रामदेव जी !कोरोना जैसी महामारी की दवा बनाई जा सकती है क्या ?
आयुर्वेद का सिद्धांत है जिस रोग में दवा से लाभ होने लगे वह रोग होता है और जिसमें दवाओं का असर ही न होता हो वो महारोग होता है !इसे ही महामारी कहते हैं | ऐसी परिस्थिति में महामारी की दवा कोई बना कैसे लेगा ?ऊपर से यह दावा करना कि दवा के रोगियों पर किए गए परीक्षण में सौ प्रतिशत रोग से सौ प्रतिशत मुक्ति मिलती देखी गई है |आयुर्वेद के हिसाब से दावा सौ प्रतिशत झूठ है |क्योंकि कोरोना महामारी है और महामारी की दवा बनाई ही नहीं जा सकती तथा जिस रोग की दवा बनाई जा सकती है वो महामारी नहीं हो सकती इसलिए रामदेव का कोरोना की दवा बनाने वाला दावा झूठा है |
आयुर्वेद के सिद्धांतों के अनुशार महामारी की दवा बनाने के लिए महामारी शुरू होने से पहले महामारी का पूर्वानुमान पता लगा लिया जाना चाहिए और उसी समय दवा का निर्माण किया जा सकता है महामारी प्रारंभ होने के बाद दवा का निर्माण कर भी लिया जाए तो उसका कोई असर नहीं होगा |
कोई भी महामारी बुरे समय के प्रभाव से प्रारंभ होती है और बुरा समय समाप्त होने पर ही समाप्त होती है इसमें किसी दवा की कोई भूमिका नहीं होती है |इसीलिए इसे महामारी माना जाता है |
आयुर्वेद में 'कोरोना' जैसी महामारी की कहीं चर्चा ही नहीं है तो 'कोरोना' की दवा आयुर्वेद की विधि से बनाई कैसे जा सकती है! फिर भी यदि रामदेव कहते हैं कि मेरे द्वारा बनाई गई दवा 'कोरोनिल' आयुर्वेदिक है तो बतावें कि आयुर्वेद के किस ग्रंथ के किस अध्याय के किस श्लोक में कोरोनारोग का वर्णन है जहाँ बताया गया हो कि कोरोनारोग से पीड़ित व्यक्ति में क्या क्या लक्षण दिखाई पड़ते हैं जिन्हें देखकर पता लग जाता है कि इसे कोरोना हो गया है ?
दूसरी बात आयुर्वेद के किस ग्रंथ के किस अध्याय के किस श्लोक में कोरोनारोग और कोरोनारोग से मुक्ति पाने के लिए किन किन जड़ी बूटियों या औषधियों आदि का वर्णन किया गया है ?
यदि रामदेव या बालकृष्ण दोनों में से किसी ने आयुर्वेद का कभी कोई ग्रंथ देखा या पढ़ा भी हो तो उन्हें प्रमाण बता देना चाहिए साड़ी बात यहीं समाप्त हो जाएगी और उनकी 'कोरोनिल' कोरोना की आयुर्वेदिकदवा मान ली जाएगी यदि वे ऐसा नहीं कर पाते तो आयुर्वेद के नाम पर समाज को मूर्ख बनाना बिल्कुल ठीक नहीं है | आयुर्वेद के उस ग्रंथ का नाम रामदेव को बतादेना चाहिए जिसके आधार पर उन्होंने इस 'कोरोनिल'दवा को तैयार किया गया है |
मैं संपूर्ण विश्वास के साथ कह सकता हूँ ऐसी महामारी एवं ऐसी औषधि एवं इसके निर्माण की विधि आयुर्वेद के किसी ग्रंथ में नहीं है |इसलिए रामदेव और बालकृष्ण सात जन्मों में भी इसके प्रमाण नहीं दे सकते !ऐसी परिस्थिति में ये निर्णय समाज स्वयं करे कि रामदेव के द्वारा बनाई गई कुँए की औषधि आयुर्वैदिक है या नहीं !
कोरोना की दवा लाँच करने का समय !
कोरोना को जाँचने की पारदर्शी प्रक्रिया का अभाव !
यदि रामदेव या बालकृष्ण दोनों में से किसी ने आयुर्वेद का कभी कोई ग्रंथ देखा या पढ़ा भी हो तो उन्हें प्रमाण बता देना चाहिए साड़ी बात यहीं समाप्त हो जाएगी और उनकी 'कोरोनिल' कोरोना की आयुर्वेदिकदवा मान ली जाएगी यदि वे ऐसा नहीं कर पाते तो आयुर्वेद के नाम पर समाज को मूर्ख बनाना बिल्कुल ठीक नहीं है | आयुर्वेद के उस ग्रंथ का नाम रामदेव को बतादेना चाहिए जिसके आधार पर उन्होंने इस 'कोरोनिल'दवा को तैयार किया गया है |
मैं संपूर्ण विश्वास के साथ कह सकता हूँ ऐसी महामारी एवं ऐसी औषधि एवं इसके निर्माण की विधि आयुर्वेद के किसी ग्रंथ में नहीं है |इसलिए रामदेव और बालकृष्ण सात जन्मों में भी इसके प्रमाण नहीं दे सकते !ऐसी परिस्थिति में ये निर्णय समाज स्वयं करे कि रामदेव के द्वारा बनाई गई कुँए की औषधि आयुर्वैदिक है या नहीं !
