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Thursday, October 31, 2013

साम्प्रदायिकता का भय भरकर आखिर क्यों जीतना चाहते हैं चुनाव ?

        सांप्रदायिक कौन है और उसने नुकसान क्या किया है ?

      भाजपा की राष्ट्रवादी भाषाशैली  से घबड़ाए लोग जगह जगह सभा सम्मेलनों के माध्यमों से सांप्रदायिकता का हौवा खड़ा करने में लगे हैं!जो आज की तारीख में सबसे अधिक घातक है! इस सांप्रदायिकता को रोकने के नाम पर देश की जनता को दो बार अत्यंत कठोर निर्णय लेते हुए उन्हें जनादेश देना पड़ा जो सांप्रदायिकता रोकने का दम्भ भरते थे उन्होंने एक बार नहीं दो दो बार देश कि बागडोर उनके गले मढ़ दी जो केवल और केवल दोषों,घपलों,घोटालों, भ्रष्टाचारों के नाम से कीर्तिमान स्थापित करते चले आ रहे हैं। ऐसी सरकारों के द्वारा भले ही कुछ सहयोगी दल या नेता भ्रष्टाचार में संलिप्त होने के बाद भी सरकारी गंगाजल छिड़क कर  पवित्र किए जा चुके हों किन्तु मीडिया उन्हें कई बार चिंह्नित कर चुका है देश भी उन्हें पहचानने लगा है। देश यह भी जनता है कि तथाकथित सांप्रदायिकता से उनका उतना नुकसान कभी नहीं हो सकता जितना इन सांप्रदायिकता रोकने वालों से होता है।सांप्रदायिकता का हौआ खड़ा करके उनके वोट की धार का कैसे मिस यूज किया जाता है इसे भी अब देश पहचानने लगा है!यदि ये सांप्रदायिकता विरोधी इतने ही ईमानदार हैं तो अपनी अपनी पार्टियों का विलय एक में  ही करके एक साथ क्यों नहीं लड़ लेते  सांप्रदायिकता से ?

      दूसरी ओर सांप्रदायिक  पार्टी के नाम से बदनाम कि जा रही भाजपा न केवल कई प्रदेशों में सफलता पूर्वक विकासोन्मुखी सरकारें चला रही है अपितु केंद्र में ईमानदारी पूर्वक समाज का विश्वास जीतते हुए सरकार चलाई गई इससे क्या नुकसान हो गया देश का? सांप्रदायिक ताक़तों को सत्ता में आने से रोकने के नाम परआखिर क्यों भय का वातावरण बनाया जा रहा है?विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ने से क्यों डरते हैं ये लोग ?आखिर क्यों खोजे जाते हैं भय और भावनात्मक मुद्दे ? 

     दिल्ली में सांप्रदायिक ताक़तों को सत्ता में रोकने से नाम पर आज इतना बड़ा जमावड़ा लगा जिसमें 14 दलों के दिग्गज नेताओं ने तालकटोरा स्टेडियम से ताल ठोककर कहा है कि धर्म के धंधेबाज़ों को सत्ता में आने से रोकने के लिए जो भी करना पड़ेगा करेंगे. इनमें  समाजवादी पार्टी औऱ जनता दल यूनाईटेड  लेफ्ट पार्टी आदि आदि!

    यहां बोलने वालों के बयानों में श्री मुलायम सिंह यादव जी से लेकर नितीश कुमार जी समेत सभी लोग सांप्रदायिकता के खिलाफ अपनी लड़ाई का बखान करते रहे 

      श्री मुलायम सिंह यादव जी ने सांप्रदायिकता के खिलाफ अपनी लड़ाई का बखान करते हुए कहा कि वह मुस्लिमों की भलाई और बीजेपी की तरफ कड़ाई से पीछे नहीं हटेंगे!

       जब बारी आई मोदी की हुंकार रैली से हतप्रभ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी की तो उन्होंने कहा कि हमें सोचना है कि फासीवाद, साम्प्रदायिकतावाद और आतंकवाद की शक्तियों को शिकस्त देने के मुद्दे के आधार पर सभी लोकतांत्रिक शक्तियों को एकता बनानी चाहिए.

  इस दौरान लेफ्ट के नेताओं प्रकाश कारत और एबी वर्धन ने वही पुराना राग अपनाया कि देश पूंजीवादी शक्तियों का गुलाम हो गया है. सांप्रदायिकता का जहर फैल रहा है और सभी सेकुलर दलों को इसके खिलाफ मिलकर लड़ना होगा. सम्मेलन में जेडीयू के शरद यादव, जेडी एस के एचडी देवेगौड़ा, बीजू जनता दल के जय पांडा, असम गण परिषद के प्रफुल्ल कुमार महंत और झारखंड विकास मोर्चा के बाबू लाल मरांडी समेत कोई बीस बड़े नेता मौजूद थे।


 

Tuesday, October 29, 2013

हमारा विनम्र निवेदन

आदरणीय  सभी सुहृज्जनों को प्रणाम,    

       हमारा   निवेदन  यह है कि मैंने भी  धर्म से जुडी कई किताबें लिखी हैं काशी हिन्दू विश्व विद्यालय से पी. एच. डी. की है जिसका विषय भी तुलसी साहित्य और ज्योतिष  है इसके माध्यम से कई स्थलों की स्पष्ट व्याख्या करने में मदद मिली है।

        भगवान  श्री राम कितने लाख वर्ष पूर्व प्रकट हुए थे इस पर भी ज्योतिष आदि आकर ग्रंथों के प्रमाणों के आधार पर श्री राम एवं राम सेतु नाम से एक  पुस्तक लिखी गई है। 

        इसी प्रकार श्री राम चरित मानस की  तरह ही   दोहा चौपाई में श्री हनुमत सुन्दर कांड  नाम से   एक अलग ग्रन्थ लिखा गया है ।

         इसी प्रकार दुर्गा सप्तशती,नव दुर्गा स्तुति,नव दुर्गा पाठ आदि पुस्तकें भी श्री राम चरित मानस की  तरह ही   दोहा चौपाई में प्रमाणित रूप से लिखी गई हैं!

          अस्तु ,आपकी रूचि यदि इन विषयों से सम्बंधित है तो अपने पत्र व्यवहार का पता यदि आपके द्वारा हमें उपलब्ध कराया जा सके तो इन पुनीत ग्रंथों की प्रतियाँ मैं  आपके लिए सादर सप्रेम भेंट स्वरूप भेजना  चाहता हूँ !इसके पीछे हमारे संस्थान का उद्देश्य शास्त्रीय एवं धार्मिक विषयों में प्रमाणित शास्त्रीय व्याख्या जन जन तक पहुँचाना है,साथ ही आम आदमी को बिना किसी भ्रम के शास्त्रीय ज्ञान विज्ञान से जोड़ना एवं अनावश्यक धार्मिक व्यवसायी विचौलियों  की भूमिका कम करना है। शास्त्रीय ज्ञान विज्ञान में आत्म निर्भरता ही हमारा उद्देश्य है।  इस प्रकार के साहित्य के प्रचार प्रसार के लिए   सनातन धर्मी सभी आदरणीय महानुभावों से तन मन धन आदि सभी प्रकार के सहयोग की अपेक्षा है इस पुनीत कार्य में और भी जिन लोगों को जोड़ा जा सकता हो जो भी रूचि रखते हों उन तक हमारे संस्थान के विचार विस्तार लिए सभी स्वजनों को अग्रिम साधुवाद    -                                                                    -भवदीय शास्त्र सेवक -                                                                                                                                                 डॉ.शेष नारायण वाजपेयी 

                          संस्थापक -राजेश्वरी प्राच्य विद्या शोध संस्थान                                                                                                                                                      09811226973,

                    E-snvajpayee@yahoo.com,                                                                                   Blog-Swasth Samaj

       शारदीय नवरात्रों के परम पवित्र अवसर पर  भगवती दुर्गा के उपासक आप सभी सुधी साधकों को बहुत बहुत बधाई ! माता दुर्गा सपरिवार  आप सभी  को उत्तम स्वास्थ्य एवं धनधान्य से पूर्ण करें- साथ ही समस्त समाज,देश एवं समस्त चराचर जगत के लिए मंगल कामना-                                
निवेदक -                                                                  
              राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोधसंस्थान    
  इस परं पवित्र नवरात्र पर्व के शुभ अवसर पर अत्यंत  आत्मीय और प्रेरक सन्देश .....                     

                अबदुर्गासप्तशतीआदि  
                           भी

       रामचरितमानस एवं सुंदरकांड 

                            की ही  तरह 

                       हिंदी दोहा चौपाई में पढ़िए                         

                    राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोधसंस्थान 

                                     की ओर से 

                              शास्त्रीय ज्ञानविज्ञान  को 

             घर घर जन जन तक पहुँचाने की पवित्र पहल

                                            में

                            आप भी सहयोगी बनें


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 दुर्गा सप्तशती की पुस्तक संस्कृत भाषा  में होने के कारण बड़े  यज्ञ यागादि  तो वैदिक ब्राह्मणों से कराने  ही होते रहे हैं।जो लोग संस्कृत भाषा में दुर्गा सप्तशती नहीं पढ़ पाते हैं उनकी सुविधा के लिएअब

            राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोधसंस्थान  से 

     उसी दुर्गा सप्तशती ग्रंथ का  हिंदी दोहा चौपाई में प्रमाणित अनुवाद किया गया है इसे अब आसानीपूर्वक सुंदरकांड  या राम चरित मानस की तरह  हिंदी कविता में अकेले या कुछ लोगों के समूह में बैठ कर  बिना संगीत या संगीत के द्वारा भी पढ़ा जा सकता है।

    समाज में जो अपराध की भावना बड़ी है उसी कारण से प्राकृतिक विप्लव कहीं बाढ़, कहीं सूखा,भूकंप आदि के द्वारा भारी नरसंहार के भयावह दृश्य देखने को मिल रहे हैं।इसीप्रकार से बम विस्फोट, आतंकवाद,  महामारी आदि सामूहिक या पारिवारिक विपदाओं से बचने के लिए अभी भी सँभलने का समय है। ऐसे में दुर्गा जी की आराधना ही एक मात्र सरल उपाय है जो कोई संस्कृत भाषा में न पढ़ सके उसे  हमारे संस्थान से प्रकाशित दुर्गा सप्तशती की इस सबसे अधिक प्रमाणित पुस्तक से ही पाठ करना  चाहिए,यह सबसे सरल और प्रमाणित उपाय है।

       कुछ लोगों ने पहले भी इस पुस्तक को या दुर्गा जी की और भी ऐसी पुस्तकें अपनी अपनी भाषा शैली में श्रृद्धापूर्वक लिखने के प्रयास किए हैं।उनमें जो कमियाँ छूट गई हैं उन्हें पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है। 

      पहली बात उनमें भाषा की गलतियाँ देखी गई हैं दूसरी बात किताब को सरल बनाने के लिए बहुत विषय छोड़ दिया गया है वो छोटी छोटी पतली पतली पुस्तकें पढ़ने में आसान ज़रूर हैं,किन्तु खंडित होने के कारण उन्हें पढ़ने का लाभ क्या है?वो प्रचलित पुस्तकें कितनी प्रमाणित हैं इसकी तुलना आप गीता प्रेस की प्रमाणित पुस्तक को देखकर स्वयं भी कर सकते हैं। 

    तीसरी बात यह है कि उनमें से कुछ पुस्तकों में लेखक लोगों ने हर पेज में अपनी फोटो एवं हर लाइन में अपना नाम डाल रखा है।यह विधा इसलिए ठीक नहीं है कि पाठ करने वाला लेखक की नहीं अपितु दुर्गा माता की पूजा करना चाहता है इसलिए उस पाठ के बीच - बीच में लेखक की अपनी फोटो एवं हर लाइन में उसके नाम की  जरूरत क्या है और इससे पाठ भी खंडित होता है जिससे करने वाले को दोष तो लगता ही होगा !

      ऐसे लोगों ने रद्दी कागज में घटिया टाइटल लगाकर केवल पैसे कमाने के लिए कमजोर किताबें बनाई हैं ताकि जल्दी फट जाएँ और उनकी नई किताबें बिक सकें!

       इन सबसे ऊपर उठकर मैंने सोचा कि फिल्मी मैग्जीनें तो अच्छे अच्छे कागजों और कवर में छापी बनाई जाती हैं जबकि दुर्गा जी के साहित्य लिए ऐसी तुच्छ श्रृद्धा !इसलिए मैंने सबसे महँगी लागत लगाकर किताब बनाई है आखिर जगत जननी माता दुर्गा के प्रति आस्था विश्वास का सवाल है । हम माता के सम्मान एवं प्रामाणिकता के साथ किसी भी प्रकार का समझौता नहीं कर सकते,शास्त्रीय ज्ञान विज्ञान के साथ समझौता करना अपने स्वभाव में ही नहीं है !

       बहुत से बुक सेलरों ने हमारी पुस्तकों को बेचने से इसलिए मना कर दिया है कि उन्हें कमीशन कम मिलता है यदि हम किताबों की क्वालिटी घटा दें तो उनका कमीशन बढ़ जाए!बंधुओं,आज भी  तीस प्रतिशत कमीशन देकर हम लगभग लागत दाम पर उन्हें पुस्तकें उपलब्ध करवाते हैं फिर भी उन्हें संतोष नहीं हो रहा है,किताबों की क्वालिटी घटाने का हम पर दबाव बना रहे हैं।  

     बंधुओं,इसी प्रकार के कुछ लोगों के विरोधी विचारों से मैं आहत हूँ,महँगे महँगे विज्ञापन दे पाना अपने बस का नहीं है अतएव आप सभी दुर्गा जी के भक्तों से निवेदन है कि आप हमारे संस्थान के इस तरह के कार्यक्रमों में सहयोग करने के लिए आगे आएँ और आम जनता से सीधे जुड़ने में हमारा  कृपा पूर्ण सहयोग करें आप अपनी श्रृद्धा एवं शक्ति के अनुशार हमारा आर्थिकादि सहयोग की आपसे भी अपेक्षा है ।यदि उचित समझें तो इस पवित्र कार्य के लिए आप अन्य लोगों को भी प्रेरित कर सकते हैं |लागत मूल्य पर ये पुस्तकें संस्थान से खरीद कर भक्तों को बाँटने के लिए भी लोगों को प्रेरित किया जा सकता है |

        इस प्रकार की पाँच पुस्तकों के सेट हमारे यहाँ बनाए गए हैं जो हमारे एकाउंट में पैसे जमा करवाकर डाक द्वारा ये पुस्तकें संस्थान से भी मँगवा सकते हैं।

      हमारा अभियान केवल इतना ही नहीं अपितु जन जन तक शास्त्रीय ज्ञान विज्ञान को पहुँचाना है सनातन धर्म के समस्त श्रृद्धालुओं से मेरी प्रार्थना है कि इस अत्यंत पवित्र कार्य में आप भी हमारे सहयोगी बनें।

        वैसे भी पुराणों में कहा गया है कि कोई भी  व्यक्ति जब तक प्रतिदिन भगवती दुर्गा की पूजा नहीं करता तब तक वह और कितने भी प्रकार के दूसरे  पुण्य कर्म क्यों न कर ले किन्तु  उनका कोई फल नहीं मिलता है अपितु  भगवती दुर्गा  स्वयं उन सारे पुण्यों को भस्म कर देती हैं। जैसे -

     यो न पूजयते नित्यं चण्डिकां भक्त वत्सलाम् ।

     भस्मी कृत्यास्य  पुण्यानि निर्दहेत् परमेश्वरी ।।

                                                                 -पुराण 

      इसलिए भगवती दुर्गा की आराधना हर किसी को प्रतिदिन करनी चाहिए साथ ही हर घर में प्रतिदिन होनी चाहिए।हर गाँव, नगर ,समाज,शहर ,देश आदि में सामूहिक रूप से की जानी चाहिए। मंदिरों के पंडित पुजारियों को चाहिए कि वे इस पूजन विधान को प्रतिदिन करें । इससे उस क्षेत्र में रहने वालों को कभी किसी प्रकार के संकट का सामना नहीं करना पड़ता है। इससे सामाजिक दुष्प्रवृत्तियाँ एवं विप्लव आदि रोकने में विशेष सहयोग मिलेगा।

    जैसे किसी दुर्घटना के घटने पर सरकार राहत सामग्री पहुँचाती है साथ ही सहयोग राशि देती है किन्तु सरकार हो या संसार का कोई और दूसरा व्यक्ति हो किन्तु कोई दुर्घटना घटने के बाद ही उसके विषय में सबको पता लगता है किन्तु दुर्गा जी की आराधना तो कोई दुर्घटना घटने ही नहीं देती है।इसलिए जीवन में सभी प्रकार की सुख शांति समृद्धि  पूर्वक जीने के लिए  क्यों न दुर्गा जी की ही आराधना की जाए ! 

