भ्रष्टाचार का पैसा जब अपने को भी मिलने लगता है तब तो सरकारों में सम्मिलित नेता लोग भी कहने लगते हैं कि अब कहाँ है भ्रष्टाचार !किंतु जब तक अपने को नहीं मिलता था और दूसरे खाए जा रहे होते हैं तब तक भ्रष्टाचार का नाम ले लेकर मचाते रहते हैं ईमानदारी का हाहाकार !उन्हें देखकर लगता है कि इन भर कोई ईमानदार नहीं है !अपनी और अपने लोगों की इन्हीं कमजोरियों के कारण आज भ्रष्टाचार पर कार्यवाही करना तो दूर कम्प्लेन का जवाब देना तक जरूरी नहीं समझती है सरकार !उसे पता होता है कि इसमें अपने लोग ही फँसेंगे !
घूसलेने का नशा -
घूसलेने की इच्छा सबसे भयंकर नशा है घूस खोरी से जब तक जो दूर रहता है तभी
तक उसे ये बुरी लगती है किंतु जो लेने लगता है वो तो लती हो जाता है उसके
तो हाथ ही नहीं चलते हैं बिना घूस लिए !
EDMC में भ्रष्टाचार के कारण ही बिना सैलरी लिए भी अपनी सेवाएँ देने को तैयार बैठे हैं बहुत से लोग !एक बार विज्ञापन देकर तो देखे सरकार !बारे भ्रष्टाचार !!
लोग तैयार भी क्यों न हों आखिर निगमों में काली कमाई की तो रौनक सी लगी ही रहती है निगम वालों के काले कारनामों के कारण ही अक्सर घाटे में ही चला करते हैं निगम !निगमों के अधिकारी कर्मचारी लोग पहले तो बहुत सारे कामों को अवैध घोषित कर देते हैं इससे उन कामों का पैसा लेने का निगम का हक़ ही ख़त्म हो जाता है किंतु अपने कहे हुए अवैध कार्यों को करने से ये मना किसी को नहीं करते अपितु उन अपने घोषित किए हुए अवैध कार्यों के बदले अवैध काम करने वालों से करते रहते हैं वसूली और आपस में छोटे से लेकर बड़े तक मिल बाँटकर खा जाते हैं धन और निगम को दिखा देते हैं ठेंगा !ऊपर से कहते हैं निगम घाटे में चल रहा है । अरे !किसी खेत को जब मेड़ ही खाने लगे तो उसका भला भगवान् भी नहीं कर सकते हैं ।
नियमानुसार तो अवैध काम रोके जाने चाहिए और वैध काम होने देने चाहिए यही निगम कर्मचारियों का कर्तव्य माना जाता है और संभवतः यही करने के लिए सरकार ने उनको नौकरी पर रखा है पद दे रखे हैं और सैलरी देती है और यदि वे ऐसा नहीं करते तो सरकार उन्हें ढोए क्यों जा रही है और क्यों दिए जा रही है सैलरी !किंतु इनकी काली कमाई चूँकि ऊपर तक जाती है इसलिए सरकार उनसे पूछे क्यों और किस मुख से ?ये काली कमाई का ही कमाल है !
निगम की घूसखोरी के कारण जनता आपस में लड़ती रहती है !निगमों के अधिकारी कर्मचारी भ्रष्टाचार के कारण खुद तो कमाई करते रहते हैं और जनता को लड़ाया करते हैं !ये कानून हैं या मजाक !!
EDMC जिस काम को अवैध घोषित कर चुकी होती है !नियमानुसार चलने वाले कुछ लोग तो EDMCकी ऐसी शाकाहारी बातों पर भरोसा कर लेते हैं जो उनकी हरकतों से परिचित नहीं हैं बाकी आजकल सभी लोग समझने लगे हैं कि EDMC का लालच नहीं होगा तो वो गलत काम होने क्यों देगी गलत कामों को रोकना उनका दायित्व है किन्तु यदि वे रोक नहीं रहे हैं तो इसमें उनका घूस प्रेम नहीं तो फिर मक्कारी कामचोरी कही जाए क्या ?
