अरविन्द जी का अपराध आखिर क्या है ?
यदि सरकार
ईमानदार है तो केजरीवाल के प्रयासों की तो प्रशंसा
होनी ही चाहिए थी, किंतु उन्हें तो सरकारी गुस्सा का शिकार होना पड़ रहा है,
जबकि भ्रष्टाचार रोकने में सरकार का सहयोग करना चाह रहे हैं अरविंद। घोटालों के कारण महँगाई है, भ्रष्ट नेताओं के कारण घोटाले हैं, लापरवाह अथवा भ्रष्ट सरकार के कारण घोटाले पकड़े नहीं जा रहे हैं, जो पकड़े भी उनमें कोई प्रभावी कार्यवाई होते नहीं दिख रही है।महँगाई के कारण इसे मुद्दा बनाने पर सरकार को बुरा क्यों लग रहा है ?
नेताओं के लिए कितने
शर्म की बात है कि सारा कुनबा ही देश पर बोझ बनता जा रहा है।दामाद घोटाला या ऐसे अन्य घोटाले करके नेता लोग
खुद तो देश का धन हड़पते हैं।हजारों लाखों करोड़ के घोटाले होते हैं।घाटा पड़ने पर गरीब जनता के गैस सिलेंडरों की
कटौती कर ली जाती है।बिजली पानी के बिल बढ़ा दिए जाते हैं।
गरीब जनता के पेट पर लात मारने वालों को दया नहीं
आती है गरीबों के भूखे बच्चे रोते बिलखते देखकर?परेशान लोगों को देखकर अरविंद जी को दया आती है तो वो अपराधी हैं क्या ?
जो भी हो अबकी तो पढ़े लिखे कर्म योगी अरविंद जी से सामना
है,किसी बाबा जोगी से नहीं।ये शालीन एवं प्रमाण सहित संयत शब्दों में अपनी बात विनम्रता पूर्वक
रखने के अभ्यासी,विद्वान लगते हैं।ऐसे सदाचारी लोगों की सज्जन समाज सदैव सराहना करता है।
अरविन्द जी
विद्वान आदमी हैं देश के कानून पर वे भरोसा रखने वाले भले इंसान हैं। वे
अपनी योग्यता के बल पर सरकारी सेवा के उच्च पदों पर आसीन रह चुके हैं,
जिसमें उनका अपना परिश्रम पूर्वजों का पुण्य सज्जनों का आशीर्वाद उन्हें इस
रूप में फलित होता रहा है।ये पद प्रतिष्ठा सरकारी होते हुए भी उन्होंने
सरकार की कृपा से नहीं अपने परिश्रम से पायी है और बिना किसी आरोप के वह
राजपाठ छोड़कर उन अपनों की आवाज उठा रहे हैं जिन्हें राजनैतिक दलों ने अब तक
बहुत यातनाएँ दी हैं, क्या करे वह बेचारा गरीबों की आहें उसे चैन से सोने नहीं देती हैं।आखिर वह कठोर दिल वाला नेता तो है नहीं है वह भी विदेशियों की चाटुकारिता करने वाला।अरविन्द जी को अभी गरीबों की आवाजें सुनाई देती हैं ।
सरकारी सेवा में सब सुख सुविधाएँ छोड़कर आए हैं अरविन्द जी, उनका अपना गौरव
है।कोई सुशिक्षित व्यक्ति राजनीति करने के लिए यह सब कर रहा है। ये आरोप
गलत हैं।उनके समर्पण पर सन्देह की गुंजाइस अभी तक नहीं है।वो बाबा गिरी
करते करते राजनीति में नहीं आ रहे हैं और न ही उनका कोई आपराधिक इतिहास ही
है। समाजसेवा के लिए उन्होंने कई दिन कईबार निराहार व्रत किया है किंतु सरकार पर
कोई असर नहीं हुआ!क्या चाहती है सरकार कि वे भी सरकार के अड़ियल रवैए के आगे
घुटने टेक दें ?या फिर गरीब जनता का साथ देना बंद कर दें?
