अब अयोध्या में श्री राम मंदिर बनने की जगह साईं राम मंदिर बनेगा क्या !
साईं के नाम पर केवल सनातन धर्म की ही छीछालेदर क्यों की जा रही है किसी मस्जिद में साईं की मूर्ति क्यों नहीं है किसी गुरुद्वारे में साईं की मूर्ति क्यों नहीं है किसी चर्च में साईं की मूर्ति क्यों नहीं है फिर साईं बाबा का सभी धर्मों में सम्मान कैसे मान लिया जाए !
दूसरी बात साईं बाबा के नाम के साथ साईं राम ही क्यों कहा जाता है साईं अल्ला या साईं ईसामसीह क्यों नहीं कहा जाता है !
साईंआरती ही क्यों ? साईं नमाज या साईं मिसा(धर्म विशेेष की प्रार्थना) आखिर क्यों नहीं ?
साईं गायत्री ही क्यों साईं कुछ अन्य धर्मों का क्यों नहीं !
(श्री राम चरित्र मानस की नक़ल करते हुए) साईं चरित्र ही क्यों ? साईं कुरान, बाइबिल,गुरुग्रंथ साहब आदि क्यों नहीं ?
साईं पादुका पूजन ही क्यों ? ये केवल सनातन धर्मियों की परंपरा में है !
अधिकाँश साईं मंदिरों में ब्राह्मण पुजारी ही क्यों किसी अन्य धर्म का क्यों नहीं ?
देवी जागरण की ही तरह साईं जागरण ही क्यों ? किसी अन्य धर्म का अनुगमन क्यों नहीं !
सनातन धर्मियों की ही पूजा की नक़ल करते हुए प्रसाद या लड्डुओं का भोग आखिर क्यों किसी अन्य धर्म में भी ऐसा देखा गया है क्या ?
इस प्रकार से सारी सनातन धर्मियों की पूजा पद्धति की सारी नक़ल करके करते हुए भोले भाले सनातन धर्मियों को समझाया गया है कि साईं बाबा भी भगवान ही हैं उन्होंने वहाँ जाकर देखा तो अकल लगाकर सारी नक़ल अपने ही धर्म की गई थी इसलिए उन्हें संशय नहीं हो सका ये उनके साथ छल हुआ है इसीलिए सनातन धर्मियों का साईं बाबा की ओर ध्यान डाइवर्ट हो जाना स्वाभाविक था आज भी वो अपना सनातन धर्म का देवी देवता मानकर ही साईं बाबा पर आस्था रखते हैं न कि सर्व धर्म समभाव के कारण !साईं बाबा को भगवान मानने को लेकर जो हिन्दू भ्रमित किए गए हैं उन्हें आज भी सच्चाई से दूर रखा जा रहा है !ये अत्यंत चिंतनीय है !
गंगा जमुनी तहजीव या हिन्दू मुश्लिम एकता के नाम पर केवल हिन्दी धर्म की ही छीछालेदर क्यों की जा रही है आखिर अन्य धर्म भी तो हैं थोड़ी बहुत जिम्मेदारी उनकी भी होगी !आखिर देश की एकता और अखंडता के नाम पर केवल सनातन धर्मी ही क्यों अपने वेद पुराण एवं धर्मशास्त्रों के सिद्धांतों को छिन्न भिन्न हो जाने दें !
सनातन धर्म न तो साईं बाबा को भगवान मानता है और न ही साईं बाबा की पूजा प्रक्रिया में सनातन शास्त्रों की पद्धति की नक़ल ही बर्दाश्त करेगा !
वेद पुराण एवं धर्मशास्त्रों के सिद्धांतों को छोड़कर केवल साईंबाबा के रूप में ही साईंबाबा की प्रतिष्ठा बनाई जाए तो उसमें हमें या किसी को कोई आपत्ति नहीं होनई चाहिए ! तभी स्पष्ट रूप से यह पता चल पाएगा कि साईंबाबा के अपने अनुयायिओं की वास्तविक संख्या उनके अपने बल पर कितनी है अभी तक की संख्या को उनके अनुयायिओं की वास्तविक संख्या इसलिए नहीं माना जा सकता क्योंकि वो संख्या सनातन धर्मपर आस्थावान लोगों की है ।
जब हमारे सनातन धर्म के सर्व सम्मान्य प्रतिनिधि जगद्गुरु अपने रहन सहन त्याग तपस्या एवं सनातन धर्म एवं धर्म शास्त्रों के प्रति समर्पित होकर समय समय पर जनता को जागरूक और प्रभावित करते रहें तब तो संभव है कि इस तरह की धार्मिक स्मगलिंग रोकी जा सके अन्यथा ऐसे लोग अपनी धार्मिक शरारतों से बाज नहीं आएँगे !
