भाग्य से ज्यादा और समय से पहले किसी को न सफलता मिलती है और न ही सुख ! विवाह, विद्या ,मकान, दुकान ,व्यापार, परिवार, पद, प्रतिष्ठा,संतान आदि का सुख हर कोई अच्छा से अच्छा चाहता है किंतु मिलता उसे उतना ही है जितना उसके भाग्य में होता है और तभी मिलता है जब जो सुख मिलने का समय आता है अन्यथा कितना भी प्रयास करे सफलता नहीं मिलती है ! ऋतुएँ भी समय से ही फल देती हैं इसलिए अपने भाग्य और समय की सही जानकारी प्रत्येक व्यक्ति को रखनी चाहिए |एक बार अवश्य देखिए -http://www.drsnvajpayee.com/
Friday, November 30, 2012
महिलाओं की भी क्या कोई जिम्मेदारी है ?
महिलाओंकी क्या कोईजिम्मेदारी नहीं होनी चाहिए?
आज पार्कों मैट्रो स्टेशनों पार्कों जैसी सार्वजनिक जगहों पर जितनी बेसब्री से लड़के अपनी तथाकथित प्रेमिका का इंतजार करते देखे जाते हैं उससे कम बेसब्री उन लड़कियों में नहीं होती जो अपने तथाकथित प्रेमियों का इंतजार कर रही होती हैं।ऐसे तथाकथित प्रेमी प्रेमिका जब तक पटरी खाती है तब तक दोनों एक दूसरे को चिपटने चाटने में पूरी तरह समर्पित होते हैं।सच्चाई ये है कि विवाहित लोग भी इतने स्नेह से कम ही रहते देखे जाते होंगे जितने स्नेह से विवाहेतर संबंधी या अविवाहित लोग रहते हैं। दोनों का दोनों के प्रति पूर्ण समर्पण होता है।जिन्हें देखकर कभी नहीं लगता कि इन्हें कोई जबरर्दस्ती घसीट या बॉंध कर एक जगह लाया है।दोनों इतना खुश होते हैं कि वे एक नहीं सात नहीं सात सौ जन्म भी एक साथ रहने का वायदा करते देखे जा सकते हैं। दूसरे ही क्षण दो में से किसी का दूसरा कोई अच्छा सौदा पटते ही दोनों एक दूसरे के दुश्मन बन जाते हैं वो दुश्मनी कहॉ तक कितनी बढ़ेगी कौन कह सकता है?दोंनों एक दूसरे को मिटा देने के लिए हर संभव कोशिश करते देखे सुने जा सकते हैं और वो करते भी हैं कोई किसी को बरबाद करने में कसर नहीं छोड़ता है।कोई किसी पर तेजाब फेंकता है तो कोई किसी को और तरह से मारता या हानि पहुँचाता है । कोई तथाकथित प्रेमी या प्रेमिका उसे मारने के बाद भी छोटे छोटे टुकड़े कर रहा होता है। कितनी घृणा रही होगी उसमें कल्पना नहीं की जा सकती है।इसी प्रकार और जितने भी बासनात्मक व्यवसाय बनाए गए हैं सब में मिलाजुला कुछ ऐसा ही देखने सुनने को मिलता है।आखिर यहॉं या ऐसे मामलों में क्या करे सरकार ?कितनी कितनी, किसको किसको, कहॉं कहॉं, क्या क्या, कैसे कैसे सुरक्षा मुहैया करावे सरकार? ये बिल्कुल असंभव कार्य है।
इसी तरह किसी भी प्रकार की किसी भी चीज के विज्ञापनों में, कोई प्रोडक्ट बेचने के लिए महिलाओं के शरीरों को भड़कीला बनाकर अर्द्धवस्त्रों में उन शरीरों को दर्शनार्थ परोसकर अपने प्रोडक्ट बेच रहे होते हैं ।
ऐसे शरीर धारण करने वाली सुंदरियॉं पूरे होश हवाश में अपने शरीरों के शिथिल प्रदर्शन का बाकायदा तय शुदा पेमेंट लेती हैं। जो लोग देखकर पागल होते हैं और पैसा खर्च करते हैं कुछ पोडक्ट खरीदने में कुछ उस विज्ञापिका को देखने छूने एवं पाने के लिए प्रयत्नशील हो जाते हैं।कोई इसप्रकार का अपना पागलपन किसी और पर निकालता है जो जब जहॉं शिकार बनता है वो सरकार को दोषी ठहराता है। क्या करे सरकार, क्या करे कानून व्यवस्था ? आखिर ये तो उसे भी पता है कि हम शरीर की नुमाईश बनाने जा रहे हैं फिर क्या करे सरकार?कितनी कितनी किसको किसको, कहॉं कहॉं, क्या क्या, कैसे कैसे, सुरक्षा मुहैया करावे सरकार ?
त्याग बलिदान की प्रेरणा देने वाले शिक्षण संस्थानों में आज अध्यापक अध्यापिकाएँ इतना भड़कीला श्रंगार करते हैं।क्या बच्चे उनसे संयम की प्रेरणा लेंगे?कैसे और क्यों लेंगे ?
लगभग हर संस्था रिसेप्सन पर कोई न कोई सुंदर युवा लड़की न केवल बैठाती है बल्कि उसकी वेष भूषा ऐसी रखती है ताकि उसे देखने वाले लोगों को पूरा दर्शन सुख मिले।आज बाबाओं को भी आगे बढ़ने के लिए सुंदरियों की जरूरत पड़ती है जब तक ऐसी वैसी कुछ सुंदरी नायिकाएँ योग सीखने नहीं आती हैं तब तक बाबाजी अच्छे योगी नहीं माने जाते हैं । जब तक सुंदर चेली साथ में न हो तब तक साधुता जमती नहीं है इसी प्रकार ज्योतिष आदि को भी व्यवसाय की दृष्टि से देखने वाले लोग भी केवल अपनी विद्या के बल पर समाज में नहीं उतरते हैं।उन्हें भी इस तरह के ग्लेमर की जरूरत पड़ती है।वो भी विज्ञापनीय झूठ बोलने के लिए एक ऐसी लड़की साथ लिए बिना आगे नहीं बढ़ते हैं।इन सारी बातों को कहने के पीछे हमारा उद्देश्य मात्र इतना है कि स्वाभिमान एवं सदाचार प्रिय महिलाएँ अपने शरीर की नुमाईस लगाकर उसे अर्थोपार्जन का माध्यम बनाती ही क्यों हैं ?अपने गुणों एवं शिक्षा को आगे करके कमाएँ तो शायद ज्यादा सुरक्षित रह सकती हैं ।
प्राचीन भारतीय संस्कृति में महिलाओं को जो सम्मानपूर्ण स्थान प्राप्त था वह केवल उनके सद्गुणों के कारण ही था। इसका यह कतई मतलब नहीं था कि वो सुंदरी नहीं थीं या वो श्रंगार नहीं करती थीं। पुरुषों को हर युग में फिसलते देखा जा सकता है जबकि महिलाओं ने हर युग में धैर्य एवं संयम से काम लिया है और हमेंशा अपने गौरव की रक्षा की है। कानून व्यवस्था भी ठीक होनी चाहिए किंतु जिस जगह हमनें कानून का आसरा लगाया है वह हितकर नहीं है और पूर्ण होने की कम से कम हमें तो कोई आशा नहीं दिखती है ।सरकार को कोई ब्यर्थ में कोसे तो कोसे ।
एक अत्यंत सुंदरी युवती पर किसी परेशान तथाकथित प्रेमी ने तेजाब फेंका जिससे उस बेचारी की मौत से ज्यादा दुर्दशा हुई। टी.वी. के किसी सो में उसे बुलाया गया था जिसे देखकर मेंरा दिल दहल उठा मैं अपने को सॅभाल नहीं सका मैं सोचता रहा कि सरकार यदि अब तथाकथित कानूनी नियंत्रण कर भी ले तो इस बिटिया का जीवन तो बरबाद हो ही गया। हॉं आगे के लिए ही इन पर नियंत्रण हो सके दोबारा किसी बिटिया के साथ ऐसी दुर्घटना रोकी जा सके तो भी बहुत बड़ी उपलब्धि होगी क्योंकि ये जघन्य अपराध है।
