मोदी जी ! शास्त्र कहता है कि संन्यासियों को स्वर्ण दान देने वालों को ,और ब्रह्मचारियों को तांबूल दान देने वालों को और अपराधियों को अभय दान देने वालों को नर्क अवश्य होता है !इसलिए हे भारत के प्राणवान प्रधानमंत्री !अटल जी का आदर्श याद रखना - न भीतो मरणादस्मि केवलं दूशितो यशः! किंतु हे शासक आज यश पर बन आई है समाज में गलत सन्देश जा रहा है इसे समय रहते यदि रोका न जा पाया तो आगे इसकी भरपाई होनी कठिन हो जाएगी !
मोदी जी आप ने पहली बार संसद भवन की सीढ़ियों पर माथा टेका था यह देखकर संसद की आत्मा भी इस बार प्रसन्न हुई होगी कि अभी तक लोग संसद को मंदिर केवल कहा करते थे बाक़ी बेसहूरों की तरह रौंदते चले जाते थे कम से कम बहुत वर्षों के बाद आज एक ऐसा सेवक मिला है जो हमें भी जीवित समझता है! चलो गाली गलौच करने वाले उद्दंडता प्रिय लोगों से मुक्ति मिली व्यक्ति के रूप में बहुत लोग आए और चले गए किन्तु कई वर्षों बाद प्राणवान प्रधानमंत्री के स्वरूप में भारतवर्ष ने एक सेवक का वरण किया है !
देशवासियों ! आपके सेवक ने आपकी संसद की चौखट पर शिर झुका दिया था इसलिए आलोचना में संयम बरतना चाहिए और प्रतीक्षा की जानी चाहिए प्रतिक्रिया की । अब आप जाति क्षेत्र संप्रदाय वाद से ऊपर उठकर ऐसा आशीर्वाद दें कि आपके इस सेवक पर ईश्वर ऐसी कृपा करे कि इसका बाल भी बाँका न हो! यह सेवक दीर्घायु हो !स्वस्थ हो ! सेवा व्रती हो और जनता की उम्मीदों पर खरा उतरे ! देशवासियों का अमित स्नेह भाजन हो !
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