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Sunday, February 4, 2018

   समय का परीक्षण कैसे किया जाए ?     
  वस्तुतः मानव जीवन से लेकर सभी जीव जंतुओं तक यहाँ  तक कि वृक्षों बनौषधियों समेत समस्त प्रकृति में घटित होने वाली अधिकाँश घटनाएँ समय के प्रभाव से प्रेरित  होती हैं| समस्त शरीरों से सम्बंधित या प्रकृति से संबंधित प्रायः प्रत्येक घटना के प्रारंभ होने का कोई न कोई समय होता है समय का वही क्षण उस घटना परिस्थिति कार्य या उत्पादन संबंधित समस्त विस्तार का अत्यंत सूक्ष्म बीज होता है !जैसे अत्यंत छोटे से बीज में बहुत बड़ा बटवृक्ष छिपा होता है किंतु ये बात पता उन्हीं को होती है जो उस बीज और वृक्ष तथा बीज से वृक्ष बनने की प्रक्रिया से सुपरिचित होते हैं !उस बीज को पहचानने वाले विशेषज्ञ  बीज को देखते ही इस बात  का पूर्वानुमान लगा लेते हैं कि यह बीज अंकुरित होकर एक दिन बहुत बड़ा बरगद का वृक्ष बनेगा उसके ऐसे पत्ते होंगे ऐसी शाखाएँ होंगी ऐसे फल होंगे उन सब में ऐसे ऐसे गुण या दोष होंगे !ऐसी सभी बातों का पूर्वानुमान उस छोटे से बीज को देख कर  जिस प्रकार से लगा लिया जाता है उसीप्रकार से समय  का  प्रत्येक 'क्षण' भी बीज के समान ही है जैसे कोई बीज अपने अंदर संपूर्ण वृक्ष का आकार समेटे हुए होता है उसी प्रकार से 'समयबीज' होता है जिसमें प्रत्येक क्षण का परीक्षण करना होता है !ऐसे समय बीजों के आधार पर रिसर्च पूर्वक प्रत्येक समय के विषय में यह जाना और समझा जा सकता है कि यह 'क्षणबीज' कैसा है !जैसा वह 'क्षण' होगा उस क्षण में किए जाने वाले या होने वाले संपूर्ण कार्य उस क्षण के स्वभाव के अनुरूप ही विकसित हो पाते हैं !किसी काम या रोग का बढ़ना या घटना सफलता या असफलता आदि सब कुछ उस क्षण के अनुरूप ही होता है !
    इस 'क्षणबीज' अध्ययन पद्धति के आधार पर जीवन से संबंधित अनेकों क्षेत्रों की कई बड़ी समस्याएँ सुलझाई जा सकती हैं जिस क्षण में जो बीज बोया जा रहा है वो  क्षण यदि अच्छा नहीं है तो वो अनेकों प्रकार से उस कार्य के परिणाम को जरूर नष्ट कर देगा !या तो उस बीज को जमने नहीं देगा या जम जाने पर भी उसमें कोई रोग लग कर उसे खराब कर देगा यदि ऐसा भी नहीं हुआ तो तैयार फसल को प्राकृतिक आपदाओं या स्वकृत निर्णयों से नष्ट कर देगा !