मैंने न केवल यह लेख लिखा अपितु सरकार को भी एक प्रार्थना पत्र लिखकर ऐसी घटनाओं पर यथा संभव नियंत्रण करने का प्रयास तो होना ही चाहिए। ऐसा निवेदन सरकार से भी करना चाहता हूँ ।
राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोध संस्थान की अपील
यदि किसी को केवल रामायण ही नहीं अपितु ज्योतिष वास्तु धर्मशास्त्र आदि समस्त भारतीय प्राचीन विद्याओं सहित शास्त्र के किसी भी नीतिगत पक्ष पर संदेह या शंका हो या कोई जानकारी लेना चाह रहे हों।शास्त्रीय विषय में यदि किसी प्रकार के सामाजिक भ्रम के शिकार हों तो हमारा संस्थान आपके प्रश्नों का स्वागत करता है ।
यदि ऐसे किसी भी प्रश्न का आप शास्त्र प्रमाणित उत्तर जानना चाहते हों या हमारे विचारों से सहमत हों या धार्मिक जगत से अंध विश्वास हटाना चाहते हों या राजनैतिक जगत से धार्मिक अंध विश्वास हटाना चाहते हों तथा धार्मिक अपराधों से मुक्त भारत बनाने एवं स्वस्थ समाज बनाने के लिए हमारे राजेश्वरीप्राच्यविद्याशोध संस्थान के कार्यक्रमों में सहभागी बनना चाहते हों तो हमारा संस्थान आपके सभी शास्त्रीय प्रश्नोंका स्वागत करता है एवं आपका तन , मन, धन आदि सभी प्रकार से संस्थान के साथ जुड़ने का आह्वान करता है।
सामान्य रूप से जिसके लिए हमारे संस्थान की सदस्यता लेने का प्रावधान है।
आम आदमी पार्टी और अरविन्द Dr.S.N.Vajpayee
आम आदमी पार्टी और अरविन्द जी एवं ज्योतिष
जब किन्हीं दो या दो से अधिक लोगों का नाम यदि एक अक्षर से ही प्रारंभ होता है तो ऐसे सभी लोगों के आपसी संबंध शुरू में तो अत्यंत मधुर होते हैं बाद में बहुत अधिक खराब हो जाते हैं, क्योंकि इनकी पद-प्रसिद्धि-प्रतिष्ठा -पत्नी-प्रेमिका आदि के विषय में पसंद एक जैसी होती है। इसलिए कोई सामान्य मतभेद भी कब कहॉं कितना बड़ा या कभी न सुधरने वाला स्वरूप धारण कर ले या शत्रुता में बदल जाए कहा नहीं जा सकता है।
जैसेः-राम-रावण, कृष्ण-कंस आदि। इसी प्रकार और भी उदाहरण हैं।
आम आदमी पार्टी और अरविन्द जी
यह बात जरूर ध्यान देने की है कि भष्टाचार के विरुद्ध जो मुहिम अरविन्द जी ने छेड़ी है वह अत्यंत परिश्रम जनित एवं प्रशंसनीय है। आखिर सड़ांध मारती राजनीति के शोधन का स्तुत्य प्रयास किसी को तो करना ही होगा ,यह युवाओं के लिए प्रचुर प्रेरणा प्रद है ताकि इस दृष्टि से वो भी देश के बारे में सोच कर समय समय पर देश की राजनीति को दर्पण दिखाते रहें ।खैर जो भी हो इस समय इस विषय को लेने का हमारा उद्देश्य मात्र इतना है कि इस आम आदमी की पार्टी में सहयोग चाहे और जितने भी लोगों का हो किन्तु प्रमुख भूमिका तो अरविन्द जी की ही है इस पार्टी रूप का या वैसे भी भ्रष्टाचार विरोधी आन्दोलन में भी अरविन्द जी का प्रबल योग दान रहा है,किन्तु इस पार्टी का भविष्य क्या होगा ?
ज्योतिष की दृष्टि में किन्ही दो नामों के पहले अक्षर यदि एक हों तो उन दोनों का एक दूसरे के साथ कोई शुभ एवं दूरगामी भविष्य नहीं होता है।जिस कारण अन्ना का आन्दोलन ध्वस्त हुआ।
उत्तरप्रदेश से उमाभारती जी खाली हाथ लौटीं ।
गुजरात में गुजरात परिवर्तन पार्टी इसी दिशा में आगे बढ़ रही है।
दिल्ली में भाजपा की स्थिति बहुत ठीक नहीं है ।
दिल्ली भाजपा के चार विजय
विजयेंद्र-विजयजोली
विजयकुमारमल्होत्रा- विजयगोयल
इसीप्रकार
भारतवर्ष में भाजपा की स्थिति बहुत ठीक नहीं है ।
भाजपा जब जब आगे बढ़ने लगती है कोई न कोई मुद्दा उसके विरोधी लोग उछालते हैं जिससे भाजपा की गति फिर धीमी पड़ जाती है।
इसलिए अरविन्द जी की आम आदमी पार्टी कहीं इसी बीमारी का शिकार न हो जाए मुझे आशंका है ।
अन्ना हजारे
इसीप्रकार अन्ना हजारे के आंदोलन के तीन प्रमुख ज्वाइंट थे अन्ना हजारे , अरविंदकेजरीवाल एवं अग्निवेष जिन्हें एक दूसरे से तोड़कर ये आंदोलन ध्वस्त किया जा सकता था। इसमें अग्निवेष कमजोर पड़े और हट गए। दूसरी ओर जनलोकपाल के विषय में लोक सभा में जो बिल पास हो गया वही राज्य सभा में क्यों नहीं पास हो सका इसका एक कारण नाम का प्रभाव भी हो सकता है। सरकार की ओर से अभिषेकमनुसिंघवी थे तो विपक्ष के नेता अरूण जेटली जी थे। इस प्रकार ये सभी नाम अ से ही प्रारंभ होने वाले थे। इसलिए अभिषेकमनुसिंघवी की किसी भी बात पर अरूण जेटली का मत एक होना ही नहीं था।अतः राज्य सभा में बात बननी ही नहीं थी। दूसरी ओर अभिषेकमनुसिंघवी और अरूण जेटली का कोई भी निर्णय अन्ना हजारे एवं अरविंदकेजरीवाल को सुख पहुंचाने वाला नहीं हो सकता था। अन्ना हजारे एवं अरविंदकेजरीवाल का महिमामंडन अग्निवेष कैसे सह सकते थे?अब अन्ना हजारे एवं अरविंदकेजरीवाल कब तक मिलकर चल पाएँगे?कहना कठिन है।असीमत्रिवेदी भी अन्नाहजारे के गॉंधीवादी बिचारधारा के विपरीत आक्रामक रूख बनाकर ही आगे बढ़े। आखिर और लोग भी तो थे। अ अक्षर से प्रारंभ नाम वाले लोग ही अन्नाहजारे से अलग क्यों दिखना चाहते थे ? ये अ अक्षर वाले लोग ही अन्नाहजारे के इस आंदोलन की सबसे कमजोर कड़ी हैं।
अमर सिंह
अन्नाहजारे की
तरह ही अमर सिंह जी भी अ अक्षर वाले लोगों से ही व्यथित देखे जा सकते हैं।
अमरसिंह जी की पटरी पहले मुलायम सिंह जी के साथ तो खाती रही तब केवल आजमखान
साहब से ही समस्या होनी चाहिए थी किंतु अखिलेश यादव का प्रभाव बढ़ते ही
अमरसिंह जी को पार्टी से बाहर जाना पड़ा। ऐसी परिस्थिति में अब अखिलेश के
साथ आजमखान कब तक चल पाएँगे? कहा नहीं जा सकता। पूर्ण बहुमत से बनी उत्तर
प्रदेश में सपान की अखिलेश सरकार के सबसे कमजोर ज्वाइंट आजमखान सिद्ध हो सकते हैं।
चूँकि
अमरसिंह जी के मित्रों की संख्या में अ अक्षर से प्रारंभ नाम वाले लोग ही
अधिक हैं इसलिए इन्हीं लोगों से दूरियॉं बनती चली गईं। जैसेः- आजमखान
अमिताभबच्चन अनिलअंबानी अभिषेक बच्चन आदि।
