बस बलात्कार कांड पर किसने क्या कहा ?
सभी महानुभावों से निवेदन है कि दिल्ली के चर्चित गैंग रेप प्रकरण से चिन्तित विभिन्न लोगों के द्वारा व्यक्तकिएगए उनके अपनेअपनेविचारनिम्नलिखत हैं ।जो हमने इंटर नेट के विभिन्न समाचार श्रोतों से साभार संग्रह किए हैं ,फिर भी यदि कहीं कोई अज्ञान बशात त्रुटि हो गई तो मैं क्षमा प्रार्थी हूँ ।
डा. शेषनारायण वाजपेयी
जेडीयू के नेता शरद यादव
जेडीयू के नेता शरद यादव ने कहा, ''पुरुषों में सेक्स की इच्छा का उठना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है, यह तो सभी जानते हैं कि किसी भी पुरुष के मन मस्तिष्क में 15 दिन में एक बार ऐसी इच्छा जरुर उठती है।'' उन्होंने यह भी कहा कि जो पुरुष ब्रह्मचर्य जीवन बिताने का दावा करते है वह पाखंडी होते हैं।
इस पर डा. शेषनारायण वाजपेयी का नम्र निवेदन >>>>
जवान लड़के लड़कियाँ सामूहिक स्थलों पर चल रही रास लीला देखकर वो अपने को नियंत्रित रख पाएँगे इसकी संभावना बहुत कम होती है अर्थात वो कुछ भी करने पर उतारू हो जाते हैं।
काम शास्त्र एवं साहित्य शास्त्र में वर्णन मिलता है
ज्ञातः स्वादुः विवृत जघना कः बिहातुं समर्थः?
अर्थात एक बार बासनात्मक सुख का स्वाद पता लग जाने पर फिर उस तरह की परिस्थिति देखकर भी कौन बासनात्मक सुख की ईच्छा छोड़ पाने में समर्थ हो सकेगा ?
इसी प्रकार आयुर्वेद में शरीर के तीन मुख्य उपस्तंभ बताए गए हैं भोजन, निद्रा और मैथुन। इनके कम और अधिक होते ही शरीर रोगी होने लगता है।इसलिए भोजन, नींद और बासनात्मक इच्छा रोक पाना अत्यंत कठिन होता है उसमें भी आज कल विवाह बिलंब से होने लगे हैं।
देवल ऋषि ने कहा है कि
दीर्घकालं ब्रह्मचर्यं नरमेधाश्वमेधकौ ।
इमान् धर्मान् कलियुगे बर्ज्यान् आहुर्मनीषिभिः||
अर्थ - लंबे समय तक ब्रह्मचर्य पालन करना ,नरमेध और अश्वमेध ये बातें कलियुग में ऋषियों के द्वारा रोकी गई हैं । हो सकता है कि पुराने ऋषियों को कलियुग के ब्रह्मचारियों का भरोसा ही न रहा हो ।
विश्वामित्र पराशर प्रभृतयो वाताम्बु पर्णाशनाः |
तेपि स्त्री मुख पङ्कजं सुललितं दृष्टैव मोहं गताः||
अर्थ -विश्वामित्र पराशर आदि ऋषि पत्ते खाते एवं जल पीकर रहते थे जब उन्होंने स्त्रियों का मुख कमल देखा तो अपने को सँभाल नहीं सके और मोहित हो गए और किसी को क्या कहा जाए ?
वैदिक काल से हमारे ऋषि-मुनि सदियों से ब्रह्मचर्य जीवन बताते आये हैं।आज भी बहुतसारे चरित्र वान उर्ध्वरेता ऋषि-मुनि सांसारिक भोग बासनाओं एवं धन दौलत से दूर संयमित जीवन जी रहे हैं ।
पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल
यह मामला दुर्लभतम श्रेणी में आता है, इसलिए मुझे लगता है कि दोषियों को जीने का कोई हक नहीं है.' पाटिल ने कहा कि हालांकि मृत्युदंड पर संसद में और विधि विशेषज्ञों के बीच बहस की जरूरत है, लेकिन इसका क्रियान्वयन दुर्लभतम मामलों में किया जाना चाहिए. पूर्व राष्ट्रपति ने समाज की, विशेषकर पुरुषों की मानसिकता बदलने पर जोर दिया और युवाओं से मांग की कि वह इस तरह की बुराइयों का उन्मूलन कर बदलाव लाने में सहयोगी बनें.
