काँग्रेस के एक निर्णय ने पार्टी को ऐसे दिन दिखा दिए भाजपा ऐसा करती तो उसका भी यही हाल होता !
भाजपा में बाकी सबकुछ जैसा है वैसा ही बना रहने दिया जाता और केवल नेतृत्व बदल कर किसी 'र' अक्षर वाले व्यक्ति को दे दिया जाता तो भाजपा का भी काँग्रेस जैसा ही हाल होता | भाजपा की कुशल रणनीति ,सक्षम नेतृत्व मजबूत संगठन जैसी सारी कारीगरी का भ्रम समाप्त हो जाता | इतना ज्यादा होता है किसी के नाम के पहले अक्षर का उसके एवं उससे संबंधित लोगों के जीवन पर प्रभाव ! बड़े बड़े राजनैतिक दलों का गुमान टूट जाता है यदि उनका नेतृत्व किसी 'र' अक्षर वाले व्यक्ति को सौंप दिया जाता है ! उसके साथ काम करने वाले एवं उससे ऊपर नीचे के पदों पर बैठे उसके साथ काम कर रहे लोग उससे इतना अधिकप्रभावित होते हैं |किसी एक व्यक्ति के नाम का पहला अक्षर उसके परिवार वैवाहिक जीवन व्यापार संस्था राजनैतिक दल सरकार आदि सभी प्रभावित होती हैं | किसी एक व्यक्ति के पद परिवर्तन का अच्छा बुरा प्रभाव साथ रहने या काम करने वाले संपूर्ण लोगों पर पड़ता है | जैसे सोनियाँ जी की जगह राहुल
समाजवादी पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व जब र अक्षर वाले कुशल रणनीतिककार के चंगुल में फँसा तो सपा का यह हाल हुआ जो वर्तमान सपा का देखा जा रहा है |
राहुलगाँधी के नाम का पहला अक्षर 'र' है | ऐसा ही 'र' अक्षर वाले किसी व्यक्ति को कोई भी राजनैतिक दल अपना नेतृत्व सौंप कर देख ले यही हाल होगा | बशर्ते पार्टी में क्या होगा क्या नहीं यह निर्णय लेने का अधिकार उसी र अक्षर वाले व्यक्ति के हाथ में हो | अर्थात वही सर्वे सर्व हो !
नरेंद्र मोदी जी को भारत की केंद्रीय राजनीति में जितना लाभ उनकी अपनी योग्यता कार्यक्षमता कर्मठता एक जुटता रणनीति आदि का मिला है उससे ज्यादा सहयोग काँग्रेस का मिला है जिसका नेतृत्व 'र' अक्षर वाले राहुल गाँधी को सौंप दिया गया | जिससे काँग्रेस का पतन होता गया और उसके अलावा एक ही सक्षम पार्टी बची भाजपा !काँग्रेस के पतन का लाभ उसे मिलता चला गया और मोदी जी की वाहवाही होती चली गई |
संपूर्ण काँग्रेस केवल गाँधी नेहरू परिवार की ओर देखती है उस परिवार में अब ऐसा कोई सदस्य नहीं दिखता जिसके नाम का पहला अक्षर इतना सक्षम हो कि वो काँग्रेस को इस संकट से उबार सके !
र अक्षर वाले लोगों में दूसरों को नेता बनाने की अद्भुत क्षमता होती है किंतु खुद वे अपने बलपर नेता नहीं बन पाते हैं !कोई अचानक घटना घटित हो जाए या कोई मज़बूरी आ पड़े तो लोग समय पास करने के लिए ऐसे लोगों को नेता भले स्वीकार कर लें | इसके बाद वे र अक्षर के कारण सत्ता से हटा दिए जाते हैं ! 'र' अक्षर श्री राम का था उन्हें अयोध्या का वो राज्य मिला था जिसे भरत ने अस्वीकार कर दिया था ! रावण को लंका का राज्य दान में मिला था और रघु को परंपरा से मिला था ! राजीव गाँधी जी परिस्थिति वश प्रधान मंत्री बने थे ,रावड़ी देवी को लालू का
दिया हुआ राज्य मिला !रमन सिंह के नाम के पहले डॉ.निरंतर लगता है जिससे र
अक्षर का अधिक प्रभाव उन पर नहीं पड़ा !वैसे किसी देश का राष्ट्रपति
प्रधानमंत्री भी यदि कोई व्यक्ति बन पाया है तो वो दूसरों के त्यागे हुए पद
को ले सका है या किसी रणनीति के तहत कुछ सक्षम नेता लोग र अक्षर वाले उन लोगों को मुख्य मंत्री प्रधान मंत्री राष्ट्रपति जैसे पदों पर बैठा देते हैं जिन पर वे अपनी राजनैतिक क्षमता के बलपर पहुँचने लायक नहीं होते हैं |
इसीलिए जिस भीदेश या राज्य में र अक्षर वाला जो भी व्यक्ति मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री आदि बनाया
गया उसे किसी मज़बूरी में किसी परिस्थिति बश तब तक के लिए बनाया गया जब तक बनाने वाले का मन हुआ | तब तक उसने रखा
और नहीं मन आया तो उसी ने हटा दिया !बनाने वाले की अनुकंपा पर ही बहुत कम लोग ही अपना कार्यकाल पूरा कर
पाए !