इसीप्रकार ज्योतिष की दृष्टि से भारतवर्ष में भाजपा की स्थिति बहुत ठीक नहीं है इसीलिए उसे राजग का गठन करना पड़ा जबकि भाजपा से कम सदस्य संख्या वाले अन्य दलों के लोग पहले भी प्रधानमंत्री बन चुके हैं ।जिनका अटल जी जैसा विराट व्यक्तित्व भी नहीं था फिर भी सरकार बनाने में सबसे अधिक कठिनाई भाजपा को ही हुई थी आखिर अन्य कारण भी रहे होंगे किन्तु ज्योतिष की यह एक विधा भी महत्त्व पूर्ण कारण कही जा सकती है ।
आर. यस. यस. के समर्पित पवित्र प्रचारकों के परिश्रम एवं देश भक्ति भावना से सुसिंचित भाजपा एवं उसका अपना अत्यंत सक्षम तथा कर्मठ नेतृत्व है प्रतिपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी है कई प्रदेशों में उसकी न केवल यशस्वी सरकारें हैं अपितु अनेक वर्षों से सफलता पूर्वक संचालित हो रहीं हैं किन्तु क्या कारण है कि केंद्र में आकर भाजपा की धार कुंद हो जाती है?क्या अन्य पार्टियों के नेता ज्यादा समझदार और ईमानदार हैं ?जो भी हो यह चिंतन का विषय जरूर है ।
इसी प्रकार दिल्ली की कांग्रेस सरकार है वो अपनी अच्छाई से जीतती है या विपक्षी भाजपा का आपसी असामंजस्य उसकी जीत का कारण बनता है कहना कठिन है यह भी चिंतन का विषय है ।
दिल्ली भाजपा के चार विजय और चारों को दिल्ली में एक साथ ही काम करना होता है इन चारों लोगों ने अपने एवं अपनी पार्टी का यश बढ़ाया भी है फिर भी दिल्ली भाजपा की धार दिनों दिन कुंद होती दिखती है।उस समय तो केवल आलू प्याज की महँगाई पर भाजपा सरकार की दिल्ली से बिदाई हुई थी ।आज तो सब कुछ महँगा है सत्ता धारी पार्टी के केंद्र से लेकर प्रदेश तक घोटालों के आरोप हैं फिरभी
भाजपा के लोग सरकार के विरुद्ध कोई सशक्त आन्दोलन नहीं खड़ा कर सके हैं ।आज की तारीख में सरकार यदि जाती भी है तो वो उसका अपना अपयश हो सकता है
कम से कम भाजपा की सामर्थ्य बढ़ रही है इस कारण काँग्रेस सरकार जायगी अभी तक तो ऐसा कहना उचित नहीं होगा ।यह भी नहीं है कि भाजपा के लोग ही अयोग्य हों आखिर इन्हीं शूरमाओं ने दिल्ली नगर निगम में जीत हासिल की है क्योंकि वहाँ इन चारों विजयों में को प्रतिस्पर्द्धा नहीं थी ।खैर जो भी हो इस दृष्टि से भी चिंतन अवश्य होना चाहिए,अन्यथा आगामी चुनावों में भाजपा के राजनैतिक भविष्य के लिए चिंता प्रद हैं।इन चारों में आपसी तालमेल बेहतर बनाने के लिए किसी मजबूत व्यक्तित्व की व्यवस्था समय रहते कर लेना उत्तम होगा ।
विजयेंद्रजी -विजयजोलीजी
विजयकुमारमल्होत्राजी - विजयगोयलजी
उत्तर प्रदेश
इसीप्रकार उत्तर प्रदेश के विगत चुनावों में भाजपा ने अत्यंत प्रसिद्ध, परिश्रमी ,धार्मिक ,अद्भुत वक्ता सुश्री उमाभारती जी के नेतृत्व में चुनाव करा दिए उसे क्या पता था कि उत्तरप्रदेश और उमाभारती में नाड़ी दोष है।यदि उमा जी प्रचार करतीं और नेतृत्व किसी और का होता तो भाजपा का प्रदर्शन इससे अच्छा होने की संभावना मानी जानी चाहिए।
इसलिए ज्योतिष शास्त्र के इन सिद्धांतों समेत अन्य समस्त चुनावी विजयदायिनी शास्त्रीय विचारधारा का परिपालन अवश्य किया जाना चाहिए।इसका सकारात्मक असर अवश्य पड़ेगा ।
कलराजमिश्र-कल्याण सिंह
ओबामा-ओसामा
अरूण जेटली- अभिषेकमनुसिंघवी
नरसिंहराव-नारायणदत्ततिवारी
परवेजमुशर्रफ-पाकिस्तान
लालकृष्णअडवानी-लालूप्रसाद
भाजपा-भारतवर्ष
मनमोहन-ममता-मायावती
उमाभारती - उत्तर प्रदेश
अमरसिंह - आजमखान - अखिलेशयादव
अमर सिंह - अनिलअंबानी - अमिताभबच्चन
नितीशकुमार-नितिनगडकरी-नरेंद्रमोदी
प्रमोदमहाजन-प्रवीणमहाजन-प्रकाशमहाजन अन्नाहजारे-अरविंदकेजरीवाल-असीम त्रिवेदी-अग्निवेष- अरूण जेटली - अभिषेकमनुसिंघवी
दिल्ली भाजपा
इसी प्रकार से दिल्ली भाजपा के चार विजय
विजयेंद्र-विजयजोली
विजयकुमारमल्होत्रा- विजयगोयल
इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए वर्तमान समय में कहा जा सकता है कि इन चारों
विजयों का दिल्ली भाजपा में एक साथ काम करना भाजपा की दिल्ली विजय पर कभी
भी भारी पड़ सकता है ।इसलिए इन्हें बहुत सावधानी एवं सहनशीलता पूर्वक काम
करनाही इनके एवं पार्टीके लिए विशेष कल्याणकारी रहेगा ।
एक विशेष बात और यह है कि दिल्ली भाजपा में इन चार विजयों के अलावा भी जो प्रमुख नेतागण हैं उन्हें विशेष सामंजस्य बनाने का प्रयास करते रहना श्रेयस्कर रहेगा।इतना सब होने पर भी यदि थोड़ी भी आपसी सहमति में कमी आई तो इन चारों लोगों को अपनी अपनी राजनैतिक विकास यात्रा में ब्रेक लेनी पड़ सकती है। ।
गुजरात
केशुभाई पटेल के नेतृत्व वाली गुजरात परिवर्तन पार्टी ने गुजरात विधानसभा चुनावों में या गुजरात की सम्पूर्ण राजनीति में गुजरात परिवर्तन पार्टी के तत्वावधान में जो कमर कसी है वो उनके लिए किसी भी प्रकार से गुजरात में लाभप्रद नहीं रहेगी।प्रदेशों या देशों के नामों वाली पार्टियाँ कभी भी सफलता प्रद नहीं रहती हैं ऐसा कोई उदाहरण नहीं दिखता है ।इस लिए गुजरात परिवर्तन पार्टी का गुजरात में कोई भविष्य नहीं है और नरेंद्र मोदी सभी दलों पर अपनी बढ़त बनाने में सफल होते दिखते हैं ।
राहुलगॉधी - रावर्टवाड्रा - राहुल के पिता श्री राजीव जी इन दोनों पिता पुत्र का नाम रा अक्षर सेथा।इसीप्रकार रावर्टवाड्रा और उनके पिता श्री राजेंद्र जी इन दोनों पिता पुत्र का नाम भी रा अक्षर से ही था। दोनों को पिता के साथ अधिक समय तक रहने का सौभाग्य नहीं मिल सका ।
अब राहुलगॉधी के राजनैतिक उन्नत भविष्य के लिए रावर्टवाड्रा का सहयोग सुखद नहीं दिख रहा है क्योंकि कि यहॉं भी दोनों का नाम रा अक्षर से ही है।
राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोध संस्थान की अपील
यदि किसी को केवल रामायण ही नहीं अपितु ज्योतिष वास्तु धर्मशास्त्र आदि समस्त भारतीय प्राचीन विद्याओं सहित शास्त्र के किसी भी नीतिगत पक्ष पर संदेह या शंका हो या कोई जानकारी लेना चाह रहे हों।शास्त्रीय विषय में यदि किसी प्रकार के सामाजिक भ्रम के शिकार हों तो हमारा संस्थान आपके प्रश्नों का स्वागत करता है ।
