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Monday, March 3, 2014

आज मोदी जी को यह क्या हो गया !क्या बोल गए मोदी जी !!!

"अब भाजपा ने भी अब  अलापा दलित राग" सवर्ण रे ! भाग यहाँ से भी भाग !!!मोदी जी के भाषण में साफ दिखा पासवान के कुसंग का असर !

दैनिकभास्कर-3-3-2014मुजफ्फरपुर.नरेंद्रमोदी ने सोमवार को मुजफ्फरपुर रैली में कहा,'ब्राह्मण और बनियों की पार्टी कही जाने वाली बीजेपी अब पिछड़ों की पार्टीबनगईहै।आनेवाला वक्त दलितों,पिछड़ों का ही है।'

      इस बात के कहने का मतलब क्या है कि ब्राह्मण और बनियों को अब भाजपा ने भी सस्पेंड कर दिया है किन्तु इस बात में भी कोई चाल है क्या? सवर्ण तो क्षत्रिय भी हैं इसमें  ब्राह्मण और बनियाँ ही क्यों क्षत्रिय क्यों नहीं ? इसका कारण कहीं अध्यक्ष जी का लिहाज तो नहीं है! खैर जो भी हो किन्तु मेरी इतनी जिज्ञाशा जरूर है कि आखिर  ब्राह्मण और बनियों का अपराध क्या है ? यही न कि ये अब तक भाजपा पर आँख बंद करके  भरोसा करते रहे ! दूसरा आरक्षण सम्बन्धी मंडल आंदोलन से आहत होकर सवर्णों ने अपना वोट थोक में भाजपा को दिया था उसी का परिणाम था कि भाजपा की सीटें अचानक बढ़ गई थीं सवर्णों को उसकी सजा देना चाहती है आज भाजपा क्या ?किन्तु भाजपा का स्वभाव ऐसा अवसरवादी तो पहले कभी न था! भाजपा के खून में कृतघ्नता का दोष तो पहले कभी न था !एक वोट से अटल जी की सरकार गिरी थी किन्तु अटल जी के चेहरे की चमक नहीं गई थी अपितु उनके चेहरे पर नैतिकता का तेजस दमक रहा था !सरकार भले गिरी थी किन्तु नैतिकता के युद्ध में सभी राजनैतिक दलों को पराजित करके जिस समय लोक सभा से निकले थे अटल जी उस समय उनकी छटा देखते ही बन रही थी। 

     लोक सभा में हुए अटल जी के उस सार गर्भित भाषण में अटल जी ने इस दलित नेता की भी आत्मा को झकझोरते हुए दो बार इनका नाम लेकर सम्बोधन किया था तब इन्होंने भी बताया था कि अटल जी का भाषण सुनने के लिए ये कैसे कैसे स्कूल से बस्ता लेकर भाग आया करते थे !किन्तु उनका भाषण सुनकर तो ये नेता हो गए अगर उनका सत्संग भी कर लिया होता तो आज काँग्रेस के दरवाजे हाजिरी नहीं लगानी पड़ती !
    अपने आदरणीय अटल जी ने उस समय बड़ों बड़ों को सोचने पर मजबूर कर दिया था कि नैतिकता भी कोई चीज होती है जिसका सम्मान केवल भाजपा के मन में है भाजपा सिद्धांतों के साथ समझौता करके सत्ता लोलुप तो कभी नहीं रही फिर आज मोदी जी के मुख से यह सब निकला कैसे ?
      जिस कुसंग ने वी.पी.सिंह जी को भी ऐसे ही बदनाम करवाया था अब  मोदी  जी की बारी है क्या ? जिसकी शर्तों के साथ समर्पण करके वी.पी.सिंह जी को अपनी सरकार में कभी शांति नहीं मिली आज मोदी जी के माध्यम से भाजपा ने उसके मुद्दों के आगे समर्पण करके वी.पी.सिंह जी की तरह ही अपने को अविश्वसनीय बनाना प्रारम्भ कर दिया है क्या ?जिस दिन भाजपा और लोजपा का बेमेल समझौता हुआ था मुझे उसी दिन शक हुआ था कि सत्ता सुंदरी की असह्य प्यास से पराजित होकर भाजपा  के राजनाथ सिंह जी कहीं वी.पी.सिंह जी से प्रभावित तो नहीं होते जा रहे हैं !

