आदरणीय प्रणाम !
प्राकृतिक आपदाओं एवं महामारी संबंधी अनुसंधानों में सहयोग हेतु !
महोदय,
निवेदन है कि मैं भारत के प्राचीन गणित विज्ञान के आधार पर भविष्य में घटित होने वाली घटनाओं के विषय में पिछले 35 वर्षों से अनुसंधान करता आ रहा हूँ !इसके आधार वर्षा आँधी तूफ़ान आदि प्राकृतिक घटनाओं के विषय में पूर्वानुमान लगाना आसान हो रहा है | कोरोना महामारी एवं उसकी लहरों के विषय में पूर्वानुमान लगाकर पीएमओ की मेल पर मैं जो तारीखें भेजता रहा हूँ वो सही निकलती रही हैं| यहाँ तक कि वैक्सीन न लगाने की सलाह मैंने सरकार को दी थी | ये सारी मेलें हमारे पास अभी भी सुरक्षित हैं |मेरे पूर्वानुमानों का उपयोग अघोषित रूप से इससे संबंधित सरकारी और गैर सरकारी विभागों में किया जाता रहा है | जो पीटीआई ने प्रकाशित भी किया है |सरकारी विभाग उपयोग तो करते हैं किंतु इसे स्वीकार नहीं करते हैं | वे इसे विज्ञान नहीं मानते | इसलिए ऐसे अनुसंधानों को आगे बढ़ने में मेरी मदद करने से मना कर देते हैं |जिससे इन अनुसंधानों को आगे बढ़ाना बहुत कठिन हो रहा हैं ,जबकि ऐसे अनुसंधान प्राकृतिक आपदाओं एवं महामारियों से समाज की सुरक्षा करने में बहुत सहायक हो सकते हैं |
मान्यवर ! प्राकृतिक आपदाओं एवं महामारियों के आ जाने पर उनसे बचाव के लिए कुछ किया जाना इसलिए संभव नहीं होता है क्योंकि इसके लिए पहले से तैयारियाँ करके रखनी होती हैं | इसके लिए घटनाओं के विषय में पहले से सही पूर्वानुमान पता होने चाहिए | भविष्य में झाँकने के लिए अभी तक ऐसा कोई दूसरा विज्ञान नहीं है | जिसके आधार पर मौसम एवं महामारी के विषय में पूर्वानुमान लगाया जाना संभव हो| पूर्वानुमान लगाने के लिए हमारे अनुसंधान के अतिरिक्त विश्व में कोई दूसरी प्रक्रिया नहीं है |
इसीलिए कोरोना महामारी के विषय में विश्व वैज्ञानिकों के द्वारा जितने भी अनुमान पूर्वानुमान अदि लगाए जाते रहे | उनमें से कोई भी सही नहीं निकलते रहे हैं | इसके लिए भारत में बनाया गया सूत्र मॉडल भी सही पूर्वानुमान लगाने में सफल नहीं हुआ है | हमारे पास इसके पर्याप्त प्रमाण हैं |
इसी परिस्थिति में मेरे अनुसंधान ऐसे संकटों के समय मानवता के हित में बहुत उपयोगी हैं | इन्हें आगे बढ़ने के लिए मुझे संसाधन जुटाने होते हैं जिसके लिए आपसे मदद की अपेक्षा है |
निवेदक
-डॉ.शेष नारायण वाजपेयी
पीएचडी ( B.H.U.)
संस्थापक :राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोध संस्थान
A-7\41 कृष्णानगर -दिल्ली - 51
मोबाईल : 9811226983
माननीय प्रधानमंत्री जी ! सादर प्रणाम
विषय :महामारी से संबंधित अपने अनुसंधान के विषय में मिलने के लिए समय देने हेतु निवेदन !
