तो क्या हिन्दुओं को प्रभु श्री राम का चित्र लगाने की अनुमति भी चुनाव आयोग से लेनी होगी !
चुनाव हों या न हों तथा मोदी जी का चुनावी भाषण हो या न हो किन्तु अयोध्या (फैजाबाद ) के स्टेज पर श्री राम एवं श्री राम मन्दिर का चित्र और चर्चा जरूर होगी इसे रोका नहीं जा सकता !
चुनाव हैं तो क्या साम्प्रदायिकता के डर से काशी वाले गंगा जी और बाबा विश्वनाथ जी को भूल जाएँ !चुनाव हैं तो क्या वृन्दावन वाले यमुना जी और बिहारी जी को भुला दें !क्या हिन्दू प्रयाग राज में जाकर गंगा नहाना छोड़ दें ! माता विंध्यवासिनी के धाम जाकर जयकारा लगाना छोड़ दें ! इसी प्रकार से चुनावों के कारण अयोध्या (फैजाबाद ) जाकर श्री राम मन्दिर एवं श्री राम का चित्र अपने पास रखना छोड़ दें !
वैसे भी जब भाजपा के चुनावी घोषणा पत्र में श्री राम मन्दिर निर्माण
को भाजपा ने स्वीकार किया है फिर मोदी जी के स्टेज पर श्री राम मन्दिर एवं
श्री राम का चित्र स्थापित करने में क्या बुराई है ?
यदि भाजपा श्री राम एवं राम मंदिर को भूल भी जाए तो भूल जाए वो एक राजनैतिक दल है हो सकती हैं उसकी अपनी कुछ चुनावी मजबूरियाँ उसे चुनाव लड़ना और जीतना है किन्तु हम हिन्दू क्यों भुला दें अपने तीर्थों धामों की मर्यादाएँ !
वैसे भी भाजपा को अपने चुनावी स्टेज पर यदि श्री राम एवं श्री राम मन्दिर का चित्र लगाना होता तो वो हर स्टेज पर हर जिले में लगवाती केवल फैजाबाद में ही क्यों लगाती ? इसका सीधा सा अर्थ है कि यह भाजपा का नहीं अपितु श्री राम प्रभु की पावन पुरी का ही कमाल है कि वहाँ के निवासियों को अपनी परम्पराओं के पालन से रोका नहीं जा सकता !
चुनाव हों या न हों या मोदी जी का चुनावी भाषण हो या न हो किन्तु परम्पराओं का पालन तो होगा ही अर्थात अयोध्या (फैजाबाद ) के स्टेज पर श्री राम एवं श्री राम मन्दिर का चित्र और चर्चा जरूर होगी इसे रोका नहीं जा सकता ! ये अवध धाम की मर्यादा है इसे कैसे भूल जाएँ हम !
जो नेता चुनाव आयोग के भय के कारण हमारे तीर्थों में जाकर वहाँ की मर्यादा का पालन नहीं कर सकते वो जाएँ ही क्यों हमारे तीर्थ क्षेत्रों में ?
बारे चुनाव आयोग और बारे चुनाव !
चुनाव हों न हों हम अपनी परम्पराएँ नहीं छोड़ सकते !आखिर क्यों भुला दें हम अपनी शदियों पुरानी परम्पराएँ ?श्री राम एवं श्री राम मन्दिर हिन्दुओं का है हिन्दू प्रभु श्री राम का चित्र कहीं भी लगा सकते हैं !
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