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Friday, June 12, 2020

मोरारीबापू प्रकरण में यदि कोई समस्या है तो उसका समाधान क्यों न खोजा जाए !

हमसे कुछ लोगों ने हमारी शिक्षा को लेकर प्रश्न किया है वे यह लिंक खोलकर देख सकते हैं -see more... http://snvajpayee.blogspot.com/2012/10/drshesh-narayan-vajpayee-drsnvajpayee.html 
 हमारे अनुसंधान कार्यों को इस वेवसाइट पर देखा जा सकता है - http://www.drsnvajpayee.com/
                        बिशेष बात :
  मैं अपनी शास्त्र साधना में लगा हूँ |मेरा किसी से कोई लेनादेना नहीं है एक बार मैंने साईं प्रकरण के विवाद में साईं का विरोध करके अपनी भूमिका अदा की थी और आज धार्मिक टिड्डियों को खदेड़ने के लिए मुझे आगे आना पड़ा !इसके अतिरिक्त मेरा  किसी के किसी विवाद वाग्व्यापार का न समर्थन है न विरोध !
    जहाँ तक बात मोरारी बापू जी की है 1987 में काशी के चेतसिंह किले पर इनकी कथा हो रही थी जिसमें काशीनरेश जी की भी गरिमामयी उपस्थिति हुई थी !यह काशी में संगीतमय पहली कथा थी जिसका विद्वानों ने विरोध भी किया और कहा जा रहा था कि शास्त्रार्थ के लिए ललकारा जाएगा आदि आदि किंतु मात्र थोड़े पैसों में वे लोग मान गए और सारी बातें समाप्त हो गईं !इसी कथा में काशीनरेश जी ने भी अपने उद्बोधन में अंतिम दिन कहा था कि काशी की धरती पर आप डालडा बेचने में सफल हो गए ! 
    उसके बाद रमेश भाई ओझा जी की कथा हुई उसमें काशी के बहुत लोग जाते थे किंतु बात वही संगीतमय कथा नहीं होनी चाहिए !खैर उसी समय संकट मोचन जी में शाम को मानस सम्मेलन भी चल रहा था !उसमें बक्सर वाले श्रीमन्नारायण (मामा जी) बोल रहे थे !दीनदयाल जालान जी रमेश भाई जी को लेकर वहाँ पहुँच गए इसी बीच रामचरितमानस की महती विभूति डॉ. श्रीनाथ मिश्र जी कुछ विद्वानों के साथ वहाँ पहुँच  गए | श्रीमन्नारायण जी (मामा जी) जब कथा करके मंच से उतरे तो उन्होंने डॉ. श्रीनाथ मिश्र जी को दण्डवत प्रणाम किया इसके बाद रमेश भाई ओझा जी को भी उसी प्रकार प्रणाम किया किंतु रमेश भाई जी की ओर से उनके सम्मान में ऐसा कुछ ध्यान नहीं दिया गया जिससे उनका भी सम्मान झलकता इसके बाद जब डॉ. श्रीनाथ मिश्र जी ने प्रवचन प्रारंभ किया तो उन्होंने कहा मामा जी बहुत बड़े विद्वान हैं और इतने सरल हैं की वे ऐसे ऐसे लोगों को प्रणाम करते हैं जिन्हें जीवन भर पढ़ा सकते हैं |ये उनकी गरिमा थी जो कहने का साहस केवल काशी की उस विभूति ने किया था !
      इसके बाद कलकत्ते वाले बालव्यास उन्होंने नाच गाने के माध्यम से श्रीमद भागवत कथा परंपरा की काशी की धरती पर जो धज्जियाँ उड़ाईं उसका एक ओर तो विरोध किया जा रहा था अंदर से समझौता हो रहा था !बालव्यास जी मुमुक्षुभवन के सामने वाली कोठी में रुकते थे एक दिन दोपहर में उनके विश्राम कक्ष के दरवाजे पर गुरुवर त्रिनाथ जी और गुरुवर शशिधर उनकी प्रतीक्षा में बैठे थे काफी भीड़ थी !मैं अचानक पहुँच गया तो उन्हें वहाँ प्रतीक्षा में बैठे देखते ही मैंने उन्हें प्रणाम किया और उनसे आने का कारण पूछा तो उन्होंने कहा व्यासजी से मिलना था मुझे आश्चर्य हुआ !खैर मैंने धक्का देकर दरवाजा खोला बालव्यासजी मुझे न केवल पहचानते थे अपितु स्नेह भी करते थे मैं उनको तुरंत बाहर लाया और उन दोनों विभूतियों को प्रणाम करवाया इसके बाद उनके गौरव के बिषय में बालव्यासजी को बताया उन्होंने सभी प्रकार से सम्मानपूर्वक उन्हें वहाँ से बिदा किया !ऐसा और भी होता रहा है |
   कुलमिलाकर  एक नहीं अनेकों बार हम लोगों ने उनसे कुछ धन ले लेकर अपनी गरिमा के साथ समझौता किया है आज हम उन्हीं लोगों को धर्म से बहिष्कृत करने की बातें करते हैं हमें हमारा इतिहास जानना होगा !
