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Sunday, November 18, 2012

काल सर्प दोष भय, भ्रान्ति या भ्रष्टाचार !

     काल सर्प दोष एक ऐसी चाकू का नाम है जिसे ज्योतिषी जब जिसे चाहे  जहाँ चाहे मार देऔर उससे जो पैसे चाहे ले ले ।उसको सहना ही है ।

     जब कोई परेशान होता है तभी किसी  ज्योतिषी  के पास जाता है।जैसे अनजान एवं अयोग्य डॉक्टर हर प्रकार की बीमारी में ग्लूकोश लगा देते हैं उसका परिणाम या सच्चाई कुछ भी हो ।उसी प्रकार तथाकथित ज्योतिषी हर प्रकार की परेशानी में कालसर्प दोष बताकर  शांति की सलाह दे देते हैं।उसका परिणाम या सच्चाई कुछ भी हो ।ये लोग कालसर्प दोष का प्रयोग एक चाकू की तरह करते हैं जिसे कभी भी किसी पर चलाकर उससे पैसे लूट लेते हैं ।

       इस विषय में लोगों ने इतना बड़ा भ्रम फैला रखा है जिससे सारा समाज परेशान है इस दोष से लेकर इसकी शांति विधान तक सब कुछ काल्पनिक एवं मन गढ़ंत है किन्तु फायदे का सौदा होने के कारण इसका प्रचार प्रसार बहुत है। चूँकि यह अत्यंत  डरावना शब्द है हर किसी को डरा कर पैसे ऐंठने में इससे आसानी होती है। 

     ये लोग कहते हैं कि राहु और केतु के बीच में सब ग्रह आ जाएँ तो कालसर्प दोष होता है। यदि सब न आवें कुछ कम हों तो आंशिक कालसर्प दोष मानते हैं। ऐसी परिस्थिति में मेरी चुनौती इन लोगों को है कि वो कुंडली दिखाएँ जिसमें आंशिक कालसर्प के लक्षण न घटित होते हों अर्थात् सभी कुंडलियों में ये लक्षण मिलेंगे। ऐसा होना बिल्कुल असंभव है कि कोई कुंडली बिना कालसर्प दोष की हो इसलिए इस तरह की किसी बकवास को शास्त्रीय दृष्टि से स्वीकार नहीं किया जा सकता। हम इसका संपूर्ण रूप से खंडन करते हैं।
कालसर्प दोष के दुष्प्रभावः 

         आप स्वयं विचार कीजिए कि किसी एक योग का दुष्प्रभाव किसी सीमा में ही होगा। उसका विशेष प्रभाव जीवन के किसी एक विशेष क्षेत्र में होगा किन्तु कालसर्प के मसीहा हर क्षेत्र में इसे प्रभावी बताते हैं ऐसी स्थिति में मनुष्य जीवन में हर किसी को कोई न कोई परेशानी तो रहती ही है ये लोग सभी परेशानियाँ काल सर्प दोष पर मढ़ देते हैं जो पूर्ण रूप से असंभव हैं चाहें जो दिक्कत हो सब में कालसर्प दोष बताकर छुट्टी । मैं इसका खंडन करता हूँ। आप भी पूछिए इन लोगों से प्रमाण, किसी पुराने प्रमाणित  ग्रंथ में इस तथाकथित कालसर्प दोष का वर्णन कहाँ मिलता है ?
         कालसर्प दोष की शांतिः

काल सर्प दोष का लक्षण शास्त्र में न मिलने के कारण इसकी शांति के लिए किन मंत्रों या विधि का उपयोग किया जाए ? इसका उल्लेख भी कहीं नहीं मिलता है । स्वाभाविक भी है जिस बीमारी का ही उल्लेख न हो उसकी दवा का विवरण मिलना कैसे संभव है ? ऐसी परिस्थिति में इसकी शांति के लिए अपनाया जा रहा हर हथकंडा अशास्त्रीय एवं काल्पनिक है। मैं संपूर्ण रूप से इसका खंडन करता हूँ

 

राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोध  संस्थान की अपील 

   यदि किसी को केवल रामायण ही नहीं अपितु  ज्योतिष वास्तु धर्मशास्त्र आदि समस्त भारतीय  प्राचीन विद्याओं सहित  शास्त्र के किसी भी नीतिगत  पक्ष पर संदेह या शंका हो या कोई जानकारी  लेना चाह रहे हों।शास्त्रीय विषय में यदि किसी प्रकार के सामाजिक भ्रम के शिकार हों तो हमारा संस्थान आपके प्रश्नों का स्वागत करता है ।

     यदि ऐसे किसी भी प्रश्न का आप शास्त्र प्रमाणित उत्तर जानना चाहते हों या हमारे विचारों से सहमत हों या धार्मिक जगत से अंध विश्वास हटाना चाहते हों या राजनैतिक जगत से धार्मिक अंध विश्वास हटाना चाहते हों तथा धार्मिक अपराधों से मुक्त भारत बनाने एवं स्वस्थ समाज बनाने के लिए  हमारे राजेश्वरीप्राच्यविद्याशोध संस्थान के कार्यक्रमों में सहभागी बनना चाहते हों तो हमारा संस्थान आपके सभी शास्त्रीय प्रश्नोंका स्वागत करता है एवं आपका  तन , मन, धन आदि सभी प्रकार से संस्थान के साथ जुड़ने का आह्वान करता है। 

       सामान्य रूप से जिसके लिए हमारे संस्थान की सदस्यता लेने का प्रावधान  है।

 

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