Saturday, October 12, 2024

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आदरणीय प्रणाम !

 प्राकृतिक आपदाओं एवं महामारी संबंधी अनुसंधानों में सहयोग हेतु !

महोदय,

         निवेदन है कि मैं भारत के प्राचीन गणित विज्ञान के आधार पर भविष्य में घटित होने वाली घटनाओं के विषय में पिछले 35 वर्षों से अनुसंधान करता  आ रहा हूँ !इसके आधार  वर्षा आँधी तूफ़ान आदि प्राकृतिक घटनाओं के विषय में पूर्वानुमान लगाना आसान हो रहा है | कोरोना महामारी एवं उसकी लहरों के विषय में पूर्वानुमान लगाकर पीएमओ की मेल पर मैं जो तारीखें भेजता रहा हूँ वो सही निकलती रही हैं| यहाँ तक कि वैक्सीन न लगाने की सलाह मैंने सरकार को दी थी | ये सारी मेलें हमारे पास अभी भी सुरक्षित हैं |मेरे पूर्वानुमानों का उपयोग अघोषित रूप से इससे संबंधित सरकारी और गैर सरकारी विभागों में किया जाता रहा है | जो पीटीआई ने प्रकाशित भी किया है |सरकारी विभाग उपयोग तो करते हैं किंतु इसे स्वीकार नहीं करते हैं | वे इसे विज्ञान नहीं मानते | इसलिए ऐसे अनुसंधानों को आगे बढ़ने में मेरी मदद करने से मना कर देते हैं |जिससे इन अनुसंधानों को आगे बढ़ाना बहुत कठिन हो रहा हैं ,जबकि ऐसे अनुसंधान प्राकृतिक आपदाओं एवं महामारियों से समाज की सुरक्षा करने में बहुत सहायक हो सकते हैं  |

    मान्यवर ! प्राकृतिक आपदाओं एवं महामारियों के आ जाने पर उनसे बचाव के लिए कुछ किया जाना इसलिए संभव नहीं होता है क्योंकि इसके लिए पहले से तैयारियाँ करके रखनी होती हैं | इसके लिए घटनाओं के विषय में पहले से सही पूर्वानुमान पता होने चाहिए | भविष्य में  झाँकने के लिए अभी तक ऐसा कोई दूसरा विज्ञान नहीं है | जिसके आधार पर मौसम एवं महामारी के विषय में पूर्वानुमान लगाया जाना संभव हो| पूर्वानुमान लगाने के लिए हमारे अनुसंधान के अतिरिक्त विश्व में कोई दूसरी प्रक्रिया नहीं है | 

    इसीलिए कोरोना महामारी के विषय में विश्व वैज्ञानिकों के द्वारा जितने भी अनुमान पूर्वानुमान अदि लगाए जाते रहे | उनमें से कोई भी सही नहीं निकलते रहे हैं | इसके लिए भारत में बनाया गया सूत्र मॉडल भी सही पूर्वानुमान लगाने में सफल नहीं हुआ है | हमारे पास इसके पर्याप्त प्रमाण हैं |

     इसी परिस्थिति में मेरे अनुसंधान ऐसे संकटों के समय मानवता के हित में बहुत उपयोगी हैं | इन्हें आगे बढ़ने के लिए मुझे संसाधन जुटाने होते हैं जिसके लिए आपसे मदद की अपेक्षा है | 

                                                                                      निवेदक

                                    -डॉ.शेष नारायण वाजपेयी 

                                            पीएचडी ( B.H.U.) 

                                    संस्थापक :राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोध संस्थान

                                 A-7\41  कृष्णानगर -दिल्ली - 51 

                                  मोबाईल :   9811226983


माननीय प्रधानमंत्री जी !

                                               सादर प्रणाम

     विषय :महामारी से संबंधित अपने अनुसंधान के विषय में मिलने के लिए समय देने हेतु निवेदन !

      महोदय,

     महामारी का स्वभाव हिंसक एवं उसका वेग बहुत अधिक होता है| उसके शुरू होते ही लोग जब संक्रमित होने एवं मृत्यु को प्राप्त होने लगते हैं |इतने कम समय में महामारी से जनधन की सुरक्षा की जानी संभव नहीं हो पाती है |इससे बचाव के लिए पहले से करके रखी गई मजबूत तैयारियाँ ही काम आ पाती हैं | विशेषज्ञों को बचाव की तैयारियाँ करने में जितना समय लग सकता है| उतने समय में महामारियाँ जनधन का नुक्सान करके चली भी जाती हैं|इसके लिए महामारी के विषय में पहले से सही अनुमान पूर्वानुमान पता होने आवश्यक होते हैं | 

     महामारी की पहली लहर से लेकर अभी तक संक्रमण बढ़ने या घटने की जितनी भी घटनाएँ घटित हुई हैं | उनके विषय में हमारे द्वारा लगाए गए अनुमान पूर्वानुमान आदि उन तारीखों सहित सही निकलते रहे हैं | मैं उन्हें आगे से आगे पीएमओ की मेल पर भेजता आ रहा हूँ |जो अभी भी सुरक्षित हैं |

    ऐसे विषयों पर मैं बीते तीस वर्षों से अनुसंधान करता आ रहा हूँ | उन्हें ही आगे बढ़ाते हुए महामारी को समझने में सुविधा हुई है और सही पूर्वानुमान लगाने में सफल हुआ हूँ |जिस प्रकार से किसी वृक्ष की जड़ें विभिन्न क्षेत्रों में फैली होती हैं | उस वृक्ष की मजबूती समझने के लिए उन सभी जड़ों की परिस्थिति को समझना होता है | उसी प्रकार से महामारी को समझने के लिए उस कालखंड के प्राकृतिक वातावरण को समझते हुए उसमें घटित हुई संपूर्ण प्राकृतिक घटनाओं के विषय में अनुसंधान करना पड़ा है | जिसके परिणाम स्वरूप मेरा यह प्रयत्न सफल रहा है |

      श्रीमान जी ! महामारी जैसे इतने भयंकर शत्रु को समझना एवं इसके विषय में अनुमान पूर्वानुमान आदि लगाना अत्यंत कठिन कार्य था | अपना जीवन लगाकर मैं इसे लक्ष्य तक ले जाने में ईश्वर कृपा से सफल हुआ हूँ ,किंतु मैं चाहता हूँ कि मेरा यह अनुसंधान भविष्य में भी ऐसी महामारियों से सुरक्षा की दृष्टि से काम आता रहे | संसाधनों के अभाव में व्यक्तिगत रूप से मेरे द्वारा ऐसा किया जाना अत्यंत कठिन लगता है | इसलिए ऐसे अनुसंधान कार्य को आगे बढ़ाने के लिए आपसे मदद की अपेक्षा है |

   मुझे विश्वास है कि इस अनुसंधान को एवं इससे प्राप्त तथ्यों को  यदि ठीक ठीक प्रकार से विश्वमंच पर प्रस्तुत किया जाए तो भारत की इस प्राचीन ज्ञान संपदा से न केवल संपूर्ण विश्व लाभान्वित होगा, प्रत्युत भारत के ज्ञान का गौरव पुनः वैश्विक स्तर पर स्थापित करने में मदद मिलेगी |यह ऐतिहासिक कार्य आपके द्वारा ही संभव है | इसके लिए यदि संभव हो तो मिलने हेतु समय देने की  कृपा करें | 

                                                   निवेदक

                                    -डॉ.शेष नारायण वाजपेयी 

                                            पीएचडी ( B.H.U.) 

                                    संस्थापक :राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोध संस्थान

                                 A-7\41  कृष्णानगर -दिल्ली - 51 

                                  मोबाईल :   9811226983

                        महामारी कैसे पैदा हुई !लोग संक्रमित कैसे हुए !चिकित्सा से लाभ क्या हुआ ?  

      वर्तमान समय में अनुसंधानों की सबसे बड़ी समस्या ये है कि महामारी आकर चली भी गई है किंतु अभी तक यह समझा जाना संभव नहीं हो पाया है कि महामारी पैदा कैसे हुई ? महामारी से लोग रोगी कैसे हुए ? संक्रमित होने वाले लोग स्वस्थ कैसे हुए ?महामारी समाप्त कैसे हुई ? समाप्त हुई या अभी और आएगी ! महामारी का पूर्वानुमान लगाने के लिए भविष्य को कैसे देखा गया ? भविष्य में  झाँकने के लिए विज्ञान कहाँ है ?महामारी के बिषाणु पदार्थों या जीवों के अंदर प्रवेश कर सकते है या नहीं ? महामारी के बिषाणु प्राकृतिक वातावरण में मनुष्य शरीरों से पहुँचते हैं या मनुष्य शरीरों से प्राकृतिक वातावरण में ? महामारी से मुक्ति दिलाने में चिकित्सा की कितनी भूमिका रही ? कोविडनियमों के पालन से क्या मदद मिली ? 

  तापमान बढ़ने घटने का महामारी पर  प्रभाव पड़ता है या नहीं ? तापमान घटने बढ़ने के विषय में पूर्वानुमान लगाना संभव है क्या ?

 वायुप्रदूषण बढ़ने से महामारीजनित संक्रमण बढ़ता है क्या ?वायुप्रदूषण बढ़ने का कारण क्या है?वायुप्रदूषण बढ़ने के विषय में पूर्वानुमान लगाया जा सकता है क्या ?

 महामारी संबंधी संक्रमण बढ़ने घटने में मौसम की भूमिका होती है या नहीं? मौसम संबंधी परिवर्तनों का कारण क्या होता है ?मौसम के विषय में पूर्वानुमान लगाया जाना संभव है क्या ?    

भूकंपों का भी महामारी पर प्रभाव पड़ता है क्या ? महामारी के समय इतने अधिक भूकंप आने का कारण क्या था ?