       इसके लिए दुर्गा सप्तशती एवं नवदुर्गा स्तुति हमारे संस्थान से प्रकाशित हैं इनका पाठ अधिक से अधिक करना चाहिए।इसमें खर्च की समस्या भी बहुत कम होती है क्योंकि किसी बाबा ,पंडित, पुजारी आदि से इसका पाठ नहीं कराना पड़ता है आप स्वयं इसका पाठ कर सकते हैं।   

      चूँकि संस्कृत की दुर्गा सप्तशती की पुस्तक कठिन है संस्कृत  विद्वानों के अलावा और कोई इसका पाठ नहीं कर सकेगा। अशुद्ध पाठ करना नहीं चाहिए। धन की कमी के कारण हर कोई विद्वान् ब्राह्मणों से इसका पाठ करा नहीं सकता।उसके लिए ज्यादा धन की आवश्यकता होती है।

      वैसे भी पूजापाठ स्वयं करना ही अधिक श्रेयस्कर रहता है, उससे पुण्यलाभ के साथ साथ संस्कार भी सुधरते हैं । इसलिए समाज की सुविधा को ध्यान में रखते हुए ही संस्कृत दुर्गा सप्तशती का हिन्दी कविता अर्थात दोहा चौपाई में अनुवाद किया गया है।

      दुर्गा जी की पूजा सामूहिक रूप से की जाए तो बहुत ज्यादा प्रभावी होगी।आप अपने नाते रिश्तेदारों तथा हेती व्यवहारियों को एवं समाज के विभिन्न वर्ग के लोगों को साथ जोड़कर सामूहिक पाठ का आयोजन कर सकते हैं, न अधिक संभव हो तो यह आयोजन वर्ष में एक बार तो हर कहीं किया ही जा सकता है और करना भी चाहिए । यह तो धर्म, पुण्य एवं जनहित का काम है,इसलिए तन मन धन से प्रसन्नता पूर्वक करना ही चाहिए।ऐसा करने के लिए अन्य लोगों को भी प्रेरित करना चाहिए।हमारे संस्थान से लागत दाम पर दुर्गा सप्तशती आदि लेकर उन लोगों को बाँटनी चाहिए जो इन्हें पढ़ने  की रूचि रखते हों । लोगों को सामूहिक पाठ करने या करवाने के लिए प्रेरित भी करना चाहिए।

       हमारे संस्थान की ओर से इस प्रकार के कार्यक्रम अक्सर अलग अलग जगहों पर चलाए जाते रहते हैं उनमें सम्मिलित होने के लिए यदि आप धन का सहयोग करना चाहें तो आप हमारे संस्थान के पता एवं फोन नंबर पर संपर्क कर सकते हैं।  इस प्रकार के पवित्र प्रयास वाले पर भगवती दुर्गा असीम कृपा करती रहती  हैं ऐसे भक्त की सभी मनोकामनाएँ पूरी करती रहती हैं ।

      इससे एक अथवा अनेकों स्त्री-पुरुष आदि एक साथ बैठ कर स्वयं ही बड़ी आसानी से संयम पूर्वक हजारों पाठ करके शत चंडी यज्ञ, सहस्र चंडी यज्ञ  या इसीप्रकार लक्षचंडी यज्ञ भी आप स्वयं ही आम आदमी के सहयोग से कर सकते हैं। 

   शत चंडी यज्ञ के लिए आपको दुर्गा सप्तशती के सौ पाठ करने होते हैं,सहस्र चंडी यज्ञ में आपको दुर्गा सप्तशती के एक हजार पाठ करने होते हैं इसीप्रकार लक्षचंडी यज्ञ के लिए आपको दुर्गा सप्तशती के एक लाख पाठ करने होते हैं। दस पाँच या सैकड़ों स्त्री पुरुष इस पाठ में सम्मिलित किए जा सकते हैं वो जितने भी पाठ एक दिन में कर लें वो लिख ले इस प्रकार शत चंडी यज्ञ,सहस्र चंडी यज्ञ आदि कुछ भी आप स्वयं संपन्न कर सकते हैं।इसके लिए यदि किसी को कोई जानकारी लेनी तो बिना किसी हिचक के आप हमारे यहाँ फोन कर सकते हैं या फिर समय समय पर लगने वाले हमारे प्रशिक्षण शिविरों में भाग लेकर इस विषय की जानकारी समझ सकते हैं ।  

     नवदुर्गा स्तुतिःइसीप्रकार जिनके पास समय का अभाव है उनके लिए नवरात्र के अलग अलग दिनों में पढ़ने के लिए नव देवियों की नव स्तुतियॉं प्रमाणित रूप से हमारे श्री नवदुर्गा स्तुति नामक ग्रंथ में लिखी गई हैं। यह हमारे संस्थान से प्रकाशित है इसका पाठ अधिक से अधिक करना चाहिए। एक तो यह प्रमाणित है दूसरा रामचरित मानस की तरह ही इसका भी पाठ किया जा सकता है। तीसरी सुविधा यह है कि जिनके पास समय नहीं होता है उन्हें नवरात्र के प्रतिदिन भी दिनों के हिसाब से अर्थात नवरात्र के किस दिन में किस देवी का  पाठ कितना करना होता है ?यह जानकारी  भी सबिधि दी गई है। 

    इन्हें  प्राप्त करने के लिए अथवा किसी प्रकार की अन्य जानकारी के लिए आप हमारे राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोधसंस्थान  में बिना किसी हिचक के संपर्क कर सकते हैं  

            राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोधसंस्थान

k-71,Chhachhi Building Krishna Nagar  Delhi -51

         Ph.09811226973,011-22002689

 


 

                                                                                                    

दीपावली का श्री राम के बन से लौटने का कोई सम्बन्ध नहीं है

दीपावली का पर्व क्यों मनाया जाता है ?

                             

          


        बहुत लोगों को आज भी पता है कि दीपावली का पर्व श्रीराम के बन से वापस आने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है किंतु यह सच नहीं है। यदि ऐसा होता तो दीपावली में श्रीराम सीता लक्ष्मण आदि का पूजन करके उनकी ही आरती उतारी जाती। श्रीगणेश लक्ष्मी जी का इस पर्व से क्या संबंध? वैसे भी सभी धर्मकार्यों में  गणेश जी के साथ  तो  गौरी जी का पूजन होता है यहाँ  लक्ष्मी पूजन क्यों ? दूसरी बात गणेश जी के पूजन में तो लड्डुओं का भोग लगता है जबकि दीपावली में तो ऐसा नहीं होता है?दीपावली प्रकाश का पर्व है, अर्थात सारी पृथ्वी को प्रकाश से नहला देना जबकि श्री गणेश और लक्ष्मी जी की किसी अन्य पूजा में ऐसा होते नहीं देखा गया है। भारतीय शास्त्रीय संपदा के दर्पण में इस  कौमुदी महोत्सव (प्रकाश पर्व) अर्थात दीपावली पर्व का वर्णन किस प्रकार से है देखते हैं ?

    श्रीरामावतार से बहुत पहले इस पृथ्वी पर  राजाबलि का राज्य था वे बहुत प्रतापी राजा थे। भगवान बावन ने उनसे दान में सारा राज्य पाठ ले लिया था, बाद में उनका शरीर भी नाप लिया था यह कथा लगभग सभी लोग जानते हैं।

     बात यह थी कि दैत्य वंश में उत्पन्न राजा बलि ने संपूर्ण पृथ्वी मंडल को जीत लिया था, स्वर्ग तक उनका शासन चलता था। इंद्र आदि  देवता राज्य विहीन होकर भटक रहे थे। संपूर्ण ऐश्वर्य लक्ष्मी राजाबलि के आधीन थी। सभी देवता स्वर्ग छोड़कर भटक रहे थे। सभी देवताओं की प्रार्थना पर ही भगवान विष्णु ने बावन रूप में प्रकट होकर राजा बलि की यज्ञ में जाकर सारा राजपाठ एवं स्वयं राजाबलि को भी दान की प्रतिज्ञा में बाँधकर अपने आधीन कर लिया था। बलि को समस्त परिवार के साथ सुतल लोक भेज दिया था। इस प्रकार जाते समय बलि से भगवान बावन ने पूछा आपकी कोई इच्छा हो तो कुछ माँग लो क्योंकि मेरा दर्शन व्यर्थ नहीं जाता। इस पर बलि ने कहा महाराज मैं सुतल लोक को प्रसन्नता पूर्वक प्रस्थान कर रहा हूँ किंतु मेरी इच्छा थी कि एक दिन के लिए हर वर्ष हमारा राज्योत्सव  पृथ्वी पर मनाया जाता रहे और उस दिन सारी पृथ्वी को प्रकाश से पूरित कर दिया जाए। यह दिन बलि राजमहोत्सव के रूप में जाना जाए।

      भगवान बावन ने स्वीकार करते हुए कहा कि कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को यह पर्व सारे संसार में धूम धाम से मनाया जाएगा। उसी वरदान के प्रभाव से यह परंपरा आज तक प्रचलित है। दीपों के समूह से इस दिन आरती की जाती है इसीलिए इसे दीपावली कहते हैं । 

         दीपैर्नीराजनादत्र सैषा  दीपावली स्मृता। 

                                                           मत्स्य पुराण
   इसीदिन सारे देवताओं सहित लक्ष्मी जी को भी महाराज बलि के कैदखाने से छुड़ाकर भगवान विष्णु वापस क्षीर सागर ले आए थे।

यथा -


   बलिकारागृहाद्देवा      लक्ष्मीश्चापि      विमोचिता।
   लक्ष्म्याः   सार्द्धं  ततो देवा नीता  क्षीरादधौ   पुनः।।

   सभी देवता और लक्ष्मी आदि देवियॉं सभी लोग राजाबलि के कारागार में थे। इसीलिए देवताओं में अग्रगण्य श्री गणेश जी एवं देवियों में अग्रगण्य श्री लक्ष्मी जी का पूजन किया जाता है।

    यथा - 

           तत्र   संपूजयेल्लक्ष्मीं   देवांश्चापि प्रपूजयेत्।
           एवं तु सर्वथा कार्य  बलिराज्य   महोत्सवः ।।

   स्पष्ट लिखा है कि सभी प्रकार से सभी को प्रसन्न कर सभी के साथ मिलजुलकर सभी के लिए खुशी की कामना करते हुए संपूर्ण आनंद के साथ राजाबलि के राजमहोत्सव अर्थात दीपावली को मनावे।

       जो लोग ऐसा मानते हैं कि श्री राम के बन से वापस आने के उपलक्ष्य में दीपावली पर्व प्रारंभ किया गया था। इस विचार में थोड़े सुधार के साथ सोचने की आवश्यकता है। वस्तुतः बात यह थी कि जब श्रीराम बन चले गए थे, तब महाराज दशरथ की मृत्यु हो गयी थी, माताएँ विधवा हुईं भरत जी नंदी ग्राम में विरक्त होकर रहने लगे। सारी अयोध्या के लोग राजपरिवार की इस दुखद स्थिति से अत्यंत व्याकुल थे


            लागति अवध भयावनि भारी।
                     मानहुँ कालरात्रि अँधियारी।।
            घर मशान परिजन जुनुभूता।
                      सुत हित मीत मनहुँ  यमदूता।।
      शमशान की तरह घर तथा प्रजालोग भूत प्रेतों की तरह एवं संतान, हितकारी लोग और मित्र वर्ग यमराज के दूतों की तरह दुखदायी लग रहे थे।

      आप स्वयं सोचिए जिस घर परिवार राज्य आदि पर ऐसी विपत्ति का समय चल रहा हो वहाँ क्या होली क्या दिवाली आदि महोत्सव क्या और कोई हर्ष उल्लास का त्योहार? जब अपने मन में खुशी होती है तभी सब अच्छे लगते हैं। इसलिए संपूर्ण नगरवासियों ने राजपरिवार के दुख में दुखी रहकर चैदह वर्षों तक समस्त उत्सव रोक जैसे रखे थे किंतु प्रभु श्रीराम के बन से वापस आते ही उस वर्ष सभी त्योहार बड़े धूमधाम से मनाए गये थे मानो खुशियों का पारावार न रहा हो। इसमें भी प्रभु श्रीराम के बन से वापस आने के बाद पहला बड़ा त्योहार दीपावली ही पड़ा था। इसलिए खुशियों का समुद्र उमड़ना स्वाभाविक भी था।
                                        डॉ. शेष नारायण वाजपेयी
                                                                         संस्थापक  

                                                      राजेश्वरी प्राच्य विद्या शोध संस्थान

आर्थिक आतंक वाद की उपज हैं सिंथेटिक मिठाइयॉँ !

