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Thursday, November 7, 2013

महिला सुरक्षा के लिए क्या किया जाए ?

महिलाओं को भी अपनी सुरक्षा के विषय में विशेष सतर्कता रखनी ही चाहिए ।

     

     स्वभाव बदलता नहीं है आदत बदल जाती है पानी नीचे की ओर जाता है आग की लव ऊपर की ओर जाती है जैसे इन्हें बदला नहीं जा सकता है उसी प्रकार से स्त्री पुरुषों में भी परस्पर आकर्षण होता ही है इस आकर्षण पर नियंत्रण करने की क्षमता पुरुषों में नहीं होती है फिर भी चारित्रिक संयम पूर्वक रहने के लिए पुरुषों को बहुत सारे अभ्यास शास्त्रों में बताए गए हैं किन्तु  नारियों में एक विशेष गुण कहा गया है कि धैर्येण योषितः अर्थात स्त्रियां धैर्य पूर्वक अपनी बासना पर नियंत्रण  कर लेने में समर्थ होंगी!फिर भी स्त्री पुरुषों के मन में एक दूसरे के प्रति स्वाभाविक आकर्षण होने के कारण  आपस  में इतनी मध्यम  दूरी बनाकर रहना ही चाहिए कि सामने वाले के मन में यदि उसके प्रति कोई विकार आ ही जाए तो भी अपने को सम्पूर्ण सुरक्षित बचाया जा सके बाकी सारी बात बाद में!क्योंकि इस सच्चाई को हमें मानना ही होगा कि कानून व्यवस्था कितनी भी चुस्त क्यों न हो फिर भी वह हमारे हर एकांत में हमारा साथ नहीं दे सकती!जो लोग पहले तो आधुनिकता के नाम पर एक दूसरे से चिपके रहेंगे फिर कोई दुर्घटना घटने पर कानून व्यवस्था को कोसेंगे यह आदत ठीक नहीं है कानून का साथ जब हम देंगे तब कानून हमारा हमारा साथ दे सकता है !

     श्री राम के राज्य में हाथी और सिंह एक घाट पर पानी पीते थे किसी को किसी से कोई भय नहीं होता था फिर भी वो हाथी एक घाट पर पानी  भले पीते थे किन्तु सिंह के स्वभाव में चूँकि हिंसा है इसलिए उसके साथ निश्चित दूरी बनाकर रहते थे। इसका प्रमुख कारण यह था कि अहिंसा या हिंसा का निर्णय तो सिंह के ऊपर है वह हिंसा का पालन करे या अहिंसा का व्रत ले! अथवा अहिंसा का व्रती सिंह अपना व्रत कब तोड़ दे।ये उसी को पता है हाथियों से परामर्श लेकर कोई निर्णय तो वो लेगा नहीं !

     इसके लिए वो ऐसी परिस्थिति में व्रती सिंह अपना व्रत कब तोड़ दे तो हाथी की जान पर बन आएगी उस समय अचानक हाथी क्या कर लेगा ? इसलिए सिंह जैसे चाहे वैसे रहे किन्तु हाथी अपनी ओर से  सावधानी तो रखते  ही थे । ये उदाहरण अहिंसक समाज का है।

    इसी प्रकार महिलाओं से बलात्कार  तो चारित्रिक हिंसा की परिधि में आता है मेरा निवेदन यह है कि जैसे हाथी पर हमला करना सिंह की कमजोरी है उसीप्रकार महिलाओं के प्रति बासनात्मक दृष्टि रखना पुरुषों की कमजोरी है। इस भावना की पुराणकाल से लेकर अभी तक असंख्य बार परीक्षा भी हो चुकी है लगभग हर बार पुरुष वर्ग इस विषय में महिलाओं से हारता रहा है। 

    इसलिए पुरुषों को संयम पूर्वक रहना ही चाहिए कानून व्यवस्था भी चुस्त होनी ही चाहिए साथ ही महिलाओं को भी अपनी सुरक्षा के विषय में विशेष सतर्कता रखनी ही चाहिए ।

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