    इसी प्रकार से जिस 'क्षणबीज' में जो बच्चा माँ के गर्भ में आता हैं और जिस 'क्षणबीज' में उस बच्चे का जन्म होता है ये दोनों 'क्षणबीज' यद्यपि एक दूसरे से संबंधित होते हैं एक दूसरे के आधार पर ही आश्रित होते हैं यदि ऐसा तो वैसा वाले सिद्धांत के आधार पर ये दोनों एक दूसरे से जुड़े होते हैं !इसलिए इन दोनों के आधार पर जीवन संबंधी प्रत्येक परिस्थिति की व्याख्या की जा सकती है !जो व्यक्ति जिस 'क्षणबीज' में पैदा होता है उस 'क्षणबीज' पर रिसर्च करके यह समझा जा सकता है कि यह व्यक्ति कितना सुखी और कितना दुखी होगा जीवन में इसे किस किस प्रकार के रोग या कष्ट आदि किस किस उम्र में कितने दिनों महीनों या वर्षों के लिए होगा !उसके आधार पर पहले से ही परिस्थितियों  को अपने अनुकूल बनाने के प्रयास किए जा सकते हैं !हमारे कहने का अभिप्राय यह है कि भविष्य में जब जो परिस्थितियाँ  हमें रोग या दुःख पहुँचाने वाली अथवा अन्य प्रकार से तनाव देने वाली लगेंगी उनसे पहले से ही बचने का या उन्हें घटाने का प्रयास किया जाएगा !अधिक से अधिक प्रयास करके ऐसी परिस्थितियों को निष्क्रिय करने के प्रयास किए जाएँगे !इसीप्रकार से रोगकारक या अन्य प्रकार से भविष्य में आने वाली विपरीत परिस्थितियों  को सहने के लिए भी पहले से ही हम अपने मन को तैयार करते चले जाएँगे !ऐसे ही जो 'क्षणबीजजन्य' परिस्थितियाँ भविष्य में हमारे लिए सुखद विकास कारक या आरोग्यता प्रदान करने वाली लगेंगी  उनका अधिक से अधिक सदुपयोग करते हुए पूरी ताकत लगाकर उस समय का फायदा उठाने  की कोशिश करेंगे ! जैसे आग की छोटी सी चिनगारी को भी अधिक हवा देकर बहुत बड़ा रूप दिया जा सकता है उसी प्रकार से अच्छे क्षण बीजों का उपयोग हम जितना अधिक से अधिक कर सकेंगे हमारे लिए वो उतना  अधिक सहायक होगा !अच्छे क्षणों में हम जितना अधिक से अधिक विकास कर लेते हैं वो अच्छे समय में तो काम देता ही है साथ ही बुरे समय को भी  हम अच्छे समय में संचित की गई शक्ति के आधार पर आराम से पार कर लेते हैं !
   हर किसी के जीवन में अच्छा और बुरा दोनों प्रकार का समय बार बार आता है ये खंभे अर्थात पिलर्स के समान होता है  यदि हम अच्छे समय में अच्छे काम करके अपने समय का अधिक से अधिक सदुपयोग कर लेते हैं तो दो अच्छे समयों के दो पिलर बन जाते हैं जिनके ऊपर सेतु अर्थात ब्रिज बनाकर हम दो अच्छे समयों के बल पर बुरे समय के पिलर को लाँघ जाने में समर्थ हो जाते हैं अर्थात आसानी से पार कर लिया करते हैं !जैसे किसी ने अच्छे समय में खूब धन कमा लिया हो फिर अचानक बुरा समय आ जाए तो उस बुरे समय के प्रभाव से सब काम काज बिगड़ने लगेगा ,स्वास्थ्य बिगड़ेगा ,सहयोगी साथ छोड़ने लगेंगे इन सब के माध्यम से धन का भारी अपव्यय होता चला जाएगा !यदि धन का संचय अच्छा होगा तो सब काम होते चले जाएँगे भले ही उन कामों में भी असफलता ही मिले किंतु प्रयास न कर पाने का पछतावा तो नहीं रह जाएगा !संचित धन न हो काम तो तब भी करने पड़ेंगे किंतु कर्जे पर कर्जा होगा जिससे काम न होने का तनाव कर्जा देने का तनाव तथा काम को आगे बढ़ाने के लिए और अधिक धन राशि जुटाने का तनाव आदि बढ़ता चला जाएगा !किंतु अच्छे समय में धन का संचय यदि अच्छा किया गया होगा तब आधे से अधिक समय तो पहले के संचित धन से पार हो जाएगा और थोड़ा बहुत कर्जा हो भी जाएगा तो उसकी भरपाई आगे आने वाले अच्छे समय में आसानी से करना संभव हो जाता है !
   इसी प्रकार से बुरे समय में बुरे कर्म करके जो लोग बुराई के पिलर्स खड़े करके  उन पर सेतु बना लेते हैं वे अपने अच्छे समयों को भी उन बुराइयों के पिलर्स से ढकते चले जाते हैं जिससे उन्हें बुरे समय में तो तनाव मिलता ही है अच्छे समय में भी वो प्रसन्नताके लिए तरसते रहते हैं उनके जीवन का अच्छा समय भी उसी बुराई में ही ढका हुआ निकल जाता है !
    इसलिए यदि हम समय का सदुपयोग करना सीख जाएँ तो अच्छा समय अपनी सीमा से अधिक अच्छा फल देकर जाता है और हमारा बुरा समय हमारे जीवन में अपना बुरा प्रभाव पूरी तरह  नहीं छोड़ पाता है !इस प्रकार से जीवन के सभी क्षेत्रों से संबंधित भविष्य के संभावित तनावों से बचा जा सकता है !