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Tuesday, March 28, 2017

शिक्षा व्यवस्था के साथ गद्दारी करने वालों को सैलरी दी जाती है देशवासियों के खून पसीने की कमाई से !

       नक़ल करवाने में लगी है जो सरकारी मशीनरी   उन पर भी सैलरी उड़ेल रही है सरकार बारी उदारता !एक ओर गरीबों ग्रामीणों मजदूरों किसानों का संघर्ष पूर्ण मुसीबतों भरा जीवन तो दूसरी ओर शिक्षा व्यवस्था के  साथ गद्दारी करने वाले नक़ल करवाने वालों का सुख सुविधापूर्ण जीवन ! सच कहें तो शिक्षा कर्म से जुड़े अधिकारियों कर्मचारियों की घिनौनी करतूतें देखकर अब तो शिक्षा व्यवस्था से ही घृणा होने लगी है अब तो किसी को बताने में भी शर्म  लगने लगी है कि मैंने भी चार विषय से MA किया है !आप स्वयं देखिए -see more.... http://aajtak.intoday.in/karyakram/video/special-report-24th-march-over-ayodhya-and-ram-mandir-1-919535.html

    नक़ल रोकने के लिए जिम्मेदार लोगों ने पूरी ताकत झोंक रखी है नक़ल करवाने में !बारे सरकारी काम काज की शैली !इतनी गद्दारी करते हैं सरकार के अपने लोग इसके बाद भी सरकार उन्हें देती है सैलरी ये सरकार के हिम्मत की बात है किंतु सैलरी जनता की कमाई से देनी होती है इसमें सरकारों का मोह कैसा !
        काम करने के नाम पर गद्दारी करने की सैलरी उठा रहे हैं बहुत लोग !सरकार ख़ुशी ख़ुशी देती जा रही है उन्हें भारी भरकम सैलरी !जितनी सैलरी में आम मार्केट में तीन से चार शिक्षक मिल जाएँ वो भी पढ़े लिखे परिश्रम करने वाले ईमानदार लोग किंतु उतनी सैलरी सरकार अपने एक एक शिक्षक को देती है फिर भी वे लोग यदि शिक्षा व्यवस्था के साथ गद्दारी कामचोरी मक्कारी बेईमानी आदि करने लगें तो दोष सरकार का नहीं तो किसका है !
      सरकारी कर्मचारियों से काम लेना जब सरकार के बश का है ही नहीं और न ले पा रही है फिर उन्हें क्यों दे रही है सैलरी और जनता से क्यों लेती है टैक्स !भ्रष्टाचार मुक्त ईमानदार सेवाएँ उपलब्ध करवाना सरकार की जिम्मेदारी है !इसमें सरकारी कर्मचारी यदि सरकार का साथ नहीं देते हैं तो ये समस्या सरकार के अपने परिवार की है किन्तु सरकार यदि जनता से टैक्स लेती है तो सरकार की सेवाओं के प्रति दिनोंदिन मरते जा रहे जनता के विश्वास को जिन्दा करना सरकार का धर्म है और स्वधर्म का पालन करे सरकार !
    शिक्षाअधिकारी प्रेंसिपल शिक्षक और पुलिस विभाग से संबंधित जो लोग गद्दारी कर रहे हैं छात्रों के भविष्य के साथ उनसे शक्तिपूर्वक निपटे सरकार !सरकारों के भ्रष्टाचार की पोल न खोल दें केवल इसलिए सैलरी लुटाई जा रही है उन्हें !सरकार आगे से आगे बढ़ाती जाती है उनकी भी सैलरी ! उन्हें भी न केवल सारी सुविधाएँ दी जाती हैं अपितु छींकने खाँसने नहाने धोने आदि हर काम की छुट्टी भी देती है सरकार !
    इसमें सरकार के पिता जी का जाता क्या है सैलरी तो जनता की जेब से जाती है वाहा वाही सरकार की होती है छुट्टियों पर छुट्टियाँ घोषित करना कामचोरी को प्रोत्साहित करना नहीं तो क्या है ?
     इन्हें सैलरी नक़ल कराने के लिए दी जाती है क्या ?