महामारी के समय कुछ वृक्षों में उनकी ऋतुओं के बिना भी फूल फल लगते देखे जा रहे थे | उनके आकार स्वाद आदि में भी कुछ बदलाव होते सुने गए थे |इसका कारण महामारी ही थी या कुछ और ! ऐसे परिवर्तन कृषि संबंधी उत्पादों में भी होते देखे जा रहे थे | ऐसा होने का कारण महामारी थी या कुछ और !

  महामारी के समय पशुओं पक्षियों में इतनी अधिक बेचैनी क्यों थी ? पशुओं पक्षियों चूहों टिड्डियों आदि के उन्माद का  कारण महामारी थी या कुछ और ?

    महामारी के समय कुछ देशों में  तनाव आतंकी घटनाएँ हिंसक आंदोलन एवं युद्ध जैसी हिंसक घटनाएँ घटित हो रही थीं !ऐसी घटनाओं के घटित होने का कारण महामारी थी या कुछ और !

    महामारी काल से अभी तक उठते बैठते हँसते खेलते नाचते कूदते कुछ लोगों की मृत्यु होते देखी जा रही है | इसका कारण कोरोना महामारी है या कुछ और !

   विशेष बात यह है कि महामारीजनित संक्रमण बढ़ने में भूकंप,वर्षा,तापमान,वायुप्रदूषण आदि जिस किसी भी घटना की भूमिका होगी ! उस घटना के घटित होने का कारण तथा पूर्वानुमान खोजकर ही उसके आधार पर महामारी के विषय में कोई सटीक अनुमान पूर्वानुमान आदि लगाया जा सकता है |

      ऐसा बिचार करके मैंने ऐसे सभी विषयों में आवश्यक जानकारियाँ जुटाकर उनके आधार पर महामारी को समझने के लिए प्रयत्न किया है | इनके एवं प्राचीन गणितविज्ञान आधार पर महामारी के विषय में मैं जो अनुमान पूर्वानुमान आदि लगाता रहा हूँ | वे सही निकलते रहे हैं | प्रत्येक लहर के विषय में मैंने अभी तक जो जो पूर्वानुमान लगाए हैं वे सही निकलते रहे हैं |वे तारीखों के साथ वे तारीखों के साथ आगे से आगे पीएमओ की मेल पर भेजता रहा हूँ | 

Monday, September 30, 2024

राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोध संस्थान

 

                               राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोध संस्थान 

     संस्थान की आवश्यकता : 

       वर्तमान समय में विज्ञान उन्नतशिखर पर है,जिसके द्वारा सुख सुविधाओं के साधन तो विकसित किए जा सके हैं किंतु प्राकृतिक आपदाओं तथा महामारियों से हो रही जनधन हानि को रोका जाना संभव नहीं हो पा रहा है |वर्तमान समय का उन्नत विज्ञान उस उँचाई पर नहीं पहुँच पा रहा है, जहाँ ऐसी समस्याओं का निर्माण होता है |समस्याओं के समाधान भी उसी उँचाई पर संभव हैं | किसी बड़े बाँध से काफी अधिक मात्रा में जल छोड़ा जा रहा हो तो उससे बाढ़ आनी निश्चित है|जिससे जनधन का नुक्सान हो सकता है | यदि इस नुक्सान से समाज की सुरक्षा की जानी है तो इस पानी छोड़े जाने के विषय में पूर्वानुमान लगाया जाना सबसे पहले आवश्यक है |नदी के इतने तेज बहाव से होने वाले जनधन के नुक्सान को तत्काल की तैयारियों के बलपर सुरक्षित किया जाना संभव नहीं हो पाता है |

     इतनी अधिक मात्रा में पानी आ रहा है ये पहले से पता न हो तो अचानक बाढ़ आएगी ही उससे जनधन का नुक्सान भी उतना होगा ही जितना होना है |जल  के इतने तेज बहाव को कैसे रोक लिया जाएगा | उसके साथ बहे जा रहे जनधन को कैसे पकड़ लिया जाएगा और कितना सुरक्षित बचा लिया जाएगा | 

    इसीप्रकार से प्राकृतिक आपदाएँ हों या महामारियाँ या जीवन से संबंधित और बहुत सारी समस्याओं के आ जाने पर न तो उन्हें रोका जाना संभव हो पता है और न ही उनसे सुरक्षित बचा जाना संभव हो पाता है | इसलिए प्रकृति और जीवन से संबंधित ऐसी सभी समस्याओं के आने से पहले उनके विषय में सही पूर्वानुमान लगाकर उनके समाधान खोज लिए जाएँ | जिससे मनुष्य जीवन को स्वस्थ सुरक्षित एवं समस्या मुक्त,तनाव मुक्त बनाया जा सके |  

              अनुसंधानों के लिए चुनौतियाँ ! 

   भूकंप,तूफ़ान,सूखा ,बाढ़ बज्रपात जैसी प्राकृतिकआपदाओं एवं  महामारियों के विषय में एक ओर वैज्ञानिक लोग अनुसंधान किया ही करते हैं वहीं दूसरी ओर ऐसी प्राकृतिक आपदाएँ अचानक घटित होने लगती हैं | जिनके विषय में किसी को कुछ पता  ही नहीं होता है |अचानक नुक्सान होने लगता है | 

      ऐसे ही  मानवजीवन से संबंधित कुछ ऐसी अत्यंत कठिन समस्याएँ होती हैं | जो न कही जा सकती हैं और न सही जा सकती हैं | ऐसी समस्याओं का  समाधान निकालना वैज्ञानिकों  के बश में होता तब तो कोई बात ही नहीं थी | जिस प्रकार से स्वास्थ्य समस्याओं के लिए सरकारों ने चिकित्सालय खोल रखे हैं लोग वहाँ जाकर अपनी स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान पा लिया करते हैं |उसी प्रकार से प्रकृति और जीवन से संबंधित अन्य समस्याओं का भी समाधान खोजा जाना चाहिए | 

     मनुष्य अपने जीवन में अक्सर पराजित और परेशान होता रहता है | वह सफल होने के लिए बार बार प्रयत्न करता है जो सफल हो जाता है उसका प्रयत्न तो दिखाई पड़ता है जो प्रयास करने पर भी सफल नहीं होता है उसके प्रयास पर लोग विश्वास ही नहीं करते | लगातार असफल होने के कारण वह  गंभीर मानसिक पीड़ा से गुजर रहा होता है | निरंतर असफल होते रहने के बाद उसका दिमागी तनाव बढ़ता है|  इससे उसे नींद आनी कम होती है|उसके बाद भूख लगने में कमी आती है | पेट की गंदी गैस सीने में चढ़ती है | उससे घबराहट होती है|यही गंदी गैस जब सिर पर चढ़ती है तो सिर चकराने लगता है आँखों में अँधेरा दिखने लगता है | उल्टी लगने लगती है|बालों और त्वचा में रूखापन होने लगता है|शुगर बीपी जैसे रोग पनपने लगते हैं|कई बार हृदयरोग या हृदयघात जैसी गंभीर घटनाएँ घटित होती देखी जाती हैं|निरंतर असफल होते रहने वाले व्यक्ति का जब शरीर भी साथ नहीं देने लगता है तब वह निराश हो जाता है |ऐसे हैरान परेशान कुछ लोग कभी कभी असफलता से आहत होकर अपराध का मार्ग चुन लेते हैं | कई बार आत्महत्या या अपने परिवार को ही समाप्त कर लेते हैं | बहुत लोग ऐसी दुर्भाग्य पूर्ण परिस्थिति को धैर्य पूर्वक  सह तो जाते हैं किंतु निराश हताश मन उन्हें किसी लायक नहीं  रहने देता है |

    ऐसी प्रकृति और जीवन से संबंधित कुछ समस्याओं का न तो समाधान किया जा रहा है और न ही मना किया जा रहा है कि इनका समाधान निकालना हमारे बश की बात नहीं है |ऐसी समस्याओं का समाधान आधुनिक विज्ञान से होना संभव होता तो अब तक हो ही जाता |ऐसा हो नहीं पाया |

      ऐसी आपदाएँ घटित होते ही समाज का नुक्सान तो तुरंत हो जाता है | जनधन की हानि जो  होनी होती है वो तो हो ही जाती है |समाज की समस्याएँ दिनोंदिन बढ़ती ही जा रही हैं |  ऐसी स्थिति में वैज्ञानिकों के द्वारा किए जाने वाले अनुसंधानों की उपयोगिता क्या बचती है | ऐसे अनुसंधानों से उस समाज को क्या लाभ होता है | जिसके खून पसीने की कमाई से दिए गए टैक्स का पैसा ऐसे अनुसंधानों पर खर्च किया जाता है | उनसे निकलता क्या है !ऐसे अनुसंधान न करवाए जाएँ तो नुक्सान क्या हो जाएगा |    

     ऐसी परिस्थिति में जिस असफलता के कारण ऐसी परिस्थिति पैदा हुई उसके लिए वह व्यक्ति कितना दोषी है सफलता के लिए जिसने निरंतर प्रयत्न किए इसके बाद भी उसे सफलता नहीं मिली इसका कारण क्या है ? महामारी संबंधी अपने अनुसंधानों के द्वारा वैज्ञानिक लोग यदि महामारी के विषय में अनुमान पूर्वानुमान आदि लगाकर यदि समय रहते समाज एवं सरकार  को उपलब्ध करवा सकते हैं तब तो उनकी और उनके द्वारा किए जाने वाले अनुसंधानों की सार्थकता सिद्ध होती  है अन्यथा उनकी उपयोगिता पर संशय होना स्वाभाविक ही है|_

 भाग्य और समय हर किसी को पता होना चाहिए !

