चिकित्साशास्त्र के लिए प्रबल सहायक है 'समयशास्त्र' (ज्योतिष) !
शरीर और संसार विज्ञान -
यह शरीर और संसार दोनों ही पंचतत्वों से निर्मित हैं पृथ्वी वायु अग्नि जल और आकाश !इसमें पृथ्वी और आकाश को स्थिर होने के कारण इन्हें अलग रख कर वायु अग्नि जल अथवा वायु सूर्य और चंद्र ये तीन ही हैं जिनसे प्रकृति समेत सारे ब्रह्मांड का निर्माण होता है तथा मनुष्य समेत सभी जीवों का निर्माण होता है इन्हीं तीनों को आयुर्वेद की भाषा में वात पित्त और कफ के नाम से जाना जाता है |इन तीनों के उचित अनुपात में बने रहने से संसार से लेकर शरीरों तक वायु सूर्य और चंद्र का समुचित संतुलन बना रहता है जिससे कि अधिक आँधी वर्षा बाढ़ भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं का भय नहीं रहेगा तथा ये संतुलन यदि शरीरों में बनाए रखा जाए तो संभावित रोगों की संभावनाएँ नहीं रहती हैं !
विशेष बात ये है कि वात पित्त और कफ आदि ये तीनों सूर्यचंद्रादि ग्रहों के स्वरूप ही हैं सूर्यचंद्रादि ग्रहों की गति युति आदि से संबंधित पूर्वानुमान महीनों वर्षों पहले गणित के द्वारा लगाए जा सकते हैं इस सिद्धांत के अनुशार तो वात पित्त और कफ आदि से संबंधित प्राकृतिक या शारीरिक असंतुलन का पूर्वानुमान भी इसी गणित के द्वारा ही महीनों वर्षों पहले लगाया जा सकता है इस सिद्धांत के द्वारा ही सभी प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं ,सामूहिक रोगों, शारीरिक रोगों एवं मनोरोगों का पूर्वानुमान महीनों वर्षों पहले लगाया जा सकता है !
इसके अलावा भी समय का संचालन सूर्य और चंद्र के द्वारा ही होता है इसलिए इन्हीं के आधार पर समय के अनुशार घटित होने वाले सभी कार्यों का पूर्वानुमान इन्हीं के द्वारा किया जा सकता है !वैसे भी संसार में अच्छे बुरे सभी प्रकार के सभी कार्यों का संबंध समय के साथ जुड़ा होता है !प्रकृति से लेकर निजी जीवन तक के सुख दुःख हानि लाभ स्वस्थ अस्वस्थ आदि सभी का संबंध समय के साथ सीधा जुड़ा होता है !समय के अनुशार ही संसार में सब कुछ घटित होता चला जा रहा है | यह समझ कर इस विधा से समय का अध्ययन करने से प्रकृति और जीवन से जुड़े अनेकों विषयों के गूढ़ रहस्य खोले जा सकते हैं मैं पिछले लगभग 20 वर्षों से इसी समय शास्त्र पर ही काम कर रहा हूँ भूकंप जैसे अत्यंत गंभीर एवं विश्व को उलझाए रखने वाली गंभीर ग्रंथि का भेदन करने में बड़ी सफलता के समीप पहुँचा जा चुका है इसके द्वारा भूकम्पों के विषय में आज इतना कुछ कहकर प्रमाणित किया जा सकता है जो भूकम्पों के विषय में विश्व के लिए नया होगा !इसी विधा से भूकंपों से संबंधित पूर्वानुमान के विषय में भी संभव है निकट भविष्य में कोई बड़ी सफलता हाथ लगे !इस विषय पर हमारा ग्रंथ भी है जिसके प्रकाशन हेतु उचित समय सहयोग एवं साधन की प्रतीक्षा है !
समय दो प्रकार से जीवन को प्रभावित करता है एक सामूहिक और दूसरा व्यक्तिगत रूप से !