गिफ्ट लेने और देने की प्रक्रिया में गंदगी ही गंदगी है

  मैंने बहुत सोचा कि इस परंपरा में भी आखिर कुछ तो अच्छाई होगी किंतु मैं निराश हूँ ।मेरा बश  चले तो इसे कल बंद कर दें किंतु हिंदुस्तान भेड़िया धसान हर कोई अंत हीन तर्कहीन यात्रा पर देखादूनी भाग रहा है।बाजारों की महँगाई के लिए अकेले सरकार दोषी नहीं है सामाजिक रहन सहन एवं बात व्यवहार रीति रिवाज आदि बराबर के दोषी हैं

     यद्यपि उपहार देने लेने की हमारी अत्यंत प्रचीन परंपरा रही है किंतु वह लेने देने दोनों में ही प्रसन्नता होती थी और दिखावा बिल्कुल नहीं था उस समय आत्मा मन बुद्धि और हृदय आदि सब के साथ उपहार

देने वाले में विनम्र दान की भावना एवं लेने वाले में उसके स्नेह पर कृतज्ञता देखते ही बनती थी।वहॉं सामान लेन देन की प्रमुखता नहीं होती थी क्या है, कितना महॅंगा है, यह भावना तो थी ही नहीं । केवल इस पर गर्व होता था कि हमारे अपनों ने हमें याद तो किया। लोग बातचीत में एक दूसरे की सराहना करते हुए कहा करते थे बेचारे इसी बहाने मिलने तो आए।कोई किसी को क्या देता लेता है कोई किसी के यहाँ क्या खाने जाता है अमुक आदमी हमारे यहाँ  आए ये बहुत बड़ी बात है।इन्हीं धार्मिक बातों के बहाने गरीब अमीर हर आदमी एक दूसरे से मिलजुलकर जी लिया करता था।इसी बहाने मन की बातें एक दूसरे से कर लेते थे लोग।वहाँ संपन्नता और गिफ्ट की कीमत आँकने की परंपरा ही नहीं थी।केवल मिलकर ही दोनों प्रसन्न हो जाया  करते थे।
     कहाँ गईं भारत की अपने पन की वे पावन परंपराएँ ?कहाँ गए वे पवित्र लोग?कहाँ गया वह मिलन सारिता का सहज स्वभाव?कहाँ गए जीवित बिचारों वाले वे सजीव लोग?हर कोई बँधा बँधा सा महसूस कर रहा है। हर किसी को एक दूसरे से अपने मन की बात कहने में भय लग रहा है। लगता है कि अब इस समाज के हर व्यक्ति को अकेला ही रहकर घुट घुट कर मरना पड़ेगा।
      पहले लोग गिफ्ट देने के बहाने मिलने जाते थे अब अधिकांश  लोग मिलने के बहाने गिफ्ट देने जाते हैं,क्योंकि हर आदमी अब अपने से बड़ों से ही व्यवहार रखना चाहता है। वह भी ऐसे लोगों से जो उसे देहाती भाषा  में कुत्ता समझकर अपने घर में घुसने ही नहीं देना चाहते उनके यहाँ वो डिब्बा देने के बहाने एक बार घुसकर केवल अपना चेहरा दिखाकर धन्य हो जाता है।वो वर्ष  भर उन्हीं यादों चर्चाओं अगले साल की योजनाओं में खोया रहता है।
     दूसरे तरह के गिफ्ट दानी वे होते हैं जो अपने गिफ्ट पैकिट अपने बराबर वालों के मुखपर जूते की तरह मारते घूम रहे होते हैं मानों कह रहे हों, ले दरिद्र कहीं के देख! तेरे से अच्छा है हमारा डिब्बा।सामने वाला मिलना या हाथ मिलाना या हृदय मिलना चाहे, एक ग्लास पानी को पूछकर अपने आतिथ्य धर्म का भी निर्वाह करना चाहे  तो वो अपनी तीन मजबूरियॉं गिनाते हैं पहला बहुत खाया है पेट भरा है।दूसरा अभी बहुत जगह जाना है।तीसरा स्वास्थ्य भी कुछ ढीला है पेट खराब है । उसको कौन पूछे कि जब तू इतनी आपत्तियों बिपत्तियों का मारा है तो क्यों आया हमारे यहाँ  ये भीख देने?
     तीसरे तरह के वे गिफ्टदानी होते हैं जो अपने से छोटे उन लोगों से जुड़ते हैं जिनसे अक्सर ऐसे काम पड़ा   करते हैं जो होते तो छोटे हैं किंतु उनका महत्व बहुत होता है। जिसके वो लोग गर्ज समझ कर अक्सर काम फॅंसा होने पर बहुत ज्यादा पैसे चार्ज कर लेते हैं जैसेबिजलीआदिकेमैकेनिक,कारपेंटर,राजमिस्त्री,पोस्ट

मैन,डॉक्टर,ज्योतिषी,पंडित,पुजारी आदि अपने को सम्मानित समझने वाले और भी बहुत सारे लोग,जिनके प्रति सम्मान न होने पर भी उनकी चमचागिरी दिखाने के लिए फोकट में दाँत निकालकर हँसना पड़ता है।जो काम पड़ने पर ज्यादा पैसे न माँगने लगें या मौके पर धोखा न दे दें।ऐसे लोगों को अपने यहाँ लोगों के द्वारा दिए गए गिफ्ट के वे डिब्बे जो खोलकर देखे जा चुके होते हैं जो अपने लायक नहीं होते हैं किंतु औरों की अपेक्षा कुछ अच्छे होते हैं, इन्हें ही दुबारा पैक करके बनावटी मुस्कान के साथ उन घमंडियों को हँसकर चेंप दिए जाते हैं।इनका मतलब साफ होता है कि अब तुझे साल भर हमारे काम के लिए हमारी अँगुली पर नाचना होगा। प्रायः इन्हें कोई ऐसी चीज गिफ्ट में दी जाती है। जिसे न उपयोग कर सकें न फेंक सकें न किसी को दे सकें नजर बचाने के लिए टॉंगे जाने वाले जूते की तरह हमेंशा या अक्सर सामने दिखती रहे।  जैसे ऐसी प्लेटें दे दे जिस लायक वो कप खरीदने के लिए तरसता रहे।इसी प्रकार और भी बहुत सारी चीजें।
    चौथे प्रकार में गिफ्टदानी अपने नौकरों या सभीप्रकार के कर्म चारियों को  चुनता है इनके लिए गिफ्ट आइटम और कुछ पैसे इनके तय होते हैं जो इन्हें हर साल भुगतने ही पड़ते हैं।जिन्हें डिब्बे की कीमत पहले ही किसी न किसी  बहाने से बताई जा चुकी होती है ये देते समय महँगाई का घिसा पिटा रोना हर साल रोना होता है।ये वो गिफ्ट आइटम होता है जिसका आसरा उस कर्मचारी के बीबी बच्चों ने सालभर से लगाया होता है मालिक के दिमाग में उस आदमी की क्या औकाद है?ये यही गिफ्ट आइटम निश्चित करता है।बाबू जी की दयालुता उदारता आदि उस घर में उसी गिफ्ट आइटम से ही आँकी जाती है।
     पाँचवें प्रकार में झाड़ू पोछा करने वाले या इसी तरह के अन्य लोग होते हैं इन्हें जो जो चीजें जल्दी खराब होने लायक दिखती हैं वो इस हिदायत के साथ पकड़ा दी जाती हैं कि जल्दी खा लेना ये अच्छी मिठाइयाँ  हैं इस लिए जल्दी खराब हो जाती हैं।
      छठे प्रकार में गिफ्टदानी उन सफेद पोस लोगों को चुनता है जो इस दुनियाँ में साफ कपड़े पहनकर केवल जी रहे होते हैं।ये किसी का कुछ बना बिगाड़ नहीं सकते,अपने परिवार पर बोझ तो होते ही हैं। इनका काम चौराहे, गली, मोहल्लों में पान खाकर खड़े होकर हर आते जाते से राम राम, नमस्ते आदि करके हालचाल पूछना होता है,कभी कदा जागरण, कीर्तन आदि के लिए चंदा माँगने चले जाते हैं।इनको रोज टोकने की मजबूरी में कुछ देना पड़ता है क्योंकि यही फोकट की प्रशंसा करके आम लोगों को काल्पनिक रईस बनाया करते हैं। अरे बाबू जी! आप न होते तो दुनियाँ  में सब कुछ बिगड़ जाता आप ही हमारे सब कुछ हैं अबकी आपको चुनाव जरूर लड़वाना है आदि आदि।इस तरह के लोगों को संतुष्ट  करने के लिए गिफ्टदानी उन डिब्बों का उपयोग करता है।जो महीनों पहले पैक किए गए होते हैं और गिफ्ट के नाम पर मार्केट में टहलाए जा रहे होते हैं। इनमें लेवल किसी अच्छी दुकान का लगा होता है ऐसे गिफ्ट डिब्बे इन्हें चेंप दिए जाते हैं जिन्हें खराब निकलने पर उनकी कंपनियों की दुहाई दे रहे होते हैं।अर्थात इतनी अच्छी दुकान का है फिर भी.....!
    इसके बाद गिफ्ट दानी को एक सबसे बड़ी समस्या का सामना करना पड़ता है  कि कहीं से आए जो अच्छे समझकर घर रखे गए डिब्बे होते हैं अब शुरू होती है उनके सड़ने की बारी जो जैसा सड़ता जाता है वो वैसा कर्मचारियों या अन्य सामान्यवर्ग में बाँटे या फेंके जाते हैं। 
     बाजारों पर गंदा प्रभाव  गिफ्ट बाँटने के नाम पर जिसके दो डिब्बे का खर्च है वो भीख बाँटने  के नाम पर सौ डिब्बे खरीद कर गिफ्ट में बाँट देते हैं लेकिन उन्होंने जिन बड़े आदमियों को अच्छी अच्छी मिठाइयाँ दी हैं उन्हें मीठा खाने के लिए या तो डाक्टरों ने रोक रखा है या उन्होंने स्वयं संयम बनाया हुआ है ऐसे में उनके यहाँ  उस मीठे का कोई उपयोग नहीं होता है जो उनके यहाँ  आने जाने वाले हैं उनका भी यही हाल होता है वो भी नहीं खाते मीठे का नाम सुनकर नाक भौं सिकोड़ रहे होते हैं। ऐसे में आर्थिक  अहंकार के द्वारा मार्केट से अच्छा मीठा गायब कर देना।बड़े घरों में देकर सड़ा देना। ये कहाँ का न्याय है? जिसे दो डिब्बे चाहिए वो सौ डिब्बे ले रहा होता है वो लगभग उन्हें ही दे रहा होता है जो उसे देते हैं इसलिए सौ के यहाँ  यदि आप दोगे जो सौ आपको भी देंगे इस प्रकार जिसके यहाँ  दो डिब्बे की खपत होती है वो सौ डिब्बे सड़ा रहा होता है।यही मार्केट में सार्टेज होती है जिससे महँगाई बढ़ती है मार्केट में माल न होने पर सिंथेटिक मिठाइयाँ  खोया आदि बेचने वाले राज कर रहे होते हैं गरीब लोग अपने बच्चों के लिए ब्रांडेड मिठाइयाँ  ले नहीं पाते तो यही सिंथेटिक खाकर बीमार हो रहे होते हैं जिनकी खबरें चलाकर फोटो दिखकर मीडिया खबरें बना रहा होता है।ये गरीबों का सबसे बडा़ शोषण है।

      अब देखिए बिडंबना यह है कि जिसे खाना है उसे सिंथेटिक,सड़ी गली या खराब मिठाइयाँ मिलती हैं जिसे नहीं खानी हैं वो पैसे के बलपर मार्केट से सारा माल उठा उठा कर अपने या अपनों के घरों में सड़ा रहा होता है।ये इस संसार की खुबसूरती के साथ कितना बड़ा अन्याय है?    
     पहले जब जनसंख्या कम थी तो बीघे में चार मन गेहूँ पैदा होता था अब जनसंख्या बढ़ी तो वही चार मन बीघा बाला गेहूँ चालीस मन बीघा होने लगा भूखों कोई कभी नहीं मरा है बसर्ते कोई चीज यदि बरबाद न की जाए।आज सिंथेटिक मिठाइयों का प्रचलन बढ़ा क्यों?प्रकृति ने आवश्यकता अनुशार सब सामान दिया है। गिफ्ट में नष्ट होने वाला सामान ही सिंथेटिक कारोबारियों के लिए बरदान बन जाता है।
      सरकार को चाहिए  गिफ्ट बाँटने वालों के विरूद्ध कठोर कार्यवाही करे।आयकर वालों को चाहिए ऐसे लोगों के गिफ्ट पर छापेमारकर उसकी जाँच करावे और उनसे कई गुना अतिरिक्त आयकर वसूला जाए।
      आवश्यक वस्तु पूर्ति अधिनियम में बाधक मानकर इन गिफ्टदानियों को कठोर कार्यवाही की परिधि में लाया जाना चाहिए। सिंथेटिक बेचने वालों से अधिक कठोर कार्यवाही उन लोगों पर होनी चाहिए जो पैसे के बलपर इसे बरबाद कर देते हैं।इसे भी एक प्रकार का क्राइम मानकर उन धाराओं के तहत कड़ी कानूनी कार्यवाही की जानी चाहिए।  
    ऐसे गिफ्टदानियों  के विरूद्ध मीडिया को जनहित में जनजागरण अभियान चलाना चाहिए।स्वयं सेवी संस्थाओं को भी ऐसे मधुर अपराधों के विरूद्ध अपनी आवाज बुलंद करनी चाहिए।


राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोध  संस्थान की अपील 

   यदि किसी को केवल रामायण ही नहीं अपितु ज्योतिष वास्तु आदि समस्त भारतीय  प्राचीन विद्याओं सहित  शास्त्र के किसी भी  पक्ष पर संदेह या शंका हो या कोई जानकारी  लेना चाह रहे हों।

     यदि ऐसे किसी भी प्रश्न का आप शास्त्र प्रमाणित उत्तर जानना चाहते हों या हमारे विचारों से सहमत हों या धार्मिक जगत से अंध विश्वास हटाना चाहते हों या धार्मिक अपराधों से मुक्त भारत बनाने एवं स्वस्थ समाज बनाने के लिए  हमारे राजेश्वरीप्राच्यविद्याशोध संस्थान के कार्यक्रमों में सहभागी बनना चाहते हों तो हमारा संस्थान आपके सभी शास्त्रीय प्रश्नोंका स्वागत करता है एवं आपका  तन , मन, धन आदि सभी प्रकार से संस्थान के साथ जुड़ने का आह्वान करता है। 

       सामान्य रूप से जिसके लिए हमारे संस्थान की सदस्यता लेने का प्रावधान  है।

गिफ्ट बाँटने वालों पर होनी चाहिए कठोर कार्यवाही !

