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Tuesday, December 31, 2013

प्यार का आधुनिक स्वरूप परिवारों को तोड़ने वाला एवं बलात्कारों को बढ़ाने वाला होता जा रहा है !

    ऐसे सार्वजनिक दृश्यों को प्यार मानना सबसे बड़ी भूल क्योंकि  यही बेशर्मी बलात्कारों की ओर खींचकर  ले जाती है ! 

    अपनी इच्छा पूर्वक लड़कों के शरीरों से लिपटी इन लड़कियों को विवाह तक की समाई आखिर क्यों नहीं होती है !लड़कियों को चूमते, चाटते, दुलराते लड़के !शायद माता पिता की गोद में भी  इतने प्यार से  खेलने को न पा पाई हों बेचारी !क्या आनंद है जिसका अनुभव केवल इन दोनों की अंतरात्माएँ ही अनुभव कर रही हों गी किन्तु टूटेंगे जिस दिन वे झूठे आश्वासनऔर कभी न पूरे हो सकने वाले सपने जो सेक्स लोभ में एक दूसरे को दिए और दिखाए गए होंगे तब क्या होगा !इनके द्वारा एक दूसरे को अपने अपने विषय में बताई गई झूठी अच्छाइयों की पोल कभी तो खुलेगी ही !तब यही पार्की प्यार बलात्कार के रूप में प्रचारित किया जाएगा , इसपर समाज को विश्वास करना पड़ेगा,सरकार से बलात्कारों के विरुद्ध कड़े कदम उठाए जाने की रस्म निभाने को कहा जाएगा!महिलाओं की सुरक्षा के प्रश्न उठाए जाएँगे !समस्त पुरुष जाति को न केवल कटघरे में खड़ा किया जाएगा अपितु उन्हें बलात्कारों के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए धिक्कारा  जाएगा ! शार्ट समय में नेता बनने की लालषा लेकर बैठे नेता लोग सत्ता में बैठे लोगों को  त्यागपत्र देने के लिए ललकारेंगे ,पत्रकार लोग चैनलों पर बैठकर समझदार लोगों के साथ बहस करा रहे होंगे ,मनोरोग के डाक्टर बुलाकर उनसे उपाय पूछा  जाएगा किन्तु सच बोलने सुनने सहने का साहस किसी में नहीं होता है कि यदि पार्कों में ऐसा न हुआ होता तो वहाँ वैसा होने की सम्भावनाएँ भी शायद कम होतीं !

   आजकल तो बड़े बड़े लोग भी   बलात्कारों की लपेट इन आ गए हैं ! इसमें नेता ,उद्योग पति ,न्याय प्रणाली से जुड़े लोग,पत्रकारिता से जुड़े लोग ,पुलिस विभाग से जुड़े लोग हों या आम जनता से जुड़े लोग आदि तो मिल ही जाते हैं जिनमें  सबसे जघन्यतम चिंतनीय घटनाओं में से एक धर्म से जुड़े लोगों का भी इन्हीं आरोपों में आरोपित होना है। इस तरह की दुर्घटनाओं का प्रचार प्रसार भी इस प्रकार से हुआ है कि सम्पूर्ण वर्ष में बलात्कार से जुडी ख़बरें प्रमुखता से दिखाई सुनाई एवं छापी जाती रही हैं।जन जागरण भी खूब हुआ आम समाज से लेकर प्रशासन से जुड़े लोग ,राज नेता लोग युवा वर्ग आदि सभी स्त्री पुरुष मय समाज  इन बलात्कारों की समाप्ति के लिए सुचिंतित भी दिखा !न केवल इतना अपितु बलात्कारों को रोकने के लिए कठोर कानून भी बनाया गया !ये सब तो ठीक ही है ।      मुझे भी विभिन्न शहरों शिक्षण संस्थानों समाजों में रहने के अवसर मिले!जिसमें ज्योतिष एवं धर्म तथा समाज सुधार सम्बंधित कार्यों से जुड़े होने के नाते इसी विषय से जुड़े हमारे अनुभव में जो आम समाज में  से दबे छिपे कुछ तथ्य सामने आए हैं वो मैं आप सभी के सम्मुख रखना  चाह रहा हूँ। जहाँ तक मुझे लगता है कि जैसे किसी जीवित व्यक्ति के वजन को एक आदमी भी उठा सकता है किन्तु प्राण हीन शरीर वजनीला होने के कारण उठाया नहीं जाता है।

      इसी प्रकार से हम सभी लोग यदि अपनी अपनी जीवन शैली में सुधार नहीं करते हैं और चाहते हैं कि सरकार हमें रखाती घूमे ऐसा कैसे सम्भव है !कहने का मतलब अपना स्वेच्छाचार जारी रखते हुए केवल  पुलिस और कानून के भरोसे अपने को छोड़ देना ठीक नहीं होगा। अपनी सुरक्षा के लिए हमारी अपनी भी कुछ जिम्मेदारियाँ हैं जिन्हें हमें भी न केवल समझना होगा अपितु अपने रहन सहन बात व्यवहार वेष भूषा आदि में भी आवश्यक संयम बनाए रखना होगा तभी पुलिस और कानून से सुरक्षा की आशा रखना ठीक होगा ।

      बनारस की बात है वर्षों से टूटी पड़ी एक बिल्डिंग थी, भूत प्रेत के भय से उसके अंदर कोई जाता आता नहीं था। एक दिन एक लड़की लड़के का जोड़ा एकांत की तलाश में उसके अंदर घुसा और उस एकांत से बड़ा प्रभावित हुआ!इसलिए उनका वहाँ अक्सर आना जाना होने लगा!ऐसे में यदि वहाँ उस लड़की के साथ कोई दुर्घटना घट ही जाती तो क्या कर लेती पुलिस !और ऐसी एकांतिक जगहों पर प्रशासन कितनी रखे निगरानी ?कोई लड़का यदि किसी अत्यंत एकांत स्थान में किसी लड़की को ले भी जाना चाहता है तो क्या उसकी बात मान लेनी चाहिए !यदि हाँ तो पुलिस क्या करे ?आखिर वे भी इंसान हैं और हमें भी रामराज्य की आशा नहीं करनी चाहिए ! 


  हमारे संस्थान के द्वारा इस विषय में जहाँ तहाँ से लिए गए ये तथाकथित लव के लिए लव लवाते लड़के लड़कियों के चित्र हैं जो ऊपर दिए गए हैं जिनमें हर लड़की अपनी सम्पूर्ण रूचि के साथ इन लड़कों का साथ देती दिख रही होती है।इन लड़कों की सामूहिक हरकतों का न तो कोई विरोध कर रही होती है और न कोई शोर मचाया जा रहा होता है और न ही उन लड़कों के साथ कोई गिरोह या हथियार ही दिख रहे होते  हैं और न ही कहीं किसी को कैद कर के रखा दिखाई पड़ रहा होता  है ऐसी परिस्थिति में यदि वह लड़का विश्वास घात कर ही देता है और कुछ नहीं तो गला ही दबा दे तो उस समय कैसे सुरक्षा कर  लेगी पुलिस?और गला दबाने से पहले यदि किसी दुर्घटना की आशंका से पुलिस वाले लोग इन्हें रोकने की कोशिश करें तो प्यार पर पहरा कहकर मीडिया शोर मचाने लगता है।आखिर लड़कियों की सुरक्षा के लिए किया क्या और कैसे जाए!आखिर प्यार की गलत फहमी में इंद्रियों की भूख मिटाने लिए कितनी लड़कियों के जीवन से खेलने की यों ही आजादी मिलती रहेगी और इसे रोकने के लिए इस प्यार के खेल में सम्मिलित बच्चों के लिए  कठोर कानून के नाम पर क्या फाँसी ही एक मात्र विकल्प है! क्या ये हमारी समाज के चिंतकों लिए चिंता का विषय नहीं होना चाहिए ? कि हमें अपने बच्चों के लिए इतने कठोर दंड के विषय में निर्णय लेना पड़ा! आखिर ऐसे लड़के लड़कियों के माता पिता समेत समस्त परिवार वालों का दोष क्या है जो उन्हें उनकी आँखों के सामने अपने बच्चों के साथ हुई इस प्रकार की अप्रिय वारदातें सुननी सहनी पड़ती हैं, क्या उन्मुक्त आधुनिकता के उत्कट समर्थकों के पास है कोई मध्यम मार्ग जिससे ऐसे युवक युवतियों के माता पिता को यह दुस्सह पीड़ा कभी न सहनी पड़े!इस विषय में मेरा एक और निवेदन है कि कानूनी स्तर पर जब तक ऐसे यौवनोन्मादी लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं कर ली जाती है तब तक के लिए ऐसे खुलेपन को विराम क्यों न दे दिया जाए!आखिर कैसे टाली जाएँ  ये दुर्घटनाएँ?

     ऐसे खुलेपन को रोकने की बात उठते ही न जाने क्यों कुछ विदेशी संस्कृति परस्त लोग,समलैंगिक वर्ग के साथ साथ और भी लिंगजीवी वर्ग अर्थात केवल  लैंगिक सुखों के लिए जीवन धारण करने वाला शरारती वर्ग भी शोर मचाने लगता है। नाच गाकर भागवत के नाम पर भोगवत बाँचने  वाला आम समाज या साधू समाज ये लोग भी रासलीला के नाम पर खूब दुष्कर्म करते देखे सुने जा रहे हैं। ये सब टी.वी.चैनलों पर भी बैठ बैठ कर शोर मचाने लगते हैं आखिर क्यों न पूछा जाए उन्हीं से ऐसी दुर्घटनाओं को रोकने का उपाय ?

