योतिषीय आशारामों से भी समाज को मुक्त करने के लिए प्रयास प्रारम्भ किए जा चुके हैं परिणाम भी शीघ्र दिखने लगेंगे !धन्यवाद!!!
Sunday, December 22, 2013
अरविन्द केजरीवाल की अरविन्दर सिंह लवली से कैसे और कब तक बनेगी ? - ज्योतिष
अ अक्षर के कारण बिगड़े अन्ना और अरविन्द के आपसी सम्बन्ध फिर मिला वही अ अक्षर अरविन्द सिंह लवली कब तक चल पाएगा यह सरकार बनाने का जुगाड़ ?
अन्नाहजारे-अरविंदकेजरीवाल-असीम त्रिवेदी- अग्निवेष- अरूण जेटली - अभिषेकमनुसिंघवीमें
जब अरविन्द केजरीवाल की अन्ना हजारे, अग्निवेश, अमित त्रिवेदी आदि किसी अ अक्षर से प्रारम्भ नाम वाले की पटरी नहीं खा सकी तो अरविन्द सिंह लवली से कब तक सम्बन्ध चल पाएँगे कहा ही नहीं जा सकता है।
किन्हीं दो या दो से अधिक लोगों का नाम यदि एक अक्षर से ही प्रारंभ होता है तो ऐसे सभी लोगों के आपसी संबंध शुरू में तो अत्यंत मधुर होते हैं बाद में बहुत अधिक खराब हो जाते हैं, क्योंकि इनकी पद-प्रसिद्धि-प्रतिष्ठा -पत्नी-प्रेमिका आदि के विषय में पसंद एक जैसी होती है। इसलिए कोई सामान्य मतभेद भी कब कहॉं कितना बड़ा या कभी न सुधरने वाला स्वरूप धारण कर ले या शत्रुता में बदल जाए कहा नहीं जा सकता है।
जैसेः-राम-रावण, कृष्ण-कंस आदि।
अन्ना हजारे के आंदोलन के तीन प्रमुख ज्वाइंट थे अन्ना हजारे, अरविंदकेजरीवाल एवं अग्निवेष जिन्हें एक दूसरे से तोड़कर ये आंदोलन ध्वस्त किया जा सकता था। इसमें अग्निवेष कमजोर पड़े और हट गए। दूसरी ओर जनलोकपाल के विषय में लोक सभा में जो बिल पास हो गया वही राज्य सभा में क्यों नहीं पास हो सका इसका एक कारण नाम का प्रभाव भी हो सकता है। सरकार की ओर से अभिषेकमनुसिंघवी थे तो विपक्ष के नेता अरूण जेटली जी थे। इस प्रकार ये सभी नाम अ से ही प्रारंभ होने वाले थे। इसलिए अभिषेकमनुसिंघवी की किसी भी बात पर अरूण जेटली का मत एक होना ही नहीं था।अतः राज्य सभा में बात बननी ही नहीं थी। दूसरी ओर अभिषेकमनुसिंघवी और अरूण जेटली का कोई भी निर्णय अन्ना हजारे एवं अरविंदकेजरीवाल को सुख पहुंचाने वाला नहीं हो सकता था। अन्ना हजारे एवं अरविंदकेजरीवाल का महिमामंडन अग्निवेष कैसे सह सकते थे?अब अन्ना हजारे एवं अरविंदकेजरीवाल कब तक मिलकर चल पाएँगे?कहना कठिन है।असीमत्रिवेदी भी अन्नाहजारे के गॉंधीवादी बिचारधारा के विपरीत आक्रामक रूख बनाकर ही आगे बढ़े। आखिर और लोग भी तो थे। अ अक्षर से प्रारंभ नाम वाले लोग ही अन्नाहजारे से अलग क्यों दिखना चाहते थे ? ये अ अक्षर वाले लोग ही अन्नाहजारे के इस आंदोलन की सबसे कमजोर कड़ी हैं।
अन्नाहजारे की
तरह ही अमर सिंह जी भी अ अक्षर वाले लोगों से ही व्यथित देखे जा सकते हैं।
अमरसिंह जी की पटरी पहले मुलायम सिंह जी के साथ तो खाती रही तब केवल आजमखान
साहब से ही समस्या होनी चाहिए थी किंतु अखिलेश यादव का प्रभाव बढ़ते ही
अमरसिंह जी को पार्टी से बाहर जाना पड़ा। ऐसी परिस्थिति में अब अखिलेश के