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी
"तीन बेटियों का पिता होने के नाते मैं भी उसी तरह का गमो-गुस्सा महसूस कर रहा हूं जिस तरह का आम लोग. इस मामले में लोगों का गुस्सा जायज़ है लेकिन गुस्से से कोई काम नहीं निकलेगा."मैं सभी नागरिकों से शांति और व्यवस्था बनाए रखने की अपील करता हूँ. मैं आपको भरोसा दिलाना चाहता हूँ कि देश में महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हर क़दम उठाया जाएगा."
गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे
गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा "पुलिस आयुक्त की दो बेटियाँ हैं, मेरे सहयोगी मंत्री की तीन बेटियाँ हैं मेरी भी तीन बेटियाँ हैं मैं भी लोगों का गुस्सा समझता हूँ.""उन्होंने कहा कि बलात्कार की इस तरह की घटनाओं में न्यायिक कार्रवाई फास्ट-ट्रैक कोर्ट के जरिए तेज़ी से निपटाई जाएगी।
इस पर डा. शेषनारायण वाजपेयी का नम्र निवेदन >>>>
आपकी बेटियाँ सुरक्षा घेरे में रहती हैं आम आदमी से आपकी क्या तुलना ?
भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने आज कहा कि दिल्ली में 16
दिसंबर को सामूहिक बलात्कार का शिकार होने वाली और कल इस दुनिया से हमेशा
के लिए चली गई छात्रा को श्रद्धांजलि तभी होगी जब इस तरह के जघन्य अपराध
फिर कभी नहीं हों।
यह दुर्भाग्य की बात है कि
महिलाओं को ‘माताओं और बहनों’ के संबोधन से पुकारने वाले देश में यह घटना
घटी।उन्होंने कहा, ‘स्वामी विवेकानंद ने शिकागो में अपना प्रसिद्ध
भाषण उपस्थित जनसमूह को भाइयों और बहनों के संबोधन के साथ शुरू किया था।’
आडवाणी ने कहा कि यह घटना भारत के इतिहास में नया मोड़ साबित होनी चाहिए।
इस पर डा. शेषनारायण वाजपेयी का नम्र निवेदन >>>>
मान्यवर, भाइयों और बहनों के संबोधन की जगह मैडम एवं एक्सक्यूज मि ने ले ली है अब तो राखी भी बहुत सोच समझ कर बँधवाई जाती हैं कई सीरियल या कामेडी सरकस,कविसम्मेलनों में जिस शर्मनाक ढंग से लड़कियों की खिंचाई की जाती है जिसे वो भाई कह दे वो शर्म सार हो जाता है उसका उपहास उड़ाया जाता है ।इस प्रकार एक तरह से भारत वर्ष की धरती पर ही लोग विवेकानंद जी के आदर्श को नकारने में लगे हैं । ऐसे में लोगों को स्वयं संकल्प बद्ध होकर भारतीय संस्कृति के प्राचीन मूल्यों की ओर पुनः लौटना होगा ।
अमर्यादित सीरियल या कामेडी सरकस,कविसम्मेलनों पर भी मर्यादा की सीमा रेखा में रहने का दबाव बनाया जाना चाहिए ।
भाजपाअध्यक्षनितिनगडकरी
नई
दिल्ली : भाजपा ने बलात्कार जैसे अपराधों के खिलाफ कठोर कानून बनाने के
लिए न्यायमूर्ति वर्मा समिति को पार्टी की ओर से दिये गये सुझावों में
सामूहिक बलात्कार, अपहरण के बाद बलात्कार तथा बंधक बनाकर दुष्कर्म करने के
दोषियों को मौत की सजा देने की सिफारिश की है।
सुषमा स्वराज- ने कहा बलात्कारियों को मृत्युदंडदो।
भाजपा सांसद स्मृति ईरानी
भाजपा सांसद स्मृति ईरानी ने बुधवार को कहा कि पैरा मेडिकल छात्रा के साथ सामूहिक बलात्कार की घटना के दोषियों को फांसी पर चढ़ाया जाना चाहिए
मुख्यमंत्री शीला दीक्षित
मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने सामूहिक दुष्कर्म के रेयरेस्ट ऑफ द रेयर (दुर्लभतम) मामलों में दोषियों को फांसी दिए जाने की वकालत की है। सामूहिक दुष्कर्म के अन्य मामलों में वह दोषियों को उम्रकैद की सजा के पक्ष में है
