देश काल परिस्थिति प्रयास ,भाग्य और नाम जैसे घटक प्रकृति और जीवन को हमेंशा से प्रभावित करते रहे हैं | इसलिए प्रकृति और जीवन में अच्छी बुरी जितनी भी घटनाऍं घटित होती हैं उनके लिए प्रायः यही कारण जिम्मेदार होते हैं किसी घटना में इनमें से कोई एक कारण होता है किन्हीं में दो कारण होते हैं कुछ में दो तीन चार या कभी कभी तो पाँचों कारण सम्मिलित होते हैं | कुछ घटनाएँ ऐसी भी होती हैं जिनमें ये घटक न्यूनाधिक अनुपात में सम्मिलित होते हैं |
किसी व्यक्ति, वस्तु ,स्थान या घटना के स्वभाव पर उसके नाम का प्रभाव
बहुत अधिकपड़ता है | इस महामारी का नाम कोरोना महामारी या कोविड रखा गया
जिनका पहला अक्षर 'क' है | 'क' हिंदी वर्णमाला के व्यंजन समूह का पहला
अक्षर है | इसके स्वभाव के अनुशार ही कोरोना महामारी का स्वभाव बना रहा लोग
पकड़ते रहे किंतु ये पकड़ में नहीं आ सका |
इसीलिए प्रत्येक घटना की वास्तविकता समझने के लिए उस घटना में सम्मिलित कारणों को खोज कर सबसे पहले उन्हें सामने लाना होता है कि उस घटना के घटित होने में प्रमुखकारण कौन कौन कौन से हैं |इसके बाद उन संबंधित कारणों के आधार पर ही उस घटना के घटित होने के आधार भूत प्रमुख तत्व खोजे जा सकते हैं | उसके बाद उन्हीं संबंधित कारणों के आधार पर पूर्वानुमान लगा लिया जाता है |
इसके अतिरिक्त जो घटना जिस विधा से संबंधित होती है उसके अतिरिक्त किसी दूसरी पद्धति का आश्रय लेकर उस पर कोई रिसर्च प्रारंभ किया जाता है तो उससे कोई सार्थक परिणाम आने की संभावना नहीं रहती है है जैसा कि कोरोना महामारी के समय हुआ | महामारी समय जनित घटना है इसलिए इसके विषय का अनुसंधान भी समयविज्ञान पद्धति से ही किया जाना चाहिए था किंतु ऐसा न करने का परिणाम ही है कि कोरोना
महामारी के घटित होने का कारण ,विस्तार,प्रसार माध्यम ,अंतर्गम्यता आदि के विषय में कोई पारदर्शी प्रामाणिक निष्कर्ष पर नहीं पहुँचा जा सका है | इसके अतिरिक्त कोरोना महामारी पर किस मौसम का प्रभाव कैसा पड़ता है तापमान एवं वायु प्रदूषण बढ़ने घटने का इस
पर क्या प्रभाव पड़ता है इसके शुरू होने और समाप्त होने का या संक्रमितों
की संख्या घटने और बढ़ने का पूर्वानुमान कैसे लगाया जा सकता है आदि | कोरोना
संबंधित रहस्यों को समझना सुलझाना एवं पूर्वानुमान लगाना ये सब समय संबंधी अनुसंधानों के द्वारा ही संभव था और समयसंबंधी उसप्रकार के
अनुसंधान न होने के कारण ही कोरोना महामारी से संबंधित किसी रहस्य को आज
तक सुलझाया नहीं जा सका है |
किसी के स्वभाव पर उसके नाम का बहुत बड़ा प्रभाव पड़ता है इस दृष्टि से कोरोना महामारी समय से संबंधित घटना तो है ही इसके साथ ही कोरोना महामारी के नाम का पहला अक्षर 'क 'है इसका भी प्रभाव पड़ता है |
कृष्णभगवान अपनी लीलाओं से लोगों को जितना प्रभावित कर सके उतना राजा बनकर नहीं कर सके ! आज भी श्री कृष्ण की बाल लीलाएँ ही अधिक प्रसिद्ध मानी जाती हैं | क अक्षर खेल कूद हँसी मसखरी में सफलता प्रदान करता है | वर्तमानसमय में भी कपिलदेव ,कीर्तिआजाद,कपिलशर्मा अपने अपने क्षेत्र में ही सफल हुए हैं |
कृष्ण भगवान बंशी बजाकर खेल कूद आदि मनोरंजन पूर्ण कार्य करके लोगों के मन को मोह लिया करते थे | कर्ण धनुर्विद्या में प्रवीण होने के कारण लोगों का स्नेह जीतने में सफल हुए ! वर्तमान समय में कपिल सिब्बल वकालत संबंधी योग्यता के कारण ,कपिलदेव ,कीर्तिआजाद ने खेल कूद कर लोगों को आकर्षित किया ,कपिलशर्मा ने कॉमेडी करके कुमार विश्वास ने कविता गाकर अपनी लोकप्रियता बनाने बढ़ाने में सफल हुए |