गिफ्ट लेने और देने की प्रक्रिया में गंदगी ही गंदगी है

  मैंने बहुत सोचा कि इस परंपरा में भी आखिर कुछ तो अच्छाई होगी किंतु मैं निराश हूँ ।मेरा बश  चले तो इसे कल बंद कर दें किंतु हिंदुस्तान भेड़िया धसान हर कोई अंत हीन तर्कहीन यात्रा पर देखादूनी भाग रहा है।बाजारों की महँगाई के लिए अकेले सरकार दोषी नहीं है सामाजिक रहन सहन एवं बात व्यवहार रीति रिवाज आदि बराबर के दोषी हैं

     यद्यपि उपहार देने लेने की हमारी अत्यंत प्रचीन परंपरा रही है किंतु वह लेने देने दोनों में ही प्रसन्नता होती थी और दिखावा बिल्कुल नहीं था उस समय आत्मा मन बुद्धि और हृदय आदि सब के साथ उपहार देने वाले में विनम्र दान की भावना एवं लेने वाले में उसके स्नेह पर कृतज्ञता देखते ही बनती थी।वहॉं सामान लेन देन की प्रमुखता नहीं होती थी क्या है, कितना महॅंगा है, यह भावना तो थी ही नहीं । केवल इस पर गर्व होता था कि हमारे अपनों ने हमें याद तो किया। लोग बातचीत में एक दूसरे की सराहना करते हुए कहा करते थे बेचारे इसी बहाने मिलने तो आए।कोई किसी को क्या देता लेता है कोई किसी के यहाँ क्या खाने जाता है अमुक आदमी हमारे यहाँ  आए ये बहुत बड़ी बात है।इन्हीं धार्मिक बातों के बहाने गरीब अमीर हर आदमी एक दूसरे से मिलजुलकर जी लिया करता था।इसी बहाने मन की बातें एक दूसरे से कर लेते थे लोग।वहाँ संपन्नता और गिफ्ट की कीमत आँकने की परंपरा ही नहीं थी।केवल मिलकर ही दोनों प्रसन्न हो जाया  करते थे।
     कहाँ गईं भारत की अपनेपन की वे पावन परंपराएँ ?कहाँ गए वे पवित्र लोग?कहाँ गया वह मिलनसारिता का सहज स्वभाव?कहाँ गए जीवित बिचारों वाले वे सजीव लोग?हर कोई बँधा बँधा सा महसूस कर रहा है। हर किसी को एक दूसरे से अपने मन की बात कहने में भय लग रहा है। लगता है कि अब इस समाज के हर व्यक्ति को अकेला ही रहकर घुट घुट कर मरना पड़ेगा।
        पहले लोग गिफ्ट देने के बहाने मिलने जाते थे अब अधिकांश  लोग मिलने के बहाने गिफ्ट देने जाते हैं,क्योंकि हर आदमी अब अपने से बड़ों से ही व्यवहार रखना चाहता है। वह भी ऐसे लोगों से जो उसे देहाती भाषा  में कुत्ता समझकर अपने घर में घुसने ही नहीं देना चाहते उनके यहाँ वो डिब्बा देने के बहाने एक बार घुसकर केवल अपना चेहरा दिखाकर धन्य हो जाता है।वो वर्ष  भर उन्हीं यादों चर्चाओं अगले साल की योजनाओं में खोया रहता है।
     दूसरे तरह के गिफ्ट दानी वे होते हैं जो अपने गिफ्ट पैकिट अपने बराबर वालों के मुखपर जूते की तरह मारते घूम रहे होते हैं मानों कह रहे हों, ले दरिद्र कहीं के देख! तेरे से अच्छा है हमारा डिब्बा।सामने वाला मिलना या हाथ मिलाना या हृदय मिलना चाहे, एक ग्लास पानी को पूछकर अपने आतिथ्य धर्म का भी निर्वाह करना चाहे  तो वो अपनी तीन मजबूरियॉं गिनाते हैं पहला बहुत खाया है पेट भरा है।दूसरा अभी बहुत जगह जाना है।तीसरा स्वास्थ्य भी कुछ ढीला है पेट खराब है । उसको कौन पूछे कि जब तू इतनी आपत्तियों बिपत्तियों का मारा है तो क्यों आया हमारे यहाँ  ये भीख देने?
     तीसरे तरह के वे गिफ्टदानी होते हैं जो अपने से छोटे उन लोगों से जुड़ते हैं जिनसे अक्सर ऐसे काम पड़ा   करते हैं जो होते तो छोटे हैं किंतु उनका महत्व बहुत होता है। जिसके वो लोग गर्ज समझ कर अक्सर काम फॅंसा होने पर बहुत ज्यादा पैसे चार्ज कर लेते हैं जैसेबिजलीआदिकेमैकेनिक,कारपेंटर,राजमिस्त्री,पोस्ट

मैन,डॉक्टर,ज्योतिषी,पंडित,पुजारी आदि अपने को सम्मानित समझने वाले और भी बहुत सारे लोग,जिनके प्रति सम्मान न होने पर भी उनकी चमचागिरी दिखाने के लिए फोकट में दाँत निकालकर हँसना पड़ता है।जो काम पड़ने पर ज्यादा पैसे न माँगने लगें या मौके पर धोखा न दे दें।ऐसे लोगों को अपने यहाँ लोगों के द्वारा दिए गए गिफ्ट के वे डिब्बे जो खोलकर देखे जा चुके होते हैं जो अपने लायक नहीं होते हैं किंतु औरों की अपेक्षा कुछ अच्छे होते हैं, इन्हें ही दुबारा पैक करके बनावटी मुस्कान के साथ उन घमंडियों को हँसकर चेंप दिए जाते हैं।इनका मतलब साफ होता है कि अब तुझे साल भर हमारे काम के लिए हमारी अँगुली पर नाचना होगा। प्रायः इन्हें कोई ऐसी चीज गिफ्ट में दी जाती है। जिसे न उपयोग कर सकें न फेंक सकें न किसी को दे सकें नजर बचाने के लिए टॉंगे जाने वाले जूते की तरह हमेंशा या अक्सर सामने दिखती रहे।  जैसे ऐसी प्लेटें दे दे जिस लायक वो कप खरीदने के लिए तरसता रहे।इसी प्रकार और भी बहुत सारी चीजें।
    चौथे प्रकार में गिफ्टदानी अपने नौकरों या सभीप्रकार के कर्म चारियों को  चुनता है इनके लिए गिफ्ट आइटम और कुछ पैसे इनके तय होते हैं जो इन्हें हर साल भुगतने ही पड़ते हैं।जिन्हें डिब्बे की कीमत पहले ही किसी न किसी  बहाने से बताई जा चुकी होती है ये देते समय महँगाई का घिसा पिटा रोना हर साल रोना होता है।ये वो गिफ्ट आइटम होता है जिसका आसरा उस कर्मचारी के बीबी बच्चों ने सालभर से लगाया होता है मालिक के दिमाग में उस आदमी की क्या औकाद है?ये यही गिफ्ट आइटम निश्चित करता है।बाबू जी की दयालुता उदारता आदि उस घर में उसी गिफ्ट आइटम से ही आँकी जाती है।
     पाँचवें प्रकार में झाड़ू पोछा करने वाले या इसी तरह के अन्य लोग होते हैं इन्हें जो जो चीजें जल्दी खराब होने लायक दिखती हैं वो इस हिदायत के साथ पकड़ा दी जाती हैं कि जल्दी खा लेना ये अच्छी मिठाइयाँ  हैं इस लिए जल्दी खराब हो जाती हैं।
      छठे प्रकार में गिफ्टदानी उन सफेद पोस लोगों को चुनता है जो इस दुनियाँ में साफ कपड़े पहनकर केवल जी रहे होते हैं।ये किसी का कुछ बना बिगाड़ नहीं सकते,अपने परिवार पर बोझ तो होते ही हैं। इनका काम चौराहे, गली, मोहल्लों में पान खाकर खड़े होकर हर आते जाते से राम राम, नमस्ते आदि करके हालचाल पूछना होता है,कभी कदा जागरण, कीर्तन आदि के लिए चंदा माँगने चले जाते हैं।इनको रोज टोकने की मजबूरी में कुछ देना पड़ता है क्योंकि यही फोकट की प्रशंसा करके आम लोगों को काल्पनिक रईस बनाया करते हैं। अरे बाबू जी! आप न होते तो दुनियाँ  में सब कुछ बिगड़ जाता आप ही हमारे सब कुछ हैं अबकी आपको चुनाव जरूर लड़वाना है आदि आदि।इस तरह के लोगों को संतुष्ट  करने के लिए गिफ्टदानी उन डिब्बों का उपयोग करता है।जो महीनों पहले पैक किए गए होते हैं और गिफ्ट के नाम पर मार्केट में टहलाए जा रहे होते हैं। इनमें लेवल किसी अच्छी दुकान का लगा होता है ऐसे गिफ्ट डिब्बे इन्हें चेंप दिए जाते हैं जिन्हें खराब निकलने पर उनकी कंपनियों की दुहाई दे रहे होते हैं।अर्थात इतनी अच्छी दुकान का है फिर भी.....!
    इसके बाद गिफ्ट दानी को एक सबसे बड़ी समस्या का सामना करना पड़ता है  कि कहीं से आए जो अच्छे समझकर घर रखे गए डिब्बे होते हैं अब शुरू होती है उनके सड़ने की बारी जो जैसा सड़ता जाता है वो वैसा कर्मचारियों या अन्य सामान्यवर्ग में बाँटे या फेंके जाते हैं। 
     बाजारों पर गंदा प्रभाव  गिफ्ट बाँटने के नाम पर जिसके दो डिब्बे का खर्च है वो भीख बाँटने  के नाम पर सौ डिब्बे खरीद कर गिफ्ट में बाँट देते हैं लेकिन उन्होंने जिन बड़े आदमियों को अच्छी अच्छी मिठाइयाँ दी हैं उन्हें मीठा खाने के लिए या तो डाक्टरों ने रोक रखा है या उन्होंने स्वयं संयम बनाया हुआ है ऐसे में उनके यहाँ  उस मीठे का कोई उपयोग नहीं होता है जो उनके यहाँ  आने जाने वाले हैं उनका भी यही हाल होता है वो भी नहीं खाते मीठे का नाम सुनकर नाक भौं सिकोड़ रहे होते हैं। ऐसे में आर्थिक  अहंकार के द्वारा मार्केट से अच्छा मीठा गायब कर देना।बड़े घरों में देकर सड़ा देना। ये कहाँ का न्याय है? जिसे दो डिब्बे चाहिए वो सौ डिब्बे ले रहा होता है वो लगभग उन्हें ही दे रहा होता है जो उसे देते हैं इसलिए सौ के यहाँ  यदि आप दोगे जो सौ आपको भी देंगे इस प्रकार जिसके यहाँ  दो डिब्बे की खपत होती है वो सौ डिब्बे सड़ा रहा होता है।यही मार्केट में सार्टेज होती है जिससे महँगाई बढ़ती है मार्केट में माल न होने पर सिंथेटिक मिठाइयाँ  खोया आदि बेचने वाले राज कर रहे होते हैं गरीब लोग अपने बच्चों के लिए ब्रांडेड मिठाइयाँ  ले नहीं पाते तो यही सिंथेटिक खाकर बीमार हो रहे होते हैं जिनकी खबरें चलाकर फोटो दिखकर मीडिया खबरें बना रहा होता है।ये गरीबों का सबसे बडा़ शोषण है।

      अब देखिए बिडंबना यह है कि जिसे खाना है उसे सिंथेटिक,सड़ी गली या खराब मिठाइयाँ मिलती हैं जिसे नहीं खानी हैं वो पैसे के बलपर मार्केट से सारा माल उठा उठा कर अपने या अपनों के घरों में सड़ा रहा होता है।ये इस संसार की खुबसूरती के साथ कितना बड़ा अन्याय है?    
     पहले जब जनसंख्या कम थी तो बीघे में चार मन गेहूँ पैदा होता था अब जनसंख्या बढ़ी तो वही चार मन बीघा बाला गेहूँ चालीस मन बीघा होने लगा भूखों कोई कभी नहीं मरा है बसर्ते कोई चीज यदि बरबाद न की जाए।आज सिंथेटिक मिठाइयों का प्रचलन बढ़ा क्यों?प्रकृति ने आवश्यकता अनुशार सब सामान दिया है। गिफ्ट में नष्ट होने वाला सामान ही सिंथेटिक कारोबारियों के लिए बरदान बन जाता है।
      सरकार को चाहिए  गिफ्ट बाँटने वालों के विरूद्ध कठोर कार्यवाही करे।आयकर वालों को चाहिए ऐसे लोगों के गिफ्ट पर छापेमारकर उसकी जाँच करावे और उनसे कई गुना अतिरिक्त आयकर वसूला जाए।
      आवश्यक वस्तु पूर्ति अधिनियम में बाधक मानकर इन गिफ्टदानियों को कठोर कार्यवाही की परिधि में लाया जाना चाहिए। सिंथेटिक बेचने वालों से अधिक कठोर कार्यवाही उन लोगों पर होनी चाहिए जो पैसे के बलपर इसे बरबाद कर देते हैं।इसे भी एक प्रकार का क्राइम मानकर उन धाराओं के तहत कड़ी कानूनी कार्यवाही की जानी चाहिए।  
    ऐसे गिफ्टदानियों  के विरूद्ध मीडिया को जनहित में जनजागरण अभियान चलाना चाहिए।स्वयं सेवी संस्थाओं को भी ऐसे मधुर अपराधों के विरूद्ध अपनी आवाज बुलंद करनी चाहिए।


राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोध  संस्थान की अपील 

   यदि किसी को केवल रामायण ही नहीं अपितु ज्योतिष वास्तु आदि समस्त भारतीय  प्राचीन विद्याओं सहित  शास्त्र के किसी भी  पक्ष पर संदेह या शंका हो या कोई जानकारी  लेना चाह रहे हों।

     यदि ऐसे किसी भी प्रश्न का आप शास्त्र प्रमाणित उत्तर जानना चाहते हों या हमारे विचारों से सहमत हों या धार्मिक जगत से अंध विश्वास हटाना चाहते हों या धार्मिक अपराधों से मुक्त भारत बनाने एवं स्वस्थ समाज बनाने के लिए  हमारे राजेश्वरीप्राच्यविद्याशोध संस्थान के कार्यक्रमों में सहभागी बनना चाहते हों तो हमारा संस्थान आपके सभी शास्त्रीय प्रश्नोंका स्वागत करता है एवं आपका  तन , मन, धन आदि सभी प्रकार से संस्थान के साथ जुड़ने का आह्वान करता है। 

       सामान्य रूप से जिसके लिए हमारे संस्थान की सदस्यता लेने का प्रावधान  है।

Thursday, October 24, 2013

शोभन सरकार एक सिद्ध अवतार ! Dr.S.N.Vajpayee

          सधुई के धंधे से जुड़े लोग नष्ट कर रहे हैं धर्म!

