भ्रष्टाचारियों को घूस देने के लिए जिसके पास पैसे न हों और नेताओं की चमचागिरी करके सोर्स का जुगाड़ न बैठा सकता हो !उसे सरकारी नौकरी और राजनीति में सफलता के सपने ही नहीं देखने चाहिए !भ्रष्टाचार के इस युग में ईमानदारी के नारे लगा लगा कर बेईमान लोग सब कुछ बेच लेते हैं !भले वो सरकारी नौकरी हो या राजनैतिक पद प्रतिष्ठा और पहचान ही क्यों न हो !
सेक्स और सुंदरता भी अहम् भूमिका निभाती है राजनीति और सरकारी सेवाओं में !अच्छा पद प्रतिष्ठा प्राप्त करके राजाओं की तरह सुख सुविधा भोगने के इच्छुक लोग अपनी इन्द्रियों पर लगाम लगाएँगे क्या ?ऐसे संयमी लोग कितने प्रतिशत होंगे राजनीति में ! ऐसे नौकरी विहीन राजनैतिक सफलता विहीन ईमानदार लोगों को सोशल मीडिया पर अपनी भावनाएँ व्यक्त करने से सरकारी एवं राजनैतिक भ्रष्टाचारी लुटेरे घूसखोर मक्कार कायर लोकतंत्र के हत्यारे बेईमान सफेदपोश लोग नहीं रोक सकते !यदि आप चाहते हैं कि आपकी तरह किसी अन्य प्रतिभासंपन्न विद्वान ईमानदार सदाचारी किसी युवा की जिंदगी न बर्बाद हो तो इन भ्रष्टाचारियों को बेनकाब करने के लिए सोशल साइटों पर संभाल लीजिए मोर्चा !और इन्हें दर्पण दिखते रहिए जिनमें शर्म होगी वो तो सुधर ही सकते हैं बाकी गद्दारी तो सरकारी शोणित में है ही उसका रोना किस्से रोया जाए !समाज बदलना है तो आगे आओ !
आज वो लोग पढ़ा रहे हैं जिन्हें खुद पढ़ना नहीं आता क्या सरकार में हिम्मत है कि अपने कर्मचारियों की एक बार परीक्षा ले कर देख तो ले कि इन्होंने जिन डिग्रियों के जो सर्टिफिकेट दिए हैं उनमें से कितने फर्जी हैं और कितने ओरिजनल और यदि ओरिजनल हैं तो इनमें काम करने की अकल कितने में है !यदि ये लोग योग्य ही होते तो सरकारी कामकाज की भद्द हर जगह क्यों पिटी पड़ी है !सरकार के प्रायः हर विभाग को जनता चोर की निगाह से क्यों देखती है !सैनिकों से इन्हें कुछ सीखना नहीं चाहिए क्या कि जिम्मेदारी क्या होती है !
सरकार अपने कर्मचारियों की परीक्षा लेकर देखे तो सही घूस और सोर्स का चमत्कार !भ्रष्टाचार के कारण देश की प्रतिभाओं के साथ कैसे कैसे धोखा होता रहा है !आज अधिकारियों को उठना बैठना सोना जगना सिखाना पड़ रहा है बारी उच्च शिक्षा !
अब तो अधिकरियों के कान में बताया जा रहा है कि जो सैलरी अभी तक तुम्हें बिना कुछ किए मिलती थी अब उसके लिए तुम्हें आफिसों में जाना पड़ेगा और जो लोग आएँगे उनकी बातें सुननी पड़ेंगी !उन्हें जाँच कराने के झूठ साँच आश्वासन देने पड़ेंगे !नौकरी करने के लिए तुम्हें और क्या करना है ये भी बताया जाएगा !जैसा जैसा कहा जाए वैसा वैसा करते जाना !बारे अधिकारी !जिन्हें अब तक अपने दायित्व का ही बोध नहीं था अगर इनके पास उच्चस्तरीय शिक्षा थी भी तो भी देश और समाज के भरोसे पर खरे तो नहीं उतर सके !अगर ये अशिक्षित ही होते या ऐसे अधिकारी होते ही न तो इससे ज्यादा और क्या भद्द पिटती जितनी अभी तक पिटती रही है !दुर्भाग्य है ऐसे लोकतंत्र का !