समय का सामूहिक प्रभाव -
सामूहिक समय प्रकृति में परिवर्तन करता है जिससे प्राकृतिक घटनाएँ घटित होती हैं अति वर्षा भीषण बाढ़ , सूखा, आँधी ,चक्रवात एवं भूकंप आदि ऐसी सभी प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं का सीधा संबंध समय के साथ होता है ऐसे सभी प्रकार के प्राकृतिक विकार सामूहिक रूप से फैलने वाले रोगों को पैदा करने वाले होते हैं !जैसे मौसम बदलते समय या अन्य प्रकार से जलवायु परिवर्तन होने पर रोग पैदा होने लगते हैं उसी प्रकार से प्रकृति में विकार होने पर भीषण बाढ़ , सूखा, आँधी ,चक्रवात एवं भूकंप आदि घटनाएँ घटने लगती हैं ऐसे ही प्राकृतिक विकारों के कारण अनेकों प्रकार की बीमारियाँ जन्म लेने लगती हैं जो सामूहिक रूप से कुछ जिलों प्रदेशों आदि को अपनी चपेट में ले लेती हैं जिन्हें महामारी आदि के रूप में भी जाना जाता रहा है | ऐसी बीमारियों को ही आयुर्वेद के चरक संहिता आदि में जनपदोध्वंस के नाम से जाना जाता रहा है | ऐसी सामूहिक बीमारियाँ पैदा होने का कारण महर्षि चरक ने समय को माना है | ऐसी सामूहिक बीमारियाँ भविष्य में कब कहाँ फैलने लगेंगी इसका पूर्वानुमान लगाना बहुत आवश्यक होता है क्योंकि इसमें बहुत बड़ी चिंता की बात यह होती है कि ऐसी सामूहिक बीमारियाँ एक बार जब प्रारम्भ हो जाती हैं उस समयसंग्रह की गई बनौषधियाँ या ऐसे समय में बनाई गई औषधियाँ अपने गुणों से विहीन हो जाती हैं !ऐसी औषधियाँ जिन रोगों से मुक्ति दिलाने में विश्वसनीय मानी जाती रही हैं अपनेगुणों से हीन होने के कारण वही औषधियाँ वैसी ही बीमारियों से मुक्ति दिलाने में असमर्थ हो जाती हैं | ऐसे समय चिकित्सकों को इस बात का भ्रम होना स्वाभाविक होता है कि लक्षणों से युक्त बीमारियों में जो दवाएँ लाभ करती थीं वो अब असर क्यों नहीं कर रही हैं इसका मतलब ये कोई नए प्रकार की बीमारी है ! ऐसा मानकर उस विषय में नए शोध कार्य प्रारंभ कर दिए जाते हैं तब तक उस प्रकार का समय निकल जाता है और समाज को रोगों से स्वतः मुक्ति मिलने लग जाती है !चिकित्सा की दृष्टि से लोगों को भले ही लगता हो कि तीर तुक्के काम आ गए किंतु जिस रोग को पहचाना न जा सका हो !जिस पर दवाओं का कोई असर ही नहीं हो उस पर नियंत्रण कैसे किया जा सकता है |
ऐसे रोगों के पैदा होने का कारण समय होता है और उस तरह का समय समाप्त होते ही ऐसे रोग भी स्वतः समाप्त हो जाते हैं | इतना अवश्य है कि ऐसा समय प्रारंभ होने से पूर्व जो औषधियाँ बनाई जा चुकी होती हैं उनका असर होता है है और वे रोग मुक्ति दिलाने में सहायक होती हैं | 'चरकसंहिता' में इसी बात को और अधिक स्पष्ट करते हुए कहा गया है कि जब अश्विनी
आदि नक्षत्र चन्द्र सूर्य
आदि ग्रहों के विकारों से समय दूषित
हो जाता है तो उससे ऋतुओं
में विकार आने लगते हैं और समय में विकार
आते ही देश और समाज पर उसका दुष्प्रभाव दिखने लगता है इससे वायु प्रदूषित होने लगती है और वायु प्रदूषित होते ही जल दूषित
होने लगता है जलवायु में प्रदूषण बढ़ते ही विभिन्न प्रकृति
वाले स्त्री पुरुषों को एक समय में एक जैसा
रोग हो जाता है ।
यथा
-"वायुरुदकं देशः काल इति
"-चरक संहिता
वायु से जल और जल से देश और देश से काल अर्थात
समय सबसे अधिक बलवान
होता है !
" वाताज्जलं जलाद्देशं देषात्कालं स्वभावतः "-चरक संहिता
महामारियाँ फैलते समय बनौषधियाँ भी गुणहीन हो जाती हैं !
इसलिए इस विषय में मेरे कहने का अभिप्राय मात्र इतना है कि चरक संहिता के कथनानुसार अश्विनी आदि नक्षत्र और चन्द्र सूर्य आदि ग्रहों के विकारों से समय के दूषित होने के कारण महामारियाँ फैलने लगती हैंतो ग्रहों और नक्षत्रों के ऐसे संयोगों का पूर्वानुमान लगाकर ऐसे रोगों से मुक्ति के लिए पहले से प्रिवेंटिव प्रयास किए जा सकते हैं दवाओं आदि का संग्रह भी पहले से किया जा सकता है |इस प्रकार की सतर्कता बरते जाने से संभव है कि ऐसे रोग महामारियों का रूप न भी लें !
