पैर लड़खड़ाने पर नजर सबकी है किंतु सिर पर कितना बोझ है ये कोई नहीं देखता !
जिन अफसरों ने अवैध कब्जे करवाए वही उन्हें तोड़ने पहुँच रहे हैं | उन्हें जो तोड़े सो शासक अन्यथा सत्ता के दलाल !
जिसकी समस्या उसे समाप्त होने का इंतजार ही राजनीति है! गरीबी हटाने का नारा जब जिन्हें दिया गया था अब वे नहीं हैं किंतु गरीबी अभी भी है |
दलितों को दुत्कारते रहने वाले लोग ही दलितों के मसीहा बने हैं उन्होंने देखा है कि उनके पुरखों ने किसे कितना लूटा है !
दीपावली 31 अक्टूबर 2024 को ही है ! जानिए क्यों ?
31 अक्टूबर को काशी के पंचांग में 3 बजकर 12 मिनट पर और दूसरे पंचांगों में स्थान भेद से 3 बजकर 52 मिनट पर अमावस्या लग रही है | सूर्यास्त 5 बजकर 32 मिनट पर है | उसके बाद प्रदोष काल में लक्ष्मी पूजन और रात्रि में कलिका पूजन के समय अमावस्या तिथि होने से दीपावली 31 अक्टूबर 2024 को ही है !
1 नवंबर 2014 को दीपावली पूजन इसलिए नहीं हो सकता है क्योंकि काशी के पंचांग के अनुसार उसदिन सूर्यास्त से पहले ही अमावस्या तिथि पूरी हो जाती है | सूर्यास्त 5 बजकर 32 मिनट पर है जबकि अमावस्या 5 बजकर 13 मिनट पर पूरी हो जा रही है| इसलिए इस दिन दीपावली होना संभव ही नहीं है उसके लिए दीपावली सूर्यास्त के बाद होनी आवश्यक है |
विवाद : स्थान भेद से कुछ पंचांगों में 1 नवंबर को सूर्यास्त 5 बजकर 32 मिनट पर है जबकि अमावस्या तिथि 6 बजकर 13 मिनट पर पूरी हो रही है|इसके अनुसार सूर्यास्त के बाद भी अमावस्या तिथि 43 मिनट बाद तक है | 1 घड़ी 24 मिनट की होती है | ये उससे भी 19 मिनट अधिक का समय होता है |
तिथितत्व में प्रमाण है कि अमावस्या यदि दूसरे दिन 1 घड़ी भी रात्रि में हो तो अमावस्या अगले दिनमानी जाएगी | धर्म सिंधु में लिखा है कि वैसे तो अगले दिन मानी जाएगी किंतु लक्ष्मी पूजन में पहले दिन ही मानी जाएगी | इस हिसाब से भी 31 अक्टूबर को ही दीपावली है |
विशेष बात यह है कि तिथि तत्व में एक घडी रात्रि स्पर्श की बात कही गई है ,किंतु सूर्यास्त के एक घड़ी बाद तक तो संध्याकाल ही रहता है | रात्रि उसके बाद प्रारंभ होती है | उसके बाद का समय एक घड़ी से 6 मिनट कम होने से तिथितत्व की बात यहाँ लागू ही नहीं होती है |
अतएव निर्विवाद रूप से दीपावली 31 अक्टूबर 2024 को ही है !
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