कृष्णभगवानका एक नाम रणछोड़दास भी पड़ा है ! क्योंकि कपट पूर्ण जीवन जीना इनकेस्वभाव में नहीं होता है जब जरासंध ने कपटपूर्ण व्यवहार किया तो श्रीकृष्ण को रण छोड़कर पड़ा था |अनुशासन शासन कठोर स्वभाव किसी सिद्धांत को पकड़ कर चलना इनके स्वभाव में नहीं होता है फिर भी ये अपनी बाणी को कभी फँसने नहीं देना चाहते कि कल कोई ऐसा कुछ कहे कि ये बात आपने भी नहीं बताई थी !इसलिए जो जानकारी हासिल होती है वे छिपाकर कुछ नहीं रख पाते हैं सब कुछ उगलते चले जाते हैं इसलिए ये हर विषय पर अपनी बेबाकराय रखने लिए जाने जाते हैं कुछ छिपाकर चलना इनके स्वभाव में नहीं होता है वैसे राजनीति कपटपूर्ण आचरण का ही दूसरा नाम है इसी कारण ऐसे लोग अपने बलबूते तो नेता बन नहीं पाते हैं अपितु राजनीति के अलावा अपनी किसी अन्य प्रतिभा से किसी नेता को प्रभावित करके ये तब तक के लिए राजा ,शासक या नेता बन जाया करते हैं जब तक कि उसे प्रभावित कर पाते हैं | जिस दिन वो रुष्ट होता है उसी दिन राजनीति समाप्त हो जाती है | कई बार किसी का किसी नेता के साथ अच्छा सामंजस्य बन जाता है तो लंबा समय भी राजनीति में निकल जाता है | इसके बाद भी राजनैतिक छल कपट न होने के कारण वे अपने बलबूते पर अपनी नेतृत्व क्षमता सिद्ध नहीं कर पाते हैं |
इसीलिए कपिलसिब्बल,कमलनाथ,कुमारविश्वास,कपिलमिश्रा, कन्हैयाकुमार की आकर्षक क्षमता का लाभ दूसरे लोग लेकर इनका लाभ लिया करते हैं इसके बाद इनसे किनारा कर लिया करते हैं | ये क अक्षर वाले लोग प्रशंसा प्रिय होने के कारण ये शासन के क्षेत्र में अपना व्यक्तित्व न बनाकर हमेंशा दूसरों को ही खुश रखने में लगे रहते हैं | वे अपनी मर्जी के मालिक होते हैं जबतक चाहते हैं इनका उपयोग करते हैं जब चाहते हैं तब छोड़ देते हैं | कुछ लोग कृष्ण जी की तरह हमेंशा उपयोगी बने रहते हैं जिसके कारण पांडव उन्हें छोड़ने का साहस कभी नहीं जुटा सके और उधर कर्ण आजीवन दुर्योधन के प्रति समर्पित बना रहा |
ऐसे लोगों का व्यक्तिगत जीवन में कोई शत्रु नहीं होता है इसलिए ये जिस विश्वास करने लगते हैं उसी के हो जाते हैं उसी के मित्रों को ये अपना मित्र और उसी के शत्रु को अपना शत्रु मानने लग जाते हैं |वे ही जैसा चाहते हैं वैसा ही बात व्यवहार आचार बिचार आदि अपना लिया करते हैं | ऐसी परिस्थिति में उनके साथ रहते बहुत भीड़भाड़ में रहते हुए भी इनका अपना कोई नहीं बन पाता है इसका एहसास उन्हें तब होता है जब वे उसको छोड़ते हैं जिसके साथ रहने के कारण वे उस भीड़भाड़ को अपनी समझने लगते हैं |
क अक्षर वाले लोग चुलबुले चंचल और प्रसन्नता प्रिय होते हैं गंभीरता अनुशासन प्रियता इनके स्वभाव में नहीं होती है | यही कारण है कि ये अपने बलबूते पर राजकाज करने में या राजनीति करने या मुख्यबात शासन सत्ता सँभालने में या कपटपूर्ण व्यवहार करने में या कूटनैतिक पैंतरेबाजी करना इनके बश की बात नहीं होती !चूँकि ऐसा करने की हिम्मत ही नहीं पड़ती है क्योंकि इनका उस प्रकार का स्वभाव नहीं होता है | इनमें समाज को आकर्षित कोई गुण होता है विद्या लेखन भाषण वाद विवाद कला गायन नर्तन अभिनय जैसे गुणों से ये बहुतों को अपना प्रिय बनालिया करते हैं
में ये सफल नहीं हो पाते हैं
कर्ण कपिलसिब्बल,कमलनाथ,कपिलमिश्रा, , कन्हैयाकुमार,कुमार विश्वास आदि और भी ऐसे लोग हैं जिन्होंने लेखन पठन पाठन अध्ययन अध्यापन वाद विवाद कॉमेडी कविता खेलकूद आदि में जो ख्याति अर्जित की वो किसी प्रशासकीय पद पर बैठकर मिलना संभव नहीं होती है |क्योंकि शासन की सुख सुविधाओं एवं बाहरी चकाचौंध को देखकर ये राजनीति की ओर आकर्षित तो हो जाते हैं अच्छाइयों के कारण में इनकी यही वह प्रमुख कारण है कारण
हर्षबर्द्धन
उससे संबंधित अनुसंधान
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