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Friday, November 28, 2014

          क्या आप भी मिटाना चाहते हैं अंध विश्वास ! यदि हाँ तो कीजिए ज्योतिष जन जागरण का पुनीत कार्य !
  ज्योतिष अत्यंत कठिन विज्ञान है इसीलिए ज्योतिष को सब्जेक्ट रूप में पढ़ाने के लिए बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी जैसे बड़े विश्व विद्यालयों ने M.A., Ph.D. आदि ज्योतिष में करने की व्यवस्था की गई है फिर भी जो लोग अध्ययन हेतु  वर्षों तक कठोर परिश्रम  नहीं करना चाहते ऐसे लोग बिना पढ़े लिखे ही ज्योतिष के नाम पर झूठे दावे किया करते हैं ऐसे अंध विश्वास फैलाने वाले लोगों से बचकर ज्योतिष विद्वानों की भी ज्योतिष डिग्रियाँ देखकर तब कीजिए उनपर विश्वास !






 भविष्य विज्ञान - भविष्य में आने वाले  अच्छे बुरे समय को जानने के लिए ज्योतिषशास्त्र  को छोड़कर और कोई विद्या नहीं है !



क्या आप भी मिटाना चाहते हैं अंध विश्वास ! यदि हाँ तो कीजिए ज्योतिष जन जागरण का पुनीत कार्य !
  ज्योतिष अत्यंत कठिन विज्ञान है इसीलिए ज्योतिष को सब्जेक्ट रूप में पढ़ाने के लिए बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी जैसे बड़े विश्व विद्यालयों ने M.A., Ph.D. आदि ज्योतिष में करने की व्यवस्था की गई है फिर भी जो लोग अध्ययन हेतु  वर्षों तक कठोर परिश्रम  नहीं करना चाहते ऐसे लोग बिना पढ़े लिखे ही ज्योतिष के नाम पर झूठे दावे किया करते हैं ऐसे अंध विश्वास फैलाने वाले लोगों से बचकर ज्योतिष विद्वानों की भी ज्योतिष डिग्रियाँ देखकर तब कीजिए उनपर विश्वास !और  देखिए यह लिंक - -http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/p/blog-page_10.html
  

   पाखंड मुक्त ज्योतिष  जन जागरण हेतु एवं सभीप्रकार के अंध विश्वास को मिटाने में आप भी सहभागी बनें !
    बंधुओ ! बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी जैसे बड़े विश्व विद्यालयों में ज्योतिष को सब्जेक्ट रूप में पढ़ा कर M.A., Ph.D. आदि  शिक्षा की व्यवस्था मेडिकल की शिक्षा की तरह ही है !इसलिए डॉक्टरों की तरह ही ज्योतिषियों की योग्यता का  परीक्षण भी ज्योतिष सब्जेक्ट में ली गई उनकी डिग्रियों को चेक करके  करें !ऐसा करते समय डिग्री और डिप्लोमा के अंतर एवं विश्वविद्यालय  की प्रामाणिकता  पर अवश्य ध्यान दें !ऐसा न करने का अर्थ है कि आप अंध विश्वास को बढ़ा रहे हैं इसलिए आप स्वयं जागरूक बनें ताकि आपको कोई मिस गाइड न कर सके see more....http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/p/blog-page_10.html    
!जिससे बचना चाहिए !

बंधुओ ! ज्योतिष एवं धर्म के क्षेत्र में व्याप्त  अंध विश्वास को मिटाने में यदि आप भी सहयोग करना चाहते हैं तो टेलीवीजनीय या मीडियायी ज्योतिषियों के केवल झूठे दावों पर ही विश्वास न करें  अपितु  उनके द्वारा बताई गई बातों के शास्त्रीय प्रमाण उन्हीं से पूछें और डॉक्टरों की तरह ही कीजिए उनकी योग्यता का भी परीक्षण !यदि आप उनकी शास्त्रीय योग्यता से संतुष्ट हैं तब कीजिए अपने भविष्य जानने की बात !देखिए यह लिंक - -http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/p/blog-page_10.html 
 आदि ज्योतिष में करने की व्यवस्था की गई है फिर भी जो लोग अध्ययन हेतु  वर्षों तक कठोर परिश्रम  नहीं करना चाहते ऐसे लोग बिना पढ़े लिखे ही ज्योतिष के नाम पर झूठे दावे किया करते हैं ऐसे अंध विश्वास फैलाने वाले लोगों से बचकर ज्योतिष विद्वानों की भी ज्योतिष डिग्रियाँ देखकर तब कीजिए उनपर विश्वास !और  देखिए यह लिंक - -http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/p/blog-page_10.html

                                   भागवत भ्रष्ट लोगों ने बढ़ाया धार्मिक एवं सामाजिक भ्रष्टाचार ! 
          भागवत कथा कहने वाले लोग पहले  भागवत कथाएँ कहकर आत्म रंजन किया करते थे तो फिल्मों से जुड़े लोग नाच गाकर समाज का मनोरंजन कर लिया करते थे तब तक सब कुछ ठीक चल रहा था ,किंतु आध्यात्मिक ज्ञान विज्ञान रूपी भागवत कथा के परं पवित्र क्षेत्र में अचानक कुछ अकर्मण्य एवं आलसी लोगों की दृष्टि पड़ी उन्होंने इस सुशांत क्षेत्र को भी नहीं बक्सा और जगह जगह भागवत कथाओं के बड़े बड़े बैनर लगा लगाकर नाचने कूदने लगे भागवत के सुशांत मंचों पर ये भागवती मल्ल ! इस प्रकार भागवत में ऐसी भगदड़ हुई कि भागवत कथाओं में नचैया गवैया लोगों के समूह तेजी कूदने लगे ! इस प्रकार से कथाओं की कमान किन्नरों के हाथ में पहुँचते ही फिल्मों से जुड़े लोग बेरोजगार होने लगे क्योंकि मनोरंजन वाला उनका काम भागवत वीरों ने छीन लिया था तो उन्होंने एक नया तरीका खोज निकाला  और फिल्मों में बोल्ड सीन, सुपर बोल्ड सीन ,सेक्सी सीन आदि जितने नंगपन के खेल थे जिन्हें गाँव वाले तक फूहड़ मानते थे वे सब फिल्मों के नाम पर  खुले तौर पर खेले जाने लगे !धीरे धीरे फिल्मों का स्वरूप बदलने लगा और फिल्मों से कला गायब होने लगी मांसल सौंदर्य के साथ साथ मल मूत्र मार्गों को छिपा छिपा कर दिखाने का महत्त्व बढ़ने लगा !






















