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Sunday, October 9, 2022

अपने विषय में परिचय

 हमारा -परिचय :

     आचार्य डॉ.शेषनारायण वाजपेयी  

     ज्योतिषाचार्य,व्याकरणाचार्य,एम.ए.,

    पीएच.डी. ( द्वारा - काशी हिंदू विश्व विद्यालय)        

    अनुसंधान कार्य :ज्योतिष शास्त्र के द्वारा प्रकृति एवं जीवन से संबंधित मौसम महामारी आदि विभिन्न विषयों पर अनुसंधान !

हमारी अनुसंधान पद्धति : प्रकृति एवं जीवन में घटित होने वाली प्रायः सभी घटनाएँ समय के अनुशार ही घटित होती हैं | 

   प्राकृतिक घटनाओं को देखा जाए तो सर्व प्रथम समय बदलता है उसके अनुशार संपूर्ण प्रकृति में परिवर्तन होते हैं | मौसम महामारी एवं  परिवर्तन जैसी घटनाएँ समय से  प्रभावित होकर ही घटित होती हैं | इनके विषय में अनुसंधान करने या अनुमान पूर्वानुमान  लगाने के लिए गणित विज्ञान ही सर्वोत्तम है |जिस गणितविज्ञान के आधार पर सूर्य और चंद्र ग्रहण जैसी घटनाओं के विषय में सही सही  पूर्वानुमान लगाए जाते रहे हैं उसके आधार पर मौसम मानसून आँधी तूफान महामारी आदि घटनाओं के विषय में पूर्वानुमान लगा लिया जाता है |

    जीवन में घटित होने वाली घटनाओं को देखा जाए तो प्रत्येक व्यक्ति का समय अपना अपना होता है उसमें भी परिवर्तन होते हैं | समय के अनुशार सोच बनती है सुख दुःख मिलता है उन्नति अवनति होती है | पद प्रतिष्ठा  मिलती और समाप्त होती है | गणित विज्ञान के आधार पर ऐसी सभी घटनाओं के विषय में अनुमान पूर्वानुमान  आदि लगा लिया जाता है |   

ज्योतिष शास्त्र संबंधी अनुसंधानों की आवश्यकता : विज्ञान के क्षेत्र में अनुसंधानों की निरंतर आवश्यकता रहती है ज्योतिष विज्ञान में लंबे समय से ऐसा किया जाना संभव नहीं रहा है | उपेक्षा के कारण पढ़े लिखे लोग इस क्षेत्र में आते नहीं हैं और बिना पढ़े लिखे लोग अनुसंधान करने योग्य नहीं हैं |इससे जनहितकारी इतने बड़े विज्ञान का उपहास होता दिख रहा है | महामारी जैसे संकट के समय में यह विज्ञान बहुत बड़ी भूमिका निभा सकता था किंतु इसका उपयोग ही  जा सका | 

    मौसम संबंधी घटनाओं के  विषय में भी  ऐसा ही होते देखा जा रहा है ज्योतिष विज्ञान की उपेक्षा के कारण आज तक मौसम संबंधी सही अनुमान पूर्वानुमान आदि लगाना संभव नहीं हो पाया है | मौसम संबंधी बड़ी  प्राकृतिक आपदाएँ घटित होती हैं उनके विषय में पहले से किसी को  कुछ पता ही नहीं होता है | 

    हमारे द्वारा किए गए प्रयास के विषय में -मैं अपने सीमित साधनों के द्वारा ज्योतिष विज्ञान के आधार पर प्रकृति और जीवन के विषय में पिछले तीस वर्षों से अनुसंधान करता आ रहा हूँ | जिससे विभिन्न घटनाओं के विषय में प्राप्त होने वाले पूर्वानुमान प्रायः सही निकलते हैं उन्हें  मेल के माध्यम से सरकार के संबंधित मंत्रालयों विभागों एवं पीएमओ को भेजता भी हूँ वे प्रायः सही निकलते हैं किंतु उनका जनहित में उपयोग नहीं हो पाता है | दूसरी बात ऐसे अनुसंधानों को यदि पर्याप्त संधाधनों से संचालित किया जाए तो पूर्वानुमानों में और अधिक सच्चाई लाई जा सकती | इसी उद्देश्य से मैं सरकार तक अपनी बात पहुँचाने के लिए प्रयत्न करता आ रहा हूँ | 

मेरे द्वारा किए गए कुछ मुख्य प्रयास :

    मौसम विज्ञान विभाग महानिदेशक श्री के जे रमेश  जी के द्वारा  संभावित प्राकृतिक घटनाओं के विषय में पूर्वानुमान भेजने को कहा गया ! मैं प्रत्येक महीना प्रारंभ होने से एक दो दिन पहले आगामी एक महीने के पूर्वानुमान भेज देता रहा हूँ | जो प्रायः सही निकलते रहे हैं किंतु ज्योतिष विज्ञान नहीं है ऐसा कहकर उन्होंने इसे प्रोत्साहित नहीं किया जबकि पहले उन्होंने ऐसा करने के लिए हमें आश्वासन भी दिया था | 

