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Wednesday, May 26, 2021

ramdev

                                 बाबा रामदेव जी ! बकवास बंद करो या फिर करो शास्त्रार्थ !

        सिद्ध करो कि ज्योतिष शास्त्र गलत है तथा  योग और आयुर्वेद का ज्योतिषशास्त्र से कोई संबंध नहीं है !

    बाबाजी !यदि आप ईमानदारी से शास्त्रीय सत्य बोलें और स्वीकार करेंगे तो हमारे साथ शास्त्रार्थ का सामना अधिक देर तक करना आपके लिए केवल कठिन ही नहीं अपितु असंभव भी होगा  |यदि आप हमारी शास्त्रार्थ की चुनौती स्वीकार करते हैं तो अपनी पात्रता सिद्ध करने के लिए दें हमारे इन प्रश्नों के उत्तर -

  1. किसी रोग की प्रकृति को समझे बिना उस रोगी की चिकित्सा कैसे की जा सकती है उस रोग से मुक्ति  दिलाने में सक्षम औषधि कैसे नहीं बनाई जा सकती है !ऐसी परिस्थिति में कोरोना महामारी को समझे बिना उससे मुक्ति दिलाने वाली औषधि (कोरोनिल)बना लेने का दावा रामदेव जी आपने कैसे कर दिया ?

 2. जिस कोरोना महामारी को ठीक ठीक समझने में अभी तक विश्व का कोई वैज्ञानिक सफल नहीं हुआ है उस महामारी को समझ लेने का दावा बाबा रामदेव जी आप कैसे कर सकते हैं !महामारी का निदान (वर्णन) आयुर्वेद के किस ग्रंथ के किस सूत्र के आधार पर आपने किया है ?

3. कोरोनामहामारी का निदान एवं इससे मुक्ति दिलाने वाले औषधीय द्रव्य तथा औषधिनिर्माण विधि का वर्णन यदि आयुर्वेद के किसी ग्रंथ में नहीं मिलता है तब रामदेव जी आपने अपने 'कोरोनिल' कबाड़ को आयुर्वैदिक औषधि कैसे सिद्ध कर दिया ?

 4.आयुर्वेद के शीर्षग्रंथ 'चरकसंहिता' में भगवान् पुनर्वसु ने महामारी प्रारंभ होने से पहले महामारियों का पूर्वानुमान लगाकर उससे बचाव के लिए औषधि बना लेने का निर्देश दिया है |महामारी प्रारंभ होने के बाद बनी औषधि को निष्प्रभावी बताया है | ऐसी परिस्थिति में महामारी प्रारंभ होने के बाद बनी 'कोरोनिल' का महामारी से मुक्ति दिलाने का दावा झूठा नहीं तो और क्या है ?

 5. चरकसंहिता' में भगवान  पुनर्वसु ने महामारी का पूर्वानुमान लगाने की विधि ज्योतिषशास्त्र के आधार  पर बताई है| रामदेव जी आपको यह बात इसलिए समझ में नहीं आई क्योंकि इस जन्म में ज्योतिष समझ पाना आपके बश की बात नहीं है | ऐसी परिस्थिति में ज्योतिषशास्त्र को समझे बिना महामारी का पूर्वानुमान लगाया नहीं जा सकता फिर रामदेव जी आपने 'कोरोनिल' कबाड़ को महामारी की औषधि के रूप में कैसे बेचने लगे ?

 6.रामदेव जी !पहले योग से रोग दूर करने का नारा देकर आप कसरतें बेचते रहे  !कसरतें फ्लॉप होने के बाद आपने औषधियों से रोग दूर करने का नारा दिया !वह भी फ्लॉप हुआ तब आपने अच्छा राशन खिलाकर रोग दूर करने का नारा दिया उसके बाद भी स्थिति वही है | आखिर क्या कारण है कि दिनोंदिन समाप्त होती जा रही कोरोना महामारी आपकी 'कोरोनिल' लांच होते ही दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ने लगी ?

7. बाबा जी !कुलमिलाकर एलोपैथ और ज्योतिष आप इसलिए नहीं मानते हैं क्योंकि ऐसी गंभीर बातें समझने की क्षमता आप खो चुके हैं आयुर्वेद आप जानते नहीं हैं इसीलिए मशालों को भी आप आयुर्वैदिक औषधि मान लेते हैं !व्यायाम  करने को आप योग समझ बैठे हैं !बिना पढ़े लिखे किसी भी व्यक्ति को इस प्रकार के भ्रम होने लगते हैं | आपकी शिक्षा कुछ है नहीं रिसर्च रिसर्च दिन भर करते हैं ! रिसर्च करने के लिए भी तो पहले पढ़ाई करनी होती है इस सच को आप स्वीकार करने के  लिए तैयार क्यों नहीं हैं !आयुर्वेद और योग के बिषय में झूठी अफवाहें क्यों फैलाया करते हैं ?

