सेक्स शिक्षा आत्मघाती
आजकल
शिक्षा की उम्र में सेक्स शिक्षा का समर्थन या प्रचलन ये समाज हित में
नहीं है मेरा निजी अनुमान है कि सेक्स शिक्षा का ही फल है बसों में
बलात्कार!आखिर छात्र छात्राएँ जो पढेंगे उसका प्रयोग करने की ईच्छा होना
स्वाभाविक है।आखिर उसका प्रेक्टिकल कहाँ और किसके साथ करेंगे?काल गर्ल से लेकर प्यार के पाखंड तक अर्थात
उसके लिए जो भी माध्यम चुनेंगे वो सामाजिक दृष्टि से लगभग अमर्यादित ही
होंगे। उन में सब कुछ सेफ पक्ष है प्यार नाम के जीवनीय खिलवाड़ का।
प्यार नामक ड्रामे का सबसे दुखद पहलू यह है कि अपनी बहन बेटी को कोई भी व्यक्ति किसी भी लड़के या पुरुष के साथ संदेहास्पद परिस्थियों में देखकर सह नहीं पाता है ये उसकी मजबूरी है। विवाह नामक प्रक्रिया भी पूर्व प्रचलित सामाजिक परम्पराओं का पालन उसी मजबूरीबश है क्योंकि इससे बचने का कोई विकल्प नहीं होता है।आज भी समाज का एक बहुत बड़ा वर्ग है जो अपने बेटी बेटा को प्राणों से अधिक प्रिय मानता है वह नमक रोटी खाकर भी रह लेना चाहता है किन्तु अपने बच्चों को अपनी आँखों के सामने से नहीं हटाना चाहता है। उनका पालन पोषण भी इसी समर्पित भावना से करता है।जहाँ तक लड़कियों की बात है वो तो माता पिता भाई बहन आदि के केवल प्रेम से ही नहीं अपितु प्रतिष्ठा से भी जुड़ी होती हैं।सभी नारी जाति का ही यही हाल है। इसीलिए इसी प्रतिष्ठा को चोट पहुँचाने के लिए क्रोधित होने पर लोग किसी दूसरे को माता, बहन, बेटी आदि के नाम की ही गालियाँ भी देते हैं।इन गालियों में केवल माता बहन बेटी आदि के साथ वो सब करने को कहा जाता है। आप कल्पना कीजिए कि जिनके विषय में जिस तरह की गालियाँ दी जाती हैं उन्हें सुनकर लोग लड़ पड़ते हैं मरने मारने को तैयार हो जाते हैं। प्यार का ड्रामा करने वाले तथा कथित प्रेमी लोग तो सेक्स शिक्षा का प्रेक्टिकल करते अक्सर सामूहिक जगहों पर देखे जा सकते हैं। जिसे वो माता पिता भाई आदि कैसे सह सकते हैं जिन्होंने अपनी बच्चियों के साथ अपनी प्रतिष्ठा जोड़ रखी है?प्यार के नाम पर इसप्रकार अपमानित किए जा रहे बेटियों के माता पिता भाई आदि आक्रोश में क्या कर बैठेंगे कैसे कहा जाए ?
आखिर जो माता पिता अपने बच्चों को सुखी रखने तथा सुखी देखने की ईच्छा से ही वो अच्छी तरह से जाँच परख कर अपनी संतुष्टि पूर्वक उनका विवाह करना चाहते हैं।आखिर उसकी इस सोच में खोट क्या है?कभी भी किसी नशे में रहकर कोई अच्छा निर्णय नहीं लिया जा सकता है इसीप्रकार जवानी का नशा सबसे बड़ा है इसके नशे में दुत्त होकर लव या लव मैरिज करे तो सतत शुभ चिन्तक माता पिता कैसे इसकी अनुमति दें और कैसे इस ड्रामे में सम्मिलित होकर खुशियाँ मनावें?
