कई प्रदेशों में        
सा पिछले कई वर्षों से होता चला भी आ रहा था
इनके विस्तार और इनके स्वभाव को जिसके आधार पर ऐसी प्राकृतिक घटनाओं का पूर्वानुमान
सा पिछले कई वर्षों से होता चला भी आ रहा था
इनके विस्तार और इनके स्वभाव को जिसके आधार पर ऐसी प्राकृतिक घटनाओं का पूर्वानुमान
      
संक्रमण संबंधी रोगों से तथा भूकंप ,आँधीतूफ़ान एवं वर्षा बाढ़ जैसी 
प्राकृतिक दुर्घटनाओं से हरवर्ष लाखों लोग पीड़ित होते हैं 
उनमें से कुछ लोग मारे भी जाते हैं कोविड-19 जैसी  महामारियों में तो बहुत 
लोग मारे जाते हैं  किंतु संक्रमण के कारण होने वाले रोगों को एवं 
प्राकृतिक दुर्घटनाओं के बिषय में ठीक ठीक समझने के लिए अभी तक कोई विज्ञान
 विकसित नहीं किया जा सका है |इसीलिए इनका पूर्वानुमान लगा पाना अभी तक 
संभव नहीं हो सका है |   
     
 वैज्ञानिक अनुसंधानों की असफलता ही है कि इतनी बड़ी बड़ी महामारियाँ प्रारंभ
 होने से पहले इनके विषय में किसी को कुछ पता नहीं होता है इसलिए इनके बिषय
 में कोई तैयारियॉँ भी नहीं की गई होती हैं और ये धीरे धीरे सारे विश्व में
 फैल जाती हैं यदि इनके बिषय में समय रहते पूर्वानुमान लगाया जा सका होता 
तो ऐसे रोगों से निपटने की तैयारियाँ आगे से आगे की जा सकती थीं  |
      इन्हीं वैज्ञानिक अनुसंधानों की असफलता के कारण भूकंप,आँधीतूफ़ान,वर्षा, बाढ़ बज्रपात जैसी प्राकृतिक दुर्घटनाओं के घटित होने के 
ती हैं 
इसकी शुरुआत मनुष्य के किसी प्रयास से नहीं होती इसलिए इसकी समाप्ति भी मनुष्य के किसी प्रयास से नहीं होगी !इसकी समाप्ति का समय आना अभी बाकी है !मैंने समय विज्ञान की दृष्टि से इस बिषय में अनुसंधान किया है !
 मौसम और महामारियाँ दोनों ही साथ साथ चलती हैं जब जैसा मौसम होता है तब 
तैसे रोग फैलते हैं मौसम में  यदि अधिक बदलाव आता है तो महामारी
 जैसी घटनाएँ घटित होने लगती हैं | मौसम समय के अनुशार चलता है दूसरी बात ऐसे बड़े रोग अपने समय से शुरू होकर और समय से
 ही समाप्त होते हैं |इसलिए ऐसी महामारियों के प्रारंभ होने और इनके समाप्त होने के समय का पूर्वानुमान लगाया जाना चाहिए | 
   
 इसके लिए आवश्यक है कि भूकंप ,तूफ़ान एवं वर्षा बाढ़ जैसी घटनाओं के घटित 
होने का कारण एवं उसका पूर्वानुमान लगाने वाले विज्ञान को विकसित किया जाए 
जो अभी तक नहीं किया जा सका है  
 जिनका कारण वैज्ञानिकों के द्वारा 
ऐसी अधिकाँश प्राकृतिक हिंसक घटनाओं के बिषय में पूर्वानुमान न लगा पाना 
होता है |ऐसी घटनाओं का पूर्वानुमान लगाने के लिए विश्ववैज्ञानिकों के 
द्वारा अभी तक कोई ऐसी वैज्ञानिक प्रक्रिया नहीं विकसित की जा सकी है जिससे
 प्रकृति में घटित होने वाली घटनाओं के स्वभाव को समझा जा सके और वर्षा बाढ़
 एवं आँधी तूफानों के विषय में पूर्वानुमान लगाया जा सके | 
      