EDMC घूस लेकर उन्हीं लोगों के उन्हीं कार्यों को करने की अघोषित अनुमति दे देती है जो पहले अवैध घोषित कर चुकी होती है !उधर अवैध कार्यों के विरुद्ध शिकायत करने वालों की तरफ से उन्हीं अवैध काम वालों को नोटिश दे देती है और उनसे कह देती है कि तुम कोर्ट में जाकर स्टे ले लो !वो स्टे ले लेते हैं इसके बाद वो अवैध काम करने वाला व्यक्ति अवैध होते हुए भी EDMC की कृपा से चारों ओर से सुरक्षित हो जाता है। कोर्ट के स्टे का नाम सुनते ही हर विभाग उससे डरने लगता है ।
अब वह अवैध कार्य शिकारी की मुट्ठी में बंद चिड़िया की जिंदगी की तरह होता है वो चाहे तो मार दे या छोड़ दे उसकी मर्जी !ठीक इसी प्रकार से जेई और ल अफसरों के रहमों करम पर टिका होता है वो अवैधकाम !जब तक उनको अवैध काम करने वाले पैसे देते जाते हैं तब तक वे लोग लंबी लंबी तारीखें लेते जाते हैं और बढ़वाते जाते हैं स्टे !और जिस दिन उसने पैसे देने बंद किए उसी दिन ये निगमों के ड्रामेबाज लोग बुलडोजर वगैरह लेकर पहुँच जाते हैं और करने लगते हैं नंगा नाच !पैसा मिलता रहे तो EDMC के अपने नियमों के अनुशार वो अवैध काम भी वैध काम की अपेक्षा ज्यादा मजबूत हो जाता है और EDMC को ठेंगा दिखा देते हैं ! जनता तंग होती रहती है किंतु EDMC के भूत प्रेत अपनी जेबें भरा करते हैं !पूछो तो कहते हैं कि ये तो ऊपर तक जाता है ऊपर वाले जब भाषण देते हैं तो साक्षात धर्मराज लगते हैं जनता वहाँ जाकर उनसे पूछ सकती नहीं है कि भाई EDMC के गलत कार्यों का पैसा आप तक पहुंचता है या नहीं !
EDMC के कर्मचारियों की काली कमाई से प्रभावित होकर सैकड़ों लोग बिना सैलरी लिए भी EDMC के अधिकारी कर्मचारियों के रूप में अपनी सेवाएँ देने के लिए तैयार बैठे हैं सरकार एक बार वैकेंसी निकाल के तो देखे !
EDMC के चुनाव !
EDMC के चुनावों का मतलब होता है जिन जिन पार्षदों के पेट भर चुके हैं वे लोग अपनी सम्पत्तियाँ इकट्ठी कर चुके हैं अब वे पीछे हटें और अपने दूसरे भाइयों को मौका दें !
आप स्वयं देखिए एक उदाहरण -
एक प्रकरण पूर्वी दिल्ली कृष्णानगर में छाछी बिल्डिंग चौक पर K -71 नाम से एक
बिल्डिंग है जिसमें सोलह फ्लैट्स हैं और चार दुकानें हैं । ये बिल्डिंग
1998 में बनी थी सारे फ्लैट्स एवं दुकानें बेच दी गई थीं !
इसके
लगभग 5-6 वर्ष बाद बिल्डिंग की छत के एक कोने पर एक मोबाईल टॉवर लगवा दिया
गया ! जिसमें MCD से कोई परमीशन नहीं ली गई ,बिल्डिंग में रहने वाले
फ्लैट्स मालिकों से सहमति नहीं ली गई ,तीसरी बात इस बिल्डिंग की ऊँचाई
लगभग 55 से 57 फिट है जबकि 50 फिट ऊँचाई से अधिक निर्माण की अनुमति नहीं है
!इसके अतिरिक्त भार के लिए बिल्डिंग की मजबूती की कभी कोई जाँच नहीं की
गई इन सारी अनियमितताओं के लिए जिम्मदार है केवल भ्रष्टाचार !सरकार कहती है भ्रष्टाचार कहाँ है !