साथ आजमखान कब तक चल पाएँगे? कहा नहीं जा सकता। पूर्ण बहुमत से बनी उत्तर
प्रदेश में सपा सरकार का यह सबसे कमजोर ज्वाइंट सिद्ध हो सकता है
चूँकि
अमरसिंह जी के मित्रों की संख्या में अ अक्षर से प्रारंभ नाम वाले लोग ही
अधिक हैं इसलिए इन्हीं लोगों से दूरियॉं बनती चली गईं। जैसेः- आजमखान
अमिताभबच्चन अनिलअंबानी अभिषेक बच्चन आदि।
इसी प्रकार और भी उदाहरण हैं। कलराजमिश्र-कल्याण सिंह
ओबामा-ओसामा
अरूण जेटली- अभिषेकमनुसिंघवी
मायावती-मनुवाद
नरसिंहराव-नारायणदत्ततिवारी
लालकृष्णअडवानी-लालूप्रसाद
परवेजमुशर्रफ-पाकिस्तान
भाजपा-भारतवर्ष
मनमोहन-ममता-मायावती
उमाभारती - उत्तर प्रदेश
अमरसिंह - आजमखान - अखिलेशयादव
अमरसिंह - अनिलअंबानी - अमिताभबच्चन
नितीशकुमार-नितिनगडकरी-नरेंद्रमोदी
प्रमोदमहाजन-प्रवीणमहाजन-प्रकाशमहाजन
दिल्ली भाजपा के चार विजय
विजयेंद्र - विजयजोली
विजयकुमारमल्होत्रा- विजयगोयल,
राहुलगॉधी - रावर्टवाड्रा -
राहुल के पिता श्री राजीव जी इन दोनों पिता पुत्र का नाम रा अक्षर से था
इसीप्रकार रावर्टवाड्रा और उनके पिता श्री राजेंद्र जी इन दोनों पिता
पुत्र का नाम भी रा अक्षर से ही था। दोनों को पिता के साथ अधिक समय तक
रहने का सौभाग्य नहीं मिल सका ।
नाम विज्ञान की दृष्टि से अब राहुलगॉधी के राजनैतिक उन्नत
भविष्य के लिए रावर्टवाड्रा का सहयोग सुखद नहीं दिख रहा है क्योंकि
यहॉं भी दोनों का नाम रा अक्षर से ही है।
रा राजनीति
वैसे भी रा अक्षर से प्रारंभ नाम वालों के लिए रा अक्षर से ही प्रारंभ राजनीति प्रायः सफलता प्रद नहीं होती है ये आकस्मिक अवसर पाकर किसी रिक्त स्थान को भरने के काम आया करते हैं इनकी अपनी प्रतिभा पर राजनैतिक सफलता मिलपाना अत्यंत कठिन होता है।उत्तर प्रदेश में रामप्रकाश गुप्त या बिहार में रावड़ी देवी का मुख्यमंत्री पद का कार्यकाल हो तथा राजीव गाँधी जी को भी सहानुभूतिबशात ही अचानक पद एवं विजय मिली थी इसीप्रकार राजनाथ जी के अध्यक्ष पद पर आसीन होने का उदाहरण सबके सामने है। ऐसे ही राहुलगाँधी का भी कोई दाँव प्रधान मंत्री बनने का लग सकता हो तो बात और है। एक ज्योतिषी होने के नाते सीधे तौर पर कुछ हो पाते या बन पाते कम से कम हमें तो नहीं ही दिख रहा है ।
इसीप्रकार भारतवर्ष में भाजपा की स्थिति है इसीलिए उसे भी राजग का गठन करना पड़ा जबकि
भाजपा से कम सदस्य संख्या वाले अन्यलोग पहभाव ले भी प्रधानमंत्री बन चुके हैं ।उन्हें कोई दिक्कत नहीं हुई,किन्तु अटल जी जैसे महान व्यक्तित्व का प्रधानमंत्री बन पाना कितना कठिन दिखता था!ये ज्योतिष के नाम विज्ञान का ही प्रभाव था ।
राजेश्वरी प्राच्य विद्या शोध संस्थान की सेवाएँ
यदि आप ऐसे किसी बनावटी आत्मज्ञानी बनावटी ब्रह्मज्ञानी ढोंगी बनावटी तान्त्रिक बनावटी ज्योतिषी योगी उपदेशक या तथाकथित साधक आदि के बुने जाल में फँसाए जा चुके हैं तो आप हमारे यहाँ कर सकते हैं संपर्क और ले सकते हैं उचित परामर्श ।