महिला आयोग की अध्यक्ष ममता शर्मा ने कहा, लोगों को बलात्कार जैसे जघन्य अपराध करने से रोकने के लिए संबंधित कानूनों
को बहुत कड़ा बनाने की सिफारिश करते हुए बलात्कारियों को मौत की सजा देने का समर्थन किया और साथ ही कहा कि उन्हें
‘नपुंसक’ बना देना चाहिए।ताकि वे अपने जीवन के हर
दिन पर पछताएं।
इस पर डा. शेषनारायण वाजपेयी का नम्र निवेदन >>>>
भाजपा अध्यक्ष नितिनगडकरी सुषमा स्वराज,भाजपा सांसद स्मृति ईरानी,शीलादीक्षित एवं महिलाआयोग की अध्यक्षा ममताशर्मा के द्वारा आरोपियों को फाँसी देने की बात कहना तथा ममताशर्मा जी के द्वारा बलात्कारियों को ‘नपुंसक’ बना देने की बात करना तो ठीक है किन्तु सरकार और कानून का रोल कहाँ रहा ?गाँव गली गली के आम लोग भी तो ऐसी दुर्घटनाएँ घटने पर ऐसी ही सजा दिया करते हैं । हर महिला किसी न किसी पुरुष की मॉं बहन बेटी आदि होती है उसी प्रकार हर पुरुष भी किसी न किसी महिला का पिता भाई पुत्र आदि होता है। महिलाओं की सुरक्षा के नाम पर ऐसे अपने पिता, भाई, पुत्र आदि को मृत्युदंडित होते देख कर कोई महिला या लड़की क्या अपने को सुरक्षित अनुभव कर सकेगी?
महिलाओं की सुरक्षा के नाम पर ऐसे मृत्यु दंड या नपुंसक दंड देने से उस पुरुष से सम्बंधित मॉं ,बहन, बेटी आदि महिलाओंको भयंकर पीड़ा होगी इसलिए ऐसी महिलाओं के हित का भी ध्यान रखा जाना चाहिए ।बेशक गलती किसी एक पुरुष की हो किन्तु पीड़ित तो पूरे घर को होना पड़ता है और मृत्यु दंड जिसे दिया जाता है परेशान तो उसके वे आश्रित होते हैं जिनका इस अपराध से कोई लेना देना नहीं होता है।
मेनका गांधी
मेनका गांधी का कहना है कि लड़कों को बचपन से ही महिलाओं के सम्मान के बारे में शिक्षा दी जानी चाहिए, ताकि ऐसी वारदात ही सामने न आए।
इस पर डा. शेषनारायण वाजपेयी का नम्र निवेदन >>>>
यद्यपि यह सबसे अच्छा रास्ता है पुरानी भारतीय संस्कृति में ऐसा ही होता था ।किन्तु यह शिक्षा उन्हें मिले कहाँ से ?हर किसी को गंभीर एवं शालीन वेष भूषा में रहकर अपनी योग्यता बढ़ाकर सम्मान पाने का प्रयास करना चाहिए।किसी को समझाने के लिए केवल भाषण ही नहीं अपितु गंभीर आचरण भी करके दिखाना होगा जिससे बच्चे एवं नव जवान प्रेरणा ले सकें। इस युग में भी बहुत माता बहनें हैं जिनकी तरफ कोई आँख नहीं उठा सकता।भड़कीले श्रृंगार एवं वेष भूषा से लोग बिकाऊ समझ कर हाथ पैर मारने लगते हैं यह स्त्री पुरुष दोनों के साथ होता ।हमारे यहाँ बी.एच .यू .में एक अध्यापक बाल काले कर के आते थे तो लड़के लड़कियाँ सभी लोग उन्हें पप्पू कहते थे । दूसरी बात मटुकनाथ जैसे प्रेम पाखंडियों को नियंत्रित करना होगा जिन्होंने गुरु शिष्य सम्बन्ध को कलंकित किया है ।सारी समाज को पाप को पाप कहकर उसके विरोध का व्रत लेना होगा ।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि रेप की घटनाएं 'इंडिया' में ज्यादा और 'भारत' में कम होती हैं।
इस पर डा. शेषनारायण वाजपेयी का नम्र निवेदन >>>>