 समय से पहले और भाग्य से अधिक किसी को कुछ मिलता नहीं है | समय और भाग्य के विषय में जानकारी न होने के कारण लोग सारे जीवन भटकते रहते हैं ! इसलिए प्रत्येक मनुष्य को उसके विषय में इतना तो  पता होना ही चाहिए कि उसका भाग्य कैसा है और समय कैसा चल रहा है | इसके साथ ही भविष्य में कब कैसा समय चलेगा | उसके भाग्य में कौन सुख कितना लिखा है |उसका स्वास्थ्य कैसा रहेगा ! कोई रोग होने की संभावना है है या नहीं यदि है तो कितनी उम्र में !किस प्रकार के रोग से कितनी परेशानी बढ़ सकती है | विद्या कैसी रहेगी !किस प्रकार के ज्ञान विज्ञान का अध्ययन करने से सफलता मिलेगी | किस प्रकार के काम से,किस प्रकार के व्यक्ति के सहयोग से किस उम्र में कितने समय तक कितना  धन कमाया जा सकता है | पति या पत्नी का सुख कितना बदा है|  संतान का सुख होगा या नहीं यदि होगा तो कैसा है | कोई पद या प्रतिष्ठा प्राप्त होने की संभावना है या नहीं और यदि है तो कब |अपना मकान बनेगा क्या !यदि हाँ तो कब !कोई वाहन खरीद पाएँगे क्या यदि हाँ तो कब !जीवन से संबंधित  ऐसी सभी विषयों का पूर्वानुमान आप अपने भाग्य एवं समय के आधार पर लगा सकते हैं !इसके लिए आप हमारे यहाँ संपर्क कर सकते हैं | 

महामारी आने पर कौन संक्रमित होता है कौन नहीं ?

     अक्सर देखा जाता है कि महामारी और आपदाओं से एक जैसा पीड़ित होकर भी बहुत लोग पूरी तरह सुरक्षित  बने रहते हैं |कुछ लोग बड़े बड़े डॉक्टरों से चिकित्सा का लाभ लेते हुए भी मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं जबकि बहुत लोग बिना किसी चिकित्सा व्यवस्था के भी स्वस्थ बने रहते हैं |  मृत्यु का कारण यदि दुर्घटना या महामारी होती तब तो दुर्घटना के शिकार या महामारी से संक्रमित अधिकाँश लोगों की मृत्यु होनी चाहिए थी या फिर सभी को सुरक्षित बचना चाहिए था किंतु ऐसा हुआ नहीं |इसका मतलब किसी की मृत्यु होने का कारण न तो दुर्घटना होती है और न ही महामारी !प्रत्येक व्यक्ति की  मृत्य का कारण होता है उसका अपना समय ! इसलिए समयविज्ञान के द्वारा ही इस बात का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है कि किसे नुक्सान होगा और किसे नहीं ! ये पता होना चाहिए ट्रेन दुर्घटना हो या भूकंप बाढ़ आदि कोई अन्य दुर्घटना या कोरोना जैसी महामारियाँ हों ऐसे संकटों से प्रभावित तो बहुत लोग होते हैं,किंतु उनमें से कुछ लोग मृत्यु को प्राप्त होते हैं ,कुछ लोग घायल या रोगी होते हैं बाद में स्वस्थ हो जाते हैं जबकि कुछ लोग उन्हीं घटनाओं में उसी प्रकार प्रभावित होने पर भी पूरी तरह सुरक्षित होते हैं उन्हें एक खरोंच भी नहीं आती है | बिल्कुल सुरक्षित होते महामारी जैसे किसी संकट से या किसी दुर्घटना से अपने को किस उम्र में कितना नुक्सान हो सकता है | 

      ऐसी परिस्थिति में राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोधसंस्थान ऐसे लोगों को सुरक्षित बचाने के लिए कृत संकल्पित है | जो लोग सभी तरफ से निराश हताश होकर अपने जीवन को बोझ समझने लगे हैं | ऐसे लोगों को सुरक्षित बचाकर उनके निराश हताश जीवन के खोए हुए आनंद को वापस लाने  के लिए संस्थान के द्वारा प्रभावी प्रयत्न किए जा रहे हैं |  प्राचीन विज्ञान से संबंधित अनुसंधानों को करवाने में सबसे बड़ी बाधा संसाधनों की की कमी एवं धन का अभाव है | ऐसे अनुसंधानों से समाज की समस्याओं के समाधान निकालने में बहुत मदद मिल सकती है ,किंतु इसमें  न तो सरकार मदद कर रही है और न ही समाज !

ज्योतिषविज्ञान और चिकित्साविज्ञान दोनों का लक्ष्य समस्या घटाना है !

   ज्योतिष का कार्य किसी स्वस्थ व्यक्ति के रोगी होने के समय का पूर्वानुमान लगाना है और चिकित्सा का कार्य उस व्यक्ति को रोगी होने से रोकना है | ऐसे ही चिकित्सा का कार्य रोगी के स्वस्थ होने के लिए प्रयत्न करना है और ज्योतिष का कार्य चिकित्सा का परिणाम बताना है किस रोगी पर चिकित्सा का प्रभाव कैसा पड़ेगा | चिकित्सक न तो पूर्वानुमान लगा सकते हैं और न ही परिणाम बता सकते हैं और ज्योतिष के द्वारा चिकित्सा नहीं की जा सकती है | इसलिए किसी रोगी को स्वस्थ करने में ज्योतिष और चिकित्सा दोनों ही आवश्यक हैं | किसी एक की उपेक्षा जीवन के लिए हितकर नहीं है | 

     ज्योतिषी तांत्रिक और डॉक्टर क्या तीनों फैलाते हैं अंधविश्वास !

    रोगी को स्वस्थ करने या मरने न देने की जिम्मेदारी तो  ज्योतिषियों तांत्रिकों  और डॉक्टरों में से कोई नहीं लेता है ,फिर अंधविश्वास फैलाने वाले केवल ज्योतिषी और तांत्रिक ही क्यों  डॉक्टर क्यों नहीं ! रोगी को स्वस्थ करने के लिए ज्योतिषी यज्ञ अनुष्ठान आदि प्रयोग करते हैं |रत्न पहनाते हैं ! तांत्रिक लोग यंत्र पहनाते हैं कुछ लौंग आदि खाने या भभूत लगाने के लिए देते हैं|इसीप्रकार से डॉक्टर औषधि खिलाते या ऑपरेशन करते हैं| इसके बाद होश आएगा या नहीं !इसके लिए साइन पहले ही करवा लिए जाते हैं | कुलमिलाकर रोगी को स्वस्थ करने के लिए प्रयत्न तो तीनों ही करते हैं किंतु जिम्मेदारी उन तीनों में से कोई नहीं लेता है |ऐसी स्थिति में अंधविश्वास है तो तीनों हैं और यदि नहीं हैं तो तीनों नहीं हैं | 

    मोटीवेटर केवल कर्मवाद थोपकर मरवा रहे हैं लोगों को !

      कर्म करो तो सफल अवश्य होंगे ! बार बार असफल हुए हो तो भी आगे बढ़ते रहो एक दिन आएगा जब सफलता तुम्हारे कदम चूमेगी ! यदि तुम असफल हो रहे हो तो समझो कि तुम्हारे प्रयासों में कहीं कमी रह गई है | !

   'किसी के  बच्चे न हो रहे हों तो ज्योतिषी क्या करेगा !' जानिए !

     ऐसी बातें वो लोग करते हैं जिन्हें ये नहीं पता होता है कि संतान होने और न होने में पति पत्नी के संबंध के अतिरिक्त अच्छे और बुरे समय का भी प्रभाव होता है | इसीलिए बहुत लोग ऐसे भी जाँच करा कराकर थक चुके हैं | उनके शरीरों में कोई कमी नहीं  निकलती है | इसके बाद भी उन्हें संतान नहीं हो रही है | कुछ साधन संपन्न लोग आईवीएफ जैसी गर्भाधान की कृत्रिमप्रक्रिया बार अपनाकर भी बार बार निराश होते देखे जाते हैं | चिकित्सकों के द्वारा बताई गई हर प्रक्रिया अपनाने के बाद भी यदि उन्हें संतान नहीं होती है !तब वो हमारे पास पहुँचते हैं !हम सबसे पहले देखते हैं कि इस पति पत्नी के भाग्य में संतान सुख है या नहीं | यदि है तो संतान सुख होगा कब ?संतान न होने का कारण संतान होने लायक पति पत्नी के समय का एक साथ न मिल पाना तो नहीं है | संतान न होने का कारण किसी देवी देवता आदि का लगा शाप तो नहीं है !किसी के द्वारा तंत्र मंत्र करके संतान होने को रोका तो नहीं गया है | घर में वास्तु आदि कोई ऐसा दोष तो नहीं है जिसके कारण संतान न हो रही हो | इस प्रकार से गहन छान बीन करके उचित उपाय बताकर संतान सुख मिलने में मदद की जाती है बहुत लोगों को संतान लाभ होते देखा जाता है | कुलमिलाकर चिकित्सा के द्वारा संतान में अवरोध उत्पन्न होने वाले उन कारणों को खोजकर उनका उपाय कर लिया जाता है जो दिखाई पड़ते हैं या जाँच के द्वारा पता लगते हैं,किंतु कुछ ऐसे कारण होते हैं जो  संतान होने में रुकावट तो डालते हैं लेकिन न प्रत्यक्ष दिखाई पड़ते हैं और न ही जाँच के द्वारा पता लगते हैं | ऐसे लोगों के पास ज्योतिष के अतिरिक्त और कोई दूसरा विकल्प भी तो नहीं बचता है |