   इस प्रकार से प्यार के नाम पर जब तक मेट्रो ,पार्कों,पार्किंगों  जैसी सामूहिक जगहों पर आपसी सहमति से भी ये शरीर घर्षण होते रहेंगे तब तक बलात्कारों का बंद होना कठिन ही नहीं असम्भव भी लगता है।यदि सच है कि ये युवा वर्ग बासना की बेदना सहने में सक्षम नहीं है तो शारीरिक आवश्यकताओं की आपूर्ति के लिए इनकी शादी क्यों नहीं कर दी जानी चाहिए? इससे इन युवकों की भी सामाजिक साख सुरक्षित बनी रहे एवं समाज का वातावरण भी न बिगड़े और युवक युवतियों की  जिंदगी भी सुरक्षित बनी रहे !

      ये लोग खुद तो बर्बाद होते ही हैं और देखने वालों को भी बर्बाद कर रहे होते हैं जो ऐसे असामाजिक कृत्यों में सम्मिलित हो जाते हैं या होना चाहते हैं या हो चुके होते हैं वे इन्हें प्रेम या प्यार कहने लगते हैं बाकी लोग तो घृणा करते ही हैं।जब तक ऐसे असामाजिक कृत्य सामूहिक रूप से होते रहेंगे तब तक बलात्कारों का बंद होना मेरी अपनी समझ में कठिन ही नहीं असम्भव सा भी लगता है। 

      प्रेम या प्यार जैसे ऐसे कुकृत्यों में सम्मिलित लोग केवल एक दूसरे की जिंदगी से खेल रहे होते हैं अर्थात दोनों दोनों के साथ जब एक बार पूरी तरह एक दूसरे की अंतरंगता में सहभागी हो चुके होते हैं फिर उन दोनों में किसी एक का प्यार नाम का सौदा कहीं दूसरी जगह उससे अच्छा पट जाता है तो वो पहले वाले को छोड़ना चाहता है इसके लिए उन दोनों के बीच हर प्रकार के अपराध की गुंजाइस रहती है इसमें हत्या और आत्म हत्या तक होते  देखी जाती हैं!

          यहाँ एक विशेष बात ध्यान देनी होगी कि जो युवा वर्ग इस तरह की गतिविधियों में सम्मिलित है वो शादी होने तक इतना बेकार हो चुका होता है कि शादी शुदा जीवन या तो सुखमय नहीं होता या नाना प्रकार की दवाएँ  लेकर काम चलातू माहौल तैयार किया जाता है फिर भी काम संतोष जनक न हुआ तो तलाक होता है

  ये तलाक शुदा लोग या तो कार्य क्षेत्र में कोई साथी ढूँढते हैं यदि नौकरी पेशा या   विशेष बाहर जाने आने वाले न हुए तो कोई बाबा ,मुल्ला ,फादर, पंडित आदि धार्मिक लोगों से जुड़ते हैं जिन्हें जब अपने घर बुलाना चाहें बुला लें या उनके पास जब जाना चाहें तब किसी बहाने से चले जाएँ ! अपने दाम्पत्यिक जीवन से असंतुष्ट लोगों की विशेष भर्ती सत्संग या योग शिविरों में ही होती देखी जाती है जिनके लिए घर गृहस्थी में विशेष विरोध भी नहीं झेलना पड़ता है !इसके बाद आना जाना प्रारम्भ हो जाता है!अन्यथा कथा सत्संगों में उमड़ने वाली भीड़ें यदि चरित्र सुधरने तथा सुधारने एवं साधना  के लिए जातीं तो इसका असर समाज में भी दिखाई पड़ता किन्तु सुधारने के ठेकेदार खुद बलात्कारों में लिपटे घूम रहे हैं। धर्म क्षेत्र  में जो व्यभिचारी वर्ग है वो शास्त्रों को न तो पढ़ा होता है न पढ़ता है न उनकी बात मानना होता है जैसे मन आता है वैसे रहता है और जो मन आता है वो खाता है जैसा मन होता है वैसा श्रृंगार करता है प्रायः ऐसे मजनूँ  ही धर्म की आड़ में दुष्कर्म करते घूम रहे हैं!

      गैंग रेप की घटनाएँ भी आजकल अधिक रूप में घटने लगीं हैं जो घोर निंदनीय हैं और रोकी जानी चाहिए । इसमें कुछ  और भी कारण सामने आए हैं जो विशेष चिंतनीय हैं एक तो वो जो लड़कियाँ सामूहिक जगहों पर अपनी सहमति से अपने साथ किसी प्रेमी नाम के लड़के को अश्लील हरकतें करने देती हैं या हँसते हँसते सहा करती हैं उन्हें देखने वाले सब नपुंसक नहीं होते ,सब संयमी नहीं होते ,सब डरपोक नहीं होते कई बार देखने वाले कई लोग एक जैसी मानसिकता के  भी मिल जाते हैं वो यह सब देखकर कुछ करने के इरादे से उनका पीछा करते हैं मैटो आदि सामूहिक जगहों से हटते ही वो कई लड़के मिलकर उन्हें दबोच लेते हैं वो अकेला प्रेमी नाम का जंतु क्या कर लेगा फिर उस लड़की से उसका कोई विवाह आदि सामाजिक सम्बंध तो होता नहीं है जिसके लिए वो अपनी कुर्बानी दे वो तो थोड़ी देर आँख मीच कर या तो निकल जाता है या समय पास कर लेता है।अगले दिन सौ पचास रुपए किसी डाक्टर को देकर ऐसी ऐसी जगहों पर पट्टियाँ करा लेता है ताकि लड़की को दिखा सके कि उसके लिए वो कितना लड़ा है ऐसी दुर्घटनाएँ घटने के बाद यदि अधिक तकलीफ नहीं हुई तो ऐसे प्रेम पाखंडी बच्चे डर की वजह से घरों में बताते भी नहीं हैं और जो बताते भी हैं  तो कुछ अन्य कारण बता देते हैं!

     ऐसी  घटनाएँ  कई बार देर  सबेर कारों में लिफ्ट लेने,या ऑटो पर बैठकर,या सूनी बसों में बैठकर,या अन्य सामूहिक जगहों पर की गई प्रेमी प्रेमिकाओं की आपसी अश्लील हरकतें  देखकर घटती हैं यह नोच खोंच देखते ही जो लोग संयम खो बैठते हैं उनके द्वारा घटती हैं ये भीषण दुर्घटनाएँ !इनमें सम्मिलित लोग अक्सर पेशेवर अपराधी नहीं होते हैं।ये सब देख सुनकर ही इनका दिमाग ख़राब होता है । 

       एक बात और सामने आई है कि आज कुछ लड़कियाँ कुछ निश्चित समय के लिए निश्चित एमाउंट अर्थात घंटों के हिसाब से धन लेकर शारीरिक सेवाएँ देने के लिए सहमति पूर्वक किसी लड़के के साथ जाती हैं उसमें उस नियत समय के लिए वह ग्राहक रूप लड़का लगभग स्वतन्त्र होता है उन्हें कहीं ले जाने के लिए! किन्तु उतने समय में उसे छोड़ना होता है। ऐसी परिस्थितियों में उस लड़की को बिना बताए ही वह लड़का उस समय में ही कंट्रीब्यूशन के लिए अपने साथी  कुछ और लड़कों को साझीदार बना लेता है जिससे वो लड़के आपस में आर्थिक कंट्रीब्यूशन  कर लेते हैं और कम कम पैसों में निपट जाते हैं किन्तु पहले करार इस प्रकार का न होने के कारण उस लड़की को बुरा लगना स्वाभाविक ही है उसके सामने दो विकल्प होते हैं या तो वह चुप करके घर बैठ जाए या फिर उन्हें सबक सिखाने के लिए कानून की शरण में जाए यदि वह कानून की शरण में जाती  है तो सारी  कार्यवाही   गैंग रेप की तरह   ही की जाती है यहाँ तक कि चिकित्सकीय रिपोर्ट भी उसी तरह की बनती है मीडिया में भी इसी प्रकार का प्रचार होता है! 

      इसीप्रकार आजकल कुछ छोटी छोटी बच्चियों के साथ किए जाने वाले बलात्कार नाम के जघन्यतम  अत्याचार देखने सुनने को मिल रहे हैं जिनका प्रमुख कारण अश्लील फिल्में तथा इंटर नेट आदि के द्वारा  उपलब्ध कराई  जा रही अश्लील सामग्री  आदि है आज जो बिलकुल अशिक्षित  मजदूर आदि लड़के भी बड़ी स्क्रीन वाला मोबाईल रखते हैं भले ही वह सेकेण्ड हैण्ड ही क्यों न हो ?होता होगा उनके पास उसका कोई और भी उपयोग !क्या कहा जाए! 

     इसीप्रकार के कुछ मटुक नाथ टाइप के ब्यभिचारी शिक्षकों ने प्यार की पवित्रता समझा समझाकर बर्बाद कर डाला है बहुतों का जीवन !

        बड़े बड़े विश्व विद्यालयों में पी.एच.डी. जैसी डिग्री हासिल करने के लिए लड़कियों को कई प्रकार के समझौते करने पड़ते हैं यदि गाईड संयम विहीन और पुरुष होता है तो !क्योंकि शोध प्रबंध उसके ही आधीन होता है वो जब तक चाहे उसे गलत करता रहे !वह थीसिस उसी की कृपा पर आश्रित होती है । 

         ज्योतिष के काम से जुड़े लोग पहले मन मिलाकर सामने वाले के मन की बात जान लेते हैं फिर उसका मिस यूज करते देखे जाते हैं। 

       चिकित्सक लोग बीमारी ढूँढने के बहाने सब सच सच उगलवा लेते हैं फिर ब्लेकमेल करते रहते हैं ।इसी प्रकार से कार्यक्षेत्र में कुछ लोग अपनी जूनियर्स  को डायरेक्ट सीनियर बनाने के लिए कुछ हवाई सपने दिखा चुके होते हैं उन सपनों को पकड़कर शारीरिक सेवाएँ लेते रहते हैं उनकी !किन्तु जब  महीनों वर्षों तक चलता रहता है ऐसा घिनौना खेल, किन्तु दिए गए आश्वासन झूठे सिद्ध होने लगते हैं तब झुँझलाहट बश जो सच सामने निकल कर आता है उनमें आरोप बलात्कार का लगाया जाता है किन्तु किसी भी रूप में आपसी सहमति से महीनों वर्षों तक चलने वाले शारीरिक सम्बन्धों को बलात्कार कहना कहाँ तक उचित होगा ?ऐसे स्वार्थ बश शरीर सौंपने के मामले राजनैतिकादि अन्य क्षेत्रों में भी घटित होते देखे जाते हैं वहाँ भी वही प्रश्न उठता है कि ऐसी परिस्थितियों में कैसे रुकें बलात्कार ? 