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख का यह बयान कि बलात्कार भारत में नहीं इंडिया में होते हैं।उनके कहने का अभिप्राय यह हो सकता है कि भारतीय संस्कारों में पली बढ़ी कोई युवा अविवाहित लड़की किसी अन्य लड़के के साथ फिल्म देखने जाएगी ही क्यों ?हो सकता है कि वहॉं न गई होती तो बचाव भी हो सकता था, किन्तु यहॉं एक प्रश्न यह भी उठता है कि और कहीं भी गई होती, अपने दोस्त की जगह घर के किसी अन्य सदस्य के साथ ही गई होती तब भी तो यह सब कुछ होना संभव था,किंतु घर के सदस्य और दोस्त में अंतर होता है दोस्त एक सीमा तक साथ दे सकता है जबकि पति पिता पुत्र भाई आदि पारिवारिक संबंधों के समर्पण की बराबरी कोई और कैसे कर सकता है?फिर भी कौन किसका कैसा कितने दिन का कितना समर्पित दोस्त है यह उसे या उसके घर वालों को ही पता होगा। भारतीय संस्कारों की दृष्टि से तो यही कहा जा सकता है कि ऐसी लड़कियॉं तो अकेली और पूर्ण अकेली होती हैं उनका वहॉं कोई अपना नहीं होता है जहॉं अपराधी ऐसी घिनौनी वारदातों को अंजाम देते हैं।इसलिए उन्हें अपनों के साथ ही देर सबेर निकलने का प्रयास करना चाहिए ।यही भारतीय संस्कार और भारत है ।
कैलाश विजयवर्गीय
कैलाश विजयवर्गीय ने न्यूज़ चैनलों से बातचीत में रामायण का हवाले देते हुए कहा, 'एक ही शब्द है- मर्यादा। मर्यादा का उल्लंघन होता है, तो सीता-हरण हो जाता है। लक्ष्मण रेखा हर व्यक्ति की खींची गई है। उस लक्ष्मण रेखा को कोई भी पार करेगा, तो रावण सामने बैठा है, वह सीता हरण करके ले जाएगा।'
इस पर डा. शेषनारायण वाजपेयी का नम्र निवेदन >>>>
सरकार कानून व्यवस्था चुस्त करे तथा पुरुष और स्त्रियाँ अपनी अपनी मर्यादा में रहना प्रारंभ कर दें तो हर्ज क्या है?इसमें ऐसा कौन सा शब्द था जो बुरा लगने वाला था ?आखिर एक लड़की के साथ अत्याचार हुआ है केवल कानून व्यवस्था के बल से जिसे बचाया नहीं जा सका। सरकार प्रयास कर रही है फिर भी ऐसी दुर्घटनाएँ रोकी नहीं जा सकी हैं तो यदि पुरुष और स्त्रियाँ अपनी अपनी मर्यादा में रहना प्रारंभ कर दें तो हर्ज क्या है?आखिर इस तरह के अत्याचार रोकने में सुविधा रहेगी।पुरुष दोस्तों के साथ रात बिरात घूमना या पिच्चर देखने जाना भी तो सुरक्षित नहीं है कई घटनाओं में तो ऐसे पुरुष दोस्तों ने महिला मित्रों के साथ एवं महिला दोस्तों ने पुरुष दोस्तों के साथ किसी तीसरे के इशारे पर घिनौने खेल खेले हैं। इस युग में सबसे बड़ा विश्वास एवं कानून का संकट है ऐसे में किसी पुरुष दोस्त के साथ रात बिरात घूमना भारतीय मर्यादाओं का अतिक्रमण ही माना जाएगा ।हाँ ,कानून व्यवस्था ही यदि चुस्त होती तो भी सुरक्षा संभव हो सकती थी ।जो नहीं हो सका ।
अबु आजमी
अबु आजमी ने कई नसीहतें भी दीं महिलाओं को। आजमी ने कहा कि महिलाओं को गैर मर्दों के साथ घूमने पर रोक लगाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि कम कपड़े पहनने से रेप की घटनाओं में बढ़ोतरी हो रही है। उन्होंने मोहन भागवत के उस बयान का समर्थन किया कि गांव में बलात्कार की घटनाएं कम होती हैं। आजमी ने शहरों में रेप की बढ़ती घटनाओं के लिए पाश्चात्य जीवन शैली को जिम्मेदार ठहराया ।
इस पर डा. शेषनारायण वाजपेयी का नम्र निवेदन >>>>