यदि ऐसे किसी भी प्रश्न का आप शास्त्र प्रमाणित उत्तर जानना चाहते हों या हमारे विचारों से सहमत हों या धार्मिक जगत से अंध विश्वास हटाना चाहते हों या राजनैतिक जगत से धार्मिक अंध विश्वास हटाना चाहते हों तथा धार्मिक अपराधों से मुक्त भारत बनाने एवं स्वस्थ समाज बनाने के लिए हमारे राजेश्वरीप्राच्यविद्याशोध संस्थान के कार्यक्रमों में सहभागी बनना चाहते हों तो हमारा संस्थान आपके सभी शास्त्रीय प्रश्नोंका स्वागत करता है एवं आपका तन , मन, धन आदि सभी प्रकार से संस्थान के साथ जुड़ने का आह्वान करता है।
सामान्य रूप से जिसके लिए हमारे संस्थान की सदस्यता लेने का प्रावधान है।
Wednesday, November 28, 2012
Love Marriage Ka Arth Vivah Badhak Yog
विवाहबाधक योग होने पर प्रेम विवाह
ज्योतिष शास्त्र का मानना है कि जीवन में जो सुख किसी को नहीं मिलने होते
हैं उनके प्रति बचपन से ही उसके मन में असुरक्षा की भावना बनी रहती है।इसी
लिए उस व्यक्ति का ध्यान उधर अधिक होता है और वो उस दिशा में बचपन से ही
प्रयास रत होता है।
सामान्य जीवन में
ऐसा माना जा है कि जीवन में आपको जिस चीज की आवश्यकता हो वह इच्छा होते ही
मिल जाए इसका मतलब होता है कि वो सुख उसके भाग्य में बहुत है यह उस विषय
का उत्तम सुख योग है, किंतु जिस चीज की इच्छा होने पर किसी से कहना या
मॉंगना पड़े तब मिले ये मध्यम सुख योग है और यदि तब
भी न मिले तो ये उस बिषय का अधम या निम्न सुख योग मानना चाहिए।और यदि वह
सुख पाने के लिए पागलों की तरह गली गली भटकना पड़े लोगों के गाली गलौच या
मारपीट का सामना करना पड़े या तब भी न मिले तो इसे सबसे निकृष्ट समझना
चाहिए।
अब बात विवाह की प्रायः ऐसा देखा
जाता है कि लड़का कह रहा होता है कि अभी हमें शादी नहीं करनी है अभी पढ़ना
या अपने पैरों पर खड़ा होना है किंतु माता पिता अपनी जिम्मेदारी समझकर
विवाह कर रहे हों और उनका आपसी स्नेह भी उत्तम हो जाए ये सर्वोत्तम विवाह
योग हुआ इसमें उस लड़के को अपनी बासना अर्थात सेक्स की इच्छा प्रकट नहीं
करनी पड़ी इसलिए माता पिता के लिए वो हमेंशा शिष्ट,शालीन ,सदाचारी आदि बना
रहता है। ऐसे माता पिता अपने बच्चे का नाम बड़े गर्व से हमेंशा लिया करते
हैं कि उसने किसी की ओर आँख उठाकर देखा भी नहीं है। ऐसा उत्तम विवाह योग
किसी किसी लड़के या लड़की को बड़े भाग्य से मिलता है बाकी जितना जिसे तड़प कर
या बदनाम होकर मिलता या नहीं भी मिलता है उतना उसे इस बिषय में भाग्यहीन या
अभागा समझना चाहिए।
ऐसे
भाग्यहीन लोग प्रेम का धंधा करना शुरू करते हैं एक को छोड़ते दूसरे को
पकड़ते दूसरे से तीसरा ऐसा करते करते थक कर कहीं संतोष करके मन या बेमन
किसी के साथ जीवन बिताने लगते हैं जिसे देखकर लोग कहते हैं कि उनकी तो बहुत
अच्छी निभ रही है।सच्चाई तो उन्हें ही पता होती है।ऐसे ही निराश हताश लोग
कई बार अपनी जिंदगी को तमाशा ही बना लेते हैं कई बार हत्या या आत्महत्या
तक गुजर जाते हैं वो ऐसा समझते हैं कि वे प्रेम पथ पर मर रहे हैं जब सामने
वाला या वाली को उससे अच्छा कोई और दूसरा मिल गया होता है तो वो पहले वाले
से पीछा छुड़ाने के लिए उसे कैसे भी छोड़ना या मार देना चाहता है।ऐसे लोगों
का एक दूसरे के प्रति कोई समर्पण नहीं होता है जबकि प्रेम तो पूर्ण समर्पण
पर चलता है कोई भी प्रेमी अपने पेमास्पद को कभी दुखी नहीं देखना चाहता।
कई ने तो एक साथ कई कई पाल रखे होते हैं।ऐसे लोग कई बार सार्वजनिक जगहों
पर एक दूसरे के साथ शिथिल आसनों में बैठे होते हैं या एक दूसरे के मुख में
चम्मच घुसेड़ घुसेड़ कर खा खिला रहे होते हैं। इसी बीच तीसरी या तीसरा आ गया
उसने ज्योंही किसी और के साथ देखा तो पागल हो गया या हो गई जब पोल खुल गई
तो लड़ाई हुई कोई कहीं झूल गया कोई कहीं झूल गई।भाई ये कैसा प्रेम? ये तो
बीमार विवाह योग है।यहॉ विशेष बात ये है कि इस पथ पर बढ़ने वाले हर किसी
लड़के या लड़की की जिंदगी बीमार विवाह योग से पीड़ित होती है।इसी लिए ऐसे लोग
अपने जैसे बीमार विवाह वाले साथी ढूँढ़ ढूँढ़कर उन्हें ही धोखा दे देकर अपनी
और अपने जैसे अपने साथियों की जिंदगी बरबाद किया करते हैं।जैसे आतंकवादियों
को लगता है कि वे धर्म के लिए मर रहे हैं इसीप्रकार ऐसे तथाकथित प्रेमी भी
अपनी गलत फहमी में प्राण गॅंवाया करते हैं।
ऐसे लोगों की जन्मपत्रियॉं यदि बचपन में ही किसी सुयोग्य ज्योतिष विद्वान
से दिखा ली जाएँ तो ऐसे योग पड़े होने पर भी ऐसे लोगों को अच्छे ढंग से
प्रेरित करके जीवन की इस त्रासदी से बचाया जा सकता है।
राजेश्वरी प्राच्य विद्या शोध संस्थान की सेवाएँ
यदि आप ऐसे किसी बनावटी आत्मज्ञानी, बनावटी ब्रह्मज्ञानी, ढोंगी,बनावटी तान्त्रिक,बनावटी ज्योतिषी, योगी उपदेशक या तथाकथित साधक आदि के बुने जाल में फँसाए जा चुके हैं तो आप हमारे यहाँ कर सकते हैं संपर्क और ले सकते हैं उचित परामर्श ।
कई बार तो ऐसा होता है कि एक से छूटने के चक्कर में दूसरे के पास
जाते हैं वहाँ और अधिक फँसा लिए जाते हैं। आप अपनी बात किसी से कहना नहीं
चाहते। इन्हें छोड़ने में आपको डर लगता है या उन्होंने तमाम दिव्य शक्तियों
का भय देकर आपको डरा रखा है।जिससे आपको बहम हो रहा है। ऐसे में आप हमारे
संस्थान में फोन करके उचित परामर्श ले सकते हैं। जिसके लिए आपको सामान्य
शुल्क संस्थान संचालन के लिए देनी पड़ती है। जो आजीवन सदस्यता, वार्षिक
सदस्यता या तात्कालिक शुल्क के रूप में देनी होगी, जो शास्त्र से
संबंधित किसी भी प्रकार के प्रश्नोत्तर करने का अधिकार प्रदान करेगी। आप
चाहें तो आपके प्रश्न गुप्त रखे जा सकते हैं। हमारे संस्थान का प्रमुख
लक्ष्य है आपको अपनेपन के अनुभव के साथ आपका दुख घटाना,बाँटना और सही
जानकारी देना।
विशेष बात यह है कि यदि आप चाहें तो आपके प्रश्न के
उत्तर में दी गई जानकारी शास्त्रीय प्रमाणों के साथ लिखित रूप में दी
जाएगी। जो कानूनी आवश्यकता पड़ने पर भी प्रमाण के रूप में प्रस्तुत की जा
सकेगी।
विशेष- आपके द्वारा शुल्क रूप में जमा की गई धन राशि किसी भी परिस्थिति में वापस नहीं की जाएगी।