साईं के नाम पर केवल सनातन धर्म की ही छीछालेदर क्यों की जा रही है किसी मस्जिद में साईं की मूर्ति क्यों नहीं है किसी गुरुद्वारे में साईं की मूर्ति क्यों नहीं है किसी चर्च में साईं की मूर्ति क्यों नहीं है फिर साईं बाबा का सभी धर्मों में सम्मान कैसे मान लिया जाए !
दूसरी बात साईं बाबा के नाम के साथ साईं राम ही क्यों कहा जाता है साईं अल्ला या साईं ईसामसीह क्यों नहीं कहा जाता है !
साईंआरती ही क्यों ? साईं नमाज या साईं मिसा(धर्म विशेेष की प्रार्थना) आखिर क्यों नहीं ?
साईं गायत्री ही क्यों साईं कुछ अन्य धर्मों का क्यों नहीं !
(श्री राम चरित्र मानस की नक़ल करते हुए) साईं चरित्र ही क्यों ? साईं कुरान, बाइबिल,गुरुग्रंथ साहब आदि क्यों नहीं ?
साईं पादुका पूजन ही क्यों ? ये केवल सनातन धर्मियों की परंपरा में है !
अधिकाँश साईं मंदिरों में ब्राह्मण पुजारी ही क्यों किसी अन्य धर्म का क्यों नहीं ?
देवी जागरण की ही तरह साईं जागरण ही क्यों ? किसी अन्य धर्म का अनुगमन क्यों नहीं !
सनातन धर्मियों की ही पूजा की नक़ल करते हुए प्रसाद या लड्डुओं का भोग आखिर क्यों किसी अन्य धर्म में भी ऐसा देखा गया है क्या ?
इस प्रकार से सारी सनातन धर्मियों की पूजा पद्धति की सारी नक़ल करके करते हुए भोले भाले सनातन धर्मियों को समझाया गया है कि साईं बाबा भी भगवान ही हैं उन्होंने वहाँ जाकर देखा तो अकल लगाकर सारी नक़ल अपने ही धर्म की गई थी इसलिए उन्हें संशय नहीं हो सका ये उनके साथ छल हुआ है इसीलिए सनातन धर्मियों का साईं बाबा की ओर ध्यान डाइवर्ट हो जाना स्वाभाविक था आज भी वो अपना सनातन धर्म का देवी देवता मानकर ही साईं बाबा पर आस्था रखते हैं न कि सर्व धर्म समभाव के कारण !साईं बाबा को भगवान मानने को लेकर जो हिन्दू भ्रमित किए गए हैं उन्हें आज भी सच्चाई से दूर रखा जा रहा है !ये अत्यंत चिंतनीय है !
गंगा जमुनी तहजीव या हिन्दू मुश्लिम एकता के नाम पर केवल हिन्दी धर्म की ही छीछालेदर क्यों की जा रही है आखिर अन्य धर्म भी तो हैं थोड़ी बहुत जिम्मेदारी उनकी भी होगी !आखिर देश की एकता और अखंडता के नाम पर केवल सनातन धर्मी ही क्यों अपने वेद पुराण एवं धर्मशास्त्रों के सिद्धांतों को छिन्न भिन्न हो जाने दें !
सनातन धर्म न तो साईं बाबा को भगवान मानता है और न ही साईं बाबा की पूजा प्रक्रिया में सनातन शास्त्रों की पद्धति की नक़ल ही बर्दाश्त करेगा !