आज वातावरण ऐसा बनता जा रहा है कि पार्कों आदि सामूहिक जगहों में जिन जगहों पर जितना अधिक लुकने छिपने का बहाना होता है वहॉं उतनी बेशर्मी से युवा लड़के लड़कियों के शिथिल आचरण देखे जा सकते हैं। रेस्टोरेंटों, पार्कों ,पिच्चरहालों, मैट्रो स्टेशनों आदि सामूहिक जगहों पर अक्सर युवा लड़के लड़कियों को लिपटते चिपटते चूमते चाटते देखा जा सकता है।दोनों प्रसन्न दिखते हैं दोनों बड़ी बड़ी बातें करते देखे सुने जा सकते हैं।यदि इन दो में से किसी एक के जीवन में कोई तीसरा नया आया तो तकरार शुरू होती है।वह कहीं तक भी जा सकती है।कई बार बड़े बड़े अपराध तक होते देखे जाते हैं।चूँकि ये सार्वजनिक जगहें होती हैं जहॉं बहुत सारे लोग देख रहे होते हैं ये बात अलग है कि वे देखने वाले ज्यादातर अपरिचित लोग होते हैं किंतु वो भी स्त्री पुरुष लड़के लड़कियॉं आदि ही होते हैं उनके भी मन उसी प्रकार की बासना के भाव से भावित होते हैं।जिसे उन्होंने संयमपूर्वक रोक रखा होता है। जिसमें जो अविवाहित युवा लड़का या लड़की है वो इनका काम कौतुक देखकर भी अपने मन पर कितना संयम रख पाएगा ये उसके अपने संयम के अभ्यास सदाचरण एवं माता पिता परिवार आदि के संस्कारों पर निर्भर करता है। इनमें भी जो अविवाहित युवा लड़का या लड़की अपने जीवन में एक बार किसी से बासनात्मक सुख ले चुके होते हैं ऐसे लड़के लड़कियाँ सामूहिक स्थलों पर चल रही रास लीला देखकर वो अपने को नियंत्रित रख पाएँगे इसकी संभावना बहुत कम होती है अर्थात वो कुछ भी करने पर उतारू हो जाते हैं।
आसाराम बापू
आसाराम बापू का कहना था, ''वह अपराधियों को भाई कहकर पुकार सकती थी. इससे उसकी इज्जत और जान भी बच सकती थी. क्या ताली एक हाथ से बज सकती है, मुझे तो ऐसा नहीं लगता.''
एक-दूसरे को नीचा दिखाने के लिए बाजारू महिलाओं का इस्तेमाल कर इस कानून का दुरुपयोग हो सकता है,
इस पर डा. शेषनारायण वाजपेयी का नम्र निवेदन >>>>
विद्या एवं जप तप से दूर झूठ आधारित वैराग्यप्रदर्शन करके टी.वी.चैनलों एवं मीडिया की कृपा से बाबा कहलाने वाले कुछ लोगों ने धर्म एवं धर्मशास्त्रों के विषय में गलत तथा भ्रामक एवं अशास्त्रीय जानकारियाँ बक बया कर धर्म पक्ष को हमेंशा चोट पहुँचाई है हमेंशा भगवान की जगह अपनी पूजा करने का प्रचार प्रसार किया है और मीडिया से धनबल पर यही करवाया भी है । इतना सब होने पर भी ये तो धन बल से उन्मत्त हाथी की तरह आगे बढ़ते चले गए ।आम समाज इनके पीछे भीड़ बनाकर दौड़ता रहा ।धनबल से निर्बल कोई चरित्रवान संत इनका रास्ता नहीं रोक सका और ऐसे अशास्त्रीय सभी बाबा धर्म एवं धार्मिक मर्यादाएँ मनमाने ढंग से हमेशा रौंदा करते हैं देश सहा करता है ।कम से कम ऐसी बातें सुनकर मीडिया को अपना पूर्व कृत पाप याद तो आएगा ।इसीप्रकार जो ज्योतिष धर्म आदि के क्षेत्र में आज जो हो रहा है वो कुछ वर्ष बाद आगे आएगा।आज फर्जी ज्योतिषियों ने टी.वी.चैनलों पर हुड़दंग मचा रखी है ।
श्रीश्री रविशंकर
आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर ने ट्विटर पर लिखा है ‘मैं आसाराम बापू के बयान से असहमत हूं। ऐसे विचार हमें कहीं का नहीं छोड़ेंगे। शराब पीने के बाद कोई समझदारी नहीं बचती।’
