हे मुख्यमंत्री जी ! अब किस मुख से कोसोगे पूर्ववर्ती सरकारों को ?हो सकता है उन्हें भी इन्हीं लापरवाह गैर जिम्मेदार कर्मचारियों ने ही धोखा दिया हो !
इसमें तत्कालीन सरकारों में बैठे उन नेताओं की गलती ही न रही हो !जिन्होंने शिक्षा चौपट की चिकित्सा चौपट की दूरसंचार सेवाएँ बर्बाद की डाक विभाग की साख घटाई तभी तो प्राइवेट स्कूल अस्पताल मोबाईल कोरिअर पर लोग भरोसा करते हैं सरकारी सेवाओं पर नहीं करते सरकारों को अपने कर्मचारियों से काम लेने की अकल नहीं है तो उसका दंड जनता क्यों भुगते ! सरकार आखिर क्यों देती हैं उन्हें इतनी भारी भरकम सैलरी !ऐसा करते क्या हैं सरकार से आधी आधी सैलरी दिलाकर प्राइवेट संस्थाएँ किंतना साफ सुथरा और जिम्मेदारी का काम ले पाती हैं !सरकार में इतने अयोग्य लोग क्यों हैं कि उन्हें काम लेना नहीं आता !राजनीति में उच्च शिक्षा अनिवार्य की गई होती तो ये दुर्दशा कभी नहीं होती !अपने से अधिक योग्यता रखने वाले अधिकारीयों कर्मचारियों से काम लेने की अल्प शिक्षित नेताओं में अकल ही नहीं होती है इसी लिए तो सरकारी मशीनरी उन्हें डराए धमकाए रहती है !ऐसा करोगे तो फँस जाओगे वैसा करोगे तो फँस जाओगे !डरपोक नेता थोड़ेदिन उछलकूद कर चुप हो जाता है !
अब सरकार यदि भला चाहती है और वास्तव में काम करने का इरादा है तो सरकार अपने कर्मचारियों की सैलरी घटाए उनकी संख्या बढ़ाए बेरोजगारी हटाए !साथ ही कामों के लिए अधिकारियों कर्मचारियों पर जिम्मेदारी डाले !अवैध सम्पत्तियों पर कब्जे हों या अवैध काम काज उन्हें रोकने की जिन अधिकारियों कर्मचारियों की जिम्मेदारी थी उन पर क्यों नहीं की गई कोई कार्यवाही ?सरकारउनकी संपत्ति की जाँच करवाए नौकरी लगते समय कितनी थी आज कितनी है घोषित आय स्रोतों से मेल खाती है क्या ?यदि नहीं तो की जाए कार्यवाही और जप्त की जाएँ संपत्तियाँ !
इतनी सैलरी में तो ऐसे या इससे अच्छे दो तीन कर्मचारी रखे जा सकते हैं किन्तु प्राइवेट वालों को मिल जाते हैं सरकार को क्यों नहीं मिलते हैं !जब जनता की कमाई के टैक्स से मिला पैसा दान ही करना है तो ऐसे कीजिए कि सबको मिले केवल सरकारी अधिकारी कर्मचारियों को ही क्यों मिले !किसानों को भी दिया जाए आखिर वे क्यों करें आत्महत्या ! सरकारी कर्मचारी ही नष्ट कार रहे हैं सरकार की साख !इसीलिए तो पुलिस जैसे विभाग भी यदि प्राइवेट भी होते होते तो कोई नहीं जाता सरकारी थानों में !
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