पहले भी सरकारी पार्टी की ओर से उन पर लगाए जा रहे आरोप इतने कर्कश शब्दों में होते थे जो उन लोगों की अशिक्षा प्रदर्शित करते हैं जबकि अरविंद जी के जवाब हमेशा विनम्र होते हैं।जहॉं तक बात घोटालों के पर्दा फास की होती है तो कोई आपरेशन फूलों से तो होगा नहीं आपरेशन तो ब्लेड से ही होता है ,ब्लेड लगेगा तो दर्द होगा ही उसे डाक्टर कैसे रोके?घोटालों के आपरेशन जो चीखे चिल्लाए तो अरविंद जी क्या करें ?
जो उन पर
निराधार आरोप लगाने वाले लोग हैं वो अपने से अरविंद जी की तुलना क्यों करते
हैं? जिन्हें सब कुछ राजनीति से ही मिला है।अरविंद जी बिना राजनीति के भी इन
सब पर भारी हैं ।आज वो जो कुछ भी हैं वो उनका अपना वजूद है,उनके सामने ये मजबूरी नहीं है कि यदि वे अपने आकाओं के कहने से या उन्हें खुश करने के लिए अरविंद को गाली नहीं देंगे तो उनसे प्रवक्ता पद छीन लिया जाएगा या पार्टी से निकाल दिए जाएँगे।
अपनी दबी कुचली राजनैतिक इच्छा दबाए बैठे गैर राजनैतिक लबादा ओढ़े कुछ और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी ईर्ष्या वश अरविंद जी के खिलाफ भले कभी कुछ बोल दिया हो किन्तु उनका उद्देश्य जो भी हो किंतु अरविंद जी का कोई भी आचार व्यवहार संदेह योग्य नहीं है। उनसे यदि भूल में भी कोई भूल हुई होती तो अब तक धर पकड होने लगती।जब बड़े बड़े प्रदेशों में सरकारें चलाने वाले सरकारी सी.बी.आई.के भय से समर्थन का टोकरा पकड़ा आते हैं।उन सरकारों से देश वासियों के लिए
अरविंद जी ने सत्याग्रह निमित्त निराहार व्रत लिया है।
सरकारों को सकारात्मक रूख अपनाना चाहिए और अरविन्द जी के साथ मिलबैठकर उनकी नैतिक बातें मानी ही जानी चाहिए आखिर सामाजिक सुरक्षा एवं सुख सुविधाओं से सम्बंधित उनका आग्रह है। समाज सेवा समर्पित साधना में उनके निराहार व्रत का आज आठवां दिन है।उस समाज सेवा व्रती की एक एक श्वांस का ऋण हम सब पर है।
मैं तो अरविन्द जी के बढ़ते दौर्बल्य से अत्यंत बेचैन हूँ अन्ना जी के आने की आशा कि शायद वो इस व्रत की पूर्णता कराते हुए अरविन्द जी को भोजन करने के लिए प्रेरित करें।
अब हम सबको ध्यान रखना चाहिए कि यह आवाज दबने न पाए। सभी को अरविंद जी का साथ देना चाहिए।
एक पढ़ा लिखा सक्षम व्यक्ति अपनी सारी सुख सुविधाएँ छोड़कर सामाजिक कार्यों के
लिए जिस मजबूरी में लोकपीड़ा से परेशान होकर निकला होगा,उसका किंचित अहसास
हमें भी है।
मैं चार
विषय से एम.ए. एवं काशी हिंदू विश्व विद्यालय से पी.एच. डी. करने के
बाद ऐसे ही किसी राजनैतिक कुचाल से आहत होकर सरकार से आजीवन नौकरी न मॉंगने
का व्रत लिया है जिसका अभी तक निर्वाह कर रहा हूँ ।
हर सुशिक्षित व्यक्ति की अपमान सहने की भी कोई सीमा तो होती है ? आखिर कितना कुछ सहा जा सकता है,जहॉं आते आते हमारे जैसे बहुत सारे शिक्षित लोग सामाजिक अपयशों ,अपमानों से आहत होकर समाज कार्यों से विरत हो जाते हैं।
अरविंदजी संकल्पवान एवं
दृढ़व्रती हैं। ऐसा लगता है कि ईश्वर उनसे बहुत कुछ अच्छा करवाकर उसका श्रेय उन्हें देना चाहता है। भगवान उन्हें लंबी आयु दे
और वो सत्कर्म के पथ पर सदाचार पूर्वक आगे बढ़ते रहें।ईश्वर से यही प्रार्थना है कि उनका स्वास्थ्य उत्तम बना रहे।
डॉ.शेष नारायण वाजपेयी
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