 

       

Wednesday, December 25, 2013

युग पुरुष माननीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के लिए अनंतानंत शुभ कामनाएँ -

ईश्वर आपको स्वस्थ प्रसन्न तथा दीर्घायुष्यवान  करे 

 रखना सुरक्षित स्वस्थ  जीवन प्रसन्न सदा 

                   देश की धरोहर इस अमित निशानी को

त्याग के तागों से निर्मित कलेवर यह 

                    अमर बना रहे ये सत्य कवि  बानी हो

ईश्वर अनंत यश देता रहे आपको 

                   अटल! तुम्हारी अमितायु जिंदगानी हो

गरिमा मय जीवन सदैव रहे आपका 

                 अंत में कलंक मुक्त मंजुल कहानी हो ॥ 1 ॥

 कामना हमारी है ये कुशल रहो सदैव

                          ईश्वर कृपा करे जो सबका सहारा है। 

देश ने प्रशासकों के घृणित घोटाले देख 

                     आपसे व्रती को आर्त  होकर पुकारा है ॥

भूल मत जाना तुम भूषण हो भारत के 

                      मातृ भूमि के लिए ही जीवन सँवारा है। 

अटल! अटल सदैव जीवन तुम्हारा रहे 
                    भारती वसुंधरा पे सबका दुलारा है ॥2 ॥

त्याग के सभी का मोह राष्ट्र निर्माण हेतु 

                   भारतीय  क्षितिज में अटल सितारा था। 

स्वार्थ पे न ध्यान सदा ध्येय परमार्थ रहा 

                    देश के लिए ही निज जीवन उतारा था॥ 

लूटते स्वशासकों के घृणित घोटाले देख 

                      राष्ट्र की सुरक्षा हेतु शासन सँवारा  था। 

रो चला था देश देख आपकी  विनम्रता को 

                  तेरह दिनों का ताज हँसके उतार था ॥3 ॥ 

 जीवन का सारा भाग भारती की सेवा हेतु 

                 सौंप दिया जिसने समस्त सुख विसार के। 

 धैर्य धर्म सत्यता समाज के हितों का ध्यान 

                         रखते रहे सदैव त्याग के आधार पे ॥

 साधना  चरित्र वा पवित्र राष्ट्र सेवा की जो 

                   आज लौं  बचा रखी है चढ़ के भी धार पे । 

चाहते तो जाते सिद्धांत सरकार नहीं 

                 बिकने के लिए लोग तब भी तैयार थे ॥4॥                                                  - कारगिल विजय से


आदरणीय अटल जी जब प्रधानमंत्री थे तो एक दिन उनसे बात करने और अपनी काव्य पुस्तक कारगिल विजय भेंट करने एवं कविताएँ सुनाने का सौभाग्य मुझे मिला इतने व्यस्त जीवन में भी कितना तन्मय होकर वो सुन रहे थे हमारी रचनाएँ! उनकी टिप्पणियाँ  मुझे आज भी याद हैं देश एवं समाज के प्रति कितना अपनापन  है उनमें !वास्तव में वो राष्ट्र निष्ठा के समुद्र हैं साथ में भाजपा सांसद श्री श्याम बिहारी मिश्र जी एवं एक और पंडित जी थे जब मैं कविताएँ सुनाने लगा तो वो न केवल सुन रहे थे अपितु टिप्पणियाँ भी करते जा रहे थे । जब मैंने उनसे निवेदन किया कि आपके आदर्श जीवन को कोई आम आदमी समझना चाहे तो क्या पढ़े कितना पढ़े तो वो हँसने लगे और कहा -

         न भीतो मरणादस्मि केवलं दूषितो यशः । 

   अर्थात मैं मृत्यु से भयभीत नहीं हूँ केवल यश दूषित होने से डरता हूँ !

       हमारे द्वारा लिखी गई कारगिल विजय पुस्तक की श्री अटल जी से सम्बंधित कुछ और रचनाएँ -

  जेनेवा में भेजे जाने के लिए -

  चाह के भी सत्ता पक्ष खोज न विकल्प सका 

               अटल को भेजना ही एक मात्र चारा था ।

सबकी निगाहें ढूँढ़ते न थकती थीं जिसे 

         बुद्धिजीवियों कि भावनाओं का सितारा था ॥

  विज्ञ नरसिंह राव से प्रबुद्ध शासक ने

                      अपने ही मुख से कह गुरू पुकारा था  ।

कैसे छिनाया गया ताज उस शासक से 

     जो सौ करोड़ हिंदुओं कि आस का सहारा था ॥1॥

आपस में बढ़ते विवादों से विषाक्त विश्व 

                 चुने चुने नायकों का भारी अखारा था।

विश्व की विभूतियाँ न रौंद दें हमारा मान

          ध्यान था सभी का देश चिंतित बिचारा था॥

सौ करोड़ हिंदुओं कि आश का सहारा था जो 

             अटल बिहारी वहाँ प्रतिनिधि हमारा था । 

उससे छिनाया था ताज पद लोलुपों ने 

        जाकर जेनेवा जो न हारा  ललकारा था ॥ 2 ॥    

 भारत को शक्तिवान मान ले विशाल विश्व 

              करके परमाणु विस्फोट जो दहाड़ा  था। 

शोर सुन घोर चीत्कार उठे रौद्र राष्ट्र 

              जिनकी बहादुरी का बजता नगाड़ा था ॥

मान के कँगाल हमें कोटि प्रतिबन्ध किए

            पहले के शासकों की भीरुता को ताड़ा था । 

किन्तु पाला  पड़ा था आज अटल बिहारी जी से 

             डटे निःशंक और सबको लताड़ा था ॥ 3 ॥

                                                - कारगिल विजय से 
    

Tuesday, December 24, 2013

केजरीवाल का इंकार काँग्रेस का फिर भी समर्थन !इतनी उदार !!!

               देखो बन रही है "आप" की सरकार  

  •  सुना है कि आम आदमी पार्टी के लोग कहते हैं कि यदि उनकी सर कार बनी तो "भाजपा और काँग्रेस वाले जेल जाएँगे!"

      अरविन्द केजरीवाल का यह कहना कितना न्यायोचित है कि भाजपा और काँग्रेस वाले जेल जाएँगे ! इन दलों में जो ईमानदार लोग हैं क्या ये उनका अपमान नहीं है?यदि आप  पार्टी सरकार में आती  तो जाँच कराती  उसमें जिसके साथ जो होना होता  सो होता किन्तु बिना जाँच के सबको जेल भेजने की बात करना कौन सी बुद्धि मानी है इसे आप  की बकवास क्यों न मानी जाए ?

  • सुना है कि आम आदमी पार्टी काँग्रेस को विश्वासघाती मानती है -

 आम आदमी पार्टी  का काँग्रेस को विश्वासघाती कहना कितना उचित है जिस दाल पर बैठना है उसी को काटना यह कौन सी बुद्धि मानी है जबकि वो काँग्रेस ही   मुख्यमंत्री पद तक पहुँचाने का जोर शोर से समर्थन कर रही है !आम आदमी पार्टी के  इन वर्त्तमान कालिदासों की यह राजनैतिक अपरिपक्वता नहीं तो इसे और क्या कहा जाएगा  ?

  • सुना है कि आम आदमी पार्टी  के नेता जी काँग्रेस को दोमुँहा साँप मानते हैं -

यदि काँग्रेस दोमुँहा साँप है तो काँग्रेस का एक मुख तो उसका अपना है जबकि  उसका दूसरा मुख तो  आम आदमी पार्टी ही है संभवतः इसी लिए विरोधी लोग आम आदमी पार्टी को काँग्रेस की बी पार्टी मानते हैं !

  •  सुना है  आम आदमी पार्टी की सरकार बनने पर बधाई काँग्रेस को ही दी जाएगी !

        बधाई उसकी ही बनती भी  है क्योंकि इसमें वास्तविक तरक्की तो काँग्रेस की ही होगी इसलिए आम आदमी पार्टी की सरकार बनने पर बधाई तो काँग्रेस को ही देनी होगी क्योंकि पहले उसका मुख्यमंत्री था अब काँग्रेस होगी मुख्यमंत्री की बॉस !

  • सुना है आम आदमी पार्टी के नेता अरविन्द केजरीवाल जी ने सुरक्षा लेने से लिए मना  कर दिया है 

           मेरी समझ में यह कदम उन्होंने अच्छा उठाया है क्योंकि काँग्रेस के लोग न जाने कब समर्थन वापस लेकर इनका उपहास उड़ाने लगें !और जब सरकार चलती दिखाई पड़ेगी  तब  किसी बहाने से ले ली जाएगी सुरक्षा, वो तो अपने हाथ की बात होगी ,यदि सरकार नहीं चलती है तो सौ कैरेट शुद्ध आम आदमी बने रहेंगे अरविन्द केजरीवाल जी इसमें क्या संदेह है ! उनका यह आम आदमियत्व  दूसरे चुनावों में भी खूब फूले फलेगा !