    शोभन सरकार  का जो टेप इंडिया न्यूज़ पर दिखाया गया  उसकी प्रमाणिकता नहीं थी क्योंकि  ये शोभन सरकार की आवाज  से मेल ही  नहीं खाती  है जो इंडिया न्यूज़ पर दिखाई जाती है। 

        हाँ,न्यूज नेशन पर दिखाया गया शोभन सरकार का वीडियो प्रमाणित है वो आवाज भी स्वामी जी की है और वो चित्र भी!किन्तु ये गलत है कि उनकी अनुमति के बिना इस प्रकार स्वामी जी के द्वारा बने गई मर्यादाओं का अतिक्रमण किया जाए किन्तु शाम तक उन्हें भी सद्बुद्धि आ गई और उन्होंने वह वीडियो उस रूप में दिखाना बंद कर दिया । 

    मैं निजी तौर पर शोभन सरकार जी को बीसों वर्षों से जानता हूँ वे चरित्रवान तपस्वी जन्मजात सिद्ध पुरुष हैं। मुझे विश्वास है कि उनके प्रवक्ता की भूमिका निभा रहे ओम बाबा जी की  भाषाई चंचलता में वो परम पवित्र  पुरुष   सम्पूर्ण  रूप से सम्मिलित  नहीं  हो सकते ।यदि मीडिया उन्हें दिखाना चाहता  है तो मेरा निवेदन है कि प्रमाणित तथ्यों का ही सहारा लेना  उचित होगा!आशारामी  पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर मीडिया  में चरित्रवान संतों  की वास्तविकता का भी उपहास किया जा रहा है जो ठीक परंपरा नहीं है ।

       शोभन सरकार के विषय में किसी भी प्रकार का भ्रामक दुष्प्रचार देश धर्म एवं समाज तीनों के लिए ही हितकर नहीं होगा !क्योंकि अन्ततः हम सब लोगों का उद्देश्य समाज में सदाचरण स्थापित करना ही होना चाहिए यदि हम लोग  सबको बदनाम ही कर देंगे तो हमारी आध्यात्मिक और नैतिक भूख मिटाएगा कौन? क्या इसके बिना काम चल जाएगा?

   वैसे भी आशाराम, सुधांशु ,रामदेव,कुमार बाबा,निर्मल बाबा,शनैश्चरासुर समेत सारे बाबा- दाइयाँ, नचैया गवैया भागवत वक्ता, भविष्य वक्ता,वास्तु वक्ता,नग नगीना यंत्र तंत्र ताबीज बिक्रेता आदि लोगों ने धन कमाने के चक्कर में धर्म एवं धार्मिक शास्त्रों इतनी छीछालेदर कर रखी है कि क्या शास्त्रीय है क्या अशास्त्रीय है इसका निर्णय कर पाना  कठिन हो गया है!

      इस प्रकार के ये जितने भी टेली वीजनी मीडिया प्रोडक्ट हैं  इन बिना पढ़े लिखे साधन, संयम, सदाचार बिहीन निराधार बकवास करने वाले झूठे अर्थ लोलुप लोगों को अर्थ लोलुप मीडिया ने जन्म दिया है मीडिया ने पाल पोष कर न केवल बड़ा किया है अपितु इन्हें इतना अधिक बेशर्म बनाया है कि ये लोग देवी देवताओं एवं समस्त शास्त्रों के विषय में कब कितना  बड़ा झूठ बोल देंगे भरोसा ही नहीं किया जा सकता है।वास्तविकता यह है कि मीडिया के सहयोग से इन लोगों ने कुछ दशकों में धर्म एवं धर्म शास्त्रों का इतना भयंकर नुकसान किया है जो हजारों वर्षों में भी विधर्मी लोग नहीं कर सकते थे किन्तु सारा मीडिया और धार्मिक पाखंडियों की मिली भगत से यह सब कुछ बड़ी आसानी पूर्वक चलता चला आ रहा था। धर्म एवं धर्म शास्त्रों के नाम पर यह सब कुछ होता देख कर हर सजग एवं सजीव धार्मिक व्यक्ति को पीड़ा पहुँचती थी किन्तु उसके बश में कुछ नहीं था घुट घुट कर सब कुछ धर्म के नाम पर सह रहा था।यही कारण है कि  पिछले वर्ष राम देव पर तथाकथित सरकारी जुल्मों की बात हो या इस वर्ष आशाराम का प्रकरण हो किसी भी धार्मिक व्यक्ति को इनके पक्ष में खड़ा होता नहीं देखा गया है धार्मिक समाज तो इनसे इतनी अधिक घृणा करता है कि इन पाखंडियों की कोई चर्चा चलाना  ही पसंद नहीं करता है वैसे भी वैराग्य बेचना कोई साधारण पाप है क्या? इससे पता लगता है कि धार्मिक समाज में इनके प्रति पीड़ा कितनी अधिक है!किन्तु इस मुद्दे पर धार्मिक समाज में जितनी घृणा इन धार्मिक पाखंडियों के प्रति है उससे कम घृणा मीडिया के उस वर्ग पर नहीं है जो वर्ग ऐसे धार्मिक पाखंडियों को प्रोत्साहित करता है!बाद में सदाचारी साधू संतों पर कीचड़ उछालता है।

      सधुई के धंधे से जुड़े और लोग भी  टी.वी.चैनलों पर बैठकर धर्म एवं धर्मशास्त्रों का प्रचार प्रसार करने वाले या उसके सम्बन्ध में धार्मिक राजनैतिक आदि बहसों में सम्मिलित लोगों में धर्माचरण या धार्मिक ज्ञान विज्ञान कहाँ होता है न ही साधना  तपस्या का लेश ही होता है।वो बेचारे अपने अपने क्षेत्रों से कुंठित होकर धार्मिक धंधे से जुड़े लोग  हैं कृपया उनके अनुशार धर्म एवं धार्मिक मामलों की व्याख्या न करें! बहुत लोग अभी भी धार्मिक हैं कृपया उनकी आस्था का भी ध्यान भी रखें !

         टी.वी.चैनलों पर बैठकर धर्म एवं धर्मशास्त्रों की छीछालेदर कराना स्वयं अपमानित होना ये उन बाबाओं की अपनी मज़बूरी हो सकती है किन्तु टी.वी.चैनलों पर धार्मिक वेष  भूषा में अपने शरीरों को लिपेट कर बैठने वाले लोग धर्म एवं धार्मिक महापुरुषों का उपहास करते हैं यह बिगर्ह्य है ! 

Tuesday, October 22, 2013

शोभन सरकार पर विश्वास करने वाले उन्हें भगवान् मानते हैं !

 

        शोभन सरकार निःसंदेह अवतारी सिद्ध पुरुष हैं

   मेरी जन्मभूमि चूँकि शोभन आश्रम के पास ही  इन्दलपुर नामक गाँव में है इसलिए बचपन से ही शोभन सरकार के बारे में बहुत कुछ सुनते आया हूँ कई बार उनके  दर्शन का सौभाग्य भी मिला है  कई बार तो जीवन से जुड़ी जो बातें हुईं या यूँ कह लें कि शोभन सरकार ने जो उपदेश किया उसने हमारे जीवन को बहुत प्रभावित किया है।

    शोभन सरकार निःसंदेह अवतारी सिद्ध पुरुष हैं उनके किए हुए चमत्कार असंख्य हैं ऐसे ऐसे असंभव कार्यों को उन्होंने किया है जिन्हें एकबार में बताया भी नहीं जा सकता है और जिसने देखा नहीं है वो तो उन बातों पर बिलकुल ही भरोसा नहीं करेगा!वो भी ऐसे समय जब एक भोग गुरु कामदेव,एक तमाशा राम जैसे अधर्म गुरुओं में या ऐसे ही और बहुत सारे बहुरुपिया आडम्बरी बाबा बबाइनों ने नाचने गाने मुख मटकाने कमर हिलाने या पेट हिलाकर धन जुटाने वाला संन्यास ले रखा हो!इन बावली बाबाओं ने इतनी फिसलन पैदा कर दी है कि चरित्र वां संतों पर अंगुलियाँ उठने लगी हैं!

      अपने को संन्यासी बताने वाले कुछ तो ऐसे बन्दर हैं जो काला पीला धन ढूँढ़ते फिर रहे हैं किन्तु अपनी अधर्म की कमाई को सुरक्षित रखने के लिए राजनैतिक जगत में घुसपैठ करने पर अमादा हैं अपने पाप की पोल खुलने से बचाने के लिए  राजनैतिक पार्टी प्रधानों के गुण गाते घूम रहे हैं ऐसे बाबाओं से पूछा जा सकता है कि बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना!

     बंधुओं,बाबाओं का काम होता है अपने सदच्र्नो से समाज को बदलना और जब समाज बदलेगा तो सत्ता और शासन दोनों बदल जाएँगे किन्तु जब समाज की मानसिकता ही नहीं बदलेगी तो कोई कितना भी इमानदार व्यक्ति प्रधान मंत्री बन जाए क्या कर लेगा कितने अपराधियों को जेल में डाला जाएगा कितनों को फाँसी की सजा दी जाएगी !इसलिए समाज में संस्कार भरने की आवश्यकता है जिसमे पाखंडी बाबा लोग असफल रहे हैं जो योग के नाम पर भोग पीठें बनाते घूम रहे हैं संन्यासी अर्थात सब कुछ छोड़ देने वाला सारे माया मोह से दूर रहने की सौगंध लेने वाले लोग अरबों की संपत्ति जोड़ने में लगे हुए हैं संन्यास धर्म की परिभाषा के अनुशार तो ऐसे बाबाओं का सारा धन ही काल धन है वो किसी और का काला धन किस मुख से खोजते घूम रहे हैं उन्हें इसका अधिकार ही कहाँ है? 

    राजनीति में भी बलि प्रथा का महत्त्व है जब किसी राजनैतिक दल को अपने पाप कर्म छिपाने की गुंजाइस नहीं दिखती है वो जनता के क्रोध को झेल नहीं पाते हैं तो भगवान् से मनाने लगते हैं अपने किसी बड़े नेता की या उसके व्यक्तित्व की बलि इसीलिए उन नेता या नेता पुत्रों को देवी देवताओं की तरह बहुत पूजते हैं और छोटे बड़े की आन बान मर्यादा भूल कर बस केवल पूजते हैं।ये राजनीति है जो न करावे सो थोड़ा!चुनावी  महोत्सव की वैतरणी उसी  सिम्पैथी के आधार पर तर जाया करते हैं।इसीप्रकार कुछ राजनैतिक दल अपनी चुनावी बकरीद में देते हैं कुछ बकड़ा बाबाओं की सामाजिक बलि और जीत लेते हैं चुनाव! ये बकड़े चुनाव के पहले बहुत मिमियाते फिरते हैं किन्तु चुनाव बीतते ही शांत हो जाते हैं बेचारे!इनके हाथ कुछ नहीं लगता है ।

      इसी प्रकार चुनाव आने से पूर्व साधुओं सा स्वरूप धारण करने वाले कुछ बाबा बबाइनें अपना माथा लीप पोतकर निकलते हैं मीडिया या टी.वी.चैनलों की तलाश में।ऐसे भोजन और भोगों के लोभी बाबा बबाइनों को टी.वी.चैनलों से प्यार सा हो जाता है वो धार्मिक टाइप के लोग मीडिया में छाने के लिए या टी.वी.चैनलों पर बैठकर चरित्रवान साधू संतों,शास्त्रों की छीछा लेदर करने के लिए मीडिया की बिना शिर पैर की बातों के समर्थन में हाँ में हाँ  मिलाया करते हैं और बड़ी बेशर्मी की हँसी हँसते  हुए धर्म एवं धार्मिकों की बेइज्जती कराया करते हैं।उनकी टी.वी.चैनलों पर बैठने की भूख शांत करने के लिए शहीद हो रहा होता है धर्म!इसका दुष्परिणाम यह होता है कि मीडिया से जुड़े लोग उन्हीं बहुरूपियों की तरह का दुर्व्यवहार ही  चरित्रवान संतों एवं धार्मिक लोगों के साथ भी करने लगते हैं जो घातक होता है। मीडिया की इसी प्रवृत्ति के शिकार हो रहे हैं पूज्य शोभन स्वामी जी भी  !

       शोभन स्वामी जी को या तो क्षेत्र वासी लोग जानते हैं या जिनका वहाँ  आना जाना किसी न किसी रूप में रहा हो वे जानते हैं!कुल मिलाकर उनकी तपस्या से प्रभावित होकर ही लोग उन्हें श्रृद्धा पूर्वक सरकार कहने लगे उनकी बड़ी से बड़ी बीमारियों, मनोरोगों, आर्थिक आदि परिस्थिति यों से उत्पन्न दुःख तकलीफों को दूर करने में महराज जी की बहुत बड़ी कृपा रही है उस क्षेत्र का विकास करने में उनका अद्भुत योगदान  रहा है साधनापथ में उनकी गंभीर गति है वो जन्मजात सिद्ध हैं उन्हें महात्मा साधू संत आदि कहते समय सतयुगी सिद्ध संतों की छवि मन में रख कर ही सोचना चाहिए वास्तव में वो तपोमूर्ति हैं न केवल  इतना अपितु इस युग में उनके जैसे सिद्ध महापुरुष दुर्लभ ही नहीं अलभ्य भी हैं।वो इस युग में अतुलनीय एवं अनुपमेय भी हैं।   

      कानपुर के मैथा ब्लॉक के शुकुलनपुरवा के एक परिवार में शोभन सरकार का जन्म हुआ था।मेरी जानकारी के अनुशार वह मंधना के बीपीएमजी इंटर कालेज में पढ़ते थे।शोभन सरकार का बचपन से ही अध्यात्म की ओर विशेष झुकाव था बाद में  सरकार ने घर छोड़ दिया। किशोरावस्था (15 वर्ष) में गुरु स्वामी सत्संगानंद जी की शरण में आ गए आश्रम से जुड़े लोग बताते हैं कि स्वामी सत्संगानंद जी बड़े स्वामी के नाम से भी जाने जाते थे शोभन सरकार ने 8 वर्ष लगातार उनके सानिध्य में तप किया। 

      गुरु जी बड़े स्वामी के आदेश पर ही शोभन सरकार ने पहले बागपुर (कानपुर देहात) फिर कानपुर के शिवली स्थित शोभन में जाकर आश्रम का निर्माण कराया।जहाँ स्वामी रघुनन्दन दास जी महाराज की अभी भी समाधी बनी हुई है। 

      शोभन मंदिर के आसपास के गांवों को जोड़ने के लिए स्वामी जी ने सड़कें बनवाईं।पांडुनगर पर निगोहा, बागपुर, सिंहपुर और प्रतापपुर आदि में पुल बनाकर शोभन से कई गांवों को जोड़ा। मंदिर के चारों ओर तालाब का निर्माण कराया। इसमें पांडु नदी से आई धारा भी मिलती है।
    तालाब में पानी भरने के कई सबमर्सिबल लगे हैं। तालाब ओवर फ्लो होने पर खेतों तक पानी जाता है।
पौराणिक मंदिर में हनुमानजी की मूर्ति और एक हाल था।अब यह मंदिर विशालकाय रूप ले चुका है। यहां प्रसाद या पैसा नहीं चढ़ता है। मंदिर में रोज हजारों लोगों का भोजन बनता है।

      इसलिए शोभन सरकार की सच्चाई पर संदेह किया ही नहीं जा सकता वो इस तरह की असंख्य परीक्षाएँ दे चुके हैं जिनका साक्ष्य स्थानीय समाज है किन्तु इस प्रकरण में वो स्वयं सामने नहीं आए हैं क्या वो कह रहे हैं क्या बीच वाले लोग या समाज कह रहा है वो स्पष्ट नहीं है चूंकि भारत की प्राचीन परम्परा में इस तरह असंख्य उदाहरण मिलते हैं वो लोग इन बातों पर भरोसा भी करते थे तब आधुनिकता का  अंधापन कम था जब  से इस प्रकार के अंधों की संख्या बढी वे इसे अंध विश्वास कहने लगे तो कहें समझने वाले को समझदारी से काम लेना चाहिए अर्थात वे स्वयम् समझनें में सक्षम हैं और अंधों की आशंका पर भरोसा ही नहीं करना चाहिए !