नम्र निवेदनः-
आदरणीय सभी
सदाचारी, विद्वानों, महात्माओं भागवत वक्ताओं, योगियों, ज्योतिषियों आदि
को यदि हमारी किसी बात से ठेस लगी हो तो हम उसके लिए न केवल क्षमाप्रार्थी
हैं प्रत्युत आपके दिए हुए मंतव्य को सम्मिलित कर भूल सुधार का बचन देते
हैं। हमारा उद्देश्य केवल पाखंड से दूषित हो रहे शास्त्रीय ज्ञान विज्ञान को बचाना है।
संस्थान के उद्देश्य-ऋषि
मुनियों के स्वाध्याय, साधना, परिश्रम से प्राप्त हुए अपने शास्त्रीय
ज्ञानामृत से समाज को लाभान्वित होने का जो अवसर मिला है जो ग्रंथामृत सुलभ
हुआ है उससे हर जाति, वर्ग समुदाय, सम्प्रदाय लाभान्वित हो। बिखरते परिवार
राष्ट्र समाज फिर से एक दूसरे के साथ पूर्ण विश्वास पूर्वक जुड़ सकें। इससे
परिवार, राष्ट्र, समाज फिर से खुशहाल हो सकेगा और
अपना एवं अपने परिवार का पेट भरने के लिए प्राच्य विद्याओं के बहाने अपने
सरल समाज को फँसने फँसाने का यह घृणित खेल बंद होना चाहिए ।
शास्त्रीय विद्वानों से विशेषआग्रहः-
सभी शास्त्रज्ञानी गुणवानों, सदाचारियों, मुनि महात्माओं, योगियों, ज्योतिषियों, साधकों तांत्रिकों आदि से निवेदन है कि यदि आपका शास्त्रीय स्वाध्याय है या आप किसी भी शास्त्रीय विषय में अपने आपको हर प्रकार के प्रश्नोत्तर के लिए सक्षम समझते हैं तो कृपा करके अपने पत्र व्यवहार का पता तथा फोन नम्बर आदि उपलब्ध कराएँ, और हमारे विद्वज्जनों के समुदाय में सम्मिलित होकर अलंकृत करें संस्थान को।आप अपने घर में ही रहकर पत्र व्यवहार या फोन के माध्यम से यह परोपकार कर सकते हैं,ताकि आपकी योग्यता से समाज को लाभान्वित कराने का पुण्य भागी बनने का सौभाग्य हमें प्राप्त हो सके । याद रखना आपका अपनाराजेश्वरी प्राच्य विद्या शोध संस्थान संस्थान आपके संपर्क सूत्र की प्रतीक्षा में है।
धर्म भक्त धनवानों से विशेष आग्रहः-
यदि
आपको भी लगता है कि धर्म को लेकर चारों तरफ एक दूसरे को बरगलाने का दुखद
वातावरण बना हुआ है। हर कोई बिना परिश्रम किए हुए सुख सुविधा पूर्ण जीवन
जीने के लिए धर्म का दुरुपयोग कर लेना चाहता है । जिसके लिए टी.वी. आदि सभी
प्रकार के विज्ञापनों में वह वर्ग अंधाधुंध धन झोंक रहा है स्वाभाविक है
कि वो इसी धार्मिक धंधे से ही निकालना चाहेगा। इसी धर्म की आड़ में धन
इकट्ठा करने के लिए वह कितना भी बड़ा कपटकार्य करने को तैयार है।यदि आपको भी
धर्म के विषय में सोचते हैं तो दीजिए अपना बहुमूल्य सहयोग ।
शास्त्रीय
विद्वानों के पास न विज्ञापनों में खर्च करने के लिए अनाप सनाप धन है और न
ही धोखाधड़ी पूर्वक वो समाज को नोंचना ही चाहते हैं यदि चाहें तो वो भी
उन्हीं लोगों की तरह निर्ममतापूर्वक धर्म को धंधा बना सकते हैं किंतु वो
शास्त्रीय साधक हैं इसलिए उनकी धर्म पर असीम आस्था है वो इसे धंधा नहीं
बनाना चाहते हैं तथापि जीवनयापन का साधन भी वो अपनी विद्या से ही बनाना
चाहते हैं, यह उनका
नैतिक अधिकार भी है आखिर जिस प्राचीन विद्या के अध्ययन में उन्होंने लगभग
बारह वर्ष लगाए हैं अब वो अपनी रोजी रोटी के लिए यदि व्यवसाय आदि करेंगे तो
उनकी योग्यता का समाज हित में उपयोग नहीं हो सकेगा। अतः समाज हित में उनकी
योग्यता का लाभ उठाने के लिए राजेश्वरी प्राच्य विद्या शोध संस्थान
ऐसे विद्वानों को एक मंच उपलब्ध कराकर उनकी योग्यता का लाभ समाज हित में
लेना चाहता है। जिसके लिए उन्हें आजीविका के लिए आर्थिक सहयोग करना आवश्यक होगा।
अतः इसके अलावा भी संस्थान ने ऐसी सभी प्रकार की अपनी गतिविधियाँ
निस्वार्थ रूप से संचालित करने के लिए जो सदस्यता शुल्क रखी है उसे भी
मुक्त किया जा सके इसके लिए सभी धर्म एवं शास्त्र प्रेमी सज्जनों से
धनात्मक सहयोग की अपेक्षा है। यदि आप सहयोग करना या किसी और को प्रेरित
करना चाहें तो हमारे यहॉं आपका सादर स्वागत है। इसके साथ ही इस व्यवस्था को
और अधिक बेहतर बनाने के लिए आपके न केवल सुझाव अपितु सभी प्रकार के सहयोग
सादर आमंत्रित हैं।यदि आप संस्थान कार्यों के प्रचार प्रसार से लेकर किसी
भी प्रकार से सहयोग या समय देना चाहें तो यह संस्थान के लिए सौभाग्य की बात
होगी।
सदस्यता शुल्क माफ करने का विचार क्यों-
प्रायः धार्मिक समाज अभी तक इतना एवं न जाने कितने बार विविध रूपों में ठगा जा चुका है कि अब वह धर्म के मामले में किसी का विश्वास नहीं कर पा रहा है हर किसी से डरने लगा है।संस्थान की गतिविधियों एवं आश्वासनों को भी वह उसी दृष्टि से देख रहा है अतः वह संस्थान के संपर्क में भी आने से डरता है इसलिए सदस्यता शुल्क माफ करने का बिचार है ताकि उसे सभी प्रकार से भय मुक्त किया जा सके।
राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोध संस्थान की अपील
09811226973 Dr.S.N.Vajpayee
यदि किसी को केवल रामायण ही नहीं अपितु ज्योतिष वास्तु धर्मशास्त्र आदि समस्त भारतीय प्राचीन विद्याओं सहित शास्त्र के किसी भी नीतिगत पक्ष पर संदेह या शंका हो या कोई जानकारी लेना चाह रहे हों।शास्त्रीय विषय में यदि किसी प्रकार के सामाजिक भ्रम के शिकार हों तो हमारा संस्थान आपके प्रश्नों का स्वागत करता है ।
यदि ऐसे किसी भी प्रश्न का आप शास्त्र प्रमाणित उत्तर जानना चाहते हों या हमारे विचारों से सहमत हों या धार्मिक जगत से अंध विश्वास हटाना चाहते हों या राजनैतिक जगत से धार्मिक अंध विश्वास हटाना चाहते हों तथा धार्मिक अपराधों से मुक्त भारत बनाने एवं स्वस्थ समाज बनाने के लिए हमारे राजेश्वरीप्राच्यविद्याशोध संस्थान के कार्यक्रमों में सहभागी बनना चाहते हों तो हमारा संस्थान आपके सभी शास्त्रीय प्रश्नोंका स्वागत करता है एवं आपका तन , मन, धन आदि सभी प्रकार से संस्थान के साथ जुड़ने का आह्वान करता है।
सामान्य रूप से जिसके लिए हमारे संस्थान की सदस्यता लेने का प्रावधान है।
प्यार,प्रेम और प्रेम विवाह का दुःख उसे सहना पड़ता है जिसके भाग्य में विवाह का सुख योग न हो !