       कहने को तो  वी.पी.सिंह जी भी सरकार  बनाने से पूर्व एक आम इंसान की तरह ही देश के सभी नागरिकों के प्रति समान सोच ही रखते रहे होंगे क्योंकि ये वही वी. पी. सिंह जी थे जिन्होंने सरकार बनने के कुछ माह पूर्व ही  वाराणसी के अस्सी क्षेत्र स्थित गोयनका संस्कृत महाविद्यालय में काशी के विद्वान  ब्राह्मणों का सम्मान किया था तथा  संस्कृत भाषा और संस्कृत विद्वानों एवं उनकी शास्त्रीय साधना की प्रशंसा की थी बाद में गुरुवर वागीश जी जैसे बड़े विद्वान ब्राह्मणों   ने जिनकी प्रशंसा में बड़े बड़े कसीदे पढ़े थे न केवल इतना अपितु उन्हें " राजर्षि" की उपाधि  तक प्रदान की गई थी जाते समय उन्होंने ब्राह्मणों के हित साधन के लिए बहुत कुछ करने का आश्वासन दिया था किन्तु जाने के बाद वे न केवल अचानक भूल गए अपितु वी.पी.सिंह जी पूरी तरह से बदल भी गए !और उनकी सरकार में सवर्णों एवं राम भक्तों के विरुद्ध क्या कुछ नहीं किया गया दहल गया था पूरा समाज और पूरा देश ! लगने लगा था कि अब क्या होगा !

      जब वी.पी.सिंह जी को " राजर्षि" की उपाधि प्रदान की गई थी उस सभा के मंच संचालक श्री अखिलानंद शास्त्री जी थे जिन्हें लोग अक्सर चिढ़ाया करते थे कि कैसा आशीर्वाद दिया आप लोगों ने कि ये तुम्हारे राजर्षि जी तो धन(आरक्षण) धर्म(रामभक्तों पर अत्याचार ) सब कुछ चौपट करने पर तुले हुए हैं यदि सवर्ण इतने ही गलत थे तो काशी के विद्वानों के बीच एक संस्कृत विद्यालय में राजर्षि बनने आए ही क्यों थे वी.पी.सिंह !इसलिए निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि निजी तौर पर वी.पी.सिंह जी भी उदार ही रहे होंगे किन्तु कुसंग ने सब कुछ करा दिया -

                 "को न कुसंगति पाई नशाई "