    इसके बाद मंत्री डॉ.हर्ष बर्धन जी ने मेरी मदद करने के लिए राजीवन जी से बात की !उनके बुलाने पर मैं उनके पास  गया तो राजीवन जी ने कुछ अधिकारियों के साथ बैठा कर मेरी चर्चा करवाई ! जिसमें उन अधिकारियों ने पूर्वानुमान सच होने की बात तो स्वीकारी किंतु मेरे अनुसंधान को प्रोत्साहित करने से यह कहकर मना कर दिया कि ज्योतिष विज्ञान नहीं है इसलिए इसका उपयोग नहीं किया जा सकता है |उन्होंने यह भी कहा कि यदि आप समाज को लाभान्वित ही करना चाहते हैं तो आप इसे करते कैसे हैं वह प्रक्रिया हमलोगों को बता दीजिए ! मैंने कहा यह ज्योतिष है पंचांग की गणित है तो वे आठ दस पंचांग उठा लाए और मेरे सामने रखकर कहा कि इनका उपयोग मैं भी करता हूँ और मौसम संबंधी पूर्वानुमान लगाने में इनसे बड़ी मदद मिलती है | आप अपनी शोध प्रक्रिया के विषय में भी हमें  समझा दीजिए |हम स्वयं ही जनहित में इसका उपयोग करते रहेंगे | यह सुनकर मैं वापस चला आया | 

    इसी बीच मैंने मौसम पूर्वानुमान लगाने वाली निजी संस्था स्काइमेट से संपर्क किया !वहाँ भी यही कहा गया कि आप अपने द्वारा किए जाने वाले मौसम संबंधी पूर्वानुमान आगे से आगे हमें भेजते रहें इसके बाद हम आपके विषय में सोचेंगे | मैं लगभग वर्ष भर उन्हें भी पूर्वानुमान भेजता रहा जिनसे वे इससे प्रभावित हुए !उन्होंने कुछ टीवी चैनलों में हमारा संपर्क करवाने के लिए प्रयत्न भी किया ताकि इस वैज्ञानिक विधा से भी लोग परिचित हों | इसके साथ ही साथ उन्होंने हमारे शोध के उपयोगी होने के विषय में मौसम विभाग के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्रा जी को एक पत्र लिखा ताकि मेरे अनुसंधान का जनहित में उपयोग हो सके किंतु वहाँ से कोई उत्तर नहीं आया |

    मौसम से लेकर महामारी तक के सभी अनुमान पूर्वानुमान एवं अनुसंधानों के प्रोत्साहन  हेतु मैं पीएमओ को भी मेल पर पत्र एवं पूर्वानुमान भेजता आ रहा हूँ | इसी क्रम में एक बार मुझे इंडियननालेजसिस्टमविभाग बसंतकुञ्ज  से फोन आया, जिसमें यह कह कर बुलाया गया कि पीएमओ से हमें आपके अनुसंधान के विषय में आपसे बात करने को कहा गया है | मैं वहाँ गया और निदेशक श्री ए.बी.शुक्ल जी के सामने भी मैंने अपने वे पूर्वानुमान रखे जिनसे वे प्रभावित हुए | उन्होंने भी हमसे हमारी शोध प्रक्रिया देने या बताने को कहा कि तुम जिस प्रकार से अनुसंधान करते हो वह संपूर्ण प्रक्रिया हमें लिखित रूप में देनी होगी | ऐसा करने से मैं सहमत नहीं हुआ इसलिए वहाँ से भी मुझे कोई प्रोत्साहन नहीं मिला | 

       ऐसे अनुभव कई अन्य मंत्रालयों विभागों प्रांतीय सरकारों एवं स्थापित लोगों से संपर्क करने पर हुए हैं | पीटीआई के द्वारा हमारी अधिकाँश मेलों को लेकर अनुसंधान पूर्वक एक लेख भी प्रकाशित किया था | वो भी इसके साथ भेज रहा हूँ |

        महामारी संबंधी अनुमानों पूर्वानुमानों के विषय में -

    मैंने ज्योतिष के द्वारा स्वास्थ्य संबंधी अपने अनुसंधानों के विषय में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय में कई पत्र भेजे जिनका कोई उत्तर न मिलने पर मैं वहाँ स्वयं गया! किसी मित्र के माध्यम से उनसे मुलाक़ात करके उनके सामने अपने महामारी संबंधी पूर्वानुमान रखे | जो उन्हें ठीक लगे किंतु इस प्रकार के ज्योतिषीय अनुसंधानों के लिए वहाँ से कोई सहयोग संभव नहीं है ऐसा कहकर उन्होंने भविष्य पर बात टाल दी | 