प्यार,प्रेम या प्रेम विवाह जैसी दुर्घटनाएँ उसके जीवन में घटती हैं जिसके भाग्य में विवाह का सुख योग नहीं होता है ! " विवाह बाधक योग होने पर प्रेम विवाह"
ज्योतिष शास्त्र का मानना है कि जिस व्यक्ति को जीवन में जो सुख किसी को नहीं मिलने होते हैं उस व्यक्ति का ध्यान उधर ही अधिक रहता है और वो उस दिशा में आगे बढ़ने का बचपन से ही प्रयास करने लगता है ।
ऐसे सुखों के प्रति बचपन से ही उसके मन में असुरक्षा की भावना बनी रहती है।जैसे -किसी व्यक्ति को शाम में यदि खाना न मिले और भूखा सोना पड़े तो वह अगले दिन सुबह होते ही सबसे पहले खाना ही खोजता है ठीक उसी प्रकार से किसी जन्म के पाप प्रभाव से जो स्त्री पुरुष इस जन्म में विवाह बासना या सेक्स सुख से बंचित रह जाते हैं वो अगले जन्म में बचपन से ही लग जाते हैं इन्हीं धंधों में और उसी पाप प्रभाव से सारे जीवन कुत्ते बिल्लियों की तरह किसी से जुड़ते किसी को छोड़ते बीत जाता है किन्तु बासना का सुख संतोष जनक फिर भी नहीं मिलता है इसी प्रकार से तड़पते बीतती है पूरी जिंदगी !किन्तु जिनके माता पिता थोड़े जानकार एवं अपने बच्चों के प्रति सजग होते हैं वो विद्वानों से वैदिक विधान द्वारा इसकी शांति करवा देते हैं जिससे उनका जीवन अच्छा बीतने लग जाता है यहाँ तक कि जिसने प्रेम विवाह कर लिया होता है उसका भी जीवन अच्छा बीतने लगता है !लापरवाही के कारण जो लोग ऐसा नहीं कर या करवा पाते हैं वे बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों से स्वयं तो अपमानित होते ही रहते हैं साथ ही समाज को प्रदूषित किया करते हैं ये इतने बेशर्म हो जाते हैं कि बिना किसी की परवाह किए कहीं भी पशुओं की तरह एक दूसरे से चिपक जाते
हैं किन्तु इनका आपस में एक दूसरे से चिपकना इतना अस्थाई होता है कि अगली सुबह कब किससे चिपकना पड़े या कल तक किससे चिपके रह चुके हैं किसी को पता नहीं होता !फिर भी एक दूसरे से झूठ बोला करते हैं कि हमारे लिए बस तुम्हीं तुम हो किन्तु कभी कभी एक दूसरे के सामने एक दूसरे की पोल खुल भी जाती है यहीं जन्म लेता है अपराध !इसमें दोनों सदस्य लगभग समान रूप से सहभागी होते हैं ये ज्योतिष के दोष का ही परिणाम है
सामान्य जीवन में ऐसा माना जा है कि जीवन में आपको जिस चीज की आवश्यकता हो वह इच्छा होते ही मिल जाए इसका मतलब होता है कि वो सुख उसके भाग्य में बहुत है यह उस विषय का उत्तम सुख योग है, किंतु जिस चीज की इच्छा होने पर किसी से कहना या मॉंगना पड़े तब मिले ये मध्यम सुख योग है और यदि तब भी न मिले तो ये उस बिषय का अधम या निम्न सुख योग मानना चाहिए।और यदि वह सुख पाने के लिए पागलों की तरह गली गली भटकना पड़े लोगों के गाली गलौच या मारपीट का सामना करना पड़े या तब भी न मिले तो इसे सबसे निकृष्ट समझना चाहिए।
अब बात विवाह की प्रायः ऐसा देखा जाता है कि लड़का कह रहा होता है कि अभी हमें शादी नहीं करनी है अभी पढ़ना या अपने पैरों पर खड़ा होना है किंतु माता पिता अपनी जिम्मेदारी समझकर विवाह कर रहे हों और उनका आपसी स्नेह भी उत्तम हो जाए ये सर्वोत्तम विवाह योग हुआ इसमें उस लड़के को अपनी बासना अर्थात सेक्स की इच्छा प्रकट नहीं करनी पड़ी इसलिए माता पिता के लिए वो हमेंशा शिष्ट,शालीन ,सदाचारी आदि बना रहता है। ऐसे माता पिता अपने बच्चे का नाम बड़े गर्व से हमेंशा लिया करते हैं कि उसने किसी की ओर आँख उठाकर देखा भी नहीं है। ऐसा उत्तम विवाह योग किसी किसी लड़के या लड़की को बड़े भाग्य से मिलता है बाकी जितना जिसे तड़प कर या बदनाम होकर मिलता या नहीं भी मिलता है उतना उसे इस बिषय में भाग्यहीन या अभागा समझना चाहिए।
ऐसे भाग्यहीन लोग प्रेम का धंधा करना शुरू करते हैं एक को छोड़ते दूसरे को पकड़ते दूसरे से तीसरा ऐसा करते करते थक कर कहीं संतोष करके मन या बेमन किसी के साथ जीवन बिताने लगते हैं जिसे देखकर लोग कहते हैं कि उनकी तो बहुत अच्छी निभ रही है।सच्चाई तो उन्हें ही पता होती है।ऐसे ही निराश हताश लोग कई बार अपनी जिंदगी को तमाशा ही बना लेते हैं कई बार हत्या या आत्महत्या तक गुजर जाते हैं वो ऐसा समझते हैं कि वे प्रेम पथ पर मर रहे हैं जब सामने वाला या वाली को उससे अच्छा कोई और दूसरा मिल गया होता है तो वो पहले वाले से पीछा छुड़ाने के लिए उसे कैसे भी छोड़ना या मार देना चाहता है।ऐसे लोगों का एक दूसरे के प्रति कोई समर्पण नहीं होता है जबकि प्रेम तो पूर्ण समर्पण पर चलता है कोई भी प्रेमी अपने पेमास्पद को कभी दुखी नहीं देखना चाहता।
कई ने तो एक साथ कई कई पाल रखे होते हैं।ऐसे लोग कई बार सार्वजनिक जगहों पर एक दूसरे के साथ शिथिल आसनों में बैठे होते हैं या एक दूसरे के मुख में चम्मच घुसेड़ घुसेड़ कर खा खिला रहे होते हैं। इसी बीच तीसरी या तीसरा आ गया उसने ज्योंही किसी और के साथ देखा तो पागल हो गया या हो गई जब पोल खुल गई तो लड़ाई हुई कोई कहीं झूल गया कोई कहीं झूल गई।भाई ये कैसा प्रेम? ये तो बीमार विवाह योग है।यहॉ विशेष बात ये है कि इस पथ पर बढ़ने वाले हर किसी लड़के या लड़की की जिंदगी बीमार विवाह योग से पीड़ित होती है।इसी लिए ऐसे लोग अपने जैसे बीमार विवाह वाले साथी ढूँढ़ ढूँढ़कर उन्हें ही धोखा दे देकर अपनी और अपने जैसे अपने साथियों की जिंदगी बरबाद किया करते हैं।जैसे आतंकवादियों को लगता है कि वे धर्म के लिए मर रहे हैं इसीप्रकार ऐसे तथाकथित प्रेमी भी अपनी गलत फहमी में प्राण गॅंवाया करते हैं।
ऐसे लोगों की जन्मपत्रियॉं यदि बचपन में ही किसी सुयोग्य ज्योतिष विद्वान से दिखा ली जाएँ तो ऐसे योग पड़े होने पर भी ऐसे लोगों को अच्छे ढंग से प्रेरित करके जीवन की इस त्रासदी से बचाया जा सकता है।
राजेश्वरी प्राच्य विद्या शोध संस्थान की सेवाएँ
यदि आप ऐसे किसी बनावटी आत्मज्ञानी, बनावटी ब्रह्मज्ञानी, ढोंगी,बनावटी तान्त्रिक,बनावटी ज्योतिषी, योगी उपदेशक या तथाकथित साधक आदि के बुने जाल में फँसाए जा चुके हैं तो आप हमारे यहाँ कर सकते हैं संपर्क और ले सकते हैं उचित परामर्श ।
कई बार तो ऐसा होता है कि एक से छूटने के चक्कर में दूसरे के पास
जाते हैं वहाँ और अधिक फँसा लिए जाते हैं। आप अपनी बात किसी से कहना नहीं
चाहते। इन्हें छोड़ने में आपको डर लगता है या उन्होंने तमाम दिव्य शक्तियों
का भय देकर आपको डरा रखा है।जिससे आपको बहम हो रहा है। ऐसे में आप हमारे
संस्थान में फोन करके उचित परामर्श ले सकते हैं। जिसके लिए आपको सामान्य
शुल्क संस्थान संचालन के लिए देनी पड़ती है। जो आजीवन सदस्यता, वार्षिक