 

 

        शोभन सरकार निःसंदेह अवतारी सिद्ध पुरुष हैं

   मेरी जन्मभूमि चूँकि शोभन आश्रम के पास ही  इन्दलपुर नामक गाँव में है इसलिए बचपन से ही शोभन सरकार के बारे में बहुत कुछ सुनते आया हूँ कई बार उनके  दर्शन का सौभाग्य भी मिला है  कई बार तो जीवन से जुड़ी जो बातें हुईं या यूँ कह लें कि शोभन सरकार ने जो उपदेश किया उसने हमारे जीवन को बहुत प्रभावित किया है।

    शोभन सरकार निःसंदेह अवतारी सिद्ध पुरुष हैं उनके किए हुए चमत्कार असंख्य हैं ऐसे ऐसे असंभव कार्यों को उन्होंने किया है जिन्हें एकबार में बताया भी नहीं जा सकता है और जिसने देखा नहीं है वो तो उन बातों पर बिलकुल ही भरोसा नहीं करेगा!वो भी ऐसे समय जब एक भोग गुरु कामदेव,एक तमाशा राम जैसे अधर्म गुरुओं में या ऐसे ही और बहुत सारे बहुरुपिया आडम्बरी बाबा बबाइनों ने नाचने गाने मुख मटकाने कमर हिलाने या पेट हिलाकर धन जुटाने वाला संन्यास ले रखा हो!इन बावली बाबाओं ने इतनी फिसलन पैदा कर दी है कि चरित्र वां संतों पर अंगुलियाँ उठने लगी हैं!

      अपने को संन्यासी बताने वाले कुछ तो ऐसे बन्दर हैं जो काला पीला धन ढूँढ़ते फिर रहे हैं किन्तु अपनी अधर्म की कमाई को सुरक्षित रखने के लिए राजनैतिक जगत में घुसपैठ करने पर अमादा हैं अपने पाप की पोल खुलने से बचाने के लिए  राजनैतिक पार्टी प्रधानों के गुण गाते घूम रहे हैं ऐसे बाबाओं से पूछा जा सकता है कि बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना!

     बंधुओं,बाबाओं का काम होता है अपने सदच्र्नो से समाज को बदलना और जब समाज बदलेगा तो सत्ता और शासन दोनों बदल जाएँगे किन्तु जब समाज की मानसिकता ही नहीं बदलेगी तो कोई कितना भी इमानदार व्यक्ति प्रधान मंत्री बन जाए क्या कर लेगा कितने अपराधियों को जेल में डाला जाएगा कितनों को फाँसी की सजा दी जाएगी !इसलिए समाज में संस्कार भरने की आवश्यकता है जिसमे पाखंडी बाबा लोग असफल रहे हैं जो योग के नाम पर भोग पीठें बनाते घूम रहे हैं संन्यासी अर्थात सब कुछ छोड़ देने वाला सारे माया मोह से दूर रहने की सौगंध लेने वाले लोग अरबों की संपत्ति जोड़ने में लगे हुए हैं संन्यास धर्म की परिभाषा के अनुशार तो ऐसे बाबाओं का सारा धन ही काल धन है वो किसी और का काला धन किस मुख से खोजते घूम रहे हैं उन्हें इसका अधिकार ही कहाँ है? 

    राजनीति में भी बलि प्रथा का महत्त्व है जब किसी राजनैतिक दल को अपने पाप कर्म छिपाने की गुंजाइस नहीं दिखती है वो जनता के क्रोध को झेल नहीं पाते हैं तो भगवान् से मनाने लगते हैं अपने किसी बड़े नेता की या उसके व्यक्तित्व की बलि इसीलिए उन नेता या नेता पुत्रों को देवी देवताओं की तरह बहुत पूजते हैं और छोटे बड़े की आन बान मर्यादा भूल कर बस केवल पूजते हैं।ये राजनीति है जो न करावे सो थोड़ा!चुनावी  महोत्सव की वैतरणी उसी  सिम्पैथी के आधार पर तर जाया करते हैं।इसीप्रकार कुछ राजनैतिक दल अपनी चुनावी बकरीद में देते हैं कुछ बकड़ा बाबाओं की सामाजिक बलि और जीत लेते हैं चुनाव! ये बकड़े चुनाव के पहले बहुत मिमियाते फिरते हैं किन्तु चुनाव बीतते ही शांत हो जाते हैं बेचारे!इनके हाथ कुछ नहीं लगता है ।

      इसी प्रकार चुनाव आने से पूर्व साधुओं सा स्वरूप धारण करने वाले कुछ बाबा बबाइनें अपना माथा लीप पोतकर निकलते हैं मीडिया या टी.वी.चैनलों की तलाश में।ऐसे भोजन और भोगों के लोभी बाबा बबाइनों को टी.वी.चैनलों से प्यार सा हो जाता है वो धार्मिक टाइप के लोग मीडिया में छाने के लिए या टी.वी.चैनलों पर बैठकर चरित्रवान साधू संतों,शास्त्रों की छीछा लेदर करने के लिए मीडिया की बिना शिर पैर की बातों के समर्थन में हाँ में हाँ  मिलाया करते हैं और बड़ी बेशर्मी की हँसी हँसते  हुए धर्म एवं धार्मिकों की बेइज्जती कराया करते हैं।उनकी टी.वी.चैनलों पर बैठने की भूख शांत करने के लिए शहीद हो रहा होता है धर्म!इसका दुष्परिणाम यह होता है कि मीडिया से जुड़े लोग उन्हीं बहुरूपियों की तरह का दुर्व्यवहार ही  चरित्रवान संतों एवं धार्मिक लोगों के साथ भी करने लगते हैं जो घातक होता है। मीडिया की इसी प्रवृत्ति के शिकार हो रहे हैं पूज्य शोभन स्वामी जी भी  !

       शोभन स्वामी जी को या तो क्षेत्र वासी लोग जानते हैं या जिनका वहाँ  आना जाना किसी न किसी रूप में रहा हो वे जानते हैं!कुल मिलाकर उनकी तपस्या से प्रभावित होकर ही लोग उन्हें श्रृद्धा पूर्वक सरकार कहने लगे उनकी बड़ी से बड़ी बीमारियों, मनोरोगों, आर्थिक आदि परिस्थिति यों से उत्पन्न दुःख तकलीफों को दूर करने में महराज जी की बहुत बड़ी कृपा रही है उस क्षेत्र का विकास करने में उनका अद्भुत योगदान  रहा है साधनापथ में उनकी गंभीर गति है वो जन्मजात सिद्ध हैं उन्हें महात्मा साधू संत आदि कहते समय सतयुगी सिद्ध संतों की छवि मन में रख कर ही सोचना चाहिए वास्तव में वो तपोमूर्ति हैं न केवल  इतना अपितु इस युग में उनके जैसे सिद्ध महापुरुष दुर्लभ ही नहीं अलभ्य भी हैं।वो इस युग में अतुलनीय एवं अनुपमेय भी हैं।   

      कानपुर के मैथा ब्लॉक के शुकुलनपुरवा के एक परिवार में शोभन सरकार का जन्म हुआ था।मेरी जानकारी के अनुशार वह मंधना के बीपीएमजी इंटर कालेज में पढ़ते थे।शोभन सरकार का बचपन से ही अध्यात्म की ओर विशेष झुकाव था बाद में  सरकार ने घर छोड़ दिया। किशोरावस्था (15 वर्ष) में गुरु स्वामी सत्संगानंद जी की शरण में आ गए आश्रम से जुड़े लोग बताते हैं कि स्वामी सत्संगानंद जी बड़े स्वामी के नाम से भी जाने जाते थे शोभन सरकार ने 8 वर्ष लगातार उनके सानिध्य में तप किया। 

      गुरु जी बड़े स्वामी के आदेश पर ही शोभन सरकार ने पहले बागपुर (कानपुर देहात) फिर कानपुर के शिवली स्थित शोभन में जाकर आश्रम का निर्माण कराया।जहाँ स्वामी रघुनन्दन दास जी महाराज की अभी भी समाधी बनी हुई है। 

      शोभन मंदिर के आसपास के गांवों को जोड़ने के लिए स्वामी जी ने सड़कें बनवाईं।पांडुनगर पर निगोहा, बागपुर, सिंहपुर और प्रतापपुर आदि में पुल बनाकर शोभन से कई गांवों को जोड़ा। मंदिर के चारों ओर तालाब का निर्माण कराया। इसमें पांडु नदी से आई धारा भी मिलती है।
    तालाब में पानी भरने के कई सबमर्सिबल लगे हैं। तालाब ओवर फ्लो होने पर खेतों तक पानी जाता है।
पौराणिक मंदिर में हनुमानजी की मूर्ति और एक हाल था।अब यह मंदिर विशालकाय रूप ले चुका है। यहां प्रसाद या पैसा नहीं चढ़ता है। मंदिर में रोज हजारों लोगों का भोजन बनता है।

      इसलिए शोभन सरकार की सच्चाई पर संदेह किया ही नहीं जा सकता वो इस तरह की असंख्य परीक्षाएँ दे चुके हैं जिनका साक्ष्य स्थानीय समाज है किन्तु इस प्रकरण में वो स्वयं सामने नहीं आए हैं क्या वो कह रहे हैं क्या बीच वाले लोग या समाज कह रहा है वो स्पष्ट नहीं है चूंकि भारत की प्राचीन परम्परा में इस तरह असंख्य उदाहरण मिलते हैं वो लोग इन बातों पर भरोसा भी करते थे तब आधुनिकता का  अंधापन कम था जब  से इस प्रकार के अंधों की संख्या बढी वे इसे अंध विश्वास कहने लगे तो कहें समझने वाले को समझदारी से काम लेना चाहिए अर्थात वे स्वयम् समझनें में सक्षम हैं और अंधों की आशंका पर भरोसा ही नहीं करना चाहिए !

Thursday, October 17, 2013

कौन बनेगा प्रधानमंत्री ?और किस नेता का है कैसा ग्रह संयोग ? - एक ज्योतिष वैज्ञानिक

आगामी चुनावों के समय किस  राजनेता का है  कैसा ग्रहयोग ? 

     वर्तमान समय में भारतीय राजनैतिक महापुरुषों की कुंडलियों में आगामी चुनाव 2014 के समय किस  राजनेता का कैसा ग्रह योग चल रहा है उसका ज्योतिष शास्त्रीय ढंग से विवेचन किया गया है इसमें बिना किसी पार्टी या पक्ष का ध्यान दिए हुए शास्त्रीय  बात  को स्पष्ट रूप से रखा गया है।वैसे आगामी चुनावों में धर्म एवं सिद्धांत वादी राजनेताओं पर ग्रहों का विशेष अच्छा प्रभाव रहेगा! विशेष बात यह है कि सभी राजनेताओं की डेट ऑफ बर्थ  एवं डेट ऑफ़ टाइम  की जानकारी इंटरनेट के श्रोतों से जुटाई गई है कुछ नेताओं जन्म पत्रियाँ   प्रकाशित पुस्तकों से उठाई गई हैं फिर भी सभी राजनेताओं की डेट ऑफ बर्थ  एवं डेट ऑफ़ टाइम  की जानकारी उनके नाम के साथ ही दी जा रही है जिसका जन्म दिन या जन्म समय सही न हो उसके विषय में लिखे गए फलादेश को सही माना जाना चाहिए।यदि किसी माध्यम से हमें ऐसी कोई सूचना मिलती है तो सम्बंधित राजनेता के विषय किए गए फलादेश को यहाँ से साभार  डिलीट कर दिया जाएगा ।

नरेन्द्र मोदी जी- Sunday, September 17, 1950 Time of Birth: 11:00:00  Place of Birth: Mehsana

     मोदी जी की जन्म कुंडली के अनुसार उनमें एक कुशल प्रशासक की उत्तम क्षमता है जिसके अनुसार ही उन्होंने प्रतिपक्षियों को पराजित करके कई बार चुनाव जीते हैं।वर्तमान में ग्रह संयोग ही कहा जाएगा कि अब तक परिश्रम पूर्वक बनाई गई राजनैतिक साख एवं सामाजिक प्रतिष्ठा इस समय यदि सुरक्षित रखी जा सकी तो इसे भी  बड़ी  उपलब्धि के तौर पर देखा जाना चाहिए।निस्संदेह समय अब तक उनका सहयोगी रहा है किन्तु  अब से 30-11-2021तक का समय धीरे धीरे क्रमिक रूप से इतना अधिक राजनैतिक शैथिल्य दे देगा कि इस समय अपने स्वभाव के विपरीत जाकर  मोदी जी को स्वजन विरोधियों के आगे कई बार न केवल हथियार डालने पड़ सकते हैं अपितु बढ़े हुए कदम भी वापस खींचने पड़ सकते हैं जबकि मोदी जी के अभी तक के परिश्रम और प्रभाव का  प्रचुर चुनावी लाभ वर्तमान में भाजपा को मिलेगा और भविष्य में मोदी जी को!वर्तमान में  मोदी जी उससे कितना लाभान्वित होंगे यह कह पाना अत्यंत कठिन है किन्तु भाजपा लाभान्वित होगी ही इससे इनकार नहीं किया जा सकता है वैसे भी आदरणीय मोदी जी का यह परिश्रम ब्यर्थ नहीं जाएगा भविष्य में रंग लाएगा!यदि वो संयम से काम लेते हैं !

      फिर भी संयोग वश मोदी जी को प्रधानमंत्री जैसे  प्रतिष्ठा पूर्ण  राष्ट्रीय पद पर पहुँचने का कोई अवसर मिल ही जाता है  तो पूर्ण मनोयोग से परिश्रम पूर्वक एवं विशेष सहनशीलता के साथ निर्वाह करना चाहिए।इस बीच राजनैतिक साख एवं सामाजिक प्रतिष्ठा  यदि सुरक्षित  रखी जा सकी तो 30-11-2021  से  30-11-2028  तक का समय स्वाभाविक रूप से किसी महत्त्वपूर्ण  राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय पद पर पहुँचाकर मोदी जी को उत्कृष्ट प्रतिष्ठा प्रदान करेगा।

    ज्योतिष  वैज्ञानिक की दृष्टि से एक और बात सामने आती है कि अपने अनुकूल या प्रतिकूल चुनावी परिणाम सामने आने पर भाजपा समर्थक हिंदूवादी संगठनों लोगों में अचानक धार्मिक सांस्कृतिक नैतिक मुद्दे उठाने की होड़ सी लग जाएगी जिससे देश में  अचानक नैतिक  एवं धर्म मय वातावरण बनेगा ! बहुत अधिक सीमा तक संभव है कि श्री राम मंदिर निर्माण की दिशा में कोई सकारात्मक और योजना बद्ध ढंग से विशेष सावधानी पूर्वक पहल हो तो 19.6.2014 से प्रारम्भ होकर 14.7.2015 तक  के समय में मंदिर निर्माण की दिशा में कोई महत्वपूर्ण प्रगति हो ! 

