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Saturday, August 24, 2013

अयोध्या में श्री राम मंदिर निर्माण में रूकावट क्यों ? ?ज्योतिष

              श्री  राम मंदिर कब बनेगा?

         यहाँ ज्योतिष एक बहुत बड़ा कारण है। किन्हीं दो या दो से अधिक लोगों का नाम यदि एक अक्षर से ही प्रारंभ होता है तो ऐसे सभी लोगों के आपसी संबंध शुरू में तो अत्यंत मधुर होते हैं बाद में बहुत अधिक खराब हो जाते हैं,क्योंकि इनकी पद-प्रसिद्धि-प्रतिष्ठा-पत्नी-प्रेमिका आदि के विषय में पसंद एक जैसी होती है।इसलिए कोई सामान्य मतभेद भी कब कहॉं कितना बड़ा या कभी न सुधरने वाला स्वरूप धारण कर ले या शत्रुता में बदल जाए कहा नहीं जा सकता है।जैसेः-राम-रावण, कृष्ण-कंस आदि।

    इसी प्रकार और भी उदाहरण हैं।यहाँ श्री राम मंदिर निर्माण के संबंध में एक विशेष बात का ध्यान और रखा जाना चाहिए कि इस देश की दो सबसे बड़ी राष्ट्रीय राजनैतिक पार्टियों के प्रमुखों के नाम रा अक्षर से प्रारंभ होते हैं राजनाथ और राहुल  इन  दोनों से  ही रा अक्षर से प्रारंभ होने वाले रामंदिर निर्माण कार्य में ईमानदारी पूर्वक समर्पणात्मक सहयोग की आशा नहीं की जानी चाहिए।राजनैतिक कारणों से दूसरों की देखा देखी पक्ष या विपक्ष में खड़े हो जाएँ ये और बात है ! और यदि ये रामंदिर निर्माण कार्य में  सहयोग करना भी चाहें तो उसके परिणाम अंततः सुखद नहीं होंगे!प्रयास तो श्री राजीव गाँधी जी ने भी किए थे किन्तु परिणाम क्या निकला! चूँकि उनका नाम भी रा अक्षर से ही था!अधिक क्या कहा जाए श्री राम मंदिर निर्माण कार्य के लिए समर्पित भक्त श्री रामचन्द्र दास परमहंसजी महाराज के प्रयासों का परिणाम भी बहुत उत्साह जनक नहीं रहा ।   

     सन 1990 में  श्री राम मंदिर निर्माण कार्य के प्रमुख श्रद्धेय श्री रामचन्द्र दास परमहंसजी महाराज थे दूसरी ओर वहाँ  उस समय के डी.एम. रामशरण श्रीवास्तव जी थे चूँकि इन तीनों का नाम भी रा अक्षर से ही था! इसलिए इन तीनों का आपसी तालमेल अच्छा नहीं रहा परिणामतः संघर्ष चाहें जितना रहा हो किन्तु मंदिर निर्माण की दिशा में कोई विशेष सफलता नहीं मिली।इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए कहा जा सकता है कि  जब रा अक्षर वालों ने रा अक्षर वालों का साथ नहीं दिया तो राहुल और राजनाथ राम मंदिर का समर्थन कितना या कितने मन से करेंगे कैसे कहा जा सकता है?

    रामदेव प्रकरण में भी इसी रा अक्षर वालों ने रा अक्षर वालों का साथ नहीं दिया रामलीला मैदान में पहुँचने से पहले तो रामदेव को मंत्री गण  मनाने पहुँचे फिर रामलीला मैदान में पहुँचने के बाद राहुल को ये पसंद नहीं आया तो रामदेव वहाँ से भगाए गए।

   दूसरी बार फिर रामदेव रामलीला मैदान पहुँचे इसके बाद राजीवगाँधी स्टेडियम जा रहे थे फिर राहुल को पसंद न आता और  लाठी डंडे चल सकते थे किन्तु अम्बेडकर स्टेडियम ने बचा लिया।

        श्री राम मंदिर निर्माण कार्य की सबसे बड़ी बाधा यह है कि पहले  रा अक्षर वालों ने रा अक्षर वालों का साथ नहीं दिया और श्री राम मंदिर निर्माण कार्य पूरा नहीं हो सका अब अक्षर वालों ने अक्षर वालों का साथ देना बंद कर दिया है -    

       उत्तर प्रदेश में खिलेश की सरकार है और इसके मंत्री जम खान हैं उधर दूसरी ओर विश्व हिन्दू परिषद के शोक सिंघल जी हैं और चौथा नाम योध्या का है जहाँ श्री राम मंदिर बनना है इन चारों के नाम का पहला अक्षर है इसलिए यदि ये लोग आमने सामने आकर कोई रास्ता निकालना चाहेंगे तो कोई शांति पूर्ण समझौता  हो ही नहीं सकता!