                                  अस्पतालों में शवगृह क्यों बनाए जाते हैं ?-  ज्योतिष

      अस्पताल तो चिकित्सा करके रोगियों को स्वस्थ करने के लिए बने होते हैं | अस्पतालों चिकित्सकों का उद्देश्य भी यही होता है | ऐसी स्थिति में चिकित्सालयों की चिकित्सा सेवा पाकर प्रत्येक रोगी को अस्पताल स्वस्थ होकर ही जाना चाहिए ! चिकित्सा का लाभ लेकर भी उनमें से अनेकों रोगियों की मृत्यु होते देखी जाती है | ऐसा होने का कारण चिकित्सा में कहीं कोई कमी रह गई या रोगी की मृत्यु हो सकती है इसका अंदाजा ही नहीं होता है और न ही मृत्यु होने का कारण समझ में आता है | कारण यदि मृत्यु होने का समझ में नहीं आता है तो कारण स्वस्थ होने का भी समझ में नहीं आता है| स्वस्थ होने पर उसका श्रेय  चिकित्सा को दे दिया जाता है ,किंतु बहुत लोग ऐसे भी तो होते हैं | जिन्हें उसी प्रकार का रोग होता है किंतु वे बिना चिकित्सा के ही स्वस्थ हो रहे होते हैं | इसका मतलब किसी के स्वस्थ होने का कारण चिकित्सा ही नहीं है | ऐसी स्थिति में जो बिना चिकित्सा के स्वस्थ हुए या जो चिकित्सा से स्वस्थ हुए या चिकित्सा होने के बाद भी जिनकी मृत्यु हुई | ऐसी तीनों परिस्थितियों के बनने का कारण समय है | समय को ज्योतिष  के बिना समझा नहीं जा सकता है | समय को समझे बिना यह निर्णय किया जाना काफी कठिन होता है कि चिकित्सा के लिए जो अस्पताल में आया है उसे स्वस्थ होकर घर जाना है या अस्पताल में ही उसकी मृत्यु होनी है | इस जानकारी के अभाव में चिकित्सालयों में चिकित्सा की व्यवस्था होती है तो मृत्यु होने पर उन्हीं चिकित्सालयों में शव रखने की व्यवस्था भी होती है | चिकित्सा में ज्योतिष को सम्मिलित किया जाए तो अस्पतालों में शवगृह बनाने की आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी !

   चिकित्सक रोगियों से पैसे किस बात के लेते हैं ! -ज्योतिष

       अस्पतालों में रोगियों को स्वस्थ करने के लिए पैसे  लिए जाते हैं या स्वस्थ करने का प्रयास करने के पैसे लिए जाते हैं | किसी को स्वस्थ करना उनके बश का नहीं होता है | रोगियों को स्वस्थ करना यदि चिकित्सकों के बश का होता तो अस्पतालों में शवगृह बनाए ही नहीं जाते !मनुष्य केवल प्रयास ही कर सकता है परिणाम तो परमात्मा ही देता है | जिसका पूर्वानुमान ज्योतिष से लगाया जा सकता है |

 

 तलाक होने का सबसे बड़ा कारण है यह !

   बेटे या बेटी के विवाह मिलान के लिए जो लोग अच्छे ज्योतिषियों को खोज नहीं पाते हैं ! उनकी महँगी फीस नहीं देते हैं !उन्हीं बेटे बेटियों की तलाक करवाने के लिए वही लोग अच्छे वकील भी खोज लेते हैं और उनकी भारी भरकम फीस भी देते हैं | ऐसे लापरवाह और कंजूस लोग यदि विवाह का मिलान ही ठीक से करवा लिए होते तो तलाक के लिए महँगे वकीलों को क्यों खोजना पड़ता और क्यों भरनी पड़ती उनकी फीस ! जो चाहते हैं कि उनके बेटे या बेटी के जीवन में तलाक जैसी घटना न घटित हो | वे हरे यहाँ संपर्क कर सकते हैं | 

 

   वास्तु दोष को कैसे पहचानें !

    अपने घर में किसी नाते रिस्तेदार मित्र आदि के आने का मन होता हो !जो आता हो उसे रुकने का मन न होता हो | अपने घर में घबड़ाहट होती हो ! अपने घर में रहना अच्छा न लगता हो घर से बाहर निकलते ही आपको अच्छा लगने लगता हो ! आपको अपनी रसोई में बने अच्छे से अच्छे भोजन में रुचि न होकर बाहर का भोजन पसंद आता हो !अपने पति या पत्नी के अतिरिक्त किसी दूसरे स्त्री पुरुष की ओर मन आकर्षित होता हो | इसे वस्तुदोष की संभावना मानकर इससे मुक्ति पाने के लिए आप हमारे  संपर्क कर सकते हैं ! 

स्वास्थ्य बिगड़ने का कारण समय तो नहीं है !

    अधिक सर्दी या अधिक गर्मी का सेवन करने से अथवा स्वास्थ्य के विरुद्ध कुछ खा पी लेने से  स्वास्थ्य तो किसी का भी बिगड़ सकता है|लगातार जागने से भूखे रहने से या बहुत अधिक भोजन कर लेने से या अधिक तनाव करने से शरीर रोगी हो जाता है,ऐसे रोग चिकित्सा करने से ठीक भी हो जाते हैं ! किंतु जिन लोगों के रोगी होने का ऐसा कोई प्रत्यक्ष कारण दिखाई ही न दे और शरीर स्वयं ही अचानक रोगी होने लगे ! उनकी अच्छी से अच्छी चिकित्सा करवाई जाए इसके बाद भी वे स्वस्थ होते न दिखाई दें और रोग दिनोंदिन बिगड़ता ही जा रहा हो | ऐसे लोग सभी प्रकार की आवश्यक जाँच करवा चुके हों ! बड़े बड़े चिकित्सकों से चिकित्सा करवा चुका हो इसके बाद भी उसे स्वास्थ्य लाभ न हो रहा हो | ऐसे लोगों को ये अवश्य देख लेना चाहिए कि कहीं ऐसा तो नहीं है कि उसका समय ही बुरा चल रहा हो |उसके रोगी होने का कारण उसका बुरा समय ही हो |ऐसे लोगों को अपना अच्छा बुरा समय पहचानने के लिए हमारे यहाँ संपर्क करना चाहिए !

 कोई व्यक्ति रोगी क्यों है और वह स्वस्थ कैसे होगा ?

     बुरे समय के प्रभाव से रोग भोग रहा व्यक्ति तब तक तो रोगी रहेगा ही जब तक बुरा समय चलेगा | अच्छा समय आने पर वह स्वतः स्वस्थ हो जाएगा | बुरा समय जबतक चलेगा तब तक किसी चिकित्सा या औषधि से कोई लाभ नहीं होगा ! यदि रोग समय के कारण शुरू हुआ है तो रोग समाप्त भी समय के प्रभाव से ही होगा | ऐसे रोगियों का समय देखने पर यदि समय बुरा न हो फिर भी रोगी हो तो उसके विषय में यह जानकारी जुटानी होगी कि उसके यहाँ किसी बच्चे ने इसी समय जन्म तो नहीं लिया है | या फिर रहने की जगह इसीबीच तो नहीं बदली गई है |कोई जादू टोना तंत्र मंत्र  करने वाला व्यक्ति इस समय घर में तो नहीं आया था कोई पूजा पाठ तंत्रमंत्र तो नहीं किया था |उसके पहने हुए कपडे या कटे हुए बाल तो किसी के हाथ नहीं लग गए हैं | इसी समय में किसी देवी देवता का अपमान तो नहीं हुआ है | पीपल आदि वृक्षों को तो नहीं काटा गया है| इनमें से कोई भी कारण उसके रोगी होने का हो सकता है | उस कारण को खोजने एवं समय  के प्रभाव को समझने के लिए हमारे यहाँ संपर्क कर सकते हैं |                                         

    संतान न हो रही हो तो क्या करें ?

 पति पत्नी दोनों ही स्वस्थ हों ,चिकित्सकीय दृष्टि से जाँच किए जाने पर उनकी सभी रिपोर्टें सामान्य आ रही हों !फिर भी संतान न हो रही हो ! ऐसे लोगों के यहाँ संतान न होने का कारण ऐसी नपुंसकता हो सकती है जिसका पता केवल ज्योतिष से ही लगाया जा सकता है | सर्पों पितरों आदि का शाप हो सकता है | देवी देवताओं का प्रकोप हो सकता है | जादू टोना तंत्र मंत्र आदि के द्वारा संतान होने का बंधन किया गया हो | इन कारणों से संतान होने की संभावना बहुत कम होती है | ऐसे लोगों को हमारे यहाँ संपर्क करना चाहिए |

    पढ़ने में मन क्यों नहीं लगता है क्या है उसका ज्योतिषीय समाधान !

