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Friday, November 22, 2013

एक लड़की घर से बाहर निकली
…उसे गली के लड़कों ने छेड़ा
वो थाने गई
…उसे थानेदार ने छेड़ा
वो संसद गई
…उसे नेताजी ने छेड़ा
वो अदालत गई
…उसे जज ने छेड़ा
वो मीडिया के पास गई
…उसे संपादक ने छेड़ा
फ़ाइनली संसार से दुखी होकर वो बाबा की शरण में गई
…बाबाजी ने "सर्वजनहिताय" उसे जनहित में जारी किया और सपरिवार छेड़ा

अब बहस का मुद्दा ये है कि उस लड़की के घरवालों ने उसे घर से निकलने ही क्यों दिया!

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