समय का व्यक्तिगत प्रभाव -
कोई भी जीव जिस दिन गर्भ में आता है और जिस दिन जिस क्षण प्रसव होता है उसी क्षण के द्वारा समय शास्त्र के माध्यम से इस बात का पूर्वानुमान किया जा सकता है कि इस शिशु को सम्पूर्ण जीवन में किस किस प्रकार की बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है | इसे जीवन के किस किस वर्ष में कितने दिनों महीनों वर्षों आदि के लिए किस किस प्रकार से सावधानियाँ बरतनी चाहिए अन्यथा उसे किस समय कैसे रोगों से स्वास्थ्य संकट का सामना करना पड़ सकता है उसमें से कौन रोग कितने साध्य होंगे और कौन कितने असाध्य ! किन किन समयों में स्वास्थ्य पक्ष से संबंधित किस प्रकार के बड़े संकटों का सामना करना पड़ा सकता है उससे बचाव के लिए कैसा आहार आचार विचार आदि अपना कर चलना श्रेयस्कर रहेगा | इस प्रकार से रोगों का पूर्वानुमान लगाकर भावी रोगों पर नियंत्रण करने का प्रयास किया जा सकता है |
मनोरोग - समयशास्त्र के द्वारा ही पूर्वानुमान लगाकर यह जाना जा सकता है कि किस व्यक्ति को जीवन के किस भाग में कितने लिए कैसा और कितना तनाव होगा !उससे बचने बचाने के लिए ऐसे संभावित तनावग्रस्त लोगों को तनाव की भँवर में पड़ने से पहले ही बचाया जा सकता है इससे तनाव होगा तो किन्तु उतना अधिक होने से बच जाएगा किंतु यदि तनाव प्रारम्भ हो गया होगा तो उसे कुछ घटाया जा सकता है किंतु समाप्त तो उस तरह का समय बीतने के बाद ही होगा !ऐसे लोगों का तनावी समय प्रारम्भ होने से पूर्व ही इन्हें एकांत स्थान या प्रतिकूल परिस्थितियों से बचाया जाना चाहिए उनके साथ सहयोगात्मक वर्ताव करके उनके उस तनावी समय को पार करने में मदद की जानी चाहिए !
इस विधा के द्वारा वैवाहिक जोड़ों को टूटने से बचाया जा सकता है परिवारों का तनाव घटाया जा सकता है समाज का विखराव रोका जा सकता है !विशेष कर सैनिकों के विषय में ऐसे पूर्वानुमानों की सहायता से उनके तनाव को घटाने में मदद मिल सकती है ऐसे सैनिकों की तैनाती विशेष संवेदनशील जगहों में नहीं की जानी चाहिए जब मन और तन स्वस्थ नहीं होगा तो उस सैनिक के साथ किसी भी प्रकार की अनहोनी घटित हो सकती है जो सैनिक के बहुमूल्य जीवन के लिए तो चिंतनीय होगी ही साथ ही उसका अपना अच्छा समय न होने के कारण उसकी कीमत देश को भी चुकानी पड़ती है |इसलिए जिन सैनिकों के स्वास्थ्य के लिए जितना समय प्रतिकूल हो उन्हें उतने समय के लिए संदिग्ध जगहों पर तैनात किए जाने से बचा जाना चाहिए !
सेना से संबंधित लोगों की भर्ती के समय स्वास्थ्य जाँच प्रक्रिया के साथ साथ इस विषय को भी शामिल किया जाना चाहिए क्योंकि स्वास्थ्य की जाँच वर्तमान शारीरिक स्थिति के आधार होती है उसी के आधार पर फिटनेस सर्टिफिकेट आदि बनता है !किंतु शरीर की प्रकृति ,रहने के स्थान, ऋतु (मौसम),भोजन की सामग्री,और अपना दशाकाल हमेंशा बदलता रहता है उसके आधार पर स्वास्थ्य के भी बनने बिगड़ने की संभावनाएँ बनी रहती हैं जिनका पूर्वानुमान लगाकर सैनिकों की भर्ती प्रक्रिया के साथ ही यह निश्चय किया जा सकता है कि किस समय किस प्रकार के लिए कौन कितना अनुकूल रहेगा !इसी प्रकार से आधारकार्ड आदि की तरह हर किसी के जीवन के प्रत्येक वर्ष के हिसाब से जीवन संबंधी पूर्वानुमान लिखा जाना चाहिए ताकि लोग खुद तो अपना अपना बचाव करने का प्रयास करें ही साथ ही दूसरों की भी मदद कर सकें !