      शिक्षक ,प्रेंसिपल और शिक्षाअधिकारी हों या पुलिस विभाग !बच्चों के भविष्य के साथ गद्दारी कर रही है भ्रष्ट सरकारी मशीनरी ! ऐसे लोगों को भी सरकार न केवल सैलरी आदि सारी सुविधाएँ देती जा रही है अपितु इन भ्रष्टाचारियों की भी सैलरी बढ़ाती जा रही है!ये सैलरी देश वासियों के खून पसीने की गाढ़ी कमाई से प्राप्त टैक्स से देती है सरकार !ये नहीं भूला जाना चाहिए । 
        गरीबों ग्रामीणों मजदूरों किसानों की ओर देखो दिन रात शर्दी गर्मी हमेंशा कर्तव्य पालन में लगे रहते हैं कितना संघर्ष पूर्ण मुसीबत की जिंदगी जीते हैं वे लोग !इनमें बहुत बड़ा वर्ग अच्छे खासे पढ़े लिखे लोगों का है जिनके पास घूस देने के पैसे नहीं थे सोर्स लगाने के लिए दलाल नहीं थे इसलिए उनकी सरकारी नौकरी नहीं लग पाई वे भी बेचारे पढ़े लिखे होनहार लोग आज मेहनत मजदूरी करके अपना जीवन यापन करने पर मजबूर हैं !दूसरी ओर सरकारें सरकारी विभागों में बैठे गद्दारों मक्कारों कामचोरों बेईमानों को भी सैलरी बाँटे जा रही हैं जो सरकार से भारी भरकम सैलरी लेकर भी अपराधियों और शिक्षा माफियाओं का साथ देते देखे जाते हैं शिक्षा से जुड़े लोग शिक्षा विभाग चौपट करने पर लगे हुए हैं चिकित्सा से जुड़े लोग चिकित्सा विभाग चौपट कर रहे हैं किंतु इन विभागों से जुड़े अधिकारियों के चेहरों पर जिम्मेदारियों का जरा सा एहसास नहीं दिखाई देता है और न ही उनकी कोई भूमिका ही समझ में आती है सरकारी विभागों में एक एकांत कमरा रूपी कोप भवन बना दिया जाता है जहाँ वातानुकीलित वातावरण में समय पास किया करता है भूमिका विहीन ये वर्ग !
      किसान भी अपने खेतों की ओर चक्कर मारने जाते हैं किंतु अधिकारी आफिसों में आराम करते हैं उन्हें उनके विभाग की लापरवाहियाँ मीडिया वाले बताते हैं तब वो बड़े आराम से कह रहे होते हैं मैंने जाँच के आदेश दे दिए हैं रिपोर्ट मँगवाई है दोषियों पर कठोर कार्यवाही होगी किंतु सोचने वाली बात है कि जिनका अधिकारी इतना आलसी हो उसके कर्मचारी कितने सक्रिय और ईमानदार होंगे कल्पना की जा सकती है ! जाँच करने वालों में भी सम्मिलित लोग वे ही होते हैं जो वहाँ उन शिक्षा माफियाओं की मदद कर रहे होते हैं ऐसी परिस्थिति में रिपोर्टें बिलकुल ओके आती हैं न कोई अपराध और न कोई अपराधी !कैमरे झूठ वीडियो गलत !सबजगह रामराज्य !
    खेती के मामलों में भ्रष्टाचार करने वाले लेखपाल से ही उसी से संबंधित भ्रष्टाचार के मामले की मँगवाई जाती है जाँच रिपोर्ट !सरकार के हर विभाग का यही हाल है !सरकारी विभागों का शोषितों पीड़ितों के साथ जाँच नाम का ये इतना भद्दा मजाक है जैसा छोटे छोटे बच्चे अपनी हँसी मजाक के खेलों में भी नहीं खेलते हैं ।इसीलिए सरकारी कामकाज की शैली से उठता जा रहा है जनता का विश्वास ! 
          शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े ईमानदार लोगों का सर शर्म से झुक जाता होगा जब वे देखते होंगे नक़ल करवाने वाले शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े लोगों की ऐसी कुकार्यशैली उनकी पीड़ा का एहसास हमें है उनसे क्षमा याचना के साथ मुझे कठोर शब्दों का प्रयोग करना पड़ रहा है !