काश मैं भी नेता बन पाता !
हर पार्टी के लोगों को मैंने यह कहते सुना है कि वो राजनैतिक शुद्धि के
लिएपढ़े लिखे ईमानदार लोगों को अपने साथ जोड़ना चाहते हैं।जिससे देश में
ईमानदार राजनीति का वातावरण बनाया जा सके। यह सुनकर मैंने सोचा कि मैंने भी
दो विषय से आचार्य (एम.ए.) दो विषय से अलग से एम.ए. एवं बी.एच.यू. से
पीएच.डी की है।करीब150 किताबें लिखी हैं यद्यपि सारी प्रकाशित नहीं हैं,कई
काव्य ग्रंथ भी हैं।प्रवचन भाषण आदि करने ही होते हैं।आरक्षण आंदोलन से आहत
होकर मैंने आजीवन सरकार से नौकरी न मॉंगने का व्रत लिया हुआ है। वैसे भी
ईमानदारीपूर्वक जीवन यापन करने का प्रयास करता रहा हूँ। फिलहाल अभी तक निष्कलंक जीवन है यह कहने में हमें कोई संकोच नहीं हैं।
इस प्रकार से अपनी शैक्षणिक सामर्थ्य का राजनैतिक दृष्टि से देशहित में सदुपयोग करना चाहता था, इसी दृष्टि से मैंने लगभग हर पार्टी से संपर्क करने के लिए सबको पत्र लिखे अपनी पुस्तकें भेजीं अपने डिग्री प्रमाणपत्र भेजे फोन पर भी संपर्क करने का प्रयास किया,किंतु कहीं किसी ने हमसे मिलने के लिए रुचि नहीं ली।किसी ने हमें पत्रोत्तर देना भी ठीक नहीं समझा।कई जगह तो दो दो बार पत्र डाले किंतु कहीं कोई चर्चा न हो सकी किसी ने मुझे पत्र लिखने लायक या फोन करने लायक नहीं समझा मिलने की बात तो बहुत दूर की है।
हमारे राष्ट्रपति जी दुर्गा जी के भक्त हैं यह सुनकर उन्हें अपनी दोहा चौपाई में लिखी दुर्गा सप्तशती की पुस्तकें भेंट करके अपनी कुछ बात निवेदन करने का मन बनाया किंतु वहॉं पुस्तकें एवं पत्र भेजने के बाद भी कोई पत्र नहीं मिला।
इसके बाद कुछ हिंदू संगठनों से इसलिए संपर्क किया कि मेरी धार्मिक शिक्षा विशेष रूप से हैं शायद वहीं हमारा जनहित में शैक्षणिक सदुपयोग हो सके तो अच्छा होगा तो वहॉं के बड़े बड़े लोगों ने हमसे मिलना ठीक नहीं समझा उनसे छोटे लोगों को हमारी शिक्षा में कोई प्रत्यक्ष रुचि नहीं हुई, यद्यपि वहॉ मुझे इसलिए उन्होंने संपर्क में रहने को कहा ताकि हमारी समाज में जो गुडबिल है उसे संगठन के हित में आर्थिक रूप से कैस किया जा सके।यहॉं से इसी प्रकार के यदा कदा फोन भी आये जिनमें मैंने पैसे के कारण रुचि नहीं ली।
इसके बाद निष्कलंक जीवन बेदाग चारि़त्र का नारा देने वाले एक सामाजिक संगठन से जुड़ने के लिए वहॉं के मुखिया को अपना साहित्य भेजा और मिलने के लिए पत्र के माध्यम से समय मॉंगा किंतु वहॉं भी मुझे घास नहीं डाली गई।इसके बाद ब्लाग पर बैठ कर चुपचाप मैं अपने बिचार लिखने लगा। यहॉं यह अपनी निजी कहानी लिखने का अभिप्राय केवल यह है कि इन राजनेताओं को अपने दलों में अपने साथ जोड़ने में न जाने किस शैक्षणिक या और प्रकार की योग्यता की आवश्यकता होती है जिन ईमानदार कार्यकर्ताओं के नाम पर वे जिनकी तलाश किया करते हैं न जाने वे कौन से भाग्यशाली लोग हैं,और वे अपनी किस योग्यता से अपनी ओर राजनैतिक समाज को प्रभावित किया करते हैं?मुझे तो केवल इतना पता है कि हमारे जैसा शिक्षा से जुड़ा हुआ व्यक्ति इन राजनैतिक लोगों के किसी काम का नहीं है तो आम ग्रामीण या सामान्य आदमी इन राजनैतिक या सामाजिक संगठनों से क्या आशा रखे?अगर उसे अपनी कोई समस्या कहनी ही हो तो किससे कहे ?और यदि राजनैतिक क्षेत्र में जुड़कर कोई काम करना ही हो तो कैसे करे ?