किसी के शरीर की कफ प्रकृति हो और उसका दशा काल भी कफ प्रकृति का हो और मौसम भी कफ प्रकृति अर्थात सर्दी का हो तो ऐसे लोगों को कफ प्रकृति अर्थात सर्दी से संबंधित रोगों की संभावना उतने समय तक अधिक रहेगी !ऐसा पूर्वानुमान लगाया जा सकता है इसलिए उतने समय तक के लिए ऐसे लोगों को कफ प्रकृति अर्थात सर्दी से संबंधित मौसम में विशेष सतर्कता बरतनी चाहिए एवं कफ को बढ़ाने वाले भोजन से बचना चाहिए !कफ प्रवृत्ति से संबंधित जलीय या बर्फीले आदि शीतल प्रकृति के स्थानों पर रहने जाने आदि से बचना चाहिए !सेना आदि से संबंधित लोगों की तैनाती करने के लिए स्थान चुनते समय इन बातों के आधार पर स्वास्थ्य सुरक्षा संबंधी पूर्वानुमान लगाकर ही निश्चय किया जाना चाहिए !इसी प्रकार सर्दी के अलावा अन्य दोषों के विषय में भी सैनिकों से लेकर सभी के विषय में पूर्वानुमान किया जा सकता है |
माता पिता भाई बहनों संतान आदि से संबंधित सुख दुःख जीवन के किस भाग में कितने दिनों के लिए रहेगा !वैवाहिक जीवन के विषय में किस स्त्री पुरुष का किस स्त्री पुरुष के साथ किस प्रकार से निर्वाह हो पाएगा किसको किसके साथ कितने दिन क्या क्या सहकर वैवाहिक जीवन की रक्षा करने का प्रयत्न करना होगा !अपने या जीवन साथी के निजी जीवन में घटित होने वाले सुखों दुःखों का एक दूसरे के जीवन से सीधा संबंध भले न होता हो किंतु जीवन साथी की अपने घर की समस्याओ या अन्य निजी समस्याओं एवं रोगों मनोरोगों आदि के कारण एक दूसरे के प्रति उत्पन्न होने वाले भ्रम भी वैवाहिक जीवन में बाधक होते हैं नो किसके जीवन में किस उम्र में कितने समय के लिए होंगे इसका पूर्वानुमान भी जन्म के साथ या विवाह का निश्चय होने के साथ ही लगा लेने की प्रक्रिया इस शास्त्र में है !ऐसी सभी बातों का पूर्वानुमान लगाकर जीवन को सुखद बनाया जा सकता है |
चिकित्सा के क्षेत्र में भी ऐसे पूर्वानुमानों की बहुत बड़ी भूमिका है कोई व्यक्ति जब किसी बीमारी या दुर्घटना से चोट चपेट खाकर किसी चिकित्सक के पास पहुँचता है तो उस समय वो बीमारी बहुत साधारण सी लग रही होती है इसलिए चिकित्सक गण भी ऐसे लोगों के इलाज के लिए साधारण प्रक्रिया का ही प्रयोग करते हैं किंतु ऐसे लोगों का अपना समय यदि खराब चल रहा हो तो छोटी छोटी बीमारियाँ अचानक बढ़कर बहुत बड़ा स्वरूप ले लेती हैं उन पर दवाओं का भी अधिक असर नहीं होने पाता है इसलिए ऐसे समयों में पूर्वानुमान पूर्वक चिकित्सा करने से महत्वपूर्ण लाभ होते देखा जाता है |
अपराधियों के विषय में ऐसे लोगों को पहचानने में बड़ी मदद मिल सकती है किस प्रकार के अपराध में किसकी कितनी भूमिका हो सकती है कितने समय तक कौन किस प्रकार का अपराध कर सकता है आदि !कई अपराधियों के जीवन में साल दो साल कोई विपरीत समय आया और उस समय के प्रभाव से वो आपराधिक षड्यंत्र में वो फँस गया या किसी और ने फँसा दिया तो कानूनी पचड़ों में पड़कर उसका काफी लंबा समय बेकार हो जाता है जबकि उसके आपराधिक जीवन का था ही केवल एकवर्ष !ऐसे लोग अपना उस तरह का समय निकलने के बाद भी उस तरह के लोगों के बीच में रहते रहते उसी मानसिकता से ग्रसित हो जाते हैं जिन्हें उस तरह की संगति से बचाया जा सकता था !
ऐसे ही कई लोगों के वैवाहिक जीवन से संबंधित तनाव के लिए केवल एक ही वर्ष होता है किंतु घबड़ाकर वो तलाक ले ले लेते हैं तलाक से दूसरे विवाह तक तनाव का एक वर्ष पार हो जाता है इसके बाद दूसरी जगह सुख पूर्वक रहने लगते हैं समय के रहस्य को न समझने के कारण वे दोनों एक दूसरे को दोषी मानते रहते हैं !ऐसे लोगों को वैवाहिक जीवन को तलाक से बचाया जा सकता है !
कुल मिलाकर जीवन में समय का बहुत बड़ा महत्त्व है समय को समझे बिना पूर्वानुमान लगाना कठिन ही नहीं अपितु असंभव भी है वर्षा विज्ञान से लेकर सारा प्रकृति विज्ञान ही पूर्वानुमान पर आधारित है चिकित्सा विज्ञान ,रोग विज्ञान ,मनोरोगविज्ञान, रोजगार विज्ञान ,परिवार विज्ञान,व्यवहार विज्ञान, विवाह विज्ञान, नाम विज्ञान आदि सभी विषयों में पूर्वानुमान की सुविधा विकसित की जाए तो मानवता की बहुत बड़ी मदद हो सकती है !
जिस स्त्री पुरुष की वात पित्त और कफ के क्रमानुशार जिस दोष से संबंधित जितने समय के लिए दशा चल रही होती है उसे उतने वर्षों या महीनों तक उस प्रकार के मौसम में उस दोष से संबंधित स्थानों में रहने से बचना चाहिए उस प्रकार के खान पान से बचना चाहिए !
