कैसे दें बच्चों को शिक्षा?
सरकारी प्राथमिक स्कूलों में पढ़ाई नहीं होती और प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाने के लिए धन नहीं होता है।
एक सरकारी प्राथमिक स्कूल के अध्यापक के बच्चे ने एक मोची के लड़के से उसके पिता को अछूत कहा तो मोची के
लड़के ने उससे कहा कि अछूत मेरा नहीं तेरा बाप है मेरा बाप तो काम के पैसे
लेता है मेहनत से काम करता है यही कारण है कि हमारे मोची गिरी के काम से
समाज इतना अधिक संतुष्ट है कि मोचियों की नियुक्ति के लिए न कभी कोई
आन्दोलन होता है और न ही नियुक्ति। ऐसे ही तेरा बाप भी यदि बच्चों को
पढ़ाता ही होता तो प्राइवेट विद्यालय खुलते ही क्यों?तेरा बाप जिन पैसों से
तुझे रोटी खिलाता है उनके बदले बच्चों को पढ़ाता कुछ भी नहीं इस लिए वो
अछूत है किन्तु हमारा बाप हमें अपनी मेहनत की कमाई खिलाता है इसलिए वो अछूत
हो ही नहीं सकता!जिस दिन प्राइवेट स्कूलों को छोड़कर बच्चे सरकारी स्कूलों
में एडमीशन लेने लगें उस दिन समझ लेना कि अब तेरे बाप ने भी पढ़ाना शुरू कर
दिया है और अब वह अछूत नहीं रहा !
जो लोग बिना परिश्रम की सैलरी या घूस के पैसे घर में लाते हैं वो घर घर नहीं रह जाता अपितु शमशान के समान अशुद्ध होता है।
इसीलिए ऐसे घरों में हमेंशा ही ऐसी बीमारियाँ या समस्याएँ या कलह
जन्म लेते हैं जिनका कोई समाधान नहीं होता है। ऐसे परिवारों के लोग घुट घुट
बोझ बन कर जिया करते हैं अन्यथा मर जाते हैं।
अपनी लापरवाही ,गैरजिम्मेदारी से समाज का जो भाग आप दूषित कर रहे होते
हैं उसके बदले उतना प्रतिशत आपका अपना परिवार,जीवन आदि नष्ट हो रहा होता है
!
No comments:
Post a Comment