घोटालों पर घास लगाने की कोशिश
अब देश के मालिकों ने अँगड़ाई ली है। मंत्रिमंडल में फेरबदल हुआ है। जो दुर्गंध अभी तक सारे देश में सड़ांध मार रही थी अब वह बिदेशों तक गंध मारेगी। जब भारत की यह दुर्गंध की विदेशी लोगों के बीच फैलेगी तब लोग आँखों में रूमाल लगा लगा कर भागेंगे मीटिंगें कैंशिल कर दी जायॅंगी।वहॉं प्रस्ताव पारित किया जाएगा कि दुर्गंध रोकने का प्रबंध होगा तब मीटिंग होगी।तब सभी देश मिलकर भारत को शक्त सॅंदेशा देंगे। कि आप अपनी दुर्गंध अपने देश में ही रखें यहॉं मत भेजना। तब क्या होगा?हमारी यह बेशर्मी वहॉं कितनी देर टिक पाएगी?
इसलिए सबसे बेहतर तो ये होता कि सरकार और बिकलांग भाइयों के बीच जो कुछ भी सड़ा गला हिस्सा था उसकी सफाई करके ही सरकार को डकार लेनी चाहिए थी।ये भूखे पेट डकार लेने की कवायद ठीक नहीं है। कम से कम देश उन गरीबों का भी है उन्हें भी संतुष्ट किया जाना चाहिए था ,जिनका हिस्सा मारा गया है। देश उन विकलांगों का भी है जिन्हें यह बताया गया है कि तुम्हारे कमजोर अंगों की सहायक व्यवस्था करने के लिए सरकार ने कुछ धनराशि भेजी थी जो सरकार के ही एक प्रबुद्ध सिपाही साहब निगल गए हैं।समाज के शोर मचाने पर सरकार ने इसे गंभीरता से लिया है और उनकी ड्यूटी स्वदेश की जगह विदेशी मामलों में रहेगी।जिससे आप लोगों को यह बात भूलने में सहयोग मिलेगा।
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