     पहले का इतिहास भी ऐसा ही है जब सपा में खिलेश यादव कम सक्रिय रहे होंगे तब मर सिंह जी की पटरी मुलायम सिंह जी के साथ तो खाती रही किन्तु अक्षर वाले जमखान साहब से ही उनको समस्या होनी थी तो जमखान साहब को बाहर जाना पड़ा किंतु अक्षर वाले खिलेश  यादव का प्रभाव बढ़ते ही मरसिंह जी को पार्टी से बाहर जाना पड़ा। ऐसी परिस्थिति में अब खिलेश के साथ जमखान कब तक चल पाएँगे? कहा नहीं जा सकता। पूर्ण बहुमत से बनी उत्तर प्रदेश  में सपा सरकार का यह सबसे कमजोर ज्वाइंट सिद्ध हो सकता है खिलेश  यादवसरकार के लिए ये कोई न कोई समस्या जरूर खड़ी करते रहेंगे !  

       ऐसी परिस्थिति में खिलेश एवं उनके मंत्री जम खान विश्व हिन्दू परिषद के  नेता  शोक सिंघल जी के द्वारा चलाए जा रहे योध्या में श्री राम मंदिर निर्माण अभियान में कैसे और क्यों साथ देंगे ?      दूसरा उदाहरण -   

  न्ना हजारे के आंदोलन के तीन प्रमुख ज्वाइंट थे न्ना हजारे, रविंदकेजरीवाल,सीमत्रिवेदी एवं ग्निवेष जिन्हें एक दूसरे से तोड़कर ये आंदोलन ध्वस्त किया जा सकता था। इसमें ग्निवेष कमजोर पड़े और हट गए।न्ना हजारे एवं रविंदकेजरीवाल सीमत्रिवेदी सब अलग अलग हो गए और सारा आन्दोलन ध्वस्त हो गया!न्नाहजारे की तरह ही  मरसिंह जी के मित्र मिताभबच्चन  निलअंबानी  भिषेक बच्चन आदि सब अलग अलग हो गए!

       इसी बात का सबसे बुरा असर दिल्ली भाजपा पर पड़ रहा है -

   दिल्ली भाजपा के पाँच  विजयों  के  समूह का एक साथ एक क्षेत्र में एक समय पर काम करने  से दिल्ली के दो चुनाव हार चुकी भाजपा तीसरे चुनाव की तैयारी में है!आगामी चुनावों में भी भाजपा के राजनैतिक भविष्य  के लिए चिंता प्रद हैं।इसी कारण तमाम कमियों के होने पर भी पहले भी कांग्रेस विजय पाती रही है-                        

     विजयेंद्रजी -विजयजोलीजी -विजय शर्मा जी

     विजयकुमारमल्होत्राजी       - विजयगोयलजी

     इसी प्रकार भारत वर्ष में  भाजपा राजग बनाकर ही सत्ता में आ पाने में सफल हो सकी।जबकि इससे कम सदस्य संख्या वाले एवं अटलजी से  कमजोर व्यक्तित्व वाले लोग भी यहाँ प्रधानमंत्री बनते रहे हैं।कई प्रदेशों में भाजपा की सरकारें भी अच्छी तरह से चल भी रही हैं ।  

   लराजमिश्र-ल्याण सिंह  

  बामा-सामा   

  रूण जेटली- भिषेकमनुसिंघवी

  मायावती-मनुवाद

रसिंहराव-नारायणदत्ततिवारी 

लालकृष्णअडवानी-लालूप्रसाद 

 रवेजमुशर्रफ-पाकिस्तान 

 भाजपा-भारतवर्ष  

 नमोहन-मता-मायावती    

   माभारती -  त्तर प्रदेश 
मरसिंह - जमखान - खिलेशयादव 

 मर सिंह - निलअंबानी - मिताभबच्चन 

नितीशकुमार-नितिनगडकरी-रेंद्रमोदी    प्रमोदमहाजन-प्रवीणमहाजन-प्रकाशमहाजन न्नाहजारे-रविंदकेजरीवाल-सीमत्रिवेदी-ग्निवेष- रूण जेटली - भिषेकमनुसिंघवी

  राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोध  संस्थान की अपील 

   यदि किसी को केवल रामायण ही नहीं अपितु ज्योतिष वास्तु आदि समस्त भारतीय  प्राचीन विद्याओं सहित  शास्त्र के किसी भी  पक्ष पर संदेह या शंका हो या कोई जानकारी  लेना चाह रहे हों।

     यदि ऐसे किसी भी प्रश्न का आप शास्त्र प्रमाणित उत्तर जानना चाहते हों या हमारे विचारों से सहमत हों या धार्मिक जगत से अंध विश्वास हटाना चाहते हों या धार्मिक अपराधों से मुक्त भारत बनाने एवं स्वस्थ समाज बनाने के लिए  हमारे राजेश्वरीप्राच्यविद्याशोध संस्थान के कार्यक्रमों में सहभागी बनना चाहते हों तो हमारा संस्थान आपके सभी शास्त्रीय प्रश्नोंका स्वागत करता है एवं आपका  तन , मन, धन आदि सभी प्रकार से संस्थान के साथ जुड़ने का आह्वान करता है। 

       सामान्य रूप से जिसके लिए हमारे संस्थान की सदस्यता लेने का प्रावधान  है।

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