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Thursday, September 5, 2013

सबकी मदद के बिना कैसे बंद किए जा सकते हैं बलात्कार?

बलात्कार समाप्त करने के लिए बलात्कार समाप्त करने की इच्छा से काम करना पड़ेगा ! 

    इसमें महिलाओं का भी बराबर का सहयोग चाहिए सभी पुरुष बलात्कारी हों ऐसा भी नहीं है कुछ महिलाओं एवं लड़कियों का रहन सहन बात ब्यवहार वेष भूषा आदि इसी प्रकार कुछ पुरुषों एवं युवा लड़कों का रहन सहन बात ब्यवहार वेष भूषा आदि के मिले जुले प्रयासों से बढ़ रहा है समाज में बलात्कार !अब आधे अधूरे कपड़े पहने लड़के लड़कियों के  जोड़े  मैट्रो में एक दूसरे को सबके सामने चूमने चाटने में जुट जाते हैं उनमें से कोई किसी के कहीं हाथ लगा रहा होता है कोई कहीं यह आचरण जो हर किसी के मन में गुदगुदी पैदा करता है यदि देखने वाला नपुंसक नहीं है तो !कोई कैसे रोके अपने मन को ?जिनके पास व्यवस्था या विवाहित हैं वो तो वहीं से उधर की राह पकड़ लेते हैं किन्तु जिनके पास न तो व्यवस्था है और न ही विवाहित हैं गुदगुदी तो उनके मन में भी होती है वो कैसे सँभालें अपने आपको?वे या तो सहें या फिर किसी को डसें सहन शीलता तो आज किसी में नहीं है इसलिए अब उन्हें पहली बार खाता खोलने की जरूरत पड़ी है किन्तु हर समय कोई सेक्स क्रांतिकारी खाली तो बैठा नहीं है ऐसी परिस्थिति में बच्चे,बूढ़े बीमार, पागल टाईप के लोग उस गुदगुदी के शिकार होते हैं या फिर बसों में दुराचार होते हैं।यही कारण है कि आजकल ऐसे सेक्स क्रांतिकारी दोस्तों की सार्वजनिक  हरकतों और  छेड़छाड़ आदि के कारण उनके साथ चलने वाली लड़कियाँ दोस्तों के साथ साथ दर्शकों के लिए अधिक आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं। उन्हें एकांत में लेकर तो दोस्त जाता है किंतु उसी एकांत पार्क आदि में ऐसे ही मजनुओं की तलाश में कुछ और लोग अपनी गुदगुदी समेटे बैठे होते हैं वो बिना प्रयास ही कर लेते हैं शिकार !क्या करे पुलिस और क्या करे प्रशासन?ऐसी जगहों पर जाने के   लिए कोई रोकना भी चाहे तो महिलाओं के अधिकार,तुगलकी फरमान आदि बातें की जाने लगती हैं और दिए जाने लगते हैं रानी लक्ष्मी बाई,इंद्रा गाँधी,कल्पना चावला आदि के उदाहरण !ऐसे व्यभिचार समर्थक लोग इतनी जोर जोर से बोल रहे होते हैं मानों उन्होंने ही रानी लक्ष्मी बाई,इंद्रा गाँधी,कल्पना चावला आदि की खोज की हो !उन्हें यह भी होश नहीं होता है कि किस उदाहरण को कहाँ दिया जा सकता है !केवल बोलने के लिए बोलना ठीक नहीं होता है!

   ऐसे सेक्स क्रांतिकारी जोड़ों की इस गुंडा गर्दी का दंड भोग रहे होते  हैं बेचारे  पाँच सात वर्ष के छोटे छोटे बच्चे बच्चियाँ, सदाचारी लड़कियाँ महिलाएँ, ईमानदार चरित्रवान  लड़के और पुरुष आदि ! 

     ऐसे कुछ लापरवाह लड़के और पुरुष इसीप्रकार लापरवाह लड़कियाँ और महिलाएँ आदि न केवल सारे समाज में गंध घोल रहे हैं अपितु देश के समाचार पत्र या टी. वी.पर दिखाई जाने वाली ख़बरें बलात्कार मुक्त नहीं रहने दे रहे हैं जिन्हें सुने महीनों वर्षों बीत गए क्या किसी की जिम्मेदारी नहीं है कि इन्हें रोकने के लिए कुछ करे!

    यद्यपि पता सबको है कि ये बलात्कार रुकेंगे कैसे किंतु बिल्ली के गले में घंटी कौन बाँधे अर्थात जो कहे उस पर वो पूरा वर्ग ही उस पर तरह तरह से टूट पड़ेगा जो इस तरह की नग्नता फूहड़ता का समर्थक है उसकी जन हितकारी सलाहों को तुगलकी फरमान बताया जाने लगेगा!इसलिए कोई भला आदमी कुछ कहना नहीं चाहता है जो कह रहे हैं वो मन से नहीं कह रहे हैं जो मन से भी कह रहे हैं वे भी इसे रोकने के लिए कुछ खास करना नहीं चाह रहे हैं इस भड़ैती में आंशिक रूप से तो बहुत बड़ा वर्ग सम्मिलित है वो आम आदमी भी है शिक्षक भी है चिकित्सक,पंडित ,महात्मा भी हैं। सभी का यह ढुल मुल रवैया सभी के लिए घातक हो रहा है।  वे समाज के कुछ पुरुषों एवं युवा लड़कों के वर्ग में इस बलात्कारी भावना को बढ़ाने देने में मददगार सिद्ध हो रहा है। 

                                               निवेदक -

                           राजेश्वरी प्राच्य विद्या शोध संस्थान 


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