 

 

 4.जिस प्रकार से जीरा धनियाँ हल्दी मिर्चा नमक आदि सभी मशाले तथा आलू लौकी आदि सभी सब्जियाँ एवं गेहूँ चना आदि सभी आनाज दालों आदि का वर्णन आयुर्वेद में मिलता है |उसीप्रकार से रामदेव की कोरोनिल में पड़े द्रव्यों का वर्णन आयुर्वेद में मिलता है किंतु जिस प्रकार से सभी धर्मों देशों भाषाभाषियों के द्वारा उन द्रव्यों के सम्मिश्रण से बनाया गया भोजन आयुर्वैदिक नहीं होता है उसी प्रकार से रामदेव की कोरोनिल आयुर्वैदिक औषधि नहीं है क्योंकि इस औषधि का वर्णन आयुर्वेद में नहीं है | 

 

 आयुर्वैदिक हैं !,उन सब्जियों का प्रयोग सभी जाति भाषा ति उन्हीं द्रव्यों का प्रयोग केवल आयुर्वेद ही नहीं अपितु चिकित्सा की सभी पद्धतियों में आवश्यकता के अनुशार कर लिया जाता है | ऐसी परिस्थिति में आयुर्वेद के किसी ग्रंथ में वर्णन मिले बिना भी  अन्य चिकित्सा पद्धतियों की तरह ही आपने भी 'कोरोनिल' बना डाली !वह 'कोरोनिल' आयुर्वैदिक औषधि कैसे हो गई ?

 

 

 

 

 

रामदेव को शास्त्रार्थ की खुली चुनौती ! रामदेव सिद्ध करें कि वे योग या आयुर्वेद जानते हैं !

  1. महामारी की प्रकृति को आपने पहचाना कैसे ? महामारी के स्वभाव और लक्षणों को आपने समझा कैसे ?  महामारी का निदान (वर्णन) आयुर्वेद के किस ग्रंथ में है ! महामारी को समझने का दावा आप आयुर्वेद के किस ग्रंथ के किस सूत्र के आधार पर कर रहे हैं ?

2. आयुर्वेद का सिद्धांत है कि किसी रोग को ठीक से समझे बिना उसकी औषधि का निर्माण नहीं किया जा सकता !ऐसी परिस्थिति में महामारी को समझे बिना उसकी दवा बना लेने का दावा आप किस आधार पर कर रहे हैं ?

3. कोरोनामहामारी का निदान एवं इससे मुक्ति दिलाने वाले औषधीय द्रव्य तथा औषधिनिर्माण विधि का वर्णन यदि आयुर्वेद के किसी ग्रंथ में नहीं मिलता है तब आपकी काल्पनिक 'कोरोनिल' आयुर्वैदिक औषधि कैसे हो गई ?

 4. औषधियों में पड़ने वाले कई द्रव्य तो मशाले के रूप में सब्जियों में भी डाले जाते हैं !उन्हीं द्रव्यों का प्रयोग केवल आयुर्वेद ही नहीं अपितु चिकित्सा की सभी पद्धतियों में आवश्यकता के अनुशार कर लिया जाता है | ऐसी परिस्थिति में आयुर्वेद के किसी ग्रंथ में वर्णन मिले बिना भी  अन्य चिकित्सा पद्धतियों की तरह ही आपने भी 'कोरोनिल' बना डाली !वह 'कोरोनिल' आयुर्वैदिक औषधि कैसे हो गई ?

 5.आयुर्वेद के शीर्ष ग्रंथ 'चरकसंहिता' में महामारियों को समझने के लिए सबसे पहले उसका पूर्वानुमान लगाना आवश्यक बताया गया है उसी  पूर्वानुमान के आधार पर महामारी प्रारंभ होने से पहले ही महामारी से बचाव के लिए औषधि  बना लेने की बात कही गई है महामारी प्रारंभ होने के बाद बनाई गई औषधि महामारी से मुक्ति दिलाने में प्रभावशून्य होती है | महामारी प्रारंभ होने के बाद बनी आपकी 'कोरोनिल' आयुर्वैदिक कैसे  है ?

 6. चरकसंहिता' में भगवान  पुनर्वसु ने महामारी का पूर्वानुमान लगाने की विधि ज्योतिषशास्त्र के आधार  पर बताई है उस ज्योतिष को समझपाने की क्षमता आप दोनों ने जन्म से ही खो दी है इसलिए इस जन्म में उस दिव्य ज्योतिषशास्त्र  को समझ पाना आपके बश की बात भी नहीं है उसके लिए उन्नत चरित्र एवं साधना की आवश्यकता होती है | ऐसी परिस्थिति में भगवान  पुनर्वसु के आदेशानुसार महामारी का पूर्वानुमान आप लगा नहीं सकते हैं !उसके बिना कोरोना महामारी की आयुर्वैदिक औषधि बना लेने का दावा आप कैसे कर सकते हैं ?

 7.बाबा जी !सबसे पहले योग से रोग दूर करने का नारा देकर आप कसरतें बेचते रहे  !कसरतें फ्लॉप होने के बाद आपने औषधियों से रोग दूर करने का नारा दिया !वह भी फ्लॉप हुआ तब आपने अच्छा राशन खिलाकर रोग दूर करने का नारा दिया उसके बाद भी स्थिति वही है | आखिर क्या कारण है कि दिनोंदिन समाप्त होती जा रही कोरोना महामारी आपकी 'कोरोनिल' लांच होते ही दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ने लगी ?

8. बाबा जी !कुलमिलाकर एलोपैथ और ज्योतिष आप इसलिए नहीं मानते हैं क्योंकि ऐसी गंभीर बातें समझने की क्षमता आप खो चुके हैं आयुर्वेद आप जानते नहीं हैं इसीलिए मशालों को भी आप आयुर्वैदिक औषधि मान लेते हैं !व्यायाम  करने को आप योग समझ बैठे हैं !बिना पढ़े लिखे किसी भी व्यक्ति को इस प्रकार के भ्रम होने लगते हैं | आपकी शिक्षा कुछ है नहीं रिसर्च रिसर्च दिन भर करते हो ! रिसर्च करने के लिए भी तो पहले पढ़ाई करनी होती है इस सच को आप स्वीकार करने के  लिए तैयार नहीं हैं | 

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