वेद पुराण एवं धर्मशास्त्रों के सिद्धांतों को छोड़कर केवल साईंबाबा के रूप में ही साईंबाबा की प्रतिष्ठा बनाई जाए तो उसमें हमें या किसी को कोई आपत्ति नहीं होनई चाहिए ! तभी स्पष्ट रूप से यह पता चल पाएगा कि साईंबाबा के अपने अनुयायिओं की वास्तविक संख्या उनके अपने बल पर कितनी है अभी तक की संख्या को उनके अनुयायिओं की वास्तविक संख्या इसलिए नहीं माना जा सकता क्योंकि वो संख्या सनातन धर्मपर आस्थावान लोगों की है ।
जब हमारे सनातन धर्म के सर्व सम्मान्य प्रतिनिधि जगद्गुरु अपने रहन सहन त्याग तपस्या एवं सनातन धर्म एवं धर्म शास्त्रों के प्रति समर्पित होकर समय समय पर जनता को जागरूक और प्रभावित करते रहें तब तो संभव है कि इस तरह की धार्मिक स्मगलिंग रोकी जा सके अन्यथा ऐसे लोग अपनी धार्मिक शरारतों से बाज नहीं आएँगे !
आज सारे देश में मानव मंदिर बनाए जा रहे हैं । मैं बात साईं बाबा जी के विषय में भी कह रहा हूँ आज उनकी आरतियों में पूजा में उनकी तुलना श्री राम और कृष्ण से की जाती है ये सब शास्त्रीय है क्या !हो सकता है कि साईं बाबा के नाम पर किया जा रहा भारी भरकम धन संग्रह एवं योजना बद्ध ढंग से धर्म स्थलों पर या मंदिर मंदिर में रखवाई जा रही मूर्तियाँ सनातन धर्म को पूरी तरह नष्ट करने की केवल साजिश ही न हों अपितु इसमें थोड़ी बहुत सच्चाई भी हो किन्तु इनके अनुयायियों के द्वारा उनके विषय में अपनाई जा रही गतिविधियाँ एवं फैलाई जा रही भ्रांतियाँ सच्चाई कम एवं सनातन धर्म को नष्ट करने की साजिश अधिक लगती हैं! क्योंकि इनका कोई प्रमाणित इतिहास नहीं मिलता है और इनके विषय में कोई प्रमाणित विचारधारा नहीं मिलती है इनके कार्य नहीं मिलते हैं इन्होंने धर्म के विषय में कुछ लिखा हो वो नहीं मिलता है इनका कोई संप्रदाय रहा हो वो नहीं मिलता है । वो बात और है कि सनातन धर्म के धर्म ग्रंथों से एवं महापुरुषों के जीवन वृत्तों से पूजने पुजाने लायक आख्यानों की चोरी करके उनका एक पोथा साईं बाबा के नाम से तैयार कर दिया गया और आगे भी जो जो कुछ धर्म के नाम पर अच्छा होता जाएगा वो सब साईं व्यापारी सनातन धर्म को नष्ट करने के लिए साईं बाबा के चरित्रों में जोड़ते जाएँगे !जब झूठ ही लिखना है तो उसके विषय में प्रमाण क्या खोजना !इन्हीं साईं बाबा को श्री राम बताया जाएगा इन्हीं को श्री कृष्ण इन्हीं को शिव शंकर भी बता दिया जाएगा इन्हें ही रुक्मणी और श्री राधा जी का पति अर्थात श्री कृष्ण बताया जाएगा इन्हीं साईं बाबा के मुख में बाँसुरी लगाई जाएगी और इन्हीं की अँगुली पर गोबर्धन रखा जाएगा और इन्हीं को श्री सीता पति भी कहा जाएगा इन्हीं साईं बाबा से साईं पाखंडी धनुष तोड़वाएँगे और रावण मरवाएँगे!ये रखेंगे हिन्दुओं के ही पैरों पर पैर!यही लोग साईं बाबा को ही पार्वती पति शिव शम्भो भी बताएँगे इन्हें ही कैलास पर बैठाया जाएगा और धन के बल पर इन्हीं के शिर से गंगा बहाई जाएँगी! यदि सनातन धर्मी सचेत नहीं हुए तो श्री राम नवमी, श्री कृष्ण जन्माष्टमी,शिवरात्रि और दशहरा दीपावली जैसे सारे प्रमुख त्योहारों को साईं लीलाओं से जोड़ा जाएगा और पीछे का सारा इतिहास पुराण वेदादिकों के ज्ञान की बातें धन के बल पर झूठी सिद्ध कर दी जाएँगी !इस प्रकार से जब वेदों पुराणों की बातें ही भ्रम सिद्ध कर दी जाएँगी और मंदिरों में केवल साईं बाबा पूजे जाएँगे इन्ही की पाँच आरतियाँ गाई जाएँगी इन्हीं पर चढ़ावा चढ़ेगा बाक़ी देवी देवता घमा रहे होंगे ! श्री सीता और श्री राधा जी की जगह भी इन्हीं साईं को फिट करने की साजिश की जाएगी जैसे - जय श्री सीताराम की जगह जय श्री साईं राम एवं जय श्री राधाकृष्ण की जगह जय श्री साईंकृष्ण का प्रचार किया जाएगा यदि ध्यान से देखा जाए तो सनातन धर्म को पूरी तरह से नष्ट करने की तैयारी है, पैसे के बल पर साईं को ही टेलिवीजनों पर दिखाया जाएगा यही अखवारों में लिखवाया जाएगा !
