विवाह मिलानः-
इस
विधा में ध्यान रहे कि लड़के-लड़की के आपसी ग्रह, गुण और दशाओं का मिलान
होना चाहिए। जो लोग केवल गुण मिलाकर विवाह कर देते हैं वो आधा अधूरा मार्ग
है | संतान बाधा, स्वास्थ्य बाधा आदि अनेकों प्रकार की परेशानियाँ हैं जो गुणों के मिलने के बाद भी ग्रहों के आधीन होती हैं गुण से समस्याओं का समाधान तो नहीं हो जाता। इसलिए जीवन की उपयोगी सभी बातों का मिलान करना चाहिए। कुछ लोग कहते हैं कि नाड़ी
दोष केवल ब्राह्मण में होता है ऐसा क्यों? बड़ी गूढ़ बात है कि नाड़ी दोष में
यदि पति की मृत्यु होती है तो विधवा स्त्री किसी और से विवाह कर लेती थी
किन्तु ब्राह्मणों में ऐसा नहीं होता था। उसे आजीवन विधवा ही रहना पड़ता था।
इसलिए कहा कि ‘नाड़ी दोषस्तु विप्राणाम्’ अर्थात नाड़ी दोष ब्राह्मणों में
होता है। यद्यपि आज तो कम उम्र की विधवा ब्राह्मण स्त्रियों का भी दूसरा
विवाह होने लगा है।
विशेष बातः हमारा सोचना ये है कि किसी भी जाति की स्त्री हो उसे दूसरा
विवाह करने का दंश न झेलना पड़े एक ही बार जहाँ विवाह हो वहीं सुख-शान्ति
पूर्वक जीवन निर्वाह हो सके। इसलिए नाड़ी दोष हर किसी जाति के लड़के लड़कियों
में देखना चाहिए।नोटः दशाएँ
भी मिला लेनी चाहिए कितने भी गुण मिलते हों किंतु अगले ही वर्ष यदि किसी
हानिकारक ग्रह की दशा के कारण दाम्पत्यिक जीवन बाधा ग्रस्त होता है, तो लोग
ज्योतिष का दोष देते हैं जब कि ज्योतिष नहीं बल्कि लापरवाही के कारण आप
जिसे ज्योतिषी मान बैठे हैं वही निर्णय आपका गलत था।
संकेतः ऐसे मिलान मालिक-नौकर, दो मित्रों आदि के आपसी संबंधों के लिए भी देखे जा सकते हैं।
राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोध संस्थान की अपील
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