किसी के शरीर की कफ प्रकृति हो और उसका दशा काल भी कफ प्रकृति का हो और मौसम भी कफ प्रकृति अर्थात सर्दी का हो तो ऐसे लोगों को कफ प्रकृति अर्थात सर्दी से संबंधित रोगों की संभावना उतने समय तक अधिक रहेगी !ऐसा पूर्वानुमान लगाया जा सकता है इसलिए उतने समय तक के लिए ऐसे लोगों को कफ प्रकृति अर्थात सर्दी से संबंधित मौसम में विशेष सतर्कता बरतनी चाहिए एवं कफ को बढ़ाने वाले भोजन से बचना चाहिए !कफ प्रवृत्ति से संबंधित जलीय या बर्फीले आदि शीतल प्रकृति के स्थानों पर रहने जाने आदि से बचना चाहिए !सेना आदि से संबंधित लोगों की तैनाती करने के लिए स्थान चुनते समय इन बातों के आधार पर स्वास्थ्य सुरक्षा संबंधी पूर्वानुमान लगाकर ही निश्चय किया जाना चाहिए !इसी प्रकार सर्दी के अलावा अन्य दोषों के विषय में भी सैनिकों से लेकर सभी के विषय में पूर्वानुमान किया जा सकता है |
सेना से संबंधित लोगों की भर्ती के समय स्वास्थ्य जाँच प्रक्रिया के साथ साथ इस विषय को भी शामिल किया जाना चाहिए क्योंकि स्वास्थ्य की जाँच वर्तमान शारीरिक स्थिति के आधार होती है उसी के आधार पर फिटनेस सर्टिफिकेट आदि बनता है !किंतु शरीर की प्रकृति ,रहने के स्थान, ऋतु (मौसम),भोजन की सामग्री,और अपना दशाकाल हमेंशा बदलता रहता है उसके आधार पर स्वास्थ्य के भी बनने बिगड़ने की संभावनाएँ बनी रहती हैं जिनका पूर्वानुमान लगाकर सैनिकों की भर्ती प्रक्रिया के साथ ही यह निश्चय किया जा सकता है कि किस समय किस प्रकार के लिए कौन कितना अनुकूल रहेगा !
रोग मनोरोग हानि लाभ आदि किसके जीवन में किसके द्वारा किस उम्र में कितने समय के लिए घटित होगा !किसी से मित्रता शत्रुता आदि संबंध कब तक चलेंगे !किस नाम वाले पुरुष को किस नाम वाले स्त्री पुरुष के साथ निर्वाह करने के लिए कैसे चलना होगा और उसके लिए क्या क्या और किस प्रकार के समझौते करने होंगे ! माता पिता भाई बहनों संतान आदि से संबंधित सुख दुःख जीवन के किस भाग में कितने दिनों के लिए रहेगा !वैवाहिक जीवन के विषय में किस स्त्री पुरुष का किस स्त्री पुरुष के साथ किस प्रकार से निर्वाह हो पाएगा किसको किसके साथ कितने दिन क्या क्या सहकर वैवाहिक जीवन की रक्षा करने का प्रयत्न करना होगा !अपने या जीवन साथी के निजी जीवन में घटित होने वाले सुखों दुःखों का एक दूसरे के जीवन से सीधा संबंध भले न होता हो किंतु जीवन साथी की अपने घर की समस्याओ या अन्य निजी समस्याओं एवं रोगों मनोरोगों आदि के कारण एक दूसरे के प्रति उत्पन्न होने वाले भ्रम भी वैवाहिक जीवन में बाधक होते हैं नो किसके जीवन में किस उम्र में कितने समय के लिए होंगे इसका पूर्वानुमान भी जन्म के साथ या विवाह का निश्चय होने के साथ ही लगा लेने की प्रक्रिया इस शास्त्र में है !ऐसी सभी बातों का पूर्वानुमान लगाकर जीवन को सुखद बनाया जा सकता है |
किसी स्त्री पुरुष के जन्म लेते ही उसके जीवन से संबंधित सुख और दुःख का सहज पूर्वानुमान लगाया जा सकता है साथ ही जाना जा सकता है
लाभ कोई को दूर जब ऐसी ऐसी बीमारियाँ पैदा होते समय इसलिए अच्छे और बुरे समय का समय का अध्ययन के लिए
सुश्रुत संहिता
में भगवान धन्वंतरि कहते हैं कि आयुर्वेद का उद्देश्य है रोगियों
की रोग से मुक्ति और स्वस्थ
पुरुषों के स्वास्थ्य की रक्षा
!अर्थात रोगों के पूर्वानुमान के आधार पर द्वारा
भविष्य में होने वाले रोगों
की रोक थाम ! 'स्वस्थस्यरक्षणंच'आदि आदि ! किंतु
भविष्य में होने वाले रोगों
का पूर्वानुमान लगाकर रोग होने से पूर्व
सतर्कता कैसे वरती जाए !अर्थात
'समयशास्त्र' (ज्योतिष) के बिना ऐसे पूर्वानुमानों की कल्पना कैसे की जा सकती है ! इसके लिए भगवान