इस प्रकार से अपनी शैक्षणिक सामर्थ्य का राजनैतिक दृष्टि से देशहित में सदुपयोग करना चाहता था, इसी दृष्टि से मैंने लगभग हर पार्टी से संपर्क करने के लिए सबको पत्र लिखे अपनी पुस्तकें भेजीं अपने डिग्री प्रमाणपत्र भेजे फोन पर भी संपर्क करने का प्रयास किया,किंतु कहीं किसी ने हमसे मिलने के लिए रुचि नहीं ली।किसी ने हमें पत्रोत्तर देना भी ठीक नहीं समझा।कई जगह तो दो दो बार पत्र डाले किंतु कहीं कोई चर्चा न हो सकी किसी ने मुझे पत्र लिखने लायक या फोन करने लायक नहीं समझा मिलने की बात तो बहुत दूर की है।
हमारे राष्ट्रपति जी दुर्गा जी के भक्त हैं यह सुनकर उन्हें अपनी दोहा चौपाई में लिखी दुर्गा सप्तशती की पुस्तकें भेंट करके अपनी कुछ बात निवेदन करने का मन बनाया किंतु वहॉं पुस्तकें एवं पत्र भेजने के बाद भी कोई पत्र नहीं मिला।
इसके बाद कुछ हिंदू संगठनों से इसलिए संपर्क किया कि मेरी धार्मिक शिक्षा विशेष रूप से हैं शायद वहीं हमारा जनहित में शैक्षणिक सदुपयोग हो सके तो अच्छा होगा तो वहॉं के बड़े बड़े लोगों ने हमसे मिलना ठीक नहीं समझा उनसे छोटे लोगों को हमारी शिक्षा में कोई प्रत्यक्ष रुचि नहीं हुई, यद्यपि वहॉ मुझे इसलिए उन्होंने संपर्क में रहने को कहा ताकि हमारी समाज में जो गुडबिल है उसे संगठन के हित में आर्थिक रूप से कैस किया जा सके।यहॉं से इसी प्रकार के यदा कदा फोन भी आये जिनमें मैंने पैसे के कारण रुचि नहीं ली।
इसके बाद निष्कलंक जीवन बेदाग चारि़त्र का नारा देने वाले एक सामाजिक संगठन से जुड़ने के लिए वहॉं के मुखिया को अपना साहित्य भेजा और मिलने के लिए पत्र के माध्यम से समय मॉंगा किंतु वहॉं भी मुझे घास नहीं डाली गई।इसके बाद ब्लाग पर बैठ कर चुपचाप मैं अपने बिचार लिखने लगा। यहॉं यह अपनी निजी कहानी लिखने का अभिप्राय केवल यह है कि इन राजनेताओं को अपने दलों में अपने साथ जोड़ने में न जाने किस शैक्षणिक या और प्रकार की योग्यता की आवश्यकता होती है जिन ईमानदार कार्यकर्ताओं के नाम पर वे जिनकी तलाश किया करते हैं न जाने वे कौन से भाग्यशाली लोग हैं,और वे अपनी किस योग्यता से अपनी ओर राजनैतिक समाज को प्रभावित किया करते हैं?मुझे तो केवल इतना पता है कि हमारे जैसा शिक्षा से जुड़ा हुआ व्यक्ति इन राजनैतिक लोगों के किसी काम का नहीं है तो आम ग्रामीण या सामान्य आदमी इन राजनैतिक या सामाजिक संगठनों से क्या आशा रखे?अगर उसे अपनी कोई समस्या कहनी ही हो तो किससे कहे ?और यदि राजनैतिक क्षेत्र में जुड़कर कोई काम करना ही हो तो कैसे करे ?
