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Saturday, March 29, 2014

बनारस कोई चुनाव लड़ने का अखाड़ा नहीं है यह बाबा विश्वनाथ जी की राजधानी है !

    काशी बाबा विश्वनाथ जी की राजधानी है उसे शिव भक्तों ने अखाड़ा  नहीं बनने दिया वहाँ तो मोदी जी श्रद्धा पूर्वक बाबा के द्वार पर सेवा माँगने गए बाबा ने उन्हें निराश नहीं किया !

   वाराणसी के गौरव के विरुद्ध बढ़ रही राजनैतिक बयानबाजी रुकनी चाहिए थी नहीं रुकी तो जनता ने सिखाया  ऐसे प्लास्टिकी नेताओं को सबक !

    लालू ने कहा कि मोदी की राजनैतिक कब्र बनेगा बनारस! तो  केजरीवाल बोले कि मोदी की चुनौती स्वीकार !तो रशीद अल्वी भी चुनाव लड़ने को तैयार थे  और चिदंबरम साहब का भी कहना था कि वो  यदि हिंदी में अपाहिज न होते तो मोदी के सामने चुनाव लड़ने की हिम्मत जरूर  बाँधते !और दिग्विजय सिंह जी का नाम भी चर्चा में आ चुका था आश्चर्य है बनारस का चुनाव !!! 

   माता काशी को कोटिशः नमन !

   मैं  निवेदन करना चाहता  हूँ   कि काशी कोई सामान्य शहर भर नहीं है जो नेता लोग आधार हीन ऊल जुलूल वक्तव्य देते चले जा रहे हैं!उन्हें समझ लेना चाहिए कि काशी में केवल बाबा विश्वनाथ जी का ही हुक्म चलेगा यहाँ चुनौतियों का क्या मतलब?यहाँ आकर शास्त्रार्थ के लिए तो कोई ललकार नहीं सका फिर चुनाव के लिए कोई चुनौती देगा!जिस किसी का भाग्य ही ख़राब होगा तो ऐसा करेगा! यहाँ तो बाबा विश्वनाथ जी से श्रद्धा पूर्वक सेवा माँगी जा सकती है शासन नहीं !कोई केवल सांसद बनने के अहंकार में काशी में प्रवेश ही क्यों करे ?जब उसे काशी के प्रति आस्था न हो सेवा भावना न हो!

     पता लगा है कि कोई प्लास्टिक का ईमानदार वहाँ भी पहले जनमत संग्रह करने का ड्रामा करना चाह रहा है बाद में लड़ेगा चुनाव !उसे यह नहीं पता है कि बाबा विश्वनाथ जी से मोदी जी पहले ही सेवा माँग आए हैं तो क्या काशी की जनता बाबा विश्वनाथ जी के आशीर्वाद से अलग चली जाएगी !ऐसी कल्पना भी नहीं की जानी चाहिए पवित्र काशीवासी काशी में जाकर चुनौती देने वालों से एवं काशी को कब्र बनाने वालों से शक्तिपूर्वक  निपटना जानते हैं।जहाँ का कंकर कंकर शंकर हो वहाँ किसी की तानाशाही कैसे चलेगी सम्भव ही नहीं है!और मोदी जी से भी निवेदन है कि काशी में चुनाव लड़ने की भावना ही न रखें वहाँ तो शिवद्वार के भिक्षुक बनकर  श्रद्धा पूर्वक जाएँ बाबा विश्वनाथ जी किसी को निराश नहीं करते उन्हें भी नहीं करेंगे!

        काशी के  विषय में एक बात और ध्यान रखी जानी चाहिए कि काशी में झूठे आश्वासनों से बचा जाना चाहिए क्योंकि "काशी क्षेत्रे कृतं पापं बज्रलेपो भविष्यति।"                  

   कुछ सत्तालोलुप नेताओं की ऊट पटांग बातें सुनकर लगता है भारत में रहकर ये बेचारे इतने नादान हैं ये काशी के गौरव से बिलकुल अनजान हैं क्या !सम्पूर्ण भारत वर्ष में काशी ही ऐसी दिव्यतमा पुरी है जिसका सम्मान प्रकृति भी करती है! भगवान शिव का बॉस उत्तर दिशा है इसलिए माँ गंगा भी काशी में पहुँचकर  अपनी दिशा बदल लेती हैं और बहने लगती हैं उत्तरमुखी होकर !और राजघाट के पुल के पास से फिर पूर्व मुखी होकर बहने लगती हैं।जिस काशी का प्रलयकाल में भी विनाश नहीं होता है भगवान् शिव जिसे अपने त्रिशूल पर धारण कर लेते हैं ऐसी शास्त्र मानता है !  काशी कोई सामान्य शहर नहीं है- 

        काश्यां ही काशते काशी काशी सर्व प्रकाशिका। 

        सा काशी विदिता येन तेन प्राप्त ही काशिका॥ 

   सभी जातियों सभी समुदायों सम्प्रदायों के गरीब अमीरों  की समान रूप से जीवन संजीवनी माता काशी कभी किसी की कब्रगाह नहीं हो सकती !जिन बड़े बड़े दीन हीन अकिंचनों स्वजनों से उपेक्षितों आश्रय हीनों ने भी माता अन्नपूर्णा का प्रसाद पाकर भगवान विश्वनाथ बाबा की चरण शरण में प्राणयात्रा प्रारम्भ की है आज आजीविका के लिए वो देश के विभिन्न भागों में जीवन यापन भले ही कर रहे हैं किन्तु आज भी काशी के दर्शन एवं चर्चा टी.वी.चैनलों पर देख सुन कर उनकी आँखें भर आती हैं जो आज भी काशी की गरिमा का पोषण अपने प्राणों से करते हैं  उनसे पूछो क्या बीतती है उन पर! शूल से चुभते हैं उनके वे शब्द जिनसे कोई काशी के गौरव के साथ खिलवाड़ करता है ।काशी पर लोग कितना गर्व करते हैं ये वही जानता है जो कभी भगयवश काशीवासी बनकर रहा है !

     दो.   चना  चबेना  गंगजल  जो  देवे  करतार । 

           काशी कबहुँ न छोड़हीं विश्वनाथ दरवार ॥

                      प्रेम से बोलो हर हर महादेव !

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