यहाँ कानून से लेकर समस्त सामाजिक ठेकेदार लव या लव मैरिज करने वाले सेक्सातुर युवा युवतियों का साथ देते दिखते हैं और ऊपर से तर्क देते दिखते हैं कि नौजवानों की ईच्छा है तो उन्हें करने दिया जाए।आखिर जिस माता पिता ने अपने बच्चों के पालन पोषण से लेकर शिक्षा, शौक, शान आदि की ईच्छा पूरी करने के लिए अपना न केवल खून पसीना बहाया हो अपितु अपने बच्चों के लिए और भी सभी प्रकार से अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया हो उनकी जब सेवा की बारी आई तब लव या लव मैरिज!जिसका अभिप्राय होता है पार्टनरशिप और ऐसी पार्टनरशिप में नैतिकता नहीं होती है ये तो लाभ हानि का सौदा होता है।इसलिए ऐसे लोग किसी के बूढ़े माता पिता की सेवा में क्यों रूचि लेंगे?किन्तु उन लोगों ने तो बुढ़ापे में उन्हीं से सारा सहारा लगा रखा है अब किसकी शरण में वे जाएँ बुढ़ापा काटने ?
प्यार नामक ड्रामे का सबसे दुखद पहलू यह है कि अपनी बहन बेटी को कोई भी व्यक्ति किसी भी लड़के या पुरुष के साथ संदेहास्पद परिस्थियों में देखकर सह नहीं पाता है ये उसकी मजबूरी है। विवाह नामक प्रक्रिया भी पूर्व प्रचलित सामाजिक परम्पराओं का पालन उसी मजबूरीबश है क्योंकि इससे बचने का कोई विकल्प नहीं होता है।आज भी समाज का एक बहुत बड़ा वर्ग है जो अपने बेटी बेटा को प्राणों से अधिक प्रिय मानता है वह नमक रोटी खाकर भी रह लेना चाहता है किन्तु अपने बच्चों को अपनी आँखों के सामने से नहीं हटाना चाहता है। उनका पालन पोषण भी इसी समर्पित भावना से करता है।जहाँ तक लड़कियों की बात है वो तो माता पिता भाई बहन आदि के केवल प्रेम से ही नहीं अपितु प्रतिष्ठा से भी जुड़ी होती हैं।सभी नारी जाति का ही यही हाल है। इसीलिए इसी प्रतिष्ठा को चोट पहुँचाने के लिए क्रोधित होने पर लोग किसी दूसरे को माता, बहन, बेटी आदि के नाम की ही गालियाँ भी देते हैं।इन गालियों में केवल माता बहन बेटी आदि के साथ वो सब करने को कहा जाता है। आप कल्पना कीजिए कि जिनके विषय में जिस तरह की गालियाँ दी जाती हैं उन्हें सुनकर लोग लड़ पड़ते हैं मरने मारने को तैयार हो जाते हैं। प्यार का ड्रामा करने वाले तथा कथित प्रेमी लोग तो सेक्स शिक्षा का प्रेक्टिकल करते अक्सर सामूहिक जगहों पर देखे जा सकते हैं। जिसे वो माता पिता भाई आदि कैसे सह सकते हैं जिन्होंने अपनी बच्चियों के साथ अपनी प्रतिष्ठा जोड़ रखी है?प्यार के नाम पर इसप्रकार अपमानित किए जा रहे बेटियों के माता पिता भाई आदि आक्रोश में क्या कर बैठेंगे कैसे कहा जाए ?
आखिर जो माता पिता अपने बच्चों को सुखी रखने तथा सुखी देखने की ईच्छा से ही वो अच्छी तरह से जाँच परख कर अपनी संतुष्टि पूर्वक उनका विवाह करना चाहते हैं।आखिर उसकी इस सोच में खोट क्या है?कभी भी किसी नशे में रहकर कोई अच्छा निर्णय नहीं लिया जा सकता है इसीप्रकार जवानी का नशा सबसे बड़ा है इसके नशे में दुत्त होकर लव या लव मैरिज करे तो सतत शुभ चिन्तक माता पिता कैसे इसकी अनुमति दें और कैसे इस ड्रामे में सम्मिलित होकर खुशियाँ मनावें?
यहाँ कानून से लेकर समस्त सामाजिक ठेकेदार लव या लव मैरिज करने वाले सेक्सातुर युवा युवतियों का साथ देते दिखते हैं और ऊपर से तर्क देते दिखते हैं कि नौजवानों की ईच्छा है तो उन्हें करने दिया जाए।आखिर जिस माता पिता ने अपने बच्चों के पालन पोषण से लेकर शिक्षा, शौक, शान आदि की ईच्छा पूरी करने के लिए अपना न केवल खून पसीना बहाया हो अपितु अपने बच्चों के लिए और भी सभी प्रकार से अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया हो उनकी जब सेवा की बारी आई तब लव या लव मैरिज!जिसका अभिप्राय होता है पार्टनरशिप और ऐसी पार्टनरशिप में नैतिकता नहीं होती है ये तो लाभ हानि का सौदा होता है।इसलिए ऐसे लोग किसी के बूढ़े माता पिता की सेवा में क्यों रूचि लेंगे?किन्तु उन लोगों ने तो बुढ़ापे में उन्हीं से सारा सहारा लगा रखा है अब किसकी शरण में वे जाएँ बुढ़ापा काटने ?
