भाग्य से ज्यादा और समय से पहले किसी को न सफलता मिलती है और न ही सुख !
विवाह, विद्या ,मकान, दुकान ,व्यापार, परिवार, पद, प्रतिष्ठा,संतान आदि का सुख हर कोई अच्छा से अच्छा चाहता है किंतु मिलता उसे उतना ही है जितना उसके भाग्य में होता है और तभी मिलता है जब जो सुख मिलने का समय आता है अन्यथा कितना भी प्रयास करे सफलता नहीं मिलती है ! ऋतुएँ भी समय से ही फल देती हैं इसलिए अपने भाग्य और समय की सही जानकारी प्रत्येक व्यक्ति को रखनी चाहिए |एक बार अवश्य देखिए -http://www.drsnvajpayee.com/
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Thursday, October 24, 2013
शोभन सरकार एक सिद्ध अवतार ! Dr.S.N.Vajpayee
सधुई के धंधे से जुड़े लोग नष्ट कर रहे हैं धर्म!
शोभन
सरकार का जो टेप इंडिया न्यूज़ पर दिखाया गया उसकी प्रमाणिकता नहीं थी
क्योंकि ये शोभन सरकार की आवाज से मेल ही नहीं खाती है जो इंडिया न्यूज़
पर दिखाई जाती है।
हाँ,न्यूज नेशन पर दिखाया गया शोभन सरकार का वीडियो प्रमाणित है वो आवाज भी स्वामी जी की है और वो चित्र भी!किन्तु
ये गलत है कि उनकी अनुमति के बिना इस प्रकार स्वामी जी के द्वारा बने गई
मर्यादाओं का अतिक्रमण किया जाए किन्तु शाम तक उन्हें भी सद्बुद्धि आ गई और
उन्होंने वह वीडियो उस रूप में दिखाना बंद कर दिया ।
मैं निजी तौर पर
शोभन सरकार जी को बीसों वर्षों से जानता हूँ वे चरित्रवान तपस्वी जन्मजात
सिद्ध पुरुष हैं। मुझे विश्वास है कि उनके प्रवक्ता की भूमिका निभा रहे ओम
बाबा जी की भाषाई चंचलता में वो परम पवित्र पुरुष सम्पूर्ण रूप से
सम्मिलित नहीं हो सकते ।यदि मीडिया उन्हें दिखाना चाहता है तो मेरा निवेदन है कि प्रमाणित तथ्यों का ही सहारा लेना
उचित होगा!आशारामी पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर मीडिया में चरित्रवान
संतों की वास्तविकता का भी उपहास किया जा रहा है जो ठीक परंपरा नहीं है ।
शोभन सरकार के विषय में किसी भी प्रकार का भ्रामक दुष्प्रचार देश धर्म एवं
समाज तीनों के लिए ही हितकर नहीं होगा !क्योंकि अन्ततः हम सब लोगों का
उद्देश्य समाज में सदाचरण स्थापित करना ही होना चाहिए यदि हम लोग सबको बदनाम ही कर देंगे तो हमारी आध्यात्मिक और नैतिक भूख मिटाएगा कौन? क्या इसके बिना काम चल जाएगा?
वैसे भी आशाराम, सुधांशु ,रामदेव,कुमार बाबा,निर्मल बाबा,शनैश्चरासुर समेत
सारे बाबा- दाइयाँ, नचैया गवैया भागवत वक्ता, भविष्य वक्ता,वास्तु
वक्ता,नग नगीना यंत्र तंत्र ताबीज बिक्रेता आदि लोगों ने धन कमाने के चक्कर
में धर्म एवं धार्मिक शास्त्रों इतनी छीछालेदर कर रखी है कि क्या
शास्त्रीय है क्या अशास्त्रीय है इसका निर्णय कर पाना कठिन हो गया है!
इस प्रकार के ये जितने भी टेली वीजनी मीडिया प्रोडक्ट हैं इन बिना पढ़े
लिखे साधन, संयम, सदाचार बिहीन निराधार बकवास करने वाले झूठे अर्थ लोलुप
लोगों को अर्थ लोलुप मीडिया ने जन्म दिया है मीडिया ने पाल पोष कर न केवल
बड़ा किया है अपितु इन्हें इतना अधिक बेशर्म बनाया है कि ये लोग देवी
देवताओं एवं समस्त शास्त्रों के विषय में कब कितना बड़ा झूठ बोल देंगे
भरोसा ही नहीं किया जा सकता है।वास्तविकता यह है कि मीडिया के सहयोग से इन
लोगों ने कुछ दशकों में धर्म एवं धर्म शास्त्रों का इतना भयंकर नुकसान
किया है जो हजारों वर्षों में भी विधर्मी लोग नहीं कर सकते थे किन्तु सारा
मीडिया और धार्मिक पाखंडियों की मिली भगत से यह सब कुछ बड़ी आसानी पूर्वक
चलता चला आ रहा था। धर्म एवं धर्म शास्त्रों के नाम पर यह सब कुछ होता देख
कर हर सजग एवं सजीव धार्मिक व्यक्ति को पीड़ा पहुँचती थी किन्तु उसके बश में
कुछ नहीं था घुट घुट कर सब कुछ धर्म के नाम पर सह रहा था।यही कारण है कि
पिछले वर्ष राम देव पर तथाकथित सरकारी जुल्मों की बात हो या इस वर्ष आशाराम
का प्रकरण हो किसी भी धार्मिक व्यक्ति को इनके पक्ष में खड़ा होता नहीं
देखा गया है धार्मिक समाज तो इनसे इतनी अधिक घृणा करता है कि इन पाखंडियों
की कोई चर्चा चलाना ही पसंद नहीं करता है वैसे भी वैराग्य बेचना कोई
साधारण पाप है क्या? इससे पता लगता है कि धार्मिक समाज में इनके प्रति
पीड़ा कितनी अधिक है!किन्तु इस मुद्दे पर धार्मिक समाज में जितनी घृणा इन
धार्मिक पाखंडियों के प्रति है उससे कम घृणा मीडिया के उस वर्ग पर नहीं है
जो वर्ग ऐसे धार्मिक पाखंडियों को प्रोत्साहित करता है!बाद में सदाचारी
साधू संतों पर कीचड़ उछालता है।
सधुई के धंधे से जुड़े और लोग भी टी.वी.चैनलों पर बैठकर धर्म एवं
धर्मशास्त्रों का प्रचार प्रसार करने वाले या उसके सम्बन्ध में धार्मिक
राजनैतिक आदि बहसों में सम्मिलित लोगों में धर्माचरण या धार्मिक ज्ञान
विज्ञान कहाँ होता है न ही साधना तपस्या का लेश ही होता है।वो बेचारे अपने
अपने क्षेत्रों से कुंठित होकर धार्मिक धंधे से जुड़े लोग हैं कृपया उनके
अनुशार धर्म एवं धार्मिक मामलों की व्याख्या न करें! बहुत लोग अभी भी
धार्मिक हैं कृपया उनकी आस्था का भी ध्यान भी रखें !
टी.वी.चैनलों पर बैठकर धर्म एवं धर्मशास्त्रों की छीछालेदर कराना
स्वयं अपमानित होना ये उन बाबाओं की अपनी मज़बूरी हो सकती है किन्तु
टी.वी.चैनलों पर धार्मिक वेष भूषा में अपने शरीरों को लिपेट कर बैठने वाले
लोग धर्म एवं धार्मिक महापुरुषों का उपहास करते हैं यह बिगर्ह्य है !
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