      मेरा मोरारी बापू जी जैसे किसी व्यक्ति से न कोई व्यक्तिगत संबंध है और न कुछ लेना देना किंतु मेरा उन लोगों से लेनादेना जरूर है जो खुद अयोग्य हैं धर्म शास्त्रीय ज्ञान विज्ञान के क्षेत्र में जिनका कोई अपना स्वाध्याय ही नहीं है किंतु शास्त्रीय ज्ञान विज्ञान की बात शुरू होते ही वे दुम पटकने एवं उछलकूद करने लग जाते हैं !अरे इतनी ही खुजली थी तो तुम खुद ऐसे बिषयों का अध्ययन करके अपने समाज को अपने शास्त्रीय नियमों धर्मों के आधार पर चला सकते थे उनके लिए प्रेरक बन सकते थे !किंतु अपना पतन हुआ इसलिए खुद को दोष न देकर किसी न किसी बड़े व्यक्तित्व को पकड़ कर उसे दुदकारने  हैं | ऐसे निर्लज्ज लोग ये नहीं देखते कौन कितना विद्वान् है कौन कैसा साधक है कौन कितना बड़ा संत है सनातन धर्म एवं समाज को समेट  कर  चलने में उसका अभी तक क्या योगदान रहा है !बिना कुछ देखे सुने फुदकने लग जाते हैं इसने ऐसे कपड़े क्यों पहने? ये ऐसा बोलता क्यों ?ये उनसे मिला क्यों ?ये वहाँ गया क्यों |अरे कोई तुम्हारे पिता जी की कमाई खाता है जो तुमसे आज्ञा ले लेकर काम करे !मुल्लों की तरह फतवे जारी करने वाले लोग दूसरे को मुल्ला बताते हैं  लोग  होते हैं जो सिर पर छेदवाली टोपी लगा लें तो  इनकी बातों से  लगने लगेगा कि ये किसी बिधर्मी के सिखावे पर फतवे जारी कर  रहे हैं | अरे अपने धर्म के किसी  व्यक्ति से कोई गलती हो भी गई हो तो उससे मिलकर  एक बार अपनी नाराजगी व्यक्त करो वो उस पर ध्यान न दे  तो दूसरे तीसरे आदि कदम हो सकते हैं !ये कौन सी बात है अपने बीबी बच्चों के साथ कपड़े उतार उतार कर रोडों पर नाचने लगे किसी ने पूछा ऐसा क्यों कर रहे हैं बोले मोरारीबापू ने ऐसा गाया  क्यों ?इसलिए जब तक वे मानेंगे नहीं तब तक मैं तो ऐसे ही नाचूँगा !अरे नाचो न इससे उनकी सेहत पर क्या असर पड़ेगा |
    शास्त्रचर्चा के लिए कुछ शास्त्रों का अध्ययन करके कुछ कहा जाए तो अच्छा लगता है बड़े स्तर पर यदि किसी से कोई धार्मिक या शास्त्रीय गलती हो भी रही है तो उस पर धर्मादेश देने के लिए हमारे सनातन धर्म के श्रद्धेय शंकराचार्य हैं वे उस बिषय में सोच बिचार करके निर्णय लेते रहते हैं उन्हें बड़ी जिम्मेदारी का निर्वहन करना होता है और प्रत्येक बिषय में सोचना होता है !वे हर बिषय में उचित अवसर की प्रतीक्षा करते हैं जब उन्हें जो ठीक लगता है वैसा धर्मादेश देते हैं हमें विश्वास रखना चाहिए कि वे हर परिस्थिति पर दृष्टि बनाए हुए हैं साईं का विरोध करने के लिए उन्हें किसी ने प्रेरित नहीं किया था फिर भी उन्होंने उचित समय पर उचित निर्णय लिया था !इसलिए हर प्रकरण में प्रतीक्षा की जानी चाहिए ! शरीर के किसी अंग में घाव हो जाए तो उसे काटकर फेंकना इतना आसान नहीं होता वही स्थिति धर्म की है | किसी को 50 वर्ष तक धार्मिक वक्ता  के रूप में प्रतिष्ठित करना इसके बाद उसे मुल्ला मुल्ला कहकर धर्म से बहिष्कृत करने की बात करना ये केवल वो उन लोगों के द्वारा जिनका धार्मिक जगत में शास्त्रीय ज्ञान विज्ञान के क्षेत्र में कोई अध्ययन अनुसंधान ही नहीं है | कई लोग तो ऐसे हैं उन्होंने शिक्षा तो डॉक्टर इंजीनियर  या कुछ और बनने की ली है किंतु धर्म के क्षेत्र में वे भी टाँग फँसाने पर आमादा हैं कुछ लोग तो इसलिए इसमें टाँग फँसाते हैं कि उनकी माता जी पहले किसी आश्रम में सेवा देती रही हैं तो उनके बच्चों को लगने लगा मैं तो जन्मजात  धार्मिक खानदान से हूँ |