धन्वंतरि कहते हैं कि इस आयुर्वेद में ज्योतिष आदि शास्त्रों से संबंधित विषयों
का वर्णन जगह जगह जो आवश्यकतानुसार आया हैउसे ज्योतिष
आदि शास्त्रों से ही पढ़ना
और समझना चाहिए !क्योंकि
एक शास्त्र में ही सभी शास्त्रों का समावेश करना असंभव
है ।'अन्य शस्त्रोपपन्नानां चार्थानां' आदि ! दूसरी बात उन्होंने कही है कि किसी भी विषय में किसी एक शास्त्र
को पढ़कर शास्त्र के निश्चय
को नहीं जाना जा सकता इसके लिए जिस चिकित्सक ने बहुत से शास्त्र
पढ़े हों वही चिकित्सक शास्त्र के निश्चय को समझ सकता है ।
" तस्मात् बहुश्रुतः शास्त्रं विजानीयात्चिकित्सकः ||"
-सुश्रुत संहिता
अवसाद का पूर्वानुमान -
जीवन में पूर्वानुमान की बहुत बड़ी भूमिका है किसी भी विषय में पूर्वानुमान लगाकर उन अनुमानों के आधार पर अपना आचार
व्यवहार निश्चित किया जा सकता है संभावित कठिनाइयों से सावधान होकर चला जा
सकता है और संभावित अच्छाइयों को और अधिक से अधिक कैस किया जा सकता है !जीवन के प्रति सतर्क लोग निरंतर ऐसा अभ्यास करते आए हैं |
पूर्वानुमान लगाने के लिए भी यदि कोई आधार लेकर चला जाए तब तो
पूर्वानुमान प्रभावी होते हैं अन्यथा तीर तुक्का ही बनकर रह जाते हैं |
पूर्वानुमानों का आधार न होने पर केवल तुक्का ही लगाए जाते हैं जहाँ लग गया
वहाँ तो ठीक है और जहाँ नहीं लगा वहाँ खाली चला जाता है !किसी नदी को पार
करने के लिए कोई घुसा हो और नदी की चौड़ाई 100 फिट हो तो अगर पचास फिट चलने
पर नदी की गहराई 20 फिट प्रतीत हो तो इससे ये अनुमान तो नहीं लगाया जा सकता
है कि 50 फिट और चलने से नदी की गहराई चालीस फिट हो जाएगी !इसलिए जिसका हम
पूर्वानुमान लगते हिन् उसके सिद्धांतों को भी ध्यान रखा जाना चाहिए !
पूर्वानुमान की परंपरा का भारत में बहुत पुराना इतिहास है यह प्राचीन भारत
की सनातनी संस्कृति का अभिन्न अंश रहा है इसके लिए लोग तरह तरह के संकेतों
का सहारा हमेंशा से ही लेते रहे हैं पशु पक्षियों आदि अनेकों प्रकार के
जीव जंतुओं के आचार व्यवहार बोलियों स्वभाव परिवर्तनों आदि को देख सुन कर
जीवन या प्रकृति से जुड़े अनेकों प्रकार के पूर्वानुमान लगा लिया करते थे
!इसी प्रकार से वृक्षों ,बनस्पतियों सहित समस्त प्राकृतिक बदलावों के आधार
पर पूर्वानुमान लगा लिए जाते थे !स्त्री पुरुषों के शारीरिक अंगों के आधार
पर उनके जीवन से सम्बंधित विकास और ह्रास का पूर्वानुमान लगा लिया करते थे
किस क्षेत्र में किसका कितना हानि लाभ संभव है जान लिया करते थे !यहाँ तक
कि शारीरिक लक्षणों के आधार पर निकट भविष्य में संभावित बीमारियों या जीवन
मृत्यु से सम्बंधित पूर्वानुमान लगा लिया करते थे ! स्वर शास्त्र के आधार
पर नासिका में चलने वाली इड़ा पिंगला आदि नाड़ियों के द्वारा अपने विषय में
औरों के विषय में एवं प्रकृति से सम्बन्धित अनेकों विषयों का अत्यंत सटीक
पूर्वानुमान लगा लिया करते थे |स्वप्न में देखे जाने वाले प्रसंगों का
अध्ययन करके अनेकों प्रकार के पूर्वानुमान लगाए जाते रहे रहे हैं !शरीर के
अंगों के फड़कने के आधार पर या छींकने के आधार पर लगाए जाने वाले
पूर्वानुमान भी अत्यंत प्रभावी होते देखे जाते रहे हैं |घरों की बनावट के
आधार पर घरों से सम्बंधित पूर्वानुमान वास्तुशास्त्र के रूप में हमेंशा से
विश्वसनीय माने जाते रहे हैं |इसी प्रकार से पूर्वानुमानों के विषय में देश
के विभिन्न भागों एवं परम्पराओं में जीवन एवं प्रकृति से सम्बंधित अनेकों
प्रकार की पद्धतियाँ विभिन्न देशों एवं संस्कृतियों में देखने सुनने को
मिलती रही हैं |इनमें यदि सच्चाई न होती तो ये इतने लंबे समय तक कैसे
टिक पातीं !इसलिए इनकी सच्चाई विश्वसनीय है !
