भाग्य से ज्यादा और समय से पहले किसी को न सफलता मिलती है और न ही सुख ! विवाह, विद्या ,मकान, दुकान ,व्यापार, परिवार, पद, प्रतिष्ठा,संतान आदि का सुख हर कोई अच्छा से अच्छा चाहता है किंतु मिलता उसे उतना ही है जितना उसके भाग्य में होता है और तभी मिलता है जब जो सुख मिलने का समय आता है अन्यथा कितना भी प्रयास करे सफलता नहीं मिलती है ! ऋतुएँ भी समय से ही फल देती हैं इसलिए अपने भाग्य और समय की सही जानकारी प्रत्येक व्यक्ति को रखनी चाहिए |एक बार अवश्य देखिए -http://www.drsnvajpayee.com/
Sunday, November 18, 2012
Kaalsarp Dosh Ek Chhaku Ke Saman
ये लोग कहते हैं कि राहु और केतु के बीच में सब ग्रह आ जाएँ तो कालसर्प दोष होता है। यदि सब न आवें कुछ कम हों तो आंशिक कालसर्प दोष मानते हैं। ऐसी परिस्थिति में मेरी चुनौती इन लोगों को है कि वो कुंडली दिखाएँ जिसमें आंशिक कालसर्प के लक्षण न घटित होते हों अर्थात् सभी कुंडलियों में ये लक्षण मिलेंगे। ऐसा होना बिल्कुल असंभव है कि कोई कुंडली बिना कालसर्प दोष की हो इसलिए इस तरह की किसी बकवास को शास्त्रीय दृष्टि से स्वीकार नहीं किया जा सकता। हम इसका संपूर्ण रूप से खंडन करते हैं।
आप स्वयं विचार कीजिए कि किसी एक योग का दुष्प्रभाव किसी सीमा में ही होगा। उसका विशेष प्रभाव जीवन के किसी एक विशेष क्षेत्र में होगा किन्तु कालसर्प के मसीहा हर क्षेत्र में इसे प्रभावी बताते हैं ऐसी स्थिति में मनुष्य जीवन में हर किसी को कोई न कोई परेशानी तो रहती ही है ये लोग सभी परेशानियाँ काल सर्प दोष पर मढ़ देते हैं जो पूर्ण रूप से असंभव हैं चाहें जो दिक्कत हो सब में कालसर्प दोष बताकर छुट्टी । मैं इसका खंडन करता हूँ। आप भी पूछिए इन लोगों से प्रमाण, किसी पुराने प्रमाणित ग्रंथ में इस तथाकथित कालसर्प दोष का वर्णन कहाँ मिलता है ?
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