  •  सुना है कि केजरी वाल की सरकार से काँग्रेस का कोई लेना देना नहीं होगा यह सरकार केवल आम आदमी पार्टी की होगी -

        यह आम आदमी पार्टी की सरकार बनेगी या नहीं बनेगी, चलेगी या नहीं चलेगी, चलेगी तो कब तक चलेगी आदि इन सब प्रश्नों पर तो आम आदमी पार्टी की सरकार काँग्रेस के ही आधीन रहेगी बात अलग है कि इस बात को वो मानें या न मानें ! यदि काँग्रेस के समर्थन से आम आदमी पार्टी की सरकार  बनती है तो बधाई आम आदमी पार्टी को कैसे दी जा सकती है बधाई तो काँग्रेस की ही बनती है ? क्योंकि अभी तक तो काँग्रेस पार्टी की मुख्य मंत्री ही थीं अब तो मुख्य मंत्री आम आदमी पार्टी का होगा किन्तु उसका बॉस तो काँग्रेस का ही होगा जिसकी कृपा पर यह सरकार टिकी होगी इस लिए आम आदमी पार्टी की सरकार बनने पर वास्तविक  पदोन्नति तो काँग्रेस की ही हुई तब मुख्य मंत्री तो अब मुख्य मंत्री की बॉस !बधाई हो काँग्रेस को बधाई !!!

      सुना है कि 'आप' का मानना है कि काँग्रेस और भाजपा के नेता ईमानदार नहीं हैं किसी भी पार्टी के नेता की ईमानदारी का निर्णय अब केवल आम आदमी पार्टी के लोग ही करेंगे !

     श्री अन्ना हजारे जी ने  अपनी जिस पूर्व टीम पर संदेह किया हो  वो विश्वसनीय कैसे हैं ? ईमानदारी और राष्ट्र निष्ठा के प्रति जीवन समर्पित करने वाले समाज सुधारक श्री अन्ना हजारे जी जिन आप नेताओं के आचरण पर अंगुली उठा चुके हों उन्हें ईमानदार कैसे माना जाए जब तक वे अच्छा कुछ करके दिखाते नहीं हैं यदि वो अच्छा करने में सफल हों तो सौ सौ बधाइयाँ किन्तु बिना कुछ किए ही सबको बेईमान कहने लगना उन लोगों के शैक्षणिक जीवन के गौरव के भी अनुकूल नहीं है। 

  •  सुना है  आम आदमी पार्टी काँग्रेस और भाजपा नेताओं को भ्रष्ट मानती है -

          काँग्रेस और भाजपा के नेताओं को बेईमान कहने वाले आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं में हिम्मत है तो अटल अडवाणी जोशी जी जैसे महान नेताओं के जीवन पर भ्रष्टाचार का कोई दाग दिखा दें इन  नेताओं का क्या व्यक्तित्व है क्या जीवन दर्शन है क्या आदर्श है ! ये ईमानदार मूर्ति हैं  इस भ्रष्टाचार के युग में भी ऐसे अच्छे नेता अन्यदलों में भी हैं जिनके जीवन के कुछ सिद्धांत हैं जिनसे वे समझौता नहीं कर सकते । ऐसे सभी दलों के लोग ,मीडिया के लोग व अन्य भी देश विदेश के लोग ईमानदारी के विषय में जिनके उदाहरण देते हों उन्हें ईमानदार न मानने वाला कोई व्यक्ति  कैसे ईमानदार हो सकता है इसका मतलब ईमानदारी के विषय में उसकी अपनी अलग मनगढंत परिभाषा है जिसे मानना हर किसी के लिए जरूरी नहीं है वो अपनी कल्पना में कुछ भी हो जाए !

          ईमानदार सरकार अटल जी की थी 

       अटल जी की सरकार एक वोट से गिरी थी तब भी ख़रीदे जा सकते थे वोट ? 

अरविन्द केजरी वाल जैसी बातें ... ! कोई राजनेता कैसे कर सकता है ?
       अभी अभी आगामी चुनावों की कन्वेसिंग जैसी करते हुए अरविन्द केजरीवाल को देखा गया इससे अच्छा अवसर अपनी ईमानदारी और दूसरों को बेईमान प्रचारित करने का और कौन हो सकता है? सभी पार्टियों को इसी बहाने बिना कहे बेईमान सिद्ध कर दिया गया ये गलत बात है सारे विश्व ने अटल जी की अल्पमत सरकार को देखा था जब एक वोट से सरकार गिरी थी उस समय भी मंडी में माल बहुत था किन्तु भाजपा चाहती तो एक सीट खरीदकर अपना प्रधान मंत्री बचा सकती थी किन्तु ऐसा नहीं किया गया इससे अधिक ज्वलंत उदाहरण और क्या हो सकता है ?अरविंद की भाषा में एक बहुत बड़ा दोष यह है कि वो दूसरे को बेईमान सिद्ध करके अपने को ईमानदार बताते हैं जबकि अपनी और अपने दल कि अच्छाइयां बताना जैसे आपका अधिकार है उसी प्रकार अन्य दलों के भी अपने अपने अधिकार हैं
      इसीप्रकार कोई दल किसी और के एजेंडे को सम्पूर्ण रूप से कैसे स्वीकार कर ले आखिर उसे इतना कमजोर सिद्ध करने का प्रयास क्यों किया जा रहा है ?दुबारा सम्भवित चुनावी खर्च के बोझ से दिल्ली की जनता को बचाने के लिए बड़ी पार्टियों ने जो उदारता दिखाई है उसका दुरूपयोग कर रहे है अरविन्द !

 

 

          "अरविन्द केजरीवाल की अन्नाहजारे से नहीं बनी तो अरविन्द सिंह लवली से कैसे बनेगी ? - ज्योतिष"
अ अक्षर के कारण बिगड़े अन्ना और अरविन्द के आपसी सम्बन्ध फिर मिला वही अ अक्षर अरविन्द सिंह लवली कब तक चल पाएगा यह सरकार बनाने का जुगाड़ ?
अन्नाहजारे-अरविंदकेजरीवाल-असीम त्रिवेदी- अग्निवेष- अरूण जेटली - अभिषेकमनुसिंघवीमें
जब अरविन्द केजरीवाल की अन्ना हजारे, अग्निवेश, अमित त्रिवेदी आदि किसी अ अक्षर से प्रारम्भ नाम वाले की पटरी नहीं खा सकी तो अरविन्द सिंह लवली से कब तक सम्बन्ध चल पाएँगे कहा ही नहीं जा   see more...http://snvajpayee.blogspot.in/2013/12/blog-post_1451.html


"काँग्रेस का समर्थन केजरीवाल का इनकार !ऐसे कैसे बनेगी सरकार ?"

 काँग्रेस के समर्थन से चली सरकारों का अनुभव कभी अच्छा नहीं रहा! see more ...http://bharatjagrana.blogspot.in/2013/12/blog-post_19.html

 

 

जस जस सुरसा बदन बढ़ावा ।

            तासु  दून कपि रूप दिखावा ॥

 शत जोजन तेहि आनन कीन्हा।

           अति लघु रूप पवनसुत लीन्हा॥

 

अब केजरी वाल सरकार बना सकते हैं -धन्यवाद

युग पुरुष माननीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के जन्म दिवस पर अनंतानंत शुभ कामनाएँ -

  युग पुरुष  माननीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी  के जन्म दिवस पर अनंतानंत शुभ कामनाएँ -ईश्वर आपको स्वस्थ प्रसन्न तथा दीर्घायुष्यवान  करे 

 रखना सुरक्षित स्वस्थ  जीवन प्रसन्न सदा 

                   देश की धरोहर इस अमित निशानी को

त्याग के तागों से निर्मित कलेवर यह 

                    अमर बना रहे ये सत्य कवि  बानी हो

ईश्वर अनंत यश देता रहे आपको 

                   अटल! तुम्हारी अमितायु जिंदगानी हो

गरिमा मय जीवन सदैव रहे आपका 

                 अंत में कलंक मुक्त मंजुल कहानी हो ॥ 1 ॥

 कामना हमारी है ये कुशल रहो सदैव

                          ईश्वर कृपा करे जो सबका सहारा है। 

देश ने प्रशासकों के घृणित घोटाले देख 

                     आपसे व्रती को आर्त  होकर पुकारा है ॥

भूल मत जाना तुम भूषण हो भारत के 

                      मातृ भूमि के लिए ही जीवन सँवारा है। 

अटल! अटल सदैव जीवन तुम्हारा रहे 
                    भारती वसुंधरा पे सबका दुलारा है ॥2 ॥

त्याग के सभी का मोह राष्ट्र निर्माण हेतु 

                   भारतीय  क्षितिज में अटल सितारा था। 

स्वार्थ पे न ध्यान सदा ध्येय परमार्थ रहा 

                    देश के लिए ही निज जीवन उतारा था॥ 

लूटते स्वशासकों के घृणित घोटाले देख 

                      राष्ट्र की सुरक्षा हेतु शासन सँवारा  था। 

रो चला था देश देख आपकी  विनम्रता को 

                  तेरह दिनों का ताज हँसके उतार था ॥3 ॥ 

 जीवन का सारा भाग भारती की सेवा हेतु 

                 सौंप दिया जिसने समस्त सुख विसार के। 

 धैर्य धर्म सत्यता समाज के हितों का ध्यान 

                         रखते रहे सदैव त्याग के आधार पे ॥

 साधना  चरित्र वा पवित्र राष्ट्र सेवा की जो 

                   आज लौं  बचा रखी है चढ़ के भी धार पे । 

चाहते तो जाते सिद्धांत सरकार नहीं 

                 बिकने के लिए लोग तब भी तैयार थे ॥4॥                                                  - कारगिल विजय से


आदरणीय अटल जी जब प्रधानमंत्री थे तो एक दिन उनसे बात करने और अपनी काव्य पुस्तक कारगिल विजय भेंट करने एवं कविताएँ सुनाने का सौभाग्य मुझे मिला इतने व्यस्त जीवन में भी कितना तन्मय होकर वो सुन रहे थे हमारी रचनाएँ! उनकी टिप्पणियाँ  मुझे आज भी याद हैं देश एवं समाज के प्रति कितना अपनापन  है उनमें !वास्तव में वो राष्ट्र निष्ठा के समुद्र हैं साथ में भाजपा सांसद श्री श्याम बिहारी मिश्र जी एवं एक और पंडित जी थे जब मैं कविताएँ सुनाने लगा तो वो न केवल सुन रहे थे अपितु टिप्पणियाँ भी करते जा रहे थे । जब मैंने उनसे निवेदन किया कि आपके आदर्श जीवन को कोई आम आदमी समझना चाहे तो क्या पढ़े कितना पढ़े तो वो हँसने लगे और कहा -

         न भीतो मरणादस्मि केवलं दूषितो यशः । 

   अर्थात मैं मृत्यु से भयभीत नहीं हूँ केवल यश दूषित होने से डरता हूँ !

