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Thursday, January 31, 2013

मीडिया और भ्रष्टाचार --कविता, गॉंधी जी के तीन बंदरों की

         गॉंधी जी के तीन बंदर  और  भ्रष्टाचार


बुरा  न  कहिए  बुरा   न  सुनिए  बुरा  न देखो मित्र।

करो  भलाई  सदा  सभी  की  जीवन  रखो  पवित्र  ।।



पत्रकार   भैया   एक   बोले   मन   की   बात   बताऊँ।                

सीख  बंदरों  की  यदि मानूँ  तो  खबर कहॉं से  लाऊँ ।।



अच्छा अच्छा कहूँ सभी को प्रवचन है वह न्यूज नहीं।

अच्छा  सुनने  से   जनता   के   आते   पूरे   ब्यूज   नहीं।।



कहूँ  किस  तरह  मॅहगाई  को  सुंदर  सुंदर  भ्रष्टाचार।
सुनूँ  कहॉं  पर  खुशहाली  के  सुंदर सुंदर रागमल्हार।।



अमनचैन किस चिड़ियाघर में देखें जाकर सुंदर सीन।
झूठ बोलना क्यों सिखलाते गॉंधी जी के बंदर तीन।।                          



सरकारों  से  मिले  लग  रहे  बापू  जी  के  बंदर यार ।
पोल खोलना खबर दिखाना इनको लगता भ्रष्टाचार।।


कहो  बंदरों  से  चुप  बैठो  स्टिंग  कर  देंगे हम लोग।
झूठ   गवाही   झूठ   सफाई   देते  घूमोगे  तुम  लोग।।



                . शिखर, सुरभी, नित्या, कुमुद ,श्रींदुशेखर वाजपेयी



राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोध  संस्थान की अपील

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