Monday, March 27, 2017

भष्टाचार का पैसा ऊपर तक जाता है ! सरकार कहती है कि घट गया है भ्रष्टाचार !बारी सरकार !!

     भ्रष्टाचार का पैसा जब अपने को भी मिलने लगता है तब तो सरकारों में सम्मिलित नेता लोग भी कहने लगते हैं कि अब कहाँ है भ्रष्टाचार !किंतु जब तक अपने को नहीं मिलता था और दूसरे खाए जा रहे होते हैं तब तक भ्रष्टाचार का नाम ले लेकर मचाते रहते हैं ईमानदारी का हाहाकार !उन्हें देखकर लगता है कि इन भर कोई ईमानदार नहीं है !अपनी और अपने लोगों की इन्हीं कमजोरियों के कारण आज भ्रष्टाचार पर कार्यवाही करना तो दूर कम्प्लेन का जवाब देना तक जरूरी नहीं समझती है सरकार !उसे पता होता है कि इसमें अपने लोग ही फँसेंगे !   
घूसलेने का नशा -    
     घूसलेने की इच्छा सबसे भयंकर नशा है घूस खोरी से जब तक जो दूर रहता है तभी तक उसे ये बुरी लगती है किंतु जो लेने लगता है वो तो लती हो जाता है उसके तो हाथ ही नहीं चलते हैं बिना घूस लिए !
      EDMC में भ्रष्टाचार के कारण ही बिना सैलरी लिए भी अपनी सेवाएँ देने को तैयार बैठे हैं बहुत से लोग !एक बार विज्ञापन देकर तो देखे सरकार !बारे भ्रष्टाचार !!
    लोग तैयार भी क्यों न हों आखिर निगमों में काली कमाई की तो रौनक सी लगी ही रहती है निगम वालों के काले कारनामों के कारण  ही अक्सर  घाटे में ही चला करते हैं निगम !निगमों के अधिकारी कर्मचारी लोग पहले तो बहुत सारे कामों को अवैध घोषित कर देते हैं इससे उन कामों का पैसा लेने का निगम का हक़ ही ख़त्म हो जाता है किंतु अपने कहे हुए अवैध कार्यों को करने से ये मना किसी को नहीं करते अपितु उन अपने घोषित किए हुए अवैध कार्यों के बदले अवैध काम करने वालों से करते रहते हैं वसूली और आपस में छोटे से लेकर बड़े तक मिल बाँटकर खा जाते हैं धन और निगम को दिखा देते हैं ठेंगा !ऊपर से कहते हैं निगम घाटे में चल रहा है । अरे !किसी खेत को जब मेड़ ही खाने लगे तो उसका भला भगवान् भी नहीं कर सकते हैं । 
     नियमानुसार तो अवैध काम रोके जाने चाहिए और वैध काम होने देने चाहिए यही निगम कर्मचारियों का कर्तव्य माना जाता है और संभवतः यही करने के लिए सरकार ने उनको नौकरी पर रखा है पद दे रखे हैं और सैलरी देती है और यदि वे ऐसा नहीं करते तो सरकार उन्हें ढोए क्यों जा रही है और क्यों दिए जा रही है सैलरी !किंतु इनकी काली कमाई चूँकि ऊपर तक जाती है इसलिए सरकार उनसे पूछे क्यों और किस मुख से ?ये काली कमाई का ही कमाल है !
     निगम की घूसखोरी के कारण जनता आपस में लड़ती रहती है !निगमों के अधिकारी कर्मचारी भ्रष्टाचार के कारण खुद तो कमाई करते रहते हैं और जनता को लड़ाया करते हैं !ये कानून हैं या मजाक !!
   EDMC जिस काम को अवैध घोषित कर चुकी होती है !नियमानुसार चलने वाले कुछ लोग तो EDMCकी ऐसी शाकाहारी बातों पर भरोसा कर लेते हैं जो उनकी हरकतों से परिचित नहीं हैं बाकी आजकल सभी लोग समझने लगे हैं कि EDMC का लालच नहीं होगा तो वो गलत काम होने क्यों देगी गलत कामों को रोकना उनका दायित्व है किन्तु यदि वे रोक नहीं रहे हैं तो इसमें उनका घूस प्रेम नहीं तो फिर मक्कारी कामचोरी कही जाए क्या ?  
