Thursday, January 5, 2017

महिला शरीरों के महान महत्त्व को समझने वाली महिलाएँ पुरुषों की बराबरी कर ही नहीं सकतीं !

 "पुरुष अकेले घूम सकते हैं तो 'मैं क्यों अकेले नहीं घूम सकती ?-एक महिला कार्यकर्त्री"

      देवी ! आपको अकेले घूमने से रोकता कौन है वो आपकी शारीरिक ,सामाजिक एवं सरकारी परिस्थितियाँ ही हैं जो आपको अकेले आने जाने से रोकती हैं !

   सब्जी वाले रेड़ी पर सब्जी लादे गली गली भटकते बेचते दिन भर देखे जाते हैं किंतु किसी हीरा बेचने वाले जौहरी को कभी रेड़ी  पर हीरा लादकर बेचते देखा है क्या ?दूसरी बात क्या हीरा बेचने वाला कोई व्यक्ति कभी सब्जी बेचने वाले से अपनी तुलना करते देखा जाता है क्या ? 

  जो ऐसा करेगा वो मरेगा !क्योंकि जो वस्तु जितनी अलभ्य होती है उसे पाने के लिए लोग उतना ही बड़ा बलिदान देने को तैयार रहते हैं अपनी बासनास्पद को पाने के लिए जो लोग जीवन का मोह छोड़कर आत्म हत्या करने लगते हैं अर्थात मारने से नहीं डरते हैं वे पुलिस से क्या डरेंगे !

    कामी अर्थात सेक्सालु पुरुषों के लिए महिला शरीर कितने अलभ्य होते हैं इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सेक्स की इच्छापूर्ति के जतन में लगे कामांध लोग महिलाशरीरों के शवों से भी दुष्कर्म करते देखे जाते हैं दो दो महीने की बच्चियों को भी नहीं छोड़ते !स्त्रीलिंग पशुओं तक को नहीं छोड़ते !ऐसे कामांध लोग महिलाओं के सजे धजे युवा शरीरों को बक्स देंगे क्या !वो  भी उट पटांग आधे चौथाई कपड़े पहनकर तरह तरह से शरीर दिखाने की शौकीन महिलाओं के तो इरादों पर ही कभी कभी शक होने लगता है कि क्या वे वास्तव में अपनी सुरक्षा चाहती हैं ! वो भी सरकारी कानून के भरोसे !सरकारी कामकाज की जिम्मेदारियों को निभाने का सच जानते हुए भी । 

      जिस देश में हर प्रकार के अपराधों को करने के लिए सरकारी विभागों से काम करवाने वाले दलालों ने अघोषित रेटलिस्ट बना रखी हो कि किस अपराध को करने के लिए किसको कितने पैसे देकर बचा जा सकता है !जिसमें जितने पैसे खर्च कर सकने की क्षमता हो वो उतना बड़ा अपराध कर सकता है !देश में ईमानदारी के बड़े बड़े दम्भ भरने वाली सरकारें आईं किन्तु सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों के प्रति आम अपराधी की इस मानसिकता को तोड़ने में वो अभी तक असफल रही हैं उस देश में  कानून के भरोसे जो महिलाएँ अपनी सुरक्षा करवाना चाहती हैं वे अंधेले में हैं ।

    नोट बंदी अभियान को ही ले लें प्रधानमंत्री जी जनता से 50 दिन माँगने के लिए गिड़गिड़ाते रहे और सरकार के अपने कर्मचारियों ने सबसे पहले उन्हीं कालेधन वालों के गोदामों के बोरे सफेद किए जिनके विरुद्ध प्रधानमंत्री जी ने युद्ध छेड़ रखा था !जिनसे 50 दिन की मोहलत माँगी जा रही थी वे दो दो हजार के लिए दम तोड़ रहे थे !