उपग्रहों रडारों की मदद से समुद्री आकाश में बादल और आँधी तूफ़ान दिखाई पड़ 
जाते हैं वे जितनी गति से जिस दिशा की ओर जा रहे होते हैं उसी हिसाब से 
अंदाजा लगा लिया जाता है कि ये किस दिन किस देश या प्रदेश में पहुँचेगे 
!चूँकि आँधी तूफानों की तरह उपग्रहों रडारों की मदद से भूकंपों को नहीं 
देखा जा सकता है इसलिए भूकंपों के बिषय में ऐसा कोई अंदाजा लगाना भी संभव 
नहीं हो पाया है | 
    कोविड -19 जैसी महामारी से बहुत लोग पीड़ित 
हुए एवं काफी लोग मारे भी गए हैं किंतु अभी तक इस महामारी में होने वाले 
निश्चित लक्षण नहीं खोजे जा सके हैं इसका पूर्वानुमान लगाया जा सका है कि 
ये महामारी कब तक रहेगी |बिना किसी दवा वैक्सीन आदि के महामारी के संक्रमण 
से मुक्त होने वाले रोगियों की बढ़ती संख्या देखकर बहुत लोग इसकी दवा या 
वैक्सीन बनाने का दावा करते देखे जा रहे हैं जो इस महामारी के संक्रमण को 
और अधिक बढ़ाने में मददगार सिद्ध हो सकता है | 
     
 इस बिषय में मैंने एक ऐसी तकनीक बिकसित की है जिसके आधार पर महीनों वर्षों
 पहले घटित होने वाली वर्षा आँधी तूफ़ान एवं महामारियों के बिषय में 
पूर्वानुमान लगाया जा सकता है |उसी के आधारपर मेरा आपसे निवेदन है कि अभी 8
 अगस्त 2020 से कोविड -19 का संक्रमण एक बार फिर बहुत अधिक बढ़ने लगेगा और 
24 सितंबर तक दिनों दिन बढ़ता चला जाएगा इससे संपूर्ण विश्व प्रभावित होगा |
 25 सितंबर 2020 से यह समाप्त होना प्रारंभ होगा जो दिनोंदिन कम होता चला 
जाएगा और 13 नवंबर को इसके बिलकुल समाप्त होने का समय होगा |
 
    इस तकनीक से इस बात का भी पता लगाया जा सकता है कि  कोविड -19 
प्राकृतिक है या नहीं,तथा यह किसी एक संक्रमित व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति 
में फैलता है या हवा में ही विद्यमान है !इसके लक्षण क्या हैं ?यह महामारी 
भविष्य में दोबारा कब आएगी और कितने महीने रहेगी !आदि बातों का एवं मौसम 
संबंधी प्राकृतिक घटनाओं का भी पूर्वानुमान लगाया जा सकता है |  
इनमें किसी दवा वैक्सीन आदि से कोई लाभ नहीं होता है |
 ऐसी महामारियाँ जब स्वतः समाप्त होने लगती हैं उस समय प्रयोग की जाने वाली
 औषधियों को क्रेडिट दे दिया जाता है जबकि 
महामारियों की दवा बन ही नहीं 
सकती है इनका केवल पूर्वानुमान लगाया जा सकता है कि ये शुरू कब होगी और 
समाप्त कब होगी | महामारियों का पूर्वानुमान लगाने से पहले मौसम संबंधी 
प्राकृतिक घटनाओं का पूर्वानुमान लगाने की व्यवस्था कारण होगी | क्योंकि 
महामारी के समय में बार बार भूकंप आ रहे हैं आँधी तूफान आ रहे हैं मई जून 
तक अधिक वर्षा होते देखी गई है इन सबका कोविड-19 के संक्रमण से सीधा संबंध 
है इस प्रकार की आशंकाएँ और भी बहुत लोगों को हैं किंतु महामारी एवं 
प्राकृतिक घटनाओं का पूर्वानुमान लगाने के लिए अभी तक कोई ऐसा विज्ञान नहीं
 
खोजा  जा सका है जिसके आधार पर भूकंप,वर्षा,आँधी तूफान आदि के बिषय में 
पूर्वानुमान 
लगाया जा सके एवं इनके और महामारी के आपसी संबंध को समझा जा सके  |  
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