सदस्यता या तात्कालिक शुल्क के रूप में देनी होगी, जो शास्त्र से
संबंधित किसी भी प्रकार के प्रश्नोत्तर करने का अधिकार प्रदान करेगी। आप
चाहें तो आपके प्रश्न गुप्त रखे जा सकते हैं। हमारे संस्थान का प्रमुख
लक्ष्य है आपको अपनेपन के अनुभव के साथ आपका दुख घटाना,बाँटना और सही
जानकारी देना।
विशेष बात यह है कि यदि आप चाहें तो आपके प्रश्न के
उत्तर में दी गई जानकारी शास्त्रीय प्रमाणों के साथ लिखित रूप में दी
जाएगी। जो कानूनी आवश्यकता पड़ने पर भी प्रमाण के रूप में प्रस्तुत की जा
सकेगी।
विशेष- आपके द्वारा शुल्क रूप में जमा की गई धन राशि किसी भी परिस्थिति में वापस नहीं की जाएगी।
नम्र निवेदनः-
आदरणीय सभी
सदाचारी, विद्वानों, महात्माओं भागवत वक्ताओं, योगियों, ज्योतिषियों आदि
को यदि हमारी किसी बात से ठेस लगी हो तो हम उसके लिए न केवल क्षमाप्रार्थी
हैं प्रत्युत आपके दिए हुए मंतव्य को सम्मिलित कर भूल सुधार का बचन देते
हैं। हमारा उद्देश्य केवल पाखंड से दूषित हो रहे शास्त्रीय ज्ञान विज्ञान को बचाना है।
संस्थान के उद्देश्य-ऋषि
मुनियों के स्वाध्याय, साधना, परिश्रम से प्राप्त हुए अपने शास्त्रीय
ज्ञानामृत से समाज को लाभान्वित होने का जो अवसर मिला है जो ग्रंथामृत सुलभ
हुआ है उससे हर जाति, वर्ग समुदाय, सम्प्रदाय लाभान्वित हो। बिखरते परिवार
राष्ट्र समाज फिर से एक दूसरे के साथ पूर्ण विश्वास पूर्वक जुड़ सकें। इससे
परिवार, राष्ट्र, समाज फिर से खुशहाल हो सकेगा और
अपना एवं अपने परिवार का पेट भरने के लिए प्राच्य विद्याओं के बहाने अपने
सरल समाज को फँसने फँसाने का यह घृणित खेल बंद होना चाहिए ।
शास्त्रीय विद्वानों से विशेषआग्रहः-
सभी शास्त्रज्ञानी गुणवानों, सदाचारियों, मुनि महात्माओं, योगियों, ज्योतिषियों, साधकों तांत्रिकों आदि से निवेदन है कि यदि आपका शास्त्रीय स्वाध्याय है या आप किसी भी शास्त्रीय विषय में अपने आपको हर प्रकार के प्रश्नोत्तर के लिए सक्षम समझते हैं तो कृपा करके अपने पत्र व्यवहार का पता तथा फोन नम्बर आदि उपलब्ध कराएँ, और हमारे विद्वज्जनों के समुदाय में सम्मिलित होकर अलंकृत करें संस्थान को।आप अपने घर में ही रहकर पत्र व्यवहार या फोन के माध्यम से यह परोपकार कर सकते हैं,ताकि आपकी योग्यता से समाज को लाभान्वित कराने का पुण्य भागी बनने का सौभाग्य हमें प्राप्त हो सके । याद रखना आपका अपनाराजेश्वरी प्राच्य विद्या शोध संस्थान संस्थान आपके संपर्क सूत्र की प्रतीक्षा में है।
धर्म भक्त धनवानों से विशेष आग्रहः-
यदि
आपको भी लगता है कि धर्म को लेकर चारों तरफ एक दूसरे को बरगलाने का दुखद
वातावरण बना हुआ है। हर कोई बिना परिश्रम किए हुए सुख सुविधा पूर्ण जीवन
जीने के लिए धर्म का दुरुपयोग कर लेना चाहता है । जिसके लिए टी.वी. आदि सभी
प्रकार के विज्ञापनों में वह वर्ग अंधाधुंध धन झोंक रहा है स्वाभाविक है
कि वो इसी धार्मिक धंधे से ही निकालना चाहेगा। इसी धर्म की आड़ में धन
इकट्ठा करने के लिए वह कितना भी बड़ा कपटकार्य करने को तैयार है।यदि आपको भी
धर्म के विषय में सोचते हैं तो दीजिए अपना बहुमूल्य सहयोग ।
शास्त्रीय
विद्वानों के पास न विज्ञापनों में खर्च करने के लिए अनाप सनाप धन है और न
ही धोखाधड़ी पूर्वक वो समाज को नोंचना ही चाहते हैं यदि चाहें तो वो भी
उन्हीं लोगों की तरह निर्ममतापूर्वक धर्म को धंधा बना सकते हैं किंतु वो
शास्त्रीय साधक हैं इसलिए उनकी धर्म पर असीम आस्था है वो इसे धंधा नहीं
बनाना चाहते हैं तथापि जीवनयापन का साधन भी वो अपनी विद्या से ही बनाना
चाहते हैं, यह उनका
नैतिक अधिकार भी है आखिर जिस प्राचीन विद्या के अध्ययन में उन्होंने लगभग
बारह वर्ष लगाए हैं अब वो अपनी रोजी रोटी के लिए यदि व्यवसाय आदि करेंगे तो
उनकी योग्यता का समाज हित में उपयोग नहीं हो सकेगा। अतः समाज हित में उनकी
योग्यता का लाभ उठाने के लिए राजेश्वरी प्राच्य विद्या शोध संस्थान
ऐसे विद्वानों को एक मंच उपलब्ध कराकर उनकी योग्यता का लाभ समाज हित में
लेना चाहता है। जिसके लिए उन्हें आजीविका के लिए आर्थिक सहयोग करना आवश्यक होगा।
अतः इसके अलावा भी संस्थान ने ऐसी सभी प्रकार की अपनी गतिविधियाँ
निस्वार्थ रूप से संचालित करने के लिए जो सदस्यता शुल्क रखी है उसे भी
मुक्त किया जा सके इसके लिए सभी धर्म एवं शास्त्र प्रेमी सज्जनों से
धनात्मक सहयोग की अपेक्षा है। यदि आप सहयोग करना या किसी और को प्रेरित
करना चाहें तो हमारे यहॉं आपका सादर स्वागत है। इसके साथ ही इस व्यवस्था को
और अधिक बेहतर बनाने के लिए आपके न केवल सुझाव अपितु सभी प्रकार के सहयोग
सादर आमंत्रित हैं।यदि आप संस्थान कार्यों के प्रचार प्रसार से लेकर किसी
भी प्रकार से सहयोग या समय देना चाहें तो यह संस्थान के लिए सौभाग्य की बात
होगी।
सदस्यता शुल्क माफ करने का विचार क्यों-
प्रायः धार्मिक समाज अभी तक इतना एवं न जाने कितने बार विविध रूपों में ठगा जा चुका है कि अब वह धर्म के मामले में किसी का विश्वास नहीं कर पा रहा है हर किसी से डरने लगा है।संस्थान की गतिविधियों एवं आश्वासनों को भी वह उसी दृष्टि से देख रहा है अतः वह संस्थान के संपर्क में भी आने से डरता है इसलिए सदस्यता शुल्क माफ करने का बिचार है ताकि उसे सभी प्रकार से भय मुक्त किया जा सके।
राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोध संस्थान की अपील
यदि किसी को केवल रामायण ही नहीं अपितु ज्योतिष वास्तु धर्मशास्त्र आदि समस्त भारतीय प्राचीन विद्याओं सहित शास्त्र के किसी भी नीतिगत पक्ष पर संदेह या शंका हो या कोई जानकारी लेना चाह रहे हों।शास्त्रीय विषय में यदि किसी प्रकार के सामाजिक भ्रम के शिकार हों तो हमारा संस्थान आपके प्रश्नों का स्वागत करता है ।
यदि ऐसे किसी भी प्रश्न का आप शास्त्र प्रमाणित उत्तर जानना चाहते हों या हमारे विचारों से सहमत हों या धार्मिक जगत से अंध विश्वास हटाना चाहते हों या राजनैतिक जगत से धार्मिक अंध विश्वास हटाना चाहते हों तथा धार्मिक अपराधों से मुक्त भारत बनाने एवं स्वस्थ समाज बनाने के लिए हमारे राजेश्वरीप्राच्यविद्याशोध संस्थान के कार्यक्रमों में सहभागी बनना चाहते हों तो हमारा संस्थान आपके सभी शास्त्रीय प्रश्नोंका स्वागत करता है एवं आपका तन , मन, धन आदि सभी प्रकार से संस्थान के साथ जुड़ने का आह्वान करता है।
सामान्य रूप से जिसके लिए हमारे संस्थान की सदस्यता लेने का प्रावधान है।
Monday, November 26, 2012
वर्तमान केंद्र सरकार का अवशेष आयुष्य कितना ?
केंद्र सरकार का समय कब तक ?
