अब कहाँ हैं आज धार्मिक लोग !
आज की सामाजिक परिस्थियों में एक रास्ता हो सकता है धर्म !किन्तु धर्म एवं धार्मिक लोगों का सहारा कितना है बचे ही कहाँ हैं आज धार्मिक लोग !
अब
तो गुरु जगदगुरु ,महंत ,श्री महंत ,मंडलेश्वर, महामंडलेश्वर, साधु , संत
,कथा बाचक ,पंडित , पंडे ,पुजारी टाइप के लोग अब आस्था को ताक पर रख
सिर्फ कमाई करने में जुट गये हैं,इसके लिए उन्हें कितना भी बड़ा पाप क्यों न
करना पड़े ? कितना भी बड़ा झूठ क्यों न बोलना पड़े!दुर्भाग्य है कि धार्मिक
लोग आज गंगा जमुना समेत सभी देवी देवताओं की झूठी कसमें खा रहे हैं सेक्स
और संपत्ति के बीच समिट रहा
है उनका भी जीवन !उसी के फलस्वरूप समाज आज ऐसी दुर्दशा को प्राप्त हुआ है ।
घरों की जगह आश्रम
वाहन वहाँ भी यहाँ भी वाहन है
वहाँ पत्नी तो यहाँ समर्पित स्त्रियाँ
पद - जगदगुरु,श्री महंत , महामंडलेश्वर
भोजन- मेवा पकवान
सम्मान - मंत्रियों ,मुख्यमंत्रियों में धाक
व्यापार- स्वदेशी साबुन तेल दवा दारू आदि
भाषण -अपना धन बढ़ाने के लिए दूसरे के धन को काला कहना
नेताओं से महात्माओं तक सबको रैलियाँ प्रिय हैं
कुछ नेताओं एवं कुछ महात्माओं पर बलात्कार के आरोप हैं ।
नेताओं से लेकर महात्माओं तक की सारी सुख सुविधाएँ एक जैसी हैं
नेता देश भक्ति का और महात्मा लोग ईश्वर भक्ति पर भाषण देते हैं
जितनी नेताओं में देश भक्ति उतनी बाबाओं में ईश्वर भक्ति!
सभी लोगों की तरह महात्मा भी मुकदमा लड़ते हैं ।
अपनी संपत्ति की सुरक्षा के लिए अपराधी नेता हों या अपराधी बाबा दोनों धरना प्रदर्शन करते हैं ।
नेता या बाबा दोनों की पहचान उनकी वर्दी से होती है
नेता या बाबा दोनों दिखावटी हँसी हँसते हैं
नेता सदस्य बनाते हैं बाबा शिष्य बनाते हैं
दोनों भिखारी होते हुए भी सबको भिखारी समझते हैं
नेता या बाबा दोनों देने का आश्वासन देकर सबकुछ माँग ले जाते हैं।
नेता हों या बाबा दोनों के अपने टी.वी. चैनल होते हैं।
नेता हों या बाबा दोनों पर मीडिया की बड़ी कृपा होती है। मुसीबत में पड़ने पर समाज इन दोनों की ओर देखता है उसी मौके पर ये लोग शिकार कर लेते हैं दोनों को अपने अपने शिकार की पहचान होती है ।
दोनों देखने में भले लगते हैं।
नेता हों या बाबा दोनों के अपने टी.वी. चैनल होते हैं।
नेता हों या बाबा दोनों पर मीडिया की बड़ी कृपा होती है। मुसीबत में पड़ने पर समाज इन दोनों की ओर देखता है उसी मौके पर ये लोग शिकार कर लेते हैं दोनों को अपने अपने शिकार की पहचान होती है ।
दोनों देखने में भले लगते हैं।
कानून का शरीर पर और धर्म का मन पर नियंत्रण होता है। नेताओं के हाथ में कानून है और महात्माओं के हाथ में धर्म !
नेताओं और महात्माओं की लापरवाही एवं भ्रष्टाचार से समाज दिनोंदिन बिनाश की ओर बढ़ता जा रहा है हर आदमी अपने अपने मूल स्थान से भटकता जा रहा है ।
नेताओं और महात्माओं की लापरवाही एवं भ्रष्टाचार से समाज दिनोंदिन बिनाश की ओर बढ़ता जा रहा है हर आदमी अपने अपने मूल स्थान से भटकता जा रहा है ।
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