     शिक्षा में यदि आपको बार बार असफलता मिलती जा रही है |बार बार प्रयत्न करने के बाद भी आप सफल नहीं हो पा रहे हैं |इसका मतलब आपको जिसप्रकार की शिक्षा में सफलता मिलनी है | आप उधर नहीं जा पा रहे हैं | आप किसी दूसरे प्रकार की शिक्षा के लिए अपना धन एवं समय ब्यर्थ लगाते जा रहे हैं |कुछ बच्चों के भाग्य में जिस क्षेत्र में जाकर सफल होना बदा होता है | उन्हें उस क्षेत्र में उनके माता पिता नहीं जाने देते हैं |माता पिता अपने बच्चे को जो कुछ पढ़ाना चाहते हैं | वह पढ़ने में उसकी रुचि नहीं होती है |इसलिए बच्चे बहुत परिश्रम करके भी असफल होते हैं | इसलिए आपको पता होना चाहिए कि आप किस प्रकार की शिक्षा में कब और कितना सफल हो सकते हैं |यह पता करने के लिए आप हमारे यहाँ संपर्क कर सकते हैं |  
  व्यापार में लाभ कैसे होता है | 
     प्रत्येक व्यक्ति के भाग में आजीविका निश्चित होती है कि वह किस प्रकार के कार्य से किस उम्र में कितने समय में सफल हो सकता है |उसी समय परिश्रम पूर्वक सफल हुआ जाता है | यदि आपको यह पता हो तो आप उचित समय पर उचित व्यापार करके अपनी इच्छा के अनुरूप धन कमा सकते हैं | आपको कर्जा नहीं लेना पड़ेगा और आपको घाटा नहीं उठाना पड़ेगा |अपने विषय में इस प्रकार की जानकारी प्राप्त करने के लिए आप हमारे यहाँ संपर्क कर सकते हैं | 
     व्यापार में नुक्सान कब होता है ?
    किसी व्यक्ति का अपना समय ख़राब हो या उसके परिवार के किसी सदस्य का समय बहुत ख़राब हो ऐसी समस्याओं का पता करने के लिए ! वास्तु दोष के कारण व्यापार आगे न बढ़ पा रहा हो !उस समस्या का समाधान खोजने के लिए फिर उसका साझीदार या कोई प्रमुख कर्मचारी ख़द्दारी कर रहा हो उसे पहचानने के लिए !जो काम किया जा रहा हो उसमें सफलता मिलनी ही न हो वह पता करने के लिए ! उसकाम में उस समय सफलता न मिलनी हो बाद मिलनी हो | उस समय को खोजकर व्यवसाय को आगे बढ़ाने के लिए हमारे यहाँ संपर्क किया जा सकता है |
 
    नौकरीतनाव मुक्त कैसे हो !


    नौकरी आदि पाने के लिए आपके द्वारा किए गए प्रयत्न यदि बार बार असफल होते जा रहे हैं या आप जहाँ नौकरी कर रहे हैं वहाँ कुछ लोगों की पटरी आपके साथ नहीं खा रही हो |आप अपनी नौकरी को बदल कर कहीं दूसरी जगह जाना चाहते हों | आपकी आफिस में जिन लोगों के साथ आपको काम करना होता है | उनमें से किसके साथ किस प्रकार का व्यवहार करके आप सबके साथ मधुर संबंध रख सकते हैं | ये सभी जानकारी पाने के लिए आप हमारे यहाँ संपर्क कर सकते हैं |
वैवाहिक जीवन में तनाव क्यों है कैसे हो उसका समाधान : 
 पति पत्नी या प्रेमी प्रेमिका कभी एक दूसरे के साथ प्रेमपूर्वक मिलजुलकर रहते रहे हों | |धीरे धीरे उन दोनों के आपसी संबंधों में तनाव होने लगे या संबंध धीरे धीरे बिगड़ने लगें या तलाक जैसी परिस्थिति बनने लगे | इसका मतलब उन दोनों में से किसी एक का या उन दोनों का ही बुरा समय प्रारंभ हो चुका है | ऐसा बुरा समय कब तक चलेगा | उन दोनों में से किसको किस प्रकार की सावधानी कितने समय तक बरतनी होगी | उसके बाद उन दोनों के आपसी संबंध सामान्य हो पाएँगे | यह जानकारी लेकर अपना संबंध सामान्य करने के लिए हमारे यहाँ संपर्क किया जा सकता है | 
    संतानों के कारण भी होता है वैवाहिक जीवन में तनाव !
       पति पत्नी का आपसी तनाव कई बार संतानों के कारण भी होता है | आपकी संतान का जन्म यदि ऐसे समय होता है जिसमें पैदा हुए बच्चे को माता या पिता अथवा माता पिता दोनों का ही सुख नहीं बदा होता है | ऐसी स्थिति में उस बच्चे के ग्रहयोग के कारण उसके माता पिता को प्रेम पूर्वक एक साथ नहीं रह पाना होता है |इसलिए उस घर में तनाव होता है | जिसका कारण उस बच्चे की माँ उसके पिता को समझती है और उसका पिता उसकी माता को समझता है | इसलिए वे दोनों उस तनाव का कारण एक दूसरे को समझकर आपस में ही लड़ा करते हैं | ऐसे प्रकरणों में माता पिता की कुंडली के साथ साथ उस बच्चे की भी कुंडली देखकर यह पता लगाना होता है कि ऐसे परिवारों के तनाव के कैसे कम किया जा सकता है | इसके लिए हमारे यहाँ संपर्क किया जा सकता है | 
  वैवाहिक जीवन के तनाव का कारण वास्तु दोष भी होता है !इसके लिए हमारे यहाँ संपर्क किया जा सकता है | ऐसे पत्नी घर में जब तक रहते हैं तब तक उन दोनों को तनाव होता है घर से बाहर निकलते ही उनका आपसी तनाव कम होने लगता है और घर में आने के बाद फिर तनाव बढ़ने लगता है | ऐसे परिवारों में सुख शांति पूर्वक वैवाहिक संबंध व्यवस्थित करने के लिए हमारे यहाँ संपर्क किया जा सकता है |
    पत्नी में तनाव का कारण होते हैं उन्हीं परिवारों  के लोग !
     किसी परिवार के कुछ अन्य सदस्य किसी पति पत्नी को प्रेम पूर्वक साथ साथ नहीं रहने देना चहिते हैं | ये किसी बहू की सास नंद देवरानी जेठानी आदि लोग होते हैं | ऐसे ही उस लड़के की ससुराल के कुछ सदस्य होते हैं जो उन दोनों को प्रेम पूर्वक एक साथ रहते नहीं देख सकते हैं | उनमें से कुछ लोग ऐसे होते हैं जिन्हें उन दोनों(पति पत्नी) का प्रेमपूर्वक एक साथ रहना पसंद ही नहीं होता है |ऐसे पारिवारिक लोग उन दोनों को हमेंशा लड़ाया करते हैं | कई बार तो ऐसे लोगों का प्रभाव इतना अधिक बढ़ जाता है कि उनका तलाक तक होते देखा जाता है |ऐसी परिस्थिति में उन पति पत्नी की कुंडली के साथ साथ परिवार के सभी सदस्यों के नामों का भी विश्लेषण करना होता है|जिससे या पता लगे किस पति पत्नी के परिवार या नाते रिस्तेदारी में कौन कौन ऐसे लोग हैं|उन्हें पहचानकर उनकी बातों पर विश्वास नहीं करना चाहिए|ऐसे कारणों या परिवार के सदस्यों को पहचानने के लिए हमारे यहाँ संपर्क किया जा सकता है | 
     नपुंसकता क्यों और उसका ज्योतिष में उपाय क्या है ?
         पूर्व जन्म के कर्मों के अनुसार जिस व्यक्ति के भाग्य में जो सुख जितना बदा होता है | उसकी इंद्रियाँ उस सुख को उससे अधिक भोग ही नहीं सकती हैं | मीठा उतना ही पचाया जा सकता है जितना उसके भाग्य में बदा होता है|उससे सधिक शुगर उसे पचती ही नहीं है इसीलिए उसे शुगर हो जाती है ,जबकि कुछ दूसरे लोग उससे अधिक मीठा खाया पचाया करते हैं|उनके भाग्य में उतना मीठा खाने का सुख बदा होता है | ऐसे ही स्त्री पुरुषों के द्वारा भोगे जाने वाले सभी प्रकार के सुखों की सीमा निर्धारित होती है | इसी प्रकार से जिसके भाग्य में जितना पत्नी या पति का सुख बदा होता है| वह सुख उसे उतना ही मिलता है|वो चाहें अपने पति या पत्नी से ले ले या किसी दूसरे के पति या पत्नी से ! जितना सुख किसी अन्य के पति पत्नी से ले लिया जाता है |उस सुख की कटौती होकर जितना बचता है | बस उतना ही सुख उसे अपने पति या पत्नी से मिल पाता है| उससे अधिक सुख पाने की इच्छा करते ही उसकी इंद्रियाँ साथ देना बंद कर देती हैं क्योंकि निर्धारित सीमा से अधिक सुख भोगने के लिए वे बनी ही नहीं होती हैं |
 
 मित्रता साझेदारी विवाह या प्रेम विवाह लंबे समय तक चलने के लिए क्या करना चाहिए ?

 भाग्य का मिलान करना चाहिए :   मित्रता साझेदारी विवाह या प्रेम विवाह जैसे  संबंध बनने के लिए भाग्य का सहयोग होना आवश्यक होता है | जिन दो या दो से अधिक लोगों का भाग्य एक जैसा होता है |उन्हीं दो या दो से अधिक लोगों के बीच अच्छे संबंध बनते और टिकते हैं | आप जिससे मित्रता साझेदारी विवाह या प्रेम विवाह करने  जा रहे हैं | क्या उसका भाग्य आपके भाग्य जैसा है | यह पता करने के लिए आपको हमारे यहाँ संपर्क करना चाहिए |    

   समय का मिलान करना चाहिए : दो या दो से अधिक लोगों का समय जब तक एक जैसा रहता है तभी तक उनके मित्रता साझेदारी विवाह या प्रेम विवाह जैसे संबंध चल पाते हैं | चूँकि समय परिवर्तन शील होता है इसलिए समय बदलता रहता है | उन लोगों में से किसी एक का समय बदलकर अच्छा और दूसरे का समय बुरा चलने लगे जाए  तो उनके आपसी संबंध बिगड़ने लगते हैं | ऐसे संबंध जब बिगड़ने या टूटने लगें तो थोड़ी सहनशीलता के साथ यह सोचकर उन्हें चलाते रहने का प्रयास करना चाहिए ताकि जब समय सुधरे तब फिर उनके संबंध भी सुधर जाएँ | जिसप्रकार से समय बदलने के कारण संबंध बिगड़ने लगे हैं, वैसे ही समय सुधरने के साथ संबंध सुधरने भी लग जाते हैं | किसी के जीवन में ऐसा समय कब आएगा जब संबंध बिगड़ने की संभावना बनेगी | यह पहले से पता करने के लिए हमारे यहाँ संपर्क किया जा सकता है |

