भाग्य से ज्यादा और समय से पहले किसी को न सफलता मिलती है और न ही सुख !
विवाह, विद्या ,मकान, दुकान ,व्यापार, परिवार, पद, प्रतिष्ठा,संतान आदि का सुख हर कोई अच्छा से अच्छा चाहता है किंतु मिलता उसे उतना ही है जितना उसके भाग्य में होता है और तभी मिलता है जब जो सुख मिलने का समय आता है अन्यथा कितना भी प्रयास करे सफलता नहीं मिलती है ! ऋतुएँ भी समय से ही फल देती हैं इसलिए अपने भाग्य और समय की सही जानकारी प्रत्येक व्यक्ति को रखनी चाहिए |एक बार अवश्य देखिए -http://www.drsnvajpayee.com/
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Friday, April 26, 2013
Bharat Jagran Sansthan Dr. S.N.Vajpayee
भारत जागरण संस्थान का आह्वान
आध्यात्मिक
एवं सामाजिक जागरण का अखिल भारतीय संगठन राष्ट्रीय एकता सेवा एवं सदाचार
के माध्यम से समस्त भेद भाव भुलाकर सारे राष्ट्र वासियों का आह्वान करता
है कि भारत की प्राचीन संस्कृति और सभ्यता के महान मूल्यों की रक्षा के लिए
समस्त समाज को व्रत लेना होगा और अपने आचार व्यवहार में
शास्त्रीय संस्कारों को न केवल उतारना होगा अपितु उनका प्रचार प्रसार करके
भगाने होंगे पाश्चात्य कुसंस्कार !आप भी संगठन के पुनीत कार्यों में अपना
बहुमूल्य समय देकर सहभागी बनें।
प्यारे
देश वासियों !पाश्चात्य सभ्यता के दुष्प्रभाव से अब ऐसा समय आ गया है जब
कठोर से कठोर कानून निष्फल होते जा रहे हैं।अपराध दिनों दिन बढ़ते जा
रहे हैं। आधुनिकता के नाम पर महिलाओं के अपमान की घटनाएँ दिनों दिन बढ़ती
जा रही हैं।पूरे देश की यही स्थिति
है!महिलाओं के हो रहे अत्याचारों से सारे देश में हाहाकार मचा हुआ है हर
किसी की जबान पर एक ही प्रश्न है कि अब कैसे होगी महिलाओं एवं बच्चियों
की सुरक्षा ?
अभी दिल्ली के गाँधी नगर में भीइतनी
छोटी बिटिया के साथ पड़ोसी लड़के की इतनी घिनौनी करतूत!इसे केवल रेप कैसे
कहा जाए?यदि उस अपराधी में इन्सान का हृदय होता तो इतने छोटे बच्चे को
वात्सल्य से चूम लेने को उसका भी मन मचलता भुजाएँ फड़क उठतीं!छोटे बच्चे तो
पशु पक्षियों के भी हमारे यहाँ खूब खिलाए जाते हैं। वह तो अपनी बिटिया है।
कन्या पूजने वाले देश की धरती में पावननवरात्रों की मधुरिम
बेला में कन्या पूजन के महान पर्व पर वो हो रहा है जो राक्षसों में
भी कभी नहीं देखा सुना गया था। कंस और रावण ने भी ऐसा कभी नहीं किया था ।
जो हमारे समय हुआ है।
हम भी भारत माता की संतान एवं
सनातन संस्कृति से सम्बंधित हैं । इस नाते मैं भी अपने हिस्से का अपराध न
केवल स्वीकार करता हूँ अपितु जीवन मृत्यु के संघर्ष से जूझ रही उसभारत माता की देवी रूपी दुलारी गुड़िया से क्षमा माँगता हूँ कि बच्चियों की सुरक्षा के लिए हम लोग भी तो कुछ नहीं कर सके !
हमारी इतनी शिक्षा का क्या लाभ मिला इस अपने देश एवं समाज को ?हमारे स्वस्थ होने का क्या लाभ हुआ!केवल हमारे साधु,संत ,महात्मा, साधक यासदाचारीहोने से देश का क्यालाभ?अकेले
हम प्रतिदिन गंगा जमुना में शरीर धोते फिरें! अकेले
हम तीर्थों में टहलते फिरें या बड़े बड़े जागरण, चौकी, आदि उत्सव मनाते
रहें।कथा,कीर्तन,प्रवचन,भंडारा करते फिरें । मंदिरों एवं धार्मिक
सत्संगों,सामाजिक संस्थाओंसे जुड़े रहकर भी समाज के लिए हम आखिर क्या कर पा रहे हैं।यदि हमारा सारा धर्म कर्म केवल हम एवं हमारों तक ही सीमित रह गया है तो हमारे समाज के लिएहमाराक्या कोई कर्तव्य नहीं बनता है ?
