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Friday, May 30, 2014

मोदी जी की जीवनी पढ़ाने की इतनी जल्दी भी क्या है उन्हें कुछ करने भी तो दीजिए !

जनता ने मोदी जी को प्रचंड बहुमत देकर  अभी तक तो अपना काम पूरा किया है मोदी जी की तो अब बारी है !  और अभी से जीवनी !आखिर क्यों पढ़ाई जाए मोदी जी ही नहीं किसी भी नेता की जीवनी !किया तो सारा कुछ जनता ने है और जीवनी पढ़ाई जाए मोदी जी की आखिर क्यों ? देश में प्रेरक महापुरुषों के चरित्रों का टोटा है क्या !अथवा उनके चरित्रों में कुछ कमी लगती है जो मोदी जी की जीवनी पढ़ाकर पूरा करने की तैयारी है ?

"पाठ्यक्रम में अपनी जीवनी से PM मोदी को ऐतराज" 

     आदरणीय मोदी जी !आपके द्वारा यह चाटुकारिता निरोधक आदर्श  उदाहरण  प्रस्तुत किया गया है !इसके लिए बहुत बहुत आभार !

     वैसे भी पाठ्यक्रमों में पढ़ाए जाने लायक अपने देश में प्रेरक महापुरुषों के चरित्रों की कोई कमी है क्या ! जो मोदी जी के चरित्रों को पढ़ाया जाने लगे और यदि ऐसा समय आएगा तो मोदी जी भी पढ़ाए जाएँगे ! किन्तु तब जब समय अपनी कसौटी पर मोदी जी को भी कस चुका होगा, अभी मोदी जी ने ऐसा किया ही क्या है जिसे पढ़ाया जाएगा अभी तो जनता ने मोदी जी को स्नेेह पूर्ण प्रचंड बहुमत दिया है, बाबा विश्वनाथ जी ने सेवा दी है, माँ गंगा ने कृपा की है अब बारी मोदी जी के कुछ करने की है।अभी तक तो मोदी जी पर जनता ने विश्वास किया है अब बारी मोदी जी की है जनता के विश्वास पर खरा  उतरने की है ! अभी तो  केवल जनता का पार्ट पूरा हुआ है मोदी जी का पार्ट तो अभी सँभलकर शुरू भी नहीं हो पाया है पूरी होने की तो बात ही कौन करे अभी से जीवनी पढ़ाने की जल्दी ! आखिर इतनी जल्द बाजी क्यों?भाजपा को ऐसी कांग्रेसी प्रवृत्ति  से बचना होगा ! अभी मोदी जी के हिस्से का सम्पूर्ण कार्य पूरा करने  की बात तो छोड़िए ठीक ढंग से शुरू भी नहीं हुआ है फिर भी जीवनी पढ़ाने की इतनी जल्दी क्यों !          

     जहाँ तक बात काँग्रेस की है तो काँग्रेस ने इतिहास पुराणों के महापुरुषों के चरित्रों को कपोल कल्पित सिद्ध करने करवाने में कहीं कोई कमी नहीं छोड़ी है केवल अपने और अपनों को स्थापित करती चली गई उन्हीं की मूर्तियाँ लगाई जाती रहीं उन्हीं के नाम पर गाँव नगर शहर रोड बिहार मोहल्ले आदि बनाए और बसाए जाते रहे ! उन सरकारों में जनता के जीवन का कितना महत्त्व था इसका अंदाजा हमारी इसी कविता से लगाया जा सकता है-

  नेहरू इंदिरा जी राजीव सोनियाँ के नाम 

                        देश का प्रत्येक गाँव शहर अलाट है । 

किसी ऋषि मुनी महापुरुष का नाम नहीं,

                        देश के शहीदों का तो चरित उचाट है॥

 नेहरू गाँधी खानदान दान की ही है शान यहाँ

                     बाक़ी  बेजान  देश  उनके  ठाट बाट  हैं।

   देश के ग़रीबों को झुग्गियाँ नसीब नहीं 

                         वहाँ उन्हें  मरने पे मिले राजघाट है ॥

                                      - डॉ.शेष नारायण वाजपेयी

  

     आदरणीय  मोदी जी ! अपनी पार्टी के कुछ लोगों  द्वारा लिए जाने वाले जीवनी पढ़ाने जैसे काँग्रेसी फैसलों से बचना ही सर्वोत्तम है !अन्यथा काँग्रेस के आदर्शों का अंधानुकरण करने में देश की सर्वोत्तम दलित कन्या ने देशवासियों की गाढ़ी कमाई के बहुत बड़े हिस्से को अपनी और अपनों की मूर्तियाँ बनवाने में बर्बाद कर दिया था आखिर ग़रीबों के किस काम आएंगी वो मूर्तियाँ ! इसीलिए अबकी बार चुनावों में जनता ने ऐसे मूर्ति प्रिय सभी लोगों को दुदकार कर भगा दिया है। इसलिए आत्मश्लाघा सम्बन्धी सभी कार्यों से  बचा जाना चाहिए । 

       दूसरी एक और बड़ी बात यह है कि इस हिसाब से तो सारे नेता अपनी अपनी जीवनियाँ पढ़वाने लगेंगे चुनावों में जो जीतेगा वही अपनी जीवनी पाठ्यक्रम में सम्मिलित कर देगा ! आखिर कैसे क्यों और किस नियम से रोका जा सकेगा उन्हें!फिर तो बच्चे बस जीवनियाँ ही पढ़ पाएँगे !   