   स्वार्थ के कारण भी संबंध बनते हैं :कुछ संबंध भाग्य और समय के आधीन न होकर प्रत्युत स्वार्थ के आधीन होते  हैं | ऐसे संबंध तभी तक चल पाते हैं जब तक उन दोनों का एक दूसरे से या उनमें से किसी एक का उस दूसरे से कोई स्वार्थ होता है | उस स्वास्थ को पूरा करने के लिए ऐसे संबंध बनाए जाते हैं | इनमें मित्रता का दिखावा बहुत होता है किंतु स्वार्थ पूरा होते ही ऐसे संबंध समाप्त हो जाते हैं | 

   विशेष बात :इसलिए किसी संबंध के शुरू होने से पहले हमारे यहाँ संपर्क करके यह पता अवश्य कर लेना चाहिए कि किसके साथ किस प्रकार का संबंध कब तक चल पाएगा | 

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प्रकृति से संबंधित अनुसंधान

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तापमान संबंधी पूर्वानुमान - 

     तापमान ऋतुओं के  हिसाब से घटता बढ़ता रहता है उसका तो समाज को अभ्यास है |उसके आधार पर ही समाज ने अपना अपना जीवन व्यवस्थित कर रखा है किंतु जब तापमान बढ़ने और कम होने की प्रक्रिया असंतुलित होने लगती है तापमान ऋतु आधारित अपने क्रम को तोड़ते हुए अस्वाभाविक रूप से घटने या बढ़ने लगता है | उससे मनुष्यों को तरह तरह के रोग होने लगते हैं | फसलों वृक्षों बनस्पतियों आदि में अनेकों प्रकार के विकार पैदा होने लगते हैं जिससे उपज प्रभावित होती है |अतएव समाज को वैज्ञानिक अनुसंधानों से ऐसी अपेक्षा है कि ऋतु आधारित अपने क्रम को तोड़ते हुए तापमान कब अचानक बढ़ने या कम होने लगेगा इसका पूर्वानुमान समाज को पहले से पता होने चाहिए ताकि समाज उसी हिसाब से अपने कार्यों एवं जीवन को व्यवस्थित कर सके |  

 वायुप्रदूषण संबंधी अनुमान  पूर्वानुमान- मनुष्य भोजन के बिना हफ्तों तक जल के बिना कुछ दिनों तक जीवित रह सकता है, किन्तु वायु के बिना उसका जीवित रहना असम्भव है।इसलिए वायु सभी मनुष्यों, जीवों एवं वनस्पतियों के लिए अत्यंत आवश्यक है।वायु प्रदूषण बढ़ने से दमा, सर्दी-खाँसी, अँधापन, त्वचा  रोग आदि अनेकों प्रकार की बीमारियाँ पैदा होने लगती हैं। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति चाहता है कि उसे प्रदूषण मुक्त शुद्ध वायु मिले  किंतु यह कैसे संभव है इसके लिए समाज को क्या अपनाना एवं क्या छोड़ना पड़ेगा और क्या करना होगा | इसके विषय में सही एवं सटीक जानकारी अनुसंधान पूर्वक समाज को उपलब्ध करवाई जाए |इसके साथ ही साथ यदि  वायु प्रदूषण घटने बढ़ने के विषय में पूर्वानुमान लगाना संभव हो तो समाज को वह उपलब्ध करवाया जाए | समाज अपने वैज्ञानिक अनुसंधानों से ऐसी अपेक्षा करता है |

 महामारी संबंधी अनुमान  पूर्वानुमान - लोगों को महामारियों से डर लगना स्वाभाविक ही है| महामारियों के समय का वातावरण बहुत भयावह होता है जो हर किसी को सहना ही होता है |भारी मात्रा में जन धन की  हानि होते देखी जाती है |महामारी काल में चिकित्सा व्यवस्था पूरी तरह निष्प्रभावी होती है | ऐसे समय में रोग और रोग के लक्षण  पता न होने के कारण चिकित्सा करना भी संभव नहीं होता है |

     ऐसे कठिन समय में वैज्ञानिक अनुसंधान कर्ताओं से जनता यह अपेक्षा रखती हैकि महामारी प्रारंभ होने से पहले उसे महामारी के विषय में अनुमानों पूर्वानुमानों से उसे अवगत कराया जाए कि इतने वर्षों या  महीनों के बाद महामारी प्रारंभ होने की संभावना है | इससे महामारी आने के समय तक समाज अपनी अपनी सामर्थ्य के अनुशार अपने लिए आवश्यक वस्तुओं का संग्रह कर सकता है | संभावित रोगों से बचाव के लिए आहार विहार रहन सहन खान पान में  आवश्यक संयम  का पालन करके अपने  बचाव के लिए प्रयत्न किया जा सकता है | 

     इसीप्रकार से महामारी के विषय में सरकारों को यदि अनुमान पूर्वानुमान आदि समय रहते पता चल जाए तो सरकारें बचाव के लिए यथा संभव संसाधन जुटा सकती हैं चिकित्सा की दृष्टि से आवश्यक प्रबंधन कर सकती हैं | जीवन यापन  के लिए आवश्यक वस्तुओं का पर्याप्त मात्रा में संग्रह करके रखा जा सकता है |

   ऐसी परिस्थिति में महामारी संबंधी अपने अनुसंधानों के द्वारा वैज्ञानिक लोग यदि महामारी के विषय में अनुमान पूर्वानुमान आदि लगाकर यदि समय रहते समाज एवं सरकार  को उपलब्ध करवा सकते हैं तब तो उनकी और उनके द्वारा किए जाने वाले अनुसंधानों की सार्थकता सिद्ध होती  है अन्यथा उनकी उपयोगिता पर संशय होना स्वाभाविक ही है |

मारे यहाँ संपर्क कर सकते हैं |                  

 

                             राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोध संस्थान (समयविज्ञान )  

    संस्थापक : डॉ. शेष नारायण वाजपेयी 

    एम.ए. - ज्योतिष( ज्योतिषाचार्य)सं.सं.विश्वविद्यालय वाराणसी 

    पीएच.डी. - ज्योतिष : काशी हिंदू विश्व विद्यालय          

    एम.ए.संस्कृतव्याकरण (व्याकरणाचार्य )सं.सं.विश्वविद्यालय वाराणसी

    एम.ए.हिंदी -कानपुर विश्व विद्यालय

  पी.जी.डी.पत्रकारिता :उदय प्रताप कालेज वाराणसी     

       Web:https://samayvigyan.com/

      Web :www.drsnvajpayee.com/

    Email : samayvigyan@gmail.com       

    Email : rps246sansthan@gmail.com

       Whatsapp web :9811226973  

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                   राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोध संस्थान की  संपर्क योजना -   

      प्रत्येक व्यक्ति को पता होना ही चाहिए कि उसका अपना समय कब अच्छा और कब बुरा चलेगा |    इसके लिए 'राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोधसंस्थान' ने घर घर और जन जन तक पहुँचने की योजना बनाई है|जिसके तहत प्रत्येक व्यक्ति को उसके भविष्य में आने वाले अच्छे और बुरे समय के विषय में जानकारी उपलब्ध करवाई जाएगी !   हमारा जनजन तक पहुँचने का लक्ष्य और जन जन से जुड़ने का संकल्प है !जिससे प्रत्येक व्यक्ति प्रत्येक परिवार सुख सुविधापूर्ण शिक्षित स्वस्थ एवं तनाव रहित जीवन जी सके | प्राकृतिक घटनाओं , आपदाओं एवं महामारियों से मनुष्य जीवन को सुरक्षित रखते हुए उसे उसके जीवन से जुड़ी ज्योतिष, कुंडली , वास्तु आदि के विषय में सही जानकारी लेने के लिए हमारे यहाँ संपर्क किया जा सकता है |सभी प्रकार के संकटों का समाधान खोजने के लिए हमारे यहाँ से ज्योतिष संबंधी मदद ली जा सकती है | ज्योतिष वास्तु आदि से संबंधितसभी प्रश्नों का ऑनलाइन उत्तर प्राप्त किया जा सकता है | 
 
                                          राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोधसंस्थान

    भूकंप,तूफ़ान,सूखा ,बाढ़ बज्रपात जैसी प्राकृतिकआपदाएँ, महामारियाँ या जीवन से संबंधित घटनाएँ ये सब अचानक घटित होने लगती हैं |ऐसी आपदाएँ घटित होते ही तुरंत नुक्सान हो जाता है या फिर उसी समय नुक्सान होना प्रारंभ जाता है| जिससे जनधन की हानि जो  होनी होती है वो हो ही जाती है |इसके तुरंत बाद आपदाप्रबंधन विभाग सारी जिम्मेदारी सँभाल ही लेता है | 

     ऐसी परिस्थिति में आपदाएँ घटित होने एवं नुक्सान होने के बीच में समय इतना नहीं मिल पाता है कि संभावित प्राकृतिक आपदा से बचाव के लिए आवश्यक संसाधन जुटाए जा सकें या बचाव  के लिए आवश्यक सतर्कता बरती जा सके !