      उनमें अचानक इतना बड़ा बदलाव इसी दलित नेता के कुसंग के कारण आया जिस कुसंग ने मोदी जी को कुछ दिनों में ही इतना बदल कर रख दिया आज तक इतने भाषण मोदी जी के हुए थे तब तो मोदी जी के मुख से इस तरह के संकीर्ण भाषण कभी नहीं सुने गए यहाँ तक कि गुजरात के चुनावों में भी नहीं सुने गए किन्तु आज मोदी जी ने उन सवर्णों का दिल  तोड़ दिया है जो महीनों से प्राण प्रण से समर्पित हैं मोदी जी को प्रधानमंत्री बनवाने के लिए ! यदि आप भी दलितों और पिछड़ों का ही रोना धोना लेकर बैठ गए तब तो सवर्णों के लिए जैसे मुलायम सिंह जी मायावती जी जैसे जाति,संप्रदाय वाद आदि से प्रभावित होकर राजनीति करने वाले लोग हैं वैसे ही आप भी हैं !उनमें और भाजपा में अंतर क्या रह जाएगा ?
    आखिर सवर्णों को भी बँधुआ मजदूर तो नहीं ही माना जाना चाहिए कि इनका वोट तो मिलेगा ही इन्हें कुछ भी बोलते रहो ये कर क्या लेंगे किन्तु याद रखना चाहिए कि प्रत्येक नागरिक को मतदान का अधिकार प्राप्त है उसमें बड़ी ताकत है इसलिए लोकतंत्र  में किसी को कमजोर नहीं समझा जाना चाहिए !
     यदि समय रहते इसकी भरपाई नहीं की गई तो आगे इन बातों के जवाब ढूँढे नहीं मिलेंगे जब समाज में भाजपा के विरुद्ध भड़केगा आक्रोश उसकी भरपाई कौन करेगा ?वही राजनाथ सिंह जी ! जिन्होंने मोदी जी की गलतियों की माफी माँगने के लिए पहले से ही शीश झुका रखा है ! किन्तु कब तक ऐसा चलेगा कि मोदी जी गलती करते रहें और राजनाथ सिंह जी शीश झुकाकर माफी माँगते रहें !और भाग्यवश यदि कहीं मोदी जी की सरकार बन ही गई और मोदी जी ने गुजरात की तरह ही केंद्र में भी दशक लगा ही दिया तब अध्यक्ष जी की जिंदगी तो माफी माँगते माँगते ही बीत जाएगी !खैर, वो जानें अध्यक्ष जी जानें हमें तो मोदी जी के आज के भाषण के बाद भविष्य के विषय में भी सोचना पड़ेगा कि हर कोई यदि दलित पिछड़ों और मुश्लिमों का ही राग अलापेगा तो आखिर सवर्णों के विषय में कौन सोचेगा? और यदि कोई नहीं सोचेगा तो आखिर सवर्ण क्यों किसी के साथ चिपके रहें ? जब भाजपा को भी सवर्णों की ओर लातें ही फेंकनी हैं तब बेइज्जती कराने के लिए कोई सवर्ण वहाँ भी क्यों जाए !
      जब सभी राजनैतिक दलों की तरह भाजपा के भी एजेंडे में सवर्णों के विकास के लिए कोई योजना नहीं थी किन्तु सबके साथ समान व्यवहार होगा इसी बात की ख़ुशी थी जो अन्य पार्टियों में नहीं दिखता था किन्तु जब भाजपा भी दलित वादी बन जाएगी तो सवर्णों के लिए तो सब बराबर हो गए मन आवे उसको वोट दें न मन आवे न दें जब सवर्णों को लोकतंत्र की वर्त्तमान पद्धति में कुछ लाभ होना ही नहीं है उनके पूर्वजों पर दलितों के शोषण का झूठा आरोप लगना ही है तो क्या यही बकवास सुनने जाएगा कोई रैलियों में और इसीलिए देगा वोट !सवर्णों को भाजपा भी इतना भ्रमित  करेगी क्या ?