      जबतक चुनावों में काँग्रेस की विजय होती रही तब तक तो लोग राहुल जी! राहुल जी! कहकर पीछे पीछे घूमते रहे और पार्टी की पराजय होते ही आज वही चाटुकार लोग उन्हें 'जोकर' तक कहने लगे तो क्या गारंटी कि कल मोदी जी के साथ ऐसा नहीं किया जाएगा !अभी तो जीत के चोचले चल रहे हैं !काम किया जाना तो सारा अभी बाकी ही है !

    इसलिए उचित यही होगा कि आदर्श भाजपा के विचार ही आगे बढ़ाए जाएँ उसी में जिसका जैसा योगदान उसका वैसा सम्मान होता जाएगा ! वैसे तो अपनी श्री राम वादी पार्टी है इसलिए रामादल  की तरह ही चलें  तो और अधिक  अच्छा होता क्योंकि वहाँ केवल कार्यकर्ताओं का ही मनोबल बढ़ाया जाता था ! इसलिए इसका ध्यान सदैव रखा जाना चाहिए कि भारतीय जनता पार्टी में चाटुकारिता का जन्म ही न होने पाए । यहाँ व्यक्ति की अपेक्षा आदर्श कार्य व्यवहार से ही किसी के व्यक्तित्व का मूल्यांकन किया जाए !बहुत  उचित होगा कि मोदी वाद की जगह आदर्श वाद की स्थापना हो और सम्पूर्ण सरकार आदर्श प्रशासन के पथ पर अग्रसर हो !

    आखिर इतना तो सोचा ही गया होता कि जीवनी पढ़ाने का जनता पर असर क्या पड़ेगा ! वो भी तब जब अभी अभी जीवनी वालों को जनता ने जमीन पर उतारा है और फिर चर्चा जीवनी की !मोदी जी ने जीवनी पढ़ाने को रोक दिया वो तो बहुत अच्छा किया किन्तु मोदी जी से  रोकवाने के लिए ही तो जीवनी पढ़ाने का राग नहीं छेड़ा गया था इसे जनता को कौन समझाए ! जैसे राहुल जी से रूकवाने के लिए बिल पास किया गया था एवं राहुल जी से गैस सिलेंडर बढ़वाने के लिए सिलेंडरों की संख्या में कटौती की गई थी खैर! जो भी हो हमें तो इसी से मतलब है कि मोदी जी ने अपनी जीवनी पढ़ाने नहीं  दी !

       सरकार में सम्मिलित प्रत्येक व्यक्ति को याद रखना चाहिए कि सत्ता में हमें जनता ने अपने एवं अपनों को आगे बढ़ाने के लिए नहीं भेजा है, अपितु देश एवं देश के महापुरुषों संस्कृतियों तीर्थस्थलों नदियों पहाड़ों समेत प्रत्येक जाति क्षेत्र वर्ग समुदाय संप्रदाय के प्रत्येक सदस्य के हित में न केवल काम करने के लिए भेजा गया है अपितु उन  सबको  अपनापन  देने के लिए भेजा गया है!इसलिए उन्हें ठेस न लगे !

     भाजपा के लोगों को याद रखना होगा कि अभी तक आप काँग्रेस की जिस क्रूरता की निंदा करते रहे आज अपनी  गलतियों को छिपाने के लिए उसी काँग्रेस के क्रूर कारनामों के पीछे मुख छिपाने की आदत छोड़ देनी चाहिए !   

     कल स्मृति ईरानी जी की योग्यता एवं उनके प्रमाण पत्रों पर शंका की गई उचित था कि इसका समाधान करने के लिए जनता से सीधा संवाद किया गया होता किन्तु इस प्रकरण में सोनियाँ गांधीं की योग्यता पर प्रश्न खड़ा किया जाना बिलकुल अप्रासंगिक था ! आपको सत्ता जनता ने दी है सोनियाँ ने नहीं तो सफाई भी जनता को ही दी  जानी चाहिए सोनियाँ को नहीं ! ये चूक हुई है सुधार की अपेक्षा है इस समय विपक्षी पार्टी का अधिकार जनता ने किसी को नहीं दिया है सीधे अपने पास रखा है इसलिए विपक्षी पार्टी की भूमिका में जनता स्वयं है अन्यथा सत्ता पक्ष और विपक्ष मिलजुल कर निर्णय ले लिया करते थे और जनता देख कर रह जाती थी अब जवाब जनता को देना होगा !

  

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