महोदय,
महामारी
का स्वभाव हिंसक एवं उसका वेग बहुत अधिक होता है| उसके शुरू होते ही लोग
जब संक्रमित होने एवं मृत्यु को प्राप्त होने लगते हैं |इतने कम समय में
महामारी से जनधन
की सुरक्षा की जानी संभव नहीं हो पाती है |इससे बचाव के लिए पहले से करके
रखी गई मजबूत तैयारियाँ ही काम आ पाती हैं | विशेषज्ञों को बचाव की
तैयारियाँ करने में जितना समय लग सकता है| उतने समय में महामारियाँ जनधन का नुक्सान करके चली भी जाती हैं|इसके लिए महामारी के विषय में पहले से सही अनुमान पूर्वानुमान पता होने आवश्यक होते हैं |
महामारी की पहली लहर से लेकर अभी तक संक्रमण बढ़ने या घटने की जितनी भी
घटनाएँ घटित हुई हैं | उनके विषय में हमारे द्वारा लगाए गए अनुमान
पूर्वानुमान आदि उन तारीखों सहित सही निकलते रहे हैं | मैं उन्हें आगे से
आगे पीएमओ की मेल पर भेजता आ रहा हूँ |जो अभी भी सुरक्षित हैं |
ऐसे विषयों पर मैं बीते तीस वर्षों से अनुसंधान करता आ रहा हूँ | उन्हें
ही आगे बढ़ाते हुए महामारी को समझने में सुविधा हुई है और सही पूर्वानुमान
लगाने में सफल हुआ हूँ |जिस प्रकार से किसी वृक्ष की जड़ें विभिन्न
क्षेत्रों में फैली होती हैं | उस वृक्ष की मजबूती समझने के लिए उन सभी
जड़ों की परिस्थिति को समझना होता है | उसी प्रकार से महामारी को समझने के
लिए उस कालखंड के प्राकृतिक वातावरण को समझते हुए उसमें घटित हुई संपूर्ण
प्राकृतिक घटनाओं के विषय में अनुसंधान करना पड़ा है | जिसके परिणाम स्वरूप
मेरा यह प्रयत्न सफल रहा है |
श्रीमान जी ! महामारी जैसे इतने भयंकर शत्रु को समझना एवं इसके विषय में
अनुमान पूर्वानुमान आदि लगाना अत्यंत कठिन कार्य था | अपना जीवन लगाकर मैं
इसे लक्ष्य तक ले जाने में ईश्वर कृपा से सफल हुआ हूँ ,किंतु मैं
चाहता हूँ कि मेरा यह अनुसंधान भविष्य में भी ऐसी महामारियों से सुरक्षा
की दृष्टि से काम आता रहे | संसाधनों के अभाव में व्यक्तिगत रूप से मेरे
द्वारा ऐसा किया जाना अत्यंत कठिन लगता है | इसलिए ऐसे अनुसंधान कार्य को
आगे बढ़ाने के लिए आपसे मदद की अपेक्षा है |
मुझे विश्वास है कि इस अनुसंधान को एवं इससे प्राप्त तथ्यों को यदि ठीक ठीक प्रकार
से विश्वमंच पर प्रस्तुत किया जाए तो भारत की इस प्राचीन ज्ञान संपदा से न
केवल संपूर्ण विश्व लाभान्वित होगा, प्रत्युत भारत के ज्ञान का गौरव पुनः
वैश्विक स्तर पर स्थापित करने में मदद मिलेगी |यह ऐतिहासिक कार्य आपके
द्वारा ही संभव है | इसके लिए यदि संभव हो तो मिलने हेतु समय देने की कृपा
करें |
निवेदक
-डॉ.शेष नारायण वाजपेयी
पीएचडी ( B.H.U.)
संस्थापक :राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोध संस्थान
A-7\41 कृष्णानगर -दिल्ली - 51
मोबाईल : 9811226983 महामारी कैसे पैदा हुई !लोग संक्रमित कैसे हुए !चिकित्सा से लाभ क्या हुआ ?
वर्तमान समय में अनुसंधानों की सबसे बड़ी समस्या ये है कि महामारी आकर
चली भी गई है किंतु अभी तक यह समझा जाना संभव नहीं हो पाया है कि महामारी
पैदा कैसे हुई ? महामारी से लोग रोगी कैसे हुए ? संक्रमित होने वाले लोग
स्वस्थ कैसे हुए ?महामारी समाप्त कैसे हुई ? समाप्त हुई या अभी और आएगी !