Wednesday, November 5, 2014

राजनैतिक पार्टियाँ हों या सरकारें पार्टटाइम में नहीं चलाई जा सकतीं !

               राजनीति में ठेकेदारी बंद होनी चाहिए !
      सरकारों में सम्मिलित लोग सरकार चलावें और पार्टियों में सम्मिलित लोग चलावें पार्टियाँ और लड़ें  चुनाव!जो लोग मंत्री, मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री आदि बनकर समाज सेवा करने की शपथ ले लेते हैं उन्हें अपनी शपथ के पालन में प्राण प्रण से जुटना चाहिए न कि चुनाव लड़ने लड़ाने में ! ऐसे तो उन लोगों को पाँच वर्ष बीत जाते हैं पार्टी के अंदर ही रुतबा ज़माने में अब समाज और सरकार का काम कौन देखे ! पार्टी के अंदर के अन्य लोगों को भी अवसर मिले और उन्हें भी अपनी अपनी जिम्मेदारियों का एहसास हो !
   लोक तांत्रिक की दृष्टि से मंत्री, मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री जैसे इन पवित्र पदों की गरिमा पवित्र ही रहने देनी चाहिए क्योंकि कोई भी मंत्री, मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री आदि केवल किसी पार्टी का न होकर अपितु सम्पूर्ण प्रदेश या देश का होता है इसलिए  उसके   स्वाभिमान पूरे प्रदेश और सम्पूर्ण देश का स्वाभिमान जुड़ा होता है जिसे सुरक्षित रखना हर किसी का नैतिक कर्तव्य है !अन्यथा चुनावी राजनैतिक रैलियों में प्रधानमंत्री जिस प्रदेश में भाषण करने जाएँगे उस प्रदेश की सरकार यदि विरोधी पार्टी की है तो उन्हें मुख्यमंत्री की आलोचना करनी ही पड़ेगी जिसके जवाब में वहाँ के मुख्यमंत्री को भी अपने प्रधानमंत्री की आलोचना करनी पड़ेगी ऐसी आलोचनाओं का स्तर अपने यहाँ कितना गिर चुका है इसका अंदाजा इसी से लगाया जाना चाहिए कि पिछले चुनावों में एक पार्टी के प्रधानमंत्री प्रत्याशी को कुत्ता और गधा जैसे कुशब्द  सार्वजनिक मंचों से बड़े नेताओं के द्वारा बोले  गए  जो मीडिया में सुर्खियाँ बनता रहा टेलीवीजन की बहसों में सम्मिलित किया गया क्या ये सब बातें विदेशों के लोगों ने सुनी पढ़ी नहीं होंगी इसके बाद भी हमारे प्रधानमंत्री का सम्मान यदि वो लोग करते हैं तो ये उनकी महानता  है दूसरी बात हमारे पुराने नेताओं के द्वारा किए गए मर्यादित आचरणों के प्रति उनका सम्मान है जिसे आज भी बरकरार रखा जाना चाहिए ।आजकल बारहो महीने चुनाव होते हैं बारहो महीने होती है राजनीति और बनती रणनीति !आज चुनावी राजनीति के कारण हर कोई झूठ बोल रहा है आश्वासन दे रहा है सफाई दे रहा है इससे समाज का वातावरण ही बिगड़ता जा रहा है । नेताओं की देखा देखी कोई बात कहकर मुकर जाना अब आम बात होती जा रही है। 
      हर कोई किसी को अपने चक्रव्यूह में फाँसने के लिए झूठ बोलता है बाद में मुकर जाता है अपना स्वार्थ साधने के लिए आश्वासन देता है बाद में मजबूरियाँ गिनाने लगता है कोई किसी को कितनी भी गहरी चोट देता है और बाद में सॉरी बोलकर निकल जाता है !ऐसे  राजनैतिक वातावरण ने समाज को कितना संवेदना शून्य बना दिया है !इसका कुछ उपाय तो  खोजा  जाना चाहिए और देश के सभी चुनाव एक साथ कराने की पद्धति पर विचार किया जाना चाहिए जिससे पाँच वर्षों में एक बार होली दीपावली के त्यौहार की तरह चुनावी त्यौहार भी हो जाए इसके बाद फुरसत में मीडिया से लेकर सभी राजनैतिक दल एवं सत्तासीन दल और लोग देश एवं समाज के लिए भी कुछ सोचें और कुछ करें भी । ऐसे देश देश में हमेंशा चुनावी वातावरण ही बना रहता है अपना अपना काम छोड़ कर हर कोई चुनावी चिंतन चर्चा जोड़ तोड़ आदि में बेमतलब में ब्यस्त रहता है ये चुनाव के लिए अच्छा हो सकता है किन्तु इसका दुष्प्रभाव आम जनता के बात व्यवहार में घुसकर परिवारों एवं समाज के मधुर संबंधों को जहरीला बनाता जा रहा है ।