   EDMC घूस लेकर उन्हीं लोगों के उन्हीं कार्यों को करने की अघोषित अनुमति दे देती है जो पहले अवैध घोषित कर चुकी होती है !उधर अवैध कार्यों के विरुद्ध शिकायत करने वालों की तरफ से उन्हीं अवैध काम वालों को नोटिश दे देती है और उनसे कह देती है कि तुम कोर्ट में जाकर स्टे ले लो !वो स्टे ले लेते हैं इसके बाद वो अवैध काम करने वाला व्यक्ति अवैध होते हुए भी EDMC की कृपा से चारों ओर से सुरक्षित हो जाता है। कोर्ट के स्टे  का नाम सुनते ही हर विभाग उससे डरने लगता है । 
    अब वह अवैध कार्य शिकारी की मुट्ठी में बंद चिड़िया की जिंदगी की तरह होता है वो चाहे तो मार दे या छोड़ दे उसकी मर्जी !ठीक इसी प्रकार से जेई और ल अफसरों के रहमों करम पर टिका होता है वो अवैधकाम !जब तक उनको अवैध काम करने वाले पैसे देते जाते हैं तब तक वे लोग लंबी लंबी तारीखें लेते जाते हैं और बढ़वाते जाते हैं स्टे !और जिस दिन उसने पैसे देने बंद किए उसी दिन ये निगमों के ड्रामेबाज लोग बुलडोजर वगैरह लेकर पहुँच जाते  हैं और करने लगते हैं नंगा नाच !पैसा मिलता रहे तो EDMC के अपने  नियमों के अनुशार वो अवैध काम भी वैध काम की अपेक्षा ज्यादा मजबूत हो जाता है और EDMC को ठेंगा दिखा देते हैं ! जनता तंग होती रहती है किंतु EDMC के भूत प्रेत अपनी जेबें भरा करते हैं !पूछो तो कहते हैं कि ये तो ऊपर तक जाता है ऊपर वाले जब भाषण देते हैं तो साक्षात धर्मराज लगते हैं जनता वहाँ जाकर उनसे पूछ सकती नहीं है कि भाई EDMC के गलत कार्यों का पैसा आप तक पहुंचता है या नहीं !
   EDMC के कर्मचारियों की काली  कमाई से प्रभावित होकर सैकड़ों लोग बिना सैलरी लिए भी EDMC के अधिकारी कर्मचारियों के रूप में अपनी सेवाएँ देने के लिए तैयार बैठे हैं सरकार  एक बार वैकेंसी निकाल के तो देखे !
EDMC के चुनाव !
  EDMC के चुनावों का मतलब होता है जिन जिन पार्षदों के पेट भर चुके हैं वे लोग अपनी सम्पत्तियाँ इकट्ठी कर चुके हैं अब वे पीछे हटें और अपने दूसरे भाइयों को मौका दें ! 
        आप स्वयं देखिए एक उदाहरण -
   एक प्रकरण पूर्वी दिल्ली कृष्णानगर में छाछी बिल्डिंग चौक पर K -71 नाम से एक बिल्डिंग है जिसमें सोलह फ्लैट्स हैं और चार दुकानें हैं । ये बिल्डिंग 1998 में बनी थी सारे फ्लैट्स एवं दुकानें बेच दी गई थीं !
      इसके लगभग 5-6 वर्ष बाद बिल्डिंग की छत के एक कोने पर एक मोबाईल टॉवर लगवा दिया गया ! जिसमें  MCD से कोई परमीशन नहीं ली गई ,बिल्डिंग में रहने वाले फ्लैट्स मालिकों से सहमति नहीं ली गई ,तीसरी बात इस बिल्डिंग की ऊँचाई लगभग 55 से 57 फिट है जबकि 50 फिट ऊँचाई से अधिक निर्माण की अनुमति नहीं है !इसके अतिरिक्त भार के लिए बिल्डिंग की मजबूती की कभी कोई जाँच नहीं की गई  इन सारी अनियमितताओं के लिए जिम्मदार है केवल भ्रष्टाचार !सरकार कहती है भ्रष्टाचार कहाँ है !