   इसलिए आवश्यकता ऐसे वैज्ञानिक अनुसंधानों की है | जिनके द्वारा प्राकृतिक घटनाओं के घटित होने से पहले सरकार एवं  समाज को यह जानकारी उपलब्ध करवाई जा सके कि किस प्रकार की प्राकृतिक घटना कब घटित होने  वाली है |जिससे घटना घटित होने से पहले सरकार आपदा प्रबंधन संबंधी व्यवस्थाओं को तैयार कर ले एवं ऐसे आवश्यक संसाधन जुटाना प्रारंभ  कर दे जिससे  उस प्रकार की आपदा से नुक्सान कम से कम हो ऐसा  सुनिश्चित किया जा सके | इसके साथ ही  साथ ऐसे पूर्वानुमान पाकर समाज भी अपने स्तर से सावधानी बरतनी प्रारंभ कर दे |यदि ऐसा संभव हो तब तो प्राकृतिक विषयों में वैज्ञानिक अनुसंधानों की सार्थकता है अन्यथा ऐसे निरर्थक अनुसंधानों की जनहित में उपयोगिता ही क्या बचती है |        

            वर्षा संबंधी प्राकृतिक अनुसंधानों की आवश्यकता  

    भारत कृषि प्रधान देश है! कृषि कार्यों एवं फसलयोजनाओं के लिए वर्षा की बहुत बड़ी भूमिका होती है | यद्यपि वर्षा की आवश्यकता तो सभी फसलों को होती है किंतु धान जैसी कुछ फसलों  के लिए अधिक वर्षा की आवश्यकता होती है और मक्का जैसी कुछ फसलों के लिए कम वर्षा की आवश्यकता होती है|ऐसी परिस्थिति में धान जैसी अधिक पानी की आवश्यकता वाली फसलों को किसान लोग नीची जमीनों में बोते हैं जबकि मक्का जैसी कम वर्षा की आवश्यकता वाली फसलों को किसान ऊँची जमीनों पर बोते हैं | 

   इसी प्रकार से किसी वर्ष की वर्षाऋतु में वर्षा बहुत अधिक होती है जबकि किसी वर्ष की वर्षा ऋतु में वर्षा बहुत कम होती है | इसलिए जिस वर्ष में वर्षा अधिक होने की संभावना होती है उस वर्ष किसान लोग धान जैसी अधिक अधिक पानी की आवश्यकता वाली फसलें अधिक खेतों में बोते हैं जबकि मक्का जैसी कम वर्षा की आवश्यकता वाली फसलों को किसान कम खेतों में बोते हैं | 

     धान जैसी फसलों में पहले बीज बोकर थोड़ी जगह में बेड़ तैयार की जाती है निर्धारित समय बाद उन  पौधों की रोपाई पूरे खेत में करनी होती है उस समय अधिक पानी की आवश्यकता होती है इसलिए किसान लोग इस प्रकार की योजना पहले से बनाकर चलते हैं ताकि धान की रोपाई के समय तक मानसून आ चुका हो  जिससे पानी की कमी न पड़े | इसके लिए किसानों को सही सटीक मौसम संबंधी पूर्वानुमानों की आवश्यकता होती है | इसके लिए मानसून आने के विषय में सही तारीखों का पता लगना जरूरी  माना जाता है | 

     मार्च अप्रैल में फसलें तैयार होने पर किसान लोग वर्ष भर के लिए आवश्यक आनाज एवं भूसा आदि संग्रहीत करके बाकी बचा हुआ आनाज भूसा आदि बेच लिया करते हैं |जिससे उनकी आर्थिक आवश्यकताओं  पूर्ति हो जाती  है |इसके  लिए उन्हें मार्च अप्रैल में ही वर्षा ऋतु में  होने वाली संभावित बारिश का पूर्वानुमान पता करने की आवश्यकता इसलिए होती है क्योंकि खरीफ की फसल पर इसका प्रभाव पड़ता है | मार्च अप्रैल में किसानों को आनाज एवं भूसा आदि का संग्रह करके बाकी बचे हुए अनाज भूसा आदि की बिक्री के लिए किसानों को खरीफ की फसल की उपज को ध्यान में रखकर चलना होता है |इसके लिए वर्षा ऋतु संबंधी  सटीक मौसम  पूर्वानुमानों की आवश्यकता होती है |                 

              राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोध संस्थान (समयविज्ञान )  

       प्रकृति हो या जीवन सब कुछ समय का ही खेल है | समय हमेंशा एक जैसा नहीं रहता है |इसमें  बदलाव तो होते रहते हैं  |इसीलिए प्रकृति और जीवन में भी बदलाव होते रहते हैं |यही कारण है कि प्रकृति और जीवन को समझने के लिए समय के संचार को समझना होगा |

     ध्यान से देखा जाए तो  प्रकृति में प्रतिदिन अन्य दिनों की अपेक्षा कुछ नया होता है | ऐसे ही प्रत्येक स्त्री पुरुष के जीवन में प्रतिदिन कुछ नया होता है |प्रकृति और जीवन  में हर पल कुछ नए परिवर्तन हुआ करते हैं | ये परिवर्तन कभी शुभ तो कभी अशुभ होते हैं | शुभ परिवर्तनों से मनुष्य सुखी होता है प्रकृति अनुकूल व्यवहार करती है और अशुभ परिवर्तनों से प्रकृति प्रतिकूल व्यवहार करती है | उससे प्राकृतिक आपदाएँ एवं महामारी जैसी घटनाएँ घटित होते देखी जाती हैं | ऐसे ही मनुष्यों का समय जब अच्छा होता है तब वो सुखी स्वस्थ  संपन्न एवं आनंदित होता है | ऐसे समय उससे सभी लोग मिलना चाहते हैं | बुरे समय में  नए नए रोग पैदा होते हैं | तनाव बढ़ता है | व्यापार में  नुक्सान होता है |  मित्र और रिश्तेदार धोखा देने लगते हैं | संबंध टूटते हैं, परिवार बिखरते हैं ,वैवाहिक संबंध टूटने लगते हैं | ऐसी स्थिति में घटनाएँ न देखकर केवल समय देखिए क्योंकि प्रकृति और जीवन में जो घटनाएँ  घटित होती हैं | वे अच्छे और बुरे समय के अनुसार ही घटित होती हैं | प्राकृतिक रूप से जब बुरा समय चलने लगता है, तब प्राकृतिक आपदाएँ महामारियाँ घटित होती हैं | उस समय जिसका अपना बुरा समय चल रहा होता है नुक्सान उसी का होता है | परेशानियाँ  उन्हें ही झेलनी पड़ती हैं | जिनका अपना समय भी बुरा चल रहा होता है | जिनका अपना अच्छा समय चल रहा होता है | वे औरों की तरह ही प्राकृतिक आपदाओं  या महामारियों से पीड़ित तो होते हैं किंतु उन्हें कोई विशेषकष्ट नहीं होता है | महामारियों में भी बहुत लोग  सब कुछ खाते रहे सबको छूते रहे लेकिन उन्हें कोई परेशानी नहीं हुई | 

     ऐसे ही स्वास्थ्य के अलावा भी विवाह वैवाहिक जीवन व्यापार भवन वाहन संबंध सुख दुःख तनाव पद प्रतिष्ठा आदि  जितनी भी जीवन से संबंधित समस्याएँ हैं | वे सब बुरे अपने बुरे समय का परिणाम होती हैं | बुरा समय भी भिन्न भिन्न प्रकार का होता है | जिससे भिन्न भिन्न प्रकार की समस्याएँ पैदा होती हैं | ये समस्याएँ पैदा तो अपने या समस्याओं से संबंधित व्यक्ति के बुरे समय के कारण होती हैं ,किंतु इसके लिए उस व्यक्ति को जिम्मेदार मानकर हम उससे संबंध समाप्त कर लेते हैं | ऐसे बहुत लोग तनाव का शिकार बने हुए हैं | विवाह टूट रहे हैं परिवार बिखर रहे हैं समाज खंडित हो रहा है |    

            राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोध संस्थान की उपलब्धियाँ !

     भूकंप आँधी तूफ़ान बाढ़ बज्रपात चक्रवात जैसी प्राकृतिक घटनाएँ एवं कोरोना जैसी महामारियाँ अचानक घटित होने लगती हैं | जिसमें बड़ी संख्या में लोग मृत्यु को प्राप्त होते हैं | जिनसे समाज की सुरक्षा की जानी आवश्यक है किंतु अभी तक ऐसे कोई उपाय किए नहीं जा सके हैं |जिससे ऐसी आपदाओं से समाज को सुरक्षित बचाकर रखा जा सके | 
        वर्षा की आवश्यकता कृषि कार्यों के लिए किसानों को अधिक होती है | इसका पूर्वानुमान आगे से आगे पता लगता रहे तो कृषि कार्यों में और अधिक सफलता मिल सकती है जिससे उपज को बढ़ाया जा सकता है, किंतु वर्षा संबंधी पूर्वानुमान लगाने के लिए अभीतक ऐसी कोई वैज्ञानिक विधा विकसित नहीं की जा सकी है | जिसके द्वारा वर्षा या मानसून के विषय में सही पूर्वानुमान उपलब्ध करवाए जा सकें |ऐसी स्थिति में हमारे द्वारा पिछले 35 वर्षों से किए जा रहे अनुसंधान काफी  घटित होते  रहे हैं |  
   इसी प्रकार से कोरोना महामारी की प्रत्येक लहर के विषय में हमारे द्वारा सही सटीक पूर्वानुमान लगाकर कर भारतसरकार को भेजे जाते रहे हैं,जो बिल्कुल सही निकलते रहे हैं | इतना ही नहीं प्रत्युत यह भी पता लगा लिया जाता रहा है कि महामारी में किसे संक्रमित होना और किसे संक्रमित नहीं होना है |  

     इसके अतिरिक्त विवाह, वैवाहिक जीवन, संतान,संबंध,व्यापार, भवन, वाहन, सुख दुःख, तनाव पद प्रतिष्ठा आदि  जितनी भी जीवन से संबंधित समस्याएँ हैं |उनके समाधान निकालकर समाज को विभिन्न क्षेत्रों से संबंधित चिंताओं से मुक्त करने का प्रयत्न किया जा रहा है |                  


                       वर्तमान समय में राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोध संस्थान  की आवश्यकता !          