       मोदी जी आखिर महीनों पहले से  तो बोल रहे थे! तब उनकी वाणी पर यह सब क्यों नहीं आया जो कुछ वे आज बोले हैं इतने ऊँचे ओहदे पर पहुँच कर भी ये संकीर्णता !आश्चर्य !!!क्या मोदी जी को थोड़ा भी ध्यान नहीं रहा कि आज की तारीख में वे भारतीय समाज में इतने अधिक लोकप्रिय हो चुके हैं कि उनके मुख से बिना किसी भेदभाव के देश के प्रत्येक नागरिक को समेटकर चलने का भाव प्रकट होना चाहिए था देशवासियों को उनकी विशाल भुजाओं से आशा है इसीलिए महापुरुषों को विशालबाहु या आजानु बाहु कहा जाता था !क्योंकि जनता उनके हाथों की ओर देखती है किन्तु मोदी जी तो आज सवर्णों को अपना छप्पन इंच का सीना दिखाकर चले गए ! इसलिए किसी के छप्पन इंच के सीने की जरूरत सवर्णों को नहीं है आवश्यकता इस बात की है कि काँग्रेस ने जो अभी तक जाति क्षेत्र समुदाय एवं सम्प्रदायों को बाँट कर राजनीति की है अब "फूट डालो राजनीति करो" वाली नीति से देश मुक्त होना चाहता है अब तो मेल मिलाप वाली बातें ही समाज सुनना चाहता है अब देश के किसी भी नागरिक को तड़पते देखने की भावना नहीं है फिर यदि दलित सवर्ण का खेल शुरू हुआ तो समाज एकबार फिर बहुत पीछे चला जाएगा !कम से कम ऐसा करने की आशा भाजपा से तो नहीं ही थी । 
      इस दलित नेता का तो खेल ही अजब है वी. पी. सिंह जी की सरकार के समय जब पूरा देश त्राहि त्राहि कर रहा था जब छात्र आत्मदाह कर रहे थे उस समय ये महाशय जी कह रहे थे कि सरकार को सवर्ण छात्रों के साथ और अधिक कड़ाई से पेश आना चाहिए !ऐसे लोगों का असर आज से मोदी जी पर भी छाने लगा है क्या यदि हाँ तो यह चिंता की बात है !यदि भाजपा वास्तव में देश को दिशा देने के प्रति गम्भीर है तो ऐसे वक्तव्यों से बचा जाना चाहिए क्योंकि उन्हें अब एक ऐसे  आत्मघाती कालिदास का साथ मिला है जो जिस शाखा पर बैठता है उसी को काटता है और जिस थाल में खाता है उसी में छेद करता है आखिर अब इनसे कोई क्यों नहीं पूछता है कि उस समय जब अटल जी की सरकार विरोधियों के निशाने पर होने के कारण मुशीबत में थी तब आप राजग छोड़कर क्यों चले गए गए थे !किन्तु पूछे कौन?  उससे अच्छा उन्हीं के मुद्दों से प्रभावित होकर उन्हीं पर काम किया जाने लगा उन्हें ही प्रोत्साहित करने के लिए दलित राग अलापा जाने लगा किन्तु भाजपा को सतर्क रहने की जरूरत है कि ये दलित नेता के तौर पर पहचान बना चुके महाशय कब कैसी लहर मारेंगे क्या पता!मैं तो यही कह सकता हूँ कि अब भाजपा की रक्षा भगवान  स्वयं करें तभी कुछ हो सकता है अन्यथा यदि दलित और सवर्णों का यह खेल ऐसा ही चला तो भाजपा की विजय का जश्न मनाया जा सकेगा इसमें संशय है !



