धर्म सम्राट स्वामी करपात्री जी महाराज अपनी सनातनी शास्त्रीय संस्कृति एवं भारत भूमि के कण कण के लिए समर्पित थे सबसे लगाव रखते थे कभी कभी मन विवश हो जाता है यह सोचने को कि ऐसा धर्म योद्धा अवतारी महामानव क्या फिर कभी इस मेदनी मंडल पर कृपा करने पधारेगा ?
जहाँ तक गाँव में तीन दिन रह ने से मूर्ख हो जाने की बात है ये केवल महाराज जी का ही कथन नहीं है अपितु सभी शास्त्रीय विद्वानों की आम मान्यता है कि शिक्षाकाल जैसे विरक्त तपस्या काल में गाँवों का असीम आनंद प्राप्त करके सुकोमल मन शिक्षा की कठोर साधना से कहीं भटक न जाए !
श्री शंकराचार्य नवावतारम् विद्वद् वरेण्यं च यतींद्र मुख्यम् ।
कलौ युगे धर्म युग प्रवर्त्तकं वंदे सदा श्री करपात्रिणम् गुरुम् ॥
आपने सँभाल लिया मैं आपका आभारी हूँ !वर्त्तमान धार्मिक झंझावातों में सनातनी शास्त्रीय संस्कृति से जुड़े असंख्य लोग उन्हीं धर्म सम्राट स्वामी करपात्री जी महाराज जी की चिरस्मृति के सहारे प्राण पोषण कर रहे हैं मैं सभी महानुभावों से प्रार्थना करता हूँ कि उनके नाम के साथ किसी बात को जोड़ने से पहले उस बात का सम्यक परीक्षण किया जाना चाहिए वे सामान्य तर्कों से समझे जाने योग्य न होकर अपितु असाधारण महामानव थे। आज उनके बिना सूनी सूनी लगती है काशी !और उनके बिना अनाथों की तरह भटकते हैं शास्त्रीय संस्कृति से जुड़े विद्वान और महात्मा !जिनकी आँखें हमेशा खोजती हैं सनातनी शास्त्रीय संस्कृति के उस अमर साधक को -
धर्म का नारा देकर बढ़के ललकारा जिसने
हिन्द का हितैषी ऐसा होगा दुबारा कौन !
आप सभी बंधुओं को क्षमा प्रार्थना के साथ पुनः प्रणाम
महापुरुषों के आशीर्वाद से मैं बिलकुल ठीक हूँ
आपका -वाजपेयी
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