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महाराज ,बात सहमत असहमत होने की नहीं है यहाँ इतने दबे स्वर में बात क्यों?बात देश के धार्मिक आध्यात्मिक लोगों की है कि सारी दुनियाँ का उपहास उड़ा कर केवल धन इकट्ठा करके भोग सामग्रियाँ जुटाना ही केवल धार्मिक लोगों का लक्ष्य रह गया है क्या?क्योंकि जब जप तप और अन्य सुसंस्कार सृजन का लक्ष्य तो दिखाई नहीं पड़ता है यदि होता तो इसका भी असर समाज में दिखाई पड़ता। जब वो लक्ष्य ही नहीं है तो वो समाज में दिखाई कहाँ से पड़ें संस्कार ?हाँ धन कमाकर भोग साग्रियाँ जुटाने का लक्ष्य है तो उस दृष्टि से लोगों का संन्यास सफल दिखाई भी दे रहा है ।
जब धार्मिक आध्यात्मिक लोगों का ही लक्ष्य भटक राश्ताचार गया है तो बसों में बलात्कार नहीं तो और क्या यज्ञ पूजन भजन होगा ?आखिर समाज पर धर्म का ही अंकुश था ।जब अंकुश वाले ही निरंकुश हैं तो देश भी अपराध, भ्रष्टाचार,बलात्कार के हवाले है।
जेडीयू के नेता शरद यादव
जेडीयू के नेता शरद यादव ने कहा, ''पुरुषों में सेक्स की इच्छा का उठना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है, यह तो सभी जानते हैं कि किसी भी पुरुष के मन मस्तिष्क में 15 दिन में एक बार ऐसी इच्छा जरुर उठती है।'' उन्होंने यह भी कहा कि जो पुरुष ब्रह्मचर्य जीवन बिताने का दावा करते है वह पाखंडी होते हैं।
इस पर डा. शेषनारायण वाजपेयी का नम्र निवेदन >>>>
जवान लड़के लड़कियाँ सामूहिक स्थलों पर चल रही रास लीला देखकर वो अपने को नियंत्रित रख पाएँगे इसकी संभावना बहुत कम होती है अर्थात वो कुछ भी करने पर उतारू हो जाते हैं।
काम शास्त्र एवं साहित्य शास्त्र में वर्णन मिलता है
ज्ञातः स्वादुः विवृत जघना कः बिहातुं समर्थः?
अर्थात एक बार बासनात्मक सुख का स्वाद पता लग जाने पर फिर उस तरह की परिस्थिति देखकर भी कौन बासनात्मक सुख की ईच्छा छोड़ पाने में समर्थ हो सकेगा ?
इसी प्रकार आयुर्वेद में शरीर के तीन मुख्य उपस्तंभ बताए गए हैं भोजन, निद्रा और मैथुन। इनके कम और अधिक होते ही शरीर रोगी होने लगता है।इसलिए भोजन, नींद और बासनात्मक इच्छा रोक पाना अत्यंत कठिन होता है उसमें भी आज कल विवाह बिलंब से होने लगे हैं।
देवल ऋषि ने कहा है कि
दीर्घकालं ब्रह्मचर्यं नरमेधाश्वमेधकौ ।
इमान् धर्मान् कलियुगे बर्ज्यान् आहुर्मनीषिभिः||
अर्थ - लंबे समय तक ब्रह्मचर्य पालन करना ,नरमेध और अश्वमेध ये बातें कलियुग में ऋषियों के द्वारा रोकी गई हैं । हो सकता है कि पुराने ऋषियों को कलियुग के ब्रह्मचारियों का भरोसा ही न रहा हो ।
विश्वामित्र पराशर प्रभृतयो वाताम्बु पर्णाशनाः |
तेपि स्त्री मुख पङ्कजं सुललितं दृष्टैव मोहं गताः||
अर्थ -विश्वामित्र पराशर आदि ऋषि पत्ते खाते एवं जल पीकर रहते थे जब उन्होंने स्त्रियों का मुख कमल देखा तो अपने को सँभाल नहीं सके और मोहित हो गए और किसी को क्या कहा जाए ?
वैदिक काल से हमारे ऋषि-मुनि सदियों से ब्रह्मचर्य जीवन बताते आयें हैं।आज भी बहुतसारे चरित्र वान उर्ध्वरेता ऋषि-मुनि सांसारिक भोग बासनाओं धन दौलत से दूर संयमित जीवन जी रहे हैं ।
अन्ना हजारे
बलात्कार के दोषियों को कड़ी सजा होनी चाहिए
इस पर डा. शेषनारायण वाजपेयी का नम्र निवेदन >>>>
अन्ना जी की बात से सारा समाज सहमत है दंड भय तो होना ही चाहिए और वह भी ऐसा कि किसी और की हिम्मत न पड़े
ननकी राम कंवर छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री
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