     इसे सरकारी भ्रष्ट तंत्र की कार्यशैली का छोटा सा सैंपल माना जाए या फिर सरकार के अपने कर्मचारियों की सरकार को सीधी चुनौती माना जाए !कि हे प्रधान मंत्री जी तुम हमें घूस लेकर भ्रष्टाचार करने से नहीं रोक सकते !अब इसे PM साहब चुनौती न मानें तो और बात है । 

     जिस देश में कानून के रखवाले प्रधानमंत्री की योजनाओं की ऐसे धज्जियाँ उड़ा देते हों उस देश में सरकारी सुरक्षा के बलपर आधुनिकता और फैशन परस्त महिलाओं को अपनी सुरक्षा की बागडोर स्वयं अपने हाथ में सँभालनी चाहिए और यदि सुरक्षित रहने का  इरादा वास्तव में हो तो जैसे रहन सहन आचार व्यवहार में अपनी सुरक्षा संभव हो वैसा ही रहन सहन स्वयं बनाकर चलने का व्रत लें !

      


 

भूकंप (कॉपी )

         भूकंप -2
  वैदिकविज्ञान से पता लगाया सकता है कभी भी कहीं भी किसी भी भूकंप के आने का उद्देश्य !    
        भूकंप कभी अकारण नहीं आते हैं भूकंपों के आने का कोई न कोई उद्देश्य जरूर होता है भूकंप हमें अतीत का दर्पण दिखा रहे होते हैं वर्तमान में डरा धमका कर हमें प्रकृति में संतुलन बना कर चलने के लिए प्रेरित कर रहे होते हैं और निकट भविष्य में घटित होने वाली कुछ महत्त्वपूर्ण घटनाओं की सूचना दे रहे होते हैं !
     ये घटनाएँ प्रकृति या मौसम से संबंधित हो सकती हैं लोगों के स्वास्थ्य और स्वभाव से संबंधित हो सकती हैं दो देशों के आपसी संबंधों विचारों व्यवहारों  से संबंधित हो सकती हैं ।
      भूकंप को भेजते समय संसार की शुभचिंतक प्रकृति उस क्षेत्र के लोगों के लिए कोई न कोई महत्त्वपूर्ण संदेशा भेजती है खाली हाथ कभी नहीं आता है कोई भी भूकंप !यह निश्चित है । 
      जो भूकंप जब ,जहाँ और जैसे आता है वो स्थान,समय और वहाँ की प्राकृतिक स्थिति लोगों और जीवों में होने वाले रोगों और मनुष्यों से लेकर वहाँ के जीव जंतुओं के स्वभावों के सूक्ष्म लक्षणों का अध्ययन करके पहचाना जा सकता है किसी भूकंप के आने का उद्देश्य !
     जो भूकंप जब ,जहाँ और जैसे आता है उसके आने के कुछ मिनट बाद ही इस बात की उद्घोषणा की जा सकती है कि किस भूकंप के बाद आफ्टर शॉक्स आएँगे किसके बाद नहीं !
       जो भूकंप जब ,जहाँ और जैसे आता है उसके आधार पर इस रहस्य को सुलझाया जा सकता है कि किस भूकंप का प्रभाव किन जीवों पर कब से कैसा पड़ने लगता है अर्थात भूकंप आने के कितने समय पहले से किन जीवों के व्यवहार में किस किस प्रकार के परिवर्तन कितने दिन या महीने पहले से अनुभव किए जाने योग्य थे । 
      कई मामलों में तो जिस दिन इस विषय के रहस्य का उद्धाटन किया जाएगा और समाज को पता चलेगा या समाज को इस बात का विश्वास दिलाने में जिस दिन हम सफल होंगे कि भूकंपों का हमारे जीवन से इतना नजदीकी  संबंध है वो क्षण भूकंप के विषय में जानकारी की दृष्टि से ऐतिहासिक होगा !भारत वर्ष के सनातन हिंदू धर्म के प्राचीनतम वैदिक विज्ञान का चमत्कार उस दिन दुनियाँ देखेगी !
      विश्व के अनेकों देशों की सतर्क सरकारें भूकंपों का पूर्वानुमान लगाने की दिशा में भारी भरकम धनराशि खर्च करती हैं मोटी मोटी सैलरी देती हैं किंतु उनके द्वारा कई दशकों में अभी तक कुछ इस सामने नहीं लाया जा सका है जिसे खोज की श्रेणी में रखा जा सकता हो !ख़ास अपने अपने देश में भूकंप