       हमारे द्वारा लिखी गई कारगिल विजय पुस्तक की श्री अटल जी से सम्बंधित कुछ और रचनाएँ -

  जेनेवा में भेजे जाने के लिए -

  चाह के भी सत्ता पक्ष खोज न विकल्प सका 

               अटल को भेजना ही एक मात्र चारा था ।

सबकी निगाहें ढूँढ़ते न थकती थीं जिसे 

         बुद्धिजीवियों कि भावनाओं का सितारा था ॥

  विज्ञ नरसिंह राव से प्रबुद्ध शासक ने

                      अपने ही मुख से कह गुरू पुकारा था  ।

कैसे छिनाया गया ताज उस शासक से 

     जो सौ करोड़ हिंदुओं कि आस का सहारा था ॥1॥

आपस में बढ़ते विवादों से विषाक्त विश्व 

                 चुने चुने नायकों का भारी अखारा था।

विश्व की विभूतियाँ न रौंद दें हमारा मान

          ध्यान था सभी का देश चिंतित बिचारा था॥

सौ करोड़ हिंदुओं कि आश का सहारा था जो 

             अटल बिहारी वहाँ प्रतिनिधि हमारा था । 

उससे छिनाया था ताज पद लोलुपों ने 

        जाकर जेनेवा जो न हारा  ललकारा था ॥ 2 ॥    

 भारत को शक्तिवान मान ले विशाल विश्व 

              करके परमाणु विस्फोट जो दहाड़ा  था। 

शोर सुन घोर चीत्कार उठे रौद्र राष्ट्र 

              जिनकी बहादुरी का बजता नगाड़ा था ॥

मान के कँगाल हमें कोटि प्रतिबन्ध किए

            पहले के शासकों की भीरुता को ताड़ा था । 

किन्तु पाला  पड़ा था आज अटल बिहारी जी से 

             डटे निःशंक और सबको लताड़ा था ॥ 3 ॥

                                                - कारगिल विजय से 
    

पाखंडी ज्योतिषियों ने ज्योतिष शास्त्र को अंध विश्वास बना दिया !

                 फर्जी डिग्री वाले ज्योतिषी

      विदित हो कि ज्योतिष तंत्र मंत्र के विषय में अंधविश्वास  फैलाने का काम आज सारे देश में खूब फल फूल रहा है। समाज से लेकर टी.वी.चैनल पत्र पत्रिकाओं सहित विज्ञापन की लगभग सारी विधाएँ इस कारोबार में विशेष रूचि ले रहीं हैं। ज्योतिष  विषय में एम.ए. पी.एच.डी. आदि डिग्री वाले लोगों की योग्यता की गारंटी विज्ञापन एजेंसियॉं नहीं लेती हैं जबकि फर्जी डिग्री वाले ज्योतिषियों को गारंटेड स्टैंप सुविधा मुहैया कराती हैं।परिस्थिति यहॉं तक पहुँच चुकी है कि भारत सरकार के द्वारा संचालित संस्कृत विश्व  विद्यालयों से निर्धारित पाठ्यक्रम का परिपालन करते हुए ज्योतिष  विषय में एम.ए. पी.एच.डी. आदि डिग्री ले चुके शास्त्रीय विद्वान आज मारे मारे फिर रहे हैं।

    जबकि फर्जी डिग्री या बिना डिग्री वाले अर्थात ज्योतिषीय अशिक्षित फिर भी ज्योतिष का कारोबार करने वाले लोग पैसे के द्वारा विज्ञापनों के बल पर विद्वान ज्योतिषी  होने का अपना प्रचार प्रसार करते रहते हैं और सरकार के द्वारा संचालित संस्कृत विश्व  विद्यालयों से प्रदान की जाने वाली सारी डिग्रियॉं अपने नाम के साथ लगाते हैं। ये सरकारी संस्कृत विश्व विद्यालयों के प्रमाणित निर्धारित पाठ्यक्रम एवं डिग्रियों का सरासर अपमान है। मान्यवर,यदि यही सही है तो कोई वर्षों तक परिश्रम करके क्यों पढ़ेगा? सरकारी संस्कृत विश्वविद्यालयों के महत्त्व एवं उस पर किए जाने वाले आर्थिक व्यय का औचित्य क्या  रह जाता है?

    नियमतः उनके द्वारा किया जाने वाला यह आचरण अपराध की श्रेणी में आता है साथ ही चिकित्सा आदि क्षेत्रों की तरह फर्जी डिग्रियॉं अपने नाम के साथ  लिखना भी कानूनन अपराध मानकर कार्यवाही की जानी चाहिए किंतु ऐसा कुछ  देखने सुनने  को नहीं मिलता है। ये सब कुछ बड़ी निर्भीकता पूर्वक टी.वी.चैनलों पर भी कहते देखा सुना जाता है। ऐसे लोग ज्योतिष  के नाम पर प्रायः अशास्त्रीय बोलते हैं इन लोगों की अंधविश्वास फैलाने में बड़ी भूमिका से इंकार कैसे किया जा सकता है? आखिर विज्ञापन में दी जाने वाली मोटी मोटी धनराशि  कोई अपने घर से कब तक और क्यों देगा? आखिर पैसे तो समाज से ही लेना है और सही बात से कोई कितने पैसे और क्यों दे देगा ?यदि ऐसा होता तोअंधविश्वास  न  फैलाने वाले शास्त्रीय ज्योतिषियों का भी कुछ तो महत्व मीडिया भी रखता ।

     अतः आप से निवेदन है कि मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया जैसी कोई नियामक संस्था ज्योतिष  के क्षेत्र में भी बनाई जाए या किसी अन्य मजबूत विकल्प की तलाश  होनी चाहिए। जिससे ज्योतिष  संबंधी सभी प्रकार के अपराधों एवं अंधविश्वासों पर नियंत्रण किया जा सके साथ ही शास्त्रीय विद्वानों एवं सरकारी संस्कृत विश्व विद्यालयों का गौरव सुरक्षित रखा जा सके।

      ऐसे पाखंडी लोग या तो ज्योतिष सिखाना  शुरू करते हैं या फिर देखावटी कुंडली देखना या कोई ज्योतिष विद्यालय बनाकर ज्योतिष पढ़ाने का नाटक करते हैं इसका समाज पर असर पड़ता है कि ये  यदि कुछ पढ़े लिखे न होते तो पढ़ाते कैसे !या कुंडली देख रहे हैं तो पढ़े ही होंगे !

     कुछ लोग एक आध चक्कर विदेश लगा आते हैं तो अपने नाम के साथ  वो तमगा लगा कर फिरने लगते हैं लोग सोचने लगते हैं कि जब ज्योतिष के लिए इनकी विदेशों तक में पूँछ है इसका मतलब ये ज्योतिषी तो होंगें ही किन्तु उन्हें क्या पता कि जिन देशों में कोई हिंदी ही नहीं जानता वहाँ संस्कृत में लिखी  गई ज्योतिष की कठिन सच्चाई कोई कैसे समझ पा रहा होगा। वहाँ तो अपने को कहा  कि हम ज्योतिषी हैं तो वे लोग एक श्लोक का अर्थ भी नहीं पूछ सकते इसीलिए धार्मिक शिक्षा चोर लोग जिस विषय का अपने को विद्वान कहलाना होता है उस विषय का लेवल लगाकर एकबार विदेश घूम आते हैं वापस आते ही ज्योतिषी या शास्त्रज्ञ हो जाते हैं ।अजीब बात है शास्त्रीय शिक्षा किसकी कितनी है इसे कोई विदेशी क्या प्रमाणित करेगा ये तो भारतीय शिक्षा पद्धति से ही प्रमाणित होगी। 

      इसलिए  ज्योतिष  देखने के लिए ग्रह और उनकी  दशा आवश्यक होती है किन्तु आजकल कोई तो राशि पूछ कर सब कुछ बताने की बात करता है  कोई तो चड्ढी बनियान देखकर भविष्य बताने का दावा करता है कोई क्रिस्टल बाल तो कुछ लोग टैरो कार्ड देखकर भविष्य भौंकने का दावा ठोंकते हैं सबसे बड़ी बेशर्मी इस बात की है कि ये सब अशास्त्रीय कार्य करने वाले पाखंडी लोग अपने को ज्योतिषाचार्य भी कहते हैं क्या उन्हें पता है कि ज्योतिषाचार्य का अर्थ किसी विश्व विद्यालय से ज्योतिष विषय में एम. ए. करना होता है और उस ज्योतिषाचार्य के पाठ्यक्रम में क्रिस्टल बाल या  टैरो कार्ड देखकर भविष्य जानने या बताने की विधा है ही नहीं, इनकी कोई चर्चा तक नहीं है!ऐसे ज्योतिष फ्राड लोगों ने ज्योतिष को एकदम उपहासास्पद  बना दिया है। 

    अतः ज्योतिष के नाम पर चल रही इस धोखाधड़ी को समाप्त करने के लिए अच्छे लोगों के द्वारा बड़े स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं आप भी इस शास्त्रीय जन जागरण में सहभागी बनें !इन ज्योतिषीय आशारामों से भी समाज को मुक्त करने के लिए प्रयास प्रारम्भ किए जा चुके हैं परिणाम  भी शीघ्र दिखने लगेंगे !धन्यवाद!!!

     


 


Sunday, December 22, 2013

अरविन्द केजरीवाल की अरविन्दर सिंह लवली से कैसे और कब तक बनेगी ? - ज्योतिष

अक्षर के कारण बिगड़े  न्ना और रविन्द के आपसी सम्बन्ध फिर मिला वही अक्षर रविन्द सिंह लवली  कब तक चल पाएगा यह सरकार बनाने का जुगाड़ ?   