पूर्वानुमानों के इसी क्रम में भारतीय वैदिक विज्ञान का प्रमुख
ज्योतिषशास्त्र तो पूर्वानुमानों का अथाह समुद्र है जीवन एवं प्रकृति के
प्रत्येक पक्ष से सम्बंधित पूर्वानुमानों की विस्तृत पद्धति है
ज्योतिषशास्त्र !इसके आधार पर न केवल मनुष्य जीवन से जुड़े अपितु प्रकृति की
सामान्य जानकारी से लेकर विस्तृत खगोल विज्ञान तक से संबंधित एक एक मिनट
का पूर्वानुमान सटीक घटित होता है| ग्रहण से संबंधित पूर्वानुमान तो सारे
संसार के सामने प्रत्यक्ष ही हैं !
ज्योतिषशास्त्र के आधार पर पूर्वानुमानों से संबंधित
ज्योतिषशास्त्र का फलित नामक एक महान उपयोगी सिद्धांत है जिसके द्वारा
आकाशीय ग्रह नक्षत्रों की गति युति आदि के आधार पर सुनिश्चित सटीक सिद्धांत
हैं जिनके आधार पर अनुसंधान करके पृथ्वी पर चराचर जगत में घटित हो रही
घटनाओं का महीनों पहले और कुछ मामलों में तो वर्षों पहले पूर्वानुमान लगाया
जा सकता है !
किसी स्त्री पुरुष के जन्म लेते ही उसके जीवन से संबंधित सुख और दुःख
का सहज पूर्वानुमान लगाया जा सकता है साथ ही जाना जा सकता है रोग मनोरोग
हानि लाभ आदि किसके जीवन में किसके द्वारा किस उम्र में कितने समय के लिए
घटित होगा !किसी से मित्रता शत्रुता आदि संबंध कब तक चलेंगे !किस नाम
वाले पुरुष को किस नाम वाले स्त्री पुरुष के साथ निर्वाह करने के लिए कैसे
चलना होगा और उसके लिए क्या क्या और किस प्रकार के समझौते करने होंगे !
माता पिता भाई बहनों संतान आदि से संबंधित सुख दुःख जीवन के किस भाग में
कितने दिनों के लिए रहेगा !वैवाहिक जीवन के विषय में किस स्त्री पुरुष का
किस स्त्री पुरुष के साथ किस प्रकार से निर्वाह हो पाएगा किसको किसके साथ
कितने दिन क्या क्या सहकर वैवाहिक जीवन की रक्षा करने का प्रयत्न करना होगा
!अपने या जीवन साथी के निजी जीवन में घटित होने वाले सुखों दुःखों का एक
दूसरे के जीवन से सीधा संबंध भले न होता हो किंतु जीवन साथी की अपने घर की
समस्याओ या अन्य निजी समस्याओं एवं रोगों मनोरोगों आदि के कारण एक दूसरे के
प्रति उत्पन्न होने वाले भ्रम भी वैवाहिक जीवन में बाधक होते हैं नो किसके
जीवन में किस उम्र में कितने समय के लिए होंगे इसका पूर्वानुमान भी जन्म
के साथ या विवाह का निश्चय होने के साथ ही लगा लेने की प्रक्रिया इस
शास्त्र में है !ऐसी सभी बातों का पूर्वानुमान लगाकर जीवन को सुखद बनाया जा
सकता है |
वर्ष में वैसे तो ऋतुएँ 6 होती हैं किंतु वर्षा गर्मी और सर्दी आदि तीन
प्रकार के मौसम देखने सुनने सहने को मिलते हैं ये क्रमशः वात पित्त और कफ
से संबंधित माने जाते हैं !पुरुषों की भी यही तीन प्रकृति होती हैं भोजन
सामग्री की भी यही तीन प्रकृति होती हैं !स्थानों की भी यही तीन प्रकृति
होती हैं और समय की भी यही तीन प्रकृति होती हैं और किसी पुरुष के निजी
जीवन में घटित होने वाले समय की भी यही तीन प्रकृति होती हैं इसका निर्णय
उसके जीवन में चलने वाली दशाओं के आधार पर लिया जाता है!
ऐसी परिस्थिति में जिस स्त्री पुरुष की वात पित्त और कफ के क्रमानुशार
जिस दोष से संबंधित जितने समय के लिए दशा चल रही होती है उसे उतने वर्षों
या महीनों तक उस प्रकार के मौसम में उस दोष से संबंधित स्थानों में रहने से
बचना चाहिए उस प्रकार के खान पान से बचना चाहिए !