कई बार तो ऐसा होता है कि एक से छूटने के चक्कर में दूसरे के पास जाते हैं वहाँ और अधिक फँसा लिए जाते हैं। आप अपनी बात किसी से कहना नहीं चाहते। इन्हें छोड़ने में आपको डर लगता है या उन्होंने तमाम दिव्य शक्तियों का भय देकर आपको डरा रखा है।जिससे आपको बहम हो रहा है। ऐसे में आप हमारे संस्थान में फोन करके उचित परामर्श ले सकते हैं। जिसके लिए आपको सामान्य शुल्क संस्थान संचालन के लिए देनी पड़ती है। जो आजीवन सदस्यता वार्षिक सदस्यता या तात्कालिक शुल्क रूप में देनी होगी जो शास्त्र से संबंधित किसी भी प्रकार के प्रश्नोत्तर करने का अधिकार प्रदान करेगी। आप चाहें तो आपके प्रश्न गुप्त रखे जा सकते हैं। हमारे संस्थान का प्रमुख लक्ष्य है आपको अपने पन के अनुभव के साथ आपका दुख घटाना बाँटना और सही जानकारी देना।
Friday, December 20, 2013
यदि शिक्षा से भविष्य सुधरता है तो अशिक्षा से भविष्य बिगड़ता भी है !
क्या आप भी लेना पसंद करेंगे अशिक्षा मिटाने का महान व्रत ?
हमारा विनम्र निवेदन आपसे भी -
अधिकांश एम.सी.डी. व सरकारी प्राथमिक स्कूलों में प्रातः आठ से साढ़े आठ बजे के बीच शिक्षक लोग स्कूल पहुँचते हैं, नौ से सवा नौ बजे तक वो एक दूसरे के हाल चाल लेते हैं इसके बाद लंच हो जाता है जो साढ़े दस बजे तक चलता है, इसके बाद सप्ताह में कम से कम एक एक दिन एक एक शिक्षक बीमार होता ही रहता है, एक शिक्षक को जरूरी काम लगा करता है ,किसी किसी को दवा लेने जरूरी जाना होता है। एक शिक्षक के विशाल सर्कल में किसी न किसी के साथ कोई न कोई दुर्घटना घटती रहती है, इसलिए उसे स्कूल समय में ही वहाँ देखने जाना जरूरी होता है, एक शिक्षक को स्कूली काम से जरूरी कहीं जाना पड़ा करता है, एक शिक्षक को आवश्यक मीटिंग में जाना ही होता है । किसी किसी को अपने बच्चे के बर्थ डे की तैयारी करनी होती है, किसी के यहाँ गेस्ट आ रहे होते हैं ऐसी सभी समस्याओं के बीच अभिभावकों को पहले से ही कहा गया होता है कि छुट्टी के पाँच मिनट बाद भी आपके बच्चे की हमारी कोई जिम्मेदारी नहीं होगी इस वाक्य से भयभीत बिचारे अभिभावक अपने बच्चे को लेने के लिए छुट्टी से आधा एक घंटा पहले ही स्कूल आने लगते हैं और ले जाने लगते हैं अपने अपने बच्चे! इस प्रकार से एम.सी.डी. व सरकारी स्कूलों में छुट्टी होने से पहले ही हो जाती है छुट्टी !
एम.सी.डी. वा सरकारी स्कूलों में जिन बच्चों को पढ़ाने के नाम पर चालीस पचास हजार सैलरी लेने वाले एम.सी.डी. व सरकारी स्कूलों के शिक्षकों से लेकर मोटी मोटी सैलरी लेने वाले अधिकारी तक अपने बच्चों को उन प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाने में गर्व करते हैं जहाँ दस पाँच हजार रूपए महीने की सैलरी लेने वाले प्राइवेट स्कूलों वाले शिक्षक पढ़ा रहे होते हैं कितना आश्चर्य है !