महामारी का पूर्वानुमान लगाने के लिए भविष्य को कैसे देखा गया ? भविष्य
में झाँकने के लिए विज्ञान कहाँ है ?महामारी के बिषाणु पदार्थों या जीवों
के अंदर प्रवेश कर सकते है या नहीं ? महामारी के बिषाणु प्राकृतिक वातावरण में मनुष्य
शरीरों से पहुँचते हैं या मनुष्य शरीरों से प्राकृतिक वातावरण में ?
महामारी से मुक्ति दिलाने में चिकित्सा की कितनी भूमिका रही ? कोविडनियमों
के पालन से क्या मदद मिली ?
तापमान बढ़ने घटने का महामारी पर प्रभाव पड़ता है या नहीं ? तापमान घटने बढ़ने के विषय में पूर्वानुमान लगाना संभव है क्या ?
वायुप्रदूषण बढ़ने से महामारीजनित संक्रमण बढ़ता है क्या ?वायुप्रदूषण बढ़ने का कारण क्या है?वायुप्रदूषण बढ़ने के विषय में पूर्वानुमान लगाया जा सकता है क्या ?
महामारी
संबंधी संक्रमण बढ़ने घटने में मौसम की भूमिका होती है या नहीं? मौसम
संबंधी परिवर्तनों का कारण क्या होता है ?मौसम के विषय में पूर्वानुमान
लगाया जाना संभव है क्या ?
भूकंपों का भी महामारी पर प्रभाव पड़ता है क्या ? महामारी के समय इतने अधिक भूकंप आने का कारण क्या था ?
महामारी
के समय कुछ वृक्षों में उनकी ऋतुओं के बिना भी फूल फल लगते देखे जा रहे थे
| उनके आकार स्वाद आदि में भी कुछ बदलाव होते सुने गए थे |इसका कारण
महामारी ही थी या कुछ और ! ऐसे परिवर्तन कृषि संबंधी उत्पादों में भी होते
देखे जा रहे थे | ऐसा होने का कारण महामारी थी या कुछ और !
महामारी
के समय पशुओं पक्षियों में इतनी अधिक बेचैनी क्यों थी ? पशुओं पक्षियों
चूहों टिड्डियों आदि के उन्माद का कारण महामारी थी या कुछ और ?
महामारी के समय कुछ देशों में तनाव आतंकी घटनाएँ हिंसक आंदोलन एवं युद्ध
जैसी हिंसक घटनाएँ घटित हो रही थीं !ऐसी घटनाओं के घटित होने का कारण
महामारी थी या कुछ और !
महामारी काल से अभी तक उठते बैठते हँसते खेलते नाचते कूदते कुछ लोगों की
मृत्यु होते देखी जा रही है | इसका कारण कोरोना महामारी है या कुछ और !
विशेष बात यह है कि महामारीजनित संक्रमण बढ़ने में
भूकंप,वर्षा,तापमान,वायुप्रदूषण आदि जिस किसी भी घटना की भूमिका होगी ! उस
घटना के घटित होने का कारण तथा पूर्वानुमान खोजकर ही उसके आधार पर महामारी
के विषय में कोई सटीक अनुमान पूर्वानुमान आदि लगाया जा सकता है |
ऐसा बिचार करके मैंने ऐसे सभी विषयों में आवश्यक जानकारियाँ जुटाकर
उनके आधार पर महामारी को समझने के लिए प्रयत्न किया है | इनके एवं प्राचीन गणितविज्ञान आधार पर महामारी के विषय में मैं
जो अनुमान पूर्वानुमान आदि लगाता रहा हूँ | वे सही
निकलते रहे हैं | प्रत्येक लहर के विषय में मैंने अभी तक जो जो पूर्वानुमान
लगाए हैं वे सही निकलते रहे हैं |वे तारीखों के साथ वे तारीखों के साथ आगे
से आगे पीएमओ की मेल पर भेजता रहा हूँ |