आखिर पैदा ही क्यों हुआ धर्म में साईं संकट ?
साईं को भगवान की तरह ,भगवान के मंदिरों में, भगवान की प्राण प्रतिष्ठित मूर्तियों की भाँति, भगवान के मन्त्रों एवं पूजा पद्धति से पूजा जाना ही सनातन धर्म पर विधर्मियों का बहुत बड़ा हमला है !
इसलिए सनातन धर्मियों का फाइनल फैसला यही है कि साईं बुड्ढे में भगवान की कल्पना भी नहीं जा सकती !अतः इस विषय पर बहस का औचित्य क्या है !
अभी तक सनातन धर्म द्रोहियों के द्वारा किसी के धर्म के विषय में दुष्प्रचार तो किया जाता रहा है किसी के धार्मिक ग्रंथों के विषय में दुष्प्रचार भी किया जाता रहा है,किसी के धार्मिक महापुरुषों के विषय में दुष्प्रचार भी किया जाता रहा है किन्तु अब तो भगवान के आस्तित्व पर ही प्रश्न खड़ा कर दिया गया है।ऐसे तो कभी भी कोई भी ऐरा गैरा बन जाएगा हिन्दुओं का भगवान !
सनातन धर्मियों के भगवान , भगवान की मूर्तियों ,भगवान की पूजा पद्धतियों, भगवान के मंदिरों जैसी अत्यंत पवित्र अवधारणा पर ही अब तो साईं नाम का हमला हुआ है अब हम लोग पंचायत करते घूम रहे हैं कभी टी. वी. चैनलों पर तो कभी वैसे और वो भी इस विषय पर कि साईं भगवान हैं कि नहीं !ये विषय बिचार करने के लिए लाया जाना भी साईं के आस्तित्व को न्यूनाधिक रूप से स्वीकार करना ही है जबकि उचित तो यह है कि इस विषय को जड़ से ख़ारिज ही किया जाना चाहिए !
वैसे भी इस विषय में सनातन धर्मशास्त्र के अनुशार शास्त्रीय संतों के धर्मशास्त्रीय विचार ही विश्वनीय माने जा सकते हैं किन्तु साईं किसी भी कीमत पर स्वीकार्य नहीं होंगे ! फिर भी यदि सौभाग्य से सनातन धर्म के शास्त्रीय संतों की सभा होनी ही है तो आत्ममंथन इस विषय पर हो कि साईं नाम की समस्या पैदा ही क्यों हुई ?इससे निपटा कैसे जाए ?दूसरी बात वर्तमान समय के सनातन धर्म के जिम्मेदार महापुरुषों से चूक आखिर कहाँ हुई है ,आखिर क्यों पैदा हुआ है धर्म में साईं संकट ?और दुबारा ऐसी परिस्थिति पैदा ही न हो इसके लिए क्या किया जाएगा !
साईं पूजा के समर्थन में जिन धर्माचार्यों ने जो बयान दिए हैं वो कहाँ तक उचित हैं उस पर शास्त्रीय संत समाज का रुख स्पष्ट किया जाए !साईं के संदर्भ में शास्त्रीय सच्चाई समाज के सामने रखने के लिए सनातन धर्म के अधिकृत शास्त्रीय संत क्या कुछ करने का आदेश देंगे वही सनातन धर्मियों को मान्य होगा !
साईं शब्द के प्रारम्भ में ॐकार और अंत में राम लगाकर ,झूठ मूठ में साईं गायत्री बना एवं बताकर मंदिरों में साईं की मूर्तियाँ घुसा कर जिन सनातन धर्मियों को भगवान के भ्रम में साईंयों के द्वारा फाँसा गया है उनके सामने शास्त्रीय सच्चाई कौन रखेगा किस प्रकार से रखी जाएगी आदि आदि बातों पर देश काल परिस्थिति के अनुशार शास्त्रीय संत विचार करें !
अंधेर हो गई साईं भगवान बनेंगे !"जान न पहचान बड़े मियाँ सलाम" वर्तमान समय में तो साईंयों ने जो घृणापन फैला रखा है उसके आधार पर साईं को संत भी नहीं माना जा सकता है क्योंकि "संत वही भगवंत जो मानै"और जो भगवान की जगह अपनी पूजा कराने लगे ये तो सनातन हिन्दुओं की परंपरा ही नहीं है और जो हिन्दुओं की परंपरा का पालन ही न करता हो वो जब हिन्दू ही नहीं हैं तो संत कैसे हो सकते हैं और जहाँ तक बात भगवान की है वो तो कोई प्रश्न ही नहीं है क्योंकि भगवान हमारे निश्चित हैं उनकी संख्या घटाई बढ़ाई कैसे जा सकती है !
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