कोरोना की दवा लाँच करने का समय !
कोरोना को जाँचने की पारदर्शी प्रक्रिया का अभाव !
दूसरी बात जिन मशीनों की जाँच में दिल्ली सरकार के स्वास्थ्यमंत्री एक दिन संक्रमित और एक दिन संक्रमण रहित पाए जाते हैं ऐसी भ्रामक जिन्हें कोरोना संक्रमित बताती हैं उनमें कोरोना लक्षण नहीं मिलते और जिनमें लक्षण मिलते वे संक्रमित होते उन्हें साधारण खांसी जुकाम बुखार बता दिया जाता है | ऐसी मशीनीजाँच के आधार पर कोरोनारोगियों का परीक्षण करके आयुर्वेद की किसी दवा को कोरोना रोग की दवा कैसे माना जा सकता है ?
रामदेव के 500 वैज्ञानिकों का रिसर्च है 'कोरोनिल'
रामदेव के 500 वैज्ञानिकों का रिसर्च है 'कोरोनिल'
रामदेव के द्वारा बनाई गई 'कोरोनिल' में तुलसी,गिलोय और अश्वगंध मुख्य तीन चीजें बताई गई हैं | 50 ग्राम की डब्बी में ये तीनों चीजें जिस किसी भी प्रकार से भरी जाएँ तो 20 रुपए से अधिक का सामन नहीं भ जा सकता है फिर इसकी कीमत चार छै सौ रूपए कैसे हो सकती है ?
तुलसी गिलोय और अश्वगंध का प्रयोग घर घर में हजारों वर्षों से किया जाता रहा है अभी भी किया जाता है इसके प्रभाव को भी सभी लोग जानते हैं तभी तो प्रयोग करते हैं अभी भी कर रहे हैं | इसमें रामदेव ने अपने 500 वैज्ञानिकों के द्वारा ऐसा नया रिसर्च क्या कराया है जो लोगों को पहले से पता नहीं था ?
रामदेव जी !आपके 500 वैज्ञानिकों को तुलसी गिलोय और अश्वगंध के गुण और प्रभाव जानने में 6 महीने लग गए !इनका प्रयोग भारत वर्ष के घर घर में हजारों वर्षों से किया जा रहा है और लोग लाभान्वित होते हैं | ये बात ग्रामीणों , किसानों ,माताओं से पूछ लेते तो वो तुम्हारे वैज्ञानिकों से ज्यादा अच्छी तरह से तुम्हें समझा देते !महामारी में सोशल डिस्टेंसिंग कितनी कारगर है इसका कोई वैज्ञानिक अध्ययन हुआ है क्या ?
दूसरा -
दूसरी बात जिन मशीनों
की जाँच में दिल्ली सरकार के स्वास्थ्यमंत्री एक दिन
संक्रमित और एक दिन संक्रमण रहित पाए जाते हैं ऐसी भ्रामक जिन्हें कोरोना
संक्रमित बताती हैं उनमें कोरोना लक्षण नहीं मिलते और जिनमें लक्षण मिलते
वे संक्रमित होते उन्हें साधारण खांसी जुकाम बुखार बता दिया जाता है | ऐसी
मशीनीजाँच के आधार पर कोरोनारोगियों का परीक्षण करके आयुर्वेद की किसी दवा
को कोरोना रोग की दवा कैसे माना जा सकता है ?
के द्वारा जीता जा सकता है | इसका वर्णन आयुर्वेद में कहाँ है क्या बता सकेंगे रामदेव !नहीं मिलता है
कोरोना की दवा आयुर्वेद के अनुशार बनाई ही कैसे जा सकती है !
कोरोना जैसी किसी भी महामारी की चर्चा आयुर्वेद में कहीं नहीं मिलती है फिर कोरोना रोगियों के लक्षण क्या होते हैं और उसकी दवा किन किन जड़ी बूटियों से बनायीं जा सकती है | इसका वर्णन आयुर्वेद में कहीं नहीं मिलता है फिर बाबा रामदेव कोरोना की आयुर्वेदिक औषधि बनाने का दावा किस आधार पर कर रहे हैं
है ही नहीं रामदेव के द्वारा