मोबाईल टावर का किराया किसी ऐसे व्यक्ति को जाता है जिसका इस
बिल्डिंग में कोई फ्लैट नहीं है और न ही वो यहाँ रहता है इसलिए इस मोबाईल
टावर से होने वाले रेडिएशन से बीमार हों तो इस बिल्डिंग के सोलह फ्लैटों में रहने वाले परिवारों के सदस्य और किराया ले वो बाहरी व्यक्ति !
बिल्डिंग के बीचोबीच बनी सीढ़ियों से मोबाईल टावर मेंटीनेंस के जो अपरिचित से मैकेनिक लोग छत पर जाते हैं उन्होंने कई बार कई लोगों के साथ आपराधिक वारदातें की हैं जिनसे लोगों का बड़ा नफा नुक्सान भी हुआ है !वो कहतें हैं टावर नहीं रहेगा तो बिल्डिंग भी नहीं रहने दूँगा एक बार तो विस्फोटक जैसी कोई चीज बिल्डिंग के बेस मेंट में रखकर चले गए थे जिसमें पुलिस भी आई थी किंतु टावर गिरोह ने सब को मैनेज कर लिया था !शुरू से ही बिल्डर ने छत पर पानी की बारह टंकियाँ सामूहिक रखी थीं जिनसे सभी फ्लैटों में पानी की सप्लाई होती रहती थी किंतु इसी टॉवर गिरोह ने पहले तो टंकियों में कूड़ा कबाड़ मरे चूहे बिल्ली आदि डाल देता रहा पिछले तीन वर्षों से तो पाइप काट रखे हैं टंकियाँ फाड़ दी हैं छत पर जाने के रास्ते पर ताला लगा रखा है तब से पानी बंद है ऐसी ही गुंडा गर्दी से तंग होने के कारण कई फ्लैट वाले लोग अपना फ्लैट बेचकर चले गए !
इस अवैध मोबाईल टॉवर का किराया गुंडागर्दी और घूस खोरी के बल पर खाने
वाले गिरोह का मानना है कि जिस फ्लैट वाले को रहना हो रहे नहीं रहना है न
रहे किंतु अवैध होने के बाद भी ये मोबाईल टावर हटने दूँगा !EDMCसे लेकर SDM
और पुलिस विभाग तक हर किसी का हिस्सा सबको पहुँचा दिया जाता है जेई हर महीने पैसे लेता है !यहाँ
तक कि टॉवर हटाने के विरुद्ध दिया गया स्टे भी आपसी सेटिंग से बढ़वाया जाता
रहेगा तारीखें पड़ती जाएँगी किंतु टॉवर नहीं हटेगा जज को भी EDMC वालों ने मैनेज कर लिया है उसके पैसे भी देने पड़े थे ऐसे भ्रष्टाचार का पैसा दिल्ली सरकार तक पहुँचता है !यदि ऐसा न होता तो अभी तक हटा न दिया जाता !जो पैसे खाते हैं वो टॉवर हटाने संबंधी कम्प्लेन पर कोई विचार ही क्यों करेंगे !
मोबाईल टॉवर का किराया बिल्डिंग मेंटिनेंस में लगाया जाएगा ये कहकर लगाए गए टावर का एक भी पैसा आज तक बिल्डिंग के किसी भी कार्य में नहीं लगाया गया है सब टावर गिरोह EDMC के लोग और सरकार के अधिकारी कर्मचारी खा जाते हैं किन्तु बेसमेंट में अक्सर पानी भर जाता है!वो ठीक करवाने के लिए फ्लैट वाले लोग तब तक अपना पैसा क्यों लगावें जब तक टॉवर हटाया नहीं जाता ! EDMC के भ्रष्टाचार से निराश होकर दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार को भी
कई पात्र लिखे जा चुके हैं किंतु कहीं कोई सुनवाई नहीं होती यह देश सुनकर अब हम लोगों को भी भरोसा हो चला है कि भ्रष्टाचार का पैसा वास्तव में ऊपर
तक जाता है !
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