किसी के शरीर की कफ प्रकृति हो और उसका दशा काल भी कफ प्रकृति का हो
और मौसम भी कफ प्रकृति अर्थात सर्दी का हो तो ऐसे लोगों को कफ प्रकृति
अर्थात सर्दी से संबंधित रोगों की संभावना उतने समय तक अधिक रहेगी !ऐसा
पूर्वानुमान लगाया जा सकता है इसलिए उतने समय तक के लिए ऐसे लोगों को कफ
प्रकृति अर्थात सर्दी से संबंधित मौसम में विशेष सतर्कता बरतनी चाहिए एवं
कफ को बढ़ाने वाले भोजन से बचना चाहिए !कफ प्रवृत्ति से संबंधित जलीय या
बर्फीले आदि शीतल प्रकृति के स्थानों पर रहने जाने आदि से बचना चाहिए !सेना
आदि से संबंधित लोगों की तैनाती करने के लिए स्थान चुनते समय इन बातों के
आधार पर स्वास्थ्य सुरक्षा संबंधी पूर्वानुमान लगाकर ही निश्चय किया जाना
चाहिए !इसी प्रकार सर्दी के अलावा अन्य दोषों के विषय में भी सैनिकों से
लेकर सभी के विषय में पूर्वानुमान किया जा सकता है |
सेना से संबंधित लोगों की भर्ती के समय स्वास्थ्य जाँच प्रक्रिया के
साथ साथ इस विषय को भी शामिल किया जाना चाहिए क्योंकि स्वास्थ्य की जाँच
वर्तमान शारीरिक स्थिति के आधार होती है उसी के आधार पर फिटनेस सर्टिफिकेट
आदि बनता है !किंतु शरीर की प्रकृति ,रहने के स्थान, ऋतु (मौसम),भोजन की
सामग्री,और अपना दशाकाल हमेंशा बदलता रहता है उसके आधार पर स्वास्थ्य के भी
बनने बिगड़ने की संभावनाएँ बनी रहती हैं जिनका पूर्वानुमान लगाकर सैनिकों
की भर्ती प्रक्रिया के साथ ही यह निश्चय किया जा सकता है कि किस समय किस
प्रकार के लिए कौन कितना अनुकूल रहेगा !
समय के अनुशार ही पूर्वानुमान लगाकर यह जाना जा सकता है कि किस
व्यक्ति को जीवन के किस भाग में कितने समय के लिए कैसा तनाव होगा !ऐसे संभावित
तनावग्रस्त लोगों को एकांत स्थान या प्रतिकूल परिस्थितियों से बचाया जाना
चाहिए उनके साथ सहयोगात्मक वर्ताव करके उनके उस तनावी समय को पार करने में
मदद की जानी चाहिए !विशेष कर सैनिकों के विषय में ऐसे पूर्वानुमानों की
सहायता से उनके तनाव को घटाने में मदद मिल सकती है ऐसे सैनिकों की तैनाती
विशेष संवेदनशील जगहों में नहीं की जानी चाहिए जब मन और तन स्वस्थ नहीं
होगा तो उस सैनिक के साथ किसी भी प्रकार की अनहोनी घटित हो सकती है जो
सैनिक के बहुमूल्य जीवन के लिए तो चिंतनीय होगी ही साथ ही उसका अपना अच्छा
समय न होने के कारण उसे कोई विजय मिलेगी या सम्मान मिलेगा या प्रसन्नता
मिलेगी इसकी कल्पना नहीं की जानी चाहिए !वैसे भी जिन सैनिकों के स्वास्थ्य
के लिए जितना समय प्रतिकूल हो उन्हें उतने समय के लिए संदिग्ध जगहों पर
तैनात किए जाने से बचा जाना चाहिए !
चिकित्सा के क्षेत्र में भी ऐसे पूर्वानुमानों की बहुत बड़ी भूमिका है कोई
व्यक्ति जब किसी बीमारी या दुर्घटना से चोट चपेट खाकर किसी चिकित्सक के
पास पहुँचता है तो उस समय वो बीमारी बहुत साधारण सी लग रही होती है इसलिए
चिकित्सक गण भी ऐसे लोगों के इलाज के लिए साधारण प्रक्रिया का ही प्रयोग
करते हैं किंतु ऐसे लोगों का अपना समय यदि खराब चल रहा हो तो छोटी छोटी
बीमारियाँ अचानक बढ़कर बहुत बड़ा स्वरूप ले लेती हैं उन पर दवाओं का भी अधिक
असर नहीं होने पाता है इसलिए ऐसे समयों में पूर्वानुमान पूर्वक चिकित्सा
करने से महत्वपूर्ण लाभ होते देखा जाता है |
अपराधियों के विषय में ऐसे लोगों को पहचानने में किस प्रकार के अपराध में
किसकी कितनी भूमिका हो सकती है कितने समय तक कौन किस प्रकार का अपराध कर
तक उसे उस प्रकार का जीवन भोगना ही पड़ता है
पर इस बात के विषय में है
समय
का बहुत बड़ा महत्त्व है समय को समझे बिना पूर्वानुमान लगाना कठिन ही नहीं
अपितु असंभव भी है वर्षा विज्ञान से लेकर सारा प्रकृति विज्ञान ही
पूर्वानुमान पर आधारित है चिकित्सा विज्ञान ,रोग विज्ञान ,मनोरोगविज्ञान,
रोजगार विज्ञान ,परिवार विज्ञान,व्यवहार विज्ञान, विवाह विज्ञान, नाम
विज्ञान आदि सभी विषयों में पूर्वानुमान की सुविधा होती तो कितना अच्छा
होता !
वर्षा बाढ़ आँधी चक्रवात आदि के पूर्वानुमान की सटीक प्रक्रिया है !