पेड़ पौधे भी अपने आस पास का
वातावरण स्वयं शुद्ध कर लेते हैं उनसे भी छाया और फल फूल मिलते हैं समाज
को !मनुष्यों में वो भी नहीं !
मैंने शास्त्रीय कथाओं में पढ़ा एवं समाज में देखा तथा सुना हैकि पशु पक्षियों के भी आहार बिहार के कुछ तो नियम संयम होते ही हैं मनुष्यों में तो वो भी समाप्त होते जा रहे हैं !
जैसे- चातक पक्षी केवल स्वाती नक्षत्र में बरषने वाली जल की बूँद ही पीकर ही रहता है यह नक्षत्रहर वर्ष 24 अक्टूबर से 6 नवम्बर तक रहता है।यदि इन दिनों में वर्षा न हो तो वह प्यासा चातकफिर अगले वर्ष की स्वाती बूँद की आशा लगाकर बैठ जाता है ये उसका नियम है ।
इसी प्रकार हमें भी चाहिए
कि रोजी रोजगार एवं धर्म कर्म आदि करने के साथ साथ हमें भी नियम संयम
एवं सदाचरण का व्रत स्वयं लेना चाहिए तथा स्वजनों को भी इसके लिए प्रेरित
करें । इस प्रकार से यदि हम अपने जीवन में सदाचरण व्रत का परिपालन करते हुए
कुछ और लोगों के जीवन मेंसदाचरण व्रत उतार सकें तभी हमारा मानव जीवन सफल हो सकता है। हमें प्रयास तो प्रारम्भ करना चाहिए ।
भारत जागरण संस्थान की पुकार -
अश्लीलता का खेल खेलने वाले
सीरियल्स ,फ़िल्में ,वीडियो, कामेडी प्रोग्राम, फैशन शो, बेलेंटाइन डे,और
गली मोहल्लों चौराहों, पार्कों,स्कूलों एवं मेट्रो स्टेशनों जैसी सार्वजनिक
जगहों पर जिन लड़के लड़कियों के द्वारा असमाजिक या अश्लीलआचरण किए जाते दिखाई पड़ें! प्यार के नाम पर खेले जा रहे ऐसे पापी पाखंड एवं पाखंडियोंका सामाजिक बहिष्कार किया जाए । दूसरे की माता बहन बेटियों के सम्मान के प्रति समाज में फिर सेपवित्र वातावरण बनाया जाए!
आधुनिक प्यार नाम की पापी निगाह रखने वालों का एवं इनका समर्थन करने वालों का
सामाजिक बहिष्कार किया जाए। ऐसे प्यार की ईच्छा रखने वाला या वाली पहले तो एक एक करके
कईकई लड़के लड़कियों के जीवन में घुसते हैं उनमें
से किसी को धोखा देते हैं तो किसी से धोखा खाते हैं तब कहीं किसी एक जगह
सेटिंग बन पाती है उसके साथ जुड़ जाते हैं।धोखा खाने और धोखा देने से जो
वर्ग प्रभावित होता है वो या तो निराश होता है या अपराधी बनता है।
इसप्रकार तथाकथित प्यार के पथ पर जिन्हें धोखा दे आये या जिनसे धोया खा
आए ये दोनों ही स्त्री पुरुष तथा लड़का लड़की लोग आपस में एक दूसरे के शत्रु
हो जाते हैं इसके बाद जो जब जहाँ जैसा समय पाते हैं वैसी वहाँ शत्रुता
निभा लिया या करते हैं।इस लिए इस समस्त अपराध के पीछे प्यार नाम का भ्रष्ट
आचरण है। समाज को इससे मुक्ति दिलाने के लिए हर किसी को हर स्तर पर संगठित
रूप से प्रयास करना चाहिए।
भारत जागरण संस्थान इसके लिए सभी का आह्वान करता है कि आप अपने इस संगठन
से जुड़कर इसके तत्वावधान में संगठित होकर समाज में सभीप्रकार के अपराधों
के विरुद्ध जन जागरण कार्यों में सहभागी बनें ।
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