     यहाँ विशेष ध्यान देने लायक बात ये है कि अयोध्या में मंदिर निर्माण की दिशा में बनाया गया श्री राम चबूतरा नाम का भगवान श्री राम जी का अस्थाई आसन हटाना पड़ेगा अन्यथा उसके रहते हुए मंदिर निर्माण हो पाना संभव नहीं होगा !ये  प्रबल ज्योतिषीय कारण है !

     मोदी जी या किसी अन्य स्वरूप में यदि राजग की सरकार बन ही जाती है तो भी विशेष सावधानी पूर्वक चलाना होगा क्योंकि 19.6.2014 से प्रारम्भ होकर 14.7.2015 तक  के समय में मंदिर निर्माण का जो ज्योतिषीय योग है इसे कुछ उपद्रवी तत्व हिंसक बना सकते हैं जो बाद में भाजपा के मत्थे मढ़ दिया जाएगा और कह दिया जाएगा कि जैसे गुजरात में जाकर मोदी जी ने दंगा करवा दिया था वैसे ही केंद्र में भाजपा की सरकार आने पर सांप्रदायिकता का वातावरण बन रहा है इसलिए सरकार जिस किसी की बने किन्तु उक्त समय में विशेष सावधानी और संयम पूर्वक समय निकाला जाना चाहिए ताकि प्रत्येक नागरिक के बहुमूल्य जीवन की रक्षा की जा सके !

डॉ.मनमोहन सिंह जी - Mon,September 26, 1932Time of Birth: 14:00:00Place: Jhelum

     यद्यपि मनमोहन सिंह जी का 8-8-2014  तक राजनीति करने का समय अभी है किन्तु वर्तमान केंद्र सरकार का समय ज्योतिष की दृष्टि से 4 -6 -2013  पूरा हो चुका है इसलिए यह सरकार अब कभी भी गिर सकती है या चुनावों  तक घसीटी जा सकती है सन 8-8-2014 के बाद मनमोहन सिंह जी की राजनैतिक सहभागिता बहुत कम या न के बराबर रहेगी।यद्यपि उनका यह समय तनाव रहित,रोग रहित ,सम्मान प्रदान करने वाला उत्तम अवसर है फिर भी राजनैतिक दृष्टि से यह समय वैराग्य प्रद है।

राहुल गाँधी जी- Thursday, June 18, 1970Time of Birth: 21:52:00Place of Birth: Delhi 

राहुल  गाँधी जी की  29 - 4 -2013 से 29 - 4 -2023 तक  नीच राशि स्थित चन्द्रमा की दशा है जो परिश्रम की अपेक्षा अत्यंत कम सफलता प्रदान करने वाली है। निरुत्साह का वातावरण बनेगा । स्वजनों  के  सहयोग  का अभाव रहेगा।किए हुए अपने  अच्छे कार्यों का श्रेय मिल पाना भी  कठिन होगा। स्वास्थ्य ,सुरक्षा एवं मित्रता पर विशेष सजगता  श्रेयस्कर होगी।

      सोनियाँ गाँधी जी- Mon, December 09, 1946Time of Birth: 21:30:00Place of Birth: Turin

   सोनियाँ जी का  26 -8 -2012   से 2 6 -8 -2019 तक का समय शुभ नहीं है इस समय  प्रसन्नता प्रदान  करने वाला कोई भी समाचार मिल पाना दुर्लभ सा लगने लगेगा।हर ओर से तनावी समाचार ही मिलेंगे। स्वास्थ्य कि दृष्टि से भी यह समय काफी प्रतिकूल है । संतान पक्ष की चिंता एवं संतान के लिए भी यह समय अच्छा नहीं  हैं । इस समय सकारण या अकारण चिंताएँ मन बोझिल बनाए रखेंगी। संगठन  की दृष्टि से भी बहुत अधिक परिश्रम  करने पर सफलता का प्रतिशत अत्यंत अल्प होगा । मानसिक तनाव,राजनैतिक पराभव, रुग्णता,स्वजन विरह बाधा एवं बिरोधियों की बढ़ती गतिबिधियाँ अत्यंत बेचैन करती रहेंगी!भगवान शिव की आराधना करने से आंशिक सुधार   संभव है !

प्रियंका गाँधी जी- Tuesday, January 11, 1972Time of Birth: 01:59:00Place of Birth: Delhi 

प्रियंका जी का 23 -8 -2005  से 23 -8 -2022 तक का समय  तनाव रहित विकास कारक एवं विशेष शुभ है। 

23 -2 -2014 से 20 -2 -2015 तक सभी प्रकार से विरोधियों को पराजित करने वाला है चुनावी दृष्टि से भी यह समय सफलता प्रदान करने वाला है रक्त विकार जनित,स्वास्थ्य एवं सुरक्षा की दृष्टि से सावधान रहना चाहिए।    ।  

पी.चिदंबरम जी - Sun, September 16, 1945Time of Birth: 11:47:21Place of Birth:Karaikkudi

    चिदंबरम साहब का 13 -8-2000 से 13 -8-2016 तक तनाव रहित प्रतिष्ठा प्रदान करने वाला समय होते हुए भी 19-3-2014 से 13 -8-2016 तक इस समय के शुभ फल का प्रभाव अत्यंत कमजोर रहेगा। इसमें किसी बड़ी सफलता की आशा नहीं की जानी चाहिए इसके बाद भी इनकी राजनैतिक सक्रियता  बहुत कम या बिलकुल न के बराबर ही  रहेगी।  

  लालकृष्णअडवाणी जी- Tue, November 08, 1927Time of Birth: 09:27:00Place Hyderabad 

      29 -8-2011 से 8-5 -2014 तक अडवाणी जी का यह समय पहले की अपेक्षा तनाव रहित,पद प्रतिष्ठा प्रदान करने वाला काफी उत्तम समय है। इनके नेतृत्व में संगठनात्मक मजबूती काफी हद तक सफलता पूर्वक बनाई जा सकती है।वर्तमान समय में इनकी बातों,विचारों,सुझावों  का प्रभाव अत्यंत सकारात्मक एवं संगठन के हित में होगा। 8-5 -2014 से 17-6-2015 तक का समय वैचारिक तनाव पूर्ण वातावरण में किसी अप्रत्याशित सफलता की प्राप्ति का संकेत देता है। जिसे राजनैतिक एवं चुनावी दृष्टि से भी जोड़ कर देखा जा सकता है। 

डॉ.मुरली मनोहर जोशी जी-  Friday, January 05, 1934Time of Birth: 10:20:00Place: Delhi

       5-8-2013 से 8-8-2016 तक यद्यपि  डॉ. जोशी जी का यह समय विशेष भागदौड़ एवं तनाव का है । इस समय  में इनकी राजनैतिक सक्रियता अचानक विशेष रूप से बढ़ जाएगी , फिर भी यह समय इन्हें  राजनैतिक दृष्टि से किसी बड़ी सफलता को प्रदान करने वाला है यद्यपि यह सब कुछ विशेष तनाव एवं संघर्ष पूर्ण वातावरण में अकस्मात सुलभ होते दिखता है। 

राजनाथ सिंह जी -Sunday, February 12, 1950Time of Birth: 01:36:56 Place : Varanasi

   1-1-2013  से   19-7-2015 तक राजनाथ सिंह जी का यह समय तनाव रहित पद प्रतिष्ठा प्रदान करने वाला है।विशेष बात यह है कि इस समय संगठन को एक सूत्र में बाँध कर चलने में इनकी अच्छी कार्यकुशलता समाज के सामने आएगी, जिससे इन्हें विशेष रूप से यश की प्राप्ति होगी।       

 सुषमा स्वराज जी- Thursday, February 14, 1952Time of Birth: 04:15:00 Place: Ambala

   25-10-2012 से   25-10-2015 तक  सुषमा जी का तनाव रहित अत्यंत उत्तम समय है इस बीच सामाजिक मान प्रतिष्ठा बढ़ेगी और बिना किसी बड़े जोड़ तोड़ के बड़े से बड़े पद पर आसीन होने की ज्योतिषीय  पात्रता सिद्ध करता है। स्वजनों से सतर्कता  श्रेयस्कर रहेगी। 

  उमा भारती जी -Sunday, May 03, 1959Time of Birth: 12:00:00  Place of Birth: Tikamgarh

    21-11-2013 से 21-1-2015 तक  उमा भारती जी के लिए तनाव रहित उत्तम प्रतिष्ठा प्रदान करने वाला अवसर है इसमें मध्यमोत्तम राजनैतिक सफलता के योग हैं समय शुभ है। 

  वरुण गाँधी जी- Thursday, March 13, 1980 Time of Birth: 12:00:00 Place of Birth: New Delhi 6-11-2013 से  24-11-2014 तक वरुण गाँधी जी का अत्यंत उत्कृष्ट सफलता प्रदान करने वाला समय है इस समय या यहाँ से प्रारम्भ होकर  इन्हें आशा से कई गुना अधिक सफलता मिल सकती है। इन्हें  अब काफी लम्बे समय अर्थात लगभग तीन दशक तक भारतीय राजनैतिक भविष्य का स्थिर स्तम्भ माना जा सकता है। विश्वास पूर्वक कहा जा सकता है कि संयम और सदाचार पूर्वक जनसेवा का व्रत लेकर यदि ये आगे बढ़ते हैं तो इनका इनके परिवार को  न केवल महत्त्व पूर्ण प्रतिष्ठा प्राप्ति होगी अपितु वर्तमान की राजनीति में भी कुछ आदर्श उदाहरण उपस्थित किए जा सकते हैं ।

 नितीश कुमार जी - Thursday, March 01, 1951Time of Birth: 12:00:Place: kalyanbigha

17-11-2012  के पहले नितीश जी का समय बहुत उत्तम था उतना अच्छा उन्नति कर समय अब नहीं है किन्तु यह मध्यम से अच्छा है इसलिए उन्हें राजनैतिक दृष्टि से कमजोर नहीं कहा जा सकता है अपितु यह पचास प्रतिशत सफलता प्रद समय है पहले की अपेक्षा अब राजनैतिक  आक्रामकता अधिक होगी जो चुनावी सफलता की दृष्टि से काफी सहयोगी होगी।

मायावती जी- Sunday, January 15, 1956Time of Birth: 19:50: Place of Birth: Daulatpur

13-11-2013 से  22-7-2016 तक का समय स्वजनों के कपटपूर्ण वर्ताव के कारण विशेष सफलता प्रदान करने में बाधक है। यह समय सभी प्रकार से सामान्य है किसी बड़ी सफलता की आशा नहीं की जानी चाहिए फिर भी स्वजनों से मध्यम दूरी बनाकर अपनी रणनीति के माध्यम से आगे बढ़ना मध्यम सफलता प्रदान करने वाला होगा।  

  राम बिलास पासवान जी-Friday, July 05, 1946Time of Birth: 19:50:Place of Birth: Khagaria

   20-12-2011 से 2-7-2014 तक रामबिलास जी का समय पहले की अपेक्षा ठीक है इसमें सामाजिक एवं राजनैतिक सफलता के लिए किए गए प्रयासों में साठ प्रतिशत तक सफलता मिलनी संभव है । 

  शरद पवार जी- Thursday, December 12, 1940Time of Birth: 07:00: Place of Birth: Baramati

14-5-2013 से 20-3-2016तक का समय  शरद पवार जी के लिए आशातीत राजनैतिक सफलता प्रदान करने वाला है। यद्यपि तनाव एवं संघर्ष पूर्ण समय है फिर भी परिणाम स्वरूप लाभ की मात्रा अपने पक्ष में काफी अधिक होगी। 

  ममता बनर्जी जी- Wednesday, January 05, 1955Time of Birth: 12:00: Place of Birth: Calcutta 20-11-2013 26-10-2014तक का समय हो सकता है ममता जी के लिए विशेष सफलता प्रद न हो किन्तु  उनकी सफलता का रथ सन 2022 तक अबाध गति से आगे बढ़ता चला जाएगा और दिनों दिन उन्हें न केवल राजनैतिक सफलता का लाभ होगा अपितु सामाजिक सम्मान प्रतिष्ठा भी  दिनों दिन बढ़ती चली जाएगी। 

     राजनीति में भी ज्योतिष की प्रभावी भूमिका

    जब किन्हीं दो या दो से अधिक लोगों का नाम यदि एक अक्षर से ही प्रारंभ होता है तो ऐसे सभी लोगों के आपसी संबंध शुरू में तो अत्यंत मधुर होते हैं बाद में बहुत अधिक खराब हो जाते हैं, क्योंकि इनकी पद-प्रसिद्धि-प्रतिष्ठा -पत्नी-प्रेमिका आदि के विषय में पसंद एक जैसी होती है। इसलिए कोई सामान्य मतभेद भी कब कहॉं कितना बड़ा या कभी न सुधरने वाला स्वरूप धारण कर ले या शत्रुता में बदल जाए कहा नहीं जा सकता है। 

जैसेः-राम-रावण, कृष्ण-कंस आदि। इसी प्रकार और भी उदाहरण हैं।

    ज्योतिष की दृष्टि से भारतवर्ष  में भाजपा की  स्थिति बहुत ठीक नहीं है इसीलिए उसे राजग का गठन करना पड़ा जबकि भाजपा से कम सदस्य संख्या वाले अन्य दलों के लोग  पहले भी प्रधानमंत्री बन चुके हैं ।जिनका  अटल जी जैसा विराट व्यक्तित्व भी नहीं था फिर भी सरकार बनाने में सबसे अधिक कठिनाई भाजपा को ही हुई थी आखिर अन्य  कारण भी  रहे  होंगे किन्तु ज्योतिष  की यह एक विधा भी महत्त्व पूर्ण कारण कही जा सकती है ।

         आर. यस. यस. के समर्पित पवित्र प्रचारकों के परिश्रम एवं देश भक्ति भावना से सुसिंचित भाजपा एवं उसका अपना अत्यंत सक्षम तथा कर्मठ नेतृत्व है प्रतिपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी है कई प्रदेशों में उसकी न केवल यशस्वी सरकारें हैं अपितु अनेक वर्षों से सफलता पूर्वक  संचालित हो रहीं हैं किन्तु क्या कारण है कि कई प्रदेशों में फूलने फलने वाली भाजपा की यशस्वी सरकारें हैं किन्तु केंद्र में आकर भाजपा की वही धार कुंद हो क्यों जाती है?क्या अन्य पार्टियों के नेता ज्यादा समझदार और ईमानदार हैं ?जो भी हो यह चिंतन और मंथन का विषय जरूर है ।    

       इसी प्रकार दिल्ली की कांग्रेस सरकार है वो अपनी अच्छाई से जीतती है या विपक्षी भाजपा का आपसी असामंजस्य उसकी जीत का कारण बनता है कहना कठिन है यह भी चिंतन का विषय है ।