     वर्तमानसमय में समाज दिनोंदिन आंदोलित एवं हिंसक होता जा रहा है| चारों ओर उन्माद फैला हुआ है आतंकी घटनाएँ अक्सर घटित हुआ करती हैं | जिनमें बहुत लोग मारे जाते हैं|विश्व में कुछ देश युद्ध लड़ रहे हैं कुछ देश युद्ध के मुहाने पर खड़े हैं | ऐसी घटनाओं से लाखों लोग मृत्यु को प्राप्त होते जा  रहे हैं | विवाह टूट रहे हैं | परिवार बिखर रहे हैं समाज खंडित होते जा रहे हैं |आपसी विश्वास समाप्त होता जा रहा है | प्राकृतिक आपदाएँ आती हैं चली जाती हैं | महामारी आई चली गई ऐसी घटनाओं में लाखों लोग मृत्यु को प्राप्त होते रहते हैं | धन धान्य का नुक्सान होता है | लोग चलते फिरते हँसते खेलते मृत्यु को प्राप्त होते देखे जा रहे हैं | उस उन्नत विज्ञान की मदद से मनुष्यों की सुरक्षा कैसे हो ये समझ में नहीं आ रहा है | पहले तो मनुष्य जीवन को सुरक्षित बचाने के मजबूत प्रयास हों !सुख  सुविधा के साधन तो बाद में जुटा लिए जाएँगे | प्राकृतिक आपदाओं एवं महामारियों से मनुष्य जीवन को सुरक्षित बचाने के लिए मजबूत प्रयत्न करने होंगे |

    'राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोधसंस्थान' ऐसे सार्थक अनुसंधानों का पक्षधर है |जो अनुसंधान जिन समस्याओं के समाधान के लिए किए जाएँ उन समस्याओं के आने पर उन अनुसंधानों से समाज को कुछ तो मदद मिलनी ही चाहिए ,अन्यथा अनुसंधानों का प्रयोजन ही क्या रह जाएगा !
     भूकंप संबंधित अनुसंधानों को ही लें तो भूकंपविज्ञान है, भूकंपवैज्ञानिक हैं,भूकंपसंबंधी अनुसंधान भी होते रहते हैं | अनुसंधानों से संबंधित संसाधनों पर भारी भरकम धनराशि खर्च की जाती है|इसी के साथ  वैज्ञानिकों की पद प्रतिष्ठा एवं उनकी सैलरी आदि सुख सुविधाओं पर काफी धन खर्च होता है | यह संपूर्ण धन जो सरकारें ऐसे अनुसंधानों पर खर्च किया करती हैं |यह धन उस जनता से टैक्स रूप में सरकारों को प्राप्त होता है |  इसके बदले यही जनता अपने भूकंप वैज्ञानिकों से ऐसी आशा लगाए रहती है कि भूकंपों के आने के विषय में ये हमें पहले से सही सटीक पूर्वानुमान बताएँगे तथा सुरक्षा के ऐसे उपाय बताएँगे जिनसे भूकंपों के आनेपर जनधन का नुक्सान कम से कम होगा  | जिससे समाज की सुरक्षा सुनिश्चित होगी  | 
      दुर्भाग्य से भूकंपों के आने पर ऐसे अनुसंधानों से समाज को कोई मदद मिल नहीं पाती है | जितना नुक्सान होना होता है उतना होता ही है| इसलिए भूकंप संबंधी  अनुसंधानों की सार्थकता भले न सिद्ध हो पाई हो | उन अनुसंधानों सेसे भूकंप पीड़ित समाज को कोई मदद भले न मिल सकी हो ,किंतु वास्तविक भूकंप वैज्ञानिकों के अभाव में कुछ ऐसे लोगों भूकंप वैज्ञानिक मानकर  वही गौरव पूर्ण जीवन के साथ साथ उच्चतम पद प्रतिष्ठा प्रदान की जा चुकी है | वही सुख सुविधाएँ दी जा चुकी हैं | जो वास्तविक भूकंप वैज्ञानिकों के लिए निर्द्धारित की गई थीं |भूकंपों के विषय में किए जा रहे अनुसंधानों में उनका  योगदान क्या है ये अभी तक समाज को पता नहीं है | 
    कहने को तो वर्तमान समय में विज्ञान उन्नतशिखर के पर है,जिसके द्वारा सुख सुविधाओं के साधन तो विकसित किए जा सके हैं किंतु प्राकृतिक आपदाओं तथा महामारियों से हो रही जनधन हानि को रोका जाना संभव नहीं हो पा रहा है |वर्तमान समय का उन्नत विज्ञान उस उँचाई पर नहीं पहुँच पा रहा है, जहाँ ऐसी बड़ी घटनाओं का  निर्माण होता है |समस्याओं के समाधान के लिए भी अनुसंधानों एवं अनुसंधानकर्ताओं को उसी उँचाई पर पहुँचना होगा !जिस प्रकार से प्राचीन काल में ऋषिमुनि  इन्हीं प्राकृतिक परिवर्तनों का अध्ययन अनुसंधान आदि करने के लिए जंगलों में रहा करते थे |महानगरों की चकाचौंध में सुखसुविधापूर्ण जीवन जीते हुए प्राकृतिक आपदाओं एवं कोरोना जैसी महामारियों के विषय में  अनुसंधानपूर्वक अनुमान पूर्वानुमान आदि लगाना संभव ही नहीं है |        "उन्नत विज्ञान पर गर्व करो किंतु प्राचीन विज्ञान से खोजो  अपनी समस्याओं के समाधान !'

                      


                                 राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोधसंस्थान  का लक्ष्य
    किसी बड़े बाँध से काफी अधिक मात्रा में जल छोड़ा जाना हो और उससे बाढ़ आनी निश्चित हो |जिससे जनधन के नुक्सान की संभावना हो | ऐसी दुर्घटनाओं से यदि समाज की समाज की सुरक्षा की जानी है तो इस पानी छोड़े जाने के विषय में पहले से पूर्वानुमान लगाया जाना होगा|ऐसा करने से तो बचाव के  मिल सकता है किंतु बाढ़ आ जाने पर जब जनधन का नुक्सान होना शुरू हो चुका हो उस समय नदी के इतने तेज बहाव को न रोका जा सकता है न मोड़ा जा सकता है ,फिर तो जो नुक्सान होना है वो होकर ही रहेगा | ऐसी घटनाओं से होने वाले जनधन के नुक्सान को तत्काल की तैयारियों के बलपर सुरक्षित किया जाना संभव नहीं हो पाता है | ऐसी घटनाओं से जनधन की सुरक्षा करने के लक्ष्य का यदि मजबूती से पालन करना ही है तो पहले से पूर्वानुमान पता लगाए बिना कोई दूसरी ऐसी वैज्ञानिक प्रक्रिया संभव ही नहीं है जिससे जनधन की सुरक्षा की जानी संभव हो !

     इतनी अधिक मात्रा में पानी आ रहा है ये पहले से पता न हो तो अचानक बाढ़ आएगी ही उससे जनधन का नुक्सान भी उतना होगा ही जितना होना है |जल  के इतने तेज बहाव को कैसे रोक लिया जाएगा | उसके साथ बहे जा रहे जनधन को कैसे पकड़ लिया जाएगा और कितना सुरक्षित बचा लिया जाएगा | 

    इसीप्रकार से प्राकृतिक आपदाएँ ,महामारियाँ तथा जीवन से संबंधित और बहुत सारी समस्याएँ जब आ जाती हैं | उसके बाद सुरक्षा के प्रयत्न शुरू किए जाते हैं | इससे नुक्सान तो पूरा होता है | वैज्ञानिक लोग उन घटनाओं के विषय में कुछ अपने किस्से कहानियाँ सुनाकर अपनी भी भूमिका सिद्ध कर लेते हैं ,जबकि उन कहानियों का ऐसी घटनाओं से कोई लेना देना नहीं होता है | 

     इसलिए ऋषि मुनियों के स्वाध्याय, साधना, परिश्रम से प्राप्त हुए अपने शास्त्रीय ज्ञानामृत से समाज को लाभान्वित होने का जो अवसर मिला है | उससे हर जाति, वर्ग समुदाय, सम्प्रदाय लाभान्वित हो। बिखरते परिवार राष्ट्र समाज फिर से एक दूसरे के साथ पूर्ण विश्वास पूर्वक जुड़ सकें। इससे परिवार, राष्ट्र, समाज फिर से खुशहाल हो सकेगा और अपना एवं अपने परिवार का पेट भरने के लिए प्राच्य विद्याओं के बहाने अपने सरल समाज को फँसने फँसाने का यह घृणित खेल बंद होना चाहिए ।

      कुलमिलाकर प्राकृतिक आपदाओं महामारियों के आ जाने पर न तो उन्हें रोका जाना संभव हो पाता है और न ही उनसे सुरक्षित बचा जाना संभव हो पाता है | इसलिए 'राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोधसंस्थान' का लक्ष्य है कि प्रकृति और जीवन से संबंधित ऐसी सभी समस्याओं के आने से पहले उनके विषय में सही पूर्वानुमान लगा लिए जाएँ ताकि उनसे सुरक्षा की तैयारियाँ करने के लिए पर्याप्त समय मिल सके |जिसमें उनके समाधान खोजे जा सकें | ऐसा करके मनुष्य जीवन को स्वस्थ सुरक्षित एवं समस्या मुक्त,तनाव मुक्त बनाया जा सके |