    इसके बाद किसी शुभ चिंतक सहयोगी ने मुझे सीसीआरएएस के डीजी प्रो. वैद्य केएस धीमान जी से मिलवाया उन्होंने  अपने कुछ सहयोगियों के साथ बैठकर हमसे चर्चा की और पूछा कि आप अपने अनुसंधान के द्वारा चिकित्सा के क्षेत्र में क्या सहयोग कर सकते हो तो मैंने कहा किसी रोग या महारोग(महामारी) के पैदा होने या फैलने के विषय में अनुमान पूर्वानुमान लगाने के लिए आयुर्वेद के चरक संहिता आदि ग्रंथों में जो ज्योतिषीय विधि बताई गई है उसके आधार पर रोगों महारोगों (महामारी) आदि के विषय में अनुमान पूर्वानुमान आदि लगाने में हमारे शोध सहायक हो सकते हैं | महामारी काल में भी कौन संक्रमित होगा और कौन नहीं होगा या कितना होगा !चिकित्सा का प्रभाव किस रोगी पर कैसा पड़ेगा आदि विषयों में हमारे अनुसंधानों से मदद मिल सकती है | उन्होंने हमसे इस विषय के कागज लेकर बाद में सूचित करने के लिए कहा किंतु बाद में कोई प्रोत्साहन नहीं मिला |

    महामारी की चारों लहरों के आने और  जाने के विषय में मैं जो जो अनुमान पूर्वानुमान आदि लगाकर पीएमओ की मेल पर भेजता रहा हूँ वे गूगल के कोरोना चार्ट से मिलान करने पर प्रायः सही निकलते रहे हैं |

       ज्योतिष शास्त्रीय अनुसंधान पद्धति की वैज्ञानिकता !

   वेद वैज्ञानिक मान्यता है कि समय बीतने के साथ बदलता रहता है समय के बदलाव के साथ प्रकृति और जीवन में भिन्न भिन्न प्रकार की घटनाएँ घटित होती रहती हैं | प्रकृति में ऋतुओं का परिवर्तन समय के कारण होता है | प्राकृतिक आपदाएँ या अच्छी बुरी सभी प्रकार की घटनाएँ समय के कारण घटित होती हैं |

   ऐसे ही जीवन में शारीरिक स्वास्थ्य मानसिक स्वास्थ्य का बनना बिगड़ना,जीवन से संबंधित संबंधों का बनना बिगड़ना,उन्नति अवनति होना ये सब समय के कारण ही संभव है | यहाँ तक कि सुदूर आकाश में घटित होने वाली सूर्य और चंद्र ग्रहण जैसी घटनाएँ परिवर्तनशील समय के साथ साथ घटित होती रहती हैं |

    प्रकृति एवं जीवन में घटित होने वाली सभी प्रकार की घटित होने वाली संभावित घटनाओं के विषय में अनुमान पूर्वानुमान आदि लगाने के लिए समय के संचार को समझा जाना आवश्यक है | समय को समझने के लिए गणित विज्ञान को ही सर्वोत्तम विकल्प माना जाता रहा है | 

   जिस  गणितविज्ञान को सूर्य और चंद्र ग्रहण जैसी घटनाओं के विषय में पूर्वानुमान लगाने के लिए सर्वोत्तम विकल्प माना जाता रहा है |उसीगणित विज्ञान के आधार पर प्रकृति एवं जीवन में घटित होने वाली घटनाओं के विषय में भी सही सही पूर्वानुमान लगाए जा सकते हैं | 

    इसी निश्चय के साथ पिछले तीस वर्षों से मैं प्रकृति में घटित होने वाली एवं लोगों के जीवन में घटित होने वाली दोनों ही प्रकार की घटनाओं के विषय में न केवल अनुसंधान करता आ रहा हूँ अपितु पूर्वानुमान लगता आ रहा हूँ जो प्रायः सही निकल रहे हैं | इस वैज्ञानिक विधा से मौसम संबंधी प्राकृतिक घटनाओं एवं आपदाओं के विषय में लगाए गए पूर्वानुमान प्रायः सही निकलते रहे हैं | कोरोना जैसी महामारी के विषय में लगाए गए पूर्वानुमान सही निकले हैं यहाँ तक कि महामारी संबंधित संक्रमण से किसे कितने प्रतिशत संक्रमित होने की संभावना है | इस प्रकार के अनुमान भी प्रायः सही निकले हैं |

    ऐसे अनुसंधानों से संपूर्ण समाज को लाभान्वित किया जा सकता है | संसाधनों के अभाव में व्यक्तिगत स्तर पर मेरे द्वारा यह सब किया जाना संभव नहीं है | इसलिए मैंने अनुसंधान से संबंधित अलग अलग विषयों से संबंधित सरकार के संबंधित मंत्रालयों एवं विभागों में संपर्क करने के प्रयत्न किए जहाँ तक पहुँच हो सकी वहाँ तक अपनी बात पहुँचाई |

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