    कई लोगों ने सरकारी विभागों में नौकरियाँ करते हुए जम के घपले घोटाले किए हैं अब प्राण फड़फड़ा रहे हैं कहीं पकड़ न जाएँ इसलिए अपनी चमड़ी बचाने के लिए ऐसे लोगों ने लालपटुका पहन कर टीका लगाना प्रारंभ कर दिया अपना पाप छिपाने के लिए धर्म के क्षेत्र में घुस कर मोरारीबापू मोरारीबापू धर्म धर्म करते जा रहे हैं ऐसे लोग अपने को धार्मिक सिद्ध करने के लिए एक अजीब सा मुखौटा बनाए घूम रहे हैं | कल एक टेलीफोन विभाग के लाइनमैन हमारे लिए कह रहे थे कि बहुत हिम्मती है इतने लोगों से अकेले जूझ रहा है | अरे इसमें आश्चर्य क्या है मैं किसान परिवार से हूँ बचपन में खूब बकड़ियाँ चराई हैं इससे ज्यादा उन लोगों को माना भी नहीं जा सकता हैं शास्त्रीय ज्ञानविज्ञान में जीरो वेषभूषा बिलकुल धार्मिक इंसानों जैसी बनाए घूम रहे हैं | एक लोग अपने को ब्राह्मण बता कर हमें अब्राह्मण सिद्ध करने में लगे हुए थे | बाद में मैंने उनके बिषय में पता किया तो उनकी माता जी किसी आश्रम में किसी साधू की सेवा में रही थीं उन्हीं संस्कारों से उनका प्रादुर्भाव हुआ जबकि उनके पिता दरजी थे किंतु श्रीमान जी हमारे ब्राह्मणत्व पर प्रश्न खड़े कर रहे थे | एक ने कहा कि मेरी आपके प्रति पहले बहुत आस्था थी आज वो ख़त्म हो गई !अरे भाई जब थी तब भी उस आस्था का वजूद क्या था और आज नहीं रही तो उससे नुक्सान क्या हुआ !तुम्हारा अपना कोई धार्मिक वजूद होता ये सब बातें तब मायने रखती थीं ऐसे तो बालों में हो जाने वाले जुओं से ज्यादा धार्मिक हैसियत क्या है सिर में तभी तक वजूद है जबतक हम कंघी नहीं करेंगे | 
     कोई एक हमारे लिए तमाम अपशब्दों का प्रयोग कर रहे थे उनके पूर्वज पतित होने से पूर्व पहले कभी  त्रिपाठी रहे होंगे तब वे वेद वेदादि का अध्ययन करते रहे होंगे इसलिए उन भूतपूर्व त्रिपाठी को भी लगता है शायद वे भी त्रिपाठी ही हों पढ़े पाँच मंत्र नहीं ,एक भी वेद नहीं पढ़े लिखते त्रिपाठी हैं इसके बाद विद्वानों के विरद्ध फतवा जारी करते हैं निर्लज्जता की हद है | एक है वो कह रहा है मैं तो बहुत बड़ा धार्मिक हूँ मैंने तो दीक्षा ली है मैं ब्राह्मण हूँ मोरारी बापू मुल्ला हैं  उसकी प्रोफाइल में चेहरे से शक हुआ पता लगा कि उसके पुरखे किसी ईदगाह में झाड़ू लगाने का काम करते रहे हैं | ऐसे लोग धार्मिक विद्वानों पर अंगुली उठाते हैं कितने शर्म की बात है !ऐसे न जाने कितने लोग हैं जो अपनी शास्त्रीय हैसियत पहचाने बिना दूसरों पर टिपण्णी करने लगते हैं धर्म के क्षेत्र में ये छिछोरापन बंद होना चाहिए !धार और धार्मिक विद्वानों पर टिप्पणी करनी है तो अपनी शास्त्रीय ज्ञान विज्ञान की क्षमता विकसित करनी होगी !