डॉ. शेष नारायण वाजपेयी
संस्थापकःराजेश्वरी प्राच्यविद्याशोधसंस्थान
एवं
दुर्गापूजाप्रचारपरिवार
व्याकरणाचार्य (एम.ए.)द्वारा संपूर्णानंदसंस्कृतविश्वविद्यालयवाराणसी ज्योतिषाचार्य(एम.ए.ज्योतिष)
द्वारासंपूर्णानंदसंस्कृतविश्व विद्यालयवाराणसी
एम.ए. हिन्दी द्वारा कानपुर विश्व विद्यालय
पी.जी.डिप्लोमा पत्रकारिता द्वारा उदय प्रताप कॉलेज वाराणसी पी.एच.डी. हिन्दी (ज्योतिष) द्वारा बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी बी.एच. यू. वाराणसी
व्याकरणाचार्य (एम.ए.)द्वारा संपूर्णानंदसंस्कृतविश्वविद्यालयवाराणसी ज्योतिषाचार्य(एम.ए.ज्योतिष)
द्वारासंपूर्णानंदसंस्कृतविश्व विद्यालयवाराणसी
एम.ए. हिन्दी द्वारा कानपुर विश्व विद्यालय
पी.जी.डिप्लोमा पत्रकारिता द्वारा उदय प्रताप कॉलेज वाराणसी पी.एच.डी. हिन्दी (ज्योतिष) द्वारा बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी बी.एच. यू. वाराणसी
विशेषयोग्यताः-वेद, पुराण, ज्योतिष, रामायणों तथा समस्त प्राचीनवाङ्मयएवं राष्ट्र भावना सेजुड़ेसाहित्य में लेखन और स्वाध्याय
प्रकाशितः-पाठ्यक्रम की अत्यंत प्रचारित प्रारंभिक कक्षाओं की हिन्दी की किताबें
कारगिल विजय (काव्य ) श्री राम रावण संवाद (काव्य )
श्री दुर्गा सप्तशती (काव्य अनुवाद ) श्री नवदुर्गा पाठ (काव्य)
श्री नव दुर्गा स्तुति (काव्य ) श्री परशुराम(एक झलक श्री राम एवं रामसेतु (21 लाख 15 हजार 108 वर्षप्राचीन)
कुछ मैग्जीनों में संपादन, सह संपादन स्तंभ लेखन आदि।
कारगिल विजय (काव्य ) श्री राम रावण संवाद (काव्य )
श्री दुर्गा सप्तशती (काव्य अनुवाद ) श्री नवदुर्गा पाठ (काव्य)
श्री नव दुर्गा स्तुति (काव्य ) श्री परशुराम(एक झलक श्री राम एवं रामसेतु (21 लाख 15 हजार 108 वर्षप्राचीन)
कुछ मैग्जीनों में संपादन, सह संपादन स्तंभ लेखन आदि।
अप्रकाशितसाहित्यः-श्रीशिवसुंदरकांड,श्रीहनुमतसुंदरकांड,संक्षिप्तनिर्णयसिंधु,
ज्योतिषायुर्वेद,श्रीरुद्राष्टाध्यायी,वीरांगनाद्रोपदी,दुलारीराधिका,ऊधौगोपीसंवाद, श्रीमद्भगवद्गीता‘काव्यानुवाद’
ज्योतिषायुर्वेद,श्रीरुद्राष्टाध्यायी,वीरांगनाद्रोपदी,दुलारीराधिका,ऊधौगोपीसंवाद, श्रीमद्भगवद्गीता‘काव्यानुवाद’
रुचिकर विषयः-
प्रवचन, भाषण, मंचसंचालन, काव्य लेखन, काव्य पाठ एवं शास्त्रीय विषयों पर
नित्य नवीन खोजपूर्ण लेखन तथा राष्ट्रीय भावना के विभिन्न संगठनों से जुड़कर
कार्य करना।
जन्मतिथिः-9.10.1965
जन्म
स्थानः- पैतृक गाँव-इंदलपुर, पो.संभलपुर,
जि.कानपुर,उत्तरप्रदेश वर्तमान पता
के -71, छाछी बिल्डिंग चौक ,
कृष्णानगर,दिल्ली51
फो.नंः-011 22002689,011 22096548,मो.09811226973,09968657732
No comments:
Post a Comment