      दिल्ली भाजपा के चार विजय  और चारों को दिल्ली में एक साथ ही काम करना होता है इन  चारों लोगों  ने अपने एवं अपनी पार्टी का  यश बढ़ाया भी है फिर भी दिल्ली भाजपा की धार भी दिनों दिन कुंद होती दिखती है।उस समय तो केवल आलू प्याज की महँगाई पर भाजपा सरकार की दिल्ली से बिदाई हुई थी ।आज तो सब कुछ महँगा है सत्ता धारी पार्टी के केंद्र से लेकर प्रदेश तक घोटालों के आरोप हैं फिरभी   भाजपा के लोग सरकार के विरुद्ध कोई सशक्त आन्दोलन नहीं खड़ा कर सके हैं ।आज की तारीख में सरकार यदि जाती भी है तो वो उसका अपना अपयश हो सकता है

      कम से कम भाजपा की सामर्थ्य बढ़ रही है इस कारण काँग्रेस सरकार जायगी अभी तक तो ऐसा कहना उचित नहीं होगा।हाँ,घोटाला भ्रष्टाचार आदि  कुकृत्यों के कारण काँग्रेस से लोग घृणा करते हुए भाजपा को विजयी बना दें यह और बात है।

   यह भी नहीं है कि भाजपा के लोग ही अयोग्य हों आखिर इन्हीं शूरमाओं ने दिल्ली नगर निगम में जीत हासिल की है क्योंकि  वहाँ इन चारों विजयों में को प्रतिस्पर्द्धा नहीं थी ।खैर जो भी हो इस दृष्टि से भी चिंतन अवश्य होना चाहिए,अन्यथा आगामी चुनावों में भाजपा के राजनैतिक भविष्य के लिए चिंता प्रद हैं।इन चारों में आपसी तालमेल बेहतर  बनाने के लिए किसी मजबूत व्यक्तित्व की व्यवस्था  समय रहते कर  लेना उत्तम होगा  

                        विजयेंद्रजी -विजयजोलीजी 

     विजयकुमारमल्होत्राजी - विजयगोयलजी 

रेन्द्र मोदी और नितीश कुमार---

इनके साथ भी वही समस्या है जैसे अन्ना के सहयोगियों में हुआ !न्ना हजारे के आंदोलन के तीन प्रमुख ज्वाइंट थे न्ना हजारे, रविंदकेजरीवाल एवं ग्निवेष तथा मित त्रिवेदी  जिन्हें एक दूसरे से तोड़कर ये आंदोलन ध्वस्त किया जा सकता था। इसमें ग्निवेष कमजोर पड़े और पीछे हट गए और वो आन्दोलन ध्वस्त हो गया । उसी प्रकार  भारतवर्ष  में भाजपा की  स्थिति बहुत ठीक नहीं है इसीलिए उसे राजग का गठन करना पड़ा अब

रेन्द्र मोदी और नितीश कुमार एवं नितिन गडकरी

ये तीनों लोग राजग में एक साथ आमने सामने सफलता पूर्वक नहीं रह सकते।इसलिए राजग  के  केंद्रीय  संगठन में  रेन्द्र मोदी के आते ही नितीश कुमार का  राजग  से बाहर जाना लगभग निश्चित है। यह भाजपा के सत्ता के स्वप्न पर पानी फेर सकता है।

  त्तर प्रदेश

    इसीप्रकार त्तर प्रदेश के  विगत चुनावों में  भाजपा ने अत्यंत प्रसिद्ध, परिश्रमी ,धार्मिक ,अद्भुत  वक्ता सुश्री उमाभारती जी के नेतृत्व में चुनाव करा दिए उसे क्या पता था कि त्तरप्रदेश और माभारती में नाड़ी दोष है।यदि उमा जी प्रचार करतीं और नेतृत्व किसी और का होता तो भाजपा का प्रदर्शन इससे अच्छा होने की संभावना मानी जानी चाहिए।

  इसलिए ज्योतिष शास्त्र के इन सिद्धांतों समेत अन्य समस्त चुनावी विजयदायिनी शास्त्रीय विचारधारा का परिपालन अवश्य किया जाना चाहिए।इसका  सकारात्मक असर अवश्य पड़ेगा ।

        कलराजमिश्र-कल्याण सिंह  

           ओबामा-ओसामा   

   अरूण जेटली- अभिषेकमनुसिंघवी


नरसिंहराव-नारायणदत्ततिवारी 

 परवेजमुशर्रफ-पाकिस्तान 

लालकृष्णअडवानी-लालूप्रसाद

      भाजपा-भारतवर्ष  

 मनमोहन-ममता-मायावती    

   उमाभारती -   उत्तर प्रदेश 
अमरसिंह - आजमखान - अखिलेशयादव 

 अमर सिंह - अनिलअंबानी - अमिताभबच्चन 

नितीशकुमार-नितिनगडकरी-नरेंद्रमोदी  

प्रमोदमहाजन-प्रवीणमहाजन-प्रकाशमहाजन  अन्नाहजारे-अरविंदकेजरीवाल-असीम त्रिवेदी-अग्निवेष- अरूण जेटली - अभिषेकमनुसिंघवी

 

दिल्ली भाजपा

इसी प्रकार से दिल्ली भाजपा  के  चार विजय

                                  विजयेंद्र-विजयजोली

              विजयकुमारमल्होत्रा- विजयगोयल
  
इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए वर्तमान समय में कहा  जा सकता है कि इन चारों विजयों का दिल्ली भाजपा में एक साथ काम करना  भाजपा की दिल्ली विजय पर कभी भी भारी पड़ सकता है ।इसलिए इन्हें बहुत सावधानी एवं सहनशीलता पूर्वक काम करनाही इनके एवं पार्टीके लिए विशेष कल्याणकारी रहेगा ।

            एक विशेष बात और यह है कि  दिल्ली भाजपा में इन चार विजयों के अलावा भी जो प्रमुख नेतागण हैं उन्हें विशेष सामंजस्य बनाने का प्रयास करते रहना श्रेयस्कर रहेगा।इतना सब होने पर भी यदि थोड़ी भी आपसी सहमति में कमी आई तो इन चारों लोगों को अपनी अपनी राजनैतिक  विकास यात्रा में ब्रेक लेनी पड़ सकती है।

गुजरात

       केशुभाई पटेल के नेतृत्व वाली गुजरात परिवर्तन पार्टी ने गुजरात विधानसभा चुनावों में या गुजरात  की सम्पूर्ण राजनीति में गुजरात परिवर्तन पार्टी  के   तत्वावधान  में जो कमर कसी है वो उनके लिए किसी भी प्रकार से  गुजरात में लाभप्रद नहीं रहेगी।प्रदेशों या देशों के नामों वाली पार्टियाँ कभी भी सफलता प्रद नहीं रहती  हैं ऐसा कोई उदाहरण नहीं दिखता है ।इस लिए  गुजरात परिवर्तन पार्टी  का गुजरात  में कोई भविष्य नहीं है और नरेंद्र मोदी सभी दलों पर अपनी बढ़त बनाने में सफल होते दिखते हैं ।

न्ना हजारे

    इसीप्रकार न्ना हजारे के आंदोलन के तीन प्रमुख ज्वाइंट थे न्ना हजारे , रविंदकेजरीवाल एवं ग्निवेष जिन्हें एक दूसरे से तोड़कर ये आंदोलन ध्वस्त किया जा सकता था। इसमें ग्निवेष कमजोर पड़े और हट गए। दूसरी ओर जनलोकपाल के विषय में लोक सभा में जो बिल पास हो गया वही राज्य सभा में क्यों नहीं पास हो सका इसका एक कारण नाम का प्रभाव भी हो सकता है। सरकार की ओर से भिषेकमनुसिंघवी थे तो विपक्ष के नेता रूण जेटली जी थे। इस प्रकार ये सभी नाम अ से ही प्रारंभ होने वाले थे। इसलिए भिषेकमनुसिंघवी की किसी भी बात पर रूण जेटली का मत एक होना ही नहीं था।अतः राज्य सभा में बात बननी ही नहीं थी। दूसरी  ओर भिषेकमनुसिंघवी और रूण जेटली का कोई भी निर्णय न्ना हजारे एवं रविंदकेजरीवाल को सुख पहुंचाने वाला नहीं हो सकता था। अन्ना हजारे एवं रविंदकेजरीवाल का महिमामंडन ग्निवेष कैसे सह सकते थे?अब न्ना हजारे एवं रविंदकेजरीवाल कब तक मिलकर चल पाएँगे?कहना कठिन है।सीमत्रिवेदी भी न्नाहजारे के गॉंधीवादी बिचारधारा के विपरीत आक्रामक रूख बनाकर ही आगे बढ़े। आखिर और लोग भी तो थे।  अक्षर से प्रारंभ नाम वाले लोग ही न्नाहजारे  से अलग क्यों दिखना चाहते थे ? ये अक्षर वाले लोग  ही न्नाहजारे के इस आंदोलन की सबसे कमजोर कड़ी हैं।

  मर सिंह

न्नाहजारे की तरह ही मर सिंह जी भी अक्षर वाले लोगों से ही व्यथित देखे जा सकते हैं। अमरसिंह जी की पटरी पहले मुलायम सिंह जी के साथ तो खाती रही तब केवल जमखान साहब से ही समस्या होनी चाहिए थी किंतु खिलेश  यादव का प्रभाव बढ़ते ही मरसिंह जी को पार्टी से बाहर जाना पड़ा। ऐसी परिस्थिति में अब खिलेश के साथ जमखान कब तक चल पाएँगे? कहा नहीं जा सकता। पूर्ण बहुमत से बनी उत्तर प्रदेश में सपान की खिलेश सरकार के सबसे कमजोर ज्वाइंट जमखान  सिद्ध हो सकते  हैं।
   चूँकि मरसिंह जी के मित्रों की संख्या में अक्षर से प्रारंभ नाम वाले लोग ही अधिक हैं इसलिए इन्हीं लोगों से दूरियॉं बनती चली गईं। जैसेः- जमखान मिताभबच्चन  निलअंबानी  भिषेक बच्चन आदि।

राहुलगॉधी - रावर्टवाड्रा - राहुल के पिता  श्री राजीव जी इन दोनों पिता पुत्र का नाम रा अक्षर  से था इसीप्रकार रावर्टवाड्रा  और उनके पिता श्री राजेंद्र जी इन दोनों पिता पुत्र का नाम  भी रा अक्षर  से ही था। दोनों को पिता के साथ अधिक समय तक रहने का सौभाग्य नहीं मिल सका । अब राहुलगॉधी के राजनैतिक उन्नत भविष्य  के लिए रावर्टवाड्रा  का सहयोग सुखद नहीं दिख रहा है क्योंकि कि यहॉं भी दोनों का नाम  रा अक्षर  से ही है।

राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोध  संस्थान की अपील 

   यदि किसी को केवल रामायण ही नहीं अपितु  ज्योतिष वास्तु धर्मशास्त्र आदि समस्त भारतीय  प्राचीन विद्याओं सहित  शास्त्र के किसी भी नीतिगत  पक्ष पर संदेह या शंका हो या कोई जानकारी  लेना चाह रहे हों।शास्त्रीय विषय में यदि किसी प्रकार के सामाजिक भ्रम के शिकार हों तो हमारा संस्थान आपके प्रश्नों का स्वागत करता है ।

     यदि ऐसे किसी भी प्रश्न का आप शास्त्र प्रमाणित उत्तर जानना चाहते हों या हमारे विचारों से सहमत हों या धार्मिक जगत से अंध विश्वास हटाना चाहते हों या राजनैतिक जगत से धार्मिक अंध विश्वास हटाना चाहते हों तथा धार्मिक अपराधों से मुक्त भारत बनाने एवं स्वस्थ समाज बनाने के लिए  हमारे राजेश्वरीप्राच्यविद्याशोध संस्थान के कार्यक्रमों में सहभागी बनना चाहते हों तो हमारा संस्थान आपके सभी शास्त्रीय प्रश्नोंका स्वागत करता है एवं आपका  तन , मन, धन आदि सभी प्रकार से संस्थान के साथ जुड़ने का आह्वान करता है। 

       सामान्य रूप से जिसके लिए हमारे संस्थान की सदस्यता लेने का प्रावधान  है। 

                                         मेरा  ब्लाग         Swasth Samaj



























आचार्य डॉ. शेष नारायण वाजपेयी

 संस्थापकःराजेश्वरी प्राच्यविद्याशोधसंस्थान                

                                    तथा

दुर्गापूजाप्रचारपरिवार एवं ज्योतिष जनजागरण मंच 

                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                             

व्याकरणाचार्य (एम.ए.)

संपूर्णानंदसंस्कृतविश्वविद्यालय वाराणसी  

 ज्योतिषाचार्य(एम.ए.ज्योतिष)

 संपूर्णानंदसंस्कृतविश्वविद्यालय वाराणसी  

   एम.ए.      हिन्दी    

  कानपुर विश्व  विद्यालय 

पी.जी.डिप्लोमा पत्रकारिता 

उदय प्रताप कॉलेज वाराणसी 

 पी.एच.डी. हिन्दी (ज्योतिष)   

  बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी बी. एच. यू.  वाराणसी

  विशेषयोग्यताः-वेद, पुराण, ज्योतिष, रामायणों तथा समस्त प्राचीनवाङ्मयएवं राष्ट्र भावना से जुड़े साहित्य का लेखन और स्वाध्याय 

 प्रकाशितः-पाठ्यक्रम की अत्यंत प्रचारित प्रारंभिक कक्षाओं की हिन्दी की किताबें
कारगिल विजय      (काव्य )     

श्री राम रावण संवाद  (काव्य )
श्री दुर्गा सप्तशती     (काव्य अनुवाद ) 

श्री नवदुर्गा पाठ      (काव्य)                               
श्री नव दुर्गा स्तुति (काव्य ) 

 श्री परशुराम(एक झलक)

 श्री राम एवं रामसेतु  

 (21 लाख 15 हजार 108 वर्षप्राचीन

कुछमैग्जीनोंमेंसंपादन,सहसंपादनस्तंभलेखनआदि। 

अप्रकाशितसाहित्यः-श्रीशिवसुंदरकांड,श्रीहनुमतसुंदरकांड,

संक्षिप्तनिर्णयसिंधु,   
ज्योतिषायुर्वेद,श्रीरुद्राष्टाध्यायी,

वीरांगनाद्रोपदी,दुलारीराधिका,

ऊधौगोपीसंवाद,    

श्रीमद्भगवद्गीता‘काव्यानुवाद’

रुचिकर विषयः- प्रवचन, भाषण, मंचसंचालन, काव्य लेखन, काव्य पाठ एवं शास्त्रीय विषयों पर नित्य नवीन खोजपूर्ण लेखन तथा राष्ट्रीय भावना के विभिन्न संगठनों से जुड़कर कार्य करना।

जन्मतिथिः9.10.1965                                                    
जन्म स्थानः- पैतृक गाँव-इंदलपुर, पो.संभलपुर, जि.कानपुर,उत्तरप्रदेश                                       वर्तमान पता  के -71, छाछी बिल्डिंग चौक , कृष्णानगर,दिल्ली51                                                        फो.नं-011 22002689,011 22096548,मो.09811226973,09968657732 




 

                                            





                पांचजन्य में प्रकाशित अंश 


कारगिल विजय की  कविताएँ

                                                                                                                                                                                                                                                                                            

 

                                            

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