   न्नाहजारे-रविंदकेजरीवाल-सीम त्रिवेदी-       ग्निवेष- रूण जेटली - भिषेकमनुसिंघवीमें

 जब अरविन्द केजरीवाल की न्ना हजारे,ग्निवेश,मित त्रिवेदी आदि किसी अक्षर से प्रारम्भ नाम वाले की पटरी नहीं खा सकी तो रविन्द सिंह लवली से कब तक सम्बन्ध चल पाएँगे कहा ही नहीं जा  सकता है। 

       किन्हीं दो या दो से अधिक लोगों का नाम यदि एक अक्षर से ही प्रारंभ होता है तो ऐसे सभी लोगों के आपसी संबंध शुरू में तो अत्यंत मधुर होते हैं बाद में बहुत अधिक खराब हो जाते हैं, क्योंकि इनकी पद-प्रसिद्धि-प्रतिष्ठा -पत्नी-प्रेमिका आदि के विषय में पसंद एक जैसी होती है। इसलिए कोई सामान्य मतभेद भी कब कहॉं कितना बड़ा या कभी न सुधरने वाला स्वरूप धारण कर ले या शत्रुता में बदल जाए कहा नहीं जा सकता है। 

जैसेः-राम-रावण, कृष्ण-कंस आदि।

न्ना हजारे के आंदोलन के तीन प्रमुख ज्वाइंट थे न्ना हजारे, रविंदकेजरीवाल एवं ग्निवेष जिन्हें एक दूसरे से तोड़कर ये आंदोलन ध्वस्त किया जा सकता था। इसमें ग्निवेष कमजोर पड़े और हट गए। दूसरी ओर जनलोकपाल के विषय में लोक सभा में जो बिल पास हो गया वही राज्य सभा में क्यों नहीं पास हो सका इसका एक कारण नाम का प्रभाव भी हो सकता है। सरकार की ओर से भिषेकमनुसिंघवी थे तो विपक्ष के नेता रूण जेटली जी थे। इस प्रकार ये सभी नाम से ही प्रारंभ होने वाले थे। इसलिए भिषेकमनुसिंघवी की किसी भी बात पर रूण जेटली का मत एक होना ही नहीं था।अतः राज्य सभा में बात बननी ही नहीं थी। दूसरी  ओर भिषेकमनुसिंघवी और रूण जेटली का कोई भी निर्णय न्ना हजारे एवं रविंदकेजरीवाल को सुख पहुंचाने वाला नहीं हो सकता था। न्ना हजारे एवं रविंदकेजरीवाल का महिमामंडन ग्निवेष कैसे सह सकते थे?अब न्ना हजारे एवं रविंदकेजरीवाल कब तक मिलकर चल पाएँगे?कहना कठिन है।सीमत्रिवेदी भी न्नाहजारे के गॉंधीवादी बिचारधारा के विपरीत आक्रामक रूख बनाकर ही आगे बढ़े। आखिर और लोग भी तो थे।  अक्षर से प्रारंभ नाम वाले लोग ही न्नाहजारे  से अलग क्यों दिखना चाहते थे ? ये अक्षर वाले लोग  ही न्नाहजारे के इस आंदोलन की सबसे कमजोर कड़ी हैं।

      न्नाहजारे की तरह ही मर सिंह जी भी अक्षर वाले लोगों से ही व्यथित देखे जा सकते हैं। मरसिंह जी की पटरी पहले मुलायम सिंह जी के साथ तो खाती रही तब केवल जमखान साहब से ही समस्या होनी चाहिए थी किंतु खिलेश  यादव का प्रभाव बढ़ते ही मरसिंह जी को पार्टी से बाहर जाना पड़ा। ऐसी परिस्थिति में अब खिलेश के साथ जमखान कब तक चल पाएँगे? कहा नहीं जा सकता। पूर्ण बहुमत से बनी उत्तर प्रदेश  में सपा सरकार का यह सबसे कमजोर ज्वाइंट सिद्ध हो सकता है
 चूँकि मरसिंह जी के मित्रों की संख्या में अक्षर से प्रारंभ नाम वाले लोग ही अधिक हैं इसलिए इन्हीं लोगों से दूरियॉं बनती चली गईं। जैसेः- जमखान मिताभबच्चन  निलअंबानी  भिषेक बच्चन आदि।

 इसी प्रकार और भी उदाहरण हैं।   कलराजमिश्र-कल्याण सिंह  

  ओबामा-ओसामा   

   अरूण जेटली- अभिषेकमनुसिंघवी

मायावती-मनुवाद

नरसिंहराव-नारायणदत्ततिवारी 

लालकृष्णअडवानी-लालूप्रसाद 

 परवेजमुशर्रफ-पाकिस्तान 

 भाजपा-भारतवर्ष  

 मनमोहन-ममता-मायावती    

   उमाभारती -   उत्तर प्रदेश 
अमरसिंह -   आजमखान - अखिलेशयादव 

 अमरसिंह -   अनिलअंबानी -   अमिताभबच्चन 

नितीशकुमार-नितिनगडकरी-नरेंद्रमोदी        

  प्रमोदमहाजन-प्रवीणमहाजन-प्रकाशमहाजन  

 दिल्ली भाजपा  के  चार    विजय

                     विजयेंद्र    -  विजयजोली

      विजयकुमारमल्होत्रा- विजयगोयल,

  
राहुलगॉधी - रावर्टवाड्रा - राहुल के पिता  श्री राजीव जी इन दोनों पिता पुत्र का नाम रा अक्षर  से था इसीप्रकार रावर्टवाड्रा  और उनके पिता श्री राजेंद्र जी इन दोनों पिता पुत्र का नाम  भी रा अक्षर  से ही था। दोनों को पिता के साथ अधिक समय तक रहने का सौभाग्य नहीं मिल सका ।
    नाम विज्ञान  की दृष्टि से अब राहुलगॉधी के राजनैतिक उन्नत भविष्य  के लिए रावर्टवाड्रा  का सहयोग सुखद नहीं दिख रहा है क्योंकि  यहॉं भी दोनों का नाम  रा अक्षर  से ही है।

                           रा               राजनीति

वैसे भी रा अक्षर से प्रारंभ नाम  वालों के लिए रा अक्षर से ही प्रारंभ राजनीति  प्रायः सफलता प्रद नहीं होती है ये आकस्मिक अवसर पाकर किसी रिक्त स्थान को भरने के काम आया करते हैं इनकी अपनी  प्रतिभा पर राजनैतिक सफलता मिलपाना  अत्यंत कठिन होता है।उत्तर प्रदेश में रामप्रकाश गुप्त या बिहार में रावड़ी देवी का मुख्यमंत्री पद का कार्यकाल हो तथा राजीव गाँधी जी को भी सहानुभूतिबशात ही अचानक पद एवं विजय मिली थी इसीप्रकार राजनाथ जी के अध्यक्ष पद पर आसीन होने का  उदाहरण सबके सामने है। ऐसे ही राहुलगाँधी का भी कोई दाँव प्रधान मंत्री बनने का लग सकता हो तो बात और है। एक ज्योतिषी होने के नाते सीधे तौर पर कुछ हो पाते या बन पाते कम से कम  हमें तो नहीं ही  दिख रहा है । 

   इसीप्रकार भारतवर्ष  में भाजपा की  स्थिति है इसीलिए उसे भी राजग का गठन करना पड़ा जबकि

भाजपा से कम सदस्य संख्या वाले अन्यलोग  पहभाव ले भी प्रधानमंत्री बन चुके हैं उन्हें कोई दिक्कत नहीं हुई,किन्तु अटल जी जैसे महान व्यक्तित्व का प्रधानमंत्री बन पाना कितना कठिन दिखता था!ये ज्योतिष के नाम विज्ञान का ही प्रभाव था । 

राजेश्वरी प्राच्य विद्या शोध संस्थान की सेवाएँ 

यदि आप ऐसे किसी बनावटी आत्मज्ञानी बनावटी ब्रह्मज्ञानी ढोंगी बनावटी तान्त्रिक बनावटी ज्योतिषी योगी उपदेशक या तथाकथित साधक आदि के बुने जाल में फँसाए जा  चुके हैं तो आप हमारे यहाँ कर सकते हैं संपर्क और ले सकते हैं उचित परामर्श ।

       कई बार तो ऐसा होता है कि एक से छूटने के चक्कर में दूसरे के पास जाते हैं वहाँ और अधिक फँसा लिए जाते हैं। आप अपनी बात किसी से कहना नहीं चाहते। इन्हें छोड़ने में आपको डर लगता है या उन्होंने तमाम दिव्य शक्तियों का भय देकर आपको डरा रखा है।जिससे आपको  बहम हो रहा है। ऐसे में आप हमारे संस्थान में फोन करके उचित परामर्श ले सकते हैं। जिसके लिए आपको सामान्य शुल्क संस्थान संचालन के लिए देनी पड़ती है। जो आजीवन सदस्यता वार्षिक सदस्यता या तात्कालिक शुल्क   रूप में  देनी होगी जो शास्त्र  से संबंधित किसी भी प्रकार के प्रश्नोत्तर करने का अधिकार प्रदान करेगी। आप चाहें तो आपके प्रश्न गुप्त रखे जा सकते हैं। हमारे संस्थान का प्रमुख लक्ष्य है आपको अपने पन के अनुभव के साथ आपका दुख घटाना बाँटना  और सही जानकारी देना।

Friday, December 20, 2013

यदि शिक्षा से भविष्य सुधरता है तो अशिक्षा से भविष्य बिगड़ता भी है !

क्या आप भी लेना पसंद करेंगे अशिक्षा मिटाने का महान व्रत ? 