चूँकि मंदिरों में हिन्दुओं की आस्था बहुत अधिक होती है इसलिए साईं के अधिक से अधिक मंदिर बनवाए जाएँगे अन्यथा सनातन धर्म के प्राचीन मंदिरों में ही मूर्तियाँ रख दी जाएँगी !चूँकि ब्राह्मण पंडित पुजारियों की बातें समाज श्रद्धा पूर्वक मान लेता है इसलिए इनकी पूजा में भी ब्राह्मण पंडित पुजारी ही रख कर उनसे ही साईं चरित नाम का झूठ बोलवाया जाएगा ।
कुल मिलाकर साईंबाबा नाम के आर्थिक आंदोलन को आगे बढ़ाने एवं सनातन शास्त्रों मर्यादाओं को ध्वस्त करने के लिए अभी तक जो गतिविधियाँ सामने आई हैं वे सनातन धर्मी समाज के लिए बहुत भयावह हैं इन पर यदि समय रहते लगाम न लगाई गई तो अयोध्या में श्री राम मंदिर न बनकर साईं राम मंदिर ही बन पाएगा !क्योंकि उसे भी ये लोग साईं राम की जन्म भूमि सिद्ध करने का प्रयास करेंगे !
मंदिर तो केवल देवी देवताओं के ही बन सकते हैं वैसे भी मूर्तियाँ भी केवल देवताओं की
ही पूजनीय हो सकती हैं क्योंकि मूर्ति में जब तक प्राण प्रतिष्ठा न की जाए
तब तक वो पत्थर ही मानी जाती है और प्राण प्रतिष्ठा वेदमंत्रों के द्वारा
की जाती है जिन देवी देवताओं के जो मन्त्र होते हैं उन्हीं से उनकी प्रतिष्ठा हो सकती है किन्तु जिसके मन्त्र ही नहीं होंगे उसकी कैसे की जा सकती है ?मुख्य बात यह है कि जब वेद लिखे गए थे तब साईं बाबा नाम ही नहीं था तो उनके मन्त्र कैसे लिखे जा सकते थे और जब उनके मन्त्र ही नहीं हो सकते तो उनकी प्रतिष्ठा कैसे की जा सकती है !अर्थात की ही नहीं जा सकती है जिसके मन्त्र नहीं हैं उसकी प्रतिष्ठा कैसी ? यदि मान भी लिया जाए कि इस नाम से कोई संत पहले कभी हुए ही होंगें तो वो अपना बुत पूजन करने के लिए किसी को क्यों प्रेरित करेंगे!संत तो भगवान की पूजा करने वाले होते हैं न कि अपनी पूजा करवाने वाले ! इसलिए ऐसे
संतों महापुरुषों की मूर्तियों को पूजने पुजाने का औचित्य ही क्या है ?और इसे सनातन धर्म को नष्ट करने की साजिश क्यों न माना जाए ! इस पर जगद्गुरु शंकराचार्य श्री स्वरूपानंद जी के
वक्तव्य को श्रद्धा पूर्वक स्वीकारते हुए इसपर नियंत्रण यथा सम्भव किया ही
जाना चाहिए यही उचित है।
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