पढ़ाई के नाम पर बहुत सारी योजनाएँ बनती बिलीन होती रहती हैं विज्ञापनों पर खूब खर्च किया जाता है, शिक्षा के लिए बड़े बड़े उत्सव धूम धाम से मनाए जाते हैं, शिक्षा की तरक्की के नाम पर झूठ बोलवाने वा झूठे झूठे सपने दिखाने के लिए अच्छे अच्छे कपड़े पहना पहना कर अच्छे अच्छे लोग बोलाए जाते हैं, उनके साथ चिपक चिपक कर चित्र खिंचा खिंचा कर आफिस में लगाए लटकाए जाते हैं ! स्कूल की दीवारों पर स्वास्थ्य रक्षक प्रेरणा देने वाले वाक्य लिखे या लिखवाए गए होते हैं किन्तु जिन बच्चों के भविष्य सुधारने के लिए ये सब किया जा रहा होता है बेचारे उन बच्चों को पता तक नहीं होता है कि उनके भविष्य को सुधारने के लिए ये सब किया जा रहा है उन्हें आभाष ही नहीं कराया जाता है कि उनकी चिंता भी किसी को है ! एम.सी.डी. व सरकारी स्कूलों का सम्मान समाज में आज इतना अधिक गिर चुका है कि जो माता पिता अपने बच्चों को यहाँ पढ़ाते हैं वे इतनी हीन भावना से ग्रस्त होते हैं कि उनमें इतनी हिम्मत कहाँ होती है कि वो अपने बच्चे के शिक्षक से बात कर सकें ?वो और दस बातें सुना देंगे ! जब ये स्थिति राष्ट्रीय राजधानी की है तो सारे देश के दूर दराज क्षेत्रों का हाल क्या होगा!
यदि ऐसी शिक्षा व्यवस्था को सुधारने में आप भी कोई जिम्मेदारी निभा सकते हैं तो अवश्य निभाइए यह सबसे पवित्र कार्य होगा क्योंकि बच्चे देश का भविष्य होते हैं देश का भविष्य बिगड़ने मत दीजिए। गरीब लोग एक बार भोजन कर के रह लेंगे पुराने धुराने आधे अधूरे कपड़े पहन कर रह लेंगे अपने बच्चे रख लेंगे और समाज की उपेक्षा अपमान सह लेंगे किन्तु एक आशा पर कि उनके बच्चों का भविष्य सुधर जाएगा कभी तो हो पाएँगे इस समाज में सम्मान पूर्वक सर उठाकर चलने लायक !
अरे! सम्माननीय शिक्षकों ,अधिकारियों, काँग्रेसियों,भाजपाइयों सहित सभी पार्टियों के नेताओं,सभी अखवारों टी. वी.चैनलों के सम्माननीय पत्रकार बंधुओं समेत इस विश्व गुरु भारत के सभी प्रबुद्ध नागरिकों आप सबसे प्रार्थना है याचना है कि बचा लीजिए गरीबों के बच्चों का भविष्य ! ये वर्त्तमान समाज पर आपका बहुत बड़ा उपकार होगा!
बलात्कार भ्रष्टाचार आदि अपराधों पर नियंत्रण करने के लिए बहुत आवश्यक है कि सुधरें शिक्षा और संस्कार !सरकार के साथ साथ शिक्षा सुधार हम सबका भी कर्तव्य है ।अतः आप सबसे भी प्रार्थना है कि अपने अत्यंत व्यस्त समय में से थोड़ा सा समय निकालकर एक बार जरूर देख लिया कीजिए कि आपके पड़ोस के स्कूल पढ़ाई में लापरवाही तो नहीं हो रही है इतनी जिम्मेदारी आप भी निभाइए !अन्यथा -
"जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी इतिहास"
निवेदक -
डॉ.शेष नारायण वाजपेयी
संस्थापक -राजेश्वरी प्राच्य विद्या शोध संस्थान