जातीय आरक्षण देने के पीछे सोच आखिर क्या है ?

निर्दयी सरकारों में बैठे लोग  इस प्रकार के आधार और तर्क हीन जातीय आरक्षण का खेल आखिर कब तक खेलते रहेंगे? 


    दुर्भाग्य की बात है कि जिस राजनीति ने सन 1989-90 में इसी तरह के जातीय आरक्षण के विरुद्ध सवर्णों को आत्म दाह करने के लिए मजबूर कर दिया हो छात्रों पर गोलियाँ चलाई हों फिर भी सरकारों ने कोई सबक न लिया !बिना कुछ काम किए चुनाव जीतने की लालसा से किए जाते हैं ऐसे सारे संकीर्ण फैसले ! कितने सवर्ण छात्र जातीय आरक्षण नाम के अत्याचार के विरुद्ध  आत्म दाह जैसी कठोर यातना सहने के लिए विवश हुए  थे कितने सवर्ण छात्रों को गोलियों से भून दिया गया था तब इन  नेताओं का हृदय क्यों नहीं हिला था क्यों नहीं दिया ध्यान ?

     इस प्रकार से हमारे जैसे कितने स्वाभिमानी नौजवानों की जिंदगी से खेले हैं ये नेता लोग! अपना अपना पाप हर किसी को भोगना पड़ता है ये भी भोगेंगे इन्हें  जनता जरूर सबक सिखाएगी इन पापों का प्रायश्चित्त जरूर करना होगा हमें तो भगवान् पर भरोसा है । 

     जातिगत आरक्षण का विरोध करने के कारण हमारे सवर्ण बंधुओं को गोलियों से भून दिया जा रहा था या  वे बेचारे लोमहर्षक आत्मदाह करने को मजबूर हो रहे थे उनके पवित्र बलिदान को मैं आज तक सह नहीं पाया हूँ मेरी आत्मा मुझे रात रात भर सोने नहीं देती थी । 

        इसका मतलब यह कतई नहीं है कि हमारे उन भाइयों के साथ अन्याय हो जिन्हें आरक्षण का लाभ मिलने का तथाकथित दावा किया जा रहा है !किन्तु मेरी प्रार्थना मात्र इतनी है कि यदि यहाँ सक्षम लोकतंत्र है तो फिर इस वैज्ञानिक युग में ऎसे अंधविश्वास के साथ क्यों जीना कि दलित या किसी और जाति   का  पहले कभी शोषण किया गया होगा अरे! पहले जो हुआ होगा सो हुआ होगा हमें वर्त्तमान में जीना  चाहिए और इस देश का जो भी नागरिक गरीब हो वह किसी भी जाति  संप्रदाय का क्यों न हो उसका यथा सम्भव सहयोग किया जाए किन्तु आरक्षण का प्रावधान केवल विकलांगों अपाहिजों के लिए हो  क्योंकि ये तो मानने वाली बात है कि जिनके हाथ पैर ठीक न  हों शरीर और दिमाग स्वस्थ न हो उन्हें आरक्षण दिया जाना चाहिए बाकी स्वस्थ और सक्षम लोगों को आरक्षण किस बात का इन्हें आरक्षण क्यों दिया जाए ? 

    सब कुछ ठीक होने पर भी अगर कुछ लोगों के अंदर इस बात के लिए हीन भावना है कि वो अपने संघर्ष बल पर सवर्णों की बराबरी नहीं कर सकते हैं तो मैं कहना  चाहता हूँ कि आखिर क्यों ? क्या कमी है ऐसे लोगों में ?वैसे भी यदि गरीब सवर्ण का बच्चा संघर्ष  करके आगे बढ़ सकता है तो अन्य लोगों का क्यों नहीं? केवल यही न कि सवर्णों के अलावा अन्य जातियों को आरक्षण का सहारा होता है जबकि सवर्णों को अपने संघर्ष का ही भरोसा होता है और अपने सहारे रहने वाला कभी पराजित नहीं होता है और यदि होता है तो कुछ अनुभव लेकर लौटता है जो भविष्य की तरक्की में सहायक होता है!फिर भी यदि किसी को लगता ही है कि वो अपने संघर्ष के बल पर सवर्णों की बराबरी नहीं कर सकते इसलिए उन्हें जातीय तौर पर आरक्षण चाहिए तो ये कोई दिमागी बीमारी है जिसकी जाँच होनी चाहिए और प्रापर इलाज उपलब्ध कराया जाए! हो न हो इसी बीमारी का शिकार होने के कारण ही अतीत में भी ये तरक्की न कर पाए हों !जिसके लिए आज भी सवर्णों पर आधार हीन शोषण करने के आरोप लगाए जाते रहते हैं !इसलिए सभी जातियों के लोगों को चाहिए कि सवर्णों की तरह ही अपनी भुजाओं का भरोसा करें उसी से सब कुछ ठीक हो जाएगा !अन्यथा आरक्षण से साठ  नहीं छै सौ वर्ष में भी तरक्की नहीं हो सकती है भीख से किसी का भला नहीं हो सकता है!  

     मेरा निवेदन मात्र इतना है कि बात हमारी भी सुनी जाए !तब फैसला लिया जाए कि जातिगत आरक्षण दिया जाना चाहिए या नहीं किन्तु सरकार ने हम लोगों की माँगों पर विचार करना कभी जरूरी नहीं समझा !

      उचित होगा  कि काँग्रेस अपने पुराने पापों का  प्रायश्चित्त करते हुए ऐसे अवसर वादी हथकंडों से ऊपर उठकर देश हित में विचार करे, प्रजा प्रजा में भेद नहीं किया जाना चाहिए अन्यथा जैसे को तैसा !!जय श्री राम !!!

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