हमारा  विनम्र निवेदन आपसे भी -

       अधिकांश एम.सी.डी. व  सरकारी प्राथमिक स्कूलों में प्रातः आठ से साढ़े आठ  बजे के बीच शिक्षक लोग स्कूल पहुँचते हैं, नौ से सवा नौ  बजे तक वो एक दूसरे के हाल चाल लेते हैं इसके बाद लंच हो जाता है जो साढ़े दस बजे तक चलता है, इसके बाद सप्ताह में कम से कम एक एक दिन एक एक शिक्षक बीमार होता ही रहता है, एक शिक्षक को जरूरी काम लगा करता है ,किसी किसी को दवा लेने जरूरी जाना होता है।  एक शिक्षक के विशाल सर्कल में किसी न किसी  के साथ कोई न कोई दुर्घटना घटती रहती है, इसलिए उसे स्कूल समय में ही वहाँ देखने जाना जरूरी होता है, एक शिक्षक को स्कूली काम से जरूरी कहीं जाना पड़ा करता है, एक शिक्षक को आवश्यक मीटिंग में जाना ही होता है । किसी किसी को अपने बच्चे के बर्थ डे  की तैयारी करनी होती है, किसी के यहाँ गेस्ट आ रहे होते हैं ऐसी सभी समस्याओं के बीच अभिभावकों को पहले से ही कहा गया होता है कि छुट्टी के पाँच मिनट बाद भी आपके बच्चे की हमारी कोई जिम्मेदारी नहीं होगी इस वाक्य से भयभीत बिचारे अभिभावक अपने बच्चे को लेने के लिए छुट्टी से आधा एक घंटा पहले ही स्कूल आने लगते हैं और ले जाने लगते हैं अपने अपने बच्चे! इस प्रकार से एम.सी.डी. व  सरकारी स्कूलों में छुट्टी होने से पहले ही हो जाती है  छुट्टी !  

       एम.सी.डी. वा सरकारी स्कूलों में जिन बच्चों को पढ़ाने के नाम पर चालीस पचास हजार सैलरी लेने वाले एम.सी.डी. व  सरकारी स्कूलों  के शिक्षकों से लेकर मोटी मोटी सैलरी लेने वाले अधिकारी तक अपने बच्चों को उन प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाने में गर्व करते हैं जहाँ दस पाँच हजार रूपए महीने की सैलरी लेने वाले प्राइवेट स्कूलों वाले शिक्षक पढ़ा रहे होते हैं  कितना आश्चर्य है !

     पढ़ाई के नाम पर बहुत सारी योजनाएँ बनती बिलीन होती रहती हैं विज्ञापनों पर खूब खर्च किया जाता है, शिक्षा के लिए बड़े बड़े उत्सव धूम धाम से मनाए जाते हैं, शिक्षा की तरक्की के  नाम पर  झूठ बोलवाने वा  झूठे झूठे सपने दिखाने  के लिए अच्छे अच्छे कपड़े पहना पहना कर अच्छे अच्छे लोग बोलाए जाते हैं, उनके साथ चिपक चिपक कर चित्र खिंचा खिंचा कर आफिस में लगाए लटकाए जाते हैं ! स्कूल की दीवारों पर स्वास्थ्य रक्षक प्रेरणा देने वाले वाक्य लिखे या लिखवाए गए होते हैं किन्तु जिन बच्चों के भविष्य सुधारने के लिए ये सब किया जा रहा होता है बेचारे उन बच्चों को पता तक  नहीं होता है कि उनके भविष्य को सुधारने के लिए ये सब किया जा रहा है उन्हें आभाष ही नहीं कराया जाता है कि उनकी चिंता भी किसी को है ! एम.सी.डी. व  सरकारी स्कूलों का सम्मान समाज में आज इतना अधिक गिर चुका है कि जो माता पिता अपने बच्चों को यहाँ पढ़ाते हैं वे इतनी हीन भावना से ग्रस्त होते हैं कि उनमें इतनी हिम्मत कहाँ होती है कि वो अपने बच्चे के शिक्षक से बात कर सकें ?वो और दस बातें सुना देंगे ! जब ये स्थिति राष्ट्रीय राजधानी  की है तो सारे देश के दूर दराज क्षेत्रों का हाल क्या होगा!

       यदि ऐसी शिक्षा व्यवस्था को सुधारने में आप भी कोई जिम्मेदारी निभा सकते हैं तो अवश्य निभाइए यह सबसे पवित्र कार्य होगा क्योंकि बच्चे देश का भविष्य होते हैं देश का भविष्य बिगड़ने मत दीजिए।  गरीब लोग एक बार भोजन कर के रह लेंगे पुराने धुराने आधे अधूरे कपड़े  पहन कर रह लेंगे अपने बच्चे रख लेंगे और समाज की उपेक्षा अपमान सह लेंगे किन्तु एक आशा पर कि उनके बच्चों का भविष्य सुधर जाएगा कभी तो हो पाएँगे इस समाज में सम्मान पूर्वक सर उठाकर चलने लायक !

       अरे!  सम्माननीय शिक्षकों ,अधिकारियों, काँग्रेसियों,भाजपाइयों सहित सभी पार्टियों के नेताओं,सभी अखवारों टी. वी.चैनलों के सम्माननीय पत्रकार बंधुओं समेत इस विश्व गुरु भारत के सभी प्रबुद्ध नागरिकों आप सबसे प्रार्थना है याचना है कि बचा लीजिए गरीबों के बच्चों का भविष्य ! ये वर्त्तमान समाज पर आपका बहुत बड़ा उपकार होगा!

      बलात्कार भ्रष्टाचार आदि अपराधों पर नियंत्रण  करने के लिए बहुत आवश्यक है कि सुधरें शिक्षा और संस्कार !सरकार के साथ साथ शिक्षा सुधार हम सबका भी कर्तव्य है ।अतः  आप सबसे भी  प्रार्थना है कि अपने अत्यंत व्यस्त समय में से थोड़ा  सा समय निकालकर एक बार जरूर देख लिया कीजिए कि आपके पड़ोस के स्कूल पढ़ाई में लापरवाही तो नहीं हो रही है इतनी जिम्मेदारी आप भी निभाइए !अन्यथा -

"जो तटस्थ हैं  समय लिखेगा उनका भी इतिहास"

                                                                                                    निवेदक -
              डॉ.शेष नारायण वाजपेयी 
  संस्थापक -राजेश्वरी प्राच्य विद्या शोध संस्थान

भाजपा के मुखिया श्री अडवाणी जी ही हैं या कोई और ?

     भाजपा को छोड़कर हर पार्टी में एक स्थिर मुखिया है ऐसा भाजपा में क्यों नहीं हो सकता ?आखिर लोग किसको देखकर दें वोट ?

     यदि वास्तव में भाजपा के मुखिया श्री अडवाणी जी ही हैं  यदि इस बात से भाजपा के लोग भी सहमत हैं तो तो ऐसी दुर्घटनाएँ घट क्यों रहीं आखिर ये बात अडवाणी जी को तो पता होगी ही फिर रूठने मनाने का प्रश्न कहाँ से आ गया है क्यों पड़ा रहा दिन भर पच पच तब निकल कर क्यों नहीं दिया गया ऐसा कोई बयान  जिससे श्री आडवाणी जी के रूठने सम्बन्धी चर्चाओं पर लगाई जा पाती लगाम !दिन भर भद्द पिटवाने के बाद निकली भाजपा और मुस्कुराते हुए कहने लगी कि अडवाणी जी हमारे सर्व मान्य नेता हैं वो जहाँ से चाहें वहाँ से चुनाव लड़ें !इन बातों से ऐसा आदर टपक रहा था जैसे कुछ हुआ ही न हो चौबीस घंटे से मीडिया की खबरों एवं विपक्ष के हमलों से हैरान कार्यकर्त्ता निस्तब्ध था उसे कुछ कहते नहीं बन रहा था चुनावों के समय जहाँ एक एक सेकेण्ड की कीमत होती है वहाँ चौबीस घंटे तक भाजपा की प्रचार ऊर्जा ब्लॉक बनी रही बिरोधियों हमले होते रहे कार्यकर्ता अपने नेताओं के मुख ताकते रहे किन्तु कोई कुछ कहने को तैयार नहीं था ऐसे समय क्या बीतती है कार्यकर्ताओं पर ये वो ही जानते है जिन्होंने इस देश को कभी झेल होगा !  इस चुनावी समय में पक्ष और बिपक्ष में आने वाले बयान के प्रत्येक शब्द ही नहीं प्रत्युत उसे बोलते समय उठी भाव भंगिमाओं के भी अर्थ निकाले जाते हैं उस समय भाजपा अपनी भद्द खुद पीट रही है !बड़े नेताओं की बगावत होने का सीधा सा मतलब है कि पार्टी में अहंकारी प्रवृत्तियों का बर्चस्व बढ़ रहा है ! 