      हम सनातन धर्म के हर उस महात्मा विद्वान् कथाबाचक साधू संत पर किए जाने वाले हमलों का विरोध करेंगे !जहाँ उसके गुण और दोषका स्पष्ट मूल्यांकन किए बिना ही उसके विरुद्ध विधर्मी लोग फतवा जारी करने लगेंगे | अरे ! जिसने संघर्ष पूर्वक इतने लंबे समय में साधना पूर्वक अपने जीवन को बुना है मनुष्य होने के नाते कभी किसी से कोई गलती हो भी सकती है ऐसा संभव है जिसके लिए वो कह भी देता है कि मेरे मेरे किसी बात व्यवहार से यदि किसी को कष्ट हुआ हो तो मैं क्षमा माँगता हूँ !इसके बाद क्या बच जाता है जिसके लिए डुप्लीकेट सनातन ठेकेदारों ने उछलकूद मचा रखी है कुछ कालनेमियों की संतानें देखने में खुद तो किसी अँगेज की अवैध संतान लगते हैं वे भी सनातन धर्मियों को कालनेमि बताते  हैं !ऐसे लोगों के वक्तव्य का वजूद क्या है जो खुद किसी लायक नहीं हैं धर्म के क्षेत्र में उनका कोई योगदान भी नहीं है किंतु वे भी सनातनधर्म को अपने पिता जी का पतलून समझ बैठे हैं कि मोरारीबापू गलत हैं | कुछ खलिहर लखेरे लोग अपनी लुगाई को दिखाने के लिए मोरारी बापू का विरोध कर रहे हैं ताकि उनकी कुटाई करने वाले उनके घर वाले उन्हें हिन्दू समझ कर दो टाइम भोजन और चाय देते रहें उनके पापी पेट का सवाल है मैं समझता हूँ | ऐसे लोग पूँछ उठाए घूम रहे हैं कि मोरारी बापू माफी मांगेंगे तब हम मानेंगे !नहीं मानोगे तो मत मानों ऐसे लोग विरोध करके भी कर क्या सकते हैं धरती का बोझ हल्का करने के लिए किसी पहाड़ पर चढ़ के कूद भले जाएँ इसके अलावा शास्त्रीय अध्ययन तो है नहीं जो वहाँ जाकर मोरारी बापू जी को शास्त्रार्थ के लिए ललकारें !इतनी असलियत कहाँ लगी है |
     मोरारी बापू को मौला और साईंबापू को पापा मानने वाले लोगों के बिषय में महर्षि पराशर ने साफ साफ साफ लिखा है -
   चित्रकर्मः यथानेकैः रंगैरुन्मील्यते शनैः | 
   ब्राह्मण्यमपि तद्विद्धि संस्कारैः मंत्रपूर्वकैः || 
    सावित्र्याश्चापि गायत्र्या  संध्योपासत्यग्नि कार्ययोः | 
    वेदं चैवानधीयानाः सर्वे ते वृषलाःस्मृताः || 
  सावित्री गायत्री संध्योपासन अग्निहोत्र वेदाध्ययन से विहीन अपने को ब्राह्मण कहने वाले लोग ब्राह्मण नहीं अपितु शूद्र हैं !उनके पतित होने से पूर्व उनके पूर्वजों में वे शास्त्रीय गुण और सदाचार था इसलिए वे तो अधिकृत ब्राह्मण रहे होंगे किंतु इनमें से अधिकाँश टिड्डियों के ब्राह्मणत्व या हिंदुत्व के बिषय में तो भगवान ही जाने जो यहाँ बकवास करते रहे हैं !

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