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Monday, October 28, 2024

SUKTI

कुछ लोग  सस्ते उपहार उन्हें देते हैं जो उपयोग करते हैं और महँगे उन्हें देते हैं जो दुरुपयोग करते हैं |कमाई कैसी है ये इसी से पता लग जाती है |  उनकी कमाई पाप की है या पुण्य की
 
 ईश्वर की कृपा को पहचानो वो उनके हृदय में भी है जो तुम्हें दुःख देते हैं वहाँ भी है जहाँ संकट हैं | उन्हें भूलकर कसके होकर जिओगे
 
जो रिस्तेदार तुमसे अपना बनाया हुआ रिस्ता अपने आधार पर निभावे उससे जुड़े रहो !जो किसी दूसरे से पूछकर तुम्हारे विषय में निर्णय ले उस रिश्ते को कितने दिन धो पाओगे !

 जिन अफसरों ने अवैध कब्जे करवाए वही उन्हें तोड़ने पहुँच रहे हैं | उन्हें जो तोड़े सो शासक अन्यथा सत्ता के  दलाल !

    जिसकी समस्या उसे समाप्त होने का इंतजार ही राजनीति है! गरीबी हटाने का नारा जब जिन्हें दिया गया था अब वे नहीं हैं किंतु गरीबी अभी भी है |

     दलितों को दुत्कारते रहने वाले लोग ही दलितों के मसीहा बने हैं उन्होंने देखा है कि उनके पुरखों ने किसे कितना लूटा है !  

हम जिसको पवित्र मानते रहे फैशन के नाम पर उसका प्रदर्शन क्यों ? जो शरीर सौंदर्य समर्पण  करते हैं जो देना नहीं वो दिखाना ही क्यों ?चाहते उसे दिखाते क्यों हैं


दान देने का ज्ञान लेने का और अभिमान त्यागने का अभ्यास करते रहो !अच्छे लोगों के प्रिय बने रहोगे !

 

ये बात जितनी जल्दी समझ में आ जाए उतनी ही भलाई है !
 
 मृत्यु और विनाश बिना बुलाए ही आया करते हैं। क्योंकि ये हमारे मित्र के रूप में नहीं शत्रु के रूप में आते हैं।
अमृत और मृत्यु- दोनों ही इस शरीर में स्थित हैं। मनुष्य मोह से मृत्यु को और सत्य से अमृत को प्राप्त होता है।

समय आए बिना वज्रपात होने पर भी मृत्यु नहीं होती और समय आ जाने पर पुष्प भी प्राणी के प्राण ले लेता है।

परिवर्तन ही सृष्टि है, जीवन है। स्थिर होना मृत्यु है।

इस धरती पर कर्म करते-करते सौ साल तक जीने की इच्छा रखो, क्योंकि कर्म करने वाला ही जीने का अधिकारी है। जो कर्म-निष्ठा छोड़कर भोग-वृत्ति रखता है, वह मृत्यु का अधिकारी बनता है।

जब आपके पास पैसा आ जाता है तो समस्या सेक्स की हो जाती है, जब आपके पास दोनों चीज़ें हो जाती हैं तो स्वास्थ्य समस्या हो जाती है और जब सारी चीज़ें आपके पास होती हैं, तो आपको मृत्यु भय सताने लगता है।

जैसे पके हुए फलों को गिरने के सिवा कोई भय नहीं वैसे ही पैदा हुए मनुष्य को मृत्यु के सिवा कोई भय नहीं।

भूख प्यास से जितने लोगों की मृत्यु होती है उससे कहीं अधिक लोगों की मृत्यु दूसरों का अधिकार भोगने से होत




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