    इस विषय को तूल देने में आप मीडिया को जिम्मेदार ठहरा सकते हैं किन्तु क्या कहेंगे उस तर्जना को जो मुंबई से एक सहयोगी दल ने व्यक्त की है क्या विपक्ष की नेत्री की वेदना को भी यूँ ही उड़ा दिया जाना चाहिए और मान लिया जाना चाहिए कि वहाँ कुछ हुआ ही नहीं था !आखिर भाजपा के जिस निर्णय में अडवाणी जी जोशी जी विपक्ष की नेत्री सुषमा जी जसवंत जी सम्मिलित न हों वो निर्णय ले कौन रहा है!क्या भाजपा के भी सारे निर्णय काँग्रेस की तरह किसी एक परिवार के ही अधीन होकर रह गए हैं !भाजपा जैसी संस्कारों की दुहाई देने वाली पार्टी में बरिष्ठ नेताओं की बगावत !आश्चर्य !!छोटे नेताओं में होती तो एक बार चल भी  जाती यही दिल्ली के चुनावों हुआ था जिसके दुष्परिणाम बहुमत न मिलने के रूप में सामने आए इन्हीं सब कारणों से केंद्र में भी कुछ ऐसे ही आसार बनने लगे हैं !कितना सुधार हो पाएगा कह पाना कठिन है !  भाजपा कहते ही श्री अटल जी श्री अडवाणी जी का चित्र मानस पटल पर सहज ही उभर आता  है माना जा सकता है कि आज अटल जी का स्वास्थ्य अनुकूल नहीं है किन्तु ईश्वर कृपा से श्री अडवाणी जी भाजपा की द्वितीय पंक्ति के नेताओं की अपेक्षा कम सक्रिय नहीं हैं उन्होंने  भाजपा को आगे बढ़ाने के लिए श्रम भी कम नहीं किया है फिर भी यदि उन्हें उनके पदों या प्राप्त प्रतिष्ठा  से हिलाया जाएगा तो भाजपा की पहचान किसके बल पर बनेगी ?वैसे भी घरों की तरह ही दलों में भी क्रमिक उत्तराधिकार की व्यवस्था है अच्छा होता कि उसका क्रमिक अनुपालन होता रहता किन्तु मीडिया तक पहुँचने से अच्छा नहीं रहा !खैर ,जो भी हो किन्तु भाजपा के हाईकमान में ऐसे कितने सदस्य हैं जिनका निजी व्यक्तित्व जनाकर्षक हो !जबकि राजनैतिक दलों का विकास ही जनाकर्षण से जुड़ा होता है ऐसी परिस्थिति में लोका- कर्षक नेताओं का  यदि वजूद बरकार नहीं रखा जाएगा तो संगठन चलेगा किसके बल पर ?जिसमें माननीय अडवाणी जी तो निष्कलंक ,सदाचारी एवं स्पष्ट वक्ता हैं उन्हें अपनी कही हुई बातों की सफाई नहीं देनी पड़ती है उन्हें यह नहीं कहना पड़ता है कि हमारी बात को मीडिया ने गलत छाप दिया होगा वैसे भी वो अप्रमाणित बात नहीं बोलते शिथिल बात नहीं बोलते हैं सम्भवतः ऐसी ही तमाम उनकी अच्छाइयों के कारण उनका सामजिक राजनैतिक आदि गौरव सुरक्षित बना हुआ है कुछ दलों के कुछ छिछोरे नेताओं को छोड़कर बाकी लोग आज भी उनका नाम बड़े सम्मान पूर्वक ढंग से लेते वैसे भी यदि हैम अटल जी का सम्मान करते हैं तो हमें यह भी याद रखना चाहिए कि अटल जी भी उनसे स्नेह करते हैं इसलिए उनकी लोकप्रिय अच्छाइयाँ स्पष्ट हैं न जाने क्यों उनका गौरव सुरक्षित रखने में जाने अनजाने बाहर की अपेक्षा अंदर से इस उम्र में उतना गम्भीर सहयोग नहीं मिल पा रहा है जितना मिलना चाहिए !

      भाजपा एवं उसके सिद्धांतों को अभी तक गालियाँ देने वाले दूसरी पार्टी के तीतर बटेरों का तो इतना अधिक महत्त्व है कि उन्हें बैठने के लिए चाहें धोती भी बिछा देनी पड़े तो बिछा दी जाए किन्तु पार्टी अपनों को मनाने में क्यों नहीं सफल हो पा रही है।


        भाजपा के वर्त्तमान केंद्रीय हाईकमान में शीर्ष पदों पर रह चुके लोग अपने गृह प्रदेश में इतने विश्वसनीय और लोकप्रिय नहीं हो सके कि अपने बल पर वहाँ पार्टी को चुनाव जीता सकें आखिर क्यों वहाँ भी मोदी जी का ही सहारा है आखिर उन्होंने उन प्रदेशों में वरिष्ठ पदों पर रहकर किया क्या है यदि मोदी जी ने अपना प्रदेश भी सम्भाला है और दूसरे प्रदेशों में भी अपनी लोकप्रियता बधाई है तो ऐसे ही कद्दावर पदों पर रह चुके अन्य लोगों ने ऐसा क्यों नहीं किया या कर नहीं पाए और यदि कर नहीं पाए तो हाई कमान किस बात के ?

  आखिर क्यों और कैसे बन जातीहै  काँग्रेस की सरकार बार बार! और क्यों देखती रह जाती है भाजपा ?

      कल मैंने किसी बड़े नेता के भाषण में  सुना कि सपा बसपा जैसी क्षेत्रीय पार्टियाँ काँग्रेस जैसी पार्टी की ही देन हैं !

       जहाँ तक काँग्रेस का हाईकमान तो विश्व विदित है । इस प्रकार से जनता हर पार्टी की हाईकमान एवं उसकी स्वाभाविक स्थिरता और विचारधारा पर भरोसा करके  उसका साथ देती है कि ये हारे चाहें जीते किन्तु ये समय कुसमय में हमारा साथ देगा!

    जैसे - मुलायम सिंह जी सपा में कभी भी कोई भी निर्णय ले सकते हैं वे स्वतंत्र हाईकमान हैं ,इसी प्रकार बसपा में मायावती,नीतीशकुमार जी जद यू में,लालू प्रसाद जी जनतादल में,तृणमूल काँग्रेस में ममता बनर्जी जी ,अकाली दल में प्रकाश सिंह जी बादल ,इसी प्रकार उद्धव ठाकरे जी,राज ठाकरे जी ,ओम प्रकाश चोटाला जी ,शरद पवार जी,करुणा निधि जी , जय ललिता  जी, नवीन पटनायक जी ,चन्द्र बाबू नायडू जी आदि और भी छोटे बड़े सभी दलों के हाईकमान अपनी अपनी पार्टी में सदैव सम्माननीय  एवं प्रभावी बने रहते हैं चुनावों में उनकी हार जीत कुछ भी हो तो होती रहे किन्तु इनके सम्मान एवं अधिकारों में कटौती नहीं होती है ये स्वतन्त्र रूप से निर्णय लेने में सक्षम बने रहते हैं उन्हें ही देखकर उनके स्वभाव को समझने वाली जनता यह समझकर वोट देती है कि ये हारें या जीतें किन्तु यदि हम इनका साथ देंगे तो ये हमारे साथ भी खड़े होंगे!इसी प्रकार से पार्टी कार्यकर्ता भी अपने हाईकमान को पहचानने लगते हैं कि ये जैसा कहेंगे इस पार्टी में रहने के लिए  हमें वैसा ही करना होगा किन्तु जिन पार्टियों में हाईकमान गुप्त है वहाँ कार्यकर्ता भी चुप रहता है और समर्थक तो चुप ही रहते  हैं। 

       भाजपा में ऐसा नहीं है यहाँ कब कौन किसका कब तक हाईकमान रहेगा फिर कब कौन किस कारण से कहाँ से हटाकर कहाँ फिट कर दिया जाएगा ये सब काम कौन क्यों कहाँ से किसकी प्रेरणा से कर रहा है या किसी अज्ञात शक्ति की प्रेरणा से होता रहता है आम जनता इसे जानने की हमेंशा इच्छुक रहती है किन्तु किसी को कुछ बताने कि जरूरत ही नहीं समझी  जाती है इतनी बड़ी राष्ट्रीय पार्टी में कब क्या उथल पुथल चल रहा होता है जनता में से किसी को कुछ पता नहीं होता है।यहाँ तक कि बड़े बड़े कार्यकर्त्ता तक अखवार पढ़ पढ़ कर समाज को समझा रहे होते हैं कि अंदर क्या कुछ चल रहा है ,जैसे आम परिवारों में माता पिता की लड़ाई में बच्चों की  स्थिति होती है न माता की बुराई कर सकते हैं और न ही  पिता की न सच्चाई ही किसी को बता सकते हैं केवल मौन रहना ही उचित समझते हैं ये स्थति भाजपा के आम कार्य कर्ता की होती है जब हाईकमान हिलता है ।

      मैं इस तर्क से सहमत नहीं हूँ क्योंकि जब ये बात में सोचता हूँ तो एक सच्चाई सामने आती है कि काँग्रेस हमेशा से गलतियाँ करती रही है पहले जब भाजपा का हाईकमान हिलता नहीं था अर्थात हिमालय की तरह सुस्थिर था तब तक काँग्रेस का विरोध करने की क्षमता भाजपा में थी इसीलिए भाजपा आगे बढती चली गई !

     किन्तु जब सर्व सम्मानित अटल जी  एवं अडवाणी जी को संन्यास लेने की सलाहें अंदर से ही आने लगीं। इस पर उस समाज को भयंकर ठेस लगी जिसके मन में भाजपा का नाम आते ही अटल जी  एवं अडवाणी जी सहसा कौंध जाया करते थे उसने सोचना शुरू किया कि यदि ये नहीं तो कौन?जनता को इसका उचित उपयुक्त एवं सुस्थिर जवाब अभी तक नहीं मिल सका है क्योंकि बार बार बनने बिगड़ने बदलने वाला निष्प्रभावी हाईकमान जनता को अभी तक मजबूत सन्देश देने में सफल नहीं हो सका है जो पार्टी में हार्दिक रूप से सर्वमान्य हो !

           भारत वर्ष में एक ऐसी भी बड़ी पार्टी है जिसका हाईकमान सरस्वती नदी की तरह अदृश्य रहता है आखिर क्यों ? इसकी  कीमत देश की जनता को बार बार चुकानी पड़ती है।इस पार्टी की कई वर्षों तक सरकार चलने के बाद भी भगवान् श्री राम के कार्य को भूल जाने के कारण लगता है कि उस पार्टी को शाप लगा है कि इसका हाइकमान  हमेशा चलता फिरता रहेगा !

         भाजपा के इस ऊहा पोह के दिशाभ्रम से बल मिलता है क्षेत्रीय पार्टियों को !ये  केंद्र सरकार के विरुद्ध उठे जनाक्रोश को काँग्रेस का विरोध करके पहले कैस करती हैं और फिर काँग्रेस को ही बेच लेती हैं इस प्रकार से फिर से बन जाती है काँग्रेस की सरकार !भाजपा काँग्रेस को कोसती  रह जाती है!