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Tuesday, November 6, 2012

ज्योतिष जुआँ है क्या? जो मन आवे सो तीर तुक्के चलाते जाओ

   क्या जो मन आवे सो  तीर तुक्के चलाते जाओ  

      ज्योतिष शास्त्र आज जुएँ की तरह प्रयोग किया जा रहा है वास्तु शास्त्र के नाम पर वास्तु कला का प्रचार-प्रसार हो रहा है कुछ लोग राजनैतिक तथा खेलों के विषय में तथ्यहीन, सार हीन, आधारहीन ज्योतिष  शास्त्र के विमुख बेतुका भविष्य  भाषण कर रहे हैं। ऐसे निरंकुश  लोगों को सरकार और कानून का बिल्कुल भय नहीं है। सही हो या नहीं सुनने में केवल अच्छा लगे। टेलीविजन आदि पर रोज राशिफल बताया जा रहा है दिन में कई-कई बार बताया जा रहा है कई-कई लोगों के द्वारा बताया जा रहा है। सब अलग-अलग बकते हैं। क्या है आधार इस राशिफली बकवास का?है कोई पूछने वाला कि जब ग्रह रोज नहीं बदलते तो राशि  फल कैसे बदलता है? दूसरी बात यह है कि संसार में एक राशि  के बहुत लोग होते हैं। उन पर इसकी प्रवृत्ति कैसे होती है? एक और बात है कि एक आदमी के कई-कई नाम होते हैं किस नाम का राशिफल उस पर घटित होगा?जन्मराशि  मानी जाएगी या नामराशि आदि भ्रामक प्रश्नों  के उत्तर समाज     को    मिलने ही    चाहिए। इसमें विशेष बात एक और है प्रतिदिन बिना  पूछे टी.वी. पर राशिफली बकवास करने वालों के विरुद्ध कानूनी शक्ती होनी चाहिए क्योंकि कई बार व्यक्ति किसी काम के लिए जा रहा होता है अचानक राशिफल कानों में पड़ा कि आज आपके काम नहीं बनेंगे सुनते ही वो नरबस हो जाता हैऔर अपना कार्यक्रम कैंशिल कर देता है।                                                                                                              राष्ट्रपति, प्रधानमन्त्री, मुख्यमन्त्री, केन्द्रीय मन्त्री, राज्यमन्त्री, सांसद, विधायक, प्रशासनिक अधिकारी, बड़े व्यापारी, धनी आदि लोकप्रतिष्ठा राज योग कारक ग्रहों के होने से मिलती है। किस राजयोग कारक ग्रह के होने से मिलती है। कौन राजयोग किस लायक है किससे प्रधानमन्त्री और किससे विधायक बना जा सकता है किस राजयोग में विपक्ष का नेता बना जा सकता है। आदि प्रश्नों  के उत्तर देना कठिन ही नहीं असम्भव भी है। कहना आसान है कि सबके राजयोग अलग-अलग होते हैं कितने भेद करेंगे आप? इसी प्रकार मौसम या खेलों के सम्बन्ध में की गई भविष्यवाणी भी  कोरी बकवास के अलावा कुछ भी नहीं है।

        कोई क्रिस्टल से ,कोई कपड़े देखकर ,कोई बाल देखकर ,कोई हस्तरेखा देखने का ड्रामा ,कोई कोई तो केवल आवाज सुनकर,कुछ ध्यान करके सबकुछ बताने का नाटक करते हैं ।

            एक दिन ध्यान करके तीन जन्मों हाल बताने वाले कलियुगी ज्योतिषी टी .वी .पर इसी तरह का ज्योतिष जुआँ खेल रहे थे।किसी ने काल किया तो उन्होंने कालर से पूछा कि तुमने पीले रंग का सूट पहन रखा है तो उसने नीले  रंग की साड़ी  पहनने की बात कही इस प्रकार चार बातें पूछीं संयोग से चारों बातें गलत हो गईं ।कोई शर्मदार होता तो इसके बाद चुप  हो जाता किन्तु वे ठहरे ज्योतिष जुआँरी  उन्होंने न केवल भविष्य में सब कुछ ठीक होने की बात कही अपितु अपने यहाँ से एक अँगूठी भी मँगवाने को कहा।

      ये ज्योतिष का  जुआँ  खेलना ठीक लक्षण नहीं हैं इस शास्त्रीय संपत्ति की गरिमा बचाए रखने के लिए ही

ऐसी विषम परिस्थितियों  में धर्म का ही एकमात्र सहारा बचता है वो भी आज दूषित किया जा रहा है अब समाज किसकी ओर देखे ?

     ऐसे विषम  समय में  भी  राजेश्वरी प्राच्य विद्या शोध संस्थान  व्यवसायिक भावना से ऊपर उठकर समाज के साथ खड़े होने को तैयार है जिसका विस्तार एवं प्रचार प्रसार तथा सफल संचालन के लिए आपके भी सभीप्रकार से  सक्रिय सहयोग की आवश्यकता है। इसमें सभी प्रकार की पारदर्शिता बरती जाएगी साथ ही आपके सहयोग एवं सुझाव  आदि सादर आमंत्रित हैं ।

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