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Monday, March 11, 2013

महिला दिवस के नाम पर पुरुष वर्ग को कोसा जाना कहाँ तक उचित है?कुछ महिलाओं  को पुरस्कार  इसलिए दिए गए कि  किसी पुरुष  से उसने संघर्ष जीता था। दिसंबर २०१२  दिल्ली में एक बलात्कार हुआ था केवल एक जो न केवल मीडिया से लेकर सभी पार्टी के नेताओं  अपितु विश्व के कई देशों में अभी तक चर्चित है कुछ देश तो उसे मरणोपरांत सम्मान भी दे रहे हैं ऐसा ही स्वदेश में भी बहुत कुछ हो रहा है खैर होना भी चाहिए। इसमें किसी को भला क्या आपत्ति हो सकती है?
    मुझे यहाँ एक बात समझ में नहीं आ पा रही है कि नेताओं से लेकर स्वदेश वा विदेश की मीडिया एवं सरकारों  तक को इस कांड ने झकझोर कर रख दिया है। यहाँ चिंता की बात यह है कि इस बलात्कार में ऐसा क्या खास था जो इसके पहले एवं बाद के बलात्कारों में देखने सुनने को न मिला हो।केवल 16 -1 -2०12 के  बलात्कार पर इतना आक्रोश क्यों? मेरे बिचार से तो एक  दो या दस बलात्कारों के अपराधों में अंतर नहीं किया जाना चाहिए!यदि यही अंतर होता रहा तो कभी भी इस पर नियंत्रण कर पाना असंभव होगा!अपराध तो अपराध होता है इसमें भेदभाव नहीं बरता जाना चाहिए।       झकझोर दिया 
        

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