हम पहले अपना परिचय तथा ज्योतिष शास्त्र के विषय में बताना चाहते हैं। ज्योतिष शास्त्र में बी.एच.यू. से हमारी शिक्षा पूर्ण हुई है। ज्योतिष हमारी पी.एच.डी. की थीसिस से जुड़ा हुआ विषय होने के कारण अक्सर लोग हमसे भी इस तरह के प्रश्न पूछते हैं कि सरकार कब तक चलेगी?यद्यपि इन बातों का उत्तर ज्योतिष से इस लिए निकल पाना कठिन होता है क्योंकि सबकी कुंडली तो अपने पास होती नहीं है।जो हैं भी उनका जन्म समय कितना सच है उसकी क्या प्रामाणिकता? यदि यह सच मान भी लिया जाए तो भी एक बड़ी कठिनाई की बात यह होती हैं कि प्रधानमंत्री बनने के लिए राजयोग की आवश्यकता होती है।पार्षद से लेकर राष्ट्रपति तक के किसी भी प्रतिष्ठा प्रदान करने वाले पद के विषय में यदि ज्योतिष से पता लगाना है तो एकमात्र राजयोग ही देखना होता है इसके अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं होता है।अब पार्षद,विधायक,मेयर, मंत्री,मुख्यमंत्री,राज्यपाल, प्रधानमंत्री राष्ट्रपति आदि सभी प्रतिष्ठा प्रदान करने वाले पद आई.ए.एस., आई.पी.एस.,पी.सी.एस.और भी जो भी अधिकार या सम्मान प्रदान करने वाले पद हैं।सब एकमात्र राजयोग से ही देखने होते हैं इनके पदों का अलग अलग वर्गीकरण करने का ज्योतिष शास्त्र में कोई निश्चित नियम नहीं है।इसका एक और प्रमुख कारण है जिस समय में ज्योतिष की परिकल्पना की गई उस समय पर लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत राजा चुनने का प्रचलन भी नहीं था।इसलिए भी इसका वर्णन ज्योतिष शास्त्र में नहीं मिलता है।यह भी संभव है कि ज्योतिष शास्त्र से लोकतांत्रिक आदि पदों की पहचान कर पाना ही संभव न हो,क्योंकि अपराधी प्रवृत्ति के लोगों को भी तो भयवश जनता चुनावों में विजयी बना देती है। यह राज योग नहीं हुआ। इस तरह की बातों का भ्रम निवारण करने के लिए ही राजेश्वरी प्राच्य विद्या शोध संस्थान के तहत जन जागरण अभियान मैंने प्रारंभ किया है। स्वस्थ समाज नामक ब्लाग पर लिखना ही मैंने प्रचार प्रसार के लिए ही उचित समझा है। लोकतंत्र में विपक्षी लोग अक्सर यह कहते देखे सुने जा सकते हैं कि अब सरकार गिर जाएगी किंतु ऐसे अनुमान प्रायः सच नहीं होते हैं किंतु
अबकी बार मनमोहन सिंह जी की सरकार के शपथग्रहण समय के अनुशार 19-8-2012 से 4-6-2013 तक का समय इस सरकार के लिए सबसे अधिक तनावपूर्ण होगा। अधिक क्या कहा जाए सरकार को ऐसे गलत, गंदे,अप्रत्याशित और अत्यंत अपमान जनक आरोप इस समय में झेलने पड़ेंगे । उचित होता कि इस समय से पूर्व ही सरकार गिर जाती तो फिर भी जनता के बीच चुनाव में जाने लायक छवि बनी रहती। यह सौभाग्य भी उसे अब नसीब होते नहीं दिखता है।इस बीच इतना अधिक तनाव का योग है कि किसी दिशा से कोई शुभ समाचार नहीं मिलेगा अच्छा से अच्छा किया गया काम भी अपयश देकर ही जाएगा।
4-6-2013 के बाद यह सरकार कभी भी गिर सकती है जिसे बचा पाना मुश्किल ही नहीं असंभव भी होगा।
यहॉं एक विशेष बात यह भी है कि इसी बीच किसी अन्य व्यक्ति को यदि दोबारा किसी अच्छे समय में इसी सरकार का नेतृत्व सौंपा जाता है तो ये भविष्यवाणी निष्प्रभावी मानी जानी चाहिए अर्थात ऐसा करके सरकार बचाई भी जा सकती है।
इसके बाद भारतीय राजनीति में लंबे समय से अत्यंत प्रभावी भूमिका निभाने वाला कोई प्रभावी कुटुंब राजनैतिक परिदृश्य से अचानक ओझल हो सकता है। युवावर्ग की राजनैतिक आशा अभिलाषा को बड़ा झटका लग सकता है जो अप्रत्याशित होगा। जिसमें अनंत संभावनाएँ कल्पनाएँ अचानक अवरुद्ध हो सकती हैं।युवावर्ग की आस्था का किला केंद्र ढह सकता है।बहुत सॅंभल कर चलने की जरूरत है।देश के चर्चित एवं महत्वपूर्ण राजनेताओं की सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाना विशेषकर आगामी चुनाव 2014 तक अत्यंत आवश्यक है।
इसीप्रकार भारतीय राजनैतिक परिदृश्य में महिला महाशक्ति के स्वरूप में प्रतिष्ठित कोई बड़ी महिला राजनेता मानसिक अवसाद के कारण अपने को सार्वजनिक जीवन से अलग कर लेगी। जिसका महत्त्वपूर्ण कारण स्वजन वियोग तथा कोई असाध्य एवं अप्रत्याशित बीमारी होगी। ये सात वर्ष विशेष तनाव कारक एवं असाध्य रोगप्रद होंगे।
संभव है यहॉं से भारतीय राजनैतिक क्षितिज में इतिहास अपने को एकबार फिर दोहराए और एक नए
राजनैतिक राजवंश का उदय हो जो लंबे समय तक भारतीय राजनीति में सक्रिय भूमिका का निर्वाह करता रहे। संभव है कि किसी नए नृसिंह भगवान का अवतार हो और वो संभालें हम सबके जीवन की वाग्डोर।हो सकता है कि कुछ राजनैतिक दलों विशेषकर विपक्ष के द्वारा पहले से की गई राजनैतिक तैयारियॉं एवं भविष्यवाणियॉं अनुमान आदि निरूपयोगी ही सिद्ध हों।
संभव है कि ये चुनावी उत्साह अचानक अवसाद में बदल जाए और चाहे अन चाहे अचानक प्राप्त परिस्थितियों का ही स्वागत करना पड़े। प्राप्त परिस्थितियों के अनुशार संभव है चुनाव परिणाम स्वरूप किसी नए नरसिंह राव जी जैसे अप्रचारित महापुरुष का उदय हो।
यहॉं एक विशेष बात यह भी ध्यान देने लायक है कि कुछ लोगों ने वर्तमान समय में सत्ता के शिखर पर समासीन महापुरूष को न जाने क्या सोचकर धृतराष्ट
कहा होगा ?किंतु यह जिस समय कहा गया था ज्योतिष के अनुशार उस समय की गई तुलना अक्सर सटीक बैठती है। धृतराष्ट अकेला तो कोई हो नहीं सकता उसके निए महाभारत जैसी चुनावी युद्धलीला की कल्पना करनी होगी। जिसके लिए एक गांधारी ढूँढ़नी होगी ढूँढ़ना होगा एक युवराज। जिसका साथ देने वाले उसके सौ भाई भी हों। वहॉं युवराज के जीजा जयद्रथ ने अभिमन्यु को पीछे से गदा मारकर युवराज का सबसे ज्यादा अपयश किया था।मामा शकुनी जो युवराज को युद्ध की ओर ही धकेला करते थे वह भी ढ़ूढ़ने होंगे। फिर भी हम भगवान से यही प्रार्थना करेंगे कि चुनाव हो किंतु न हो यह चुनावी महाभारत और न करो किसी को धृतराष्ट जैसे अप्रिय शब्द से संबोधित। शब्द शक्ति सुधारते हुए हम सब करें शुभ शुभ बोलने का शुचि प्रयास और सभी के लिए दीर्घायुष्य की ईश्वर से पवित्र कामना ।
राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोध संस्थान की अपील
यदि किसी को केवल रामायण ही नहीं अपितु ज्योतिष वास्तु धर्मशास्त्र आदि समस्त भारतीय प्राचीन विद्याओं सहित शास्त्र के किसी भी नीतिगत पक्ष पर संदेह या शंका हो या कोई जानकारी लेना चाह रहे हों।शास्त्रीय विषय में यदि किसी प्रकार के सामाजिक भ्रम के शिकार हों तो हमारा संस्थान आपके प्रश्नों का स्वागत करता है ।
यदि ऐसे किसी भी प्रश्न का आप शास्त्र प्रमाणित उत्तर जानना चाहते हों या हमारे विचारों से सहमत हों या धार्मिक जगत से अंध विश्वास हटाना चाहते हों या राजनैतिक जगत से धार्मिक अंध विश्वास हटाना चाहते हों तथा धार्मिक अपराधों से मुक्त भारत बनाने एवं स्वस्थ समाज बनाने के लिए हमारे राजेश्वरीप्राच्यविद्याशोध संस्थान के कार्यक्रमों में सहभागी बनना चाहते हों तो हमारा संस्थान आपके सभी शास्त्रीय प्रश्नोंका स्वागत करता है एवं आपका तन , मन, धन आदि सभी प्रकार से संस्थान के साथ जुड़ने का आह्वान करता है।
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