आखिर जब वो बच्चों के लिए कुर्वानियाँ कर रहे थे तब कहाँ चले गए थे ये सब सामाजिक ठेकेदार?जो शिक्षा आदि और किसी चीज में मदद गार सिद्ध नहीं हो सके केवल लव मैरिज के नाम पर इन्हें जवानों के अधिकार याद आते हैं । शिक्षा, विकास, भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन व्यवस्था उन जवानों का अधिकार क्या नहीं था?सबकी बात छोड़ भी दी जाए तो भी केवल शिक्षा में ही इतने झोल हैं तो और कोई बात ही क्यों करनी?
राजेश्वरी प्राच्य विद्या शोध संस्थान की सेवाएँ
यदि आप ऐसे किसी बनावटी आत्मज्ञानी बनावटी ब्रह्मज्ञानी ढोंगी बनावटी तान्त्रिक बनावटी ज्योतिषी योगी उपदेशक या तथाकथित साधक आदि के बुने जाल में फँसाए जा चुके हैं तो आप हमारे यहाँ कर सकते हैं संपर्क और ले सकते हैं उचित परामर्श ।
कई बार तो ऐसा होता है कि एक से छूटने के चक्कर में दूसरे के पास जाते हैं वहाँ और अधिक फँसा लिए जाते हैं। आप अपनी बात किसी से कहना नहीं चाहते। इन्हें छोड़ने में आपको डर लगता है या उन्होंने तमाम दिव्य शक्तियों का भय देकर आपको डरा रखा है।जिससे आपको बहम हो रहा है। ऐसे में आप हमारे संस्थान में फोन करके उचित परामर्श ले सकते हैं। जिसके लिए आपको सामान्य शुल्क संस्थान संचालन के लिए देनी पड़ती है। जो आजीवन सदस्यता वार्षिक सदस्यता या तात्कालिक शुल्क रूप में देनी होगी जो शास्त्र से संबंधित किसी भी प्रकार के प्रश्नोत्तर करने का अधिकार प्रदान करेगी। आप चाहें तो आपके प्रश्न गुप्त रखे जा सकते हैं। हमारे संस्थान का प्रमुख लक्ष्य है आपको अपने पन के अनुभव के साथ आपका दुख घटाना बाँटना और सही जानकारी देना।
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यदि आप ऐसे किसी बनावटी आत्मज्ञानी बनावटी ब्रह्मज्ञानी ढोंगी बनावटी तान्त्रिक बनावटी ज्योतिषी योगी उपदेशक या तथाकथित साधक आदि के बुने जाल में फँसाए जा चुके हैं तो आप हमारे यहाँ कर सकते हैं संपर्क और ले सकते हैं उचित परामर्श ।
कई बार तो ऐसा होता है कि एक से छूटने के चक्कर में दूसरे के पास जाते हैं वहाँ और अधिक फँसा लिए जाते हैं। आप अपनी बात किसी से कहना नहीं चाहते। इन्हें छोड़ने में आपको डर लगता है या उन्होंने तमाम दिव्य शक्तियों का भय देकर आपको डरा रखा है।जिससे आपको बहम हो रहा है। ऐसे में आप हमारे संस्थान में फोन करके उचित परामर्श ले सकते हैं। जिसके लिए आपको सामान्य शुल्क संस्थान संचालन के लिए देनी पड़ती है। जो आजीवन सदस्यता वार्षिक सदस्यता या तात्कालिक शुल्क रूप में देनी होगी जो शास्त्र से संबंधित किसी भी प्रकार के प्रश्नोत्तर करने का अधिकार प्रदान करेगी। आप चाहें तो आपके प्रश्न गुप्त रखे जा सकते हैं। हमारे संस्थान का प्रमुख लक्ष्य है आपको अपने पन के अनुभव के साथ आपका दुख घटाना बाँटना और सही जानकारी देना।
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