       मोबाईल टावर का किराया किसी ऐसे व्यक्ति को जाता है जिसका इस बिल्डिंग में कोई फ्लैट नहीं है और न ही वो यहाँ रहता है इसलिए इस मोबाईल टावर से होने वाले रेडिएशन से बीमार हों तो इस बिल्डिंग के सोलह फ्लैटों में रहने वाले परिवारों के सदस्य और किराया ले वो बाहरी व्यक्ति !
   बिल्डिंग के बीचोबीच बनी सीढ़ियों से मोबाईल टावर मेंटीनेंस के जो अपरिचित से मैकेनिक लोग छत पर जाते हैं उन्होंने कई बार कई लोगों के साथ आपराधिक वारदातें की हैं जिनसे लोगों का बड़ा नफा नुक्सान भी हुआ है !वो कहतें हैं टावर नहीं रहेगा तो बिल्डिंग भी नहीं रहने दूँगा एक बार तो विस्फोटक जैसी कोई चीज बिल्डिंग के बेस मेंट में रखकर चले गए थे जिसमें पुलिस भी आई थी किंतु टावर गिरोह ने  सब को मैनेज कर लिया था !शुरू से ही बिल्डर ने छत पर पानी की बारह टंकियाँ सामूहिक रखी थीं जिनसे सभी फ्लैटों में पानी की सप्लाई होती रहती थी किंतु इसी टॉवर गिरोह ने पहले तो टंकियों में कूड़ा कबाड़ मरे चूहे बिल्ली आदि डाल देता रहा पिछले तीन वर्षों से तो पाइप काट रखे हैं टंकियाँ फाड़ दी हैं छत पर जाने के रास्ते पर ताला लगा रखा है तब से पानी बंद है ऐसी ही गुंडा गर्दी से तंग होने के कारण कई फ्लैट वाले लोग अपना फ्लैट बेचकर चले गए !
      इस अवैध मोबाईल टॉवर का किराया गुंडागर्दी और घूस खोरी के बल पर खाने वाले गिरोह का मानना है कि जिस फ्लैट वाले को रहना हो रहे नहीं रहना है न रहे किंतु अवैध होने के बाद भी ये मोबाईल टावर हटने दूँगा !EDMCसे लेकर SDM और पुलिस विभाग तक हर किसी का हिस्सा सबको पहुँचा दिया जाता है जेई हर महीने पैसे लेता है !यहाँ तक कि टॉवर हटाने के विरुद्ध दिया गया स्टे भी आपसी सेटिंग से बढ़वाया जाता रहेगा तारीखें पड़ती जाएँगी किंतु टॉवर नहीं हटेगा जज को भी EDMC वालों ने मैनेज कर लिया है उसके पैसे भी देने पड़े थे ऐसे भ्रष्टाचार का पैसा दिल्ली सरकार तक पहुँचता है !यदि ऐसा न होता तो अभी तक हटा न दिया जाता !जो पैसे खाते हैं वो टॉवर हटाने संबंधी कम्प्लेन पर कोई विचार ही क्यों करेंगे !
        मोबाईल टॉवर का किराया बिल्डिंग मेंटिनेंस में लगाया जाएगा ये कहकर लगाए गए टावर का एक भी पैसा आज तक बिल्डिंग के किसी भी कार्य में नहीं लगाया गया है सब टावर गिरोह EDMC के लोग और सरकार के अधिकारी कर्मचारी खा जाते हैं किन्तु बेसमेंट में अक्सर पानी भर जाता है!वो ठीक करवाने के लिए फ्लैट वाले लोग तब तक अपना पैसा क्यों लगावें जब तक टॉवर हटाया नहीं जाता !  EDMC के भ्रष्टाचार से निराश होकर दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार को भी कई पात्र लिखे जा चुके हैं किंतु कहीं कोई सुनवाई नहीं होती यह देश सुनकर अब हम लोगों को भी भरोसा हो चला है कि भ्रष्टाचार का पैसा वास्तव में ऊपर तक जाता है !